Made with in India
अध्याय साथ मेरी शादी हैं । हलो हाँ जी कौन? आप कान जी आपने फोन किया है? आप बताओ आप कौन जी? मैंने फोन मोहित भैया को क्या है? क्या मेरी बात मोहित भैया से हो सकती है? जी बिल्कुल आप कौन बोल रहे हैं जी मेरा नाम पंकज है । अच्छा तो आपका जो नमस्कार पंकज जी नमस्कार जी माफ कीजिए । मैंने आपको पहचाना नहीं आपको जी मैं आपके मोहित भैया की धर्म पत्नी और आपकी भाभी बोल रही हूँ । मुझे मोहित जी ने आप के बारे में बताया था । भाभी ये क्या मजाक है? कौन है? पंकज ने थोडा गुस्से में कहा पंकज जी वो समझ करो । मोहित जी बाजार गए हैं और उनके आते ही मैं उनसे आपकी बात करवा दूंगी । जी, वो तो ठीक है लेकिन आप सच सच बताओ आप कौन हैं? मजाक मत करो । उनका जी में मजाक नहीं कर रही । मैं आपके मोहित भैया की धर्मपत्नी देखिए । आप जो भी बोल रही हैं मुझे नहीं पता । लेकिन कृपया जब भी मोहित भैया आए मेरी उनसे बात जरूर करवाना । मैं इंतजार करूंगा जी बिलकुल । जब भी आप के मोहित भैया आएंगे, मैं आपकी बात करवा दूंगी । जरा एक मिनट रुको तो वही आ गए हैं । आप जरा उनसे बात कर लूँ । जी ठीक है, मैं इंतजार करता हूँ । आप मेरी बात करवाई उनसे कुछ देर बाद हेलो पंकज हो गया । ये मैं क्या सुनाऊँ? आप ने शादी कर ली और मुझे बताया भी नहीं । ठीक है कोई बात नहीं । हम को कौन याद करता है? काम काज तुम्हारा गुस्सा करना जाए । मैं तो मैं गलत नहीं मानता । मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ, लेकिन जिन परिस्थितियों में मैंने शादी की है, अगर तुम उनके बारे में सुनोगे तो तुम भी मुझे दोषी नहीं मानेंगे । क्या हुआ? ऐसे भी क्या वजह थी कि आपने मुझे बताना भी ठीक नहीं समझा । इसके बारे में मैं तो मैं इसके बारे में मैं तुम्हें फोन पर नहीं बता सकता है । तो जितना जल्दी हो सके मेरे पास आ जाओ । मैं नहीं आ सकता क्यों क्या हो गया लगता है अभी भी मेरे साथ गुस्सा हो । मैंने अपनी गलती मान ली है और इस गलती के लिए कितनी बार तुमसे माफी मांगी लेकिन तुम भैया गलत समझ रहे हैं । मैं इसलिए आपके पास नहीं आ सकता क्योंकि इसके लिए पिताजी नहीं मानेंगे तो मैं इस बात की चिंता मत करो तो मेरे पास आने की तैयारी करो । तुम्हारे पिताजी से मैं बात कर लेता हूँ । अगर ये बात है तो आप अभी पिताजी को फोन करो और उन्हें मुझे आप के पास भेजने के लिए कहूँ । मैं अभी इसी समय आपके पास आने के लिए रवाना होने मैं अभी इसी समय आपके पास आने के लिए रवाना हो जाता हूँ और मैंने तुरंत पंकज के पिता जी को फोन लगाया और उन्हें सारी बात बताई । मैंने उनसे पंकज को मेरे पास आने की इजाजत मांगी । पंकज के पिता ने तुरंत ही हाँ कह दिया और पंकज को मेरे पास भेजने के लिए राजी हो गए । पंकज भी बिना समय गवाएं मेरे पास आने के लिए तुरंत रवाना हो गया क्योंकि हम दोनों का शहर कुछ ही घंटों की दूरी पर था इसलिए आने में ज्यादा समय नहीं लगा । पंकज आते ही मेरे ऊपर गुस्सा करने लगा । ये क्या भैया, आपने तो मुझे पराया समझ लिया । आपने मुझे अपनी शादी के बारे में बताया भी नहीं । ये तो मैंने अचानक से आप को फोन किया और फोन भाभी ने उठा लिया । पहले तो मैं हैरान परेशान हो गया कि आपके घर से ये कौन बोल रहा हूँ । मैंने सोचा हो सकता है आपका कोई रिश्तेदार हो जो मेरे साथ मजाक कर रहा है । मुझे उनकी कही बातों पर यकीन नहीं आ रहा था क्योंकि मैं ये सोच भी नहीं सकता था कि आप मुझे बिना बताए शादी कर लेंगे । खैर कोई बात नहीं अब आप बताइए ऐसी भी क्या मजबूरी थी की आपको इतनी जल्दी शादी करनी पडी हो? पंकज मेरे पिताजी को दिल का दौरा पडा था और वो अस्पताल में दाखिल थे । उनकी इच्छा थी कि वह मरने से पहले मेरी शादी देख लें । इसलिए पिताजी की इच्छापूर्ति के लिए मुझे अपनी शादी का फैसला जल्दबाजी में लेना पडा हूँ । अब अंकल जी का है । फिलहाल तो पिताजी अस्पताल में ही है लेकिन अब उनकी हालत में कुछ सुधार है । डॉक्टरों के अनुसार एक या दो दिन में हम उनको छुट्टी दे देंगे । अब तो आपको अपने भैया से कोई गिला शिकवा नहीं आना । पंकज भैया मेरी पत्नी ने पंकज से कहा नहीं बिल्कुल नहीं भाभी जी । लेकिन मुझे एक बात बताइए कि आप मेरे बारे में कैसे जानती हैं । वो इसलिए क्योंकि आपके भैया ने मुझे आप के बारे में पहले ही बता दिया था । उन्होंने ये भी बता दिया था कि आपका फोन आएगा और वह मुझ पर बहुत गुस्सा करेगा । भाभी जी गुस्सा भी तो अपनों से किया जा सकता है । जहरों से क्या गुस्सा करना ये भी ठीक है? पंकज एक बात तो बताओ । मैंने पंकज से कहा बोलो भैया क्या बात है? पंकज मैं काफी देर से देख रहा हूँ तो मैं हकलाहट की समस्या बहुत कम हो रही है । इसका क्या राज है? क्या तुम अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए कोई दवाई वगैरह ले रहे हो? नहीं भैया जी ऐसी कोई बात नहीं । मैं इसके लिए कोई दवाई नहीं ले रहा हूँ । हाँ, मैं अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए एक शिखा नाम की औरत के पास जरूर गया था और उन्होंने मुझे हकलाहट की समस्या संबंधी कुछ दिशा निर्देश दिए । उनके बताए दिशा निर्देश का पालन करके मैं अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पाने की कोशिश कर रहा हूँ । वहाँ ये तो बहुत अच्छी बात है भैया जी! सच बताना क्या आपको लगता है कि मेरी हकलाहट की समस्या पहले से कम हुई है? हाँ, सच में मैं झूठ नहीं बोल रहा तो तुम्हारी हकलाहट की समस्या पहले से बहुत कम हो गई है । अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो मुझे कैसे पता चलता? कितना समय हो गया है तो मैं अपनी हकलाहट की समस्या पर काम करते हुए बढिया जी अभी ज्यादा समय नहीं हुआ अभी तो कुछ दिन हुए हैं । वह सच कहूँ तो महसूस नहीं होता हूँ तो मैं कभी अगला हट की समस्या थी । सिर्फ कुछ कुछ जगह पर तुम्हारी हकलाहट की समस्या महसूस होती है । अब वैसे ही मेहनत करते रहूँ देखना एक दिन आएगा तो अपनी हकलाहट की समस्या पर पूरी तरह से काबू पालोगे पंकज मेरे पास दो दिन रहा हूँ और इस दौरान हम दोनों में उसकी हकलाहट की समस्या को लेकर ही बातें होती रहीं हूँ । शिवकांती से मिलने के बाद पंकज ने अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए शिखा आंटी से मिलने के बाद पंकज ने अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए दिन रात एक कर दिया । वो शिखर आंटी के दिए दिशा निर्देशों पर चलकर अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने की कोशिश करने लगा । समय बीतता गया और उसने कुछ ही महीनों में अपनी हकलाहट की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया था । उसने अपनी दिनचर्या में काफी बदलाव कर लिया था तो सुबह पांच बजे के आस पास हो जाता है और जिम में जाने की तैयारी करने लगता हूँ । उसके बाद सात बजे के आस पास जिम से वापस आकर नहाने और तैयार होने के लिए अपने कमरे में चला जाता । कमरे में बैठ कर वह शिखा आंटी के दिए दिशा निर्देशों के अनुसार किताबें पडता और कुछ देर आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करता हूँ । फिर वो कॉलेज जाने के लिए तैयार हो जाता है । कॉलेज से वो दोपहर दो बजे के आस पास वापस आता और आकर अपने पिताजी की दुकान में बैठकर उनका हाथ बटा था । शाम को वो अकेला ही बाहर घूमने निकल जाता है और बाहर जाकर वहाँ अजनबी लोगों से बातें करता है । वह कुछ समय घर के सामने बने पार्क में बिताता और वहां बैठ कर फोन पर विभिन्न विभिन्न कंपनियों के ग्राहक देखभाल अधिकारियों से बात करता हूँ और रात को खाना खाकर सो जाता । इस प्रकार की दिनचर्या नहीं उसकी हकलाहट की समस्या को काफी कम कर दिया था जिससे उसका आत्मविश्वास और भी बढ गया और वह पहले से ज्यादा खुशमिजाज और चिंता मुक्त रहने लगा हूँ । वो अपनी माता की बेवजह डांट की भी ज्यादा परवाह नहीं करता हूँ और ज्यादातर समय उनसे दूर रहने की कोशिश करता हूँ । समय बीतता गया मेरी शादी को अभी चार साल का समय हो गया था, लेकिन अभी तक हमें औलाद का सुख प्राप्त नहीं हो सका । इन चार सालों के दौरान मैंने अपने जीवन में कई उतार चढाव देखे । मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई और मैं अकेला पड गया । घर में मैं, मेरी पत्नी और मेरी माताजी रहते थे । मैं सारा दिन नौकरी करता और शाम को घर वापस आ जाता । औलाद न होने के कारण मुझे अपने रिश्तेदारों और निकट संबंधियों के ताने झेलने पडते । हालात प्राप्ति के लिए हमने कई डॉक्टरों से इलाज करवाया । यहाँ तक कि हम दोनों ने अपना डॉक्टरी मुआयना भी करवाया । हम दोनों में से किसी को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं थी लेकिन इसके बावजूद भी हमें औलाद का सुख प्राप्त नहीं हो रहा था । शायद इस वजह से मेरी पत्नी ईशा के स्वाभाव में काफी तब भी लिया चुकी थी । वो गुस्सैल और झगडालू हो गई थी । वह बात बात पर झगडा करती थी और हर समय मुझे ही कसूरवार मानती । वह जल्दबाजी में हुई हमारी शादी का कसूरवार मेरे मामाजी को मानती जिस वजह से वो मेरे मामा जी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी । एशिया के इस रवैये के बारे में मैंने कई बार उसकी माँ से बात की, लेकिन उसकी माँ भी उसको समझाने के बजाय उसी का साथ देती और बातों बातों में वो इसका सारा दोष और बातों बातों में वो इसका सारा दोष उनकी जल्दबाजी में हुई शादी को देती हूँ । जिस वजह से मैं अपने घर में होने वाले झगडे का जिम्मेदार अपने आपको मानने लगा और मुझे इस बात का पछतावा होने लगा कि मैंने अपने पिताजी के कहने पर जल्दबाजी में शादी क्योंकि लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था । अब पछताने का कोई फायदा नहीं था । एक दिन में पंकज के घर गया आप भैया जी क्या हाल है? स्वागत है आपका और चुनाव? पंकज सब ठीक था जी भैया जी सब बिल्कुल ठीक हूँ, आप सुनाइए कैसे आना हुआ? क्यों भाई मैं नहीं आ सकता । नहीं भैया जी मेरे कहने का ये मतलब नहीं था । आप अकेले आए हो । भाभी जी को साथ नहीं लाये क्यों भाई मैं अकेला नहीं आ सकता हूँ क्या मेरे अकेले आने की मना ही है? नहीं नहीं भैया जी आप ही का तो कर रहे हैं । वैसे भाभी तेरी मायके में गई हुई थी । मैं घर में अकेला था । दिल नहीं लग रहा था तो सोचा पंकज से मिल लूँ हम बहुत देर तक बातें कर रहे थे । बातें करते करते कब रात हो गई, पता ही नहीं चला । मैंने पंकज के घर में ही रात रुकने का फैसला किया । पंकज एक बात बोलूँ सच सच बता ना पूछ भैया जी क्या बात है क्या तुम बियर पीते हो? नहीं लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? क्योंकि मैं पीता हूँ । वीआईपी ने बाहर चले तो भैया जी मैंने कभी बीयर नहीं थी और ना ही में पीना चाहता हूँ । अगर आप ने बीजेपी नहीं है तो मैं आपके साथ चल सकता हूँ । तो मैं मैंने कौनसा बीयर पीने को कहा है तो मेरे साथ तो चल सकते हो ना । हाँ भैया जी मैं आप के साथ जरूर चल सकता हूँ तो चलो । कुछ समय के बाद हम नजदीकी रेस्ट्रॉन्ट में बीयर पीने के लिए चले गए । पंकज बियर नहीं पीता था । वो मेरे पास बैठ गया । मैं बीयर पीने लगा और बीयर के नशे में पंकज से बातें करने लगा । पंकज यार आज मैं अपने दिल की बात तुमसे कहना चाहता हूँ यार मैं बहुत परेशान हूँ क्या हो गया भैया जी क्या परेशानी है मुझे बताओ । पंकज यार मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर बहुत परेशान हो । जब से मेरी शादी हुई है । मेरी जिंदगी नर्क के समान हो गई । मैं बिल्कुल अकेला पड चुका हूँ । मेरा ना तो कोई भाई है ना कोई बहन और न ही मेरा कोई दोस्त जिससे कि मैं अपने मन की बात कह सकता हूँ । आज मन बहुत उदास था, परेशान था तो मुझे तुम्हारी याद आई और मैंने सोचा की मैं तुम्हारे साथ बैठ कर बात करके अपना मन हल्का कर लूँ । क्या हुआ भैया जी ऐसी क्या परेशानी है? मुझे भी बता हूँ । शायद मैं इसमें तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूँ । पंकज मैं जानता हूँ कि तुम इसमें मेरी कोई मदद नहीं कर सकते हैं । लेकिन फिर भी मैं तुमसे बात करके अपना मन हल्का करना चाहता हूँ । शायद तुम मुझे कोई सलाह मशविरा दे सको । शादी के कुछ सालों तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा लेकिन पता नहीं बाद में तेरी भाभी यानी ईशा को क्या हो गया । उसके स्वाभाव में अचानक से तब्दीली आने लगी । मैं सारा दिन नौकरी करता और थका हारा । शाम को घर वापस आता तो आते ही मेरे ऊपर बरस पडती है । वो किसी ना किसी वजह से मेरे साथ लडाई झगडा करने लगती हैं । पर क्यों भी ऐसा क्यों करती थी? उसके अनुसार उस की शादी बहुत ही जल्दबाजी में हुई थी । उसने अपनी शादी में अपने सारे शौक पूरे करने थे । लेकिन अचानक से शादी होने की वजह से आपको अपने शौक पूरे नहीं कर सके । इस बात को लेकर हमेशा मुझे ही दोष देती रहती है । लेकिन भैया ये तो लडाई करने की कोई वजह नहीं हुई । पंकज मैं जानता हूँ ये लडाई करने की कोई वजह नहीं है । लेकिन अब उस औरत को कौन समझाये तो हर समय किसी ना किसी बात पर मुझसे झगडा करती है । जिस वजह से मेरी जिंदगी नरक के समान हो गई थी । लेकिन अब ठीक है अब ठीक है अब ठीक कैसे? क्या मतलब है आपका? क्या भाभी के स्वभाव में तब्दीली आ गई? नहीं ऐसी कोई बात नहीं, उसका स्वभाव वैसा का वैसा ही है । तो फिर फिर क्या आपने अभी बोला ना? अब ठीक है, आपकी कहने का क्या मतलब है? अब मैंने उससे तलाक लेने का फैसला कर लिया है । हम अभी घटना नहीं रह सकते हैं । क्या आप क्या बात कर रहे हो? आपको ऐसा नहीं करना चाहिए । आप जल्दबाजी में फैसला ले रहे हैं और जल्दबाजी में लिया गया फैसला ठीक नहीं होता । पंकज यह बात तो तुम भी मानते हो ना कि जल्दबाजी में लिया गया फैसला ठीक नहीं होता तो जल्दबाजी में लिया गया मेरी शादी का फैसला कैसे ठीक हो सकता था । मेरी शादी का फैसला भी तो जल्दबाजी में लिया गया था । भैया जी वो परिस्थिति अलग थी और ये परिस्थिति अलग है । दोनों परिस्थितियों में काफी फर्क है । आप तलाक जैसा अपने जीवन का सबसे बडा फैसला लेने जा रही हूँ । इस पर कुछ देर सोच विचार कर लो । पंकज तुम जो कह रहे हो बिलकुल सही कह रहे हैं । लेकिन जिन परिस्थितियों में मैं निकल चुका हूँ उनके बारे में सिर्फ मैं ही जानता हूँ । मैंने चार साल उस औरत के साथ बिताए हैं और मुझे पता है कि वह कैसी है, उसका स्वभाव कैसा है, उसकी मानसिकता कैसी है । अब उसका स्वभाव मेरे बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था । इसलिए अभी परसों ही मैंने उसे उसके मायके में भेज दिया और तलाक जैसा बडा फैसला लेने का निर्णय किया । भैया जी आपके इस फैसले पर भाभी के मायके वालों की क्या प्रतिक्रिया है? पंकज अभी मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता । अभी तो मैं सिर्फ उसे उसके मायके में छोड कर आया हूँ और उन्हें ये बोल कर आया हूँ कि अब हम दोनों ने इकट्ठा नहीं रहना है और मैं जल्दी आपको तलाक का नोटिस भेज दूंगा । ऐसे उसके पिता का तो पता नहीं लेकिन उसकी माँ तो यही चाहती थी । आपके कहने का क्या मतलब है? क्या भाभी की माँ ये तलाक जैसा निर्णय चाहती थी, जरूर चाहती होगी । आप ये कैसे कह सकते हैं अगर वो ना चाहती अगर वो ना चाहती होती तो हमारे शादीशुदा जीवन में दखलंदाजी ना करती । जब भी हमारी कभी लडाई हुई है तो मैं शिकायती लहजे से उसकी माँ से बात करता हूँ । उसकी माँ उसको समझाने के बजाय उल्टा उसी का साथ देती है भैया वैसे तो मैं आपसे बहुत छोटा हूँ लेकिन अगर मेरी बात मानो तो अपनी जिंदगी में ये तलाक जैसा फैसला जल्दबाजी में मतलब हूँ । भाभी मायके में है । कुछ देर उन्हें मायके में रहने तो हो सकता है की आप से दूर रहकर उन्हें आपके प्यार का एहसास हो । वो आपसे बिछडने का डर संसद वो आपसे वो आपसे बिछडने का दर्द समझ सकें और हो सकता है कि समय बीतने के साथ साथ उनके स्वाभाव में कुछ तब भी लिया जाए । आप दोनों ने चार साल का समय घटना बता है और इन चार सालों में कोई समय तो ऐसा होगा जब उन्हें आपसे सच्चा प्यार हुआ होगा । मेरे जीवन में सब कुछ सही हो सकता है तो हमारी भावी वापस आ सकती है और वह बिना किसी लडाई झगडे के अच्छे से मेरे साथ रह सकती है । बस उसकी माँ की दखलंदाजी हमारे जीवन में ना हो । भैया जी जो बीत गया उसके बारे में मत सोच हूँ । अब जो आने वाला समय है आप उसके बारे में सोचता हूँ । मेरी मानो तो आप भाभी को कुछ समय तो हो सकता है । समय के साथ साथ उनका स्वभाव बदल जाए और उन्हें अपनी गलती का एहसास हो जाएगी । आप उन्हें अपने मायके में ही रहने दो । और हाँ, अगर आपने तलाक का केस करना है तो आप कर सकते हो लेकिन आप तलाक लेने जैसा निर्णय कभी मत लेना । तो ये कैसी बात हुई कि मैं तलाक का निर्णय नालू लेकिन तलाक का केस कर दूँ । ये तुम क्या कह रहे हो? मैं बताता हूँ आप उन पर तलाक का केस कर दो और केस क्या है? केस तो चलता ही रहता है । उसके इसको थोडा लम्बा खींच लो । एक साल, दो साल, तीन साल या दस साल तक आप उसको लम्बा खींच लू लेकिन तलाक लेने का निर्णय मतलब आप देखना समय के साथ साथ भावी को अपनी गलती का ऐसा जरूर होगा और जिस दिन उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा तो आप के पास जरूर वापस आएगी । लेकिन मैं तलाक को लम्बा कैसे खेल सकता हूँ? मैंने सुना है कि जब भी हम तलाक का केस दाखिल करते हैं तो कोर्ट छह महीने का समय देता है और इस समय के दौरान अगर दोनों में कोई सुलह वगैरा नहीं होती तो तलाक हो जाता है भैया आज के समय में सब कुछ मुमकिन है । आप शायद मेरा इशारा नहीं समझता हूँ । आपका वकील चाहे तो कुछ भी हो सकता है । खैर चलो देखते हैं क्या होता है वैसे तुम्हारी बात में दम है तो जो कह रहे हो सही कह रहे हो तुम्हारी बात पर विचार किया जा सकता है । अब मेरी बात छोडो अब तुम अपने बारे में बताओ क्या चल रहा है? आजकल क्या कर रहे हो और तुम्हारे गाने का रियाज कैसा चल रहा है? भैया जी मेरी बी ए की पढाई तो पूरी हो गई है और मैं अपना ज्यादातर समय पिताजी के साथ दुकान में ही बताता हूँ । गायन के रियाज की बात करें तो गायन का रियाज बिलकुल ठीक चल रहा है । हाँ, ये तो ठीक है और तुम्हारी हकलाहट की समस्या ये तो आप देख ही रहे हैं कि मेरी हकलाहट की समस्या काफी हद तक कम हो गई है । ये तो बहुत अच्छी बात है । यानी अब तुम्हें कभी भी हकलाहट की समस्या नहीं होती । नहीं ऐसी कोई बात नहीं । मुझे कभी कबार हकलाहट की समस्या का सामना करना पडता है । मैं जब भी कभी चिंता में होता हूँ या कभी किसी परिस्थिति में डर जाता हूँ या कभी गुस्से में होता हूँ तो मुझे हकलाहट की समस्या का सामना करना पडता है और तुम्हारा गायन उसका क्या हुआ हूँ? क्या तुम्हारे माता पिता जी तो क्या तुम्हारे माता पिता हूँ? क्या तुम्हारे माता पिता तुम्हारी गायन की प्रतिभा को आगे बढाने के लिए माने की नहीं नहीं अभी नहीं । नहीं नहीं अभी नहीं । अभी तो बस ऐसे ही चल रहा है । बस कभी कभार अगर दिल करें तो मैं कुछ अकेले में गुनगुना लेता हूँ । चलो कोई नहीं तो तुम देखना एक दिन ऐसा आएगा कि तुम्हारे माता पिता तुम्हारे गायन की वजह से तुम पर गर्व करेंगे । काश ऐसा जल्दी हो जाए तो तुम चिंता मत करो । ऐसा जल्दी होगा । कुछ देर बातें करने के बाद मैं और पंकज घर वापस आ गए और उसके अगले दिन में अपने घर की तरफ रवाना हो गया हूँ ।
Sound Engineer
Writer