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अड्डे पर लौट नहीं । उसने कॉन्फ्रेंस हॉल में एक मीटिंग बुलाई । हमेशा की तरह मीटिंग में तीन व्यक्ति शामिल हुए । बहुत से दीवानचंद दाॅये । आपने सर्वेंट क्वार्टर जैसे कमरे में लेता कुलभूषण जो बहुत देर से उसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा था । वो भी कम्बल ओढ थोडे तभी पाँव दौडता हुआ ऍसे पर जा पहुंचा और फिर वो अंदर होने वाले वार्तालाप बडे ध्यान से सुने लगा । इसमें कोई शक नहीं । शायद वो दुर्लभ ताज वाकई बडे कमाल की चीज है । उस पर एक नजर डालते ही लगता है वह कोई मूल्यवान वस्तु हो सकती है । कुल मिलाकर जितना शानदार वह दुर्लभ ताज है, भारत सरकार ने उतनी ही शानदार उसकी सिक्योरिटी कर रखी है । सिक्योरिटी तो उसकी वैसे भी शानदार होती । बॉस दशक बॉटल बोला अगर भारत सरकार के नाक का सवाल है, अगर कहीं वो दुर्लभता चोरी हो गया तो यहाँ की सरकार कजाकिस्तान के अधिकारियों कब तक क्या भूत दिखाएगी? क्या कहेगी उनसे? अगर लोगों ने यकीन के बलबूते पर ही तो अपनी दीदी महत्वपूर्ण चीज को प्रदर्शन के लिए भारत भेजा है । स्टेट दीवानचंद एका एक होकर के हस्ते लगा ऍर अच्छाई इंडिया की नाक तो अब चटनी ही काट नहीं है तो क्या क्या चाहिए बडी जब ताजी चोरी हो जाएगा तो फिर ना कैसे बची रहेगी ऍम वोटों पर भी मुस्कान टाॅस आई ही क्या बात है वो कैसे खामोश है? नहीं तू भी कुछ बोलता क्यों नहीं ऐसे कोई तो बात जरूर है । साइंस पढना खामोश बैठने वाले आदमियों में नहीं है तो ऍम थोडा ईश्वर में बोला हूँ ऍम मेरा दिल उस जो ताज को चुराने के लिए गवाही नहीं दे रहा है जो दवाई नहीं दे रहा । मुझे लगता है बॉस अगर हमने उस दुर्लभ ताज को चुराने की योजना बनाई तो ये तो ईश्वर जाने की हम अपनी योजना में कामयाब हो पाएंगे क्या नहीं लेकिन हमें और बहुत जरूर हो जाना है । हमारा सर्वनाश हो सकता है है बडी ये क्या बकवास कर रहा हूँ । फॅमिली खराब हो गयी है तेरी ऍम पांडे ने दोबारा खामोशी धारण कर लेंगे पागल आदमी और ये बात मेरे दिमाग में आई भी कैसे पडे तो ये सुजा भी कैसे की अगर हमने शोध ना पर काम किया तो हमारा सर्वनाश हो जाएगा । बडी इंद्रलोक से तेरे को आकाशवाणी हुई या पर जो मुंबई आया बक दिया नहीं मैंने ऐसे ही कुछ भी नहीं पता है फॅमिली दे रहा है कैसे अपने दुर्लभ ताज के उस विज्ञापन तो पढा था बॉस जो अखबार के भीतर छपा था बिल्कुल पडा था बढेगी सबने पडा था तो अपने विज्ञापन में ये भी जरूर पडा होगा कि वह दुर्लभ ताज अपनी सिक्यूरिटी खुद करता है । ऐसी कितनी कहानियां उस चीज के बारे में प्रसिद्ध है कि जब जब किसी ने उस्ताद को चुराने की कोशिश की तबतक ऊपर बात हुआ । बडी तो कहना क्या चाहता है । अच्छा अच्छा बोल मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूँ उसकी हम आज से पहले घटी उन घटनाओं से कुछ सीखना चाहिए । कुछ सबक लेना चाहिए और सबका हम ये साई कि हम उस दुर्लभ ताज को चुराने का खयाल अपने दिमाग से निकाल दें । यही कहना चाहता है बडी हम अपने हाथों से अपनी किस्मत छोड दें । कुल्लाडी चला ले । अपनी गर्दन पर ऍम थोडा बुखार सा नजर आने लगा । नहीं जवाब देना पांडे चाहिए बडी चुप कैसे हो गया? नहीं ऍम इतना कहना चाहता हूँ कि इसमें तो हमारी तभी बदलेगी जब हमारे साथ दुर्लभ ताज लगेगा । कहीं ऐसा ना हो कि हमारे हाथ दुर्लभ ताज भी ना लगे और हम हम बर्बाद भी हो जाए तो खडा है बडी तो एक नंबर का पागल आदमी है । परेशानी तो कजाकिस्तान सरकार द्वारा रचा गया इतना सा नाटक नहीं समझ सका । ॅ बडी आज की सुबह के अखबार में उस दुल्लत ताज के बारे में जो कुछ छपा था वो झूठ झूठ है । बडे किसी प्रोफेशनल राइटर द्वारा लिखी गयी वो एक ऐसी मनगढंत कहानी है । इसे पढकर हर कोई आकर्षित हो सके लेकिन आई नहीं । अगर कोई अपराधी उस दुर्लभ ताज को चुराने की कल्पना करें तो उस सनसनीखे स्टोरी को पढकर उसके होसले पस्त हो सके । वो ॅ नहीं मालूम पांडे शाही आज सुबह के अखबार में जो स्टोरी छपी वो दुर्लभ ताज की सबसे बडी सिक्योरिटी है । ऍम पाने के साथ साथ अर्धशत पाटल की आंखों में भी हैरानी के भाग उभरे । वो कैसे? अरे बडी जब अपराधियों को ये मालूम होगा कि आज तक जिसने भी उस ताज को छुडाने का प्रयास की आपको बर्बाद हो गया तो फिर कुछ दुर्लभ ताज को चुराने का दुशाहड करेगा । कोर्ट ने अरे बडी तेरे जैसे उस बात को सोच सोच कर तो पतलू ढीली कर रहे होंगे । खबर आ रहे होंगे ऐसी परिस्थिति में वो थोडी उस दुर्लभ ताज की सबसे बडी सिक्योरिटी हुई कि नहीं हुई । दशरथ बॉटल और ट्यूशन पांडे दोनों तंग रहे है । दोनों के नेत्र हैरत से फैल रहे कितनी ढूढ की सूजी थी? सेटको लेकिन अहम सवाल अब ये था कि उतनी दूर की कजाकिस्तान के अधिकारियों को भी सोची थी क्या उन्होंने साॅस के बारे में वो भ्रमजाल फैलाया था । लेकिन ॅ एक ऐतिहासिक कॅाल को छोडकर बोला जब किसी ऐतिहासिक वस्तु के बारे में इस तरह का झूठा प्रचार किया जा सकता है, क्यों नहीं किया जा सकता है? अरे बडी वो झूठा प्रचार उस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के लिए किया जा रहा है उस की हिफाजत के लिए फिर इसमें गलत क्या है? दशक बॉटल चुप हो गया । बात सही थी, वाकई इसमें गलत किया था, कुछ नहीं हो । लेकिन एक आशंका दुश्मन पांडे और दशक पटल का दल में आखिर तक नगाडे की तरह बजती नहीं । अगर वह प्रचारको झूठी कहानी न होकर सच्चाई की जीती जागती तस्वीर हुआ तब क्या होगा? तब क्या वो बर्बाद हो जाएंगे? तब क्या उनका सर्वनाश निश्चित था? उन दोनों सब्जेक्ट पर जितना सोचा उतनी ही उनका तमाह की उलझनें बढती चली गई । अरे बडी साईं बडे तुम दोनों क्या सोचने लगे नहीं उसका मतलब उस तरफ ताज को चुराना पूरी तरह तय टाॅल बोला बडी मैं तुम लोगों को मूर्ख दिखाई देता हूँ । छह । दीवानचंद काले ना की तरफ उपकारा अगर आज छुडाना होता तो क्या मैं तुम लोगों के साथ यहाँ बैठा अपनी रात गाडी करता हूँ । ऍम पकाकर पहलू बदला ऍम ताज चुराना हंड्रेड पर्सेंट ते है बडी । अब हम लोगों को सिर्फ ये सोचना है कि वाह ताज टूर कैसे होगा, उसकी सिक्योरिटी को किस तरह भेजा जाएगा । जब हम लोग ताज चलाने का फैसला कर ही चुके हैं तो हम सबसे पहले ताज की सिक्योरिटी का फुल इंतजाम का पता करें । सिक्योरिटी का बंदोबस्त ऍम वो वो बंदोबस्त था जो पहली नजर में ही दिखाई दे जाता है जबकि वास्तव में हूँ । भारत सरकार ने मतलब ताज की सिक्योरिटी के वास्ते ऐसे कई सीक्रेट इंतजाम किए हो सकते हैं तो हमें पहली नजर में दिखाई नहीं देते । ऐसे कुछ सुरक्षा इंतजाम न सिर्फ ज्यादा शक्तिशाली होते हैं बल्कि हम जैसे अपराधियों के लिए ऐसे इंतजाम ही ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं । बॉस ऍम के चेहरे पर थोडी हिचकिचाहट के भाव है । अरे बडी तो कैसे गुप्ता इंतजामों की बात कर रहा है । नहीं जरा साहब साबुल जिसे जैसे उदाहरण के तौर पर ऐसी जगह सेफ्टी अलार्म लगा दिया जाता है । जैसे ही कोई व्यक्ति गलत तरीके से वहाँ होता है तो वो सिटी आलाम खुद बहुत नजदीक के पुलिस स्टेशन में पुलिस कंट्रोल रूम में क्या पर बाहर मौजूद सुरक्षाकर्मियों के नजदीक बजता है । तुरंत भाग जाते हैं कि वहाँ अंदर कुछ गडबड है । कंट्रोल रूम से फौरन यही रिपोर्ट ऍम तमाम पुलिस पेट्रोलिंग ॅ कर दी जाती है । इसका नतीजा ये निकलता है कि अपराधी घटनास्थल पर ही क्यों कि तरफ फस जाता है और पुलिस ऍम के हाथों गिरफ्तार कर लेती है । इसके अलावा कीमती वस्तु के आस पास ऐसी वायदे बिछाकर उनमें करंट प्रवाहित कर दिया जाता है ऍफ नजर नहीं आती है । इतना ही नहीं मेरे कहने का मतलब ये है कि भारत सरकार दस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के लिए और भी ऐसे कई इंतजाम किए हो सकते हैं । इसलिए जब तक हमें तमाम इंतजामों के बारे में पूरी जानकारी हासिल नहीं हो जाते हैं तब तक हमारा उस दुर्लभ ताज को चुराने के बारे में सोचना भी बेवकूफी है । अगर हमें उस बात को जुलाना है तो सबसे पहले हमारा काम ही होना चाहिए कि हम उन गुप्त इंतजामों के बारे में फुल जानकारी हासिल करेंगे । श्राॅफ बॉटल के बातों से बहुत प्रभावित हुआ लेकिन दशा अच्छाई हमें इतनी महत्वपूर्ण जान गाडी हासिल कैसे होगी? नहीं । जानकारी हासिल करने का सिर्फ एक रास्ता है, पहुंॅच था । हमें किसी तरह इनसाइट हेल्प हासिल करनी होगी । हमें नेशनल म्यूजियम के पीछे ऐसे सिक्योरिटी ऑफिसर को अपने साथ मिलाना होगा जो दुर्लभ ताज की फुल सिक्योरिटी की जानकारी रखता हूँ । आप से दीवानचंद के नेत्र भट पडेगी । तेरह माँ तो ठिकाने हैं । साई पडे तो मालूम है तो क्या पकडा है ऐसा भी कहीं हो सकता है । बिल्कुल हो सकता है कैसे मैं बताता हूँ । तभी दुष्यंत बीच में बडे उत्साह के साथ बोला देखो मेरे पास एक ऐसी योजना है जिससे नेशनल म्यूजियम के किसी सिक्योरिटी ऑफिसर से मदद ली जा सकती है । अब सिर्फ दीवानचंद हैरान ने गांव से दुष्यंत को देखा है क्या? क्या क्या योजनाएं चाहिए? अभी बताता हूँ पानी फौरन लगभग कर । वहीं कॉन्फ्रेंस हॉल में एक स्कूल पर पडा । पिछले दिन का समझा टाइम्स अखबार उठा कर रहा है है दुष्यंत उस अखबार का पन्ना खोला जिसपर ऍम छत पे रहते हैं । इस विज्ञापन को बडा ऍम पांडे ने अखबार सेट के सामने रखकर छोटे से विज्ञापन को उंगली से ठंडक आया । विज्ञापन को पड रही सारा माजरा खुद खुद आपकी समझ में आ जाएगा । दीवानचंद के साथ साथ दशक बॉटलनेक उस विज्ञापन को बडी उत्सुकता के साथ पढा लिखा था । आवश्यकता है आवश्यकता है कैसी गवर्नेंस की । छह माह के बच्चे की अच्छी तरह देखभाल कर सकें । शैक्षिक योग्यता जरूरी नहीं लेकिन आवेदनकर्ता की अपना कोई छोटा बच्चा ना होगा । मासिक आय तीन अंकों इच्छुक और क्या लडकी नीचे लिखे पते पर फौरन संपर्क करें । जगदीश पालीवाल, मुख्य सुरक्षा अधिकारी, नेशनल म्यूजियम चार बता सत्रह भी न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली उस विज्ञापन को बढकर शीट दीवानचंद थोडी बचत की निगाहों से ट्यूशन पानी की तरफ देखा । बडी इस विज्ञापन में क्या खास बात है? आपको कुछ खास बात नहीं दिखाई थी । नहीं नहीं ये तो इस विज्ञापन से आप समझ गए होंगे कि जगदीश पालीवाल नाम का ये व्यक्ति नेशनल म्यूजियम का जी सिक्योरिटी ऑफिसर है और उसे अपने छह महीने के बच्चे की देखभाल के लिए एक गवर्नेंस की जरूरत है । आप साॅस अगर हम जगदीश पालीवाल के घर में अपनी तरफ से किसी लडकी को गवर्नेंस बनाकर भेज नहीं कैसा रहेगा तो उससे क्या होगा? उससे ये होगा कि हमारे द्वारा भेजी की लडकी सबसे पहले जगदीश पालीवाल को अपने प्रेम चालू हो । उसे अपने संबंध मरीज इस वक्त दीवाना बनाएगी और जब जगदीश पालीवाल उसके इश्क में पूरी तरह गिरफ्तार हो चुका होगा । जब उसे उस लडकी के अलावा इस दुनिया में कुछ नजर नहीं आएगा तब हो उससे बडी सहूलियत के साथ दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के बारे में सब कुछ उगलवा लेगी । बडी लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि बालीवाल उस लडकी की मोहब्बत में गिरफ्तार होगा ही होगा? गारंटी है अगर लडकी को स्वर्ग की अप्सरा हो अलग फॅमिली के हो हो मर्द को फाॅर्स बंद हो उस बिचारे जगदीश पालीवाल की तो मौका ही क्या है? ऐसी लडकी के सामने दो बडे बडे देवताओं का ईमान भी डोल जाता है । ऍम देखता रह गया थोडी साइन तो कहता तो ठीक है लेकिन सवाल यह है कि हमें जन्नत की ऐसी हूँ मिलेगी कहा जो हमारे लिए सब कुछ करेंगे वो हमें मिलेगी नहीं । बहुत बल्कि मिल चुकी है मतलब दीवानचंद के साथ सब फॅमिली चौका । आपने ममता को देखा है । बॉस कौन मंत्र होंगे कुलभूषण की प्रेमिका मंत्रा वहीं मंत्रालयो किशनपुरा में रहती है और जिसके साथ कुलभूषण का बडा जबरदस्त तगडा ॅ चल रहा है । नहीं नहीं मैंने तो नहीं देखा फाॅर्स अगर उस लडकी को देखोगे तो बस इस दे रह जाओगे कि चडने खिला कमल है महलो की वह शहजादी है । इसमें गलती से किशनपुरा जैसी बस्ती में चल ले लिया है । संस्कार बहुत साक्षा स्वर्ग की अप्सरा हक जन्नत की हूर है उसका सर ऊॅट उसका छरहरा बदन उसकी तनी हुई सुडौल सपोर्ट चाहती हूँ । उसके पूरे फॅमिली तरक्की कसम से वहाँ तक गोला गोला बोलते बोलते दुष्यंत पांडे के साथ से तीस देश चलने लगी । कुछ चलती है तो उसके पैरों कि धमक से उसके पूर्व में ऐसी धक्कम पैदा होती है जैसे वो नहीं चल रही हो और कि संगीत की तान बढते रख रही हो । बस बस बस बडी पांडे साइन तुम्हें तो लडकी के जिस्म का पूरा भूगोल ही ना आप डाला नहीं लडकी है ऐसी काॅस्ट ब्रेड पनाह, तारीफ के काबिल लेकिन जब वो इतनी खूबसूरत है तो कुलभूषण के फंदे में कैसे बच गई ऍम इसको भूषण की किस्मत किसी और मामले में तेज हो या ना हूँ लेकिन कम से कम लडकी के मामले में बहुत तेज किस्मत है बढा । अब तो यह चाहता है चाहेंगे कि मंत्री को गवर्नेंस बनाकर जगदीश परिवार के घर भेज दिया जाएगा । बिल्कुल पहुँच और मेरी गारंटी है कि जगदीश पालीवाल उसके प्रेम जाल में फंसे का ही फंसेगा । मंतर को देखते ही उसके समाचार की उच्चता जल जानी है और बस कुत्तों का कुत्ता बन जा रहा है कि वह हथियार है बॉस इसका निशाना किसी भी हालत में खाली नहीं जाएगा । गडबडी पांडे शाइन मंत्री हमारे लिए काम क्यों करेगी? क्यों नहीं करेंगे बॉस? कुलभूषण कहेगा तो वह करेगी हजार बार करेगी । भूषण कहेगा उससे कैसे नहीं कहेगा? ऍम चेहरे पडेगा । एक बडे खूंखार भाव है । उसने नहीं किया तो हमने उसे यहाँ से बाहर नहीं निकाल देना है । फॅमिली को जन्म नहीं पहुंचा देना है । बाॅधकर दिमाग में भरे बडी तो कहता था ठीक है अगर ये बात है तो बुलाकर ला कुलभूषण हो । कुलभूषण जो दरवाजे से कम लगाए खडा सारी पांच चीज चल रहा था एक का एक उसके हाथ पांव फूल गए । सांसियों से अपने फॅमिली महसूस हुई । वापस बडी तेजी से अपने कमरे की तरफ भाडा जल्दी कुलभूषण अपने कमरे में बिल्कुल इस तरह ले चुका था जैसे गहरी नींद हो रहा हूँ । तभी वहाँ दुश्मन पांडे के कदम पडेगी । कुलभूषण फिर भी सोने का आग्रह करता रहा । ऍसे छोडकर उठाया ऍम था मैं जल्दी खडा हो बॉस बुला रहे हैं बॉस लेकिन क्यों पहले का भी आप की कहानी तो जवानी बताएंगे कुलभूषण भीगी बिल्ली बना खामोशी से उसके पीछे पीछे पडा । उसे ऐसा महसूस हो रहा था जिससे वो बली का बकरा हूँ और अब करवानी के लिए ले जाया जा रहा हूँ । कुलभूषण जैसे ही कॉन्फ्रेंस हॉल में दाखिल हुआ तो उसे दीवानचंद की एक भरपूर नजर उसके ऊपर पडेगी । हाँ छोटा कुलभूषण आपने मुझे याद किया साहब, अब मैंने तुम्हें याद किया कुलभूषण चाहिए आवाज तो मेरे पास आओ । कुलभूषण कपकपाती कदमों से चलता हुआ ऍम के नजदीक पहुंचा दवाई टाइम तुमने हम चाहिए विनती कीजिए ना तुम्हें या कुछ दिन के लिए रहने दिया जाए । हाँ सब मैंने गिनती की थी । बडी हमने तुम्हारी ट्वेंटी पर अच्छी तरह सलाह मशवरा किया है । परसाई खूब चला । मशविरा करने के बाद हम लोग इस नतीजे पर पहुंचे कि तुम क्या दे सकते हो लेकिन तो मैं इसके बदले हमारी एक सर पूरी करनी होगी । और ऍम ऐसा लग रहा था जैसे कोई तानव उसके सीने को अपनी मुट्ठी में जकडकर जोर से भेज रहा हूँ । दशरथ अच्छाई दीवानचंद दशक बॉटल की तरफ हुआ । बडी तो इसको शर्त के बारे में बता आप ये बताए से करना क्या है? नहीं दशक ऍम खारा । फिर उसने कुलभूषण को सबसे पहले दुर्लभ ताज की चोरी के बारे में बताया । फिर से ये बताया की स्टोरी में मंत्रा को लोगों की किस प्रकार मदद करने थे और पोषण सकते जैसी स्थिति में खडा रहा हूँ । खून उसकी कनपटी पर ठोकरे से मारने लगा घटिया इंसान थे वो कितने बीच एक लडकी को एक लडकी की आप को वो अपने मतलब के लिए दांव पर लगा देना चाहते थे । कुलभूषण चाहिएँ बडी तूने अभी तक जवाब नहीं दिया तो मंत्रा को गवर्नेंस बनाकर जगदीश घर भेजेगा या नहीं मैं उसे कहीं भी कैसे दे सकता हूँ साहब कुलभूषण डाॅ कहीं भी जाने या न जाने का फैसला तो खुद मंत्राी कर सकती है । बडी बकवास मत कर हम लोग कोई दूध पीते बच्चे नहीं ॅ कुत्ते की तरह घूम रही है तो पुलिस के हत्थे चढा फॅमिली जिंदगी का दिया मुझे इस इस वक्त तेरे ऊपर खडा ही घटना है और ऐसी स्थिति में मंत्रालय खतरे से बचाए रखने के लिए कुछ भी कर सकती है । ऍम मोहब्बत का एक नाटक तो करना पडेगा एक ड्रामा तो खेलना पडेगा और भूषण चुप खडा रहा ऍम अगर तो हमारी छत्रछाया में रहना चाहता है । अगर चाहता है की तो पुलिस के हत्थे ना चढे तो थोडी देर को मंत्रा से कम दो कडाना ही पडेगा भूषण कर चुके हैं सोचने का समय नहीं है पर भूषण इस बार ऍम जल्दी जहाँ ना में जवाब तो करना करते हो तो टाॅप पागल नहीं है तेरे जैसे दिल्ली पुलिस ऍम सुना हुए इश्तिहारी मुजरिम को अपने यहां शरण दे और खामखा किसी बडे छह महीने में फंसे भूषण के कहने पर कशमकश के भाव चाय रहे । वो फैसला नहीं कर पा रहा था कि उसे क्या करना चाहिए ऍम आई ऍम तक पडता से कहा बडी तो जो हम लोगों का भेजा खडा करता है नहीं तो उस कमीने को वापस किशन पूरा छोड खडा हमारे किसी मतलब की दवा नहीं है । फॅमिली नहीं जाऊंगा कैसे नहीं जाएगा दुश्मन पांडे ने अपनी शर्ट की बाहर चढाई और बहुत रूप में उसकी तरफ पडा तेरा तो बात ही जाएगा । शौचालय मास्टर के पूरे शरीर में खौफ की लहर दौड में उच्चतम तथा की वो उनके कई रहस्यों वाक हो चुका है । इसलिए ऐसी परिस्थिति में फॅमिली पूरा नहीं बल्कि कहीं और ही छोडकर आने वाला था । शायद दूसरी दुनिया में ऐसी दुनिया में जहां से वापसी का कोई रास्ता नहीं ऍन उसके बहुत कसकर पकड लीजिए और फिर वो उसे पूरी तरह घसीटता हुआ बोला और विकास बाहर देखा । सोवर के बच्चे ऍम गया मैं मैं मैं तैयार तैयार हूँ । मैं आज ही मंत्री के पास जाकर इस बात की कोशिश करता हूँ कि वह उपगवर्नर बन जाएगा । कोशिश नहीं । बडी कोशिश नहीं तो यह काम का हर हालत में करना है । अगर मंत्रा परिवार के घर गवर्नर्स बनकर नहीं गए तो समझते हैं और हमारा रिश्ता खता बडी । फिर हम तो ये नहीं जानते और तो हमें नहीं जानता हूँ और उसे वहाँ जाकर सिर्फ बच्चा ही नहीं खिलाना है । अभी दशक बॉटल भी कर रहा हूँ, बल्कि उसे वहाँ जाकर बच्चे के आपको भी खिला रहा है । उसकी भी लल्ला लल्ला लोरी करनी है । बच्चे से ज्यादा बच्चे के पास की देखभाल करनी है । उसका तो लगता की सिक्योरिटी के बारे में सारे राज उगलवाने है तो तभी तभी हमारे काम मुकम्मल होगा मैं मैं मैं समझ गया । कुलभूषण ने बेबसी की स्थिति में अपनी गर्दन हॅूं सबकुछ समझ गया । उसके हालत ऐसी हो रही थी जैसे उसने किसी शेर की मुझे पकडा नहीं होंगे जिन्हें होना छोड सकता था और न ज्यादा देर तक पकडे रह सकता था । रात के तकरीबन बारा बज रहे थे । जब कुलभूषण छिपता छिपाता स्टेशन पर आ पहुंचा । कृष्णपुरा में घुसते हुए वो बेहद सावधान था । बल्ले का डर उसके दिमाग में बैठा हुआ था । बल्ले के खौफ की वजह से ही वह मंत्रा के घर में पीछे से खिडकी कूदकर अंदर घुसा । मंत्रा तब खबर पडी हो रही थी कुलभूषण मुँह छोडकर जगाया तो तुम मुंतर कुलभूषण को देखते ही चौक पडी तो और उसकी आंखों से तीन उड गई सब कुछ ठीक रहना मंत्रा तो मैं क्या नहीं आना चाहिए था? भूषण क्यों? उस पर योगी तो हताश करता घूम रहा है । भूषण तो सुबह से दो बार किशनपुरा में आ चुका है और यही हाल बल्ले का है । वो योगी के खौफ की वजह से खुलेआम तो नहीं घूम रहा लेकिन मुझे खबर है कि वो अपने चाकू से तुम्हारे पेट की अंतडियां फाड डालने के लिए बेहद व्याकुल है । उसके अलावा तो हर एक और बहुत पूरी खबर है । भूषण क्या सिर्फ यही दोनों तुम्हारी तलाश में नहीं लगे हुए? बल्कि जब से दिल्ली पुलिस ने तुम्हारे ऊपर एक लाख का इनाम घोषित किया है तब से इनाम हासिल करने के लालच में कृष्णपुरा के कई दूसरे कुंडे भी तुम्हारी तलाश में लग गए हैं । इसीलिए तो मैंने तुमसे कहा तो यहाँ नहीं आना चाहिए था । तुम चाहते नहीं । भूषण आज पूरे दिल्ली शहर में तुम्हारे नाम की चर्चा है । हर गली में, हर चौराहे पर, हर नुक्कड पर तुम्हारे बारे में बातें हो रही है । लोग तुम्हें लॉटरी का टिकट समुद्र है । भूषण हर कोई तुम्हें गिरफ्तार कराकर एक लाख कमाने का इच्छुक है था । दाता कुलभूषण को अपने हाथ पर बर्फ होते महसूस हुए तो दिन बदन कैसे बनाना चालू फसता जा रहा था । भूषण कुलभूषण के अचेतन मस्तिष्क पर हथोडी जैसी चोट पडी सुबह जब यहाँ पर होगी आया था तो उसके साथ पूरी पुलिस पलटन भी थी वो वो तुम्हारे घर का सारा सामान कुछ करके ले गया । यहाँ तक ऑटो रिक्शा भी नहीं छोडी । ये देवा कुलभूषण के मुझसे संस्कारी छोड पडेगी । वहीं कुलभूषण बैठ पर हम से बैठ गया । उसके चेहरे से पसीने की धाराएं बहने लगी । मंत्रा भी उसी के नजदीक ही बैठ गई और बडी अजीब नजरों से उसे देखती हुई शुष्क लहजे में बोली तुम कल से कहाँ थे? तुम्हारे बारे में सोच सोच कर परेशान हो रही थी । सब से दीवानचंद के अड्डे पर ही था वो लोग तुम्हारे सब किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, ठीक ही कर रहे हैं । उन्होंने मुझे वहीं रहने के लिए छोटा सा कमरा दिया हुआ है । अगर ये बात है तो फिर तो खतरनाक जगह पर क्यों आया हूँ । यहाँ तो तुम्हारे लिए मौत ही मौत है कुलभूषण के चेहरे पर । अब जिसकी चाहत के भाव उभरे चाहते तो नहीं देते । मैं एक बडी भारी मुसीबत में हूँ । मंत्रा मुसीबत मंत्र कभी झूठ सूचना कैसी मुसीबात कुलभूषण अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छुपा लिया । उसी भक्ति ऐसी है जिससे सिर्फ तो मुझे छुटकारा दिला सकती हो मैं हाँ तुम ऐसी भी क्या मुसीबत आएगी? मंत्रा की आंखों में आश्चर्य के भाव उभरे कुलभूषण उससे फिर भी कुछ कहने की हिम्मत ना हुई । पोषण अगर तुम कुछ बोलते क्यों नहीं? क्या बात है? भूषण ने बेहद लडते लडते सारी पांच मंत्रा को बता दी । उस ने ये भी बताया कि उसने किस तरह गवर्नर्स बनकर जगदीश पालीवाल को अपने प्रेम जाल में फंसाना था और ये भी बताया कि अगर उसने वह काम नहीं किया तो उसका क्या अंजाम होगा?
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