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सुधाकर के जाते ही मैंने थके मन से दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर उनसे मुलेट गया । उस समय मेरे दिल और दिमाग में कितना तूफान था उसे मेरे अलावा शायद ही कोई नहीं देख पाता । शिवाय मेरी माँ के सच कहूँ तो उस वक्त मैं अपनी माँ को बहुत मिस कर रहा था । उस जिंदा होती हैं अचानक मेरे निभा बिस्तर पर पडे मोबाइल पर पडी तो पता नहीं क्या सोचा मैं उठ कर बैठ गया । मोबाइल लिया और नंबर डायल कर दिया । पोल लगा लाइन पर कोई नहीं था । मैंने उससे प्रिया को बुलाने के लिए कहा और आ गई । प्रियंका मेरे घर हो सकती हूँ । मैंने पूछा आज पढी नहीं संजय उसने रूपये स्वर्ग कहा । मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है । इस समय मैं कहीं भी आने जाने की स्थिति में नहीं हूँ । मैं जाऊँ नहीं । नहीं नहीं अकस्मात ही वो घबरा गए तो वहाँ बताओ मेरे भाई को तुम्हारा आना अच्छा नहीं लगेगा । तो अब तो तुम्हारी शादी तय हो चुकी है । फिर भी हाँ फिर भी ठीक है चलो नहीं आती । उन कॉलेज कब आओगे कोई निश्चित नहीं । अगर जब भी ठीक हो गई तो जरूर आउंगी । से तो हुआ क्या था तुम नहीं समझोगी । संजय ये औरतो की निजी बात है । कॅरियर क्या निजी बात है तुम्हारी इतना इतना बडा था संजय हम पर गुस्सा मत करो । अचानक उसका गला रुंध गया । सच बताऊँ तो मुझे खुद नहीं मालूम कि मुझे क्या हुआ है । कुछ नहीं हुआ तो मैं मेरे स्वर्का, कम्पन और बढ गया । नौटंकी कर रही है तो हर किसी से अपनी बात मनवा लेने का अच्छा तरीका है तुम्हारा संजय चलो यही सही ऐसा हो सकता है । हम तो मैं मना भी नहीं कर सकते । ऐसा सोचने से मैं खामोश हो गया । मेरे पास और कुछ नहीं था कहने के लिए । मैं मोबाइल को देर तक कान पर्स उम्मीद लगाए रखा था । शायद वो कुछ कहेगी, अच्छा फोन रखूं । थोडी देर बाद उस ने कहा बेशक रख सकती हूँ मैं बडा मैं कौन होता हूं मैं रोकने वाला हम तो वही करोगी ना जो तुम चाहोगी कोई क्या सोचता है क्यों सोचता इससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पडता फॅस संजय वो बडी आती हूँ बोलो कहानी कहीं भी अपने घर मेरे को मैं आ रही हूँ ।
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Writer
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