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भूतों का अस्पताल -02 in Hindi

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AuthorDevendra Prasad
Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
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भूतों का अस्पताल भाग दो दस बार गुस्से से तिलमिलाया हुआ हजार दरवाजे की तरफ पडता है और अगले ही पल झट से दरवाजा खोल देता है । जैसे ही वो दरवाजा खोलता है यह देखकर अब आप रह जाता है कि सामने एक मरीज अपने हाथों में बॅाबी खडा है । अजय को देखते ही पोल पडता है साहब आप जल्दी से दूसरा जूता शांति से रखिए, फॅस हो रही है बाकी के मरीजों को लंबी लेनी लेनी है । वो तो कब का मैंने कोने में रख दिया । वो देखो कोने में पडा हुआ है लेकिन तुम लोगों को मेरे छोटे से क्या प्रॉब्लम हो? कोने में पडे अपने जो तो को दिखाते हुए वो जैसे उस मरीज की तरफ फंडा उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गए । वहाँ कोई था ही नहीं । आखिर ये अस्पताल है या कोई नमूना? अपनी बात बोल कर सब अचानक कहाँ पर शुक जाते हैं? पहली बार फल कौन है जो दरवाजा खटखटाकर भाग जाता है? कभी नहीं । हर पाला मेरे जूते रखने से इतनी डिस्टर्बेंस कैसे हो सकती है? हाँ, ये बंदा इतनी देर तक मेरे दूसरा जो नीचे रखने का इंतजार कर रहा था । ये कहकर अजय अपना दिमाग को जाने लगा । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे इस वक्त क्या प्रतिक्रिया देनी चाहिए । यही सब सोचता हुआ होगा । सुबह उसकी नींद खुली तो देखा की घडी में आठ बजे का वक्त हो चला है । अचानक उसकी नजर सामने की तरफ पडती है तो उथल की अपनी जगह पर बैठ जाता है । अरे बहुत है, ऐसा कैसे हो सकता है? मुझे अच्छी तरह याद है । कल रात मैंने दरवाजे में कुंडी और चेतावनी दोनों लगाई थी । फिर दरवाजा खुला रह सकते हैं । फॅमिली उसको नाम व्यक्ति की हरकत नहीं । काफी देर तक तो उस खुले डर फांसी को देखते हैं । वहीं बैठे यही सब सोचता रहा । तभी कडी पत्ता नजर पडी तो देखा की समाप्ति का वक्त हो जाता था । अच्छा देर हो गया । नहीं इतनी गहरी थी पता ही नहीं लगा । कुछ आप जल्दी से निरीक्षण करके निकलना चाहिए । ये कहकर अजय अपने काम में लग के आप साढे आठ तक वो अस्पताल से इंद्रपुरी के लिए निकल गया । ऐसा चलेगा तो कैसे काम चलेगा? आप कुछ बोलते क्यों नहीं कुसमलता तिलमिलाई हुई अंदाज से अपने पति से बोल दिया विभाग है पहले भी तो घर चल रहा था ना तो अचानक क्या हो गया है तो मैं कमल किशोर ने धीरज से कहा आप के कान पर जूं तक नहीं रेंगती । कितनी बार कहा है कि महंगाई बढ चुकी है । यहां चार लोगों का गुजारा बडी मुश्किल से चल रहा था की एक जनाब और आ गए । इस बार कर सफलता ने आक्रोश भरी निगाहों से देखते हुए बोला अरे खाद करती हूँ, कुछ तो शर्म करो कोई भला अपने छोटे भाई से भी पैसे मांगता है क्या? तो मैं नहीं जानती है यहाँ रहना तो बराबर खर्चा उठा नहीं होगा । अच्छा दरवाजे से बाहर खडा ये सब बडे ध्यान से सुन रहा था तो उछल मन से अंदर दाखिल होता है । अब तक फैलाई किनारे रखकर अपने कमरे की तरफ जाने लगता है । अरे देवर जी क्या हुआ कोई बात हो गयी के अस्पताल में अजय को जवाब नहीं देता है । आपको खामोशी रहता है । बोलिये न देवर जी कोई बात है तो बताइए आप मुझे अगले हफ्ते सैलरी मिल जाएगी तब आप ले लेना । ये कहकर अजय खामोश हो जाता है । अरे पागल हो गया कोई अपने देवर से पैसे लेता है क्या आपसे मैंने कभी मांगा है क्या? कुसुमलता अजय की तरफ तीनी और तभी मुस्कान के साथ बोली भी मैंने आप दोनों की बातें सुन ली थी । आपके भैया भी ऐसे ही है तो उनको समझा रही थी कि अजय तो अपना ही है लेकिन वही कह रहे थे कि अभी नहीं नहीं नौकरी लगी है । इतना बडा अमाउंट रखने में दिक्कत हो रही होगी तो छापे में रात तक जगह हूँ । अगर आप पुराने माने तो थोडी देर के लिए मुझे होने दीजिए । अजय को समझा था की बात को बीच में काटकर बोला हाँ क्यों नहीं आप थोडी देर आराम कर लो । तब तक मैं आपके लिए खाने का कुछ प्रबंध करते थे हूँ । कुसमलता मुझसे करते हुए वहाँ से पैर पटकते हुए बाहर निकल जाती है । अजन् शाम सात बजे अस्पताल के लिए निकल जाता है । ठीक पौने आठ बजे जब देश मेमोरियल हॉस्पिटल के अंदर जाने को होता है तो कोने में ही खडे गार्ड पर नजर पडती है । वो कार्ड अजीब से रहस्यमयी मुस्कान लिए उस की तरफ देखता है । अजय उसकी इस हरकत का कुछ अनुमान लगाए उससे पहले ही वो उसे नजरअंदाज कर के अन्दर की तरफ चला जाता है । हमेशा की तरह अस्पताल के सारे मशीनों की रिपोर्ट लेकर और कुछ मशीन को ठीक करने के बाद ऊपर कमरे में आराम करने की सोचते हैं । खडी पर नजर पडी तो देखा कि रात के ठीक एक बजे का वक्त हो रहा था । ज्यादा वर्क लोड होने की वजह से समय का बिल्कुल भी अहसास नहीं हो पाया । अब ऊपर कमरे में थोडी देर आराम कर लेना चाहिए । ये बडबडाते हुए वह ऊपर जाने लगा जैसे वो हमेशा की तरह चौथी मंजिल पर पहुंचा तो बनाया से बोल पडा फिर चौथी मंजिल का क्या माजरा है? यहाँ हमेशा नहीं रही क्यों रहता है? कल सुबह इसकी जानकारी लेता हूँ । ये बोलता हूँ अजय अपनी जेब से मोबाइल निकालकर ऍम कर लेता है । आज सावधानी से अपने जूते उतारने होंगे नहीं तो वो कहीं पिछले दिनों की तरह रहस्यमी इंसान ना आ जाए कि कहता हुआ वह मंद मंद मुस्कुराने लगा और जूतों को खोल के आराम से रखते हुए हो गया । लगभग तीन बजे अजय को प्रशाद था और वो टॉयलेट जाने की सोचता है । टॉयलेट उसके रूम नंबर पांच सौ के बिल्कुल सामने ही था तो जैसे उठने को होता है की उसे कुछ हलचल सुनाई देती है तो फटाफट दरवाजे के पास खडा हो जाता है । आज क्या होगा तो उसे छोडो नहीं आ जाए । आज उसकी खैर रहे तो एक बार कटता दरवाजा अजय मन ही मन बुदबुदाता हुआ अपने आपको हिम्मत देने की निरंतर कोशिश में लगा हुआ था । फांसी पर काट काट के दस तक होती है अगले ही पल अजय पूरे जोर से दरवाजे के कुंडे खोलने के बाद दरवाजे को पाल लगाकर खोलने का यत्न करता है । फॅमिली खोल रहा है । क्या हो गया इससे बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है तो ऍम अल आज पता था तो जब ऍम लगा दी तो मेरा भी ऍम उससे मैं बिलबिलाया तो जोर से चीखते हुए दरवाजे पर लाख माता है लेकिन तरफ फाॅर्स नहीं होता है । थोडी देर तक पहुंच प्रयास करता है लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिलती हूँ । लगभग एक घंटे तक वो वही दरवाजे पर खडा रहता है । समय के साथ उसका प्रेशर पडता ही जाता है । अब ये दर्द असहनीय हो जाता हैं । फॅमिली है ना कहते ही ऐसा होता है की तरफ से पर कुंडी खुल चुकी है । लगभग दस दरवाजे को खोलता है और वहाँ से कोई भी मौजूद नहीं मिलेगा तो दौड करता ले करके वापस अपने कमरे में जा पहुंचता है । क्या यहाँ आ रहा है? क्या मैं आज पता करके ही रहूंगा होना हो उसका कनेक्शन चौदह लोग रहते हैं क्योंकि वो बंदा कह रहा था तो उस तरह से आवाज पाॅच हो रही थी । ऐसा करता हूँ आज जाकर मुआयना करके यादव ये कहता हुआ अजय मेजर चौथे फ्लोर पर जा पहुंचता है । यहाँ तो चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा छाया हुआ है । मैच यहाँ की शिकायत के बिना नहीं रहूंगा । ये कहते हुए तो मोबाइल से प्रशांत को चालू कर आगे बढता है । मुश्किल से अभी कुछ कदम ही आगे पढा था जिससे किसी की मौजूदगी का ऐसा ही अपने कदम ही रोककर कोने में तो पक जाता है और अपने मोबाइल की रायॅल कर देता हैं । थोडी देर वहाँ कोने में छिपे रहने के बाद उस आवाज का पीछा करता हुआ तभी तो से आगे बढता है । आवाज का पीछा करते करते हैं तो किसी कमरे के बाहर था । उस कमरे की तरफ से के ऊपरी हिस्से में कांच लगे थे और उसके हिस्से से अंदर का प्रकार बाहर आ रहा था । वो उस दरवाजे के ऊपर वाले हिस्से से अंतर का जायजा लेने लगा । ऍम सामने का नजारा देखकर उसके होश पर जाते हैं । उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है तो पसीने से तरबतर हो जाता है और खडे खडे अपनी जगह पर आपने लग जाता है । ऍम किस किसान के तो सिर्फ ही नहीं कितना दे रहे नहीं ये इसके सर को अलग करके उसके जिस्म को क्यों पड रहा है फॅार काफी वक्त देखते ही रह जाता है । अंदर कमरे में किसी इंसान का जिसमें लगाया हुआ था जिसका सर उसके जिस्म के बाजू में ही रखा हुआ था । ऍम को बेरहमी के साथ किसी था बिहार से चीज ने में लगा हुआ हूँ । अजय के कदम उस जगह पर चल रहे हैं जिस व्यक्ति का पोस्टमार्टम हो रहा था । अचानक मुकुट कर बैठ गया और अपने पास को उठाते हुए अजय की तरफ इशारा करता है । आप का सिलसिला यहीं नहीं थमा । जो व्यक्ति धारदार हथियारों से पोस्टमार्टम कर रहा था वो धीरे धीरे अजय की तरफ पडने लगा । यह देखकर अजय वहाँ से भागना तो दूर उसके मुँह अच्छी कभी नहीं निकल रही है । अचानक दरवाजा खुला होगा जब उसे देखते ही गिर पडा उस शख्स ने अजय की अपना पकडे और पोस्टमार्टम वाले कमरे में घसीटने कर ले जाने लगा । अजय चाहकर भी ना वो चीज पढा रहा था । अपना ही उस प्रकार से खुद को मुक्त करवा पा रहा था । किसी ने उस पर कहना चाहते कर दिया हूँ और उसकी शक्तियों को अपने नियंत्रण में कर लिया हूँ । अगले ही चला जाए । अब वहाँ लेटा हुआ था जहां कुछ देर पहले वो शख्स पढा हुआ था जिस के घर से सिर्फ अलग करके पोस्टमार्टम का काम जारी था । जिस शख्स ने अजय को एक ही हाथ से पकडकर लेकर आया था उसने दूसरे हाथ से धारदार हथियार चला हुआ था । बजाय के चेहरे पर खौफ साफ तौर पर देखा जा सकता है । उसके मजबूर होने के सबूत उसकी आंखों से पानी बहकर निकल रहे थे । अच्छा मन ही मन सुना कोटी देवी नेताओं को क्षण भर में याद कर लिया । आपको मन ही मन तय कर चुका था की ये उसका आखिरी पल है । तो उस शख्स ने पूरे तुमसे हथियारों पर उठाया था कि अजय की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और बहुत बेहोश हो गया । कट्टा नहीं चाहिए । आप कैसा महसूस कर रहे हो? मुझे क्या हुआ है? मैं यहाँ कैसे भाॅति लेटे रहो । तुम कल फोर्थ फ्लोर पर बेहोश मिले थे । बहुत शुक्र है कि तुम्हें ढूंढते ढूंढते उस जगह पहुंच गए नहीं तो सुबह तक नहीं पडे रहते हैं । अच्छा उसे अस्पताल में भर्ती था । थोडी देर में उसके भैया और भारतीयों से वापस लेकर घर चले जाते हैं । जब घर में सोया हुआ था । ये सब तो भारी वजह से हुआ है । तुम ने उस पर ऍम में चला गया जिसकी वजह से वो बेहोश हो गया तो बहुत सारी खामियां मुझे नजर आती है मैं तो उसके दुश्मन होना ये कहते हैं कुसुमलता पालक में लखकर होने लगती है तो इस बार मैं तुम्हारे आंसुओं के आगे निकलने वाला नहीं हूँ । अच्छा तो अभी आराम करने दो । इस तरह हंगामा मत खाना करूँ । फॅमिली लाल आंखों को दिखाते हुए बोला उसकी इस हरकत से कुछ ज्यादा छत की तरफ चल पडते हैं । लालकिशोर भी उसके पीछे पीछे चल पडता है । उसके पास को पकडते हुए बोलता है हम समझते क्यों नहीं तुम्हारे सभा मेरा खयाल रखने वाला और ऍम हमारे पाल एक यही तो बोलता हूँ समझने की कोशिश तो की अगर वो कभी कि सुनते ही हमला पिघल गई और विमल के पांचों में काफी तेज तक लिखते रहे । शाम ठीक साढे छह बजे अजय तैयार होकर अस्पताल की तरफ जाते रहते हैं । अरे तो जाने भी लग गए तो भाई तभी ठीक है क्या? तो मैंने लगता कि कम से कम एक दिन का रस लेना आवश्यक है । नहीं भैया मैंने पूरे दिन आराम किया । ऍम बोर हो गया । चिंता करने की कोई बात नहीं । मैं अब ऍम अच्छा । जैसे हमें ठीक लगे लेकिन अपना ख्याल रखना । थोडी देर के अंतराल के पश्चात अजय जगदीश मेमोरियल हॉस्पिटल पहुंच जाना हैं । आज उसके नजर उसका आपको तलाश रही थी तो आस पास कहीं नजर रहे था । पूछताछ वाले काउंटर से बहुत पता करता है तो पता चलता है कि कार्ड आज आया नहीं । अजय फिर अपने कामों में लग जाता है तो उसके साथ कोई अप्रिय घटना नहीं होती है से बडा अच्छा होता है । अगली सुबह इंद्रपुरी के लिए निकल जाता है । अगले शाम तय वक्त पर फिर अस्पताल की तरफ तो करता है उसके मन में बहुत से सवाल ऍम में लगे रहते हैं । उसको खयालों से बहुत दूर तक चला जाता है तो उसके मन में बहुत से सवाल हिलोरे मार रहे हैं साहब क्या हुआ आज उतरना नहीं वो अस्पताल आ गया मुझे पता ही नहीं लगा ये लोग किराया हूँ । अजय हडबडाया हुआ ऑटो से निकलता है और अस्पताल की तरफ देश कसमों से बढ जाता है । थोडी देर में ही वो अस्पताल के गेट के सामने था । उसने नजरे कुछ वाटर गार्ड की तरफ देखा तो कार्ड उसे देख कर कर रहा रहा था । हाँ जिसको यह देखकर अजीब लगता है पंद्रह ना चाहते हुए कार्ड की तरफ पडने लगा फॅार आते हुए अस्पताल के पिछले ऍम पडने लगा अच्छा जैसे जैसे गार्ड की तरफ पड रहा था गार्ड उससे दुगुनी गति से आगे चल रहा था । ऐसा लग रहा था कि जैसे अब बस बात नहीं वाला भाई कहाँ तक भागोगे आगे दीवार बंद है बेहतर होगा की अपनी जगह पर हूँ । सुनते ही कार्ड वहाँ खडा हो गया तब मैं कुछ नहीं जानता मुझे ऍम हैं मैंने अभी कुछ पूछा ही नहीं तो मैं पूछने से पहले कैसे पता लग गया तो मैं नहीं पता । अब मेरा यकीन पुख्ता हो गया है कि जिन घटनाओं ने मेरा दिमाग घुमा के रखा हुआ है उन सब घटनाओं का तुम सभी जरूर कोई सरोकार सुनते ही कार्ड का बडा गया और बोल साहब मैं सब फॅमिली क्या किसको बताना मत नहीं तो ये हम लोग के लिए अच्छा नहीं होगा और वो सब छोडो जो सचिन हूँ उसके बाद मैं फैसला करूंगा कि मुझे क्या करना है ।

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