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मेरी अर्धांगिनी उसकी प्रेमिका - 09 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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कॉलेज का अगला दिन नीतू गेट पर मेरा इंतजार कर रही थी । हाई संजय मेरे ऊपर निभा पढते ही वो मुस्कुरा पडी है । मुझे भी उसका बडा ऍम निकल गए थे । आज शिकायत करते हुए वो बोली छुट्टी पर हम कितना ढूंढे टेंट में क्या कह रही हूँ मैं जोर से हंस पडा मैं यही गेट पर ही तो था तो भी नजर नहीं आई । संजय उसने तल कल रात नहीं गौर से देखा मेरी और तो मुझे बना रही हूँ नहीं तो अच्छा तो अब तो मुझे झूठ बोलोगे । अचानक उसकी आंखें फैल गई । मुझे याद है कल छुट्टी के बाद सीधे में यही इसी जगह पर आई थी और तुम यहाँ पे नहीं थे । समझे तो मैं मुस्करा बडा मेरे यकीन करो में यहीं पर था । इसी गेट पर तोहरा इंतजार कर रहा था । उसकी चमचमाती आंखे देर तक मुझे घूमती रही । फिर मेरी बातें पकडते हुए बोली सच है या झूठ? मुझे नहीं पता तुमने मेरा इंतजार किया । बस यही काफी है मेरे लिए । हालांकि मुझे पता था उससे मेरी बात पर कोई यकीन नहीं है मगर मैं उसकी परवाह करता हूँ । इस बात पर वो खुश थी । मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर वह देर तक मैं जाने मेरी आंखों में क्या तलाशती रही । मिस्टर मेल मिलाप हो चुका हो तो प्रयोगशाला की तरफ दिया जायेगा । अच्छा रह जाना पहचाना सस्वर मेरे कानों को छोडा । मैं बिजली की गति से उधर बडा तो कुछ दिनों तक आंखों पर यकीन नहीं हुआ । प्रिया बिल्कुल मेरे पीछे पडी थी जी मैंने हैरान होते हुए पूछा मेल मिलाप के बाद प्रयोगशाला की तरफ भी आ जाइएगा । जी जी कल वैसे भी अब हमारे प्रयोग की ऐसी तैसी कर चुके हैं । कहते हुए वो आगे बढ गई । मैं तब उसे जाते हुए देखता रहा । संजय लडकी कौन है तूने मुझे जब जो रहा हूँ पता नहीं ।

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सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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