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मेरी अर्धांगिनी उसकी प्रेमिका - 21 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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दिसंबर आपने रेंगते कदमों से गुजरता हुआ लगभग आखिरी पडाव पर पहुंच गया और ये परीक्षाएं शुरू हो चुकी थी । उस दिन परीक्षा हॉल से निकलकर मैं जैसे ही बरांडे की और थोडा एक प्रिया मेरे सामने आ गई । मेरा दिल जोर से धडका जी में आया, नजरे घुमाकर निकल जाऊँ । लेकिन कमबख्त इन आंखों ने उस दिन तो खा दे दिया । नजर मिलते ही मैं मुस्कुरा बडा मगर उसके चेहरे में रूखापन बना रहा । वो बिना ठहरे ही वहाँ से चली गई । हालांकि इतने दिनों बाद अचानक उसे देख कर मेरे मुस्कुराने की वजह भी थी । मेरा पेपर काफी अच्छा हुआ था । मैं बेतहाशा खुश था तो भूल गया था कि कुछ दिनों पहले ही उसने पूरी कक्षा के सामने मुझ पर चिल्लाया था और फिर माफी भी नहीं मांगी । ऍम हजार था । आवाज उसके कानून में पडी तो ठहर गई । टेबल कैसा हुआ? मैंने पूछा । ठीक ही हुआ उसकी बेरूखी बनी रही तो महारा और अच्छा नस के बिल्कुल करीब पहुंच गया । अच्छी बात है कहती हुई वह एकदम पीछे हट कर खडी हो गई । शायद उसे मेरा इतना पास आना पसंद नहीं आया । उसकी निगाहें जमीन पर टिकी रही । हम अभी नाराज हूँ । मैंने हिम्मत करके पूछा क्यों अब क्या नया हो गया? उसकी नजरें एक छलांग लगाते हुए मेरे चेहरे पर आ जाएगी । नहीं मैं कुछ नहीं हुआ । बहुत दिन हो चुके हैं ना । इसलिए पूछ लिया कहकर वो चुप हो गई । उसका होना पडेगा । मैंने कहा मगर उसने छुट्टी नहीं थोडी सिंह जी इससे पहले मैं वहाँ से आगे बढने के लिए सोचता । उसने आवाज भी मैंने हडबडाकर उसकी और देखा क्या? तो अभी ये ही सोचती हूँ कि उस दिन तुमने जो कुछ भी किया वो सही था । पता नहीं वो थोडी देर तक अर्थपूर्ण नजरों से मेरी और देखती रही । फिर अचानक उसकी नजर घडी पर गई तो हडबडाकर बोली नहीं हूँ ।

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सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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