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एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
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भाग गुत्थी उलझती जा रही थी । एक पहन रहे फायदा बाबा के लिए बाबा के दिल की धडकनें तेजी से धडक रही थी । आखिर ऐसा क्या था उस पहन रहे हैं क्या वो ऐसे अकेले में देखें पर मेरा बेटा तो मानेगा नहीं, क्या करते हैं क्या करे? हर जो होगा देखा जाएगा और यह सोचकर महाराज्य उनका लडका हर्षवर्धन और एनसीपी बजाय तीनों लोग भी आॅडियो देखने लगे । उसमें ना नाव पर बैठकर मस्ती कर रही थी और जो करेंगे जोकर अंकल बुला रहे थे कदम डर नहीं रखता है ना किस से मच्छर लगता है पर मुझे पता है मेरी तबियत तुम्हारी हर एक शर्त मान जाएंगे । इतना भरोसा हम अपनी सेहत पर तीन बहुत हो । क्या तुम जानते हो तुम्हारे दादाजी के बारे में वो क्या करते हैं? कौन है वो जाना चाहूँ कि क्या खुश होकर बोलेगा क्या आप जानते उनके बारे में? जी बिल्कुल । मैं तो मैं बता सकता हूँ । उनके बारे में और मिलवा भी सकता हूँ । है ना, बहुत खुश हूँ । जोकर का चेहरा नहीं दिख रहा था । सर पहना ही देख रही थी बोलो ना जोकर अब मिलवाओ के मेरे दादा जी से उसके लिए एक समय आएगा ना ठीक है मैं दादा जी को बताउंगी की मैंने यहाँ क्या क्या देखा । बहुत अच्छी बात है । अब तो मंदिर जाओ, ठीक है उसके बाद है ना वहाँ से चली गई और जो कर कैमरे के सामने नजर आया उसने खुद को इतना ढक लिया था कि उसके आगे तक नजर नहीं आ रही है । अब तीनों को जोकर का नमस्कार मेरे पीछे यहाँ इस नदी के पास पुलिस को भेजने की कोशिश तो तरह से भी मत कीजिएगा । इसी पे भेजा था । क्योंकि ये वीडियो दो दिन पुराना है । मैं भी वहाँ पर नहीं होगा । मैं कहीं भी हो सकता हूँ शायद आपके शहर में ही या फिर कहीं मेरा नाम जोकर जरूर है । पर मैं अपनी पूरी तरह बहुत इसमें ऐसा कुछ भी मत करना जैसे मुझे तो कोई फर्क नहीं पडेगा तो आपका बहुत नुकसान होगा । एक बात मैं और बता देता हूँ । मैं पूरी तरह रिसर्च करके यहाँ बैठा हूँ । इतना कहेगा जोकर एक पल के लिए रोका और फिर एक गहरी सांस लेकर फिर बोला मुझे हर्षवर्धन साहब से कोई दुश्मनी नहीं और न तो ऍसे मैं चाहता हूँ बाबा तामेश्वरनाथ जी महाराज अपनी जिंदगी का कच्चा चिट्ठा मीडिया के सामने खोलेंगे । मीडिया के नाम पर मैं सिर्फ एक पत्रकार को बुलाना चाहूंगा और पापा ये बताएं कि उन्होंने कैसे इतना बडा साम्राज्य स्थापित किया । आप सोच रहे होंगे कि जैसे मुझे क्या मैं क्यों ऐसा चाहता हूँ और विजय साहब ये ढोंगी महाराज आपको यकीन दिलाएंगे की उनकी जिंदगी में कोई कच्चा चिट्ठा ही नहीं तो शायद आप इतने बडे बाबा के बाद मान भेजा है पर मैं नहीं मानूंगा और मैं बिना सबको जाने एना को छोडूंगा भी नहीं । सब आप लोगों को हमारी बातों को मानने के सेवा और कोई रास्ता नहीं । यकीन मानिये यदि मेरी बात नहीं मानी गई तो एना के शरीर का एक एक अंग काटकर टुकडों में भेज दूंगा । हर्षवर्धन साहब आपके घर पर नहीं बल्कि उससे मंदिर में भेजूंगा जिनकी ईटों में दर्जनों लोगों की सांसें चल रही है । आपने एक अंतिम फोन करूंगा और समय और जगह बताऊंगा । यादव मैं अकेला हूँ को लेकर नहीं होंगा । यदि कोई गडबडी हुई तो मेरे आदमी सेना का पुरा हाल करेंगे । इसलिए जो भी करना सोच समझकर करना याद रहे मेरे लिए कोई नहीं है । जो खोना क्या होता है । मैं फूल चुका हूँ । मरने से मुझे नहीं लगता । समझ में आ ही गया होगा कि किस सिर्फ मेरे से पाला पडा है । अब मैं कल फोन करना और फिर रेडियो बंद हो गया । सपा क्या है? ये सब क्या चाहता? ये जो कर मुझे क्या पता? ऐसा कैसे हो सकता है? मैं बताऊँ क्या मीडिया और पुलिस को आपके कारनामों के किस है? हर हारता हुआ आपका बोला तुम बोल रही हूँ कि तुम एक महंत से बात कर रहे हो और पाता और समर्थन जी का आप भूल गए हो कि आप एक बेटे और उसकी बेटी की जिंदगी को दांव पर लगा चुके हो । आप आपने भेजे स्वार्थ के लिए माँ को भी मरने पर मजबूर कर चुके थे । खर्च ऍम अशवर, दनदनाहट आपने आज तक अपने बेटे के लिए कुछ नहीं किया । अपने माँ को आत्महत्या करने पर मजबूर किया । हैदराबाद अपनी पोती को भी मरने पर मजबूर कर रहे हैं । उस स्थान चोकर की दुश्मनी मुझसे नहीं आपसे हैं । यदि आप कुछ नहीं करोगे तो मजबूरीवश मुझे एना के लिए ऐसा कदम उठाना पडेगा जिसकी जरूरत मुझे आज तक नहीं पडी तो क्या पकडे? वहाँ तो बहुत हो । हाँ होश में नहीं पाता हूँ । पता कर लीजिए कल जोकर से मिलेंगे और मुझे चाहता है आपको करेंगे । ये संभव नहीं है । आपकी नजर में परिवार की कोई अहमियत नहीं रखते । माँ की भी नहीं । मेरी नहीं तो कम से कम है ना के बारे में ही सोच लीजिए । आपके अंदर जरा सी भी इंसानियत नहीं है और तुम जानते हो ये सब होने के बाद मैं भी खर्चा होगा । महाराज एक पर विजय की तरफ गहरी निगाहों से देखता हुआ बोला । मुझे नहीं पता वो क्या चाहता है । पर इतना जरूर जानता हूँ कि मीडिया के सामने उसने यदि कोई ऐसी बात पूछनी जिसका जिसका संबंध मेरे बहुत काल से हैं, तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा और मेरा घर उजड । राइट उसका क्या आपकी वजह से मेरी दुनिया तबाह हो रही है, उसका क्या? एक मिनट हर्ष? वह तभी विजय महाराज्य की तरफ देखता हुआ बोला तो वहाँ राजीव आपका भूतकाल किया था या भविष्य? क्या होगा? बात उसकी है की नहीं, बात है ना कि जिंदगी की है । मेरे पास अब इतने सबूत हो चुके हैं कि मैं आपको उसके बताए गए स्थान पर ले जा सकता हूँ । बिना किसी रोकटोक तो मैं ऐसा करूंगा नहीं क्योंकि लोगों का विश्वास धर्म और कानून दोनों पर से उठ जाएगा । सब मुझे आप दोनों में से कोई बताएगा की बात क्या है? मैं बताता हूँ जैसा तभी हर्ष मायूस होकर बोला मैं अपनी बेटी को नहीं हो सकता । वर्ष भारत का जाना माना व्यवसायी था तो कारोबारियों पर राज करने वाला इंसान आजमा यूज घुटने पर बैठकर अपने ही पिता से अपनी बेटी के लिए भीख मांग रहा और महाराज को कोई फर्क नहीं पड रहा था । वैसे तो ये साबित हो गया था कि बाबा इतने बडे मंदिर का महंत ऐसे ही नहीं बनाया था । इसमें जरूर कोई बडी गहरी साजिश होगी । करुँगी मैं बताता हूँ जैसा और तभी अचानक से बाबा के चेहरे पर से रंग तोड गए । मैं सब कुछ बताऊंगा । किसी भी साहब के भगवान का मंदिर बनाने और यहाँ तक पहुंचने में मुझे कुछ गलतियां भी हुई है । कल क्या नहीं पापा को अपराध होता है तो गुना होता है, उसे आप कहते हैं जिसकी सजा होती है । अच्छे लाकर बोला बातचीत कर और कब से चल रहा था और बाहर बाबाजी के चौवन रक्षण अन्य बाबा साधु महात्मा फिर सब इंतजार कर रहे थे कि कब महाराज्य बाहर निकलेंगे । किन्तु जब ज्यादा समय हो गया था तो उन्होंने दरवाजे को खटखटाया । महाराजी क्या हम अंदर आए नहीं? महाराज बोले जब तक मैंने हूँ तब तक कोई दरवाजा नहीं कट कट आएगा । ठीक है । महाराज जी आप बताएंगे की किस तरह की गलतियां हुई हैं आप से विजय पापा से बोला क्या क्या नहीं हुआ है तभी हर चीज प्रेफर कर बोल पडा विजय साहब दुनिया का ऐसा कौन सा कांड है जो नहीं हुआ है । मेरे पूछे आता नियत पता श्री महंत महाराज चीज है बाबा जी ने अपना सिर पकड लिया और हर चीज की तरफ देखते रहते हैं । विजय को तो पहले से ही शक था क्योंकि बिना किसी बडी वजह से कोई इतनी बडी मांग नहीं करेगा कब जोकर बाबा को सारे आम करना चाहता था । ठीक है महाराष्ट्र कल मेरे पास फोन आने के बाद मैं आपको फोन करूँगा और आप बिना किसी को साथ लिए भेज बदल कर आ जायेगा जहाँ मैं बताऊंगा । इसके अलावा और कोई तरीका भी नहीं महाराज्य मान गए जो कर के साथ मीटिंग और उसके बाद हर्षवर्धन और वजह साथ वहाँ से निकल गए हर्ष और बजाए एक ही गाडी में दोनों शांति ट्राइबल गाडी चला रहा था । खर्च के चेहरे पर चिंता देंगे । चार फॅमिली विजय के मन में ये बात चल रही थी कि हर्ष और बाबा के बीच तकरार की वजह से उसकी माँ और खाने की थी । आत्मत्या खर्च के बताया था । आत्महत्या की कोई बडी वजह थी और उस वजह से बाबा का संबंध था और इसको थे को सुलझाए तो सुलझाएं कैसे? क्या हर से पूछना ठीक रहेगा और क्या वो बताएगा? मुझे नहीं लगता कि हर्षवर्धन के माने सच में आत्महत्या की होगी । अब जब इतना हुई है ना तो कुछ नहीं होगा । विजय ने हर्ष के कंधे पर हाथ रखा और धीरे से दबाया । एना को सही सलामत लाने की जिम्मेदारी मेरे इन का कोई भरोसा नहीं । वजह साहब उन्होंने जरूर कोई ऐसा कांड क्या होगा जिसका बदलाव होकर रहना चाहता है करोड जोकर का, इनके मंदिर से कोई सम्बन्धों का ये सब किस आधार पर आप कह सकते हैं क्योंकि जब इन्होंने मेरी माँ तक को नहीं छोडा तो हम इंसान की क्या बात है? एक बार मेरे खुद के मन में ये बात आ गई थी । मैंने जान से बाहर डालो । मैंने ऐसा कुछ नहीं किया । औॅर दिया । क्या हुआ हमारे साथ? मेरे पिताजी बाबा के भेज में काटे हैं । एक ऐसे कहते हैं जिन्होंने आज तक खुद एक खत्म नहीं पर जितने भी खत्म हुए उनके आदेश पर हुए हैं । आपने नहीं क्राॅस का नाम सुना है । क्या आज मैं इस टाइम के कपडों का कोई तोड नहीं मेरे नाना जी का था मेरी माँ की पहले शादी के बाद उनके पति तीन दिन बाद ही मर गए थे । फिर मेरी माँ की जिंदगी पार्टियों जैसे हो गए थे । अनाजी दुनिया भर में घूमने पर माँ की दिमागी हालत ठीक नहीं हुई । हालांकि बहुत परेशान थे पर उसी परेशानी में किसी ने बताया कि एक बाबा है जिनके पास बहुत ऊँची सकती हैं । वो ठीक कर सकते आपकी बेटी का ठकार करता ना किया इनके पास तब ये मंदिर नहीं था । एक झोपडी जैसा कुछ और उस समय की शक्ति के बहुत चर्चे थे । मेरी माँ एक बार इनके पास के आई ऍफ दीवानी हो गई । बार बार इनके पास आने लगे नाना जी कोई लगता था कीमा इलाज के लिए आते परमान से मिलने आती थी । उसके बाद नाना जी ने से झगडा कर लिया कि बहुविवाह उसी से करेगी जिसमें उनकी जान बचाइए जिसने पागल की दुनिया से मुझे निकाला है । सच्चाई भी आई थी । माँ पता नहीं कैसे पर अब बिलकुल ठीक थी । उन्होंने अपने से बडी उम्र के आदमी का अपना पति चला था और नानाजी माँ की ज्यादा खुशी के आगे कुछ न कर सकें । ऍम को ये नहीं पता था कि इनकी नजर लाना चाहिए था ना अदालत पर थी । ये पूरी तरह से नाना जी के साम्राज्य को अपने हाथों में ले लेना चाहते थे । पर फिर बाद में वही हुआ । शादी के बाद ये माँ को प्रलोभन देकर टॉर्चर करने लगे । हाँ, इनके मोहब्बत में इतनी भावुक हो गई थी क्यों नहीं इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था की पिताजी गलत करने वाले हैं और एक बार फिर माने पिताजी को नाना जी के साथ झगडा करते हुए देखिए । पिताजी नाना जी से मिल बेचकर उनसे पैसे मांग रहे थे । छकडा दिन प्रतिदिन बढता जा रहा था । नानाजी की लाश उनके कमरे में पाई गई । सबका ये मानना था कि नानाजी का कत्ल पिताजी ने किया पर हाँ ये मानने को तैयार नहीं । पिताजी के हाथों नाना जी का खत्म नहीं हुआ था बल्कि उन्होंने नाना जी का कत्ल किसी पेशेवर मुजरिम से करवाया था । नौ बजे की पूरी तरह दौलत माँ के नाम हो चुके थे और माँ के नाम धन । बहुत होने का मतलब पिताजी के नाम था पर उसके भी कुछ नियम कानून पिता जी तो मुझे भी नहीं । धीरे धीरे हम आपको पिताजी की असलियत मालूम चलने लगी । तब उन्होंने करना फैसला लिया और कहा कि या तो मैं होंगी क्या? फिर तुम्हारा तो भी कैसे छोडना पडेगा? पिताजी नहीं माने तो उन्होंने माँ को कह दिया मैं मेरा मंदिर का सपना और उसका साम्राज्य नहीं छोड सकता । में रहना है तो आपको पढना मरना है तो मर चाहूँ पिताजी का इतना कहना ही माँ के लिए काफी था । बहुत ही भावुक । मुझे अब एहसास होने लगा के नाना जी की हत्या पिताजी नहीं करवाई थी आपको । सचिन चाहते पिताजी की बात उनके दिल में तो कई और वो रात में दिमाग के आखिरी रहते हैं । शहर खाकर मुझे खिला छोडकर इस दुनिया से चली गई हूँ । चाहते जाते पाॅप छोड गए जिसमें सारी चाहता था नाना जी की मील मेरे नाम पर हैं, ऍम हो गया था इसलिए मैंने नानाजी के मिल और रिटेल की दुनिया को संभाल लिया । विजय के सब सुन कर बहुत चक्कर रह गया । इस बाबा ने धर्म के नाम पर इतनी बडी दुनिया बसा ली थी । उसमें खुश कर उसे गिरफ्तार करना मुमकिन नहीं और उसके लिए बहुत कडे सबूत चाहिए । आपको नहीं लगता आपने भी अपने पिताजी को खुला रहने में मदद की है । यदि ये सब बातें पहले बोल दिए होते तो शायद वो आज जेल में होते और शायद आपके पास यहाँ पे जैसा हूँ । आप सही कह रहे हैं मेरी गलती तो है पर अब मैं गलती नहीं करूंगा और पिताजी के साम्राज्य के उनके पापों की उन के अंदर हाथ के अंतिम दौर है । मैं जवाब बनूंगा होंगे जेल में और ये इतना आसान नहीं । आपके कहने मात्र से कुछ नहीं होने वाला । कुछ बडा सबूत चाहिए तो क्या आप इतना सब कुछ जानकर भी कुछ नहीं करेंगे । इंतजार कीजिए हर स्वाहण सब कुछ होगा । कुछ बडा धमाका तो जैसा कि बाबा के नौ बजे तक आ जाएंगे और तभी वजह साहब के फोन की रिंग बच्चे हैं । हाँ बोलो उधर से आवाज है तो मुझे साहब जोकर का एक संदेश है आपके लिए बोलो कितना समय हो रहा है । सात बज रहे हैं क्योंकि ज्यादा नहीं मतलब तीन घंटे का समय है आपके पास प्लान में थोडा बदलाव है । रात को ठीक दस बजे हलवाई गाली मैं मार्केट में होटल हूँ । कमरा नंबर तीन सौ आप महाराज्य जिलाजज मोहंती साहब आप एक अखबार वाला अखबार वाले को खबर है बाकी लोगों को लेकर आप खुद आ जाओ । अब फोन रखता हूँ तो क्या हुआ हर्षवर्धन को भी होना चाहिए । बोल अपने जो करते हैं ठीक है मैंने भी ले लीजिए साथ में और उनकी पत्नी को भी और हो सके तो उनके नौकर चाकर को भी मजाक महंगा पडेगा । तो छे बजे गुस्सा कर बोला तभी तो बोलता हूँ । जितना जो करने बोला उतना ही करेंगे । अब रखता हूँ । याद रहे मेरे पास है पर मैं वहाँ से फोन नहीं करना गडबडी ना तो मुझे पसंद है और न तो जो करके डाल दे रहा है और फोन कट गया । क्या हुआ? हर्षवर्धन बोला आज रात दस बजे की मीटिंग चर्च मोहंती साहब को फोन करना पडेगा, तैयार रहेगा और आप अपने पिता को बोला इस पते पर देश बदल कर पहुंचे और मैं माफ करना । हर साल उसने सिर्फ हम तीनों को ही बोला है ये कैसे हो सकता है और चलना मेरी बेटी आपकी बेटी को कुछ नहीं होगा । फॅमिली होटल साहू का एक डीलक्स रूम जहाँ से सारी सब सुविधाओं की चीजों को हटा दिया गया । ना सिर्फ तीन सीट वाला सोफा और तीन प्लास्टिक की कुर्सियां कमरे की सभी के क्या बन थी । कमरे में जो कर बैठा था और उसके साथ पत्रकार किशन दिवाकर बैठा हूँ । किशन दिवाकर को जो करने जानबूछकर सुना था क्योंकि वो एक अत्यंत ही ईमानदार और जुझारू पत्रकार था । चाहे कुछ भी हो जाए वो किसी से डरता नहीं था और बेबाक पत्रकारिता करता था । सच को सामने लाना ही उसके मुख्य प्राथमिकता होते थे । ऑपरेशन दिवाकर के ऊपर कई बार जानलेवा हमला भी हुआ था परंतु वह बाल बाल बचा था । उसकी वजह से वह काफी चर्चा में रहता था । शहर का कानून कुछ इस तरह से बना कि आप तो किशन दिवाकर की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं दिखता था क्योंकि वो खुद खोदकर सच्चाई को सामने लाता था और ऐसे लोगों को बेनकाब करता था जो कभी सामने नहीं आते हैं । पडी हुई थी । दस बजाने को भी पिता थी क्योंकि आए दिन इस होटल के कमरे में खडी भी उप सी गई थी । वही रोजाना वाली हरकतें, वही रंगरेलियां भैया यशी पर आज उसी समय पर कुछ अलग सा होना था । कुछ ऐसा जो खडी ने कभी नहीं देखा था और उसे बेसब्री से इंतजार था । खडी हुई ऍम और उसके तीनों सोचों परख । जबकि मुस्कुराहटें आपको कोई और तरीका अपनाना होगा । मुझे नहीं लगता वो बाबा आएगा । किसान दावा कर जो कर सकता हूँ किसी की नहीं पडी चाहिए तो जरूर आएगा । किशन दिवाकर तभी जोकर पलट करता हूँ तो जरूर आएगा । दस बज नहीं तो जो करके शब्दों में एक तसल्ली थी तो कौन था? ऐसा लग रहा था जैसे आज उसकी जीत होने वाली है । कितने महीनों की मेहनत का आज ही मिलने वाला था तो उसकी आंखें डबडबाई गई थी और मेरे भाई मुझे ताजुब हो रहा है कि अपने को उनके घर से अपहरण कैसे? क्या आज तक उस बाबा के खिलाफ किसी ने कुछ नहीं बोला? सबको पता है बाबा ने कितने कम किया, पर आज तक कोई केस नहीं । उसके खिलाफ दस सालों में इतने बडे मंदिर का निर्माण करवाना और वहाँ का महत्व बना । ये सब कैसे संभव हुआ? बेसब्री से उस पल का इंतजार कर रहा हूँ । मेरी अंगुलियां बडबडा रही है बाबा के कारनामे लिखने के लिए और फिर कमरे की घंटे बजे चाहे वो लोग आ गए थे, दिवाकर दरवाजा खोला होगा पर बिना किसी जान पहचान के नहीं जी बिल्कुल मैं उन्हें पहचानकर ही दरवाजा खोलो । और फिर किशन दिवाकर ने दरवाजे में लगे तो ऑनलाइन से बाहर देखा तो इसी पी विजय के साथ चर्च मोहंती साहब करेंगे जहाँ पर मोहंती साहब है खोल दो तरह का था । पर जैसे दरवाजा खुला दोनों लोग अंदर है । अब तो नौ रुपए पर बैठ चाहिए । ऍम समय दस बजकर चार मिनट हो चुका था और अभी तक महाराज नहीं है । बहुत बडी वाली गलती हो रही हूँ । तभी जोकर बोला बाबा नहीं आया तो सब खेल खत्म होगा । थोडा और इंतजार कर रहा हूँ । वो जरूर आएंगे । विजय बोला और बडे ध्यान से जोकर को देखने लगे । लम्बा पतला दुबला चौकर नाक मोटी सी बत्तीस गाल पिचके होगी आंखों कि कटोरियाँ बाहर ऐसा लग रहा था जैसे गोटियाँ उछलकर बाहर आ जाएंगे मस्तक पर जो ऐसे जैसे किसी को सकता हूँ । लंबे बालों का गुच्छा तथा नहीं है ना कैसे रह रही थी साथ और इतनी खुशी खुशी जब किसी देखकर तो कोई भी बच्चा डर जाएगा और उसकी ठीक है निकल जाएगा । ऐसा दिखता था जो ऍम तभी घंटे बच्चे किशन ने बाहर देखा तो बाबा ही था और उसने गहरी मुस्कान के साथ दरवाजा खोल दिया । दरवाजा खुलते ही बाबा ने पहले तो गहरी ने कहा किशन पर डाली प्रतिशत मुस्कुराया और बोला वहाँ उस कुर्सी पर आसन ग्रहण कीजिए । महाराज जी इशारा एक लकडी की कुर्सी पर था । एक साथ ही लकडी की कुर्सी जब की जा जा रहे जैसा आप के लिए तो बाबा नहीं हो जाए और मोहन्दिस आपको गौर से देखा और कुर्सी पर जाकर बैठ गया । दरवाजा अच्छे से बंद करके उस पर ये ऍम जो करने कब्बडी ऑपरेशन को क्या ये लडका आने के बाद किसी कुर्सी पर बैठकर बंद क्या क्या क्या क्या तीनों चल पडे हैं तो इसलिए मैं आप लोग बिना किसी गलती के कुछ नहीं करता । सवाल मेरा होगा । जवाब बाबा का जज साहब अपने फॅमिली बनाएंगे तो जैसा आप की गवाही में और किशन अपना रिपोर्ट बनाएगा । इसके अलावा कोई कुछ नहीं बोलेगा । कोई कुछ भी नहीं । मैं चाहता तो मीडिया भी बुला सकता था और लाइफ करवाता है । पर मैं नहीं चाहता की लोगों का अच्छे धर्माधिकारियों पर से भरोसा तो बच्चों की नहीं यहाँ पर और बाहर भी नहीं जाता हूँ क्या मैं आप से? मैं बोला अब भी मौका है खुद को भी जैसा आप के हवाले कर दो और सेना को छोड दूँ मैं ज्यादा करता हूँ तो मैं बडी संस्था नहीं होगी तो शायद मेरी ताकत नहीं जानते । ऍम हूँ हूँ हूँ जो ऍम जोर जोर से हंसने का उसकी हंसी भयानक थी । जैसे जैसे कोई रह हूँ कडक ॅ उसके बाद वो बोला, बाबा मेरे पैर कमरे में और मुझे बचने बचाने की बात कर रहे और फिर जो करके आवाज तेज हो गए उसके नथूने फूलने पहुँचने लगे । आंखें लाल हो गई और वह चलना समय नहीं है मेरे पास और एक दम तेरी कुर्सी के नीचे दिया उसका वोट मेरे हाथ में । अब तो फॅमिली नहीं करूंगा जो करना नहीं पडूंगा बनते रहे बम के नीचे पर तुझे बिना रुके अपना चाहे राम की दुनिया की कहानी जज साहब को बतानी पडेगी नहीं तो आप लोग अपनी मौत का जिम्मेदार मुझे मतलब मछली क्योंकि मुझे मौत से कोई डर नहीं का हम मैं मैं बताऊंगा । मैं बताऊंगा तो वहाँ पे लगा मैं सब कुछ बताऊंगा । बहुत अच्छी बात है तो शुरू हो जाएगा शुरू से बाबा

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एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
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