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मेरा उकाब - 5 in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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अध्याय पांच हकलाहट की समस्या का समाधान पंकज जल्दी से मुझे बाद में मिलो । मुझे कुछ काम है । मीना ने पंकज को फोन पर कहा क्या काम है वो तो मैं फोन पर नहीं बता सकती तो तुम जल्दी आओ । ठीक है तो तुम लोगों में अभी आता हूँ । कुछ समय बाद पंकज और मीना पार्क में मिलते हैं । बोलो क्या काम था । कल शाम को मैं अपनी बहन के कंप्यूटर पर बैठी हुई थी । तभी अचानक से मुझे तुम्हारी हकलाहट की समस्या का हल ढूंढने का विचार आया तो मैंने कंप्यूटर पर इस समस्या का हल ढूंढने के बारे में सोचा । तभी मुझे एक संस्था के बारे में पता चला जोकि हकलाहट की समस्या को लेकर काम कर रही थी । उसका मालिक एक चीज को नाम का आदमी था । मैंने इंटरनेट पर काफी देर तक उस संस्था के बारे में पढा । फिर मैंने वहाँ पर दिए एक फोन नंबर पर फोन किया । वो फोन शिखा नाम की और आपने उठाया । मैंने उनसे हकलाहट की समस्या के बारे में काफी देर तक बातचीत की । उन्होंने मुझे किसी भी दिन शाम को मिलने के लिए कहा है । ये तो बहुत अच्छी बात है । मीना उस संस्था कहाँ पर है, कौन से शहर में मैं वहाँ पर जाना चाहता हूँ, उनसे मिलना चाहता हूँ । पंकज हो संस्था हमारे ही शहर में तो क्या कह रहे हो क्या सच में वो संस्था हमारे ही शहर में? हाँ वो हमारे ही शहर में है । मुझे यकीन नहीं हो रहा है । हकलाहट की समस्या से संबंधित इतनी बडी संस्था जो की हमारे शहर में मौजूद हैं और मुझे इसके बारे में पता भी नहीं । खैर काम मिलने जाना है । उनको जब तुम का हो, ठीक है तो आज शाम को ही चलते हैं । आज नहीं कल चलेंगे क्योंकि आज मुझे कुछ काम है और फिर मैं आज उन को फोन करके कल का समय भी ले लेंगे । ठीक है मैं तैयार रहूंगा । हकलाहट की समस्या से संबंधित संस्था के बारे में सुनकर पंकज बहुत खुश होता है । अब उसे यकीन हो जाता है कि उसकी समस्या का हल किसी ना किसी प्रकार से जरूर निकल आएगा और वो अपना जीवन बिना किसी परेशानी के जी सकेगा । अगले दिन शाम को पंकज और मीना दोनों उस संस्था में जाने के लिए रवाना हो जाते हैं । वह संस्था उनके घर से कुछ ही दूरी पर होती है । कुछ समय बाद वो दोनों वहाँ पहुंच चाहते हैं । नमस्कार जी मेरा नाम मीना है और मेरी कल आपसे फोन पर बात हुई थी । आज शाम को आपने मिलने का समय दिया था । मीना ने उस संस्था को चला रही शिखा नाम की औरत से कहा आओ बेटा जी बैठो, ये पंकज है, ये मेरे घर के साथ रहता है । ये मेरा सहपाठी भी है । इसको बचपन से ही हकलाहट की समस्या है । बेटी तुम कुछ देर जरा चुप रहो और अब मुझे पंकज से बात कर लेने दो क्योंकि जब तक मैं उससे बात नहीं करूंगी जब तक मुझे इस की समस्या के बारे में पता नहीं चलेगा । ठीक है आंटी जी आप पंकज से सवाल पूछो पंकज बेटा, तुम अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में कुछ बताओ क्या बताऊं? आंटी जी मुझे तो ना जीने का मन करता है और न मरने का मन करता है । मैं अपनी हकलाहट की समस्या से बहुत परेशान रहता हूँ । मुझे काबिलियत होते हुए भी हर समय किसी ना किसी के मजाक का पात्र बन कर रह जाता हूँ बेटा इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं । ये हमारे समाज की समस्या है । हमारा समाज हकलाहट की समस्या को समस्या नहीं मानता बल्कि समाज के लिए एक हादसे का विषय हमारी हिंदी फिल्मों में भी जब भी कहीं हादसे पैदा करना हो तो कुछ अभिनेता हकलाहट की समस्या का सहारा लेते हैं । फिर ये सब छोडो इस पर हम कभी किसी और समय चर्चा करेंगे । सबसे पहले तुम यह बताओ कि तुम्हारी हकलाहट की समस्या कब शुरू हुई । मेरे कहने का मतलब है कि तो मैं कब पता चला कि तुम हकलाहट जैसी समस्या का शिकार हो चुके हो । आंटी जी सच कहूँ तो मुझे ये समस्या बचपन से थी । यानी कि जब मैंने बोला यानी कि जब मैंने बोलना शुरू किया तभी से मैं रुक रुककर बोलता था लेकिन मुझे इसका एहसास नहीं था । मुझे इसका ऐसा सब हुआ जब एक दिन में अपनी दुकान में बैठा था और एक ग्राहक ने आकर के मुझसे कुछ सामान मांगा । मुझे उस सामान का नाम बोलने में बहुत समस्या हुई । मैं अचानक से रुक गया और मुझसे उस वस्तु का नाम जुबान पर नहीं आ रहा था और मुझे उस वस्तु का नाम जुबान पर नहीं आ रहा था । मेरे हाथ का अपने लगे थे और फोटो में थरथराहट शुरू हो गई थी । मेरे माथे पर पसीना आ गया था और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है । उस ग्राहक के जाने के बाद मैं कुछ समय तक चुप चाप बैठा रहा । मैं शायद डर गया था तो उस दिन के बाद से किसी प्रकार रुक रुककर बोलने लगा । बेटा तुम्हारे परिवार में कौन कौन से सदस्य हैं? मेरे परिवार में मेरे माता पिता और मेरे छोटे भाई बहन हैं । तुम्हारी हकलाहट की समस्या पर तुम्हारे परिवार का रवैया कैसा था? मेरे कहने का मतलब है कि तुम्हारे परिवार के सदस्य तुम्हारी हकलाहट की समस्या को लेकर क्या सोचते हैं? सच कहूँ तो मेरी माँ तो समझती है कि मैं ये सब ड्रामेबाजी करता हूँ यानी कि मैं जानबूझ कर रुक रुककर बोलता हूँ जिस वजह से तो हर समय मुझे डांट ही रहती हैं और तुम्हारे पिताजी उनका तुम्हारी हकलाहट की समस्या को लेकर क्या सोचना है? यानी तुम्हारी हकलाहट की समस्या को लेकर वो क्या सोचते हैं? सच कहूँ तो मेरे पिताजी के पास इतना समय नहीं होता कि वह मेरी मानसिकता को समझे हूँ, उनके पास समय क्यों नहीं होता है । वो एक दुकानदार हैं और दुकानदार के पास बहुत ही कम समय होता है । मेरे पिता जी की किराना की दुकान है और किराना की दुकान होने की वजह से वो दुकान सुबह जल्दी खोल लेते हैं और रात को देर से बंद करते हैं । वो सारा दिन अपनी दुकान में व्यस्त रहते हैं जिस वजह से वो मुझे और मेरे बाकी के परिवार के सदस्यों को समय नहीं दे पाते । बेटा ये तो ठीक है कि तुम्हारे पिताजी दुकानदार है और उनके पास समय नहीं होता परंतु क्या उन्हें तुम्हारी हकलाहट की समस्या के बारे में पता है और अगर पता है तो इसके बारे में क्या सोचते हैं? यानी उनकी क्या रहा है? आंटी जी वो मेरी हकलाहट की समस्या के बारे में क्या सोचते हैं ये तो मुझे नहीं पता था । हो सकता है कि जो भी यही सोचती हूँ कि मैं ऐसा जानबूझकर करता हूँ लेकिन उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम जानबूझ कर ऐसा करते हो? तो वो शायद इसलिए क्योंकि जब भी मैं गाना गाने लगता हूँ या अपने किसी परिचित से बात करता हूँ तो बिल्कुल भी नहीं रुकता । यानी मुझे हकलाहट जैसी कोई समस्या नहीं होती । लेकिन इसके विपरीत जब मैं कभी किसी अंजान व्यक्ति से बात करने लगता हूँ तो मैं बोलते समय रुक जाता हूँ । मेरी माँ जब भी मुझे कोई काम करने को बोलती है या फिर मुझे डांटती है तो मैं अपना तो मैं हकलाने लगता हूँ बेटा इसमें कोई बडी बात नहीं है । हकलाहट की समस्या की यही फितरत है । जब भी आप कभी डर जाऊँ या कभी चिंता में पड जाते हैं तो ये समस्या उभरकर सामने आ जाती है । लेकिन आंटी जी क्या इस समस्या का कोई समाधान है? हाँ है ना बिल्कुल तो मैं वो कहावत नहीं सुनी क्या की हर समय अपने अंदर उसके हल करने का बीच लेकर चलती है । यानी कि ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई हल ना निकाला जा सके । हाँ समय जरूर लगता है हकलाहट की समस्या एक ऐसी समस्या है जिसका हल निकाला जा सकता है और इसका हल वही निकाल सकता है जिससे कि ये समस्या होती है । मैं कुछ समझा नहीं । मैं बताती हूँ मान लो तो मैं साइकिल सीखनी है और तुम मेरे पास साइकिल सीखने के लिए आती हूँ । मैं तो मैं बता देती हूँ कि बेटा ऐसे साइकिल के हैंडल को पकडना है और हैंडल को सीधा करके साइकिल के पैडल को मारना है और धीरे धीरे बैलेंस करके साइकिल को आगे की ओर धकेलना है । तब तुम साइकिल चलाना सीख जाओगे । लेकिन बेटा साइकिल तो तो मैं खुद ही चलानी है, है ना? मैं तो मैं सिर्फ साइकिल चलाने संबंधी दिशा निर्देश दे सकती हैं । किसी प्रकार हकलाहट की समस्या भी एक ऐसी ही समस्या है । मैं तो तुम्हें उस समस्या को हल करने के लिए केवल रास्ता बताओगे, लेकिन उस रास्ते पर चलना तुम्हें स्वयं ही होगा और यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम किस प्रकार चलते हो और अपनी समस्या को हल करने के लिए कितना समय देते हो । आंटी जी, मैं आपकी बात बिल्कुल समझ गया लेकिन फिर भी मैं अपनी हकलाहट की समस्या को कितने समय में हल कर सकता हूँ? मेरे कहने का मतलब है कि मेरी हकलाहट की समस्या हल करने में कितना समय लगेगा । बेटा तो मेरी बात को समझे नहीं । अगर समझ गए होते तो मुझसे ये प्रश्न दोबारा नहीं पूछते हैं । मैं तुम्हें एक उदाहरण देकर फिर से समझाते हैं । तुम जिम में जाते हो, हाँ जाता हूँ तो मैं जिम में जाकर एक सुडौल बनाने में कितना समय लगेगा? जी पता नहीं एक साल दो साल या पांच साल भी लग सकते हैं । ऐसा नहीं होता । मैं बताती हूँ जब तुम जिम में जाना शुरू करोगे तो पहले एक महीना तो हमारे लिए बहुत मुश्किल से निकलेगा । उसके बाद तुम्हें इसकी आदत पड जाएगी और लगभग दो या तीन महीने में तुम्हारी मांसपेशियां थोडी बहुत उभरकर आएगी जिसका पता सिर्फ तो मैं ही लग पाएगा । जिम में जाने के लगभग छह महीने के बाद तुम्हारे शरीर की मांसपेशियां कुछ कुछ बडी होने लगेंगे जिससे कि तुम्हारे आस पास रहने वाले लोग महसूस करेंगे । इसके बाद अगर तुम लगातार जिम में जाते हो तो लगभग एक डेढ साल के बाद तुम्हारा शरीर पूरी तरह से बदल जाएगा और तुम एक सुडौल और तंदुरुस्त शरीर के मालिक हो जाओगे । हकलाहट की समस्या में भी ठीक वैसे ही होता है जब तो में समस्या का हल करने की प्रक्रिया को शुरू करते हुए ये तुम मेरे कहे अनुसार चलते हो तो तो मैं पहले एक या दो महीने बहुत समस्याओं का सामना करना पडेगा लेकिन इसके बाद तो मैं इस सब की आदत पड जाएगी । इसके बाद अगर तुम लगातार इस प्रक्रिया को जारी रख होगी तो लगभग पांच छह महीने के बाद तुम अपनी समस्या पर काफी हद तक काबू पालोगे जिसका पता तुम्हारे साथ रहने वाले लोगों क्या तुम्हारे परिवार वालों को लग जाएगा । लेकिन जो तुम्हारे दूर के रिश्तेदार या मित्र हैं जिनसे तुम देर बाद मिलते हो उनको इस बात का अभी पता नहीं चलेगा क्योंकि उनके दिमाग में तुम्हारी पहले जैसी छवि ही रहेगी । लगभग एक डेढ साल बाद जब तुम पूरी तरह से बोलने लग जाओगे तो वह छवि स्वयं धीरे धीरे बदल जाएगी । यानी कि मुझे अपनी हकलाहट की समस्या को हल करने के लिए लगभग एक से दो साल का समय लग सकता है । बेटा ये तो तुम पर निर्भर करता है कि तुम अपनी हकलाहट की समस्या को कितनी गंभीरता से लेते हो । ठीक है आंटी जी, अब वो प्रक्रिया भी बताएँ जिसको करके मैं अपनी हकलाहट की समस्या को हल कर सकता हूँ । मैं अपनी हकलाहट की समस्या को हल करने के लिए हर प्रकार की मुश्किल से मुश्किल प्रक्रिया को करने के लिए तैयार हैं और इसके लिए मुझे कितना भी समय लगे मैं वो समय जरूर दूंगा बेटा सबसे पहली बार हकलाहट की समस्या को हल करने की प्रक्रिया इतनी मुश्किल नहीं है जितना कि तुम समझते हो । हकलाहट की समस्या को हल करने के लिए चार जरूरी काम है और इन चार कामों को करने से तुम्हारी हकलाहट की समस्या हल हो सकती है । या यूं कह लो ये चार काम हकलाहट की समस्या को हल करने के चार जरूरी सिस्टम है आंटी जी वो कौन कौन से चार काम है । मैं हर प्रकार के काम करने को तैयार हूँ । लगता है तो अपनी हकलाहट की समस्या को हल करने के लिए काफी गंभीर हो । ये अच्छी बात है तो हकलाहट की समस्या को हल करने के चार जरूरी कामों में से सबसे पहला काम तुम्हें ये करना है कि जब भी तुम अकेले हो या कभी अकेले रहने का मौका मिले तो तुम गाना गाना शुरू कर गाना गाने से तो मैं तुम्हारी हकलाहट की समस्या को हल करने में काफी मदद मिलेगी । क्योंकि तुम ने नोट किया होगा कि जब भी तुम गाना गाते हो तो मैं हकलाहट की समस्या बिल्कुल नहीं होती । एनटीजी शायद आपको पता नहीं है कि पंकज बहुत अच्छा गायक है और ये लगभग रोज एक से दो घंटे तक गायन का रियाज करता है । मीना ने कहा, ये तो बहुत अच्छी बात है । अगर तुम रोज एक से दो घंटे तक गाना गाते हो तो तुम अपनी हकलाहट की समस्या को काफी हद तक हल कर सकोगे । ठीक है आंटी जी बेटा, अब तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ जिससे कि तुम अपनी हकलाहट की समस्या को जल्दी से जल्दी हाल कर सकते हो लेकिन ये प्रक्रिया थोडी सी मुश्किल जरूर है । आंटी जी आप बताएँ मैं हर प्रकार की मुश्किल से मुश्किल प्रक्रिया करने के लिए तैयार हूँ । दिन में जब भी तुम्हें कभी समय मिले तो अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद करके आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करनी होगी । दिन में जब भी तुम्हें कभी समय मिले तो अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद करके आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करनी होंगी । ये कैसी प्रक्रिया है आईने के सामने बैठ कर बातें करने की । इससे हकलाहट की समस्या कैसे हल हो सकती है? मीना ने कहा, बेटी मैं तुम्हें इसके पीछे के सिद्धांत के बारे में बताती हूँ । बेटी क्या तुम वहाँ गए हो जहाँ मृत्यु सिखाया जाता है या अभिनय सिखाया जाता है? या फिर पंकज बेटा तो जिस जिम में जाते हो वहाँ पर लगे आई नहीं देखें । हाँ जी जिस जिम में मैं जाता हूँ वहाँ पर बहुत बडे बडे आने लगे हुए हैं । पंकज बेटा जिम में ही नहीं जहाँ पर अभिनय सिखाया जाता है या नृत्य सिखाया जाता है वहाँ पर भी बहुत बडे बडे आने लगे होते हैं । क्या तुम ने इस बात पर हो और क्या है? आंटी जी मैंने गौर किया है लेकिन इसके पीछे के सिद्धांत के बारे में पता नहीं । बडे बुजुर्ग कहते हैं कि आइना कभी झूठ नहीं बोलता तो मगर किसी से पूछ होगी कि मैं कैसा लग रहा हूँ तो वो तो यही कहेगा कि तुम बहुत सुंदर लग रहे हो लेकिन अगर तुम आईने के सामने जाकर देखोगे और अपने आपसे पूछेंगे कि मैं कैसा लग रहा हूँ तो आइना सच दिखाएगा । वो झूठ नहीं बोलेगा । आईने के सामने जब कोई भी व्यक्ति अभिनय करता है या नृत्य करता है तो इस बात का फैसला वह स्वयं करता है कि अभिनय या नृत्य कैसा कर रहा है । ठीक इसी प्रकार जब तुम आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातचीत करोगे तो जहाँ भी तुम्हें हकलाहट की समस्या होगी तो मुझे समय तो तुम उसी समय पहचान लोगे । तुम अपनी गलती को स्वयं जान लोगे और मुमकिन है कि तुम उसे सुधार लोगे । मनोवैज्ञानिक डॉक्टरों ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि जब कोई व्यक्ति आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातचीत करता है तो उसके आत्मविश्वास का स्तर काफी बढ जाता है । ठीक है आंटी जी मैं ऐसा ही करूंगा । मैं हर रोज आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करने की कोशिश करूंगा । पंकज बैठा हूँ, अगर तुम ऐसा करोगे तो विश्वास करो । जल्द ही अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पालोगे । तो अब बात करते हैं हकलाहट की समस्या को काबू पाने के चौथे स्तंभ की हकलाहट की समस्या को काबू पाने का । चौथा संभूत सबसे मुश्किल है लेकिन ये जितना मुश्किल है उतना महत्वपूर्ण भी है । क्या है वो आंटी जी इसके लिए तो मैं हर समय चिंता मुक्त होकर खुश रहने की कोशिश करनी होगी । तुम है इस बात का ध्यान रखना होगा कि तुम किसी अवसाद का शिकार न हो जाओ । तो मैं अपने गुस्से को काबू पाना होगा और अपने व्यवहार में तब्दीली लानी होगी । अगर तुम्हें किसी बात की चिंता है तो उस चिंता को छोडना होगा । लेकिन आंटी जी, हकलाहट की समस्या और इस सब के बीच क्या संबंध है? बेटा बहुत गहरा संबंध है । चिंता, तनाव, अवसाद, गुस्सा ये सब हकलाहट की समस्या को बढावा देते हैं । तुम्हें कभी नोट किया होगा जब तुम कभी चिंता में होते हो या किसी तनाव में रहते हो या फिर जब तुम कभी गुस्से में किसी के साथ झगडा करते हो तो अक्सर हकलाहट की समस्या का शिकार हो जाते हैं । इन सब परिस्थितियों में तुम पहले से ज्यादा हकलाने लग जाते हो । आंटी जी, मैं बाकी गतिविधियों जैसे चिंता, तनाव या अवसाद पर किसी ना किसी प्रकार से काबू पा लूंगा । लेकिन मैं अपने गुस्से को कैसे काबू करूँ? क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति मेरी हकलाहट की समस्या की वजह से मजाक बनाता है तो मेरा गुस्सा चरम पर पहुंच जाता है । मैं उस समय अपने गुस्से को काबू में नहीं कर सकता है और कई बार तो उस व्यक्ति को मारने पीटने तक की नौबत आ जाती है । तो तुम्हारे कहने के अनुसार तो मैं गुस्सा बहुत आता है । ये गुस्सा अच्छा भी है तो अपने गुस्से को एक ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हो । जी जी मुझे आप की बात समझ में नहीं आई । अब कहना क्या चाहती हैं । अगर तुम्हें गुस्सा आता है तो तुम उस उससे को पालना सीखो क्योंकि तुम्हारा यही गुस्सा तो मैं तुम्हारे मकसद में कामयाब होने के लिए ईंधन का काम करेगा । तुमने बताया था कि तुम जिम जाते हो और कसरत करते हो । तुम अपने गुस्से का इस्तेमाल जिम में जाकर कर सकते हैं । मेरे कहने का मतलब है कि जिम कसरत करते समय कि जिम में कसरत करते समय तुम वहाँ अपना गुस्सा निकाल सकते हो । ठीक है आंटी जी मैं जरूर कोशिश करूंगा बेटा मेरे खयाल से तुम्हें तुम्हारी हकलाहट की समस्या को काबू पाने के चारों संभव के बारे में पता चल गया होगा । अगर फिर भी कोई परेशानी हो तो तुम कभी भी बेहिचक मेरे पास मदद के लिए आ सकते हो । मेरे दरवाजे तुम्हारे लिए सादा खुले शिखर आंटी से अपनी हकलाहट की समस्या का हाल जानने के बाद पंकज और मीना घर की ओर निकल पडते हैं । तो फिर पंकज जी कैसा लगा? श्री कान्ति से मिलकर मीना सच कहूँ तो इस आंटी की बातों ने मेरे ऊपर एक जादू सा कर दिया । उनकी बातों ने मेरे जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर दिया । अब मुझे यकीन हो चुका है कि मैं अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पा सकता हूँ और एक आम आदमी की तरह अपना जीवन यापन कर सकता हूँ । अब कोई भी मेरा मजाक नहीं बनाएगा और मेरी बातों को ध्यान से सुनिएगा तो तुम श्री कान्ति के कहे उन चार समूहों पर काम करना शुरू कर दोगे । हाँ बिल्कुल इसमें कोई शक नहीं । मैं शिखर आंटी के कहे उन चार स्तंभों पर आज से ही बल्कि अभी से ही काम करना शुरू कर दूंगा । मैं उनकी बातों को अपने दिमाग में रखकर अपनी हकलाहट की समस्या को काबू पाने में जी जान से जुट जाऊंगा ।

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Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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