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भूतों का अस्पताल -03 in Hindi

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AuthorDevendra Prasad
Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
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बोतों का अस्पताल भाग तीन साहब ये बात बडी ही पुरानी है । हाँ जी भूत प्रेत की कहानियां को बचपन से हम अक्सर अपने दादा दादी, नाना नानी सब सुनते चले आ रहे हैं । पर साहब कंकडबाग के अस्पताल वाले भूत के बारे में दावा करते हैं कि एक किस्सा नहीं बल्कि सच्चाई किसी से समझ अनुसार कि आज परेशान होने पर काम में बच्चों को अस्पताल वाले पूछ सेटल आकर चुप कराते हैं । लोग भी कहते हैं कि यहाँ से ऐसी आवाज आती है गांव के लोगों के लिए रात काटना मुश्किल हो जाता है । किसी आज तक हिम्मत नहीं हुई । अस्पताल में जाकर देखे कि करहाने की खास ना कहाँ से कहाँ से आती है से ज्यादा उसकी बात किए हैं । ऍम आवास अस्पताल की चारदीवारी के बाहर के लोगों को भी सुनाई दे दिया पर अस्पताल के अंदर के लोगों को नहीं क्या बात करता हूँ? हाँ, फिर ये कैसे संभव हो सकता है तो ये सब मनगढंत पाते बताकर सच्चाई पर पडता था, लगाते हैं । अजय खींचता हुआ बोला साहब, जब तक आप पूरी कहानी नहीं सुन लेते तब तक आपको यही लगेगा । लेकिन मेरा यही मानना है ऍम काटने इस बार अपने दोनों हाथों को जोडते हुए हैं । अजय की तरफ देखते हुए कहा ठीक है, ठीक है तो आप की कहानी पूरी कर रहा हूँ साहब, आज अस्पताल के बहुत का सच्चा मैं आपके सामने लाकर रहूंगा । मैं यहाँ तकरीबन पिछले पंद्रह सालों से गार्ड की नौकरी कर रहा हूँ । इससे पहले मेरे पिताजी ने भी यही काम किया था । एक वक्त था जब भी अस्पताल ग्रामीणों को इलाज की सुविधा के लिए बना था । भर क्या पता था किस अस्पताल में सिंधु का नहीं मुझे तो कह रहा हूँ । जब कल बात आप खुश मिले थे तब मैं अपने पिताजी से मिलने गया था क्योंकि नहीं पास के दूसरे गांव में ही रहते हैं । उन्हें मैंने कल रात वाली सारी घटना के बारे में बताया तो उन्होंने बहुत अहम जानकारी दी । जैसे सुनते ही मेरा सिर रखा गया । उन्होंने कहा पिता हूँ । बात पुश्तों की है । जब काम में रहने वाले तो पट्टीदारों के बीच आपसी लडाई हुई तो एक की मौत इलाज के अभाव में हो गए । इसके कुछ दिनों बाद गांव में उन्हें किसी स्थान पर बैठे देखे जाने की बातें कही जाने लगे । कहा जाता है कि वो किसी से कुछ बोलते नहीं बचाओ बचाओ की आवाज से जरूर आती है किसी की हिम्मत नहीं होती कि वहाँ आ जाता है । इस घटना के कुछ दिन बाद उनका पडोसी जिसने झगडा किया था वो भी काम छोड कर भाग गया हूँ और उसके परिवार का आज तक पता नहीं जाने कहाँ चले गए । उसके पास से जिनकी मौत हुई है तो कभी यहाँ याॅर्क के आसपास की दिखाई पडने लगा कि सुनते ही बोला क्या बात कर रहा हूँ जबकि सरकारी चिकित्सा केंद्र था तो फिर इसका नाम देश मेमोरियल हॉस्पिटल क्यों है? काटने धीरे से अजय की बातों को सुनने के बाद कहा आप जब उन्हें सुपर वापसी में है यह था उपकेंद्र बनकर तैयार हुआ तो कुछ दिन बाद ही टूटने फूटने की आवाजे आने लगे । कुछ दिन तो लोगों ने नजर अंदाज किया बाद में ये पडता गया हूँ । यहाँ अजीब अजीब सी घटनाएं होती चली गई । यहाँ तक बनाया गया कि जब अस्पताल के डॉक्टर चले जाते हैं तो हाथ में अस्पताल का दरवाजा अपने हाथ खुल जाता है । कुछ दिनों तक ऐसा लगा कि लापरवाही से डॉक्टर से खुला रह गया होगा । तब थोडे दिनों बाद जभी घटना सही लगने लगे तो रात के समय तेज होने की आवाज भी सुनाई पडने लगी । अस्पताल के डॉक्टर भी परेशान हो गए । हम मरीजों के साथ साथ है अजीबो गरीब घटना होने लगी है । जिस मरीज के इलाज के दौरान यहाँ हो जाती थी और आपको यहीं पटकते हुए दिखाई देने लगता था । जिससे उस जगह का नाम और पदनाम होने लगा था । गांव के कुछ बुद्धिजीवी वर्ग वाले लोगों ने इसकी शिकायत है बडे अफसरों को करती हूँ और इस अस्पताल के सूरतेहाल से अवगत कराते हुए बताया कि जब से की अस्पताल पढना है बंद ही चलता है हस्पताल देखने में नया जैसा लगता है अंदर सारे मेडिकल उपकरण बेकार पडे हैं । काम के लोगों ने अधिकारी के सामने दावा किया किन सामानों से खुद का इलाज होता है । उस अधिकारी को भी इस अस्पताल की हकीकत का पता ना इसलिए उसमें तत्काल ही जांच की ऑर्डर दे दी है । कुछ दिनों बाद ही अस्पताल की जांच करने के लिए टीम गठित की गई है । बोतल कुछ ही दिनों में संकट बाद में स्थित इस अस्पताल में जांच करने को आएगा । उस जांच दल ने काम के प्रधान से अस्पताल के बारे में हाल लेना चाहता हूँ । ग्राम प्रधान बनने बताते हैं यहाँ पर खास का आलम यह है कि वर्तमान में तैनात मेडिकल विभाग की एडवाइस यहाँ कभी नहीं आती है । प्रधान की बातें सुनने के पास जाँच पडताल की है तो अस्पताल की बिल्डिंग के आस पास । यहाँ तक कि दरवाजे के पास लोगों के मल मूत्र फैले हुए थे । वहाँ जाना भी कठिन था । गंदगी के चलते हैं उपकेंद्र पर तैनात मिडवाइफ गांव में तो आती है, अस्पताल नहीं जाती है क्योंकि लोग कहते हैं कि वहाँ बहुत रहता है । आपकी पडती लहर की वजह से सरकार ने फैसला लिया कि अस्पताल बंद कर दिया जाए । अगले दिन वो अस्पताल सीट करके बंद कर दिया गया । अंक करता, काम में बना ये सरकारी स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल काफी वक्त तक खंडर की तरह खडा रहा । उस वक्त यहाँ का मंजर की झाडियों और खंडर के चलते डरावना लगता था । दिन में भी लोग इस रास्ते से कुछ अपने से डरते हैं । खडी गाडियों के बावजूद कितना रास्ता साफ दिखता है जैसे अभी किसी नहीं किया हूँ । जबकि बताते हैं कि वहाँ सफाई नहीं होती । कुछ चालू बाटी और में जाने माने उद्योगपति तो लिखा बात करेंगे जगह सरकारी दाम में रिलीज पर लेकर जहाँ नए तरीके से और आधुनिक उपकरण का इस्तेमाल करते हुए अपने बेटे जगदेश के नाम पर इसको जगदीश मेमोरियल हॉस्पिटल के नाम से एक प्राइवेट हॉस्पिटल खोल दिया । अस्पताल खोलने के ढाई सालों तक तो बहुत ही बढिया चल रहा था । अचानक यहाँ ऐसी गतिविधियां हुई जिसकी वजह से आज पेस्ट अस्पताल का नाम बदनाम है कि सुनते क्या जाने अपना धीरज खो दिया और पोल पडा आखिर ऐसा क्या हुआ? क्या फिर से यहाँ पर यात्राओं का वास हो गया? काटने सुनने के बाद कहा साहब, यहाँ जो मरीज अपने आखिरी चरण में होते हैं, होते थे, जिनकी मौत होने वाली होती थी, उस व्यक्ति को पोस्टमार्टम वाले कमरे में ले जाते थे और बाहर ले जाकर उस चीज के कितनी फ्लेवर को निकाल लेते थे । आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि वह पोस्टमार्टम रूम आज भी इस अस्पताल के चौथे मंजिल में है । सुनते ही अजय का डर उस पर हावी हो गया और लडखडाती सवाल से बोला । और इसका मतलब जो मैंने कल रात देखा तो सच था वो सच में किसी इंसान की कितने निकाल रहे थे । चंद्र कागज के टुकडों के लिए इस तरह निर्मम हत्या करना कहाँ है? लोग यहाँ अपना इलाज करवाने आते हैं भरोसे से लेकिन यहाँ तो नहीं साहब तो कब देखा वो बिल्कुल सच नहीं था तो मैं कैसे कर सकती हूँ । मैंने अपनी आंखों से देखा है । मैं जानता हूँ कि वह भयंकर मंजर आपने बहुत करीब से देखा है । लेकिन इसके पीछे की सच्चाई कुछ और है जो उस दिन आपने देखा था । वो घटना सारा साल पहले करती थी । काफी लोगों ने उसी घटना को बार बार देखा है । अजय यह सुनते ही आंखें भारतीय फाडकर देखने लगा और कहता है क्या बारह साल पहले गठित हुई थी वो घटना लेकिन कल जब देखा तो ऐसा लग रहा था कि सब कुछ इससे सच ही होगा । का बोला साहब, यहाँ आपसे पहले भी एक बायोमेडिकल इंजीनियर आया था । उसके साथ भी ऐसे ही अजीब घटनाएं घटित हुई । वो एक दिन कहीं अचानक ड्यूटी करता हुआ गायब हो गया । कुछ दिन बाद ही उसी पोस्टमार्टम वाले कमरे से उसकी लाश को बरामद किया । उसका शरीर को भी उसी तरह जीरा भाडा गया था । उसको तो पहचानना भी मुश्किल हो रहा था । तब ये फिर कैसे कह सकते हो कि वो व्यक्ति वही था कहाँ साहब उसके कुछ पहचान चेन्नई और सर ओदी जांच से पता लगा कि वही शख्स था तो आपकी किस्मत इतनी बुलंद है कि आप अच्छे हो तो माॅक बहुत ही तरफ अपनी जगह है । मैं इसे अपने मन का पहन मानने की बहुत बडी भूल कर रहा था । लेकिन जब इतने सालों से ये सब चीज घटनाएँ हो रहे हैं तो तुम उसको छोड के क्यों नहीं? हाँ साहब मैं बहुत गरीब परिवार से ताल्लुकात रखता हूँ । मेरी तो बेटियाँ है जिनकी शादी करवानी है । बजह मुझे ये सब इससे पहले क्यों नहीं बताया? हमें नहीं लगता कि है तो मुझे पहले बताया होता तो भाजपा खुद को सुरक्षित रख पाता । गार्ड ने का अच्छा ये बात मैंने आपसे पहले काम करने आई इंजीनियर को भी बताई थी, लेकिन उन्होंने मेरा मजाक बनाते हुए एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में शिकायत कर देते हैं कि मैं उन्हें डराने की कोशिश कर रहा हूँ । अस्पताल से मुझे आखिरी चेतावनी दे देते कि अगली बार अगर मैंने इस अस्पताल की कोई भी प्राइवेसी या कोई ऐसी हरकत करता पाया जाऊंगा जिससे अस्पताल का नाम खराब होगा तो मुझे नौकरी से फौरन निकाल देंगे । साथ ही मानहानि का केस भी करते हैं । मैं गरीब आदमी साहब नौकरी से निकाले जाने के लिए उतना आहत नहीं होता । लेकिन कोर्ट कचहरी में लोगों की चाय दाबिक देखिए इसीलिए मैं सहम गया । अक्षमा मांग ले लेकिन मैं क्या करूँ? मैं तो हूँ जहाँ भी नौकरी नहीं छोड सकता हूँ । बहुत मुश्किल से मुझे ये नौकरी मिल गया । वो भी ऐसी जगह जहां से भैया भाभी का घर भी नजदीक पडता है । कुछ नहीं आ रहा है तो अब मुझे क्या करना चाहिए काटने का साहब मेरी मानो तो आप कहीं और नौकरी देख लो । जिंदगी रही तलाख हो गया । अजय के हाथ में एक लाइट था और पोस्ट ने एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट आॅफ रंजन चतुर्वेदी को थमा दिया । लेटर पडने के पास रजन बोला ऍम ऍम ट्रेनिंग पीरियड ऍम आज उच्चतम नहीं ऍम । अजय की यह आखिरी बातचीत है जो उस वक्त रंजन से हुई थी । उसके बाद वो नौकरी छोडकर वापस अपने भैया भाभी के पास इंद्रपुरी के लिए निकल पडता है । चेहरे के हाव भाव से तो साफ पता चलता है कि वो नौकरी को पानी में उतना प्रफुल्लित नहीं था जितना आज उसका त्याग करने का । लेकिन दिल की दल में बहुत से परिस्थितियों का सामना करता हुआ सडक परकोटों के लिए पे धडक पडता चला जा रहा था तो इसी उधेडबुन में चला जा रहा था । उसको सारा सभी नहीं हुआ कि वो मेन रोड के बीचोंबीच चौराहे पर जा पहुंचा था । सामने से पट रखा रहा था जब तक हजार खुद को ट्रक से बचाने की कोशिश करता या तक ब्रेक मारकर अजय को बचाने की कोशिश करना तब हो जाऊँ । अगले बहुत तेज आवाज के साथ सडक के पास टकरा खर्चा करा था और उसके जस्ट और सर के आने किस से लखनऊ की धारा भूत पडी थी । अस्पताल नजदीक होने की वजह से स्थानीय लोगों ने फटाफट से अस्पताल पहुंचा दिया । अब ये कहना इतना आसान नहीं था क्या जाएगी चंद बच पाएगी या नहीं क्योंकि इतनी तेज टक्कर होने की वजह से किसी का भी पचना इतना आसान नहीं होता है । अजय कुछ हो जाता है तो अपनी फॅमिली को पाता है ऍम सोलह पूरे तीन दिन आईसीयू में रहने के बाद आपको हो जाता है फॅस होता है कि पेशेंट नहीं पता ऍम किया आपने बहुत को भी मानते थे । डॉक्टर ये कहकर बाहर चले जाते हैं । उनके पहाड जाते ही इस्तेमाल किशोर और कसम लगा की आंखों में आंसू आ जाते हैं । तुम से बातें करो में अभी डॉक्टर से फॅस के बारे में पूछ कर आता हूँ । ये कहकर कमल किशोर डॉक्टर के पीछे जा पडते हैं । थोडी देर में मायूस शकल लेकर हो जाएंगे । बात आती है उन्होंने इस हालत में देखकर को समझता बोलती है । क्या हुआ आपका मूड मिनट का हुआ है । डॉक्टर ने क्या का ऍम? डॉक्टर का कहना है ऐसे बहुत गहरी चोट आई है जिसकी वजह से बहुत सारे ऑपरेशन करने होंगे तो सफलता क्या कहा ऑपरेशन करने होंगे । आपने ठीक से पूछा ना ऍम हाँ के बाद उनका कहना है कि टक्कर इतनी तेज हुई किसे गंभीर चोट आई है । इसके दाहिने पैर के घुटने की हड्डी चकनाचूर हो गई है । इस्काॅन बाएं हाथ की कलाई से लेकर रखने तक का ऑपरेशन करके तौर डाली जाएगी । इसके लिए कम से कम इस अस्पताल में से बीस दिनों तक तो रहना ही पडेगा । पता शुक्र है कि अस्पताल रही है जिसमें अपना जाएगा काम करता है इसलिए इसको फाइनल फिल्में ऍम सुनते हैं तो सुनता क्या ऍम आज उसे अपने छोटे देवर पर बहुत ही ज्यादा तरस आ रहा था । जाने जैसी अस्पताल का नाम सुना उसके तोते उड गए । उसके अचानक हार्ट पीठ पडने लगी । उसकी हालत को देखते ही बॅाक्सर के पास भागे भागे गए । उन्होंने अजय की तबियत अचानक खराब होने की बात कही तो फटाफट कुछ गडबड आ गए और कहने लगे हैं आप कृपया यहाँ से बाहर नहीं अब पेशेंट को फोर्थ फ्लोर पर ले जा रहे हैं । वहीं बाकी का ऑपरेशन होंगे और तीस दिनों तक वही शिफ्ट कर रहे हैं या आवाज कानों में पड रही अजय की हालत और ज्यादा खराब होती चली गई । उसके साथ एक और भी ऊपर नीचे होने लगे जैसे मानो उसने खुद का पोस्टमार्टम होते हुए देख लिया हूँ । जैसे ऍम लेकर जाने लगे तो चाहते जाते अजय ने को समझता का पल्लू पकड लिया । उससे जबरदस्ती हो रहा है । ऍम छोडा तो उसके आॅफ सुबह रहते जैसे देखकर मुझे लग रहा था कि मानो अच्छा कह रहा हूँ, मुझे यहाँ से ले चलो । नहीं तो ये मुलाकात आज आखिरी मुलाकात होने वाली है तो भाग के देखो कि उसके जस्ट बातों को समझने वाला कोई भी नहीं था । ऐसी विडंबना थी कि उसके साथ अब जो भी होने वाला था, अब उसका एकमात्र कमा वो खुद ही था । उसका अतीत के पन्नों में नहीं हो जाने वाला था ।

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Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
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