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मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 36 in Hindi

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Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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कॉलेज से लौटकर मैं अपनी साइकिल खडी कर रहा था तभी मुझे ऐसा सुबह के मेरे पीछे कोई है छोडकर देखा पीछे खुशबू खडी थी अच्छाई नजर मिलाते हैं वो मुस्कुरा पडी तो इस वक्त अचानक उसे वहाँ देखकर में चौक पडा क्यों नहीं होना चाहिए था? नहीं मेरा वो मतलब नहीं था अपने शब्दों को मैंने समय क्या, उसने आगे कुछ नहीं कहा । ऊपर आओ साइकिल पर ताला लगाकर सीढियों की ओर बढते हुए मैंने कहा नहीं मैं जल्दी में हूँ ऊपर नहीं पाओंगे ऊपर नहीं होगी । पलट कर उसकी और देखा फिर क्यों आई थी मम्मी का संदेश लाई थी उन्होंने आपको बुलाया है वो उसके लिए तो तुम फोन भी कर सकती थी । फिर अचानक जब उसके शब्दों पर ध्यान गया तो मैं हर बडा उठा क्या था तो मैं तुम्हारी मम्मी ने बताया मुझे जो हूँ मेरे इस तरह हडबडाने पर वो अपने हसते हुए वोटों को अपनी हथेलियों में छुपा लिया । बोली ऍसे पूछ लेना लेकिन यू अकस्मात अब सारे सवाल आप यही कर लेंगे घर तो ये कहती हुई वह बिजली की रफ्तार से पीछे की ओर बडी और हाँ पहुंचाना ठहरी जरा जल्दी आइयेगा अभी हम चलते हैं वो अपनी आदत के मुताबिक हस्ती खिलखिलाती हुई फिर लौटकर मैं ऊपर आया नहाया कपडे बदले और खुशबू के घर के लिए निकल पडा है उसके घर पर मैं कोई घंटा बैठा रहूंगा । उस दौरान काफी बातें होती रही । कई सवाल भी उठे । मसलन आपके पिताजी क्या करते हैं? मैंने साफ तौर पर कह दिया वो मेरे लिए मर चुके हैं । मेरी बचपन से ही गुजर गई थी इसलिए समझे अब मैं अकेला हूँ । इस दुनिया में पिता से नाराजगी का कारण मैंने बताने से साफ इंकार कर दिया । वो लोग अच्छा भर मेरे जज्बातों को टटोलते रहे । हर मुद्दे को एक नया मोड देते हुए पूछा सरकारी कब की रखने आप जब चाहे कहते हुए मैंने खुशबू की और देखा वो धीरे से उसका पडी ।

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सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
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