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मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 40 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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सुधाकर के जाते ही मैंने थके मन से दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर उनसे मुलेट गया । उस समय मेरे दिल और दिमाग में कितना तूफान था उसे मेरे अलावा शायद ही कोई नहीं देख पाता । शिवाय मेरी माँ के सच कहूँ तो उस वक्त मैं अपनी माँ को बहुत मिस कर रहा था । उस जिंदा होती हैं अचानक मेरे निभा बिस्तर पर पडे मोबाइल पर पडी तो पता नहीं क्या सोचा मैं उठ कर बैठ गया । मोबाइल लिया और नंबर डायल कर दिया । पोल लगा लाइन पर कोई नहीं था । मैंने उससे प्रिया को बुलाने के लिए कहा और आ गई । प्रियंका मेरे घर हो सकती हूँ । मैंने पूछा आज पढी नहीं संजय उसने रूपये स्वर्ग कहा । मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है । इस समय मैं कहीं भी आने जाने की स्थिति में नहीं हूँ । मैं जाऊँ नहीं । नहीं नहीं अकस्मात ही वो घबरा गए तो वहाँ बताओ मेरे भाई को तुम्हारा आना अच्छा नहीं लगेगा । तो अब तो तुम्हारी शादी तय हो चुकी है । फिर भी हाँ फिर भी ठीक है चलो नहीं आती । उन कॉलेज कब आओगे कोई निश्चित नहीं । अगर जब भी ठीक हो गई तो जरूर आउंगी । से तो हुआ क्या था तुम नहीं समझोगी । संजय ये औरतो की निजी बात है । कॅरियर क्या निजी बात है तुम्हारी इतना इतना बडा था संजय हम पर गुस्सा मत करो । अचानक उसका गला रुंध गया । सच बताऊँ तो मुझे खुद नहीं मालूम कि मुझे क्या हुआ है । कुछ नहीं हुआ तो मैं मेरे स्वर्का, कम्पन और बढ गया । नौटंकी कर रही है तो हर किसी से अपनी बात मनवा लेने का अच्छा तरीका है तुम्हारा संजय चलो यही सही ऐसा हो सकता है । हम तो मैं मना भी नहीं कर सकते । ऐसा सोचने से मैं खामोश हो गया । मेरे पास और कुछ नहीं था कहने के लिए । मैं मोबाइल को देर तक कान पर्स उम्मीद लगाए रखा था । शायद वो कुछ कहेगी, अच्छा फोन रखूं । थोडी देर बाद उस ने कहा बेशक रख सकती हूँ मैं बडा मैं कौन होता हूं मैं रोकने वाला हम तो वही करोगी ना जो तुम चाहोगी कोई क्या सोचता है क्यों सोचता इससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पडता फॅस संजय वो बडी आती हूँ बोलो कहानी कहीं भी अपने घर मेरे को मैं आ रही हूँ ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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