Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 78 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 78 in Hindi

Share Kukufm
5 K Listens
Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
Read More
Transcript
View transcript

मैं एक बार फिर लखनऊ लौट आया । सबूत के नाम पर अभी तक हमारे पास कुछ खास जमा नहीं हो पाया । मेरे पास सिर्फ मेरे हिडन कैमरे से रिकॉर्ड की हुई बातचीत थी । वो एक जो मैंने खुशबू के घर जाकर बात की थी और दूसरी वह जो उसके पापा के साथ गांव जाकर किया था । आज उसके पापा के साथ हुई बातचीत इतना तो इशारा करती है । इस संजय को राहत नहीं मिल सकी अगर उसकी पूरी तरह रिहाई कराने के लिए वह पर्याप्त नहीं थी । अगली सुबह मैं जब उठा मेरा मन काफी होता था । पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि कुछ अच्छा होने वाला है । मैं तो फिर में बैठो । चाय पी रहा था कि अचानक मेरा भतीजा बॉबी बिस्तर पर उठ बैठा । उसके और देखा तो वह हॉल से मुस्करा पडा । ऍम चाय पिएगा । मुस्कराकर उससे पूछा नहीं । उसने कहा और बिस्तर से उतरकर मुस्कुराता हुआ सामने रखी अलमारी की और बढ गया । मैं समझ गया कि वह पहले ही अलमारी के पास रखे हुए बल्ले वो देख चुका है । उसके पास पहुंचकर बल्ला उठाया और फिर मुस्कराता हूँ मेरी तरफ लौट बडा अपनी उंगलियों को बुराइयों में मरोडते हुए कुछ संकेत क्या मैं समझ गया कि वह मुझ से गेम के बारे में पूछ रहा था । मैंने छूटकर सोफे के नीचे देखा तो वो भी छूट गया । इंसान नहीं पडी थी । मैंने निकालकर उसके हाथों में थमाने की कोशिश की, मगर उसने लिया ही नहीं । पूजा अपनी और खींचते हुए गेंद फेंकने का संकेत किया ताकि वो बैटिंग कर सकते हैं । मैं उसके लिए गेम देखने लगा । तभी एक मेरे फोन की घंटी बजती । उन नीतू का था । जांच अभी घर आ सकती है । उसकी आवाज में खबर थी, कोई जरूरी काम है । हाँ, कुछ सबूत इकट्ठा किए हैं, उसे आपको दिखाना चाहती थी । क्या मैं कहीं कुछ पडा? किस तरह का सबूत है? मुझे लगता है कि आपको यहीं आकर देखना चाहिए । आप कहे तो मैं आपको लेने आ जाऊँ । नहीं, उस की कोई जरूरत नहीं है । तो मैं खुद आ रहा हूँ । वही है कि कारलेकर । आप मुझे अपना पता मैसेज कर दीजिए । एक घंटे बाद मुझे घर पहुंचा । उधर वाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी । आइए राज मुझे देखते ही वह फॅस पडी । मैंने भी हंस करके जवाब दिया । उस वक्त उसकी आंखों में अभूतपूर्व चमक थी । उसके उस छोटे से घर में मात्र दो कमरे और एक किचन था जिसके एक कमरे पर बैडरूम था और दूसरे ड्राइंग रूम के रूप में वह इस्तेमाल कर रही थी । दीवार पर लगी कई अच्छी पेंटिंग के बीच वहाँ एक बडी सी तस्वीर संजय की भी लगी थी या आज क्या लेंगे? आप ठंडा या फिर चाय या कॉफी? बस चाहे वो मुस्कुराकर मेरी और देखिए और किचन की और बढ गई । फिर जब लॉटरी तो उसके हाथ में चाय के दो कप और नमकीन की एक प्लेट थी । मेरी निगाह एक बार फिर संजय की तस्वीर पर जाते हैं । मैंने उसको पूछा, ये स्वीट था तो गांव से मिली भर से ऐसे ही कई से चुरा ली थी । हसते हुए उसने तस्वीर की और देखा । उसके आंखों में सपनों का समंदर हिलौरे खा रहा था । अभी अचानक उसे कुछ याद आया । मेरी और मुखातिब होते हुए वो बोली, वैसे जांच आप एक रिकॉर्डिंग सुनना चाहेंगे । उसके और देखने लगा । रिकॉर्डिंग जी मुस्कुराते हुए उठी और लगभग दौडते हुए दूसरे कमरे में घुस गई । लॉटरी तो उसके हाथ में छूट सर टेपरिकॉर्डर था । इसमें क्या है? मैंने पूछा तो कुछ बताने की बजाय उसने उसे ऑन कर दिया । उसमें इकबाल अंसारी और नीतू की बातचीत रिकॉर्ड थी । इसमें एक बार अंसारी हस हस कर बता रहा था । उसने किस तरह खुशबु का इस्तेमाल किया । एक बार लेनी तो यकीन दिलाते हुए कहा कि दरअसल वो असली प्यार सिर्फ नहीं तू से ही करता है । खुशबू से तो इसलिए निकाह करना चाहता है क्योंकि उसे खुशबु का वह खूबसूरत घर चाहिए जिससे वो निकाह के वक्त में हर में मांगने वाला है । उसने ये भी बताया था कि वह कंपनी को मारना नहीं चाहता था । उपर से हादसा था जिसमें उसने खुद को बचाने के लिए संजय को फसा दिया । उसने तो संजय को अपने निकाह के बीच में न आने और से डराने के लिए बिस्तर में एक स्टूल रखकर पंखुडी को उसमें खडा कर दिया और पंखे से बंधे हुए फंदे को उसके खुले में डाल दिया ताकि वह संजय को दिखा सकें कि अगर उसमें उसकी बात नहीं मानी तो पंखुडी के साथ क्या क्या हो सकता है । फिर वो पंखुडी को उसी हाल में छोड कर जैसे ही बॉल करने की और ये देखने के लिए आया है । क्या वहाँ आस पास संजय आ चुका है? अचानक पता नहीं कैसे और कम स्कूल गिरा और दम घुटने से पंखुडी की मौत हो गई । इस समय तो पंखुडी की लाश को कपडे में लपेट रहा था । ठीक उसी समय संजय लॉन में खडा होकर वहाँ के मुरझाए हुए फूलों को देख रहा था । अपनी बातचीत के दौरान इकबाल नहीं कई बार नीतू को डार्लिंग सबसे भी संबोधन किया था । बातों से ऐसा लग रहा था जैसे खुद उन्हें दूसरे को सालों से जानते हो । वही तो आपने संजय के लिए खुद को ही गांव में लगा दिया । ऍफ करके मैंने नीतू की और देखते हुए पूछा, ऍम, मेरी और थोडी देर तक तक देखती रही । फिर धीरे से हस्कर बोली हाँ लगाना पडा । मगर आज आपको घबराने की जरूरत नहीं है । मुझे अभी हद बता दी । मैंने उतना ही किया था जितना आपने रिकॉर्डर पसंद है । वैसे एक बात बताऊँ आपको मैं संजय के लिए इससे भी ज्यादा जोखिम उठा सकती हूँ । मैं जानता हूँ । लेकिन इस स्कूल बहादुरी की बात है कि इस काम को अंजाम देने के लिए आपको इकबाल अंसारी के घर तक जाना पडा नहीं । मैं इतनी पागल नहीं । वो राज दरअसल में उसके ऑफिस गई थी क्योंकि वहाँ एक बात की गारंटी थी की तमाम साफ होने की वजह से उसे बात कर सकता था वो भी बिना बताए ताकि वह कोई प्लानिंग भी ना कर पाए । लेकिन आपसे पहली बार मिली है हमारी जान । पहचान इतनी नई नहीं है । राज्य उसी में तीन चार महीने से जानती हूँ । तीन चार महीने से फॅस की ओर देखा था । वो हंस पडी । मुझे ठीक से याद नहीं है मगर तीन चार महीने तो पूरे होंगे । जब पहली बार मैंने खुशबू को इकबाल के साथ उसके ऑफिस के पांच देखा था । लेकिन आप तो आलम बाकी तरफ काम करती हैं । ऍम तो खुशबू ऑफिस की तरफ किसी काम से गई थी । हाँ दरअसल खुशबू के ही ऑफिस में मेरी एक दोस्त काम करती है । मैं उसी से मिलने वहाँ गई थी । तभी अचानक मेरी नजर खुशबू पर पडी । मैंने उसके बारे में अपने दोस्त को बताया तो उसने कहा की खुशबू तो उसी के साथ काम करती है और उसके साथ जो आदमी खडा है वो कौन है? मेरे इस सवाल पर उसने बताया कि वो उसे नहीं जानती मदरहा वह अक्सर खुशबू से मिलने वहाँ आता जाता रहता है । फिर आप उसे कैसे मिली? मैं तो जोर से हंस पडी । आप शायद जानते नहीं कि मैं बाहर से शांत स्वभाव की हूँ । अंदर मेरा दिमाग बहुत तेज चलता है । खुश हो के वहाँ जाने के बाद मैंने उसे लिफ्ट मांगी और उसने मुझे कॉमन लडकी समझकर लिख टीवी दी । फिर रास्ते में मैंने उससे उसका परिचय पूछा । उसने बता दिया उतरते हुए उसने अपना कार्ड थमाते हुए फसकर कहा कि कभी आइए हमारी गरीब खाने में । जवाब में मैंने ये कह दिया कि ठीक है आएंगे कभी अब मुझे कहाँ पता था कि ऐसा वक्त आ ही जाएगा कि सचमुच जाना पडेगा और फिर देखिए । संजय के साथ हुए इस हादसे के बाद जब मुझे सारे रास्ते बंद देखे तो उसका दिया हुआ वह कार्ड कम आया । मुझे उसके गरीब खानी जाना पडा । बुरा ना माने तो एक बात तो हूँ जी कहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है । मैं नहीं चलते हुए कहा की खुशबू को छोड कर आप के साथ जाना चाहता था । किसकी मत राज को खिलखिला पडे । मैं ऐसी बातों का बुरा नहीं मानती क्योंकि मैं जानती हूँ की मैं खुशबू की तरह खूबसूरत नहीं हूँ और ये बात स्वीकार करने में मुझे कोई हिचक नहीं होती है । दरअसल बात ये हैं की खुशबू जैसी खूबसूरत लडकी को छोडकर मुझे चुनने की आदत अकेले इकबाल में ही नहीं है । अभी तो सृष्टि के सारे मर्दों में है मार चाहे अपनी पांचवी शादी कर रहा हूँ फिर भी उसे लडकी वर्जिन ही चाहिए और आप इतना तो जानते ही हैं की खुशबू तो वो है नहीं सही कह रही है मैंने नजरे झुका नहीं इससे कुछ मर्दों की सबसे बडी त्रासदी है सारी राज्य । मुझे लगता है कि शायद में कुछ ज्यादा ही नहीं गई । आपने कुछ ज्यादा नहीं कहा । आपने जो भी कहा वो सच है । मैंने कहा । और दीवार पर लगी संजय की तस्वीर की और देखने लगा । उस वक्त नीतू की नजरे मेरे चेहरे के इर्द गिर्द घूमती रही । थोडी देर तक वहाँ खामोशी छाई रही । क्या सोचना लग गए राज अचानक भी तूने आवाज थी यही कि काश संजय की जिंदगी में खुशबू की जगह आप होती तो कितना खुश होता है । मतलब कोई बात नहीं । मैंने मुस्कुराकर उसकी और देखा तब नहीं तो अब सही हमने इतने साक्ष्य जुटा लेंगे हैं कि संजय को बाहर आने में और इकबाल और खुशबू को अंदर जाने में देर नहीं लगेगी । और इस बार तो अब दोनों की शादी मैं नहीं छोडने वाला । यहाँ कुछ और बात कीजिए ना नहीं तू अचानक भावुक हो गई छलेडी गया कुछ और बात करता हूँ । मैंने धीरे संस्कार कहा । आपको पता है । संजय डायरी लिखता है, हाँ जानती हूँ उसने पलकें झुका ली । उसकी डायरी पडी है उसमें आप का भी जिक्र है क्या? उसकी पाल के मेरी और दौड लगाई । उसके चेहरे की असहजता को मैंने महसूस किया जानती हूँ । मैंने कहा उस डायरी को पढते वक्त मुझे लगा कि संजय ने जिस तरीके से आप का जिक्र किया है वह व्यवहार में संभव नहीं है । मगर अब जबकि मैं आपके सामने हूँ, आपसे बात कर रहा हूँ । सोचता हूँ कि मैं कितना गलत था । मुझे ऐसा भी लगता है कि उसने शायद आपको उस डायरी में पर्याप्त जगह नहीं दी । उसमें आपके व्यक्तित्व की बहुत छोटी सी अभिव्यक्ति है तो शायद पर्याप्त नहीं है । अब चाहत के लिए, आपके समर्पण के लिए, आपके प्रेम के लिए राज । मुझे जानकर सचमुच खुशी हुई कि संजय ने अभी जिंदगी में ना सही, कम से कम अपनी डायरी में तो मुझे थोडी सी जगह दे दी है । नीतू के चेहरे की चमक एकाएक गायब हो गई । शायद एक बार फिर वो भावुक हो गई थी ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
share-icon

00:00
00:00