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ऍम पंकज की घर वापसी इंटरव्यू खत्म हो चुका होता है और पंकज को अपने घर वापस जाना होता है लेकिन वो घर वापस आने से बहुत डर रहा होता है । वो डरता है की वो अपने घर वालों का सामना किस प्रकार से करेगा क्योंकि अब तक तो उसके घर के सभी सदस्यों को उसके बारे में पता चल चुका होगा । कुल मिलाकर उसमें अपने घरवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं होती और वो मुझे फोन करता है । हेलो भैया जी पंकज बोल रहा हूँ । हाँ पंकज बोलो क्या हाल है इंटरव्यू का क्या बना भैया जी? इंटरव्यू तो बहुत अच्छे से हो गया है लेकिन लेकिन क्या है? लेकिन समस्या यह है कि अब मैं घर कैसे जाऊँ? इसमें समस्या वाली क्या बात है तो मैं आराम से घर जा सकते हो । भैया जी शायद आप मेरी बात समझे नहीं । मेरा इंटरव्यू मेरे परिवार वालों ने भी देखा होगा । समस्या यह है कि अब मैं उनका सामना कैसे करूंगा? पंकज तो अपने घर जाते हैं । मुझे यकीन है कि तुम्हारे परिवार वाले तो मैं कुछ नहीं कहेंगे । नहीं भैया जी आप नहीं जानते हैं मेरे घर में इस समय क्या चल रहा होगा । तुम्हारे कहने का क्या मतलब है तुम्हारे घर में क्या चल रहा होगा । मैं बताता हूँ आप तो जानते ही हैं कि मेरे पिता और भाई आप के बहुत बडे प्रशंसक हैं और उसके गाने यानी मेरे गाने हर समय सुना करते हैं । जब कल रात को उन्हें पता चला क्योंकि आपका इंटरव्यू टीवी पर दिखाया जाएगा तो वो बहुत खुश हुए हैं और मेरे पिता ने छोटे भाई चेतन को कहा कि हम जरूर उसका इंटरव्यू सुनेंगे । अब जब उनको पता चल गया होगा कि उनका जिसके वो बहुत बडे प्रशंसक हैं वो और कोई नहीं बल्कि मैं हूँ तो पहले तो बहुत खुश होंगे लेकिन तभी माता जी कुछ न कुछ ऐसा बोल देंगे जिससे की पिताजी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा । माता जी इस गुस्से में आग में घी डालने का काम करेंगे और उनके गुस्से को और भडका देंगे । रही बात चेतन भाई कि तो वो भी ऐसा ही करेगा । वो मेरा बचाव करने के बजाय मेरे खिलाफ ही बात करेगा । अच्छा तो ये बताऊँ अच्छा तो ये बात है तो में काम कर तुम सीधा मेरे घर आ जाते । मैं अभी बाहर हूँ और कुछ समय के बाद मैं भी घर में ही आ रहा है । मैं खुद तुम्हें लेकर तुम्हारे घर में जाऊंगा और उन्हें इस बारे में समझा लूंगा । लेकिन आप इस समय कहाँ पर है? इस समय में कोर्ट में है और आज मेरी तलाक का अंतिम फैसला होना है । वो तो आपको समय लगेगा नहीं । कोई समय नहीं लगेगा । फैसला हो चुका है । हमने अब तलाक के कागज लेने हैं और उसके बाद हम सीधा घर में ही आ रही है । तुम भी घर के लिए रवाना हो जाओ तब तक मैं भी घर पहुंच जाऊंगा । ठीक है जैसा आप कहें मैं सीधा आपके घर में ही आ रहा हूँ और उसके बाद में मैं आपको लेकर अपने साथ अपने घर पर जाऊंगा । क्योंकि इंटरव्यू के बाद मैं अपने परिवार वालों का सामना नहीं कर सकता तो मैं इस बात की चिंता मत करो । मैं खुद तुम्हें लेकर तुम्हारे घर में जाऊंगा और तुम्हारे परिवार वालों को समझा दूंगा तो मेरे घर में आ जाऊँ । इसके बाद पंकज फोन बंद कर देता है और मेरे घर की ओर रवाना हो जाता है । वो राजेश के दफ्तर से बाहर निकलता है और तभी उसकी नजर के सामने । इसके बाद पंकज फोन बंद कर देता है और मेरे घर की ओर रवाना हो जाता है । वो राजेश के दफ्तर से बाहर निकलता है और तभी उसकी नजर सामने की ओर जाती है । सामने मीना खडी होती है । अरे मीना तो तो यहाँ क्या कर रही हूँ । तुम्हारा इंतजार बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रही थी ताकि तुम इंटरव्यू देकर बाहर आओ और मैं तुमसे जान सकता हूँ की तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा, बताओ कैसा रहा? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल ठीक रहा । बाकी लोगों की प्रतिक्रिया आने के बाद ही पता चलेगा कि वह कैसा रहा । तो मैं इस बात की चिंता मत करूँ । लोगों की प्रतिक्रिया भी सकारात्मक ही होगी । चल हूँ अब घर चलो नहीं । मुझे भी घर नहीं जाना है कि वो क्या तो मैं कहीं और जा रहे हैं । वहाँ मुझे पहले मोहित भैया के घर जाना है और उनको लेकर फिर मैं अपने घर में जाऊंगा । वो क्यों मैं कुछ समझी नहीं । मीना तुम तो मेरे बारे में सबको जानती हूँ । तुम्हें तो पता ही है कि मैंने ये जो कैसेट वाला काम किया था अपने परिवार वालों से चोरी छुप छुप कर क्या था । उन को मेरे बारे में पता ना चले इसलिए मैंने अपना नाम भी बदल दिया था । लेकिन मुझे क्या पता कि वह मेरे ही प्रशंसक निकलेंगे । वो मेरे सामने मेरे ही तारीफ करेंगे और मेरी तुलना मेरे साथ ही करेंगे । तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि वह पंकज की तारीफ आपके सामने करेंगे । हाँ बिल्कुल ऐसा ही है और उनका की तुलना पंकज के साथ करेंगे हो ये तो बहुत ही दिलचस्प बात है । उनको तो ये भी नहीं पता था कि जिस उकाब के बारे में वो अपने घर में दिन रात बातें करते हैं वो कोई और नहीं बल्कि मैं हूँ । अब जब इंटरव्यू में सब कुछ साफ साफ हो चुका है और उन्हें मेरे बारे में पता भी लग चुका है तो मैं उन का सामना नहीं कर सकता हूँ । लेकिन पंकज ऐसा कब तक चलेगा? मेरे कहने का मतलब है कि तुम्हें एक ना एक दिन तो अपने घरवालों को बता नहीं होगा और अपने परिवार वालों का सामना भी करना ही होगा । तो फिर मैंने ये सब बात नहीं भैया से कर दी है । फिर उन्होंने क्या कहा? उन्होंने क्या सलाह दी? उन्होंने कहा है कि मैं उनके पास आ जाऊँ और वो मेरे साथ मेरे घर में चलेंगे और मेरे परिवार वालों से बात करेंगे लेकिन तुमने बताया था ना कि उनके केस का भी फैसला आ जाने वाला है । उनके केस का क्या बना? मेरे कहने का मतलब है कि उनकी केस के बारे में कुछ पता चला हूँ । मेरी उनसे फोन पर बात हुई थी लेकिन केस के बारे में ज्यादा बात नहीं हुई । बस उन्होंने इतना ही कहा था कि उनका केस आज खत्म हो रहा है और वह केस के बाद सीधा घर में ही आ रहे हैं । उन्होंने मुझे भी घर आने को कहा था । यानी उनका केस अब खत्म हो गया है । हाँ लगता तो है लेकिन मेरा केस तो अभी भी चल रहा है । तो ये क्या बात कर रहे हो तो तुम्हारा कौन सा केस चल रहा है है एक ऐसा केस जिसका फैसला अभी तक नहीं हुआ । जिसकी सुनवाई तो कई बार हो चुकी है लेकिन हर बार आगे की तारीख पड जाती है । मीना पंकज की बातों को समझ जाती है कि वह उससे अपने बिहार के बारे में बात कर रहा है लेकिन वो उसके सामने न समझ होने का नाटक करती है तो तुम कोई अच्छा सा वकील कर लेते हैं । शायद केस जीत जाते हैं । ये किसी वकील के बस की बात नहीं है । मेरे इस केस को मुझे खुद ही लगना है और मजे की बात ये है मेरे इस केस में मुझे ही न्यायाधीश है, हो सकता है तुम्हारे न्यायाधीश ने तुम्हारे केस का फैसला सुना दिया हूँ लेकिन तुम्हें पता ना चला हूँ । ऐसा तो कई बार हुआ है लेकिन लेकिन क्या? लेकिन मैं चाहता हूँ कि न्यायाधीश मेरे केस का फैसला यूँ इशारों इशारों में बताने के बजाय साफ साफ लफ्जों में सुना देंगे । ऐसा होना थोडा मुश्किल है क्योंकि ऐसा न्यायाधीश की प्रकृति पर निर्भर करता है । हो सकता है तो महारा न्यायाधीश थोडा शर्म आ रहा हूँ और साफ साफ लफ्जों में अपना फैसला ना सूना पा रहा हूँ । ऐसी परिस्थिति में तो मैं खुद चाहिए की बातों में समय बर्बाद करने के बजाय उसके इशारे को समझो और मेरे हिसाब से तो मैं अब तक ये समझ जाना चाहिए । ऐसा होना थोडा मुश्किल है क्योंकि ऐसा न्यायाधीश की प्रकृति पर निर्भर करता है वो हो सकता है तुम्हारा न्यायाधीश थोडा शर्मा रहा हूँ और साफ साफ लडकियों में अपना फैसला ना सूना पा रहा हूँ । ऐसी परिस्थिति में तो मैं खुद चाहिए की बातों में समय बर्बाद करने के बजाय उसके इशारों को समझो और मेरे हिसाब से तो मैं अब तक ये समझ जाना चाहिए कि तुम्हारा ये मुझे हम जिससे तुम न्यायाधीश कह रहे हो वो इतनी देर से बाहर खडा तुम्हारे आने का इंतजार कर रहा है । क्या तुम्हारे लिए अभी इशारा काफी नहीं । इसके बाद पंकज और मीना दोनों काफी समय तक एक दूसरे की ओर देखते रहे और आंखों ही आंखों में मीना ने पंकज से अपने प्यार का इजहार कर दिया । आज मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन है क्योंकि एक ओर जहां मेरा इंटरव्यू काफी सफल रहा है वहीं दूसरी ओर मैंने अपने बचपन का प्यार भी पा लिया है । मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं अपनी खुशी का इजहार किस प्रकार से करूँ । पंकज ये सब बातें छोडो और सोचो कि तुमने घर में कैसे जाना है? मैंने तो मैं बताया तो की मैंने इस बारे में मोहित भैया से बात की है और अब मैं उन्हीं के पास जा रहा हूँ या मैं भी साथ चल सकती हूँ । हाँ चलो इसमें पूछने वाली क्या बात है हूँ । इसके तुरंत बाद पंकज और मीना मेरे घर की ओर रवाना हो जाते हैं । वो दोनों मोटरसाइकिल में आ रहे होते हैं । रास्ते में पंकज मीना को कहता है बिना तो नहीं जानती कि मैं आज कितना खुश हूँ । मैं भी क्योंकि तुम नहीं जानते मैं तुम्हें बचपन से बहुत चाहती हूँ लेकिन कभी तुम से अपने दिल की बात करने की हिम्मत नहीं कर पाई । अच्छा ये सब छोडो मुझे तुमसे बहुत कुछ पूछना है क्या? क्या तुम क्या पूछना चाहती हूँ तुम सब कुछ मेरे बारे में जानती हूँ? नहीं ऐसी बहुत सी बातें हैं जिनके बारे में मैं बहुत ही कम जानती हूँ । जैसे जैसे वो टैटू वाली बात ये तो तुम जानती हूँ तो मैं शायद बोल रही हूँ । जब मैंने टैटू बनवाया था तो सबसे पहले तो नहीं बताया था । नहीं वो वाला नहीं जिसमें तुमने मरने के बाद अपने शरीर को दान करने के बारे में लिखा है तो उसके बारे में बताना मैंने ठीक नहीं समझा । क्यों कुछ बातें ऐसी होती हैं जिससे बता पाना थोडा मुश्किल होता है । फिर छोडो इन सब बातों को ये बताओ की आगे की क्या योजना है । आगे की योजना मतलब यही शादी की तो मैं शादी के बारे में क्या सोचा है? पंकज मेरे हिसाब से इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं है । तुम पहले अपने परिवार वालों से अपने गायन के बारे में तो बात करूँ । मीना उसकी कोई चिंता नहीं है । वो सब तो आसानी से हो जाएगा । मुझे मोहित भैया पर विश्वास है । वो मेरे परिवार वालों को समझा देंगे तो ये बताओ की शादी कब करनी है? पंकज मेरे हिसाब से इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं है । बाकी अगर तुम चाहते हो तो पहले मेरे परिवार वालों से भी तो बात करनी है क्योंकि मैं चाहती हूँ कि उन्हें मेरे प्रेम सम्बन्ध के बारे में बताना चलेंगे और तुम्हारे पिता मेरे घर में रिश्ता लेकर आए क्योंकि अगर मेरे पिता का मेरे प्रेम सम्बन्ध के बारे में पता चल गया तो वो हमारी शादी के लिए कभी भी नहीं मानेंगे । हाँ, अगर तुम्हारे पिता खुद मेरे घर में रिश्ता लेकर आते हैं तो वो उनकी बात कभी नहीं डालेंगे । वो दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि तभी मोहित पंकज को फोन करता है । हेलो पंकज कहाँ पर हो गया? जी में रास्ते में हूँ और मैं आप के घर में ही आ रहा हूँ । पंकज तुम जहाँ पर हो वहीं से अपने घर की ओर निकल जाऊँ और पार्क में जाकर मेरा इंतजार करूँ । मैं कोर्ट से निकल गया हूँ और तुम्हारे घर की ओर ही आ रहा हूँ । क्यों क्या हो रही है और आप के केस का क्या बना? पंकज अमित तो मैं वहीं आकर बताता हूँ । तुम पार्क में मेरा इंतजार करो, ठीक है जैसा आप कहें । पंकज ने फोन बंद कर दिया और मीना उससे कहती है, क्या हुआ क्या कहते हैं मुझे भैया पता नहीं कुछ समझ में नहीं आया । समझ में नहीं आया । समझ में नहीं आया से तुम्हारा क्या मतलब? उन्होंने कुछ तो कहा होगा । उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं वापस जाऊं और घर के सामने बने पार्क में उनका इंतजार करूँ । वो वहीं आ रहे हैं, लेकिन उनके केस का क्या बना? क्या उसका कोई फैसला हुआ? फिलहाल तो उसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया । उन्होंने सिर्फ यही कहा है कि मैं पार्क में उनका इंतजार करूँ । इसके बारे में हम उनसे वहीं बात करेंगे । ठीक है तो फिर समय बर्बाद मत करो और जल्दी से चलो । इसके तुरंत बाद पंकज अपने घर की ओर रवाना हो जाता है और कुछ ही समय में पार्क में पहुंचकर मोहित का इंतजार करने लग जाता है और कुछ ही समय में मोहित वहाँ बहुत ज्यादा है । वो देखो मोहित भैया भी आ गए । मीना ने पंकज से कहा और पंकज क्या हाल है हुआ मीना भी आई हुई है । नमस्कार मोहित भैया और चुनाव कैसे हो? मैं बिलकुल ठीक हूँ और तुम बताओ तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा? भैया जी? इंटरव्यू तो मेरी उम्मीद से बहुत ही अच्छा रहा । मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना अच्छा जाएगा । मैंने कभी नहीं सोचा था कि इंटरव्यू इतना अच्छा जाएगा लेकिन फिर लेकिन गैर बिना किसी रुकावट और परेशानी के इंटरव्यू बहुत ही अच्छा रहा । आप सुनाओ आप के केस का क्या बना? मेरा केस तो लगभग खत्म हो चुका है और तो उसका फैसला जाएगा क्या फैसला मेरे कहने का मतलब ये है कि फैसला क्या तय हुआ? पंकज फैसला ये हुआ है कि मुझे मीना को उससे लिया । दहेज का सारा सामान पैसा वापस करना होगा और साथ में उसे दस लाख की रकम अदा करनी होगी । उसके बाद मेरा तलाक हो जाएगा । अब मुझे मीना के परिवार वालों से वह सूची मिल गई है जिसमें उसका दहेज का सारा सामान लिखा हुआ है । मुझे कल के दिन में ये सारा सामान इकट्ठा करना है । हूँ भैया जी वैसे एक बात बोलूँ अगर आप गुस्सा ना करें तो मीना ने मुझसे कहा हामी ना बोलो तो भरी बात का गुस्सा कैसा है भैया जी जब से मुझे आपके केस के बारे में पता चला है में आपकी बीवी यानी ईशा भाभी के बारे में ही सोचती रहती हूँ कि वो कैसी औरत है जो सिर्फ पैसों के लालच में आकर अपना घर परिवार सारा बर्बाद कर रही हैं । उनके दिमाग में क्या चल रहा है? कैसी सोचना? उनकी उनकी मानसिकता कैसी है? मैं तो ये सोच कर बहुत हैरान आखिरकार उन्होंने क्या सोचा होगा की आप से अलग होकर आपसे तलाक लेकर वो दूसरी जगह अपना घर कैसे बसा लेंगे? क्या दूसरी जगह उन्हें आपसे अच्छा लडका मिल सकता है? उन्होंने क्या सोचा हुआ है कि दूसरी जगह पर शादी करके वह राज करेंगे, आराम से रहेंगे । यकीनन ऐसी औरतें, बाद में पछताती और सारी जिंदगी धक्के ही खाती हैं । मेना तुम जो भी कुछ कह रही हूँ बिल्कुल सही है । लेकिन मैं अपने इस केस में अपनी पत्नी एशिया को ज्यादा गुनहगार नहीं मानते हैं । हाँ उसका ये कसूर जरूर हो सकता है कि वो अपनी माँ के कहने पर ये सब कर रही हैं तो हमेशा से ही अपनी माँ का कहना मानती आई है और अपनी माँ के पदचिन्हों पर ही चलती आई है । मुझे इस बात का भी यकीन है कि अगर एक बार वह मुझ से अपनी माँ से अलग होकर बातचीत करें तो वो ये तलाक लेने का फैसला बदल सकती है क्योंकि उसकी ऐसी सोच है मानसिकता नहीं है कि वह तलाक जैसा बडा फैसला ले सके । मुझे यकीन है कि वह मुझ से आज भी उतना ही प्यार करती है जितना कि शादी के पहले दिनों में क्या करती थी । मैं मानता हूँ कि हमारी शादी के कुछ दिनों के बाद कुछ नौकझोंक शुरू हो चुकी थी और ऐसा सभी के साथ होता होगा । मेरे कहने का मतलब है कि सभी शादी शुदा लोगों की जिंदगी में कुछ न कुछ नौकझोंक तो होती ही होगी हूँ । यकीनन हर लडकी अपनी माँ से इस बारे में जरूर बात करती होगी । अब उसकी माँ के ऊपर निर्भर करता है कि उसने इस नौ बच्चों को खत्म करना है या इसी नौ बच्चों को और तूल देकर अपनी बेटी के घर में लडाई झगडे को बढाना है । जहाँ तक मेरा ख्याल है ज्यादातर औरते अपनी बेटी को गलत रास्ता नहीं बताते हैं लेकिन उसकी माँ ने उसको हमेशा गलत रास्ता ही बताया जिस वजह से हमारी जिंदगी तलाक के मोड पर आकर ठहर गई । अगर उसकी माँ चाहती तो हमारी जिंदगी में ये दिन आता था लेकिन उसने अपनी बेटी को समझाने की बजाय उसे गलत ही रास्ता दिखाया । कुल मिलाकर अगर ये कहा जाए कि इसमें मेरी बीवी ईशा का काम और उसकी माँ का ज्यादा कसूर है तो गलत नहीं होगा । खैर छोडो इस बात को ये बातें बाद में भी होती रहेंगे । चलो अब हम घर चलेंगे । अभी तुम्हारे घर जाकर तुम्हारे माता पिता को भी तो समझाना है । लेकिन मोहित भैया हमें उनसे क्या कहना है पहले ये तो तय कर ले, इस बात की चिंता मत करो । मैंने सबकुछ पहले से ही सोच लिया है । सबसे पहले तो हमें घर जाकर ये देखना है कि तुम्हारे इंटरव्यू देखने के बाद उनकी प्रतिक्रिया किया है । हो सकता है कि उनका मन बदल चुका हूँ । क्या उनकी सोच तुम्हारे प्रति बदल चुकी हूँ । सबसे पहले हमें तुम्हारे घर का माहौल देखना होगा । उसके बाद ही हम बात करेंगे तो तुम चिंता मत करूँ, मैं देख लूंगा । इसके बाद हम सभी पंकज के घर की ओर रवाना हो गए तो पंकज के घर के पास पहुंचने पर हमने देखा कि उसके पिताजी बाहर ही खडे शायद वो उसी का इंतजार कर रहे थे । पंकज को आते देखकर वो उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे और उनको मुस्कुराता देखकर हमारे दिल को थोडी सी राहत मिली । हमारा डर खत्म हुआ और हमें यकीन हो गया कि अब कोई समस्या नहीं होगी । हम उनसे थोडी ही दूरी पर थे की पंकज भाग कर अपने पिता जी के पास गया और उनके पैर छूकर उनसे कहने लगा पिताजी मुझे माफ कर दो । मैं जानता हूँ कि मैंने आपसे बहुत को छुपा है । इसके लिए मैं आप का गुनहगार हूँ । आप मुझे जो सजा देना चाहिए मुझे स्वीकार है । पंकज के पिता ने उसको उठाया और अपने गले लगाते हुए कहा बेटा इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है । दोष तो हमारा है जो हम तुम्हें पहचान नहीं पाए । लेकिन एक पिता होने के नाते मुझे तुम्हारे भविष्य की बहुत चिंता रहती थी । इसी वजह से मैं तुम्हें गायन की ओर जाने के लिए रोकता रहता था । मुझे हर समय यही चिंता रहती थी कि मेरे इस दुनिया को छोडने के बाद तुम्हारा क्या होगा तो तुम्हारा ये गाना बजाना और गिटार तो मैं खाना कमाकर नहीं दे सकेगा । बस इसी वजह से मैं तुम्हें इस रास्ते पर जाने के लिए रोकता रहता था ताकि तुम इसको छोडकर अपनी पढाई पर ध्यान दे सकता हूँ और अपने लिए और अपने भविष्य के लिए कुछ कर सकूं । ये सुनने के बाद पंकज फूट फूटकर रोने लगा और रोते हुए पिताजी को कहने लगा, पिताजी मेरी माता के चले जाने के बाद में बिल्कुल अकेला हो गया था । अब तो सारा दिन अपनी दुकान में रहते थे और मैं मैं घर में अकेला रहता था । मेरे भाई बहन और मां होने के बावजूद भी बहुत अकेला था । मैं अपने दिल की बात किसी को नहीं बता पाता था और अपने दिल की बातों को मैं लिख कर बयां करने की कोशिश करने लगता है । मैं अपने मन में छुपे इन बातों को अपने गानों के रूप में गाने लगता था । मेरा है कि टाइम और गाना बजाना मेरे अकेलेपन को दूर करने में मेरी मदद करता था । आप मुझे ऐसा करने से रोकते थे । मैं समझ सकता हूँ क्योंकि आपको मेरे भविष्य की चिंता थी । एक पिता होने के नाते आप अपना फर्ज पूरी तरह से निभा रहे थे और समय आप अपनी जगह पर बिल्कुल सही थी वो । लेकिन मैं मैं भी गलत नहीं था । अपना अकेलापन दूर करने के लिए ये सब करता था या फिर अपनी हकलाहट की समस्या को दूर करने के लिए गाना गाता था । इसके बाद दोनों बाप बेटे एक दूसरे के गले लगकर बहुत देर तक रोते रहे हैं और तभी एक हज पंकज की कंधे पर आया और उसे अपनी ओर खींचने लगा । वो हाथ पंकज की माँ का था । पंकज की मानी उसको अपनी ओर खींच कर अपने गले लगाया और उससे कहा पंकज पेटा मुझे माफ कर दो । ये सारी गलती मेरी है । मैं तुझे समझ नहीं सकी । मैं तुम्हारी परवरिश अपने बेटे के जैसे नहीं कर सकी क्योंकि मैं तुम्हें अपना नहीं सकी । मैं तुम्हें हर समय पराया समझती थी । इसमें मेरा ही दोस्त था लेकिन मेरे दोषी होने के साथ साथ ये समाज भी उतना ही कसूरवार है क्योंकि इस समाज नहीं मेरे और तुम्हारे रिश्ते के बीच सौतेलेपन की एक दीवार खडी कर दी थी । जब मैं नई नई शादी करके घर में आई थी तो मोहल्ले की एक पडोसन ने तो मैं मेरे गोद में बिठा दिया और कहा कि आज से तुम्हारा बेटा है । मैं उस समय बहुत खुश थी क्योंकि मैं रिश्ते में तुम्हारी मौसी भी थी । मैं तुम्हें और तुम्हारे माता पिता को पहले से ही जानती थी । लेकिन तभी पीछे से दो औरतें आपस में बातें कर रही थी की सौतेली हैं । देखते हैं कब तक इसको सम्भाल पाती है । ये शब्द मेरे कानों में खटकने लगे थे । उसके बाद जब भी मैं तुम्हारे साथ कुछ भी व्यवहार करती चाहे तुम को प्यार करती या फिर तुम को डांट लगती तो मेरे व्यवहार पर सौतेलेपन की मोहर लग जाती है । क्योंकि जब भी मैं तुम्हें क्योंकि जब भी मैं तुम्हें जरूरत से ज्यादा प्यार करती तो लोग यही कहते ये सौतेली माँ है इसलिए मजबूरी में उससे इसलिए मजबूरी में उससे प्यार कर रही है । लेकिन जब भी मैं तुम्हें तुम्हारी किसी गलती पर डाट लगती तो लोग फिर यही कहते कि सौतेली है ना । इसलिए ऐसा कर रही मुझे अपने ऊपर लगे सौतेलेपन की मोहर से चढ होने लगी और जिस से मेरा स्वाभाव काफी बदल गया तो जिस समय मुझे तुम्हारी माँ यानि अपनी बहन के बीमार होने के बारे में पता चला तो मुझे तुम्हारी बहुत चिंता होने लगी थी । मैं ऐसी चिंता में रहती थी कि भगवान ना करें अगर उन्हें कुछ हो जाए तो उसके बाद तुम्हारा क्या होगा? क्योंकि उनके चले जाने के बाद तो तुम्हारे पिता जब दूसरी शादी करेंगे तो घर में आई नई और अब तो मैं एक माँ के जैसा प्यार नहीं दे सकेगी । इसलिए जब तुम्हारी माँ ने मेरे पिता जी से मेरी शादी की बात की तो मैं झट से तुम्हारे पिता से शादी करने के लिए मान गई तो तुम्हारे पिता से शादी करने का मेरा मकसद तो महाराज ठीक ढंग से परवरिश करना था तो तुम्हारी ठीक ढंग से परवरिश करना था क्योंकि मैं तुम्हारा दुख समझ सकती थी लेकिन मैं भी मजबूर थी । मैं समाज के बनाए ताने बाने में अलग सी गई नहीं तो बीत गया । सुबीर क्या मेरे इस व्यवहार के लिए तो मुझे माफ कर सकते हो? माँ जी आप कैसी बातें कर रही हैं? आप मुझसे माफी की मांग रही हैं । जब से मैंने होश संभाला है मैंने आप कोई अपनी माँ मना है । मुझे सौतेलेपन की परिभाषा का पता नहीं था । मुझे लोग ये जरूर कहते थे कि ये तो मेरी सौतेली माँ है लेकिन सौतेली माँ क्या होती है कि ये मुझे पता नहीं था क्योंकि मैं तो सिर्फ माँ को जानता था और ये जानता था की माँ क्या होती है । मेरा भगवान जानता है कि मैंने अपनी किसी भी बात का कभी भी बुरा नहीं माना । मेरा भगवान जानता है कि मैंने आपकी किसी भी बात का कभी बुरा नहीं माना । देखते ही देखते मोहल्ले के सारे लोग बाहर आकर पंकज की ओर देखने लग गए । ये दृश्य देखकर हम सभी हैरान थे । तभी पंकज के पिता उसके करीब आए और पंकज को गले लगा लिया । काफी समय तक दोनों कुछ नहीं बोले । पंकज के पिता की आंखों में आंसू थे और दोनों के बीच एक मूक वार्तालाप होना शुरू हो गया । इशारों ही इशारों में वह पंकज से माफी मांगने लग गए । हमने जो सोचा था वैसा कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे कि पंकज के परिवार ने अपनी गलती मान ली हूँ और पंकज को स्वीकार कर लिया हूँ । मैंने पंकज की बिना किसी परेशानी से घर वापसी होने पर भगवान का शुक्रिया अदा किया ।
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