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मेरा उकाब - 3 in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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अध्याय पहली कोशिश कर लो । पंकज चुनाव क्या हाल है? ठीक है । मोहित भैया आप अपना सुनाओ, मेरा भी ठीक है और चुनाव क्या चल रहा आजकल? भैया कुछ खास नहीं । वही रोज की डांट फटकार । मैं तो तंग आ गया हूँ । क्या हुआ अब आपको तो पता ही है तो चिंता मत कर । समय के साथ साथ सब ठीक हो जाएगा भैया आपके होते मुझे किस बात की चिंता है । लेकिन भैया अगर मेरी इस अटक अटक कर बोलने वाली समस्या का कहीं हाल हो जाए तो मेरी जिंदगी की आधी से ज्यादा परेशानी दूर हो जाएगी । कौन सी समस्या यही जो मैं बोलते समय कभी रुक जाता हूँ और अटक अटक कर बोलने लगता हूँ । अगर कहीं मेरी समस्या का हल निकल जाए तो जिंदगी जीने का मजा ही आ जायेगा । तो हम किसी डॉक्टर से क्यों नहीं मिलते हैं? मेरे कहने का मतलब है कि किसी डॉक्टर से इस बारे में कोई सलाह वगैरा ले ले । हो सकता है वो तुझे कोई दवा दें जिससे कि तुम साफ, साफ और बिना किसी रुकावट के बोल सकते । आप ठीक कह रहे हैं लेकिन लेकिन क्या? लेकिन अगर माताजी पिताजी को पता चल गया तो तो क्या होगा? भैया आपको माँ के स्वभाव का तो पता ही है । अगर उनसे बात की तो बिना किसी बात के झगडने लगेंगे । वैसे भी वो हर समय मेरे खिलाफ ही रहती है । उन्हें तो मौका चाहिए लेकिन तुम्हे तो अपनी बोलने वाली बीमारी के लिए डॉक्टर से सलाह ही तो लेनी है । इसमें लडने झगडने वाली क्या बात है और तुम्हारे पिताजी भी तो कुछ नहीं कहते हैं । पिताजी तो ना के बराबर है । मतलब मतलब की वो तो माँ को कुछ भी नहीं कहते हैं और वैसे भी उनके पास समय ही नहीं होता है । वो हमारे उठने से पहले दुकान में चले जाते हैं और रात को हमारे सोने के बाद दुकान से वापस आते हैं । उनसे मुलाकात करनी होती है लेकिन तुम्हारी दुकान तो तुम्हारे घर के नीचे ही है ना तो क्या वो कभी घर नहीं आते जाते । मेरे कहने का मतलब की दुकान के ऊपर ही घर होने की वजह से क्या दिन में कभी उनका घर में चक्कर वगैरह नहीं लगता कभी कभी लेकिन वह ज्यादातर समय दुकान में बताते हैं । अगर कहीं किसी कारण वर्ष उन्हें घर में आना पडे तो वहाँ भी वह ज्यादा समय नहीं गुजारते । जिस काम से आते हैं वो काम करके जल्दी से दुकान में जाने की करते हैं । वो क्यों भैया, आपको माँ के स्वभाव का तो पता ही है । वो किसी ना किसी वजह से पिताजी से झगडा करने लग जाती हैं । शायद वो किसी झगडे में नहीं पडना चाहते होंगे जिस वजह से वो घर में काम वक्त बिताते हैं । इसका क्या कारण हो सकता है? मेरे कहने का मतलब है कि उनके बार बार झगडे की वजह क्या हो सकती है क्योंकि अगर उनके झगडे की वजह पता चल जाए तो उनकी समस्या का समाधान निकल सकता है । ये मुझे नहीं पता लेकिन मैं एक बार जाना चाहता हूँ की माँ को मेरे और पिताजी के साथ झगडने का बहाना चाहिए होता है । वो किसी ना किसी बहाने मुझे डांटती रहती है । तुम चिंता मत करूँ और मेरी बात सुनो । तुम बिना किसी को बताए डॉक्टर से मिले हैं जैसे की चिंता मत करो । जितने पैसे लगेंगे मैं दे दूंगा तुम अपनी इस अटक अटक कर बोलने वाली बीमारी का इलाज करवाऊँ । ठीक है भैया मैं एक दो दिन में ही डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बात करता हूँ । पंकज ने इस बारे में मीना से बात की है तो तुम अपनी समस्या के समाधान के लिए किसी डॉक्टर से बात करना चाहते हो? हाँ, लेकिन तुम इस बारे में अपने पिता से क्यों नहीं बात करते हैं? आखिरकार तो उनकी हालत हो और हम पिता का ये फर्ज बनता है और हर पिता का ये फर्ज बनता है कि अपनी हालत की समस्या का हल ढूंढने मैं किसी व्यक्ति की समस्या में नहीं पडना चाहता है । की समस्या मतलब हाँ व्यर्थ की समस्या पहले से ही मेरे परिवार वाले मुझसे नाराज रहते हैं । माँ को तो मुझसे झगडा करने का बहाना चाहिए होता है और अगर उन्हें पता चल गया कि मैं किसी डॉक्टर के पास जा रहा तो वह बात का बवंडर बनाकर और बात को तोड मरोडकर पिताजी के सामने पेश कर देंगे जिससे कि मेरी समस्या और भी बढ जाएगी । मैं ये सब नहीं चाहता हूँ तो मगर मेरी मदद करना चाहती हो तो बताओ तो ऐसी बातें क्यों करते हो? मेरी नजर में डॉक्टर है जो कि तुम्हारी मदद कर सकता है । कौन है वो? डॉक्टर सुरेश डॉक्टर सुरेश वो कौन है? डॉक्टर सुरेश मेरे पिता के बहुत अच्छे दोस्त हैं । हम उनसे मदद मान सकते हैं । अगर तुम चाहो तो मैं पिताजी से बात कर सकती हूँ । लेकिन लेकिन क्या? लेकिन अगर उन्होंने मेरे घर में बता दिया तो तुम्हें तो पता ही है इस बात को लेकर मेरे घर में बवाल हो सकता है । पंकज वैसे तो मुझे इसमें बवाल वाली कोई बात नहीं लग रही है क्योंकि तुम कौन सा कोई गलत काम करने जा रहे हो । लेकिन अगर फिर भी तुम चाहते हो कि इस बारे में किसी से कोई बात ना की जाए तो तुम इसके लिए बेफिक्र रहो । इस बारे में किसी को पता तक नहीं चलेगा । मैं पिता जी से बात कर लुंगी ठीक है । मुझे इंतजार रहेगा और मीना नहीं । अपने पिता से पंकज के बारे में बात किया और उसके अगले दिन मीना के पिता ने पंकज को अपने घर बुलाया । हाँ तो बेटा जी मीना कह रही थी कि तुम्हें किसी डॉक्टर से मिलना है जी । पंकज ने धीरे से डरते हुए कहा यार तुम डर क्यों रहे हो? आराम से बैठो तो मेरे बेटे सामान हूँ । अगर तुम्हें कोई समस्या है तो उस कार्य में आराम से बात करूँ । अंकल जी मीना ने आपसे बात तो की होगी । मुझे बोलने में कुछ समस्या है । इस बारे में किसी डॉक्टर से बात करना चाहता हूँ । लेकिन मैं अपने परिवार वालों को इस बारे में नहीं बताना चाहता हूँ । ठीक है बेटा जैसा तुम चाहो वैसा ही होगा । मैं डॉक्टर सुरेश से इस बारे में बात कर लूंगा । तुम कल जाकर उनसे मिल लेना । ठीक है अंकल जी अगले दिन पंकज डॉक्टर सुरेश से मिलने उनके क्लिनिक में चला जाता है । उसके साथ मीना भी जाती हैं । नमस्कार अंकल जी आओ मीना बेटी क्या हाल है? सब बढिया है और चुनाव कैसे आना हुआ? अंकल जी वो पिताजी ने पंकज के बारे में आप से बात की होगी । हाँ, कल रात को उसका फोन आया था । अच्छा तो ये है वो पंकज जी पंकज बेटा अपनी समस्या के बारे में खोल कर बताओ अंकल जी, मुझे खुद ही मालूम नहीं कि मेरी समस्या क्या है? क्या मतलब मतलब की मुझे कभी कभी बोलने में बहुत समस्या आती हैं । मैं बोलते समय अचानक से रुक जाता हूँ । वोट कांपने लगते हैं और पसीने में तरबतर हो जाता हूँ और एक भी शब्द मुझसे नहीं निकल पाता । पंकज बेटा तुम्हारी इस परिस्थिति को हकलाना कहते हैं यानी तुम्हें हकलाहट की समस्या है । हकलाहट की समस्या ये क्या होती है? मीना ने पूछा । मीना बेटी, जो शब्द किसी बात को रुक रुककर बोले या बोलते समय अचानक आवाज ना निकले उस स्थिति को हकलाहट कहते हैं । ये स्थिति बात को शुरू करने से पहले या बीच में पैदा हो सकती हैं । हम बोल चाल की भाषा में हम इसे अटक अटक कर बोलना भी कहते हैं । डॉक्टर साहब ये क्या है ये किस बला का नाम है? मैं सबसे बिल्कुल अनजान अगर इसके बारे में मैं जानता हूँ तो बस इतना कि जब मैं कभी कुछ गुनगुनाता हूँ, मतलब कोई गाना गाने लगता हूँ तब कोई समस्या नहीं होती । या फिर अकेले में या अपने किसी परिचित के सामने बात करते समय मुझे कोई समस्या नहीं होती । मतलब कहने का ये है कि मैं अपने घर में और आपने कुछ निकटतम संबंधियों के सामने बडे आराम से बातचीत कर लेता हूँ । वहीं इसके विपरीत याने की घर से बाहर और किसी अंजान व्यक्ति के सामने मुझे बोलने में समस्या होने लगती है । देखो पंकज बेटा हकलाना तुम्हारी मुख्य समस्या नहीं है । अगला आने के बारे में दिन रात सोचकर उसकी चिंता करना ये तुम्हारी समस्या है । हकलाहट की समस्या को दूर करने के लिए सबसे पहले तो मैं उसकी चिंता करनी छोडनी होगी । मैं तुम्हें कुछ दवाइयाँ लिख देता हूँ । ये दवा तुम्हारी चिंता को खत्म करने में तुम्हारी सहायता करेगी । पंकज डॉक्टर से दवा लेकर घर आ जाता है । वो बहुत खुश होता है क्योंकि उसे लगता था कि उसे अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म करने के लिए दवा मिल गई थी । जिससे खाकर वह अपनी समस्या से सदा के लिए छुटकारा पा लेगा । परंतु जैसे उसने दवा को खाया तो दवा खाते ही कुछ देर के बाद उसका सिर्फ घूमने लगता है । वो असहाय होकर अपने बिस्तर में गिर जाता है । कुछ देर के बाद पंकज की बहन सपना उसके कमरे में आती हैं और उसे उठने के लिए कहती हैं भैया जो माँ बुला रही हैं क्या काम है? माँ खाना खाने के लिए कह रही है उनको बोलो की मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है । मैं बाद में खा लूंगा । ठीक है मैं वहाँ से क्या देती हूँ? क्या हुआ आया नहीं । पंकज मानी सपना से पूछा नहीं भैया बोल रहे हैं कि उन के सर में दर्द हो रहा है तो बाद में खाना खा लेंगे । नहीं कहता है तो ना सहित जब लाल साहब को भूख लगेगी तो होता जाएगा । पंकज को दवाई का नशा था जिस वजह से वह हो गया और रात तक सोता ही रहा । इस दौरान उसे जगाने के लिए क्या उसका हाल पूछने के लिए कोई भी नहीं आया? रात को जब उसके पिता आई तो माने उसके पिता से शिकायती लहजे से कहा देखो जी मैं किसी की नौकरी नहीं हूँ जो कि हर किसी के पीछे खाना लेकर घूमती रहूँ । आप क्या हो गया? क्यों चिल्ला रही हूँ? कितनी बार कहा है जब मैं रात को दुकान से घर आ जाऊँ तो यू बेवजह शोर मत मचाया करूँ? हाँ हाँ, मैं तो अब शोर मचाते हूँ तो आपके लार साहब के नखरे जेल हूँ । उसके बाद आपकी जली कटी बातें भी सुना हूँ । अब मैंने ऐसा क्या कह दिया जो तुम इतना बोल रही हूँ? और पंकज ने ऐसा कौन सा पाप कर दिया है कि तुम हर समय उसी बेचारे के पीछे पडी रहती हूँ । तुम्हारा लालसाहब स्कूल से घर आते ही सीधा अपने कमरे में जाकर हो गया है और उसने दोपहर से कुछ नहीं खाया । पिया सपना को तीन बार उसके कमरे में उसे जगाने के लिए भेज चुकी हूँ लेकिन वह है कि उठने का नाम नहीं ले रहा । किसी समय किसी की तबियत भी तो खराब हो सकती है कि वो हर समय उसी के पीछे मत पडा करो । मैं देखता हूँ से उसी समय पंकज के पिता पंकज के कमरे में जाते हैं । पंकज अपने कमरे में सो रहा होता है । वो उसे जगाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह उठने का नाम नहीं लेता । गज बैठता हूँ तो क्या हुआ? बेटा हाँ जी पिताजी आप आ गए आपका भाई पंकज धीरे से अपने को बोलता है बेटा मुझे तो काफी समय हो गया । यहाँ हुए । तुम्हारी माँ कहती है कि तुमने दोपहर से कुछ नहीं खाया । हुआ क्या बात हो गई । कुछ नहीं पिता जी तभी कुछ ठीक नहीं चल कोई बात नहीं अबाउट और मेरे साथ खाना खा ले । नहीं पिता जी मुझे नींद आ रही है । मैं सोना चाहता हूँ । चल कोई बात नहीं सोचा । पंकज के पिता उसे सोने के लिए कह देते हैं और उसके कमरे से बाहर आ जाते हैं । क्या हुआ आया क्या तुम्हारा लालसाहब नहीं उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है । वो होना चाहता है उसे सोने दूँ, एक है आपकी मैं वैसे भी मैं आप दोनों के बीच में नहीं आना चाहती हैं लेकिन वो अचानक से इस की तबियत खराब कैसे हो सकती है? मुझे तो इस पर शक हो रहा है । जवान लडका है, कहीं किसी गलत संगत में ना पड गया हूँ । तुम क्या बोले जा रही हो क्या तुम बोलने से पहले सोचती नहीं हो । इस बात को लेकर पंकज के माता पिता में काफी देर तक लडाई झगडा होता रहा । पंकज की मां के अनुसार पंकज किसी गलत संगत में और उसका देर तक सोते रहना इसी गलत संगत का असर है । लेकिन उसके पिता ये बात मानने को तैयार नहीं थे । दूसरी तरफ पंकज अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने की दवाई का सेवन लगातार बिना किसी को बताए कर रहा था । जिसकी वजह से वो नशे में रहने लगा था । एक दिन दोपहर के समय पंकज की मानी पंकज के पिता को फोन किया और कहा चलो जी एक मिनट के लिए ज्यादा ऊपर घर पर आएंगे क्या? कुछ काम है क्या हुआ क्या काम है आप घर आओगे तो बताती हूँ यू फोन पर बता पाना थोडा मुश्किल है । ठीक है मैं आता हूँ । कुछ ही देर में पंकज के पिता घर में आ जाते हैं और पंकज की माँ से कहते हैं बोलो क्या बात है तो अचानक से क्यों बुला रहे हैं । ऐसे भी क्या खास बात है? देखो आप मुझे गलत मत समझो । मैं जो बात आपको बताने जा रही हूँ उसे ठंडे दिमाग से सुना । ठंडे दिमाग से तुम्हारा क्या मतलब नहीं । वो तुम बात को सुनते समझते नहीं होना जब देखो झगडा करना शुरू कर देते हो । झगडा मैं शुरू करता हूँ तुम करती हूँ । खैर छोडो इस बात मेरे पास तुमसे बहस करने का ज्यादा समय नहीं । जल्दी से बोलो क्या काम है, किस वजह से मुझे बुलाया है । मैं पंकज के बारे में तुम से बात करना चाहती हूँ क्या बात करनी है? मैं कई दिनों से देख रही हूँ कि पंकज स्कूल से आता है और सीधा अपने कमरे में चला जाता है और खाना खाकर सो जाता है और उसके बाद वो रात को कम ही बाहर निकलता है । और जब कभी मैं उसे उठाने के लिए उसके कमरे में जाती हूँ तो उठते ही उसकी आंखें लाल होती हैं । मुझे शक है कि वह किसी गलत संगत में पड गया है । ये तुम क्या कह रही हूँ? मेरी बात का यकीन करो । मैं गलत नहीं बोल रही । मैं उसकी माँ हूँ और मैं झूठ नहीं बोलूंगी । अगर तुम्हें मेरी बात का यकीन नहीं है तो तुम पंकज के कमरे में जाकर उसको देख सकते हो । पंकज की माँ की बात सुनकर उसके पिता तुरंत पंकज के कमरे में जाते हैं । वहाँ पंकज सो रहा होता है । वो उसे जगाने की बहुत कोशिश करते हैं । लेकिन पंकज दवाई खाने की वजह से नशे में होने के कारण जाग नहीं पाता । पंकज के पिता उस पर पानी डालते हैं । अपने ऊपर अचानक से पानी पढते ही पंकज उठ खडा होता है । है क्या हॅूं ये मेरे ऊपर पानी किसने डाला है तो नशा करता हूँ, कौन सा नशा करते हूँ तुम्हें नशा कहाँ से लाते हो? कौन तो मैंने अच्छा दे रहा है । पंकज के उठते ही पंकज के पिता उस पर सवालों की बौछार कर देते हैं । ये आप क्या कह रहे? पिताजी कौन सा नशा? ऐसा नहीं मैं कोई नशा नहीं करता हूँ । आपको कोई गलतफहमी हुई है? मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुई है । जाकर अपने यहाँ के लिए कितनी लाल हो रखी है । दो । मेरी बात का सीधा जवाब दे वरना मुझे पूछने के और भी तरीके आते हैं । बता कौन सा नशा करता हूँ और ये नशा कहाँ से लाता है? पिताजी मुझे आप की सौगंध मैं किसी प्रकार का कोई नशा नहीं करता है । अगर तुम कोई नशा नहीं करते तो फिर सारा दिन ऐसे सोच क्यों पडे रहते हो । अगर आप गुस्सा न करें तो मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ बोलो मैं अपनी हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए एक दवाई का सेवन करता हूँ । उस दवाई की वजह से मेरा शरीर हो जाता है और ऐसा लगता है कि जैसे मैं नशे में कौन सी दवाई कैसे? दवाई तो भी दवाई कहाँ से ले रहे हो तो झूठ बोल रहा हूँ नहीं पिता जी मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूँ । मैं ये दवाई मीना के पिता जी के दोस्त डॉक्टर सुरेश से ले रहा हूँ । मुझे मेरी बात पर बिल्कुल या कि नहीं चल मेरे साथ अभी चल मेरे साथ अभी उस डॉक्टर के पास चल ठीक है पिता जी अगर आप को मेरी बात का यकीन नहीं तो मेरे साथ अभी चलो । पंकज के पिता तुरंत पंकज को लेकर उस डॉक्टर के पास चले जाते हैं । डॉक्टर के पास जाकर वो उस से पंकज की इस हालत के बारे में पूछते हैं । वो उनसे कहते हैं डॉक्टर साहब क्या आपने इसको हकलाहट की समस्या को काबू करने संबंधी कोई दवाई दी है? जी हाँ बिल्कुल । ये कुछ दिनों पहले मेरे पास आया था और इसने अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में मुझसे बात की थी । यहाँ पंकज अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गया था । उसको डिप्रेशन से उभारने के लिए ही मैंने इसे एंटीडिप्रेशन की दवाइयाँ दी थी और इस की ऐसी हालत की वजह यही एंटीडिप्रेशन की दवाइयाँ कैसी दवाई ये तो मुझे कोई नशे की दवाई लगती है क्योंकि जब ये दवाई खाता है ये सारा दिन नशे में रहता है । भाई साहब है आप चिंता ना करें, सब ठीक हो जाएगा । डॉक्टर साहब, चिंता कैसे ना करूँ । जवान बेटा है और कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहेगा की उसका जवान बेटा सारा दिन नशे में रहे । आप हमें माफ कर दीजिए, हमें आपसे कोई दवाई नहीं चाहिए । पंकज के पिता पंकज को लेकर वापस घर आ जाते हैं और उसे डॉक्टर की दी हुई दवाई खाने से मना कर देते हैं । परंतु पंकज नहीं मानता और वो अपने पिता से दवाई खाने की जिद करता है । पिताजी ऐसा मत कीजिए, मुझे दवाई कराने दीजिए । मैं अपनी हकलाहट की समस्या से निजात पाना चाहता हूँ । मैं जीना चाहता हूँ । मेरी हकलाहट की समस्या की वजह से लोग बडा मजाक बनाते हैं । मैं किसी के मजाक का पात्र नहीं बनना चाहता । बेटा तुम समझने की कोशिश करूँ । हकलाहट जैसी समस्या की किसी प्रकार की कोई भी दवाई नहीं होती हैं । अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए किसी और डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं । लेकिन पिताजी लेकिन क्या अब इसके आगे कुछ नहीं कहना? पंकज और उसके पिता में दवाई को लेकर काफी देर तक बहस होती रहती हैं । लेकिन पंकज के पिता दवाई खाने के लिए रजामंद नहीं होते हैं क्योंकि पंकज के पिता का मत था कि हकलाहट जैसी समस्या के समाधान के लिए किसी प्रकार की कोई दवाई नहीं बनी है और उस डॉक्टर ने जो दवाई दी है वो हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए नहीं थी । बल्कि वह दिमाग को हकलाहट की समस्या को बुलाने के लिए दवाई नहीं यूँ कह लो कि वह एक प्रकार का नशा था जिस नशे को करके मैं अपनी हकलाहट की समस्या को कुछ देर के लिए भूल जाता था । दूसरी तरफ पंकज का कहना था की वह दवाई का कर अपनी हकलाहट की समस्या से निजात पाना चाहता हूँ क्योंकि उसकी यही हकलाहट की समस्या उसे जीने नहीं दे रही थी । उसके सहपाठी अध्यापक और यहाँ तक कि उसके करीबी मित्र उसकी हकलाहट की समस्या का मजाक बनाते थे । कोई मिलाकर वो किसी ना किसी प्रकार से अपनी हकलाहट की समस्या का समाधान करना चाहता था । लेकिन पंकज के पिता उसे समझाते हैं और उसको लेकर अन्य डॉक्टर के पास जाते हैं । वो उन्हें समझाता है और कहता है कि हकलाहट की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किसी प्रकार की कोई दवाई नहीं होती और वह उन्हें ऐसी कोई भी दवाई खाने से मना कर देता है । पंकज को अपनी हकलाहट की समस्या से छुटकारा पाने के लिए जो एकमात्र आशा की किरण वह उस डॉक्टर के कहने के कारण हो चुकी थी, अब वो पहले से ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगा था । इसका कारण ये था कि जब वो दवाई खाता था तो भले ही वो उस दवाई की वजह से मैं ऐसे में रहता था परन्तु उसे अपने ठीक होने की उम्मीद थी और इसी उम्मीद की वजह से वो कई प्रकार के सपने बोल चुका था । यानी वो हर समय यही सोचता था कि जब वो अपनी समस्या से छुटकारा पा लेगा तो वो अपने सारे सपने पूरे कर लेगा है । वह सारी दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता था । और जो काम वो अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से नहीं कर पा रहा था वो उसे पूरा करेगा परन्तु अब उसके सपने टूट चुके थे ।

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Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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