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मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 48 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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वो नवंबर की खूबसूरत सुबह थी । अपने घर के डाइनिंग टेबल पर हम लोग नाश्ता कर रहे थे । ऍम बेटा टेबल पर कचौरी रखते हुए राजी चाचा ने पूछा नहीं चाचा जी, कुछ बूंदें मुस्कराकर राजू चाचा की और देखा और मेरी और पलटते हुए बोली संजय आप होगी । मैंने पापा की और देखा पर खामोशी के साथ कचौरियां चबाते रहे । उनके दिमाग में कुछ चल रहा था आज कल वो कुछ परेशान सराहा करते थे आप आप मैंने आवाज नहीं जिसमें कोई प्रॉब्लम चल रही है । क्या नहीं हूँ? उन्होंने हैॅ देखा नहीं बस ऐसे ही आजकल आप बातें काम करते हैं ना । इसलिए पूछ लिया वो हंस पडे । मेरी और देखते हुए बोले अब तुम सचमुच बडे हो गए हो । पापा मुस्करा पडा था । पार्टनर्स आजकल गोलबंदी करने में लगे हुए हैं । इसलिए कंपनी के फीचर को लेकर थोडी चलता है । पर कोई नहीं मैं उसे संभाल लूंगा । आपने आंखें झपकाते हुए कहा पैसे संजय उन्हें कुछ याद आया । तुम लखनऊ गए थे ना किसी इंटरव्यू के लिए । क्या उसका अभी कोई जवाब नहीं आया? अच्छा आपको कचोरी में पुनः व्यस्त हो गए । राज्य चर्चा की और देखते हुए बोले, कचोरी अच्छी बना लेते हैं । राज्य ज्यादा कुछ बोलते । उस से पहले मेरे फोन की घंटी घनघना उठी पापा की और देखने लगा कॉल लेलो । पापा ने कहा अभी मैंने फोन उठा लिया । हम आया है तुम्हारी शादी को तीन महीने होने को है । रोमांच पीरियड खत्म हो गया हो तो अपनी कोठी से कभी बाहर ही निकल लिया करूँ । फोन पर किसान था । हम तो इलाहाबाद शहर की गालियाँ भी भूल गए होंगे । शायद मुस्कुरा बडा है । नाश्ता कर रहा हूँ । थोडी देर में कॉल करूँ । अरे सुनो तो जरूरी है क्या मुझे फोन किया है? दरअसल तुम्हारे लिए खुशखबरी है क्या? अब मिठाई बनाकर रखूँ में आकर बताता हूँ । जान और सुकता से चिल्ला उठा मैं मिठाई मंगा लूँगा । लेकिन बताओ तो सही कौन सी खुशखबरी है । पापा और खुशबू के चेहरे पर एक चमक आ रहे हैं । उनको उत्सुक नजरे मुझ पर आकर ठहर गए । अब तुम लखनऊ गए देना किसी इंटरव्यू के लिए हाँ तुम्हारा जॉइनिंग लेटर आया हुआ है तो हमारे मकान मालिक के लेटर अभी देकर गए हैं । मुझे मैंने करा रहा हूँ बेहतर उसके फोन काट दिया । मैं उठकर तेजी से पापा की और बडा उससे पहले छुपकर में उनके पैर छुपाता । उन्होंने छपकर मुझे गले से लगा लिया । पी ठोकते हुए बोले उच्चतम पर पूरा यकीन था असल जिंदगी की पहली बारी में झूठ । इसी जीत के लिए तो मैं बधाई । फिर मुस्कुराते हुए उन्होंने कुछ की और देखा और बोले, फिर आप तो उसकी सिर्फ अर्धांगिनी नहीं बल्कि ताकत हो । उसके साथ हमेशा डटकर खडे रहना जीता हूँ कि आगे भराई तो दौड कर पापा के गले लगाते हैं । हम देर तक खामोश एक दूसरे की धडकनों को सुनते रहे । आंखों में पानी था और होठों पर मुस्कान ऍम आपने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए पूछा पता नहीं आॅडीशन आ रहा है । लखनऊ में बाहर हो गए । अभी पता नहीं है बाबा कंपनी आलम भागते हैं । वहीं कहीं आसपास किराये पर कमरा ले लूंगा । ठीक है । बाबा ने कहा

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सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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