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उस साल बहुत सर्दी पड नहीं । मेरे पिता की बीमारी बढती जा नहीं जनवरी का महीना था । एक दिन कप्तान समुद्र किनारे पहनने के लिए निकला हुआ था । माँ ऊपर के कमरे में पिता के पास मैं नीचे लॉन्च के नाश्ते के लिए टेबल लगा रहा था । एक एक दरवाजा खुला और एक अजनबी भीतर दाखिल हुआ । उसके चेहरे कारण पीला था और उसके बाएं हाथ की दो उंगलियां गायब नहीं । वो आप ही टेबल पर बैठ गया और मुझे शराब लाने के लिए कहने लगा । मैं जैसी कमरे के बाहर जाने को हुआ । उसने मुझे इशारे से रोका और पूछने लगा क्या मेरा साथी बिल्लू इसी रोज में है? मैंने बताया इस नाम का कोई व्यक्ति यहाँ नहीं देता । पर कप्तान नाम का एक बूढा व्यक्ति जरूर रहता है । इस समय वो बाहर घूमने के लिए गया है । वह कहने लगा हाँ वही उसके गाल पर तलवार के गांव का निशान हैं । मैंने हाल में से हिला दिया । वहाँ अजनबी लॉन्च के प्रवेश द्वार के पीछे छुपकर खडा हो गया जो दिल्ली की तरह चौकन्ना खडा था । जो किसी चूहे की आने का इंतजार कर रही हूँ, वहाँ भी मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता । मैं वहाँ से बाहर की ओर जाने लगा तो मेरा हाथ पकडकर उसने मुझे भीतर खींच लिया और अपने साथ सटाकर दरवाजे के पीछे खडा करेंगे । मैं इस घटना से बहुत डर गया हूँ । सेम से लौटकर कप्तान दरवाजे से भीतर दाखिल होकर अपने कमरे की और बढने लगा है तो वो व्यक्ति चिल्ला बिल्लो उसे देखते ही कप्तान का जयराम फीका पड गया तो उसने इकाई किसी बहुत को देख लेता हूँ बताने का काला होता हूँ । जवाब में मिला कम काला होता हूँ । कप्तान ने उससे का थोडा धीरे हो । आखिर हम लोग किसी समय मित्र थे । हमें पुराने दोस्तों की तरह बातचीत करना चाहिए । काफी देर तक को दोनों बहुत धीरे धीरे बातें करते हैं । मैंने उनकी बातें सुनने की कोशिश की तो उस व्यक्ति ने मुझे डांट दिया । फिर दोनों कप्तान के कमरे में चले गए । काफी देर तक उनकी कोई आवाज सुनाई नहीं । फिर कप्तान की चीखने की आवाज आई । वह कह रहा था नहीं ये नहीं हो सकता हूँ । अमेरिका एक मारपीट की आवाजें सुनाई देने लगी । जनवरी सुनाई और दूसरे ही पल व्यक्ति बाहर की और दौडता हुआ दिखाई दिया । उसके बाय कंधे से खून बह रहा था और कप्तान उसके पीछे पीछे दौड रहा था । कप्तान ने निशाना लगाकर अपना चाहती हूँ जो है कहाँ पर निशाना चूक गया । बाहर सडक पर निकलते काला पिता सरपट थोडा और देखते ही देखते नजरों से हो गया कप्तान था । उसका चेहरा भी पीला पड गया । उसने आदेश के स्वर में मुझसे कहा मेरे लिए शराब लाओ । जब तक मैं कप्तान के लिए शराब और गिलास लाया तब तक मेरी माँ सीढिया उतरकर दौडती वहाँ पहुंच गई थी । तो गुस्से में कहने लगी कितने शर्म की बात है कि सारा हंगामा यहाँ उस स्थिति में क्या जा रहा है जब तुम्हारे पिता पूरी तरह से बीमार है । मुझे लगा कप्तान का चेहरा कर रहा है । मैंने कप्तान के उसमें कुछ शराब डालनी चाहिए और उसके दादा बुरी तरह बीच गए । उसके जबडे लोहे की तरह सख्त हो गए हैं । उसी समय दरवाजा खुला और डॉक्टर साहब हम जनता के लिए वो मेरे पिता को देखने आए । हम चिल्ला डॉक्टर साहब देखी, इससे क्या हो गया है? डॉक्टर ने उसे लिटाया और उसका परीक्षण करने के बाद कहा इसे दिल का दौरा पड गया है तो डॉक्टर में उसकी आस्तीन को फाडकर उसकी बहु को देखा । उसकी पूजा बहुत मजबूत है और जगह जगह गुदी हुई थी । डॉक्टर में मेरी और देखते हुए कहा, तुम्हें देखकर डर तो नहीं सकता हूँ । मैंने का जी जी तो ठीक है या बर्तन पकडो । ये कहकर डॉक्टरों ने चाकू निकालकर कप्तान की बाहर में छोटा सा चीरा लगाया और खून कि दादा बहकर बर्तन में गिरने लगे । इस तरह काफी खून कप्तान के शरीर से निकाला गया । कुछ देर में कप्तान ने आंखें खोलकर चारों और देखा । मुझे पहचानते हुए कहा क्या काला कुत्ता चला गए? डॉक्टर ने उसे डांटते हुए कहा, यहाँ कोई काला कुत्ता नहीं है । सुनो, तुम रख दे रहे थे और तुम्हें दिल का दौरा पड गया है । ज्यादा शराब पी होगी तो मर जाओगे । चालू है । मैं तो मैं बिस्तर पर लेता देता हूँ । इसके बाद डॉक्टर मुझे अपने साफ लेकर पिताजी को देखने के लिए उनके कमरे में चलेंगे ।
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