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अगले दिन धमाका हुआ । अगले दिन के सारे समाचार पत्र की खबर चलेंगे पडे थे तो बहुत जबरदस्त । सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद दुर्लभ ताजा चोरी इलेवन सिक्योरिटी को आसानी से भेजा गया । हर अखबार समाचार के अलग अलग शीर्षक बनाए थे । उस समाचार को हूँ । मिर्च मसाला लगाकर छापा गया था तो तीन अखबारों ने तो दिल्ली पुलिस की कार्यकुशलता पर व्यंग भी करते थे और फ्रंट पेज पर कार्टून भी प्रकाशित किए गए थे । बहरहाल उस समाचार मैं एक बात बहुत बडी फॅमिली फॅमिली का पता चलता था । उस खबर के मुताबिक दिल्ली पुलिस नहीं दुर्लभ दाद चुराने के इल्जाम में तत्काल ही एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर दिया था । वो था इंडियन म्यूजियम आॅफ सरदार । गुरचरण सिंह गुरचरणसिंह का दोषी था कि उसने अग्निशमन कर्मचारियों कहने पर ऑन नंबर चार का दरवाजा क्यों छोडा? फिर उनके आगे आगे आगे क्यों होता है? इस संबंध नहीं । दिल्ली पुलिस के बडे अफसर की टिप्पणी भी अखबारों में छपी जी जो काबिलेगौर थी, ये सब सरदार गुरचरण सिंह की वजह से हुआ । सरदार गुरचरण सिंह अपराधियों का इनसाइट फैल पडता था शुरू । उसी ने हॉल नंबर चार में भीषण अग्निकांड किया था और फिर वो आग में आगे ही आगे कूद भी इसलिए था ताकि दुर्लभ ताज चुराने में अपराधियों की मदद कर सके । बहरहाल गुरचरण सिंह से कठोर पूछताछ की जा रही है । उम्मीद है कि बहुत जल्द चोरी से संबंधित कुछ और है । सकी गुत्थियां भी सुलझेगी । हाँ, बेचारा सरदार गुरुचरण सिंह फंस गया था । खामखां फस गया था । उसी दिन एक आश्चर्यजनक घटना और घटेगा । दोपहर के दो बज रही थी जब सुपर पहुंॅच उनके बड्डे भरा गया । डॅडी को देखकर सब हैरान रह गए । बेहद पहुंचती थी, क्योंकि उसके आने की पहले से कोई खबर नहीं थी । एक बार फिर वो सब कॉन्फ्रेंस हॉल में आॅडिट जमा हुए । आज ऊंची पुष्ट वाली ऍन मास्टरनी बैठा था, जिस पर हमेशा सेट दीवानचंद बैठता था । जबकि दीवानचंद उसके पहलू में ही बडी । एक कुर्सी पर नहीं । दिल्ली सपना बैठा था । अन्य कुर्सियों पर ॅ पांडे और कुलभूषण बैठे थे । मंत्रा भी मासूम गुड्डू को गोद में लिए वही बैठी थी । टॉम मसूरी के सामने तो लगता रखा था दुर्लभ टन जिससे वो हाथों में ले लेकर बडी खास तौर पर इन निगाहों से देख रहा था । डाउन की उम्र लगभग चालीस पैंतालीस के आस पास ही कर लम्बा था । मैं नक्श आकर्षक थे । उसके पास बेहद विशिष्ट अंदाज में पीछे की तरफ बने हुए थे जिससे उसका तो काफी सुंदर बन गया था । ऍन आपने कटे हुए शरीर पर इस समय ब्राउन कलर का सूट पहना हुआ था । डॅडी काफी डेढ साल तुरब । ताज को हसन भरी निगाहों से देखता रहा मुझे तो आपको यह देखकर हैरानी हो रही ऍम ऍम बोला बडी अब फॅमिली खबर कैसे मिल गई कि हमने दुर्लभता चुरा लिया है और आप इतनी जल्दी न्यूयॉर्क से जदली कैसे आ गए है? डॉन मुस्कराया उसके साल सुर फोटो पर बाल जैसी बारी मुस्कान दौडी थी तो वही बात ऍन मसूरी नहीं तो मैं सुबह हिंदी में जवाब दिया मतलब दरअसल तुम लोगों ने दुर्लभता चुरा लिया है । मुझे खबर योग में नहीं पता चली थी तो बोला बल्कि दिल्ली आने के बाद पता चलेगा । मैं कल ही न्यूयॉर्क दिल्ली आने के लिए उडान भर चुका था और आज सुबह जब मैंने दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर कदम रखा तभी एक अखबार के जरिए से मुझे इतने कपडे एक तोफा जरूर हुआ कि मेरे कदम शानदार मौके पर दिल्ली में बडे जब तुम अपनी योजना में कामयाब हो चुके थे, एक संसदीय व्यवस्था में बैठे रहे टोमॅटो पीछे बने वालों पर हाथ फेरा । अब किस काम की बात कर ले । सबसे पहले हम लोग मुझे ये बताओ कि क्या तुम सभी ने अपने अपने पासपोर्ट और वीजा नया करा लिए हैं? ऍम आदर से गर्दन छुपाएंगे । हम सभी के पासपोर्ट और वीजा पूरी तरह तैयार हो चुके हैं और हम सब हिंदुस्तान छोडने के लिए एक तब तैयार हैं । सुजॅय बोला हम लोगों को जल्द से जल्द हिंदुस्तान छोड देना चाहिए । क्या हूँ डॅडी जल्द से जल्द क्यों बडे बडे क्योंकि अब हमारे लिए यहां खतरा खतरा है । बडी ऍम आपको तो मालूम ही होगा । नहीं पहुँच हमने इस पूरी योजना को कामयाब बनाने के लिए इंडियन रीजन के चीफ सिक्यूरिटी ऑफिसर जगदीश पालीवाल की इनसाइट हेल्प हासिल की है । बडी जगदीश देशभक्त जाती है ईमानदार उसने पूरी डकैती में हमारी मदद तीसरे की क्योंकि उसका बेटा गुड्डू हमारे कब्जे में था । लेकिन हमने जैसे ही उसका बेटा उसे लौटाना है सुपर बॉस उसने खुशी छड हमारी शादी करते उसका पुलिस के सामने बंदा फोड कर देना है । थोडी उसने मेरी जरूरत नहीं देखिए लेकिन बाकी सबकी शुरू देखी है । उस सब को पहचानता है । इसलिए इससे पहले कि वो हमारे लिए कोई आपत् पैदा करें, कुछ मुश्किल पैदा करें, उससे पहले ही हम हिंदुस्तान छोड कर भाग जाएगी तो आपके आॅल मैं कुछ बंदोबस्त करता हूँ ॅ होने की आपके फिर दुर्लभ ऍम बाकी । इस मतलब ताज को चुराकर तुम लोगों ने कमाल कर दिया । इसे आज तक कोई नहीं सुना सकता । जिस दुर्लभ ताज के बारे में प्रसिद्ध है, जिसने भी उसे चुराने के प्रयास किया हूँ, मारा गया और उसे दुर्लभ ताज को चुराने का दवा तुम लोगों ने कर दिखाया । ॅ इसमें हमारा क्या कमाल है? सुपर बहुत दर्शक बॉटल मुस्कराकर बोला सारा कमाल तो आपका है । आपके द्वारा बनाई गई अद्भुत योजना का है । दुर्लभ की सिक्योरिटी कितनी परफेक्ट थी कि हम लोग तो लगभग हार मान चुके थे । हमें लगने लगा था कि हम ताज चुराने में कभी सफल नहीं हो पाएंगे । तभी तभी आपने दुर्लभ बात चुराने की मास्टरपीस योजना भेजकर हमारी सारी परेशानियां दूर कर दी । दशक बॉटल की मांग सुनकर तो फॅमिली के नेतृत्व ऍम गए थे । उसके दशक ॅ देखा मानो उसके सर पर सीन होगा, ये हो मेरी मैंने तो लोगों को योजना भेजी । फॅमिली के मुझसे तेज, संस्कारी छोटी जी कैसे हो सकता है? क्या कह रहे हो तो रेबडी पाटिल वही तो कह रहा है कि सच है अगर आपने हमें वो ढांचों, योग दाना भेजी होती बॉस । तो आज हम इस दुर्लभ ताज को चुराने में कैसे कामयाब होते हैं? मैंने तो लोगों को कोई योजना नहीं भेजी । फॅमिली ने एक का एक उन के बीच जबरदस्त विस्फोट कर दिया हैं । कोई योजना बनाकर इस तरीके से? मुझे तो ये भी जानकारी नहीं थी कि इस ताज की इंडियन म्यूजियम में क्या सिक्योरिटी की गई है । सब दंग रह गए । पूरी तरह तंग सबको ऐसा लगा मानो उनके दिमाग में फॅस रहे हो । सब ऍम वो एक हंगामाखेज सस्पेंस था । इसका राज उन लोगों के बीच जाकर हॅाल निकालकर फौरन अपने चेहरे पर चला आए । ढेर सारे पसीने साफ ऍम बोला लेकिन फिर वो वो योजना हमें आपके नहीं भेजी । बहुत हो तो फिर किसने भी जी क्या बता सकता हूँ की वो योजना तो मैं इसलिए बिजली फॅमिली के चेहरे पर भी जबरदस्त साइंस के चिन्ह गए । सबके दिल धारधार करके पसलियों को फूटने लगे तो बॉस ऍम से संबोधित होकर काॅस्ट । इस वक्त उसका शरीर किसी मरीज की तरह थर थर काँप रहा था । बोल हम तो होने वाली ॅ होने वाला है तो मुझे लगता है कि अब हमारे होकर रहेगा बडे बडे । ये क्या पकता है तो पागल हो गया क्या नहीं बहुत पागल नहीं हुआ मैं आपसे पहले होता था बॉस इस दुर्लभ आज को बच्चों मत चुनाव इसमें जिस तरह आज था दूसरे अपराधियों को बर्बाद किया है उसी तरह की हमें भी बर्बाद कर डालेगा और देखो फॅमिली आते ही हमारे ऊपर संकट की शुरुआत हो चुकी है बडे बडी बंद कर ऍम पागल हो गया है नहीं और तू अपने साथ साथ हम सबको भी पागल करके छोडेगा क्या ऍम अभी पूरे भी नहीं हुए थे कितना भी एक आॅल में किसी के सोर्स जोर से खिलखिलाकर हंसने की आवाज को झूठे वहाँ ऐसी ऐसी थी अच्छे से कंपनी में से निकल कुछ जाता हूँ बॉटल ठेके कहता है सेट दीवानचंद एक भयानक आवाज, पूरे फॅमिली सब सब कुछ । तुम सब की बर्बादी का समय शुरू हो चुका है बिलकुल सब सबकी कर देंगे उस भयानक आवाज की दिशा में होनी और अगले ही पल एक और ऍम फट गया बल्कि ऍम से भी खतरनाक कोई ऍम सबके आपने पहले खडा था ऍम बल्ले वो बल्ले किसके हाथ मैं साॅल्वर थी और फोटोकाॅपी कर रही थी तो तो बडी बडी तुम तो नंबर किधर जायेंगे उसे प्राप्त राष्ट्र से आया बल्ले ऍम सबको कवर करता हुआ बोला । इस रास्ते का इस्तेमाल से दीवानचंद गया तो कभी कभार सर कम करते हो । जब फिर तुम्हारे अलावा मेरे चाचा चाची ना पहलवान भी कभी कभी उसको रास्ते का इस्तेमाल किया करता था । जबकि तुम्हारे तो उन्होंने क्या रही प्रशस्त और ऍम कुछ नहीं जानते हैं । ऍम ऍसे फैल गए वाकई इस रहस्य से तो वो भी वाकिफ नहीं थे कि वहाँ कोई और गुप्त सस्ता भी है । खुद से दीवानचंद भी समझता बैठा था उसे अपने ॅ थोडी थोडी इसका मतलब दुर्लभता चुराने की जो मास्टरपीस होता हमें मिली थी वो वो हरकत भी तुम्हारी जीते कितना है कॉलेज भोजन पालने में बडी ईमानदारी के साथ इंकार में करता हूँ मेरी हरकत नहीं जब से जब से मैंने छुपकर हम लोगों की बातचीत सुनी है तब बहुत मेरे दिमाग में भी रह रहे हैं । एक सवाल कौन रहा है कि तुम लोगों के पास हो योजना भेजी तो इसमें भेजी सब अवाक रह रहे ऍम मालूम किसी दुर्घटना के हिसाब से पत्थर की शिला भी तब तीन हो गए तो बडी ये ऍम तुमने नहीं है जी नई सबके हैरानी पडती जा रही थी हूँ । अब तुम लोगों को ये सोच सोच कर परेशान होने की जरूरत नहीं है कि तुम्हें तो योजना भेजी तो किसने भेजे हैं । क्यों कौन बोला परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जो तो लगता है तो उन लोगों की बर्बादी का कारण बन सकता है । उसका आज को मैं अपने लिए जा रहा हूँ । ऍम खडा हो गया तो फॅमिली यहाँ से नहीं ले जा सकते । ॅ बल्ले के चेहरे पर सद्भावों ब्रॅान्ज को आज मुझे यहाँ चले जाने से कोई नहीं रोक सकता । शायद नहीं जानते तो पिछले ॅ इंतजार कर रहा था । मैंने अपने चाचा के बाद पर साधन खाई थी कि अगर अगर मैंने एक सप्ताह के अंदर अंदर कुलभूषण का खून न कर दिया, तब मैं अपने आप से पैदा नहीं और साॅल्यूशन का खून कर सकता था । जानते हैं मैंने अभी तक इसका खून क्यों नहीं किया? क्यों नहीं किया? क्योंकि मुझे मालूम हो गया था ये तुम लोगों के साथ मिलकर तो लगता चलाने के चक्कर में लगा हुआ है और उसी अच्छा फैसला कर लिया कि मैं तीस तो शिकार करूंगा । सबसे पाॅलिस चलाने के लिए तुम सब मारे जा रहे हो । ऍम सादे का खून कर दूंगा । तुम सब की है कि घर पर नजर रखने लगा और देखो हूॅं चलाने के लिए सारी मेहनत हम लोगों ने की फॅमिली जाकर प्रयास किए अब उसी तरह का आजकल तुम लोगों के सामने समय मैं उठा कर ले जाऊंगा तब मुझे भी नहीं सकते क्योंकि अगर किसी ने मुझे रखने की कोशिश के टाॅप होगा हूँ । ऍम जब कि कुलभूषण के शरीर ऍम रही थी उधर मुस्कुराते हुए आगे बढ बल्ले फॅस पर रखा दुर्लभ ताज उठा लिया और फिर वो ताज उठाकर कुलभूषण की तरह घुमा । अब तो हम मरने के लिए तैयार हो जाकर भूषण बल्ले का चेहरा एका एक खून चल थोडा हुआ नजर आने लगा था । उस ऍम फालतू जी चुके हो ऍम अब तुम्हारा मरना तय ऍम हो गया । एक और कुलभूषण नहीं किया जिसकी कोई उस से आम आदमी सकता उतना भी नहीं कर सकता था । बल्ले के रिवॉल्वर गोली उगल पाती उससे पहले ही कुलभूषण कप पौने छह फुट लंबा जिस रबड के किसी खिलौने की बहुत ही हवा में उछल गया, उससे कलाबाजी खाई और फॅमिली के सीने पर पडेगी । ठीक उठा बल्ले ऍम हमें किसी ने गोली चलाई । फॅमिली हल्का एक कुत्ते की तरह टकराता हुआ नीचे गिरा । नीचे गिरता ही उसके प्राण पखेरू उड गए । उसका चेहरा मरने से पहले बेहद भी बहुत हो चुका था । कुलभूषण फॅमिली चलाई गई थी । फॅमिली में चलाई किए और इस वक्त ऍसे पीठ इकाई बैठा बडे ऍम से अपने रिवॉल्वर के नाम भूख मार रहा था । अभी वह बल्ले की अकस्मात मौत भर भी नहीं पाए थे कि तभी घटना क्रम में एक और नया पोर्ट आ गया और सभी ने अड्डे के ऊपर तेज छोडकर आप की आवाज सुनी तो ऐसा लगा जैसे ऍम ढेर सारे लोग आ जा रहे हैं तो बडी ऊपर क्या हो रहा है? कैसे हलचल मची है फॅमिली के चेहरे पर भी पसीने की बूंदें जो चुल्हाई जरूर कुछ कुछ बडा है तो पूरा सब कुछ कपडा मैं ऊपर जाकर देखता हूँ ऍफ की ऊपर की तरह चला गया । उस जाॅब संगठन का ही मेंबर था दशरथ बॉटल्स इंडिया । चक्कर जितनी तेजी से ऊपर गया उतनी ही तेजी से वो वापस ऍम लेकिन उन ऍम नहीं उसकी दशक से बुरी हालत हो चुकी थी । वो पत्ते की भारतीय धर्म थर काँप रहा था मानो उसने साहब की अब मौत के दर्शन कर लिया होगा । बडी क्या हुआ ऍम दिया है । लगता है किसी ने पुलिस को हमारे संगठन के बारे में कितना दे दी है । क्या आप साॅस सबके लिए बढ गए हैं । फॅमिली करना चाहिए बडे बडी जल्दी करो । जल्दी ऍम का एक खडा था उधर ऍम पुलिस है सब पीछे वाले मकान में भी अब तक पुलिस पहुंच चुकी होगी । ऍम मेरे पीछे पीछे आओ हम हम उसको राष्ट्रीय निभाते हैं । इसका इस्तेमाल आज तक सिर्फ और सिर्फ मैं करता रहा हूँ या फिर कभी कभी चीना करता था । अरे बडी रास्ता पीछे वाली कडी में ही बनी बहुत खूबसूरत कोठी में होता है । सब सब के सब बडी सस्पेंस पूरी स्थिति में दीवानचंद के पीछे पीछे लाॅग कमरे में जा पहुंचे । वहाँ इतनी बार पर एक अर्दब लडकी थी । काफी बडी प्रिंटिंग लगी हुई थी तो बडी मोटी मोटी किलो साॅस नजर आ रही है । लेकिन सेट दीवानचंद नहीं । उस पेंटिंग को तिहाड से कैलेंडर की तरफ बार कर रहे हैं । एक तरफ होती है तब हुआ की पेंटिंग में छोटी मोटी खेले लगी हुई नजर आ रही थी । वह दिखावटी थी । पेंटिंग उतरते ही उसके ऍम नजर आने लगा । ऍम आया तो उसके पीछे का हिस्सा स्लाइडिंग दूर की तरह एक तरफ से लग गया । फौरन वहाँ तो फिर हम भी सुरंग नजर आने लगे हैं । तभी फिर एक ऐसी घटना घटी जो अब तक घटी तब हम घटनाओं में सबसे ज्यादा हंगामाखेज नहीं और घटना के बाद सब का खेल हो गया । फ्लाइट इंडोर के हटने के बाद जैसे ही सुरंग का बहाना नजर आया तो कुलभूषण तुरंत दौड कर सबसे पहले स्वर्ग में घुस गया । सुरंग में घुसते ही वो फिर करने की तरह उन सब की तरफ कुमार इन पीस सबके हाॅकी एक पुलिस ऍम भी आ गई थी । ऍम ऍम क्या मजाक है नहीं ये क्या बकवास भाई भूषण नहीं कुलभूषण ऍम बल्कि मुझे कुलभूषण प्राॅक्टर हूँ । ऍम संगत दिल दिमाग पर भीषण बिजली से लडखडाकर गिरी । सब भौंचक्के रह गए । अरे शाही सही तो जरूर मजाक कर रहा है । नहीं, मैं काम सबके साथ मजाक ही कर रहा था और भूषण करता हुआ बडा लेकिन आज नहीं बल्कि आज से पहले तक मैंने मजाक किया था । तीन जुलाई तीन जुलाई के दिन बुधवार की रात से आज तक जितनी भी घटनाएं घटी वो सब नहीं मेरे दिमाग की उपज है । मैं बाकी और ऍम इसलिए बिछाया गया था की तुम सब लोगों को एक साफ रंगे हाथों गिरफ्तार किया जा सके । वो ही सब तुम्हारी वजह से हुआ है । डाॅलर उनकी आंखे भी पडेगा । हाँ ये सब मेरी वजह से हुआ है । यूं ऍम ऍम कुलभूषण भेजी नहीं चला तो आप बाहर क्यों रहे हो? मूर्ख आदमी तो शायद मालूम नहीं कि तुम्हारा सारा खेल खत्म हो चुका है और अब तक हिंदुस्तानी पुलिस के मेहमान हो? नहीं वो अच्छा था । सब इंस्पेक्टर योगी अपनी पूरी पुलिस पलटन के साथ वाॅकर वहाँ भी टाॅपर ही नहीं थे । सारे पुरस्कार में पिछले मकान वाले रास्ते से भी वहाँ आ चुके थे । देखते ही देखते हैं बड्डे में चारों तरफ पुलिस फैल गई । इतनी पुलिस को देखकर डॉॅ । उसके साथियों के रहे सहित कस पाल भी डिले पड गए । फॅमिली ने आते ही कुलभूषण ऍफ मारा और फिर सुंदर जगह बन चुका हूँ । मुझे आपकी पहुँच के बारे में मालूम हो चुका हूँ । कुलभूषण सिर्फ उसको समझना गया जबकि अन्य पुलिस कर्मियों ने मंत्रा को छोड कर बाकी सबके हाथों में हथकडियां बना लिया । मंत्री जो जबरदस्त बहस उद्घाटन पर खुद बहुत हैरान थी । आवाज अगला एक बार फिर समाचारपत्रों धुआधार बिक्री का दिन था । न सिर्फ दिल्ली शहर के बल्कि पूरे हिंदुस्तान के अखबारों में उस संगठन के पकडे जाने कि बडे व्यापक रूप से चर्चा हूँ । सबने कवर पेज पर उस स्टोरी को छापा हम नागरिकों में दिए जाने की तीन क्या सफाई गई कि कुलभूषण डेवलॅप जो जाल बिछाया, जाल किस तरह का था । आम नागरिकों की जिज्ञासा को देखते हुए कुलभूषण ने घोषणा की कि वो आज रात नौ बजे उस पूरे केस का पर्दाफाश करेगा । इतना ही नहीं उस पूरे केस का पर्दाफाश से दीवानचंद के अड्डे में ही बैठकर करेगा । कॉन्फ्रेंस और के ही भीतर और ही बजट । रात के नौ बजते बजते छोटे बडे सभी किस्म के पत्रकारों और प्रेस फोटोग्राफरों कभी एक बडा हूँ ॅ जमा हो चुका था । कल जिस अड्डे चंदू नजर आते थे आज वहाँ भीड ही भीड थी । पुलिस प्रभाव इतना जबरदस्त बंदोबस्त किया गया था की कॉन्फ्रेंस हॉल में ते रखने तक को जगह नहीं बची थी । बडे बडे न्यूज चैनल्स रिपोर्टर्स की कई टीमें वहाँ आई हुई थी । ऍम रही कैमरे लगभग सभी न्यूज चैनल्स आम नागरिकों की जिज्ञासा को मद्देनजर रखकर उस बेहद सनसनीखेज मीटिंग का लाइव टेलिकास्ट अपने अपने चैनल्स पर कर रहे थे । कॉन्फ्रेंस कॉल में काफी ऊपर लकडी का मकान बना गया था जिसपर चैनल्स की टीम अदृश्य अंदार कैमरों के साथ मौजूद थे । विशाल आयताकार देश के पूर्वोत्तर पडी कुर्सियों पर उस वक्त ऑलमोस्ट थोडी सिटी कॅाल बैठे थे । उनके अलावा स्पेक्टर योगी और जगदीश पालीवाल थी, कुर्सियों पर विराजमान थे । तभी उस विशाल हो जून को चीरकर ट्वीट का काला सूट और लाल फूलदार टाई लगाए । कुलभूषण कॉन्फ्रेंस हॉल में स्तर कदम रखा । जैसे रंगमंच पर सबका चहेता कोई अभिनेता प्रकट हुआ हो । हाँ, उसके तो मैं विचित्र सी आभार देदीप्यमान हो रही थी और भूषण को देखते ही सब लोग उसका सम्मान में खडे हो गए । कुलभूषण आज उस रिवॉल्विंग चेयर पर जाकर बैठा जिस पर करीब से फॅसा था । रिवॉल्विंग चेयर पर पेट नहीं, उसने मधुर स्कॅालर फिर भूमिका बांधते हुए अपने सामने रखें । माइक पर बोलने लगा तो मैं जानता हूँ कि आप सब लोग यहां इसलिए उपस्थ हुआ है ताकि स्पेस के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं । इसमें कोई शक नहीं । ये काफी दिलचस्प केस था जिस मध्यम तब भरपूर इस्तेमाल किया गया । इस तरह से सारा ड्रामा तीन जुलाई दिन बुधवार की रात से ही शुरू नहीं हुआ बल्कि हमारा क्राइम ब्रांच पिछले कई महीने से इस ड्रामे की तैयारी कर रहा था । संग्रहालयों से दुर्लभ वस्तुओं की जो चोरी हो रही थी, उसने पूरी दिल्ली पुलिस में हडकंप मचा दिया था । अपराधियों ने दो साल के छोटे से अंतराल में ही बाईस करोड रुपये मूल्य की कई दुर्लभ वस्तुएं चोरी कर रही है क्योंकि काफी सनसनीखेज बात है । लेकिन दुर्भाग्य ये था कि दिल्ली पुलिस इन चोरों को पकडना तो दूर उनके बारे में कुछ सूत्रों तक पता नहीं लगा पा रही थी । तब ये केस हमारी क्राइम ब्रांच में अपने हाथ में लिया और मुझे ऑटो रिक्शा ड्राइवर बनाकर अपराधियों का पता लगाने का आदेश दिया । इस तरह बहरूपिया रूप धारण करने के पुलिस को कई बार बडे फायदे होते हैं जिनमें सबसे बडा फायदा तो यही है कि इस तरह का रूप धारण करने से पुलिस ऑफिसर आम नागरिकों से कोई भी सवाल पूछ सकता है और उसे अपने सवाल का जवाब भी बडा सही मिलेगा । जबकि आम तौर पर किसी पुलिस ऑफिसर के सवालों के जवाब देने नहीं । आम आदमी थोडा कतराते हैं आपने विभाग से आदेश मिलते ही मैं ऑटो रिक्शा ड्राइवर बनकर दुर्लभ वस्तु चुराने वाले संगठन की तो हमें लग गया । बोलते बोलते रुका कुलभूषण पूरी फॅमिली सन्नाटा था । गहन सन्नाटा
Sound Engineer
Voice Artist
Writer