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वो नवंबर की खूबसूरत सुबह थी । अपने घर के डाइनिंग टेबल पर हम लोग नाश्ता कर रहे थे । ऍम बेटा टेबल पर कचौरी रखते हुए राजी चाचा ने पूछा नहीं चाचा जी, कुछ बूंदें मुस्कराकर राजू चाचा की और देखा और मेरी और पलटते हुए बोली संजय आप होगी । मैंने पापा की और देखा पर खामोशी के साथ कचौरियां चबाते रहे । उनके दिमाग में कुछ चल रहा था आज कल वो कुछ परेशान सराहा करते थे आप आप मैंने आवाज नहीं जिसमें कोई प्रॉब्लम चल रही है । क्या नहीं हूँ? उन्होंने हैॅ देखा नहीं बस ऐसे ही आजकल आप बातें काम करते हैं ना । इसलिए पूछ लिया वो हंस पडे । मेरी और देखते हुए बोले अब तुम सचमुच बडे हो गए हो । पापा मुस्करा पडा था । पार्टनर्स आजकल गोलबंदी करने में लगे हुए हैं । इसलिए कंपनी के फीचर को लेकर थोडी चलता है । पर कोई नहीं मैं उसे संभाल लूंगा । आपने आंखें झपकाते हुए कहा पैसे संजय उन्हें कुछ याद आया । तुम लखनऊ गए थे ना किसी इंटरव्यू के लिए । क्या उसका अभी कोई जवाब नहीं आया? अच्छा आपको कचोरी में पुनः व्यस्त हो गए । राज्य चर्चा की और देखते हुए बोले, कचोरी अच्छी बना लेते हैं । राज्य ज्यादा कुछ बोलते । उस से पहले मेरे फोन की घंटी घनघना उठी पापा की और देखने लगा कॉल लेलो । पापा ने कहा अभी मैंने फोन उठा लिया । हम आया है तुम्हारी शादी को तीन महीने होने को है । रोमांच पीरियड खत्म हो गया हो तो अपनी कोठी से कभी बाहर ही निकल लिया करूँ । फोन पर किसान था । हम तो इलाहाबाद शहर की गालियाँ भी भूल गए होंगे । शायद मुस्कुरा बडा है । नाश्ता कर रहा हूँ । थोडी देर में कॉल करूँ । अरे सुनो तो जरूरी है क्या मुझे फोन किया है? दरअसल तुम्हारे लिए खुशखबरी है क्या? अब मिठाई बनाकर रखूँ में आकर बताता हूँ । जान और सुकता से चिल्ला उठा मैं मिठाई मंगा लूँगा । लेकिन बताओ तो सही कौन सी खुशखबरी है । पापा और खुशबू के चेहरे पर एक चमक आ रहे हैं । उनको उत्सुक नजरे मुझ पर आकर ठहर गए । अब तुम लखनऊ गए देना किसी इंटरव्यू के लिए हाँ तुम्हारा जॉइनिंग लेटर आया हुआ है तो हमारे मकान मालिक के लेटर अभी देकर गए हैं । मुझे मैंने करा रहा हूँ बेहतर उसके फोन काट दिया । मैं उठकर तेजी से पापा की और बडा उससे पहले छुपकर में उनके पैर छुपाता । उन्होंने छपकर मुझे गले से लगा लिया । पी ठोकते हुए बोले उच्चतम पर पूरा यकीन था असल जिंदगी की पहली बारी में झूठ । इसी जीत के लिए तो मैं बधाई । फिर मुस्कुराते हुए उन्होंने कुछ की और देखा और बोले, फिर आप तो उसकी सिर्फ अर्धांगिनी नहीं बल्कि ताकत हो । उसके साथ हमेशा डटकर खडे रहना जीता हूँ कि आगे भराई तो दौड कर पापा के गले लगाते हैं । हम देर तक खामोश एक दूसरे की धडकनों को सुनते रहे । आंखों में पानी था और होठों पर मुस्कान ऍम आपने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए पूछा पता नहीं आॅडीशन आ रहा है । लखनऊ में बाहर हो गए । अभी पता नहीं है बाबा कंपनी आलम भागते हैं । वहीं कहीं आसपास किराये पर कमरा ले लूंगा । ठीक है । बाबा ने कहा
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