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मेरी अर्धांगिनी उसकी प्रेमिका - 17 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुंचा, मेरे अंदर अजीब सी घबराहट थी तो मैं क्या करुंगा अगर मेरे सामने नीतू आ गई या फिर इसलिए कि लंच होने वाला है । मगर अभी तक वो कहीं नजर नहीं आई । कहाँ और किस हाल में होगी वो? एक दिन पहले उसके घर में घटी घटना रह रहकर मेरे दिमाग की नसों में सावन कि बिजली की तरह कौन रही थी । पता नहीं उसके घर से मेरे लौटने के बाद उसने खुद को कैसे संभाला होगा । अध्यापक आए, लेक्चर दिया और चले गए । अगर मैं अपनी उलझनों से बाहर नहीं निकल पाया । मुझे याद नहीं उस दिन प्रिया ने मुझे कितनी बार झकझोरा और फिर नाराज होकर चली हो गयी । आज कल वो मेरी इतनी परवाह क्यों क्या करती है? फिर मुझे हुआ क्या था मैंने उस की परवाह क्यों नहीं शाम कि छुट्टी के वक्त मैं डेढ तक कॉलेज के गेट पर नीतू का इंतजार करता रहा हूँ । शायद वो आएगी । मगर साथ ही इस बात पर परेशान तक कहीं सामने आ गई तो घडी के दौर कि स्टूडियो के साथ वक्त हवा की रफ्तार से रहता रहा । इस दौरान कईयों ने आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा । कुछ कहा फिर हाथ मिलाया और कल मिलने के वायदे के साथ वहाँ से चले गए । मुझे याद नहीं कि उन हाथ मिलाने वालों में प्रिया थी भी की नहीं । कुछ ही मिनटों में गेट पर कदमों की चहलकदमी धीरे धीरे हमने लगी और साथ ही मेरे दिल की धडकन भी । अरे संजय इस वक्त उमिया अचानक किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ मारा । मैंने पलट कर उधर देखा मगर उसका चेहरा नहीं पहचान पा रहा था । थोडी देर तक मेरी बदहवासी को एक तक देखता रहा । बहस कर बोला आज घर नहीं जाना गया नहीं मैंने कहा और एक और फिर उसकी और पीठ करके खडा हो गया । मेरी हरकत पर वो थोडी देर तक हैरान नजरों से मुझे देखता रहा और फिर मेरा चक्कर लगाते हुए मेरे सामने आकर खडा हो गया । गुलाब हमारे यार उन्होंने पहचान नहीं पा रहे हो या कोई नशा वशा कर रहे हो । अरे हम तुम से कुछ पूछ रहे हैं क्या पूछ रही हूँ मैं उसे झडते हुए दो कदम पीछे हटा अगर उस दौरान मेरी नजरें उसके चेहरे पर जाते कि मेरे दिमाग की शिखर पड चुकी नसों में जैसे एक का एक चेतना लौट पडी हो । हैरान होते हुए बोला जयसिंह, तुम और यहाँ अच्छा पहचान गए । वही जी करके हस पडा । लेकिन तुम अभी यहाँ क्या कर रहे हो ना? यही तो हम तुम से पूछ रहे थे कि तुम अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो? मेरा तो प्रैक्टिकल था जिसमें एक लडकी की वजह से देर लग गई । लडकी की वजह से ही पूछ लिया हाँ आया प्रयोग में वो मेरी ही टीम में थी, सुना है उसने भी आज से कॉलेज छोड दिया है और एक तो पहले से ही नहीं आ रहा था । अब ऐसे में हम दो लोग ही बचे हैं जिससे प्रयोग ने देर लग गई । अच्छा मैंने उसकी कहानी पर कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई । उसकी और हाथ बढाते हुए बुला सिंह मैं अब निकलता हो गया । ठीक है कहते उस ने मेरा हाथ थाम लिया । मैं उस से हाथ मिलाकर भी दो कदम भी आगे नहीं बढा था की एक मेरा दिमाग ठंडा उठा । मैं तेजी से उसकी और पालता उसका आवाज भी तो ठहर गया । उस लडकी का नाम क्या है? मैंने खबर ही आवाज में पूछा और जिले की उसने हैरानी मेरी और देखा वही जिसने आज कॉलेज छोड दिया है । नीतू जायसवाल ऍम अच्छा मैंने धीरे से कहा और जिस तेजी से पलट कर लौटा था, उसी रफ्तार से पीछे हो गया । मगर दो कदम चलते ही ऐसे लगा जैसे किसी किसी ने मेरे पैरों पर पत्थर बांदिया हूँ । कदम इतने भारी हो गए संजय उस दौरान जयसिंह ने मुझे कई बार आवाज लगाई, मगर मैं सुन नहीं पा रहा था । मैं नहीं रोका । उस दिन बहुत मुश्किल से मैं अपने कमरे पहुंचा तहक मेज पर फेंका और बिस्तर पर निढाल लेट गया । मैं समझ नहीं पा रहा था कि इस हालत में क्या करूँ । प्रिया मेरे जहन में इतने भीतर तक समझ चुकी थी कि मैं चाहकर भी उसमें नीतु के लिए जगह नहीं बना पा रहा था । हालांकि ये भी सच था । मैंने उसका दिल तोडा था । मगर क्या ये नया संगत है कि उसके दिल को सुकून पहुंचाने के लिए मैं अपना दिल तोड हर के सही अगर ये खुदगर्जी है तो यही चाहिए । मेरी आंखों के सामने सिलिंग पर लगा पंखा भर भर करता हुआ घूमने जा रहा था और मेरी भावनाएं किसी फुटबॉल की तरह उससे टकरा टकराकर खुद को लहूलुहान किए जा रही थी ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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