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मेरी अर्धांगिनी उसकी प्रेमिका - 15 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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अगले दिन जब मैंने राजको लंच साथ करने का प्रस्ताव रखा तो बगैर किसी नानुकर के उसने स्वीकार कर लिया था । हालांकि उसकी जिंदगी में मेरी इतने दिलचस्पी को पागल पर नहीं कहा जा सकता है । परंतु दोस्त था मेरा । मैं करता भी क्या, बगैर पूछे दिल को चयन ही नहीं मिल पा रहा था । हम दोनों कैंटीन की मेज पर थे । मैं देर तक राज को इधर दूर की बातों में उलझाए रखा क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि वो इस बात पर गौर कर सके । उसे मैंने सिर्फ इसी उद्देश्य से आमंत्रित किया था । इस दौरान मैंने उससे अपने और प्रिया के संबंधों के बारे में भी ढेर सारी बात देगी । जब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो गया की अब मैं उससे शिवानी के बारे में पूछ सकता हूँ । मैंने कहा राज्य मुझे तुम्हारी निजी जिंदगी में दखलंदाजी करने का वैसे कोई हक नहीं है । लेकिन फिर भी दोस्त के नाते गुस्ताखी करना चाहता हूँ । वो अर्थपूर्ण निगाहों से मेरी और देखने लगा है । तुम बताओगी क्या तुम शिवानी को अभी भी सिर्फ दो समझते हो । यहाँ बात कुछ आगे इलाहाबाद को घुमा युवराज सीधे गुस्ताखी की मैंने बात आगे भी बडी का मतलब वो हैरान नजरों से मेरी और देखने लगा । शायद उसे कम से कम उस वक्त मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी । मतलब कभी उसके सब कुछ किया । यहाँ मेरे सवाल उसे कानों पर पडा तो अनायास ईको हंस पडा । संजय उनके सच में यही सवाल पूछना चाह रहे हो तो शायद हाँ शायद तो मुझे बता सकते हो कि ये सवाल तुम्हारे मन में आया कैसे? एक उसके चेहरे से हंसी गायब हो गए । पता नहीं बस योगी जुबान पढा गया मेरे दोस्त ऐसे सवाल जो भी जुबान पर नहीं आती तो ऐसा नहीं लगता कि ये कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत सवाल है, खासकर एक लडकी के लिए जो मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी है । नहीं राज मेरा मतलब बिल्कुल नहीं था मुझे वाकई आपकी अफसोस संजय हमारे सवाल पर एक हाईकोर्ट कर खडा हो गया । आज उसकी ऐसी प्रतिक्रिया पर मैं हैरान उठा चलता हूँ । मेरी बात बीच में काटते ही वो तीव्रता से निकल पडा । मैं असहाय से उसके लौटते हुए कदमों को देखता रहा । मैं भारी मन से मेरे से उतना ही वाला था कि एक एक सामने पडी पुर्सी सर की प्रिया धाम से बैठ गई । क्या हुआ ऍम उसके और मेरे कानों से टकराई जरूर मगर मैं थोडी देर तक यही समझने की कोशिश करता रहा कि एक आएगा ये तूफान की डर जाया हूँ तुम ही नहीं थी क्या? मैंने पूछा फॅमिली तो सब छोडो, ये बताओ । राज ने कुछ बताया । मैंने प्रिय कुछ घटना के बारे में बताया तो वह जोर से हंस पडे । मुझे मालूम था कि राज कभी नहीं बताएगा । अरे उससे ज्यादा उम्मीद तो मैं शिवानी से करती हूँ तो मैं मुझे मना क्यों नहीं किया था? जबरदस्ती की बेइज्जती करवा बैठा मैं और दोस्तो नाराज हूँ इस वो अलग मैं कैसे मना कर दिया । फिर तुम ही कहते हैं कि मैं जिद्द कर रही हूँ । वैसे तुम कहो तो मैं अब भी सीवानी से पूछ सकती हूँ, नहीं तो किसी से कुछ मत पूछो । न जाने वो भी इस बात को बाद में खुद ब खुद एक दिन सबको सामने आ जाएगा । नहीं आया तो नहीं आया तो नहीं आया । कहते हुए मैं उठकर खडा हो गया

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सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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