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मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 79 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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उस दिन कोर्ट लोगों से खचाखच भरा हुआ था । मेरे मन में तथा प्रसन्नता थी । मुझे विश्वास था कि संजय बहुत समय तक जेल में नहीं रहेगा । अगर वक्त के हर पल के साथ साथ मेरा काम करता जा रहा था । भरोसा भूमा बनकर हवा में उड के जा रहा था । कोर्ट की सुनवाई शुरू होने वाली थी मगर अब तक नीतू कोर्ट नहीं पहुंची । इस बीच हमारा वकील कई बार मुझसे पूछ हुआ था कि नहीं, तू सबूत के साथ कोर्ट का पहुंचेगी । मैं एक दो बार को टूट के बाहर निकला । इधर उधर देखा । जब नहीं देखी तो उन्हें जाकर अपने वकील के पास पहुंच गया । उस वक्त हम से कुछ ही दूरी पर बैठी खुशबू एक तक मेरी और देखे जा रही थी । उसके चेहरे की रौनक बता रही थी की वो अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त उसने मुझे चढाने के लिए इकवाल का हाथ पकडकर उसकी और देखा । दोनों की नजरें मिली । उनके होठों पर मुस्कुराहट छा गई । इस दौरान इकबाल की नजरे मुझ से टकराई मगर हमारे चेहरों पर शून्यता बनी रही । स्वराज अचानक मेरी वकील नवाज नहीं एक बार नहीं तू फोन रही । कुछ कहाँ पर है वो तो मैं कई बार प्रयास कर चुका हूँ । वकील साहब लेकिन उसका फोन नहीं लग रहा है । वो नहीं लग रहा है तो चौक पडा । अब जानती आप क्या कह रहे हैं आप के दोस्त की जमानत और सजा दोनों उन्हीं पर निर्भर है । अगर वो नहीं आई तो आप मुझे दोष मत दीजिएगा क्योंकि बिना पर्याप्त सबूत के मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा । जानता हूँ वकील साहब लेकिन करूँगी तो क्या तब अभी कुछ नहीं कर सकता । उसने फटी फटी नजरों से मेरी और देखा ये जो आपने वीडियो सीडी मुझे दी है । इससे ज्यादा से ज्यादा ये हो सकता है कि आपके दोस्त पुलिस रिमांड में जाने से बच्चा है और अगर किस्मत बहुत अच्छी रही, उनकी जमानत हो सकती है । मगर एक बार एक बार अगर अंदर नहीं गया तो याद रखेगा तो मिस्टर संजय को बहुत देर तक बाहर नहीं रहने देगा । क्योंकि एक बार अंसारी सिर्फ वकील नहीं है, कोई ब्रांड है तो किसी भी केस को अपने तरीके से घुमा सकता है । लेकिन नतीजा मैंने कुछ कहना चाहता कभी जब साहब कोर्टरूम में दाखिल हो गए, मुझे अपनी बात को वहीं पर छोडना पडा । मेरे वकील ने बहस के लिए आगे बढने से पहले आखिरी बार खुलती नजरों से मेरी और देखा मैंने नजरे चुका नहीं संजय अचानक मेरी और पालता और धीरे से बोला जैसे आपकी दोस्त नहीं तो भरोसे के लायक तो है ना । ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि मुझे ऐसा नहीं लगता । उसने कहा और दोबारा जज की और लौट गया । मैं हैरान नजरों से देखता रह गया । सच कहूँ तो कुछ देर के लिए मुझे यही लगा । मगर उधर बहस शुरू ही हुई थी कि एक का एक मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा । मैंने पलट कर देखा के मेरे पीछे नीतू खडी थी आपको इतनी धीर कैसे हो गई? उसके आने पर खुश होने के बजाय मैंने सख्त लहजे में उसकी और अपना सवाल दागा । वो सब बाद में बताउंगी । अब ये बताओ की सुनवाई कब शुरू हुई हैं । अभी तुम पहले क्या कहती हुई वो मेरे बगल में बैठ गई । उसके चेहरे की चमक और फोटो की मुस्कराहट ने जैसे फैसले को पहले ही भांप लिया हो । सुनवाई जारी रही मगर नीतु के आने के बाद पता नहीं क्यों खुशबु का चेहरा एक है । उतर गया उससे नफरत भरी नजरों से नीतू की और ऐसे देखा जैसे कोई अपनी सौतन को देखता है । कुछ को उसकी खुशी निकली नहीं जा रही थी तभी एकाएक इकबाल किसी कागज उठाने के लिए अपनी देश की और बडा उसकी निगरानी तु बढ गई तो वह चंद क्षणों तक मूर्ति बना नहीं तू की और देखता रहा तो वहाँ पर नीतू की उपस् थिति पर हैरान था । शायद से नीतू का संजय के साथ किसी तरह के संबंध का कोई अंदाजा नहीं था । उसके चेहरे के हावभाव देखकर मैं समझ गया कि नीतू सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट रूम में तो नहीं आई । हर मिनट के गुजरने के साथ ही हमारा वकील घनश्याम तिवाडी लगातार इकबाल अंसारी पर हावी होता जा रहा था खासकर तब से जब उसकी नजर नहीं तूने चेहरे पर पडी । उसने कोर्ट से पूछा आप की अदालत मुझे बताएगी की पंखुडी को मारने की वजह किसके पास ज्यादा थी? मेरे क्लाइंट मिस्टर संजय के पास क्या पर मेरे काबिल दोस्त इकबाल अंसारी के पास? और अगर अदालत के पास इसका जवाब नहीं है तो उसने पुलिस रिमांड से पहले मेरे क्लाइंट के खिलाफ पुलिस ने याचिकाकर्ता से सबूत क्यों नहीं मांगा? सब संधि के नाम पर अदालत द्वारा किसी भी इंसान को क्योंकि पंखुडी का पता भी है उसे किसी बडे वकील कीचन दलीलों के नाम पर पुलिस रिमांड में दे देना कहाँ का नया है? हालांकि जब मिस्टर तिवाडी अदालत से सवाल कर रहे थे, उस समय जज ने घूमकर तिवाडी की और देखा । मैं घबराया हुआ था की अदालत तेवाडी केस व्यवहार पर हमारे मुकदमे को एकपक्षीय न बना दे । मगर स्पोर्ट की अनुमति के बाद जब मेरी और खुशबू के पापा के बीच हुई बातचीत के वीडियो को अदालत के अंदर चला गया तो मैंने जिसकी आंखों को गौर से देखा, उनकी नजरों के सवाल बदल चुके थे । उन्होंने इकबाल की ओर देखते हुए पूछा, क्या यह सच नहीं की? पंखुडी के तहत उसे आपको मिलने वाला फायदा संजय से कहीं ज्यादा है? और दूसरे बाद आपने कोर्ट को ये क्यों नहीं बताया कि आप अपने क्लाइंट्स मैंने कहा करने वाले थे । अच्छा मेरे निकाल ऍफ का कोई लेना देना नहीं है । ऍम अचानक और सहज हो गया । इसलिए मैं अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहता था और रही बात मेरी क्लाइंट के पापा से हुई बातचीत का मामला तो मैं बता दूँ कि मिस्टर हरीशचंद्र क्योंकि मेरी क्लाइंट के पापा है नहीं, हमारे निकाह से खुश नहीं थे । इसलिए उनका ये सब कहना अनापेक्षित नहीं है और मेरी इस अदालत से गुजारिश है कि हमें समझे की जमानत पर बहस करनी चाहिए न कि मुझे मिला वजह अपराधी बनाने की कोशिश की जाए । नहीं अच्छा कल शाम से बडी एकाएक उठकर खडे हो गए और बोले मैं अपने काबिल दोस्त को अपराधी बनाने के सिर्फ कोशिश नहीं बल्कि कर रहा हूँ और आना क्योंकि सच यही है की पंखुडी की हत्या का गुनाहगार मेरे क्लाइंट्स मिस्टर संजय पाठक नहीं बल्कि खुद इकबाल अंसारी हैं और उसका मेरे पास पुख्ता सबूत है । इससे सुनने के बाद अदालत आज और अभी इस केस पर फैसला सुनने के लिए बाध्य हो जाएगी । तो फिर वो सबूत को अदालत के सामने पेश करिए ना । कहते हुए इकबाल अंसारी पत्थर नीतू की और देख रहे थे । उसकी आंखों में डर साफ झलक रहा था । अभी तूने उनसे नजरें नहीं मिलाई । मेरे वकील तिवारी ने तुरंत टेपरिकॉर्डर उठाकर जज की कुर्सी पर घुमा दिया । उधर टेंट पर इकबाल के रिकॉर्ड की हुई आवास पंखुडी मर्डर केस को कुछ और ही रास्ते पर ले जा रही थी । और इधर एक बार अंसारी नीतू को ऐसे हो रहा था जैसे कि वो अभी उसे कहाँ जाएगा । उस दौरान मैंने खुशबू के चेहरे को भी पडने की कोशिश की । उसमें हैरान कर देने वाली जैसी कोई भावनाएं नहीं थी, सिवाय उस लाइन के जब इकबाल ने नीतु के साथ हुई बातचीत के दौरान कहा था कि वह खुशबू से प्यार नहीं करता और वो ये सब कुछ इसलिए कर रहा है ताकि वह ने कहा कि वक्त मेहर में उसका घर मांग सके । खुशबू के व्यवहार पर हराम था की रिकॉर्ड की गई बातों में इतना सब को सुनने के बाद भी उसने इकबाल से सवाल नहीं किया । उसकी पथराई नजरेें मेरे और नीतू के चेहरे के बीच भ्रमण कर रही थी जिनमें आंखों को पढने का हुनर रखने वाला कोई भी व्यक्ति जेल जाने की घबराहट को महसूस कर सकता था । टीवी बंद होते हैं, कुछ देर के लिए अदालत में खामोशी छा गई । जज भारी बारिश दोनों वकीलों की और देखता रहा । तब तक एक बार अचानक उठकर खडा हो गया और अदालत से आग्रह करते हुए बोला, अच्छा, मेरे खिलाफ झूठे सबूत इकट्ठा करके मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है । इसलिए मेरी अदालत से अपील है कि मुझे अपना मुकदमा पेश करने के लिए अगली तारीख दे दी जाए । नहीं होना कल शाम थोडी अचानक आक्रमक हो गया । अपने हाथों में लिए पेपर को लहराते हुए बोला मेरे क्लाइंट संजय पाठक निर्दोष होते हुए पहले ही पुलिस रिमांड बहुत यातनाएं रह चुके हैं । इसलिए अब सारी सच्चाई अदालत के सामने आ गई है और उस रिकॉर्ड की गई आवाज की लैब रिपोर्ट भी आपके सामने है । इस की अदालत से मेरी गुजारिश है कि वो अपना फैसला सुनाया और मेरे क्लाइंट को सभी आरोपों से पांच रिहा करें । तो एक बार अंसारी साहब ने कहा कोई और मौका होता तो जरूर में आपको अपना पक्ष रखने के लिए मौका दे देता हूँ । मगर इतने मजबूत सबूत होने के बावजूद अगर मैं आपको मौका दे दूँ तो यह शख्स के साथ अन्याय होगा । आप लोगों की दलीलें सुनकर मैंने ही पुलिस रिमांड में भेज दिया था । इसलिए सभी सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत नतीजे रुपये जैसा अचानक एक बार फिर खडा हो गया । आप मुझे अपना पक्ष रखने का मौका न देकर मेरे साथ अन्याय कर रहे हैं । मैं एक बार साहब मैं अपनी गलती सुधार रहा हूँ और आप चुप चाप अपनी सीट पर बैठ चाहिए । लेकिन जब साहब मैंने कहा चुप हो जाइए आप जब साहब अचानक अलाउड है मुझे मेरा काम मत सिखाइए । मैं आपको आपका काम आप अदालत की मर्यादा हो चुके हैं । बस साहब अचानक उठ कर खडे हो गए और सामने खडे पुलिसवालों को संबोधित करते हुए कहा आपने अभी आरएसपीसीए जज का आदेश मिलते ही पुलिस के जवान तुरंत आगे बढकर एक बार अंसारी को आरेस्ट कर लिया फॅस खुशबू पस्थित हैं क्या? सामने बैठे लोगों की तरफ देखते हुए जब साहब ने पूछा था एक सौ तीन सौ मुझे मेरा नीतू का खुद खुशबु का जब हाथ उठाकर आवाज जब साहब की और देख रही थी साजिश में मुस्लिम का साथ देने के जुर्म में उन्हें भी गिरफ्तार कर लीजिए जैसे कुर्सी पर बैठे हुए कहा पुलिस जब उन्हें गिरफ्तार करके अदालत से बाहर लेकर जा रही थी, उस समय मेरी और नीतू की नजरें एक दूसरे से टकराई । दोनों की आंखों में आंसू थे । पता नहीं क्यूँ मैं कुर्सी से उठकर खडा हो गया । नीतू की और देखते हुए बोला चलें नहीं तूने ऐसे कहा जैसे वो अब भी किसी सपने में खोई हुई है या फिर उसे अदालत के फैसले पर यकीन ही नहीं हो रहा है । घर हमारी शादी की तैयारी करते हैं । मैं सारे समंदर का पानी अपनी पलकों के नीचे दवाई हुए, ढाके मारकर हस पडा

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Sound Engineer

Voice Artist

सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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