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पत्र मिले हुए तीन चार दिन हो गए । इस बीच मैंने अपने दिमाग को कई बार समझाने की कोशिश की मगर वो नहीं माना । ऑफिस की कुर्सी पर बैठे बैठे अचानक ही मेरा हाथ जेब में कुछ टटोलने लगा । वो लेटर एक बार फिर मेरे हात आ गया । उस वक्त मैंने उस खत को लगातार दो तीन बार बडा मन तिलमिला उठा । खुद को इस तरह परेशान करने से अच्छा था की मुझे खुशबू से ही इस बारे में चर्चा कर लेनी चाहिए थी । लेकिन कहता क्या अचानक मन भ्रमित हो गया ये कि ये सब कुछ मुझे किसी ने खत भेजकर बताया है । मैं अपनी कुर्सी से उठा और ऑफिस से बाहर आ गया । गेट के बगल में सिगरेट की दुकान थी । उस एसिडिटी और चलाने ही वाला था कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला ऍम अकेले ही अकेले धोनी का मजा ले रहे हो । ऍर देखा अरे कोई तुम यहाँ आया पहुंचते हुए बोला, यही तो ऑफिस के बगल में जो बीपीओ है वहीं आया था । तभी अचानक तुम दिख गए तो सोचा चलो संजय के साथ एक सिगरेट पी लेते हैं । हम बिल्कुल ऍम आते हुए बोला कुछ काम था यहाँ हर एक काम किया था । उसने गंदा समूह बनाया । बिना वजह का लफडा पाल लेते हैं । शर्मा जी शर्माजी अरे बीपीओ के मैनेजर शर्मा जी सिगरेट का जोरदार कश खींचते हुए बोला, ऍम, वो हमारे अच्छे दोस्त हैं । इनके बीबी का कुछ लफडा था । घर में तनाव बडा तो हमें बुला लिया और क्या लफडा था? मैंने पूछा जान जब भाई है, तुमसे क्या था? हमने शर्मा जी से एक बार कहा था कि शर्मा जी अगर भाभी जी का लोगों से घुलना मिलना आपको अच्छा नहीं लगता तो उन्हें घर पर ही रहने दीजिए । मगर तब नहीं सुनी और पैसे के लालच में एक प्राइवेट बैंक में मार्केटिंग के लिए लगवा दिए । फिर फिर क्या फॅार के साथ और देखो अपने पीछे चार साल का बेटा है । उसे शर्मा जी के पास छोड गई । अब शर्मा जी अपने बेटे को सम्भाले ऑफिस को कहते कहते उसके होट भी । इसलिए उस दिन खामोश रहने के बाद बोला मुझे एक बात बोलेंगे हाँ, ऐसे ही इंसान तब तक ईमानदार रह सकता है जब तक उसे बेमानी करने का मौका नहीं मिलता । तोफा के मामले में और भी कुछ ऐसी होती हैं । उसमें सिगरेट का आखिरी खर्च की जा और तो साला कुत्ता है कुत्ता कसम से साला ऐसे ही बदनाम है ही है । मैंने उसके कंधे में हाथ मारते हुए बोला ऐसे किसी के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं है । ऐसे ही नहीं बोल रहा हूँ मेरे दोस्त खुद भुगतभोगी हूँ हूँ यहाँ औरतों के बारे में लक्षण दिन नहीं आया तो रहो चबाते हुए मेरी और देखने लगा । उसकी आंखों में एक का एक नमी आगे ना छोडते हुए बोला, बस ऍम शर्मा जी से मिलकर बिल फट गया या इतने कम समय में बेशुमार दौलत कमाई है उन्होंने इसके लिए और उसका ये सिला मिला नहीं । अभी जी को समय नहीं दे पा रहे थे । क्या कह नहीं सकता । गुजरते काम के चक्कर में उन्हें तैयार नहीं दे पाए । वो धीरे से बोला क्या? मैं चौंक गया तो उनकी बीवी थी । उनके बीच शादी का पवित्र बंधन था । इतने बडे फैसले के बीच प्यार अडे कैसे आ सकता है? संजय सिगरेट की रात झाडते हुए वो मेरी और देखा बोला एक बात याद रखना मित्र और पार्टनर के प्रति नहीं बिहार के प्रति वफादार होती हैं । अगर आपको औरतों को खरीदना है तो जेब में पैसे नहीं यार रखिए । सिर्फ प्यार के लिए कोई और और अपने बेटे को कैसे छोड सकती है क्योंकि औरतें प्यार की भूख ही होती हैं और भूख कई बार इतनी ज्यादा होती है कि उसके लिए अक्सर उससे भी बडी कीमत चुका जाती हैं । कहते हो दुकानदार की और बडा एक सिगरेट और मिल सकती है । इन तुमने अभी तो भी है । मैंने कहा हाँ मगर जब मैं बातें करता हूँ तो मुझे सिगरेट की ज्यादा जरूरत पडती है । उसने नहीं सिगरेट पर आग लगाते हुए कहा प्रशोतम अखबार पढते हो हाँ! तो हम अक्सर देखते हो गई की लडकियाँ कई बार प्यार के चक्कर में अपने रास्ते पर आने वाले अपने भाई माँ बाप को नहीं छोडती है जबकि लडकों के बारे में इस हद तक की दिवानगी कम ही देखने को मिलती है । ऐसा नहीं है मुझे मैंने उसकी बात का विरोध करते हुए कहा मैं ऐसे बहुत से लडकों को जानता हूँ जिन्होंने किसी लडकी के लिए कब तक पर डाले हैं । लेकिन यकीनन उसने अपने माँ बाप या भाई का खत्म नहीं किया होगा । अचानक वो तेज हो था । मैं जानता हूँ ना मर्ज की आपका । वो पैसे के लिए तो ऐसा कर सकता है लेकिन प्यार के लिए नहीं । अगर तुम्हारे पास कोई उदाहरण हो तो मुझे जरूर दिखाना । मैं सोचने लगा तो वह हस पडा । बोला हमारी छुट्टी बता रही है कि मैं सही हूँ । नहीं ऐसा नहीं है । मर्दों के उदाहरण भी तमाम है । लेकिन मुझे खोजना पडेगा बिल्कुल । वो जो बहुत बडा मिल जाए तो मुझे जरूर बताना । मोहित काफी देर हो गयी है । मुझे जाना पडेगा । मैंने घडी की और देखते हुए कहा फिर कभी मिलता हूँ । मैं वहाँ से अगर एक बार फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गया । मोहित से बात होने के बाद दिमाग और भी अशांत हो गया । समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ । मेरे सामने फोन रखा हुआ था । मैंने रिसीवर उठाया और खुशबू के ऑफिस का नंबर डायल कर दिया । फोन पर अमित पटेल ही था यार खुशबु का पहुँच सर क्या कुछ हुई जानकारी दे पाएंगे । बोलिए अभी चार पाँच दिन पहले कुछ ऑफिस में मौजूद थी । जी आप बिलकुल रहे हैं । रुककर उसने पूछा खुशबु का पति संजय मैंने अपना परिचय दिया । मैंने परिचय दिया तो वहाँ के आसपास ही होकर के हंस पडे । जी जी बिल्कुल बिल्कुल व्यवस्थित थी । वहाँ उपस्थित थी उसकी हसी में अचानक अतराहट आ गया जी टैंक्स मैंने कहा और फोन रख दिया
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