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रहस्मय टापू - 01 in  |  Audio book and podcasts

रहस्मय टापू - 01

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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आप सुन रहे हैं हुआ हूँ । किताब का नाम हैं रहस्यमई टापू जिससे लिखा है रॉबर्ट ऍम और आवाज दी है ऍम तो फॅमिली सुने जो मनचाहे वो गांव का मुखिया । डॉक्टरों मेरे बहुत सारे मित्र मुझ से बार बार समुद्र के निर्जन टापू के खजाने से जुडा किस्सा लिख देने के लिए कहा करते थे । आखिर एक दिन मैंने अपनी लेखनी उठाई और उस रोचक रोमांचक अभियान को कागजों पर उतारने के लिए बैठ गया । मेरे पिता का समुद्र किनारे एक छोटा सा लॉन्च था । वह ज्यादा चलता नहीं था । बहुत कम लोग वहाँ ठहरने के लिए आते थे । मुझे अच्छी तरह से याद है कि एक दिन पूरा मछुआरा वहाँ ठहरने के लिए आया । उसके पीछे कुछ लोग बडी सी की जोडी लेकर आए । वो मछुआरा लम्बे काट का था और उसकी कट घाटी बहुत मजबूत थी । उसके हाथ खुरदुरे थे और उन पर छोटों के अनेक निशांत है । उसके गाल पर तलवार की चोट का कह रहा हूँ । वो लॉज में पडा प्रदर्शन आपकी तरह था और पुराना समुद्री गीत गाता रहता । गीत के बोल कुछ शायद ऐसे थे मुरुद दी की थी । जो भी पंद्रह लोग छत्तीस दारू बूढे आते मौज मुर्गी की तिजोरी पंद्रह लोग छत्ते दारू उडाते हूँ । आते ही उसने मेरे पिता से कहा था मैं यहाँ कुछ दिन रुकूंगा । मैं बहुत ही सीधा साधा । दिल्ली मुझे सादा भोजन और सस्ती शराब चाहिए । मैं यहाँ रहकर आने जाने वाले जहाजों पर नजर रखूंगा और तुम मेरा नाम जानना चाहते हो तो समझ तो मुझे का काम कह सकते हो । ये सब कहने के बाद उसने मेरे पिता के सामने सोने के चार सिक्के साइकिल हुए कहा जब भी एक हो जाएंगे तो मुझे बता देना मैं और सिख के दे दूंगा हूँ । उसकी आवाज बडी हूँ । उसके कपडों पर कई तरह के ताग लगे हुए थे । पडा हूँ बाहर देखता हूँ । मैंने सोचा कि वह किसी किसी जहाज का कप्तान रहा हूँ । सारा दिन वो समुद्र के किनारे बैठा रहता और दूरबीन से आने जाने वाले जहाजों को देखता रहता हूँ । शाम होते ही वो लॉन्च के सामने कमरे में आप जलाकर बैठ जाता हूँ और शराब पीने लगा । दिन भर घूमता रहता हूँ और लौटते ही पहुंचता क्या सडक से कोई नाविक गुजरा था । जब कोई भी नाविक लॉज में आकर रुकता है तो उस दौरान वो चुपचाप अपने कमरे में छूटने की तरह दुख का रहता है । एक दिन मुझे एक और ले गया और मेरे हाथ में चांदी का एक सिक्का हम आते हुए कहने लगा बेटे जरा तुम समुद्र पर मैं चल रखा करो । यदि किसी दिन कोई लांगणा मछुआरा दिख जाए तो? रन मुझे खबर करना । उस दिन से ऐसा हुआ कि मैं उस लग रहे मछुआरे के बारे में सोचने लगा । ऍम छुआरा मेरे सपने में आकर मुझे डराने लगा । जब कभी समुद्र में तो होता है वो लंगडा मछुआरा मेरे चारों पर अभी हो जाता हूँ । इस प्रकार कई महीने गुजर गए । हर महीने एक चांदी कर सिक्का मुझे धमाल था, लेकिन ये सिक्का मुझे महंगा पड रहा था क्योंकि रहे लेकर मेरे ख्यालों में वन लंगडा मछुआरा ही चाहता हूँ । मेरे मन से अब उस कप्तान का भय निकल चुका था । हर शाम वह मुझे गीत सुना था । बहुत सारे समुद्री गीत या आप उसे वो तरह तरह की कहानियां भी सुना था । उसकी सारी कहानियां डाॅ तो बताता है कि उसकी सारी जिंदगी समुद्री डाकुओं और खतरनाक से लोगों के साथ कुछ नहीं है । मेरे पिता के पास उसमें जो रकम जमा की थी वो खत्म हो चुकी थी । किराये और खाने की बडी रकम उस पर चढ गई थी । पर मेरे पिता उससे तकाजा करने का साहस नहीं जुटा पाते थे । एक बार हिम्मत जुटा के जब उन्होंने उससे पैसे की मांग की तो कप्तान आग बबूला हो गया । मेरे पिता डरकर फौरन कमरे में चले आए । जब तक कप्तान लॉज में रहा, मैंने कभी उसे कपडे बदलते नहीं देखा हूँ । उसका कोर्ट बहुत गिर रहा था । जब कभी वह नशे में होता तो आस पास के लोगों से बात नहीं करता हूँ, वरना अपने आप तक सीमित रहता है । लोग उससे बहुत डरते थे । उसके कमरे में रखी तिजोरी हमेशा बंद रहती है । किसी ने उसे खुला हुआ नहीं देखा था । मेरे पिता का स्वास्थ्य निरंतर खराब हो रहा था । एक दिन तो पर बात हमारे कस्बे के डॉक्टर साहब में देख रहे हैं । डॉक्टर साहब अपना काम समाप्त करके बरामदे में पाइप सुलगाकर बैठे थे । एक का एक कप्तान जोर जोर से अपना पुराना गीत गाने लगा । सिर्फ डॉक्टर साहब के पास पहुंचकर टेबल पीटने लगा । डॉक्टर ने आदेश के सर में का शोर नहीं कप्तान आमने आंखे तरेर कर डॉक्टर की ओर देखा तो डॉक्टर ने उसे गुजरते । वो का यदि तुम इस तरह शराब पीते रहे तो इस धरती को तुम जैसे गंदे और बदमाश आदमी से चलती छुटकारा मिल जाएगा । कप्तान का चेहरा गुस्से से तमतमा होगा । वो उछलकर खडा हो गया और जेब से लंबा सा चाकू निकालकर डॉक्टर को घूमने डॉक्टर साहब वहीं खडे हैं । बडे शाम भाव से कहने लगे यदि तुमने तुरंत ये चाहूँ अपनी जेब में नहीं था तो समझ लेना तो मैं फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में मुझे अधिक समय नहीं लगेगा । तो मैं मालूम होना चाहिए कि मैं केवल डॉक्टर ही नहीं इस इलाके का मजिस्ट्रेट भी हूँ । आज के बाद मुझे तुम्हारे बारे में कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए वरना तो मैं परिणाम भुगतना पडेगा । ये कहकर डॉक्टर साहब अपने घोडे पर सवार होकर वहाँ से चलेंगे कहाँ कुछ काम से कई दिनों तक कप्तान चुप रहे ।

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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