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थोडी देर बाद ही कॉन्फ्रेंस हॉल में फिर सहित एक मीटिंग । उस मीटिंग में इंडियन म्यूजिक ऍम जगदीश पालीवाल भी मौजूद था । ये सुनकर पालीवाल के दिमाग में बम सफलता की । उन्होंने दुर्लभ ताज को चुराने की कोई मास्टरपीस योजना बना ली है? नहीं चल भी की बात थी, लेकिन योजना क्या है? जगदीश पालीवाल ने उत्सुकतापूर्वक पूछा रीवांचल मुस्कराया उसने इस वक्त भी अपने चेहरे पर नकाब धर्म क्या हुआ था? पारिवार साई बडी हमने सुना है । कल शाम पांच बजे बैंगलोर से हवाई जहाज द्वारा दो ताबूतों में शेर और चीते की खालें दिल्ली लाई जा रही हैं, जिनमें पहले भूसा भरा जाएगा । फिर उन्हें प्रदर्शनी के लिए म्यूजियम में रखा जाएगा । ऍम तो वही सब कैसे मालूम? अरे बडी हमें ये भी मालूम है नी जिन ताबूतों में ये खाडे लाई जाएंगी उन ताबूतों को एयरपोर्ट पर रिसीव करने भी तो होंगे जो हैं गलत है । अरे बडी ये सच है ही हमें सब मालूम है । हम से कुछ नहीं छिपा लेकिन बडी हमें तो ये भी मालूम है । तीन ताबूतों को रिसीव करने का एक फॅमिली भी चुका है । जाॅन लगता हो चुकी सूरत को देखने लगा । लेकिन तुम ताबूतों के संबंधिति छानबीन क्यों कर रही हूँ । कहीं तुम्हारा मकसद उन खालों को चलाने का तो नहीं है? फॅमिली जब तुम दुर्लभता जैसी ब्रिज की चीज आंखों के सामने हो तो चिडिया की बीवी को हाथ लगाना कौन चाहेगा? ऍम के बारे में सवाल हूँ । कर रहे राॅकी दिशा में हमारी बहुत बडी मदद करने वाले हैं । तब वो करने वाले हैं । ऍम बहुत ज्यादा आश्चर्य से फैल गया । वो कैसे ऍम पूरी योजना बताता हूँ । दरअसल कल शाम ठीक पांच बजे दोनों तबू सफदरगंज एयरपोर्ट पहुंचेंगे । ठीक थी उन ताबूतों को रिसीव करने तो इंडियन आॅयल लेकर एयरपोर्ट जाओगे और कुछ स्टेशन वॅार चला रहा होगा । एयरपोर्ट पहुंचते खालो के वो ताबूत बैगन में ला दिए जाएंगे और फॅमिली ना नहीं रूके । म्यूजियम से एयरपोर्ट पहुंचेगी । फिर वो उसी तरह सफदरगंज एयरपोर्ट से वापस इंडियन म्यूजियम पहुंचेगी । छत्तीस ऍम सीट दीवानचंद की एक एक बात सुन रहा था । बडी तभी एक घटना घटेगी स्टेशन वैगन ताबूतों को लेकर अभी सफदरगंज एयरपोर्ट से थोडी ही दूर आएगी कि तभी तुम्हारे सिर में एक बडा तेज दर्द उठेगा । ऍम उठेगा पाॅप टूटेगा अरे बडी तुमने स्पोर्ट पर पहुंचकर सिर दर्द का नाटक करना है नहीं जानबूझ कर स्टेशन वॅार के सामने ऐसा शो करना है । किसी तुम डिसाइड में वो तेज दर्द हो रहा हूँ लेकिन मुझे नाटक करने की क्या जरूरत है क्योंकि यही हमारी योजना है । भाई देखो मैं तुम्हारी किसी योजना पर काम करने वाला नहीं हूँ । एक आॅवर गुस्से में बडा बडे काम तो तुम करोगे नहीं । नहीं करूंगा बडी अगर नहीं करोगे तो तुम्हारी खैर नहीं । तुम्हारे मासूम बच्चे की छह नहीं बच्चे का नाम सुनते ही पालीवाल का सारा को सब काफूर हो गया । तुम लोग जबरदस्ती कर रहे हैं । मुझे तो कुछ दू की जान के पत्र में मुझे सिक्योरिटी की जानकारी मांगी थी और वो जानकारी मैंने तो मैं दे दी । इस वक्त अपना तुम्हारी कोई भी बात मानने के लिए बाध्य नहीं हूँ । बडी तुम्हें अपने बच्चे की जानकारी है कि नहीं । ऍम हो ऍम में बच्चे की चार जारी है की नहीं बच्चे की जांच किसी बीमारी नहीं होती है । बडे अगर उसकी जान प्यारी है वही तो वही तो करना पडेगा तो हम करेंगे यानि हमारी हर बात माननी पडेगी । जगदीश पालीवाल कसमसा कर रह गया बडी अब आगे शुरू तो माॅर्गन के ड्राइवर के सामने भयंकर शिर दर्द कर्नाटक क्या करना है ताकि तुम ड्राइवर को टेबलेट लेने किसी कैमिस्ट की दुकान पर भेज सकते इस पूरे ड्रामे का मतलब सिर्फ इतना है कि ड्राइवर को कुछ देर के लिए स्टेशन वैगन से थोडा दूर भेजा जा सके । पूछूँ कि डाॅ दूर भेजने की क्या जरूरत है? क्या जरूरत है अच्छाई जिस दिन तुम्हारी स्टेशन बैगन सफदरगंज एयरपोर्ट से चलेगी, उसी छत तुम देखोगी कि एक सेंट्रो स्टेशन बैगन के पीछे लगी हुई है । फॅमिली होगी था हमारे आदमी होंगे एक पूर्वनिर्धारित तलाहासी जगह पर पहुंचकर ऐसे ही तुम सिर दर्द का ड्रामा करोगे और ड्राइवर को टेबलेट लेने के लिए भेजोगे । उसको अच्छा उसी झंड सेंट्रो के भीतर से निकल कर हमारा एक आदमी तेजी से तुम्हारे पास पहुंचेगा । बडी हमें तो ये भी मालूम है कि इंडियन म्यूजियम की स्टेशन बैगन दो पोर्शन में बंटी हुई है । आगे वाला जो की ड्राइंग पोषण है सिर्फ चार फुट का है जबकि पिछला मोशन इसे बॉक्स पोर्शन कहा जाता है । उसकी लंबाई पंद्रह फुट है और बॉक्स पोषण नहीं । ताबूत जैसे आइटम रखे जाते हैं और उसके लोहे की मजबूत दरवाजे पर हमेशा ध्याडी भडकम ताला झूलता रहता है है । उस दिन भी दोनों ताबूत स्टेशन रेगन की उसी बॉक्स पोषण में होंगे । उसके दरवाजे पर ताला लगा होगा । लेकिन ड्राइवर ऐसे ही स्टेशन बैगन खडी करके टेबलेट लेने कैमिस्ट की दुकान की तरफ जाएगा ना तभी तभी शाही हमारा आदमी तुम्हारे पास पहुंचेगा और तुमने उसे फौरन बॉक्स पोषण के पहले की चाबी दे दे । नहीं है । ऍम तो फॅमिली मिलते ही हमारा आदमी ऍम का दरवाजा खोल देगा । दरवाजा खुलते ही हमारे और दो आदमी जो सेंटरों में होंगे वो डकैती डालने वाले थोडे से साथ सामान के साथ फुटबॅाल हो जायेंगे । उसके बाद उसके पास हमारे बॉक्स पोषण करना पडा वापस लग जाएगा, चाबी तुम्हें देगा उसके बाद सेंट्रो लेकर पहले की तरह ही सडक पर आगे बढ जाएगा । ये पूरा काम ड्राइवर द्वारा टेबलेट लेकर लौटने से पहले कम्प्लीट हो जाना है । लेकिन तुम्हारे दो आदमी ऍम करेंगे क्या? जगदीश पालीवाल नॅशनल उन दोनों का काम बडा ऍफ है । अरे बडी उन्होंने ही दुर्लभ ताज की चोरी करनी है ना ऍम में पहुंचने के बाद उन दोनों का सबसे पहला काम ताबूतों के अंदर घुसना होगा । बडी इस बात से तो तुम भी अच्छी तरह वाकिफ हो गए कि ताबूतों में खास रखे जाने के बाद अमूमन इतनी जगह जरूर बची रहती है तो उस खाली जगह में एक आदमी आ जायेगा । ताबूतों में वो खाली जगह छोडने के पीछे भी एक साइंटिफिक रीजन होता है । बडी ताबूत में वो खाली जगह इसलिए छोडी जाती है भाई ताकि खाली वो हवा सही तरह मिलती रहे और खाडा मसाला लगी होने की वजह से खराब ना हो । जगदीश पालीवाल पूरी योजना बडे देश में से सुन रहा था लेकिन ये तो तुम ने भी बताया ही नहीं कि तुम्हारे वो दोनों आदमी ताबूतों में घुसकर करेंगे क्या? ऍम ये बात भी तो योजना में आगे चलकर मालूम पड जाएगी । तो उन दोनों आदमियों ने ताबूतों में घुसकर क्या करना है, आज तुम्हारे लिए इतना समझ लेना काफी है । बॉक्स पोषण में पहुंचने के बाद उनका उद्देश्य क्या होगा कि वह जल्द से जल्द उन ताबूतों के अंदर इस तरह घुस जाये कि बाहर से देखने पर किसी को इस बात की भनक तक ना मिले । उन ताबूतों के साथ कैसी भी छेडखानी की गई है, फिर बोलता हूँ तो मैं कैसे हो सकते हैं? क्यों नहीं हो सकते हैं? नहीं तो ताबूत सीलबंद होते हैं, पर सरकारी मुहर लगी होती है । अच्छाई हमारे आज भी शील नहीं छोडेंगे, हाथ भी नहीं लगाएंगे । बडी वो ताबूत के नीचे से सकते उखाडकर उसके अन्दर घुसेंगे और अंदर घुसते ही ताबूत के रखते थे । उसी तरह वापस ठोक देंगे जैसे वो पहले चुके थे । इस तरह ताबूतों बी । सी । लगी रहेगी, तालाब भी पडा रहेगा और हमारे दोनों आज भी अपने पूरे साजोसामान के साथ ताबूत के अंदर भी घुस जाएंगे । पांॅच उसके भाग गया होगा । पांॅच पहुंचेगी मीडियम में हाल नंबर चार के साथ साथ कुल छह हाल कमरे हैं हैं । यहाँ एक बात ध्यान देने की काबिल है । म्यूजियम के बाकी पांच हाल शाम के पांच बजे बंद हो जाते हैं । सिर्फ चार नंबर हाल ही एकमात्र हाल है तो शाम के छह बजे तक खुला रहता है । जबकि शेष जीते की खाल के जो ताबूत बंगलौर से दिल्ली आ रहे हैं, उनके एयरपोर्ट पहुंचने का टाइम भी शाम के पांच बजे का ये तुम क्या समझते हो उन ताबूतों को एयरपोर्ट से इंडियन म्यूजिक तक पहुंचने में कितना समय लगेगा । बडी आधा घंटा ॅ बीच रास्ते में भी रुकेगी इसलिए उसका इंडियन म्यूजियम उन्होंने छह बजे तक पहुंचना मुमकिन होगा । ऍम छह बजे इंडियन मुझे पहुंचने के बाद तुम दोनों ताबूत किस हॉल कमरे में रख होगी? नंबर हॉल में ऍम तो हर बंद हो चुका होगा । हाँ वो बंद हो चुका होगा लेकिन हॉल नंबर तीन और चार की चाबियां हमेशा म्यूजियम के हैड सिक्योरिटी गार्ड सरदार गुरचरण सिंह के पास रहती है तो चौबीस घंटे म्यूजियम में मिलता है फॅार सरदार गुरचरण सिंह के नाम अलॉट किया गया है । इसीलिए हो या तो में मिलेगा या फिर आपने क्वार्टर में और बडी बात की । हाल कमरों की चाबियां किसके पास रहती है वो अलग अलग हाल कम लोग के अलग अलग चीज फॅमिली के पास रहती है । यानी अगर तुम कल शाम पुणे छह बजे एकदम से उन हॉल कमरों की चाबी हासिल करना चाहूँ तो क्या दिया तो मैं नहीं मिलेंगे था ऍम अब मैं योजना को दोबारा आगे बढाता हूँ । देखो बडी कल शाम पुणे छह बजे जब तुम्हारी स्टेशन बैगन इंडियन म्यूजियम पहुंचेगी तो सरदार ताबूतों को रखवाने के लिए हाल नंबर दिन का दरवाजा खोलना चाहेगा लेकिन कल उस हाल का दरवाजा नहीं खुलेगा । सही क्यों? पालीवाल का दिमाग में धमाका सा हुआ? ॅ नहीं खुलेगा क्योंकि कल मैं मैं बीजेपी जाऊंगा । अच्छाई और खुद अपने हाथों से हाल नंबर दीन का दादा खराब कर के आ जाऊंगा । वो कैसे बडी कोई बडी बात नहीं । मुझे मालूम हुआ है कि हाल नंबर तीन पूरे म्यूजियम में सबसे ज्यादा बन हर जगह पर है । इतना ही नहीं पेशाब कर भी उसके काफी नजदीक है । मैंने कल किसी भी वक्त पेशाब करने के बहाने उस तरह जगह पर जाकर हाल नंबर तीन के तले में चाय भी डालना है और एक कष्ट कर इधर उधर हिला देना है । वो चाबी क्योंकि उस तारे की नहीं होगी । इसलिए कसकर इधर उधर हिलाने से उस साले के अंदर की दाल पुर्जा ही जाएंगे । और फिर थोडी देर बाद गुरचरण सिंह के खूब कोशिश करने पर भी वह डाला नहीं पडेगा । क्या फायदा होगा बडी सारा फायदा इसी से तो होगा पूर्ण योजना ही इस छोटी की घटना पत्ते की है । इससे बाडी वार्ताएं बडी जब हाल नंबर तीन का दरवाजा सरदार गुरजंटसिंह खुलेगा नहीं और बाकि हाल कमरों की चाय दिया उसके पास होंगे नहीं तो साइन वो दोनों ताबूतों को किस हाल में रख पाएगा । अब फॅमिली योजना उसकी समझ में आ गए । जवाब दोनों ही बडी वो ताबूतों को किस हाल कमरे में रखवा आएगा? नहीं हूँ ऐसी परिस्थिति में तो सरदार गुर्जन सिंह को वो ताबूत और चार नहीं रख माने होंगे । सही बिल्कुल सही कहा तुमने चाहिए और बडी यही नाम लोग चाहते हैं और यही हमारी प्राणी है । पारिवार साही सिर्फ वो ताबूत थी, हाल नंबर चार में बंद नहीं होंगे बल्कि हमारे दोनों आदमी रहेंगे उन ताबूतों के साथ साथ निर्भिक उस हाल में बंद हो जाएंगे उस भाई नंबर चार में जिसकी सिक्योरिटी के इतना जबरदस्त इंतजाम भारत सरकार ने किए हैं । जिस सिक्योरिटी पर जूरी के मेंबरों को खडा है । हमारे दोनों आदमी जिस तरह नीचे से रखते उखाडकर ताबूत में घुसे थे वो हाल बंद होने के बाद उसी तरह सकते हो हार्ड तब तो से बाहर निकल आएंगे अब दूसरी भाषणों ऐसी परिस्थिति में फाल्स सीलिंग की छत और ऍम की दीवारों मच्छी भी स्वचालित करने भी हमारे आदमियों का कुछ नहीं बिगाड पाएंगी क्योंकि वो स्वचालित करे भी उसी वक्त हरकत में आती है जब हाल बंद होने के बाद उसमें कोई गलत तरीके से घुसता है । बिल्कुल यहीं परिस्थिति शीशे के दिल में बाद में बंद दुर्लभ ताज की है । बडी वो पार्ट्स भी ताज को ऊपर नीचे ले जाने वाला करामाती प्रदर्शन कभी दिखाता है जब कोई हाल में गलत तरीके से मुझे और असाधारण स्थिति में वो दुर्लभ ताज अपनी जगह फिक्स रहता है । पारिवार साइन अब तो मन दादा लगा सकते हो कि वो ताज वो वो युगो पुराना कजाकिस्तान का दुर्लभ तार नहीं आसानी से हमारे हाथ लग जाएगा । जगदीश पालीवाल किसी अवस्था में दीवानचंद का लगा आज सुबह ग्यारह देखता रहेगा । उसे अभी भी अपने कान ऊपर चुकी नहीं था । वो यकीन नहीं कर पा रहा था की उन अपराधियों ने इतनी समर्थन सिक्योरिटी को भेजने की कोई योजना बना ली है । वाकई करिश्मा कर रहे हो । बडे ऍम एक ही जगह मान खा गए । उन्होंने नंबर ऍम एक ही लूज पॉइंट छोड दिया कि वो ऍम तभी हडकत में आएगा जब कोई उस हालत देख गलत तरीके से प्रवेश करेगा । कुछ न सबकुछ नारबल रहेगा अगर इस फॅमिली ये लू ज्वाइन होता । शायद हम किसी भी हालत में कुछ दुर्लभ ताज को चुराने की योजना ना बना बात नहीं । लेकिन इसमें जूरी के उन लोगों की भी क्या गलती है । सही बडी उन्हें ये कोई बात थोडी ही चुका होगा कि कोई इस तरह भी हाल में घुस सकता है । जगदीश पालीवाल सकते जैसी अवस्था में बैठा रहा ऍम मुझे अब ये कहने की जरूरत नहीं है । तुमने मुझे जो चैलेंज किया था वो जीत चुका हूँ । बडी इस परफेक्ट योजना से इस हो चुका है । सच में इस दुनिया में कोई भी काम नामुमकिन नहीं । एक बात बताओ परिवार ने बोला आप पूछ पूछ पूछ लूँ मैं मानता हूँ कि तुम्हारे दोनों आदमी इस दुर्लभ ताज को आसानी से चुरा लेंगे लेकिन फिर वो दुर्लभ ताज को लेकर हॉल नंबर चार से किस तरह बाहर निकलेंगे क्योंकि हॉल नंबर चार के दरवाजे पर बाहर से ताला पडा है और ऍम गार्डों का पहला है सिर्फ दीवानचंद ॅ चार से बाहर निकलने की भी योजना बताई वो योजना हॉल में घुसने वाली योजना से भी ज्यादा जबरदस्ती पहली बार हत्या बढ गया है । पूरी योजना में कहीं सूचित ऍम नहीं था । इसमें कोई शक नहीं कि तुम ने इतने मजबूत विश्व स्तर के सिक्यूरिटी सिस्टम को भेजने की मास्टरपीस योजना बना ली है । लेकिन इस योजना को बनाते समय तो मैं बहुत महत्वपूर्ण बात खुल गए । क्या फॅमिली के साथ साथ सब के सब हैरान हुए हैं? ऍम लेकिन उस मतलब ताज के बारे में कहा जाता है कि वो अपनी सुरक्षा खुद करता है और सच भी है कि आज तक जिसने भी इस दुर्लभ ताज को चुराने का प्रयास किया वहीं किसी न किसी दुर्घटना में मारा गया या बर्बाद हो गया । आजकल ऐसी दर्जनों कहानियाँ उस उपलब्ध ताज के साथ चल चुकी है जब अपराधियों ने तुम्हारी तरह ही बडे जोर शोर के साथ उसे चुराने का प्रयास किया लेकिन वो अपने मकसद में सफल नहीं हुए । मेरे बडी इस बार हम सफल होंगे ये सब कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ और सच्चाई हकीकत नहीं बडे इन कहानियों कोशिश बिजली अगर आ गया है ताकि हमारे जैसे अपराधियों के दिलों में खौफ पैदा किया जा सके, उन्हें दुर्लभता चुराने से रोका जा सके । परिवार कुछ नहीं बोला तो भाग गया । उन्ही समझाना प्रकार है । वह कोई न कोई गुल खिलाकर रहेंगे और अपने मासूम बच्चे की जिंदगी के लिए उसे भी मजबूरन उनकी सूचना में शामिल होना पडेगा । बहरहाल फिर जगदीश पालीवाल को को जरूरी निर्देश देकर वहाँ से पैदा कर दिया गया । उसे पैदा करते ही शेष दीवान चलने आनन फानन योजना में काम आने वाले सामान की एक लिस्ट है एक्सॅन चार अग्निशमन कर्मचारियों की खाकीवर्दी या ऍम ऍम बेहद उम्दा किस्म ऍम हो रहे हैं जो खतरे के समय में सुरक्षा कवच का काम अंजाम दे सके । दुर्लभ ताज से ही मेल खाता, एक नकली पीतल का ताज, दस दस लीटर वाली केरोसिन ऑयल की तो के नहीं हथौडा कीलें आदि आदि । समर की लिस्ट तैयार होते ही वह सब फौरन सामान जुटाने के काम में जुट गए । शनिवार की रात दस बजे तक उन्होंने लगभग सारा सामान छोटा लिया था । सबसे ज्यादा परेशानी फायर ब्रिगेड बैंक के हासिल होने में पेश आई, लेकिन आखिरकार उन्हें प्राइवेट संस्थान द्वारा बेची जा रही बिल्कुल चालू हालत में फायरब्रिगेड दूर लाख रुपए में मिल गई । अग्निशमन कर्मचारियों का सामान बेचने वाली एक रिटेल शॉप से उन्होंने अग्निशमन कर्मियों की चार सिली सिलाई, वर्दिया, ऍम और हेल्मेट वगैरह सब करेंगे । दुर्लभ ताज से ही मेल खाता हूँ । एक नकली पीतल का ताज उन्हें जामा मस्जिद के बिना बाजार से हासिल हो गया । उसमें थोडी बहुत जो कमी थी, वह ऍम ठीक हैं । बाकी ऍम की हथोडा जैसी बेहद साधारण चीजें भी उन्हें आसानी से उपलब्ध हो गए । तो फिर इकट्ठे हुए इस बार सेट दीवानचंद सबको ये बताया कि किसने क्या क्या करना था । फोन नंबर तीन के तले को खराब करने की जिम्मेदारी स्टेट दीवानचंद खुद संभाल क्योंकि सबसे अच्छा काम था दर्शन पांडेय को एयरपोर्ट से स्टेशन बैगन का पीछा करते समय सेंट्रल ड्राइव करने की जिम्मेदारी सौंपी और सबसे खतरनाक मोहन पर ताबूतों में घुसकर दुर्लभता चुराने का काम दशक बॉटल और कुलभूषण को सौंपा गया । खुद को उतने जोखिमभरे काम पर नियुक्त होता देख कुलभूषण का दल लगाने की तरह आज उठा उसका कलेजा भूख आ गया । वो प्राॅक्टर जैसे छोटे से कमरे में लेता नहीं तो हाँ फॅमिली का अनुभव कर रहा था उसे । ये पता तक मैं चला के मंत्र का उसके नजदीक आकर खडी हो गई हूँ । मंत्रालय ऍम कुलभूषण चुपचाप पढ रहा है । हो जाएगा इस मर्तबा मंत्रालय आवाज देने के साथ साथ उसे झिंझोडा तो चक्कर पडता है तो मंतर को देखकर उसके ऍम तो हूँ क्या सोच रहे हैं कुछ नहीं झूठ बोलते हैं मुझे क्या नहीं जानती कितना क्या सोच रहे हैं । अच्छा क्या सोच रहा तुम कल की योजना को लेकर डरे हुए हैं कि सोच सोच कर तुम्हारी जान निकल रही है कि सेफ्टी वांचन नहीं तो भी कितने खतरनाक काम पर नहीं किया है । नहीं सच नहीं होते हैं । मैं तुमसे बात करते हैं आज तक पूरी जिंदगी में कभी मक्खी तक नहीं मारी तुम नहीं कभी किसी का एक रुपया चुराने तक का हौसला बगल में पैदा नहीं हो सका । कल तो मैं इतनी जबरदस्त सिक्योरिटी में रखा दुर्लभता चुराने के लिए भेजा जा रहा है । ऐसी परिस्थिति में अगर तुम करोगे नहीं तो क्या करोगे? कुलभूषण साहब साहब सहमा हुआ नजर आने लगा । कुलभूषण चुका हूँ । तेरी फॅमिली मांॅ को चुराना तुम्हारे ऍम वाले आदमी के पास का काम नहीं है । मुझे तो पाँच बारी सोचकर हैरानी हो रही है कि सेठ ने इतनी खतरनाक काम को अंजाम देने के लिए तो भारी जैसे डरपोक आदमी को ही क्यों चुना? एक बात हो क्या कुलभूषण का सस्पेंस? पुलिस बार मुझे तो इसमें विशेष की कुछ नजर आती है तो मानो या ना मानो लेकिन मुझे साफ साफ करता है कि वह तुम्हें जरूर किसी नए चक्कर में फंसाने जा रहा है । पर मैं खुद भी तो हाल नंबर चार के भीतर जा सकता था । फॅमिली के साथ ट्यूशन पांडेय को भी तो भेजा जा सकता था । लेकिन नहीं उसने सब कुछ नहीं किया । उसने तो चुनाव तो भी यानि बिल्कुल नए बेहद डरपोक और ना तजुर्बे कर । आदमी को तो मैं चाहती हूँ । मैं सिर्फ ये कहना चाहती हूँ कि अब तुम्हारा जहाँ एक मिनट और भी रुकना खतरे से खाली नहीं है, कुलभूषण तुम्हारी जान चुके में है इसलिए जितना जल्द से जल्द संभव वहाँ से पहुँचा हूँ, नहीं नहीं क्यों नहीं हो सकता है तो अच्छे से बाहर निकलने का रास्ता नहीं जानते हो, सब जानता हूँ । लेकिन ऍम कुलभूषण की आवाज में पीडा कहाँ मुझे दूसरा मिलेगा अपनी जिंदगी और और माँ की खतरनाक खेल में फंस चुकी है । पूरे दिल्ली के पुलिस मुझे इस तरह राष्ट्रीय घूम रही है जैसे भूषण के ढेर में सूर्य तलाश की जाती है । तुम क्या करोगे कर कर सकता हूँ? मंत्रा अब तो मेरे सामने यही एक रास्ता है कि मैं सेट दीवानचंद के आदेश का पालन करना । लेकिन मेरे दिमाग भी अब एक योजना और है । मंत्रालय कितना कैसी हो? मैंने इन श्रद्धालुओं को चुपचाप बातें करते सुना है कि दुर्लभ ताज हाथ में आते ही ये तीनों हिंदुस्तान छोडकर खामोशी से आपने सुपर्ब । उसके साथ अमेरिका भाग जायेंगे और उसके लिए चालीस पासपोर्ट और वीजा वगैरह की भी । तैयारियां पूरी हो चुकी हैं । कहीं टोमॅटो नहीं की, ये तो मैं भी अपने साथ अमेरिका ले जाएंगे । तंत्र मैं इतना बडा पागल नहीं हो जो इस तरह के लोगों से ऐसी उम्मीद पा लूंगा । फिर फिर की योजना है तुम्हारी । कुलभूषण मंत्रा की तरफ छूट गया और धीमे स्वर में फुसफुसाया अब होगा । कभी अमरीका नहीं जा सकेंगे । मंत्रालय क्या कह रहे हो? मंत्र के नेत्र आश्चर्य से फैल गए । ठीक कह रहे हो इस वक्त मेरी कोई बात अच्छी तरह नहीं समझ होगी । लेकिन अब एक बात ध्यान रखना आज तो मुझे डरपोक और बुजदिल समझते खेला तो अब वोटर वो कुलभूषण मर चुका है । आज से कैसा नया कुलभूषण जान लेगा जो आपने आपने बहादुरी की मिसाल होगा । आज तक रुक मेरे खिलाफ षडयंत्र सकते थे । लेकिन अब मैं षडयंत्र कुमार और ऐसा षडयंत्र की सबके छक्का छोटा देगा । बोलते बोलते कुलभूषण की आंखों में खून कराया और हर उस व्यक्ति को तो मैं किसी भी हालत में मौत नहीं करूँगा । मंत्रा इसकी वजह से आज मेरी हस्ती खेलती जिंदगी नरक बन चुकी है । भूषण का चेहरा ज्वालामुखी की तरह देखने लगा और गुस्से से कपकपाने लगे । वो एक ही पल में धंधा बन चुका था साक्षा तरंडा कुलभूषण का । वो रात रूप देखकर उस साइड चले जा सकते की तरह काम था जो छोटे से कमरे के दरवाजे से आंखों कम हटाए खडा उनकी बातचीत सुन रहा था । नहीं बंद तेजी से पडता है । उसके शरीर में फुर्ती समझ गई थी । फिर वो लंबे लंबे डग रखता हुआ कॉन्फ्रेंस कॉल की तरफ पड गया । गहन अंधकार में भी उस के कदम इस पर उठ रहे थे । मालूम वो उस अड्डे की फॅमिली वो बल्ले था । बल्ले
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