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वक्त आहिस्ता आहिस्ता गुजरता गया और वक्त के साथ ही नी तूने मेरे लिए अपना भविष्य दांव पर लगा दिया । इस बात की चुभन धीरे धीरे कम होती चली गई और जो कसर बची उसे प्रिया के साथ नहीं पूरी कर रही है । उस दिन जब एक बार प्रिया ने अपना टिफिन मुझे ऑफर किया तो मैं दिन भर गया । लाख जताते हुए बोला प्रयास तो मैं नहीं लगता कि हर रोज ऍम खाना मेरी बदनामी का कारण बन सकता है क्या? क्या कहा तुम्हें? कोई कर घूरकर मेरी और देखिए जरा पैसे का हूँ, मैं पास पडा । मेरा मतलब था तो रोज मेरे लिए यू टिफन लाती रहोगी । तब तो न जाने और कितने सीनियर छात्रों और टीचर्स की निगाहों में मैं आ जाऊंगा । ऐसे भी कुछ सीनियर छात्र मुझे पसंद नहीं करते । नहीं जानती हो ना नहीं विश्व पसंद क्यों नहीं करते हमारे चक्कर में मैं उन्हें लगता है तुम्हारी जैसी खूबसूरत लडकी मेरे साथ नहीं होनी चाहिए । ये सब तो ठीक है जहाँ बूझकर वो छोटी बच्ची थी । अलर्ट बनते हुए बोली मगर फील लाने से ऐसा कौन सा पहाड टूटने वाला है? हरे खाना ही बुला रही हूँ जो अपनी मेरी वैसी है । इस से किसी को क्या मतलब बडी बुद्धू लडकी हो तो तो हरी समझ में ना कुछ नहीं आता । दुलार करते हुए मैंने कहा प्रिया हर जगह हमारी मर्जी नहीं चलती है । हमारी व्यक्तिगत पहचान जरूर है मगर हमें समाज का हिस्सा भी हैं । इसलिए उसके बारे में भी सोचना पडता है । हमने कभी गौर किया जब मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ । पता नहीं कितनी घूरती हुई निगाहें हमारा अच्छा करने लग जाती हैं । इससे तुम्हें क्या फर्क पडता है । टिफन का ढक्कन खोलते हुए वो बोली मुझे तो नहीं पडता हूँ मैं । बस एक बात जानती हूँ कि यहाँ कमी सबकी गन्दी है । इसलिए पर वहाँ मत करूँ और लोग तुम खाना खाओ । जबरदस्ती उसने मेरी और टिफिन बढा दिया । कई दिन गुजर गए । मैं कैंटीन नहीं गया । प्रिया ने चेतावनी दे रखी थी कि आपसे कैंटीन की सडी गली चाओ । मैंने डोसा पर हर हो । मुझे उसके घर का ताजा खाना खाना होगा । संजय खाते खाते ही एकाएक उसे कुछ याद आया । मेरी और देखकर बोली शायद मैंने तो मैं एक किस्सा नहीं बताया । पहुँचा रोटी जवाना बंद करके प्रश्न सूचक निगाहों से मैंने उसकी और देखने लगा मैंने तुम्हें बताया था ना कि राज और शिवानी के बीच कुछ तो है । वो बात बिल्कुल सही थी । इतने दिनों बाद एक है । कुछ पुरानी बात का जिक्र होते हुए थे । मैं चौक पडा । शायद तुमने गौर नहीं किया । बहुत बडे । जिस दिन तुम्हें राज को बुलाकर शिवानी के बारे में पूछा था उसके बाद से ही राज प्रयोगशाला आना बंद कर दिया था । याद है ना तो मैंने अर्थपूर्ण गांव से उसे देखा । मुझे पता है प्रिया राजनीति हरकत की वजह से प्रयोगशाला आना बंद कर दिया था । ये बात मुझे भी बताया है । आज उसने झल्लाने का अभिनय क्या बचा नहीं तो कहाँ गुम रहते हूँ । पहले मेरी बात तो सुनो । मैं कुछ और बताना चाह रही हूँ । ऐसा वो गंभीर हो गए और बोले जिस दिन राज पहली बार अनु पस्थित हुए थे, उस दिन छुट्टी के बाद एक नोट्स के सिलसिले में मैंने शिवानी से बात करनी चाहिए । जब मैंने उसके घर पर फोन किया तो लाइन पर उसकी माँ की मैंने फोन पर शिवानी को बुलाने को कहा तो कहने लगी या बेटी? आज कॉलेज में शिवानी से किसी का झगडा झगडा हो गया था क्या? क्यों नहीं इस सवाल पाॅलिसी होकर बोली पता नहीं क्यों आज शिवानी जब से कॉलेज से लौट कराई है बस अपने कमरे में बडी रोई जा रही है । पूछती हूँ तो कुछ पता भी नहीं रही हैं तो उसके रोने से तुम समझ गई की संजय प्रिया ने बीच में ही मेरी बात कार्ड मुस्कराते हुए बोली तुम बुद्धू कहते तो मुझे हो लेकिन वास्तव में हो तो जानते हो वो जोर से खिलखिलाई तो अब भी नहीं समझ पा रहे हो कि उस दिन शिवानी कॉलेज से लौट कर घर पर क्यों हुई? जबकि तुम्हें भी बता है और मैं भी जाती हूँ कि उस दिन राजकीय अनुपस् थिति के अलावा उसके साथ और कोई अस्वाभाविक घटना कम से कम कॉलेज में तो नहीं ही घटी थी जिसके लिए वो घर जाकर यू बेहाल होकर रोती हो सकता है । कुछ हुआ हूँ जिसके हमें जानकारी न हो बुद्धू उस दिन वो लगभग पूरे दिन मेरे साथ थी और दूसरी बार अगर इसके अलावा और कोई बात होती है तो क्या वो की माँ से कहना देती उसकी बात सुनी तो मैं पल भर के लिए आवास रह गया तो फॅस मैंने कहा और नहीं तो क्या एक उसकी आंखों में चौका आ गई तो प्रिया तो मैं पता है कि आजकल राज कॉलेज क्यों नहीं आ रहा है । कैसे वही वजह है जिससे वह प्रयोगशाला नहीं आ रहा है या फिर बात कुछ और ही है । तुम से किसी ने कहाँ वो कॉलेज नहीं आ रहा है । मतलब राज कॉलेज जाता है, इन फॅर ओ जाता है लेकिन वो अब हमारी ब्रांच में नहीं तो सिविल में उस घटना की तीन तीनों बाद ही उसने अपने ब्रांच बदलवा दी । उस ने खाना जवाना बंद कर दिया । मैंने झुककर बोले क्या तुम भी सिच् में पता नहीं था? नहीं मैं अचानक उठकर खडा हो गया प्रिया तुम्हें उसका सेक्शन पता है नहीं मगर तुम यूट कर जहाँ कह रही हूँ माफी मांग किया । रात से तुम पागल हो? हाँ नहीं, पता नहीं मगर मुझे अपनी गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए । बहुत मुश्किल से हिम्मत जुटा रहा हूँ । तीस मुझे मतलब वो ठीक है पर खाना तो अपना खाते जाऊँ । मेरा पेट भर गया है । मैं जल्दी जल्दी अपना ब्लॅक में अपना हाथ पहुंचते हुए वहाँ से निकल गया । मेरी वजह से नीतू कॉलेज ही नहीं बल्कि पढाई छोड दी । राज अपना पूरा लक्ष्य बदल दिया और शिवानी मैं बहुत खुदगर्जी नहीं बोल सकता । लाॅन्च पहुंच गया । रात साम नहीं था । मुझे दूर से देखते ही वो हाथ उठाकर हवा में लहराया । मैं लगभग दौडता हुआ जाकर उसके सामने खडा हो गया । ऍम मुस्कराया आई कैसे हो ठीक हूँ मैंने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश ऍम उसने कहा मैं बैठ गया । कुछ देर तक हम खामोश रहे । शायद इसलिए भी बात शुरू करने का हमारे पास कोई ठोस मुद्दा नहीं था । राज्य जब देर तक खामोशी नहीं टूटी तो मजबूरन मुझे बात छह नहीं पडेगा । मैं उस दिन के लिए माफी मांगने आया था । अपनी गलती के लिए मैं शर्मिंदा हूं । बीज मुझे माफ कर तो हर है नहीं यार, कोई दोस्त से भी माफी मानता है । नहीं राज्य ऍम शर्मिंदा हूं । संजय उठकर खडा हो गया और बोला इतना भावुक होने की जरूरत नहीं है ना इस बात को कभी भूल चुका हूँ और फीस तुम भूल जाओ हो गया । ऐसे ही जैसे पुरानी रद्दी को तुम अपने घर से बाहर निकाल कर फेंक देते हो । तेरी वजह से तुमने अपने ब्रांच बदलने रुक रुक क्या था तो मैं वो ही का एक सूख गया । अपने दोनों हथेलियों को मेज पर रखते हुए लंबी सांस ली और बोला संजय मैंने ब्रांच तुम्हारी वजह से नहीं बदली तो उसके लिए दूसरी भी कई बजे हैं जिन्हें शायद मैं तुमसे नहीं बता पाऊंगा । नहीं उस की जरूरत नहीं है राज्य मैंने राहत की सांस हमारी इतनी बात सुनकर ही मेरे सर का बोझ काफी हद तक हल्का हो गया और सच कहूँ तो भूख भी जोरों की लगी है । कॅश तो के मुस्कुरा बडा
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