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मेरा उकाब - 6 in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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अध्याय हकलाहट की समस्या पर काबू पाना । अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पाने के लिए पंकज ने शिखर आंटी के दिए दिशा निर्देशों के तहत काम करना शुरू कर दिया । पंकज को गायन का शौक पहले से ही था और फिर शिखर आंटी ने भी उसे गाना गाने के लिए कहा था । अब उसे दिन में जब भी कम समय मिलता तो कोई न कोई गाना गुनगुनाने लगता है । हर समय कुछ न कुछ गुनगुनाने से एक तो उसके गायन में सुधार हुआ और दूसरा वो तनावमुक्त भी रहने लगा । इसके साथ साथ उसने किताबों को पढाना भी शुरू कर दिया । उसने शेखावटी के कहे अनुसार किताबों और अखबारों को धीमी गति से और ऊंची आवाज में पढना शुरू कर दिया । इससे उसकी हकलाहट की समस्या में काफी सुधार होना शुरू हो गया । पंकज हर रोज सुबह कॉलेज जाने से पहले अपनी छत पर बने एक कमरे में चला जाता है और अपने आप को कमरे में बंद कर लेता । इसके बाद वो एक आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करता रहता है । वो ऐसा पंद्रह से बीस मिनट तक करता । इससे उसका आत्मविश्वास और भी बढ गया । अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए पंखा जब चिंता और तनाव से दूर रहने की कोशिश करने लगा, लेकिन ये उसके लिए सबसे मुश्किल कामों में से एक था । वो चाहकर भी अपने गुस्से को काबू में नहीं कर पा रहा था । इसके लिए उसने शिखर आंटी के बताए रास्ते पर चलने की योजना बनाई । वो जिम में जाता है और अपना गुस्सा जिम में कसरत करते समय निकालता । वो हर समय शांत रहने की कोशिश करता । वो लोगों द्वारा किए गए मजाक पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता और शांत रहकर अपना काम करता रहता है । एक दिन मीना ने पंकज से प्राप्त में मुलाकात की ऍम तुम्हारी हकलाहट की समस्या वाला कोर्स कैसा चल रहा है? क्या कुछ फर्क पडा? हाँ, काफी हद तक कह सकता हूँ कि मुझे शिखर आंटी के दिए दिशा निर्देश से काफी फर्क पडा है । लेकिन लेकिन क्या? लेकिन कभी कभी मुझे काफी समस्या होती है । मैं कुछ परिस्थितियों में बिल्कुल भी बोल नहीं पाता । इस बारे में मैं शिखर आंटी से बात करना चाहता हूँ । क्या तुम मेरे साथ चल होगी? हाँ बिल्कुल । मैं शिखर आंटी को फोन करके उनसे मिलने के लिए समय ले लेती हूँ । कुछ समय शिखर शांति से फोन पर बात करने के बाद पंकज शिखर आंटी ने शाम को मिलने के लिए बुलाया है क्या तो मैं आज शाम को चल सकते हो । हाँ आज शाम को मेरे पास कोई काम नहीं है । वैसे भी अगर कम होता भी तो मैं उनसे मिलने के लिए समय जरूर निकाल लेता हूँ । ठीक है हम आज शाम को ही उनके पास चलेंगे । पंकज और मीना शाम को शेखावटी के पास जाने के लिए तैयार हो जाते हैं और कुछ समय के बाद वह दोनों उनके क्लिनिक में पहुंच जाते हैं । हाँ तो पंकज बेटा क्या हाल है? ठीक है आंटी जी और तुम्हारी हकलाहट की समस्या कैसी है? जी ठीक है अब तो पहले से काफी कम होती है लेकिन लेकिन क्या किसी किसी समय ये समस्या बहुत बढ जाती है । कब बढ जाती है । मेरे कहने का मतलब है कि वह कौन कौन सी परिस्थिति हैं जिसमें तुम्हारी हकलाहट की समस्या बढ जाती है? जी सबसे पहले तो जब मुझे किसी का फोन आता है तो मुझे शुरुआत में हलो बोलने में समस्या आती है । यानी कि मैं फोन पर शुरूआती बात करते समय हकलाने लग जाता हूँ । ठीक हैं और बताऊँ इसका हल है मेरे पास । पार्टी जी जब मुझे किसी अंजान आदमी से बातचीत करनी होती है तो में बातचीत की शुरुआत में हकलाने लग जाता हूँ । ठीक है और कौन कौन सी परिस्थितियां हैं जिनमें तो महक लाने लग जाते हो । आंटी जी जहाँ कहीं चार पांच लोग इकट्ठा हूँ तो वहाँ मुझे बोलने में परेशानी होती है । उदाहरण के तौर पर जब मुझे अपनी क्लास में अपनी अध्यापिका के सामने बोलना पडता है तो मैं हकलाने लग जाता हूँ । इन तीनों परिस्थितियों के अलावा मुझे हकलाहट की समस्या बहुत ही कम होती है । मैं बिलकुल ठीक ठाक बोलता हूँ । आंटी जी क्या आप मुझे इन तीनों परिस्थिति में सही ढंग से बोल पाने में मेरी मदद कर सकती हैं? बिल्कुल करूँ क्यों नहीं? करोंगे? सबसे पहली परिस्थिति है तुम्हारी फोन पर बात करना । यानी कि जब तुम फोन पर किसी से बात करते हो तो तुम है हकलाहट की समस्या होने लगती है । इस समस्या को हल करने के लिए तो उन्हें किसी अनजान नंबर पर या अगर हो सके तो किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से, फोन पर बात करके तो मैं अपनी हकलाहट की समस्या दूर करनी होगी । आंटी जी मैं कुछ समझा नहीं । किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से बात करके मेरी हकलाहट की समस्या कैसे दूर हो सकती है? इसके पीछे क्या सिद्धांत है? पंकज बेटा इसके पीछे का सिद्धांत बहुत सरल है । तुम्हारी हकलाहट की समस्या के मुख्य वजह तुम्हारी हकलाहट की समस्या की मुख्य वजह तुम्हारा डर है और ये डर पैदा होता है तो तुम्हारी हकलाहट की समस्या की वजह से तुम्हारी बेज्जती का होना । अगर मैं सीधे और आसान शब्दों में कहूं तो जब तो महक लाते हो तो तुम्हें डर लगता है कि सामने वाला मेरी बेइज्जती न कर दें और इस बेइज्जती के डर से तुम और भी हकलाने लग जाते हो । लेकिन आंटी जी मुझे अभी तक एक बात समझ में नहीं आई कि इस बात का किसी ग्राहक कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से बात करने से क्या है । मेरे कहने का मतलब है कि आप के कहे अनुसार अगर मैं किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से बातचीत करूंगा तो इस से मेरी हकलाहट की समस्या कैसे दूर हो पाएगी? पंकज बेटा तो मुझे एक बात बताओ जी आंटी जी, जब तुम किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से बातचीत करोगे तो क्या वो तुम्हें जानता होगा? नहीं, क्या वो तुम्हारी तस्वीर देख रहा होगा? नहीं और क्या तुम उस को जानते हो? क्या वो तुम्हारे बारे में जानता है यानी कि तुम दोनों एक दूसरे को नहीं जानते । तो अगर तुम्हें इस बात का डर नहीं होगा कि अगर मैं उससे बात करते समय हकलाने लग गया तो वह मेरी बेइज्जती कर देगा । तो तुम है हकलाने जैसी कोई समस्या नहीं होगी । बेइज्जती का डर तुम्हारी हकलाहट की समस्या को बढाता है । जब तुम अपने दर को काबू में पालोगे तो तुम अपनी समस्या पर आसानी से काबू पा सकेंगे । आंटी जी में समझ गया, आप जो कहना चाह रही हैं आप के कहे अनुसार जब मैं किसी अंजान व्यक्ति जैसे कि किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी से बातचीत करूंगा तो हम दोनों एक दूसरे को जानते पहचानते नहीं होंगे । और अगर उस समय में बातें करते समय रुक गया या हकलाने लग गया तो मुझे सामने वाले से बेइज्जती का डर बिल्कुल नहीं होगा और मैं आराम से बात कर सकूंगा । बिल्कुल सही कहा तुमने और अब उस परिस्थिति के बारे में बात करते हैं जब तुम किसी अंजान व्यक्ति के सामने हकलाने लग जाते हो या किसी व्यक्ति से तुम पहली बार मिलते हो । तब तुम्हें हकलाहट की समस्या का सामना करना पडता है । उस परिस्थिति में तो मैं तुम्हारी हकलाहट की समस्या पर काबू पाने के लिए एक काम करना होगा । इसके लिए जब भी तुम्हें कभी समय मिले तो तुम किसी अंजान जगह में या किसी दूसरे शहर में जाकर वहाँ के किसी अंजान व्यक्ति जैसे कि किसी दुकानदार से जाकर बात चीत करो । ये तकनीक भी ठीक वैसे ही काम करेगी जैसे की तो फोन पर किसी अंजान व्यक्ति से बात करते करते हो । इस तकनीक में भी तुम्हें अपनी बेज्जती का डर नहीं होगा क्योंकि तुम किसी अनजान शहर में हूँ और अजनबियों से बातचीत कर रहे हो । इस परिस्थिति में न तो वो अजनबी लोग तुम्हें जानते होंगे और ना तो उनको जानते होंगे । आसान शब्दों में अगर कहूँ तो वह तुम्हारी हकलाहट की समस्या का मजाक बनाते भी हैं तो तुम्हें कौन सा फर्क पडेगा क्या नहीं तुम्हारी भविष्य में कभी भी उनसे मुलाकात नहीं होगी । उप लोग इन दोनों तकनीकों में तुम्हें तुम्हारी उपरोक्त इन दोनों तकनीकों में तो मैं तुम्हारी हकलाहट की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी । अब बात करते हैं तुम्हारी उस परिस्थिति की जहाँ पर चार पांच लोग इकट्ठा होते हैं और तुम्हें हकलाहट की समस्या होने लगती है । या फिर जैसा की तुमने बताया कि तुम्हें अपनी क्लास में अध्यापिका के सामने बोलने में समस्या होती है । इस परिस्थिति में जब भी तुम्हें लगे कि तुम्हें यहाँ इस परिस्थिति में जब भी तो मैं लगे कि तुम्हें चार पांच लोगों के सामने बोलना है । क्या अपनी क्लास में बोलना है तो पहले ही उनको अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में अवगत करा दो । आंटी जी मैं आपकी बात को समझा नहीं, मैं तुम है । आसान शब्दों में उदाहरण देकर समझाती हूँ तो मान लोग तुम्हारे घर में कोई फंक्शन है वहाँ पर तुम्हारे रिश्तेदार वगैरह । वहाँ पर तुम्हारे रिश्तेदार वगैरह इकट्ठा होने और तुम्हें उनके सामने कुछ बोलना है तो उन्हें अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में पहले ही बता देते हैं । उनसे यू बोल दो की तो मैं हकलाहट की समस्या है, जिस वजह से तो मैं बोलने में परेशानी हो सकती है या बोलते समय किसी स्थान पर रुक सकती हूँ तो कृपया मेरे बोलने का इंतजार करेंगे । परन्तु आंटी जी इससे क्या होगा? मेरे कहने का मतलब है कि ये तकनीक कैसे काम करेगी । इस तकनीक के पीछे एक अलग ही साइंस तुम जब आपने हकलाहट की समस्या के बारे में लोगों को पहले ही बता दोगे तो तुम्हें ये डर खत्म हो जाएगा कि अगर तुम हकलाने लग गए या बोलते समय रुक गए तो लोग तुम्हारे बारे में क्या सोचेंगे । इस वजह से तुम बिंदास होकर आराम से बोल सकेंगे । क्योंकि तुम्हारे मन में ये डर खत्म हो जाएगा कि अगर तुम बोलते समय रुक गए तो लोग तुम्हारा मजाक उडाएंगे । ये आपने सही कहा । डिजीज अब और कोई बात रहे गए हो । पूछने के लिए तो जल्दी से पूछ सकते हो क्योंकि मुझे किसी काम से बाहर जाना है । शिखर आंटी ने कहा, नहीं आंटी जी, आपके लिए इतना ही काफी है । अगर फिर कभी कोई समस्या होगी तो मैं आप को जरूर याद करूंगा । आंटी जी अगर सच कहूँ तो मेरे पास शब्द नहीं जिनके जरिए मैं आपका शुक्रिया अदा करूं । मेरी मदद कर के आप ने मेरा जीवन ही बदल दिया है । बेटा अगर सच में किसी का शुक्रिया करना है तो वह सामने जो तस्वीर लगी है उनको करूँगा । ये कौन है? आंटी जी बेटा ये मेरे पति हैं । इनका नाम है जी को इनके बारे में अगर कुछ जानना चाहते हो तो तुम्हें इंटरनेट से इनके बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी । अब मैं माफी चाहती हूँ । मुझे कहीं जाना है । ठीक है आंटी जी अब हमें भी जाने की इजाजत दीजिए । आंटी जी से इजाजत लेकर पंकज और मीना दोनों घर की ओर रवाना हो जाते हैं । घर आकर वो शिखर आंटी के बताए दिशा निर्देशों पर काम करने की कोशिश करने लगा । पंकज मुझ से दूर जरूर रहता था, लेकिन मैं हर समय उसी के बारे में सोचता रहता था । मेरा ध्यान ना चाहते हुए भी उसकी तरफ ही जाता था, जिस वजह से मुझे पिताजी हर समय टोकते रहते थे । वो मुझे मेरे अपने भविष्य की तरफ ध्यान देने के लिए कहते हैं । लेकिन मैं पंकज के बारे में सोचता रहता हूँ । एक दिन शाम को मैं और पिताजी बैठे हुए थे तो पिताजी ने अचानक से मुझसे कहा मोहित बेटा, वो तुम्हारे दोस्त पंकज की कोई खोज खबर नहीं आई । क्या सब खैरियत है? हाँ पिता जी, मेरी पिछले हफ्ते ही उससे फोन पर बात हुई थी और वो बहुत खुश था क्योंकि उसने अपनी हकलाहट की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है । चलो ये तो बहुत अच्छी बात है और उसके माता पिता क्या वो अभी भी वैसे ही लडाई झगडा करते हैं या उनमें भी कोई कुछ क्या उनमें भी कुछ सुधार हुआ है? नहीं पिताजी तो अभी भी वैसे ही हैं । जब मेरी पंकज से बात हुई थी तो मैंने पंकज से इस बारे में पूछा । उसने बताया कि वह अभी भी वैसे ही लडाई झगडा करते रहते हैं । कोई बात नहीं । समय के साथ साथ सब ठीक हो जाएगा । लेकिन पिताजी मुझे उनकी एक बात समझ में नहीं आती । वो हर समय लडाई झगडा क्यों करते रहते हैं? क्या उनकी शादी उनकी मर्जी से नहीं हुई थी या फिर पंकज की माँ को उनकी पहली शादी के बारे में पता नहीं था? बेटा जैसा तुम सोच रहे हो वैसे कोई बात नहीं है । पंकज के माता पिता की लडाई की मुख्य वजह पंकज के पिता का अपनी पहली पत्नी को ना भुला पाना है । वो हर समय अपनी पहली पत्नी को याद करते रहते हैं । ये कैसी वजह हुई और आप ये कैसे कह सकते हैं क्योंकि ये मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है । मतलब आपने ये देखा है आपने कभी देखा है बेटा तुम्हें याद होगा । आज से कई साल पहले मैं किसी काम से पंकज के शहर में गया था और मुझे पंकज के शहर में रात रुकना पडा था । हाँ, मुझे याद है तो उस दिन पंकज के पिताजी दुकान बंद करके जल्दी घर आ गए और हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे । बातों बातों में वो अपनी पहली पत्नी का जिक्र करने लगे और वो अपनी पत्नी की बातें करते समय इतना भावुक हो गए कि उनकी आंखों में पानी आ गया था । उस समय वहाँ पंकज और उसकी सौतेली माँ मौजूद थे । शायद पंकज की सौतेली माँ को ये सब अच्छा नहीं लगा और वो बिना किसी से कुछ कहे उस हिस्से में वहाँ से चली गई । कुछ देर बाद हम सब खाना खाकर सोने के लिए चले गए । मेरा कमरा पंकज के माता पिता के कमरे के साथ ही था । रात को करीब ग्यारह बजे के आस पास का समय था । मुझे पंकज के माता पिता के कमरे से शोर आता सुनाई दी । जब मैंने ध्यान से गौर किया तो वह दोनों आपस में झगडा कर रहे थे । पंकज की सौतेली माँ बार बार पंकज के पिता से कह रही थी, अगर आप को अपनी पहली पत्नी को ही याद करना है तो मुझसे शादी क्योंकि मेरा जीवन बर्बाद क्यों किया? आप बार बार अपनी पहली पत्नी की बातें लेकर बैठ जाते हो । घर में जो भी मेहमान आता है उसके सामने अपनी पहली पत्नी की अच्छाइयां गिनाने लगते हो और मेरी बुराई करने लग जाते हो कि हमें इतनी बुरी हूँ । अगर मैं इतनी बुरी हो तो छोड दो । मुझे मुझसे क्यों शादी की मेरे साथ क्यों रह रहे हो? मुझे भी तलाक दे दो । मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती थी । मैं ये सब सुनकर खामोश सा हो गया और चुपचाप जाकर अपने बिस्तर पर लेट गए । मुझे देर रात तक नहीं नहीं आई और मैं पंकज के माता पिता की लडाई के बारे में सोचने लग गया था । मेरे हिसाब से पंकज की सौतेली माँ अपनी जगह पर सही क्योंकि पंकज के पिता अगर मेरे सामने अपनी पहली पत्नी की अच्छाइयाँ करते हैं की अपनी पहली पत्नी की चर्चा करते हैं तो यकीनन वो हर किसी के सामने ऐसा करते होंगे और मुझे इस बात का भी पक्का विश्वास है कि वह अपनी दूसरी पत्नी की बुराइयां भी सभी के साथ करते होंगे । ये बात किसी भी औरत को बर्दाश्त नहीं हो सकती कि कोई पति उसके सामने अपनी पहली पत्नी की अच्छाइयाँ करेंगे । लेकिन पिताजी अगर आपको इस बारे में पता था तो आप पंकज के पिता से बात करते हैं और उन को समझाते उन्हें ऐसा करने से रोकते बेटा मैंने इस बारे में सोचा । जरूर मैंने रात को ये विचार बनाया था कि अगले दिन पंकज के पिता से इस बारे में जरूर बात करूंगा । लेकिन पंकज के पिता सुबह जल्दी अपनी दुकान पर चले गए और मैं अपने घर की ओर रवाना हो गया । मुझे उनसे बातचीत करने का दोबारा कभी मौका नहीं मिला । वैसे भी ये उनके घर का मामला है और मैं उनके घर के नीचे मामले में दखलंदाजी नहीं कर सकता है । हम किसी को बिना मांगे सलाह नहीं दे सकते लेकिन पिताजी ऐसा कब तक चलेगा? मेरे कहने का मतलब है कि पंकज की मां उसके साथ ऐसा व्यवहार कब तक करती रहेगी । वो अपने बेटे के साथ तो बहुत प्यार से रहते हैं लेकिन पंकज के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार करती है । मैंने कई बार अपनी आंखों से देखा है बेटा तेरे सवाल का जवाब मैं तो क्या भगवान भी नहीं दे सकता लेकिन एक बात है अगर उसे अपने जीवन में कुछ बनना है या कुछ कर के दिखाना है तो उसे ये सब सहन करना ही होगा । वो जितना ये सब सहन करेगा उतना ही मजबूत होगा । क्योंकि शायद मैंने तुम्हें पहले भी कई बार बताया है कि जिस कोयले पर दबाव पडता है । खीरा वही बनता है और अमर हो जाता है और जो दबाव का और जो दबाव का सहन नहीं कर पाते तो कोयले तो जलकर राख हो जाते हैं और फिर तो उसके बारे में सोच सोच कर अपना समय बर्बाद मत करो । तुम्हारी पढाई पूरी हो गई है और फिर तुम उसके बारे में सोच सोच कर अपना समय बर्बाद मत करो । तुम्हारी पढाई पूरी हो गई है और तुम कोई अच्छी सी नौकरी ढूंढो और शादी कर लो तो मैं तो पता ही है कि मेरी तबियत आज कल कुछ ठीक नहीं रहती । मैं चाहता हूँ की तो में कच्ची से नौकरी करने के बाद जल्द से जल्द शादी कर लो । पिताजी आप चिंता छोडिए, मुझे तो कोई ना कोई नौकरी मिल ही जाएगी । और रही बात शादी की तो मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूँ । शादी के लिए मुझे कुछ समय चाहिए । सबसे पहले मैं अपना भविष्य सुधारना चाहता हूँ । उसके बाद ही मैं अपनी शादी के बारे में सोचूंगा । बेटा मैं मानता हूँ कि तेरे पास समय की कोई कमी नहीं है लेकिन हो सकता है मेरे पास समय ही ना हो । मैं चाहता हूँ कि मेरे परलोक सुधारने से पहले मैं अपने पोता पोती का मूवी देख लेंगे । पिताजी आप कैसी बातें कर रहे हैं? आपने तो अभी अपने पोते की शादी भी करनी है । मैंने मजाक से कहा लेकिन पिताजी मेरे साथ मजाक नहीं कर रहे थे । कुछ दिनों के बाद पिताजी को हल्का सा दिल का दौरा पडा और जिस वजह से उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पडा । अस्पताल में डॉक्टर ने इन की हालत काफी नाजुक बताई । कुछ समय के बाद उनको होश आया और मैं उनके पास गया । मुझे देखकर पिताजी बोले, देखा बेटा मैंने कहा था ना मेरे पास समय बहुत कम है । तुम मेरी बात पर विश्वास नहीं करते थे । नहीं पिताजी, ऐसी कोई बात नहीं । आप जो बोलेंगे मैं करूंगा । आप बस स्वस्थ हो जाओ और घर वापस आ जाओ तो मेरी बात मानो तुम शादी कर लो । मैं जानता हूँ मेरे पास समय बहुत कम है । मेरी आखिरी इच्छा यही है कि मैं अपनी पोस्ट की । मैं अपने पोता पोती का मोना सही कम से कम तुम है । दो लाख बने तो देख लो । उसी समय डॉक्टर कमरे में आए और उन्होंने हमें कमरे से बाहर जाने को कहा । हम कमरे से बाहर आ गए । डॉक्टर ने मुझे बुलाकर कहा, देखो बेटा हमारे पिताजी की हालत बहुत नाजुक । अभी तो हल्का सा दिल का दौरा पडा है । भगवान ना करें अगर फिर से इन्हें दिल का दौरा पडा तो हम बचा नहीं पाएंगे । वो जो भी कहते हैं उनकी इच्छा पूरी कर दो । डॉक्टर की बात सुनकर पास खडी मेरी माँ जोर जोर से रोने लगी । उस समय मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ । तभी माने मुझसे कहा बेटा, तुम अपने पिता की इच्छा पूरी कर देते हैं । तुम शादी के लिए यहाँ है तो मैं तुम्हारे हाथ जोडती हूँ । हाँ, लेकिन ये कैसे मुमकिन है? अभी ना तो मेरी नौकरी लगी है और ना मुझे कोई पैसों की आमदनी । और तो और शादी के लिए लडकी की जरूरत होती है । नहीं कोई लडकी हमारी नजर में तो ये सब इतनी जल्दी कैसे हो पाएगा? मेरी तो समझ में कुछ नहीं आ रहा । बेटा ये सब मुझ पर छोड देते हैं तो हम सिर्फ शादी के लिए हाँ बोलो । बाकी का इंतजाम मैं कर देती हूँ । पास खडे मेरे मूव बोले । मामा जी ने कहा उस वक्त मैं कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ । एक तरफ पिताजी अस्पताल में दाखिल थे और दूसरी तरफ मेरे मूव बोले मामा जी मेरी शादी की तैयारियां करने में जुटे हुए थे । आनंद फाइनल में उनके किसी दूर के रिश्तेदार की लडकी को मुझसे शादी करने के लिए राजी किया गया और रातोंरात मेरी उससे शादी करवा दी । एक

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यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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