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मेरा उकाब - 13 in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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चैप्टर तेरह सुख अदन पंकज की घर वापसी के बाद में अगले दिन अपने घर की ओर रवाना हो जाता हूँ । पंकज की घर वापसी मेरे लिए काफी सुखद अनुभव था । ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे बहुत ही लंबी लडाई के बाद को योद्धा युद्ध जीतकर अपने घर वापस आ गया हूँ । अब उसके लिए जो मेरी चिंता थी वह दूर हो चुकी थी । खैर मेरे तलाक के केस का फैसला भी हो जाता है और अदालत ये फैसला सुनाती है कि मुझे अपनी पत्नी ईशा को दहेज का जितना सामान है वह वापस देना होगा । इसी सिलसिले में ईशा को आज अपने माता पिता के साथ मेरे घर में अपना सामान लेने आना होता है । बेटी जल्दी करना हमारे पास समय बहुत करते एशिया की माँ एशिया से कहा ईशा की माँ ने ईशा को कहा ईशा की माने एशिया को कहा एशिया की माँ के पास उसके सामान की सारी लिखित सूची होती है और वो ईशा को वह सारा सामान निकालने के लिए कहने लगती है । मैं घर की बालकनी में जाकर कुर्सी लगा कर बैठ जाता हूँ । तभी वो मेरे पास आती है और मुझसे कहती है मुझे कुछ सामान नहीं मिल रहा । मेरे पास आकर मेरी मदद करूँगा । ये घर तुम्हारा था और जैसा तुम छोड कर गई थी वैसे ही तो मैं जहाँ जहाँ अपना सामान रखा होगा वहाँ पर ही होगा । एक बार तो जाओ मैंने तो स्टोर रूम में जाना है । वहाँ पर मुझे कुछ सामान नहीं मिल रहा है । मैंने एक बार कह दिया तो कह दिया मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं आऊंगा । मैं यहाँ पर ही बैठा हूँ । तो मैं जो कुछ चाहिए वहाँ से ले लो और एक बात और तुम्हारा सामान जहाँ है वहाँ ही होगा । मेरे या मेरी माँ के ऊपर इल्जाम लगाने की कोई जरूरत नहीं है । मेरी माँ तो अब इस दुनिया में नहीं रहे इसलिए अब इस बार उन पर किसी प्रकार का कोई इल्जाम लगाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा क्योंकि तुम्हारा और तुम्हारी माँ का हर बार यही काम होता है । किसी ना किसी पर तुम बेवजह इल्जाम लगा देते हैं तो मैं जो कुछ चाहिए मिल जाएगा, बस शांतिपूर्वक यहाँ से अपना सामान लेकर चले जाते हैं । मुझे किसी प्रकार का कोई बवालिया, लडाई झगडा नहीं चाहिए । मैं पहले से ही बहुत दुखी हैं और मैं और दुखी होना नहीं चाहता था । लेकिन मैंने तो बस इतना ही कहा है कि मेरे साथ चलो और सामान निकालने में मेरी मदद करूँगा । इसमें लडाई झगडा यहाँ बवाल मचाने वाली बात कहाँ से आ गई । मैं तुमसे ज्यादा बहस नहीं करना चाहता हूँ और मुझे एक बात बताओ मैं तुम्हारी मदद की इस रिश्ते से करूँ तो महारा मेरा रिश्ता ही किया है तो हमारा मेरा रिश्ता ही किया है जो मैं तुम्हारी मदद करूँगा । हम दोनों के बीच किसी किस्म का कोई भी रिश्ता नहीं रहा तो इसमें मदद करने का कोई सवाल पैदा नहीं होता । क्या सच में हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहा? क्या तुम भी इस बात को मानते हो? शायद तुम भूल रही हूँ की तुमने अभी भी कोर्ट से अपना तलाक का मुकदमा जीता है । तुम्हारी माँ के हाथ में जो कागज हैं तो हमारे तलाक के केस के स्वागत है जिसमें साफ साफ लिखा है कि हमारा तलाक हो गया है यानी कि अब हमारे बीच में कोई रिश्ता नहीं रहा है । इसकी एवज में मैंने तुमसे दहेज में जो भी सामान लिया है मुझे वापस करना होगा और अब तुम वो सामान लेकर जा सकती हूँ । वैसे भी हमारा रिश्ता तभी खत्म हो गया था जब तुमने मेरे और मेरे माता पिता के ऊपर इल्जामों की बौछार कर दी थी । आज के बाद हमारा आपस में कोई रिश्ता नहीं रहेगा और मैं तुमसे आशा करता हूँ की भविष्य में हमारी कभी मुलाकात भी नहीं होगी । लेकिन मुझे सारी उम्र इस बात की हैरानी जरूर रहेगी की जितने इल्जाम तुमने मेरे माता और पिता आपके ऊपर लगाए कि जितने इल्जाम तुमने मेरे और मेरे माता पिता के ऊपर लगाए हैं क्या वह सब सस्ते मैं और ईशा दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी पीछे से उसकी माँ ने आवाज लगाई और उसे अपने पास आने को कहा । एशिया मैंने तो मैं पहले भी कितनी बार कहा है कि हमारे पास समय बहुत कम है तो बातों में अपना समय व्यर्थ । मतलब तुम जल्दी से अपना सामान ढूंढो और उन्हें बांधों एशिया की माँ ईशा को बार बार सामान निकालने के लिए बोले जा रही थी लेकिन वह चुपचाप खडी रही थी । वो उसकी बात को अनसुना कर रही हैं और चुपचाप किसी मूर्ति की तरह खडी रहती है । कुछ देर के बाद वह कुर्सी पर बैठ जाती है और अपना सर नीचे करके जोर जोर से रोने लग जाती है लेकिन एशिया की माँ उसे चुप कराने के बजाय उसे उठकर अपना सामान निकालने के लिए कहती हैं । कुछ समय के बाद ईशा अचानक से उठती है और मेरे पास आ जाती है । मुझे माफ कर दो । एशिया के मुंह से यू माफी की लव सुनकर मैं अचानक से चौक जाता हूँ और मैं कुछ न कहते हुए उस की तरफ देखता रहता हूँ । ईशा मेरे सामने हाथ जोडकर खडी रहती है और मुझ से बार बार माफी के लिए गुहार लगाती है । ये देखकर उसकी माँ उसके पास आ जाती हैं और उससे कहती है बेटी है तो क्या कर रही है तो मैं मैंने कितनी बार कहा है कि बातें मत करो और अपना सामान बहन लोग हमें देर हो रही है । बाहर गाडी वाला हमारा इंतजार कर रहा है लेकिन एशिया अपनी माँ की बातों को अनसुना कर देती हैं और मुझे कहती है मुझे माफ कर दो उससे बहुत बडी गलती हो गई । मैं जानती मैं अपनी माँ की बातों में आ गई थी । मैं तुमसे जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे । तुम्हारे बिना जिंदगी व्यतीत नहीं कर सकूंगी । ईशा की बात को सुन कर मुझे ये पता नहीं लग रहा था कि मैं उसकी बातों पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया करेंगे । मैं उसकी बातें सुनकर वहीं खडा रहता हूँ और उसकी तरफ देखने लगता हूँ । कुछ समय के बाद में जोर से हंसते हुए बॉलकनी में खडे होकर बाहर की तरफ देखने लग जाता हूँ । एशिया फिर से मुझसे माफी मांगने लगती है और मुझे माफ करने की गुहार लगाने लगती है । मैं पीछे मुडकर उस की तरफ देखता हूँ लेकिन उसे अनदेखा करते हुए उसकी माँ की तरफ देखकर उनसे कहने लगता हूँ सोनू आंटी जी अब मैं आपको माँ जी तो नहीं कह सकता हूँ तो इसलिए आंटी जी ही करूँगा । आंटी जी सुनो और ये देखो कि आपकी लडकी मुझसे क्या कह रही है । ये आपका और मेरा समय बर्बाद कर रही हैं । कृपया इसे यहाँ से ले चाहिए और अपना सामान बांध कर जितनी जल्दी हो सके अपने घर में चले जाइए । ये सुनकर ईशा की माँ गुस्से से ईशा की तरफ आती हैं और उससे कहती हैं ये तो क्या करेंगे तो मैं उससे माफी की मांग रही हूँ । आप तुम्हारा तलाक हो चुका है तो मैं उससे माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है । ये देखो तलाक के कागज ईशा की माँ जैसे ही ईशा को तलाक के कागज दिखाती है । एशिया अपनी माँ से तलाक के कागज छीनकर रोते हुए उसे फाडने लगती है और अपनी माँ से कहती है मुझे तलाक में ही चाहिए । मैं अपने पति के साथ ही रहूंगी तो ये क्या पागलपन कर रही है तो मैं इसको क्यों भाडा तो नहीं जानती है तो उन्हें ये क्या कर दिया लेकिन एशिया अपनी माँ की बात को अनसुना कर देती है और घुटनों के बल बैठकर जोर जोर से रोने लग जाती है । तभी उसकी माँ पीछे से आती है और उसे डांटते हुए कहती है ये बेफिजूल का रोना धोना, बंद कर और उठो और अपना सामान बहन लोग हमें देर हो रही है । अगर होना ही है तो घर में जाकर जितना मर्जी होरो लेना । अपनी माँ की बात सुनकर ईशा को पता नहीं क्या हो जाता है और वो उठते ही अपनी माँ को जोर से थप्पड मार देती है । ये दृश्य देखकर मैं और ईशा के पिता हैरान हो जाते हैं । तभी ईशा अपनी माँ को कहती है माँ मुझे कहीं नहीं जाना मुझे यही रहना है । अगर उन्होंने भी मुझे नहीं रखा तो मैं मर जाऊंगी लेकिन आपके पास कभी नहीं आऊंगी । मेरी जिंदगी का ये जो हाल हुआ है इसकी जिम्मेदार आप ही है । आपने ही मेरी जिंदगी को बर्बाद किया है । हाँ, आप ही के कहने पर ये सब हुआ है । लेकिन मैं आपसे कहना चाहती हूँ कि अब मैं आपका कहा नहीं मानूंगी, मैं आपके साथ नहीं जाऊंगी । मैं यही अपने पति के साथ होंगी क्योंकि मैं अपना घर बसाना चाहते हैं । मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूँ । बेटी है तो क्या पागलो जैसी बातें कर रही हूँ । तुम शायद भूल चुकी होगी । तुम्हारा तलाक हो चुका है और अब तुम्हारा पति तो मैं स्वीकार नहीं कर सकता । तुम्हारी शादी टूट चुकी है । तुम अपने पति के साथ नहीं रह सकती और फिर ये तो क्या कह रही हूँ कि तुम्हारा जीवन बर्बाद हो चुका है । और इस बर्बादी की वजह मैं मैंने तुम्हारा जीवन बर्बाद नहीं किया । तुमने खुद अपना जीवन बर्बाद किया है । तुम्हारी इस परिस्थिति की जिम्मेवारी तुम हो नहीं, आप झूठ बोलती है । आपने ही मेरे शादीशुदा जीवन को बर्बाद किया है । मेरे शादीशुदा जीवन में शहर खोलने का काम आप नहीं किया है । मैं नादान थी, आपके बताये रास्ते पर चलती रही । भेजा तो हद से ज्यादा बढ रही हूँ । मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे तुम्हारा शादीशुदा जीवन बर्बाद हो जाएगा । अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी शादीशुदा जीवन को बर्बाद करने की जिम्मेवार मैं हूँ तो यहाँ हम सब बैठे हैं । इन सब में बैठकर साबित करो कि तुम्हारी जिंदगी में जो कुछ हुआ है इन सब में बैठकर साबित करो कि तुम्हारी जिंदगी में जो कुछ हुआ है उसकी जिम्मेदार में हूँ । जब किसी लडकी की शादी होती है तो उसे समझाया जाता है की उसे अपने ससुराल में कैसे रहना है, कैसे अपने साथ घर को संभालना है, कैसे अपने साथ ससुर की सेवा करनी है और कैसे अपने पति की देखभाल करनी है लेकिन आपने ऐसा कभी नहीं किया । आपने मुझे सिर्फ ये बताया कि अपने पति को वश में कैसे करना है और कैसे अपने पति से अपनी हर बात को मनवाना है । आपने ही मुझे सिखाया है कि अपने ससुराल में राज कैसे करना है लेकिन आपने मुझे ये नहीं बताया कि ससुराल भी मेरा घर ही है और मुझे अपने घर में कैसे रहना है । जब भी मेरी अपने पति से कभी लडाई हुई तो आपने उस लडाई को खत्म करने की बजाय उसको और हवा देने की कोशिश की । आप मुझे हर समय यही उदाहरण देती रही कि जिस प्रकार मैंने तुम्हारे पिता को अपने वर्ष में क्या है तो मैं भी अपने पति को अपने वर्ष में करना होगा । फिर तुम अपनी असली जिन्दगी का मजा ले सकता हूँ । लेकिन मुझे ये बात समझ में नहीं आई की अपने पति को अपने वर्ष में करके मैं क्या करूँ । ऐसे कौन से जिंदगी के मजे ले लूंगी । यहाँ तक कि आपने मेरी निजी जिंदगी में भी दखल अंदाजी शुरू कर दी और आपकी इसी दखलंदाजी की वजह से हमें औलाद का सुख प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि मैं ससुराल में अपना ज्यादातर समय लडाई झगडे मनमुटाव में ही गुजारती रही । मैंने माँ बनने की ओर कभी ध्यान नहीं दिया । मेरी सासु माँ जो कि अब इस दुनिया में नहीं है उनका ध्यान हर समय यही रहता था की मैं किसी ना किसी प्रकार से औलाद का सुख प्राप्त कर लो । लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं सोचा । आपको इस बात की कभी चिंता नहीं होती थी । आपको सिर्फ इस बात की फिक्र होती थी कि मेरा दामाद मेरी बेटी के कहने से कहीं बाहर न चला जाएगा । शर्म आती है मुझे अपने आप पर की । मैं आपका कहा मानती रही । तभी ईशा की बात सुनकर उसके पिता आगे आए और उससे कहने लगे, चलो घर चले अब पछताने से कोई फायदा नहीं है । अब तुम्हारा इससे कोई रिश्ता नहीं तो हम अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोचो । पिताजी पिता जी, मेरी जिंदगी के बारे में चिंता आपको कब से होने लगी? अगर आप को मेरी जिंदगी के बारे में चिंता होती है तो आज हमें ये दिन देखना पडता है । आपने कभी इस बात का विरोध नहीं किया । आपके सामने सब कुछ गलत हो रहा था और आप ये सब देखते रहे । लेकिन आप कभी कुछ नहीं बोले हैं । पता नहीं इस समय मुझे क्या हुआ । शायद ये सब मुझे अच्छा नहीं लग रहा था । मैं वहाँ से उठकर दूसरे कमरे में चला गया और दरवाजे को थोडा सा बंद कर दिया । ये सब देखकर उसकी माँ एशिया कोई बेटी बात को समझने की कोशिश करते । अब तुम्हारा मोहित के साथ कोई रिश्ता नहीं रहा । अब तुम्हारा तलाक हो चुका है । लेकिन मैं इस तलाक को नहीं मानती । तुम्हारे मानने या ना मानने से कोई फर्क नहीं पडता । अब तो मोहित की ओर ही देखो । अगर वो चाहता तो वापस अपनी पत्नी स्वीकार कर सकता था । तुम इतनी देर से हो रही है, उससे माफी मांग रही । लेकिन उसे इस बात का कोई भी फर्क नहीं पड रहा । वोट कर हम से दूर दूसरे कमरे में जाकर बैठ गया है जिससे वो जाहिर हो चुका है कि वह भी तुमसे तलाक ही चाहता है । इसलिए मेरी मानो और सच को स्वीकार करूँ । एशिया अपने माता पिता के साथ बाहर बरामदे में सोफे पर बैठकर गाडी का इंतजार करने लगी । लेकिन एशिया के भीतर मानो जैसे कुछ टूट रहा था, दिल बैठा जा रहा था । वह सुननी पडती जा रही थी । जिस सोफे पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी । कैसे कैसे बचत करके उसने और मैंने वह सोफा खरीदा था । ईशा पूरे शहर में घूमी थी तब ये पसंद आया था । फिर उसकी नजर सामने तुलसी के सूखे पौधे पर गई । कितनी शिद्दत से देखभाल किया करती थी । लेकिन अब उस की गैर हाजिरी में तुलसी का पौधा भी सूख गया था । ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसके साथ तुलसी भी घर छोड गई थी । समय गुजर रहा था और इस गुजरते समय के साथ साथ ईशा की घबराहट और बढने लग गई और वह फिर से उठकर भीतर चली गई । एशिया की माँ ने पीछे से पुकारा मगर उसने माँ की बात को अनसुना कर दिया । वो मेरे कमरे की लडाई मेरे कमरे की तरफ आई और उसने दरवाजे को थोडा सा खोला । कमरे में मैं बैठ पर उल्टे पडा था तो उसने फिर से मुझ से बात करने की कोशिश की लेकिन शायद वो दोबारा से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई । शायद उसने अपने आप को मानसिक तौर पर तैयार कर लिया था । वो जानती थी कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नहीं होना है । मैं छुप छुप कर चोरी यहाँ से उसकी ओर देख रहा था । वो चुप चाप खामोश खडी थी और कमरे की दीवारों की तरफ नजर घुमाकर कुछ ढूंढने की कोशिश कर रही हैं । तभी अचानक उसकी नजर कमरे में पडी । हमारी तस्वीर की ओर करके वो तस्वीर को उठाकर देखने लग गई । उस तस्वीर में हम दोनों बहुत ही खुश नजर आ रहे थे । वो तस्वीर को सीने से लगाकर जो ने लगभग शायद उसे मेरे साथ बिताए । वो हसीन पल याद आ रहे थे जो हमने अपनी शादी के शुरूआती दिनों में बताए थे । मुझसे ये दृश्य नहीं देखा जा रहा था लेकिन अब मैं कुछ नहीं कर सकता था । मैं मजबूर था क्योंकि शुरुआत क्योंकि शुरुआत उसी ने की थी । आठ साल हमारी शादी को हो चुके थे और उनमें से हमने शुरुआत के एक या दो साल ही हंसी खुशी का जीवन व्यतीत किया था । बाकी के तीन साल झगडने और रूठने मनाने में लग गए और उसके बाद के चार साल तलाक के केस में गुजारती । तभी अचानक ईशा की माँ उसे ढूंढती हुई मेरे कमरे की ओर आ गई और उसे बाजू से पकडकर बाहर ले गए । बाहर गाडी आ गई थी । सामान गाडी में डाला जा रहा था । एशिया सुंदरसी बैठी थी । गाडी की आवाज सुनकर मुझे पता नहीं अचानक से क्या हुआ है और मैं दौड कर बाहर आ गया । मैं गाडी के आगे कान पकडकर घुटनों के बल बैठकर और नजरें झुकाकर ईशा को कहने लगा मत जाओ माफ कर के तुम्हारे जाने के बाद मैं और भी अकेला पड जाऊंगा । शायद यही वह शब्द थे । शायद यही वह शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए ईशा सडक रही थी । वो तुरंत गाडी से उतरी और मुझे उठाकर मेरे सीने से लिपट गई । इस दौरान हम दोनों अपने आंसुओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और काफी समय तक लगातार रोते रहे । इस दृश्य को मेरे मोहल्ले के लोग देख रहे थे और आंखों ही आंखों में हमारे दोबारा से बने इस रिश्ते को और आंखों ही आंखों में दोबारा से बने हमारे इस रिश्ते को अपनी सहमती दे रहे थे । कुछ साल बाद पंकज जब बहुत ही प्रसिद्ध गायक बन चुका था । उसे अपनी गायकी के बलबूते बहुत पैसा, नाम और पंखा जब बहुत ही प्रसिद्ध गायक बन चुका था । उसने अपनी गायकी के बलबूते बहुत पैसा, नाम और शोहरत कमा ली थी । उन पैसों की बदौलत उसने अपना अलग से घर ले लिया था । उस घर में पंकज अपने पूरे परिवार के साथ रहने लग पडा था । तब उसकी माँ उसके साथ गुस्सा नहीं करती थी और उसके पिताजी उसके साथ झगडा भी नहीं करते थे । कुल मिलाकर सब कुछ ठीक हो चुका था । उसके कुछ सालों के बाद पंकज ने मीना के साथ शादी कर ली और अपना अलग से घर बसा लिया । शादी के एक साल बाद उसके घर एक शादी के एक साल बाद उस की बीवी ने एक बच्चे को जन्म दिया । उसने अपनी शिखर आंटी के कहने पर उसका नाम चीज हो रखा है । लेकिन वो आज तक चीकू नाम के पीछे छुपे रहस्य के बारे में जानना सका । उसने कई बार शिखर आंटी से इसके पीछे के रहस्य के बारे में जानना चाहते लेकिन हर बार उसे हस्कर डाल देती और यही कहती कि जब समय आएगा तो वो उसके बारे में खुद बता देंगे । और फिर रही बात मेरी तो मेरा तलाक का केस पहले ही खारिज हो चुका था और मैंने अपनी पत्नी ईशा के साथ फिर से दोबारा अपना घर बसा लिया था । अब मुझे बिलकुल भी झगडा नहीं करती थी और अपनी माँ की दखलंदाजी तो अपने घर में बिल्कुल भी नहीं होने देती थी । वो अपने मायके में जाना पसंद नहीं करती थी । उसकी वापसी के दो साल बाद मेरे घर में भी एक बेटा पैदा हुआ । पंकज को मैं जब भी देखता हूँ तो मुझे उसके जीवन की कहानी याद आने लगती है । अब तो वह पहले जैसा बिल्कुल नहीं रहा था । अब वो बहुत ही आत्मविश्वास के साथ रहता है । सभी से हंस हंस कर बातें करता है । वो पहले की तरह डर डर के नहीं जीता था । सच में वो खुले आसमान में उडने वाला मेरा वो का बन चुका था । मेरा उकाब बडा हो चुका था । वो अपने पंख फैलाकर पूरी दुनिया में उड रहा था । उसकी ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी थी । लोग अब उसे जानने लगे थे । उसे पहचानने लगे थे । वो बडी बडी उडान भरने लगा था । मेरा हूँ का सच में बडा हो चुका था ।

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Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे लड़के के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि हकलाहट की समस्या से परेशान है | और अपनी समस्या की वजह से उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उसे गाने का शौक है लेकिन उसके परिवार वाली खास करती है उसकी सौतेली मां उसके इस शौक को अनदेखा कर देती है और हर समय से किसी ना किसी प्रकार से प्रताड़ित करती रहती है | जिस वजह से उसका यह शौक उसका एक सपना बनकर रह जाता है | लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने दोस्तों की मदद से वह किस प्रकार अपने मकसद में कामयाब होता है | यह जानना बहुत ही दिलचस्प होगा Voiceover Artist : RJ Hemant Author : Rohit Verma Rimpu
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