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दिसंबर आपने रेंगते कदमों से गुजरता हुआ लगभग आखिरी पडाव पर पहुंच गया और ये परीक्षाएं शुरू हो चुकी थी । उस दिन परीक्षा हॉल से निकलकर मैं जैसे ही बरांडे की और थोडा एक प्रिया मेरे सामने आ गई । मेरा दिल जोर से धडका जी में आया, नजरे घुमाकर निकल जाऊँ । लेकिन कमबख्त इन आंखों ने उस दिन तो खा दे दिया । नजर मिलते ही मैं मुस्कुरा बडा मगर उसके चेहरे में रूखापन बना रहा । वो बिना ठहरे ही वहाँ से चली गई । हालांकि इतने दिनों बाद अचानक उसे देख कर मेरे मुस्कुराने की वजह भी थी । मेरा पेपर काफी अच्छा हुआ था । मैं बेतहाशा खुश था तो भूल गया था कि कुछ दिनों पहले ही उसने पूरी कक्षा के सामने मुझ पर चिल्लाया था और फिर माफी भी नहीं मांगी । ऍम हजार था । आवाज उसके कानून में पडी तो ठहर गई । टेबल कैसा हुआ? मैंने पूछा । ठीक ही हुआ उसकी बेरूखी बनी रही तो महारा और अच्छा नस के बिल्कुल करीब पहुंच गया । अच्छी बात है कहती हुई वह एकदम पीछे हट कर खडी हो गई । शायद उसे मेरा इतना पास आना पसंद नहीं आया । उसकी निगाहें जमीन पर टिकी रही । हम अभी नाराज हूँ । मैंने हिम्मत करके पूछा क्यों अब क्या नया हो गया? उसकी नजरें एक छलांग लगाते हुए मेरे चेहरे पर आ जाएगी । नहीं मैं कुछ नहीं हुआ । बहुत दिन हो चुके हैं ना । इसलिए पूछ लिया कहकर वो चुप हो गई । उसका होना पडेगा । मैंने कहा मगर उसने छुट्टी नहीं थोडी सिंह जी इससे पहले मैं वहाँ से आगे बढने के लिए सोचता । उसने आवाज भी मैंने हडबडाकर उसकी और देखा क्या? तो अभी ये ही सोचती हूँ कि उस दिन तुमने जो कुछ भी किया वो सही था । पता नहीं वो थोडी देर तक अर्थपूर्ण नजरों से मेरी और देखती रही । फिर अचानक उसकी नजर घडी पर गई तो हडबडाकर बोली नहीं हूँ ।
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