Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 35 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

मेरी अर्धांगनी उसकी प्रेमिका - 35 in Hindi

Share Kukufm
7 K Listens
Authorराजेश आनंद
सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
Read More
Transcript
View transcript

अगले दिन में कॉलेज गया मगर साइकिल से बाइक ले जाने की हिम्मत नहीं पडी । दिल घबराया हुआ था आपने पहले दिन ही इसी बाइक ने मुझे किस मोड पर लाकर खडा कर दिया था । मैं जो भी कॉलेज की सीमा में दाखिल हुआ, एक मुझे साइकिल रोकने बडी प्रिया कर मेरे सामने खडी हो गई हूँ और यहाँ गेट के पास इसका इंतजार कर रही हूँ । तुम्हारा वो भरी भरी आंखों से मुझे ऐसे निहारा जैसे मैं वर्षों बाद किसी काम से लौटा हूं । बेहद कमजोर सफर में बोली पूछ रही थी तुम आओगे भी की नहीं । प्रिया का ये एक नया रूप था । उससे पहले मैंने उसे इतना मायूस कभी नहीं देखा हूँ । मैंने कहा तो अपने आंसुओं को थामते हुए मेरे पीछे पीछे चल रही है । अभी हम दस कदम चल जी की अचानक वो ठीक थक गई । क्या हुआ? मैंने पूछा तो अभी साइकिल खडी कर क्या है? मैं कक्षा में चलती हूँ । ऍफ बडे मैंने गौर किया शायद वो अपने आंसू नहीं संभाल पा रही थी । उन्होंने दुपट्टे में पहुंचते हुए अचानक कक्षा की और भागने लगे । मैंने भी नहीं रोका । कक्षा में पहुंचा तो एक कई आवास कूच पडी थी । किसी ने कहा था अरे संजय भाई उस दिन की दोपहर के बाद गायब हुए तो तीन चार दिन देखे भी नहीं रहा थे तो कहीं से आवाज आई । कहाँ हो गए थे संजय जी? कुछ ने कहा संजय उधर कहाँ जा रहे हो जरा? हम सभी तो मिल तो इस तरह कई आवाजों को अनसुनी करता हुआ मैं सीधे प्रिया के पास पहुंच गया । एक में इसका सहारा लिए हुए वह खडी एक तक मेरी और देखे जा रही थी । उस वक्त हर किसी की निगाहें हम पट की थी । इस बात का प्रिया को बिल्कुल अहसास नहीं था । मैं चलते शर्माते हुए जाकर उसके पास खडा हो गया । फिर हम देर तक खामोश रहे । सिंह जी उसके आवाज की खनक से अकस्मात है । हम दोनों के बीच की खामोशी टूट कर बिखर गई । क्यूँकि हंसी के साथ को बोले एक शायरी पडने का मूल्य पर हूँ । संजीत में लगता है कि क्लास के किशोर शायरी का माहौल है तो पीछे बगीचे में चले । वैसे भी कक्षा शुरू होने में भी काफी वक्त है । ठीक है, हमने अपना बैग उठाया और कॉलेज की इमारत के पीछे बने बागीचे में चले गए । पास लगी बेंच परफॅार्म मैंने उसकी और देखा था । अब चुनाव उसमें भरपूर लिखा से मेरी और देखा । फिर होली लंबा लंबा वक्त गुजर जाएगा । हाथों से किसी का दामन छूट जाएगा । अभी वक्त है दो बातें कर लीजिए । हमें पता है आपकी जिंदगी में कल कोई और आएगा । उसकी अल्फांस मेरे कानों से टकरा है तो मेरी आंखों में आंसू छलक पडे । थोडी देर तक बिना कुछ कहे उसकी आंखों से एक तक देखता रहा तो मेरी आंखों में क्या देख रहे हैं? वो शर्मा गई । कुछ खोज रहा हूँ मैं । क्या वो असहज हो गई? मैंने नजरें नहीं हटाई । एक बात बताओ क्या? मैंने पूछा खाना उस टॉपिक गर्दन झुकानी, तुम्हें उससे प्यार हो गया ना? क्या क्या कहा तो वो ऐसे पेश आई जैसे उसमें कुछ सुना ही ना हो । मैंने अपने शब्दों को दोहराया नहीं, बस उसके चेहरे पर बनती बिगडती लकीरों को देखता रहा हूँ । थोडी देर तक खामोश बैंक पर अपनी उंगलियों से कुछ लिखने का प्रयास करती रहीं । फिर एक का एक लंबी सौ से बढते हुए भावुक हो गई । बोली संजय अगर करती भी होगी तो उसका कोई मतलब नहीं है । जिंदगी के दोनों छोर बहुत आगे निकल गए हैं । दिया मैंने पुकारा, उसने नजर नहीं उठाई । एक काम करो कि संजय चप्पलों की खामोशी के बाद उसने मेरी और देखा । अगर हम तुम्हारे प्यार में कभी कमजोर पर जाएँ, तुम्हारे सामने गिर गिर जाए तो उसे अपने प्यार मांगे । मगर तुम कमजोर मत पडना । खुशबू हमारी दोस्त है, अच्छी लडकी है उसे हमारी कभी मच्छू ना हम जानते हैं वो तुम से बहुत प्यार करती है । शायद हम से भी ज्यादा प्रिया की बातें वैसे भी मुझे कुछ काम ही हो जाती हैं । पता नहीं वो और मेरा दोस्त राज कौनसी किताबे पढते हैं । उसकी बातें सुनकर कुछ देर के लिए मैं बदहवास उसकी और देखता रहा । एक बात और कहीं संजय बुरा तो नहीं मानोगे । थोडी देर तक चुप रहने के बाद वह उन्हें कहने लगे, मुझे बचपन से ही उपन्यास पढने का शौक रहा है । मैंने बहुत चली खूब पडा है । केआरके मसले में सब ने एक ही बात लिखी है । प्यार वो जज्बात हैं जो आंखों से शुरू होकर दिल में उतर जाता है । मैं बचपन से ही लडकों के साथ नहीं हूँ । मगर मैं आज तक किसी भी लडकी के साथ ऐसा महसूस नहीं किया जिससे मैं बिहार कह सकता हूँ और सच कहूँ तो तुम भी उन्हीं में से थे । शायद इसलिए मुझे कभी फर्क नहीं पडा कि मेरे घर वाले मेरी शादी कहाँ कर रहे हैं? मैं सोचती थी कि जिंदगी ही तो जानी है, कहीं भी गुजार लेंगे और संघीय सच भी है । एक बार बच्चे हो गए । फिर कहा याद रहता है कि आपके बाप में आपको किसकी सांत्वाना दिया है । जिन बच्चों को अपने अपने गर्भ से पैदा किया, फिर वही आपकी पूरी दुनिया बन जाते हैं । फिर किसी लडकी के लिए क्यों बिना वजह परिवार को दुखी कहना वहाँ गई है? मेरे पास उन की बातों का कोई जवाब नहीं था । मैं चुप रहा । माॅस् वो बिना रुके अपनी बात जारी रहेंगी । मुझे प्यार का पहला एहसास कब हुआ? जब तुमने मेरे शरीर को छुआ, उसी झकझोरा हर रिश्ते से दूर सिर्फ एक लडका बनकर मुझे किसी की बहन या बेटी नहीं बल्कि सिर्फ एक लडकी होने का एहसास कराया । लेकिन क्या है? तो मैं तो कहा था कि वो तुम्हारी नादानी की कीमत थी । हाँ संजय वो सच था मगर आधा भेजा लाश की तरह ढांचो सीट पर बैठ गई । बोली बाकी आधा सच मुझे वह कीमत चुकाने के बाद पता चला तब जब मुझे तुमसे प्यार हो गया गया । अचानक मेरे दिल की धडकनें बढ गई । उसके झुकते मैंने कहा तुम जानते हो ना कि मेरे और खुशबू के बीच क्या है और उसे मैं दूसरी डी तू बनाने के लिए तैयार नहीं होगा । तुम घबराओ नहीं संजय अब हम लौटकर तो भारी और खुशबू के बीच नहीं आने वाले हैं । सुधाकर से शादी करके हम दिल्ली चले जाएंगे और फिर वहीं बस जाएंगे । उसकी आंखें एक बार फिर चला । बडी तो क्या होगी? तो हम तुम्हारे दोस्त बने रहेंगे । पढना उस हक को भी खुशी खुशी छोड देंगे । लेकिन मानव हमारा दिल बहुत बडा है । आखिरी शब्दों में तो वोटों पर एक रूम किसी मुस्कान तैर पढेंगे नहीं प्रिया दोस्ती का हक छोडने के लिए मैं तो कभी नहीं करूँगा । चलो अच्छा है । संजय इतना तो हक दे रहे हो गया है । मैं हर उठा वो पल सचमुच अकल्पनीय थे । मैं अब जब डायरी लिख रहा हूँ तो समझने की कोशिश कर रहा हूँ । उस वक्त मैं इसके बारे में ज्यादा सोच रहा था । रिया के बारे में या फिर पशु बहुत मेरे दिल के करीब ॅ अचानक उठकर खडी हो गई । पुराने अंदाज मेरा हाथ पकडकर खींचते हुए बोली चलो नहीं बाहर बैठते हैं । जैसे ही हमारी निगाहें टकराई उसने झटके से मेरा हाथ छोड दिया । क्या हुआ मैं चौंक पडा । कुछ नहीं उससे नजरे झुका ली और बोली गलती से हमने तुम्हारा हाथ पकड लिया । भूल गई थी कि अब हम से दोस्त है तो मुझे गुरेज गुरेज करो ला रही हूँ । प्रिया अचानक नहीं आपको बाल पडी । मैंने उसके हथेलियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और बोला दोस्ती की सीमाएं कितनी भी सिमटी हुई नहीं होती है कि तुम मेरा हाथ भी नहीं कर सकते हो । मेरी आवाज मेरे गले में घुसने लगे । कहीं तो मुझे किसी बात का ऐसा तो नहीं दिला रही हूँ अहसास पुरवासी नजरों से मेरी और देखी बोलिंग कैसी पागलपन की बातें कर रहे हो तुम? संजय हम तुम्हें कौन सा है साल दिलाएंगे आज सच यह हैं की हम खुद एक अहसास बनकर रह गए हैं । उसकी आंखें आंसुओं को संभाल नहीं पाई । पानी का नाम ना खतरा । उसके गानों तक सडक आया । कहने लगी हम ठीक ही कह रहे हैं लेकिन संजय एक बात मानों कि हमारी आप बोलो । मैं हीरो था हम दो सेना ये हक कब से कभी मच्छी ना हो? कभी नहीं और तुम्हारे हाथ पकडने का अधिकार भी है । नहीं संजय हम इतने खुदगर्ज नहीं है । अम् रिश्ते की हद समझते हैं । कहते हैं एक का एक उसके होठों पर मेरा भरी मुस्कान तैर बडी अपनी बात को जारी रखते हुए बोलिए प्यार इंसान को उतना ही सीखा देता है जितना नफरत उससे छीन लेता है । इसलिए अब समझदार हो गए हैं । मैं समझ नहीं पा रहा था कि भाई क्या करूँ । खुद रूम जो उसे समझाओ कितनी पागल सी बन चुकी थी वो दोस्ती की सीमाएं समेटकर उसने उसे कितना छोटा बना दिया । मैं एक झटके से उसे अपनी और खींचा और अपनी छाती से चलता लिया । फिर इतना दबाव इतना दबाव की जैसे मुझे खुद भी सामान लेना चाहता हूँ मेरे दिल में उस वक्त उसके लिए सिर्फ प्यार ही प्यार था ना उससे बता देना चाहता था कि ये सीमाएं तो वहाँ तक हो सकती हैं । तो थोडी देर तक मेरी बाहों में ऐसे पिसती रही जैसे से सारी दुनिया मिल गई हो । फिर हो हमला तो छटपटाकर वो चीज पडी सिंह जी हमें छोडो किसी और की अमानत है हम ऍम ढीला पडा तो झटके से अलग हो गई । कुछ दिनों तक हम एक दूसरे की और देखते रहे । फिर वो भरे मन से बोली संजय अगर तुम हमें इतना अधिकार दे दोगे तो हमें मोहब्बत हो जाएगी । तुम से फिर ये मत कहना कि हम खुशबू की जगह लेने की कोशिश कर रहे हैं । क्या मन ही मन में तडप उठा कॅश तुम्हारी सगाई ना हुई होती । काश मैं तुम्हारे लिए एक और खुशबू को कुर्बान कर पाता ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

सूरज एक ही है जो सफर पर है मगर सूरज को सुबह देंखे तो ऊर्जावान, दोपहर में तपता हुआ और शाम को अस्तित्व खोता हुआ दिखता है, स्त्री भी कुछ ऐसी ही है। हालात मेरे पक्ष में हो तो वफ़ा, ममता और त्याग की मूर्ति, विपक्ष में हो तो कुलटा, वेवफा, कुलनाशिनी... ऐसे ही पता नही कौन कौन से शब्दों में तरासा जाता है उसे? स्त्री के जीवन को पुरुष के इर्द गिर्द इस हद तक समेट दिया गया है कि कभी कभी लगता है उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व ही नही है। ऐसी ही प्रेम, त्याग, कुंठा, विवाह और तलाक के भंवर में खुद को तलाशती तीन स्त्रियों का की कहानी है मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका! जो एक पुरुष के साथ अस्तित्व में आई और उसी के साथ कहीं गुम हो गयी। Voiceover Artist : Ashish Jain Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Rajesh Anand
share-icon

00:00
00:00