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मैं कोई धरती निचला बैल नहीं है । चिता की राख कभी ठंडी भी नहीं हुई थी । पर उन्होंने विवाद भी रख लिया । मैंने कहा था कि रहने दो, अभी शादी दिया, साल भर तो रुको और नहीं माने । दलीलें देने लग पडे । आखिर मैंने कह दिया कर लो लेकिन मैं नहीं आ सकता । लोग तुम्हारे बिना हम कैसे कर लें । हमें कौन सा दुख नहीं है । ये तो हमें मिलजुलकर कडवा घूंट भरना ही पडेगा । मेरे साडू ने कहा भेजी ये तो उसी की इच्छा थी । इसी कारण तो वो आया था इंडिया अगर नहीं आता तो क्यों ये दिन देखना पडता । जितनी जल्दी हो सकता है हम उसकी आखिरी ख्वाहिश भी पूरी करें । जब मेरी साली ने से सकते हुए ये कहा तो मुझे वहाँ करनी पडी और भोग के चौथे दिन विभाग लिया । पर मेरा सरवन तो मेरी आंखों से एक पल के लिए भी ओझल ना होता था । जब नींद से उठता वो भी साथ ही उठ खडा होता । रात में यदि कभी कुछ देर आंख लगती तो सपने में दिखने लग जाता है । विभाग वाले दिन से पहली रात भी जब सारा सी आग लगी तो कोर्ट पैंट पहने दिखाई दिया । लडकी को सहारा देकर फेरे करवाता हूँ और फिर मुझे विभाग वाली लडकी की जगह फेरे लेती किरण मेरी बहू दिखाई दी मैंने अपने आप को भी देखा हाथ में कैसा पकडे हुए छोटी के सहारे खडा भीक मानता हुआ तभी मेरी आँख खुली मैं हो रहा था मेरा बुक्का फाडकर रोने को मन किया दूसरे लोग न जांच जाएँ ये सोचकर में कमरे में से बाहर निकाला खेल कि बुक्कल मार्कर हो सकता हुआ मैं कोठे पर चढ गया । मेरी दाह निकल गई । मेरे जी करता था कि मैं जोर जोर से पुकारों से शायद ऊंचाई पर चढकर मेरे द्वारा आवाज लगाने पर वह सुनी ले । ऐसा चित्र में आते ही में आगे बढकर चौबारे की छत पर चढ गया । मेरा बढ फट गया । मैं अपने मृत पुत्र को आवाजें लगाने लग पडा और सरवन और सरवन ओय कहाँ चला गया तू आजा ऍम उत्तर तो हम कैसे जिंदगी काटेंगे आज मेरे बेटे मेरा बडा ना बर्बाद कर कुछ बेघर करके नाजा आ जाया लॉरेटा वहाँ सारा आस पडोस इकट्ठा हो गया मैंने बहुत का छोड दो मुझे मुझे अकेले छोड दो ऍम बेटा रूठ गया है । मनाली तो मुझे मेरी आवाज सुनकर आएगा । वो मेरा रोना नहीं कर सकता हूँ । मत कर मत वहाँ गया कौन लौटा है? इतनी ठंड में कोठे पर चढा पडता है, ठंड लगवा लेगा । किसी ने कहा जिगरा बडा करने से ही बात बनेगी । अगर तो खुद ही हिम्मत हार गया तो बहु को कौन दिलासा देगा? किसी अन्य ने कहा और फिर वो मुझे नीचे उतार लाए । मैंने फिर कहा छोडो मुझे रोज तो लेने दो । बहुत सारा गुबार निकाल लेना है । फिर कल रोना नहीं आएगा । विवाह जो है उस दिन से ही रोज जाते हो । रोज कोई लौटा हो तो क्यों रोके? तुझे लगा भाई? डॉक्टर कोई टीका टू का ताकि से नींद आ जाए । मेरे भाई ने डॉक्टर से कहा । टीका लगते ही मेरी आंखें मच गई । अगले दिन विवाह वाली सुबह मेरे एक मित्र ने मुझे दवाई दे दी । वो होम्योपैथी का डॉक्टर है । कहने लगा इससे तेरा चित्र खडा रहेगा, रोना नहीं आएगा वो दवाई मैंने अपनी बहु किरण को भी भिजवा दी । वो अपनी बहन के घर में थी जिसकी बेटी का व्यवहार था । मुझे लगा कि ये दवाई काम कर रही थी । मान रात की तरह बेचे नहीं था । लेकिन सर्वण सरवन आंखों के आगे से नहीं हटता था । मैं उस भवन में जहाँ व्यवहार था सीधा पहुंच गया । मेरा भाई और भतीजा मेरे साथ गए । मेरे साली साढू ने कहा भी कि वह जाते हुए बारात में मुझे संग लेते जाएंगे तो मेरा मन नहीं माना । मैंने कह दिया मैं तो खुद ही सीधा पहुंच जाऊंगा । मैंने सोचा के बारात में जाता है । मैं भी अच्छा लगेगा । भवन में किरण पहले से ही खडी थी । मुझे लगा कि उस ने अपने मन पर काबू किया हुआ था । शायद दवाई ले ली होगी । किरण को पहले से खडी देख एक बार तो मुझे हैरानी हुई तो किसी विभाग क्या पार्टी पर जाना हो तो आने के आगे से हटने का नाम ही नहीं लिया करती । तैयार होकर आई को सरवन छेडता कहाँ करता हूँ ऍम लाट कुछ ज्यादा ही बडी है तो फिर आएंगे के आगे जाकर खडी होती । वहीं से आवाज आती आकर ठीक करवाओ ना । सरवन हस्ता हुआ उसके पीछे कमरे में चला जाता है और दोनों धीमे धीमे हस्ते रहते मेरे कान इन्हीं की तरह होते हैं । इस प्रकार मिलते करते मुझे बहुत प्यारे लगते हैं । यद्यपि कई बार किसी के फंक्शन पर विलंब से पहुंचने के कारण मुझे शर्मिंदगी भी महसूस होती, लेकिन इसका ये खेल मुझे अपनी जवानी के दिन याद करवा देता हूँ । मैं और जिन्दर भी इस प्रकार के पंगे लेते रहते बन ठनकर निकलते । बाहर साथी अध्यापक हमारे प्रेम पर एशिया करते । एक मित्र कहता एक दूजे पर मिर्चे वारकर निकला करो घर से नहीं तो किसी की नजर लग जाएगी । कभी वह कहता इतना ना एक दूसरे काम हो क्या करो? तब हँसी से कहता जला मत कर हम को देखकर अपनी घरवाली के साथ प्रेम कर अब लगता है कि उसकी बात शायद ठीक थी । यदि जिन्दर के साथ इतना होना होता तो इतना तंग परेशान ना होता । तीन साल हो गए, उसका निधन हुए । यदि ये सरवन और किरण होते तो मैं कभी का मर खप गया होता । दिन तो उधर डर खून भरकर गुजार लेता था । मगर रातों में उसकी याद हावी हो जाती है । कभी कभी न फूट फूटकर रोने लग पडता । सरवन और किरण आधी आधी रात दौड कर मेरे कमरे में आते । मुझे बाहों में भरकर हौसला देते ही कोई छह महीनों में जाकर मन थोडा सेटिंग पाया था । मैं फिर से गाडी में फिक्स ओ लगाने लग पडा था । बाहर कहीं जाते वक्त टाई बांधकर जाने लगा था और सरवन को लेकर तो कहीं कल्पना भी नहीं की थी । किरण जो मुझे दिलासा देती थी । स्वयं कैसे कटेगी जिन्दगी भवन में पहुंचते ही दौड कर मेरी और आई । पूछे लगी ठीक हुआ रात कुछ देर नहीं आई कि नहीं? राणो मैं ठीक हूँ तो ठीक है । दवाई ली तो उन्हें अरे बच्चों को भी दे देनी थी । मैंने कहा हम ठीक है डैडी आप अपना ख्याल रखें । मैं चाइना कर दूँ पर मैंने उसको रोक दिया । रोकता में तब भी रहा था जब भी एयरपोर्ट आने से पहले हमारे लिए खाना बनाकर रख रही थी । बटर चिकन बकरे का मीट सूखा चिकन बना बना कर ही फ्रिज में रखती रही स्टोर में से नाम लाकर रखती है । सरवन ने छह बडी बोतले शराब पिलाकर रखती । मैंने बहुत कहा रही कुल तीस दिन की तो बात है ना, इतनी शराब कहाँ भी होगा और फिर इतना सब कुछ हम कैसे खा लेंगे? इस पर वो बोला था जब आपका जीना लगे तो किसी यार दोस्त को बुला लेना पीने के शौकीन कहीं आ जाते हैं । अगर फ्रिजर में से खाना निकालकर गर्म करने को मन ना हो तो पीजा मंगा लेना । बस वर्ष में न जाना, कहीं टैक्सी मंगा लेना और बच्चों से कहने लगा टेडी को तंग नहीं करना । पीछे से किरण की और मुंह करके बोला हम बच्चों को साथ इंडिया ले चलते हैं । तीन हफ्ते का क्या है? स्कूल से छुट्टियाँ करवा लेंगे? नहीं नहीं बच्चों की पढाई खराब नहीं करनी हमारा । फेंकना करो तुम लोग । मैंने कई बार कहा एक तो डैडी रहेगा ही । मेरा तो बिलकुल मन नहीं करता । तुम सब के बिना जाने को ध्यान तो यही रहेगा । किरण ने कहा था क्या पता था हम बहुत तभी जी नहीं करता था । जाने को कुदरती जैसे कह रही हूँ कि वहाँ जाने पर सब कुछ बिगड जाएगा । मैंने मन ही मन सोचा । मेरी निगाह किरण की तरफ गयी । पूराने सब सूट पहन रखा था । मेरी अंतरात्मा तरफ उठी । इस समय तो इसमें वो सूट पहने थे जो सरवन पटियाला से अपनी पसंद के विशेष तौर पर लेकर आया था । फिर सिलाई के लिए दिए थे । किरण को उसने नहीं बताया था । कहता था सरप्राइज देना है । मुझे फोन पर सारी बात बता देता था । दर्जी का नाम भी बता दिया । जिसको सूट सिलने को दिए थे । कहने लगा उसके पास किरण का नाम है । वहीं इसके सूट चलता है । सूट सिलकर पता नहीं दे गया की नहीं कंजर का कहीं दबा ही ना ले । अब तो चौकन्ने होकर रहना पडेगा । किरण के साथ मिलकर काम करने पडेंगे । ये कौन सा भी पेंशन आती है । तीन साल पडे हैं अभी पेंशन लगने को अकेली किरण की कमाई से कहाँ गाडी खींचेगी । मेरे चित्र में इस प्रकार के विचार आते रहे । सरवन का साडू मुझे फूल पकडाकर कहने लगा । येलो मास्टरजी सरवन उधर विदेश से ही लेकर आया था । भगत फूल पकडकर जेल में डालने लगा तो वो बोला इसको कोर्ट पर ढंग । लोग सरवन की छठी की सारे बराती एक जैसे फूल ही लगाए । ऐसी चाय या मेरे मन में आया तो पक्ष में से फूल मेरे कोर्ट से लगा गया । मैं भूल को सरवन की निशानी समझकर सहलाने लगा । ये फूल सरवन और किरण ने किरण की किसी सहेली से बनवाए थे । पहले सरवन कई दुकानों पर गया था, खरीद लें तो कहीं भी उसकी पसंद के नहीं मिले । फिर सेल का कपडा और प्लास्टिक के डंडिया नगर किरण की सहेली को दे दी । किरण ने जामुनी रंग के कन्या पक्ष और सरवन ने कत्थई रंग के वरपक्ष के लिए बनवाए थे । धीरे दोनों पोतों के भी जामुनी रंग के फूल लगा रखे थे तो दोनों मेरे पास आकर खडे हुए । छोटे का चुप चाप खडा होना मुझे कुछ अजीब लगा वो तो एक मिनट भी नीचे नहीं खडा रह सकता । तो शादी के अवसरों पर तो ये बल्कि और मचल जाया करता था । लडकियों की चुन्नियां पीछे से दूसरी के साथ बांध देता । सरवन के अंतिम संस्कार के दिन तो की बहुत ज्यादा ही डर गया था । आंगन में बडी सरवन की लाश पर आप फेर फेरकर देखता था । कभी उसके माथे पर हाथ फेरता, कभी गालों पर कभी उसके चेहरे को दोनों हाथों में ले लेता । फिर उठकर चरणों की तरफ चला गया । दोनों चरणों अपने हाथों में लेकर अपना सिर्फ सात लगता रहा । कभी फटी आंखों से उसके मूंग की और देखता रहा । उस को ऐसा करते देख मेरा मन डूबने लगा था । फिर शमशान घाट पर जाकर पहले तो देखा देखी सरवन की देख पर लकडियाँ चिंता रहा । पर जब चिता को अग्नि दी तो मेरे साथ चिपक गया । मुझे तो अपने आप को ही होश नहीं था । जीत करता था कि सरवन के साथ चलती चौथा में लेट जाऊँ । जब छोटा होता मेरे साथ चिपटा मैं खिलाफ भी करता रहा और इसको अपने संकष् कर पकडे भी रहा । दिल, कडा तार, मास्टर लडकों का खयाल कर हौसला देन को किसी ने मेरा कंधा पकडकर झिंझोडा था । इन शब्दों के साथ मेरे अंदर पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई । मेरा विलाप रुक गया । मुझे बडे पोते का भी खयाल हुआ है । वो भी मेरे कंधे से लिपटा हुआ था । मैंने दोनों को बाहों में भर लिया और उन्हें बहलाने लगा । फिर रात में जब भी अपने ननिहाल चले गए मैं सरवन की चिंता के पास चला गया । मुझे लगा मानो चादर ताने लेता हूँ । रोता मिलाप करता । मैं सरवन को आवासीय देने लगा । सिर की तरफ से रात को हटाने लगा । मेरे भाई ने मुझे कंधे से पकडकर हटाया और बोला क्यों मास्टर रात में हाथ चलता है, अभी गर्म है पर राष्ट्र में इतना से कहाँ था? अगर होता तो मुझे अपने में बस मना कर लेती । मेरा मन करता था कि वह रह की ढेरी । वैसे बाहर आ जाए तो वो नहीं आया । मैं रोता को लाता । खाली खाद वापस घर में आगे रहा । तब तब आया और नहीं अब बारह के साथ आया । उसकी कहां आना था । ये तो मेरा ये धर्म था कि काश वो भी बारातियों में कहीं सिर उठाए । मैं आंखे फाडे उधर देखता रहा । जिधर से बारह आ रही थी । बीस पच्चीस लोग थे । फिर किसी के साथ फोन पर बात करता मेरा भाई फोन मुझे पकडा नहीं लगा तो मैं नहीं कार में हाथ हिलाया । मैंने उसे कहा कि आज मुझे वो किसी का फोन ना पकडा है पर वो फोन देते हुए कहने लगा कर लो, बात थोडी सी ज्यादा ही पीछे पडा हुआ है । मैंने बेमन से फोन पकडकर काम से लगा लिया । कोई रोहन से सफर में कह रहा था हमारी महफिलों की शान हमारी जिंदादिल यार से रब ने कौन से जन्म का बदला लिया है । ये मेरा पुराना अध्यापक साथ ही था । मैं उसको दिलासा देने लगा और वो चुप करने में ही ना मुझे खुद रोना आने लगा था । मैंने फोन अपने भाई को पकडा दिया और आंखे रुमाल से पहुंचने फिर मेरे पास एक व्यक्ति खडा हुआ कोई दूर का रिश्तेदार आप मिलाकर कहने लगा ये तो जी रब ने बहुत बुरा किया । उसकी मर्जी मैं सभी को यही जवाब देता । बार बार कहाँ होने के कारण की शब्द अपने आप ही मुंह से निकल जाते हैं । अंतिम संस्कार पर हम बहुत नहीं सके । वैसे हुआ क्या था? उसने पूछा एक्सीडेंट वाली बात मेरे से वैसे ही निकल जाती है जैसे किसी टेपरिकॉर्डर के बटन को दबा देने से कुछ चल पडे, बहुत बुरा हुआ । बच्चे कितने बडे हैं ये खडे हैं । बडा बारह साल का छोटा दस का चलो ये तो अब हुए जवान कुछ सालों में हौसला रखो की शादी वाला काम भी आपने अच्छा किया । इसी काम के लिए वो आया था । उसकी इच्छा पूरी हो गई कहकर वह मिनटभर रोककर चला गया । फिर मेरा साडू और साली मेरे पास आ गई । कत्थई रंग का फूल मुझे पकडा गए । मेरे पोतों को पकडा दिए । बडे बोते ने मेरे कोर्ट पर दूसरे फूल के साथ ही से टांग दिया । फिर उसने अपना भी लगा लिया और छोटे भाई का भी हमारे दो दो फूल लग गए थे । यूरी मैंने तब कहा था तुम झगडते क्यों दोनों तरफ के फूल लगाना ताकि पता चले कि बिचौले हो तो झगड से कहा है हम सब तो फंशन करते ही खून दोनों ही लगाएंगे । कहकर सरवन फिर ताली बजाकर होता था । जब उसने किरण से कहा था कि वह विभाग वाले दिन लडके वालों की तरफ का फूल लगाए तो किरण बोली थी बल्कि तुम लगाना लडकी वालों का फूल हमने तुम्हारा लडका नहीं बुलाना क्या? कनाडा में बडी आगे लडकी वाली सारा दिन तो लडकी को घुमाता में थक जाता हूँ और मैडम जी तुम्हारी लडकी को मुझे ही पता है कैसे इधर विदेश बुलाया है तभी तो कहती हूँ कि लडकी वालों का फूल लगाओ । ये सुनकर सरवन ने ताली बजाई थी । मुझे सरवन की हार मान लेने वाली बात अच्छी नहीं लगी थी और मैंने दोनों तरफ के फूल लगाने वाली बात कह दी थी और फिर सरवन कहने लगा था श्रीमती जी जीवन काटने के वक्त मैं तो वर पक्ष के साथ लगकर खडा होऊंगा, मेरा तो भाई है, तुम कहाँ खडे होगे? मैं दूसरी तरफ लडकियों के साथ खडी होंगी और कहा उधर कैसे खडी हो जाएगी वहाँ तो लडके की सालिया खडी होती है और तुम तो लडकी की मौसी जी लगती हो । सरवन ने मौसी जी पर जोर देकर कहा था वहाँ एक आद मौसी भी होती है तुम जैसे बिगडे तो बिगडे को सीधा करने के लिए किरन ने शरारत में कहा था विवाह के वक्त किरण रिवन पकडे खडी लडकियों में नहीं थी वो पीछे अपने माँ के पास कुर्सी पर बैठी थी । लडकों में सरवन भी नहीं था । यहीं होता तो वह तालियाँ बजा बजाकर हस्ता अब सरवन कहा मैंने गहरी आभारी मुझे लगा लडके योगी ज्यादा वक्त लगा रहे हैं । उनकी ही सुनकर मेरा दिल बेचैन होने लगा । मैंने साथ खडे अपने साडू से कहा आगे बढाओ यारी ने भी ज्यादा टाइम लगाए जाते हैं । कोई नहीं भेजी चल पडते हैं । ये नोक झोंक करनी ही पडती है । मूवी बन रही है ना! कई बार इमिग्रेशन वाले मूवी मांग लेते हैं । अगर ये शगुन व्यवहार ना हो तो उन्हें विभाग के नकली होने का भ्रम पैदा हो सकता है । उसने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा मैं पीछे की ओर हटने लगा तो उसने मुझे वहाँ से पकडकर वहीं खडा कर लिया । बोला जी बस टोमॅटो को और फिर वो लडकों को जल्दी करने के लिए कहने लगा । अंदर गए तो मेरा बडा पोता मेरे लिए चाहे आया अभी भूत भराई था की दो तीन लोग अफसोस करने के लिए करीब खडे हुए हैं । चाय पीते हुए शोक प्रकट करते रहेंगे तो मन करता था कि कब ये चाय पानी खत्म हो और कब ऊपर जाकर बैठे । जहाँ आनंद कारज होना था चाय पीकर जब बाहर निकले तो वही मन तो की टोलियां खडी हुई थी । मेरे दिमाग में मंगतों के बारे में सरवन के साथ हुई बातचीत आ गई । इंडिया की तैयारी करते घूमते सरवन से मैंने कहा था । शर्वाण्यै पांच पांच के नोट की गड्डी अलग रखना । विभाग के दिन मंत्रों के लिए एक एक महीने को दे देना नहीं तो तगडे मंत्री झपट कर ले जाते हैं । कमजोर मन तो के हाथ नहीं लगता । कुछ उपकृत उत्तर में बोला था । पांच के नोट को कोई नहीं पूछता । रेडी जी सौ पचास से कम बात ही नहीं करते थे और फिर अकेले विभाग वाले दिन ही तो मैं किसी भी फैलाए हुए हाथ को खाली नहीं बोलूँगा चल तू कर अपने मन के गरीब बन्दे की आशीष एहि आदमी को तार देती हैं । इसी साले की आशीष ने नहीं जा रहा बल्कि लोगों की नजरें ले डूबी । सोचता हुआ मैं मंगतों के बीच में से निकलकर ऊपर दरबार साहब की और चला गया । मेरे पीछे अन्य कई लोग भी ऊपर आ गए । वर्कप् था आधार मेरे साडू का बहनोई मेरे पास बैठा वो सोच क्रिकेट करने लगा । मैं मशीन की तरह के प्रश्नों का उत्तर देता गया । अब सोच करने वालों के चलता हूँ से प्रश्न और दिला से मुझे और तंग करते हैं । मुझे लगता मानो वो मेरे दुख में से स्वास्थ ले रहे हो । यदि पार्टी पाँच शुरू कर दें तो शायद ही चुप हो जाए । राधी अपने साथ टिका रहे थे तो फिर बोला आपने इमरजेंसी बी जे लगवाए होंगे । इधर आने के लिए खडे पैर तैयारी करनी बहुत कठिन है । भाई बच्चे टिके रहे जहाज में दोस्त मित्रों ने मिलकर सभी काम करवाकर चढा दिया । जहाज में अभी यहाँ कोई होश थी । गिरते रहते एक दूसरे को बहलाते पहुंची गए । किसी न किसी तरह मेरे दिमाग में बडे पोते का चेहरा गया । जब मैं रोने लगता मेरे कंधे को सहलाता । मुझे शाम देखकर वह खुद चुप चाप आंसू बहाने लग पडता हूँ । मैं अपने आप को बहुत रोकता पर मन उछल उछलकर बाहर आता । छोटा बार बार कहता बाबाजी डोंट वरी । हमें देखकर डैडी बोलने लग पडेंगे । जहाज में बिठाते समय मुझे बहुत से लोगों ने कहा था कि सरवन के काम अब मेरे जिन देना पडे हैं मुझे तगडा होना पडेगा । पर मुझे तो चार और अंधेरा दिखाई देता हूँ । कैसे उठा लूंगा में भला पूरी कबील दारी मैं तो सब कुछ सरवन पर छोडे बैठा था कभी किसी बात की और ध्यान ही नहीं दिया । सोचता था कि सरवन किए तो जाता है और सरवन करने भी कहाँ देता था । कहता था तो इंडिया से रिटायरमेंट लेकर आए हो इंजॉय करो अपने रिटायरमेंट जब मैं नया नया कनाडा में आया था । अब से सात साल उम्र भी कम थी । साठ खाता तब तब कई मित्रों ने कहा कि मैं बेटे पर निर्भर ना हूँ । मुझे लगता कि ये मुझ से चलते हैं । उनके बेटे उनकी सेवा नहीं करते इसलिए मुझे भी अपनी तरह इधर सिक्योरिटी गार्ड बना देखना चाहते हैं । अगर तभी काम की आदत डालनी होती है । क्या होगा बच्चों का बच्चों की पढाई अभी सर पर बडी है । कैसे गाडी चलेगी किचन पाए मेरा पीछा ना छोड दी । राजीव सिंह कोई शब्द गाने लगे मैं आंखे मूंदकर उधर ध्यान लगाने लगा और मन था कि टिकता नहीं था । सरवन की लाश दिखाई देने लगती । एक्सीडेंट में कुछ ली पसलियां देखने लगती । झट से आँखे खोल लेता । मन में खयाल आते मैंने जो भेजा इन्हें इस तरफ खुद क्यों नहीं आया अगर वो ना ऍफ होता न जान गंवाता क्यूँ भेजा मैं खुद आ जाता हूँ तो मेरा हो जाता एक्सीडेंट मैंने तो सारी उम्र भोग ली है और फिर मैं पत्नी जिन्दर के पास पहुंच जाता हूँ । खैर पड गया रब्बा जो मेरे मुंह से निकलवाई क्यों? मेरे चित्र में आया की सरवन और बहुत ही हुआ है । इधर रागी सिंह शब्द गा रहे थे लख खुशियां बादशाह ियाँ जिस सतगुरु नगरी करें नहीं खुशियाँ लगती है मेरा एक लौता बच्चा था मेरी दुनिया अंधेरी कर गया मुझे रागी सिंह पर गुस्सा आया हूँ । फिर मेरी नहीं था विभाग वाली लडकी पर बडी लडकी का पिता और भाई उसको गुरुग्राम सहित की हुजूरी में ला रहे थे । आम विवाहों की भर्ती ही उसको सजा सामान रखा था मुझे उसकी ये सज धज पकडी । मैंने सोचा यहाँ किसी को याद भी नहीं क्या हुआ ऐसे पुणे का? यदि न टाइम का विवाह करवाने तो नाॅट होता न? वो जान करवाता । लोगों को काम करता ही कोई जान गंवा बैठा । क्या मेडल दे देते मौसम ऐसा जिनके लडके को उधर कनाडा में बुलाना था । नहीं इस लडकी को कुछ याद है हो रही है तेरे पीछे वह जान गंवा बैठा । पहले बडी मुश्किलों में तुझे उधर बुलाया साल भर अपने पास रखा पढाया कितनी स्कीमें बनाए बैठा था । जब ये दोनों उधर जाते तब भी अपने पास ही रखता हूँ । अब कैसे रख पाएंगे हम अपने पास किरण बेचारी हमें संभालेगी की नहीं लिए घूमेगी फिर फेरे होने लगे । मेरी निगाह हर लडकी पर पडी उसकी आंखें भरी हुई थी । कम्बख्त की आंखे हैं भी बहुत सुन्दर छलक छलक पडती हैं । मुझे उस पर तरस आया । मन में खयाल आया कि वो अपने विभाग की खुशी मनाये या की । आपने मौसा के बिच छोडने का शोक खेले । इसका सरवन के साथ यार बहुत था । दिनभर अंकल अंकल करती रहती है और एक साल इंतजार कर लेते विभाग को मेरी चित्र में फिर वही बात उठी । मैंने लडकी के माँ बाप से भी कहा था पर इसका बाप बोला कनाडा अमरीका वाले रिश्तेदार आए हुए हैं । कहते हैं रोज रोज छुट्टियाँ लेकर आना मुश्किल है । उन्होंने वापस भी लौटना है और फिर जिस ग्राम सरवन आया था तो जितनी जल्दी पूरा हो जाए अच्छा है । काम के निपटाने वाली बात लडके के पिता ने भी कही थी । वो कहता था जितनी जल्दी हो सकता है हम ये विभाग वाला काम निपटाएं । अगर साल पर बात छोड दी तो पता नहीं कल कोई दूसरा ही दबाव न डालने लगे । उनका कोई दूसरा रिश्तेदार भी रिश्ता करवाने को फिरता था । ऐसे कैसे कोई दूसरा दबाव डालेगा जब सारी बात पक्की हुई पडी है । कार्ड बढ चुके हैं । मैंने कहा यहाँ कुछ पता नहीं चलता । कनाडा के नाम पर बंदे छत बदल जाते हैं । मेरी निगाह फिर लडकी पर पडी और रुमाल से ना पहुंच रही थी । मेरे मन में आया की लडकी बदलना चाहिए । कहीं अगर सियानी हुई तो किरण का सहारा बनेगी । फिर मन में आया कौन? सहारा बनता है तो खुद ही काटनी पडेगी तो दूसरा चित्र कहता हूँ कैसे कटेंगे सरवन के बिना ये दिन किरण ने तो सबकुछ सरवन पर ही छोड रखा था । कैसे चलेगा काम? रागी सिंह बधाइयाँ का सबका गायन कर रहे थे । मुझे ये शपथ भी अच्छा नहीं लगता । तब ले और छह नौ की आवाज मुझे जहर जैसी लगी । मेरा मन हुआ कि जल्दी से शपथ खत्म करें और काम निपटाएं । हमने पडता नहीं बल्कि लंबा होने लगा । लडकी के माँ बाप वर पक्ष को बारी बारी बुलाकर उन्हें जेवर गहने देने लगे । साथ साथ तस्वीरें उतरती रही । इन्होंने क्या खिलाना डाल दिया । जो कुछ देना है चुप चाप नहीं दिया जाता है । मेरे मन में आया लेकिन मैं शांत रहा लेकिन अधिक देर मुझे चुप नहीं रहा जाता । जब मुझे बिचौले की अंगूठी देने लगे तो मेरे मुंह से निकल गया तो काम खत्म करने की करो कि तुम्हें क्या खिलाना से डाल दिया । तेरा साडू बोला ये तो जीत करना ही पडता है । इमिग्रेशन वालों का भी फोटो से पेट भरना होता है । पर ये फोटुओं वाला काम को ज्यादा ही लटक गया । शगुन पडने लगे । पोज बना बनाकर खडे होते लोग मुझे पूरे लगते । मैं गुस्से में एक तरफ होकर बैठ गया । दो बंदे मेरे पास बैठे शायद भवन के सेवादार होंगे । उनमें से एक बोला सितार जी, बहुत दुख की घडी या पडी आप पर तो पर महात्मा का भाडा है मीठा करके मानने का । महाराज आपको बाल बच्चे एक दो अन्य अफसोस की बातें करके उनमें से कहने लगा भवन की कारसेवा चल रही है । अगर आप काकाजी की याद में कोई दान पुण्य करना चाहो तो मैं मेरा मतलब कोई कमरा बनवाना हो । धान बोलने को क्या मैं यहाँ होते की छठी करने आया हूँ । साले कमरे के हमें अपनी रोटी की फिक्र है कि कैसे चलेगी और ये मेरे चित्र में आया । पर मैं ये बात उनसे नहीं कहता और चुप चाहते । नोट उन्हें पकडा देता हूँ । किसी प्रकार सरवन के भूख के बाद गांव के गुरूद्वारे वालों को मैंने मांगा हुआ काम दिया था । वो रसीद काटकर चले गए । डाले जा रहे शगुन की तस्वीरें अभी ली जा रही थी । मैं कॉल मसोट कर नीचे चलाया । भवन के गेट के पास कुर्सियों पर बैठे लोगों के समीक्षा बैठक । वहाँ मन तो की टोली खडी थी उनके मांगने की आवाज मुझे वो कि गांव गांव जैसी लगे । मेरा वहाँ से हट जाने को मन हुआ । पर शीघ्र ही किसी में ममता को वहाँ से दुत्कार दिया । बडा पोता मेरे पास आ बैठा । कुछ मिनट चुप रहने के बाद वो बोला बाबा जी इजहार वाला टाइम सेलिब्रेशन का होता है ना । मैंने उसकी तरफ देखा, उसके अंदर चल रहे विचारों को समझने की कोशिश करने लगा । मुझे लगा कि वो भी मेरी तरह महसूस कर रहा था । मैंने अपना हाथ उसके घुटने पर रखकर उसे दबाया । उसने फिर कहा ऍन, मुझे उसका कोई जवाब नहीं सूझा । मेरे अंदर एक दर्द सा उठा । मैंने उस को अपने साथ दस लिया । मंत्रीस्तरीय अंदर आकर मेरे सामने खडी हो गई ये सरदार तू तो बिचोला है बाहर से आया है दे कुछ गरीबों को भी खुशी के मौके वो बार बार कहने लगी । मुझे उन की चीजें बुरी लगी । मैंने कहा भाग जा यहाँ से तो मैं खुशी का मौका लगता है । हमारे यहाँ तो शोक पडा हुआ है । पैसे देने के मारे ऐसे तो ना बोल सरदारा हम गरीबों ने तो दिन त्यौहार को ही लाख लेने होते हैं । उनमें से बोली मेरी बाहों में से सीख निकलने लगा । बच्चे लाता वक्त पर उठाकर उनकी तरफ बडा जाती होगी नहीं उसकी खुशी लगा रखी है । अरे हमारा रोम रोम हो रहा है तो मैं लाख चाहिए । सरदार कुफ्र नातोर अगर कुछ नहीं देना तो ना दे । कई मंत्रियों ने एक स्वर में कहा तो मैं कुछ रखता है । मेरा बेटा मर गया । धर दहाडा जोरि चलो सच में बिचारी का बेटा मेरा लगता है देखो कैसे चला रहा है । उनमें से एक मंत्री ने कहा और वो सब वहाँ से जाने लगे । ये सुनकर मेरा हाथ अपने आप ही जेब में चला गया और मैंने बिना देखे जितने भी नोट मेरे हाथ में आएगा रहने दे सरदार रहने दे सरदार कहती मंत्री के हाथ में जबरन पकडा दिए ।
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Sound Engineer
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