Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
Read More
Transcript
View transcript

भाग साथ नदी में दूर दूर तक पागलों की तरह ढूंढने के बाद भी पुलिस वालों को कोई सुराग नहीं मिला । रेसिपी विजय ने निर्णय लिया कि अब हम वापस जाकर इसके इसको वहीं से नहीं करेंगे । थक हारकर वो वापस आ गए । कहीं से कुछ पता नहीं चल रहा था । जो कुछ भी सबूत नहीं मिला था वो जोकर को छोडने के लिए काफी नहीं था । अब तक खोजबीन खुफिया तरीके से चल रही थी पर अब तीन दिन हो चुके थे और शहर के कान बहुत तेज होते हैं । धीरे धीरे यह बात फैलने लगी । अशवर धंसा, अपने घर पर एक मीटिंग बुलवाई और कमिश्नर से लेकर बडे बडे मंत्रियों पर अपना गुस्सा निकालने लगे । क्या आप लोगों की मदद मैं ऐसे तो नहीं करता हूँ । कितना भी तरीका पैसा नहीं है मेरे पास मेरी इकलौती बेटी गायब हो या तो सब कुछ तो करो । किसी भी विजय भी वहीं पे पढते हैं । कोई जवाब देखा कि अब मैं क्या करूँ? क्या मुझे किसी खुफिया एजेंसी को यायर करना पडेगा हूँ? सर, मेरा एक सुझाव है । तभी विजय बोला आप क्या बाकी रहेगा? विजय साहब हषवर्धन होते हैं तीन दिनों से आप हो ना मेरी बेटी को अभी तक पता नहीं किस हालत में होगी । एक सबूत तक मिले आपको सब ठीक होगा ये हर्षवर्धन साहब थोडा कह रहे रख दिया । यदि कोई गिरोह होता या कोई ऐसा करती जिसने ये काम पहली बार नहीं किया हूँ तो समझ में आता है पर अन्दर ये या तो बिल्कुल अकेला या इसका बस एक साथ ही और क्या पहन करना उसने पहली बार किया है । किंतु एक बडे शोध और जांच पडताल के बाद ऐसा नहीं था कि हमें कुछ मिला नहीं । पर वहाँ तक जाने में सफलता हुआ क्योंकि वो एक जगह नहीं है । यदि मेरा अंदाजा सही है तो उसने अपना और ऍम बदल दिया है । पांच चली रही थी कि तभी रजत को उसके मोबाइल पर टेलिकाॅम एप्लीकेशन के जरिए एक मैसेज करती हूँ । उसने उस मैसेज को पढा और फिर विजय को दिखाया । उसमें लिखा था विजय साहब मैं जो कर आर मानकर आखिर घर पर लौटी गए, मैं कोई चला नहीं और नहीं हुई । कुख्यात अपराधी अस्पतान के परिवार को इस समय से खाना था इसलिए ॅ उठाया और खबरदार जो मुझे दोबारा ढूंढने की कोशिश भी की । तरह मुझे ढूंढने में समय बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं हूँ क्योंकि मैं जब तक खुद ना चाहूँगा । मुझे कोई नहीं मिल सकता है । एक बात की गारंटी दूंगा । सेना को कुछ नहीं होगा किन्तु तब तक जब तक आप सब मेरा साथ देंगे । एक भी चला कि मासूम ऐना को खतरे में डाल सकती है । अब चोर पुलिस का खेल खेलना बंद कीजिए और हर्षवर्धन साहब को बोलिये की अपने आपसे संपर्क करे । विजय पढते पढते हो जाता है । हर्षवर्धन की तरफ देखने लगता है । हर्षवर्धन चौक जाता है कि आखिर अपने आपसे संपर्क करे । मतलब मेरे पिता से मुझे मेरे संपर्क करने के लिए क्यों बोल रहा है? जब की मैं और मेरे पिता से कोई रिश्ता होता ही नहीं । आगे पढें हर्षवर्धन विजय की तरफ देखते हुए बोला मुझे पता है हर्षवर्धन अपने बाप से कोई संबंध नहीं रखता हूँ । तुरंत जब इसके आपको पता चलेगा कि उसकी पोती गायब है तो तेल मिलाकर अपने फिल्म से निकलेगा और था मुझसे बात कराना । उसके बाद शुरू होगी मेरी शर्तें । मैं क्या चाहता हूँ सेना को अगवा करने के पीछे की कहानी इसलिए विजय साहब आपसे विनती नहीं बल्कि धमकी समझ ये संदेश को हल्के में ना लेकर हर्षवर्धन के पास तक पहुंचने की कोशिश कीजिए । मुझे हर्षवर्धन से कोई लेना देना नहीं है इतना उसके आपसे मिलना चाहता हूँ । अब अगला संदेशा फोन में जल्दी ही करूंगा । आपको समय का ध्यान रखते हुए अब से ठीक आठ घंटे बाद आपको सामने से फोन करो और उस समय मुझे आप तो हर्षवर्धन के आपके सामने बैठे हुए हैं । अब चलता हूँ मिलता हूँ आठ घंटे बाद जो ये क्या है? हर्षवर्धन चला है ये कुछ भी बोलेगा और हम वो करेंगे इतना खिला काफी जो कर के लिए मैं अपने पिताजी की मदद नहीं ले सकता हूँ । और फिर क्या अश्वसन साहब सबसे पहले तो ये बताने की कृपा करेंगे की आपके पिताजी को आप क्यों नहीं बताना चाहते हैं? कमिश्नर साहब ये मेरा घरेलू मामला है । आप को ही नहीं बल्कि सबको पता है कि मैं अपने पिता से कोई संबंध नहीं रखता हूँ । आज आपकी बेटी का सवाल है, हर्षवर्धन था, आप की कहानी नहीं जाना चाहते हैं पर आखिर उस जो करने ऐसी शर्त क्यों रखी? ऐसी क्या बात हो सकती है? इस बात पर गौर करिए । उसका मकसद आपके परिवार को क्षति पहुंचाना नहीं हैं बल्कि आना के जरिए वो आपके पिता तक पहुंचना चाहता है । क्या कोई और रास्ता नहीं असमर्थन अफसोस करते हुए होता तो हम जरूर करते हैं । पर आप हमें उसकी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं । बिहार तरह से हर जगह छापेमारी और खोजबीन कर ली । होटल से लेकर लॉन्च हर जगह जहाँ जहाँ उसके जाने की संभावना है हर जगह और हर्षवर्धन जाऊँ विजय हर्षवर्धन की तरफ देखते हुए आदमी को हल्के में मत लीजिए और बाद आपके घर की नहीं है । ये केस पुलिस की जिम्मेदारी है । हमारा कर्तव्य है और हम को सही सलामत घर लाएंगे । अब बात हमारी साख पर आ चुकी है । हर्षवर्धन चलते मछली की तरह तडपते हुए बोला अपने आप से मतलब नहीं ले सकता । इसी पर बजाये कोई और तरीका तो ऐसी कोई तो बात होगी । हर्षवर्धन साहब जिसकी वजह से जो करने ये मांग रखी है तो आप हमें कुछ भी बताएंगे तो हम सेना को वापस कैसे लाएंगे? विजय ने हर्षवर्धन पर जोरदार आखिर क्या बात है? आपस में खुलकर बताएंगे । इनसे क्या पूछ रहे हैं जैसा मैं आपको बताती हूँ । तभी हर्षवर्धन की पत्नी ने हॉल में कदम नहीं को तो कुछ भी बताऊंगी । मैं बताता हूँ तो हर्षवर्धन साहब ने अपनी पत्नी को बीच में ही रोक दिया तो अंदर अपने कमरे में जाऊँगा । मैं कहीं नहीं जाऊंगी । मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए । चाहे जैसे भी उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ । क्या हाथ रखना हर मैसेज सरायकी । आंखों में अंदाजे ऐसा लग रहा था जैसे सिंघनी की तरह अभी झपट पडेंगे । हर्षवर्धन साहब हार मान चुके हैं और उन्होंने विजय साहब की तरफ देखा और बडे ही दुख के साथ ठीक है हम मुलाकात करते हैं । आप भी चलना मेरे साथ आप से मिलने समझे ये बात ठीक है आपको कुछ पे हाँ सभी आईडिया है की जो कर आपके पापा से ही क्यों मिलना चाहता है । मैं साॅस के बारे में मुझे कुछ नहीं पता मैं मैं खुद हैरान हो इस बात पर केस बहुत उधर में फंस चुका हूँ । एक तरफ जहां होकर और सेना के बीच में अच्छे तालमेल बन गई थी वही दूसरी तरफ हर्षवर्धन राई के तेल में की बात घर कर गई कि ऐसी कौन सी बात है जिसकी वजह से जो कर मेरे पिता से मिलना चाहता हूँ । दिन से मैं खुद सालों से नहीं मिला और नहीं कभी मिलना चाहता हूँ । किसी भी विजय जी तोड मेहनत कर चुके थे पर जोकर का कहीं अता पता नहीं था । उन्हें ये बात माननी पडी की उसे ढूंढना आसान नहीं । अब जो करके उसके ही तरीके से ढूंढा जा सकता है । मतलब जब वो मिलना चाहेगा तभी मिलेंगे । तो इस बात से ये भी साबित हो चुका था कि जो कर देना को कोई हानि नहीं पहुंचाना चाहता था, बल्कि कोई ऐसी बात थी जो वहाँ के कंधे पर बंदूक रखकर हर्षवर्धन राय के पिता से मिलना चाहता था । अब जाए हर्षवर्धन राई के साथ उसके पिता से मिलने के लिए ज्यादा है । कनकावती नदी के किनारे स्थित बहुत चलती है और कम समय में उभरता हुआ केशव पुरम का मंदिर भारत के सबसे विख्यात मंदिरों में से एक हो गया था । प्रशाल, काय मंदिर और रोजाना हजारों लाखों के बीच में करीब दस साल में ही इस मंदिर लें । धर्म और पूजा में एक अलग जगह बनाई थी । करीब नौ एकड जमीन में फैला उस मंदिर का साम्राज्य भक्ति, धर्म और निष्ठा का प्रतीक था । पचास से ज्यादा मंदिर में मुख्य महात्मा, सौ के करीब पुजारी और पांच सौ के करीब सातों महात्मा । हजारों की संख्या में रोजाना बोझ की व्यवस्था, पचास के करीब सुरक्षा कर दिया और नौकर चाकर । इसके अलावा सरकारी सुरक्षा अलग से कनकावती नदी में पारा मास पानी होता था । चारों तरफ हरियाली रहती थी । मंदिर के प्रांगण में पेड पौधे बहुतायत मात्रा में लगे हुए थे । खूबसूरत फूलों की क्यारियों से सजा हुआ था । वहाँ का चप्पा चप्पा यहाँ पर संस्कृत का विद्यालय भी चलता था जहाँ पर वैदिक ग्रंथों और धर्म और धार्मिक ग्रंथों को ही पढाया जाता था । एक चैरिटेबल अस्पताल में था सबसे बडी और मुख्य बात थी इस मंदिर के मुख्य पीठाधीश्वर महंत पंडित कामेश्वर रांची महाराज पर । ये महंथी हर्षवर्धन के पिता हैं । पर मंदिर मैनेजमेंट को जब पता चला हूँ कि हर्षवर्धन साहब अपने पिता से मिलने आए हैं तो उन सभी के चेहरे खुशी से खेलते हैं क्योंकि पिछले कई सालों में ये पहली बार अपने पिता से मिलने आए थे । तुरंत हर्षवर्धन और विजय साहब को इज्जत के साथ मंदिर कार्यालय में बिठाया गया और महाराज्य को सूचना दी गई । सूचना मिलते ही महाराज तामेश्वरनाथ जी दौडे चले आए । ऐसा लग रहा था जैसे सुदामा से मिलने कृष्ण भागे आ रहे हैं । बाप रे होकर मंदिर में ऐसा पहली बार हो रहा था । खुद महाराज जीतने उताबले कार्यालय बहुत पडा था । उसके अंदर तीन पडे पडे सौंपे रखे थे । उनके लिए जलपान की व्यवस्था की गई थी पर अभी तक उन्होंने पानी को भी बात नहीं लगाया था । जैसे महाराज आए और हर्षवर्धन सोफे से उठ खडे हुए हैं । महाराज के पीछे दो कार्य लवाजमें गलत है और कुछ फण्ड । महाराज ने हर्षवर्धन को देखा और हर्षवर्धन ने अपने पिता को । विजय साहब ने दोनों को बडे ध्यान से देखा । ऐसा लग ही नहीं रहा था कि दोनों पिता पुत्र हर्षवर्धन ने वापस भेज दिया । अमेरिकान पे रहने दिया जाए महाराष्ट्र आपने अनार और पीछे खडे अन्य पंडितों से कहा अपने बेटे से एकांत में बातचीत करना चाहता हूँ । लेकिन महाराज्य महाराज्य का एक खास आदमी था जो ने वहाँ अकेला नहीं छोडना चाहता था । अब अकेले में कैसे सभी को लेकर चाहिए । वहाँ पहुँची मैं काम चाहता हूँ आपने देखा नहीं । मेरा बेटा आया मेरा बेटा महाराज भावुक हो गए । क्या हुआ आप लोग यहाँ से पर जब तक मैं खुद ना करूँ यहाँ कोई नहीं आएगा । उसके बाद सभी लोग वहाँ से चले गए । अब अंदर सर विजय हर्षवर्धन और महाराज जी थे । महाराज्य जैसे आभास हो गया था की बात कुछ गंभीर है । हर्ष बिना किसी वजह के नहीं आया होगा । आज पंद्रह साल बाद पता की याद ऐसे ही नहीं आई होगी जिस पिता से बना प्राप्त करता है और कभी शक्ल न देखने की कसम भाई थी उसे बिना किसी कारण से मिलने तो नहीं आया होगा, क्या बात है महाराज बहुत गंभीर आवास में बोल क्या हुआ? घर पर सब ठीक है ना? हर्षवर्धन चल रहा है उसे कुछ समझ में नहीं आता था और विजय साहब निशान बैठे थे । कहीं बाजार में कोई कमियाँ शहर में कोई नुकसान? हर्षवर्धन फिर भी जब तक कुछ बताओगे नहीं, तब तक कोई फायदा नहीं होगा । पता है बच्चे तो ठीक है ना । अब हर्षवर्धन खुद को रोकना पाया और उसके आंखों में आंसू आ गए । खाकर आप जीती का पापा खेती का बात क्या है और मुझे बताओ तो सही । आपने कहा था ना आज से पंद्रह साल पहले की आप नहीं मेरे पास हो गया बल्कि मैं आऊंगा । आपके कदमों में माफी मांगने मैं आपकी इस चौखट पर चुकने होंगा, ठीक है और ये सब बीती बातें बता तो मुझे बताओ आप बात किया मैं सब ठीक करते हो सेना का किसी ने अपहरण कर लिया है बहन जी तभी विजय बोल पर मैं क्राइम ब्रांच से इसी पे विजय । आप कहना को किसी ने अगवा कर लिया । मारा चौपडे क्या कह रहे हो? किसकी हिम्मत होगी इस प्रदेश में जिसने मेरी पोती को छोडने की हरकत की है । एक्सॅन आपकी तरह इस बार हर्षवर्धन बना क्या? मतलब मारा चाहते हुए उसे ढूंढने के बजाय हम यहाँ पर समय बर्बाद कर रहे हैं । कुछ पता चला कोई भी सबूत क्या फिरौती की बात फिरौती का पता चला हमारा विजय कुटिल मुस्कान के साथ क्या चाहिए? अपरहणकर्ताओं मैं किसी को नहीं छोडूंगा । मेरे हाथ में प्रदेश सरकार की चाबियां मैं जैसे चाहे घुमा सकता हूँ । बस एक ही है पापा पर उसे सर आप से बात करनी है । मुझे इस बार में हम को झटका लगा उस से मिलना चाहता हूँ । अभी तो वही जाने पापा मैं एक बात बता दूँ आपको मुझे मेरी वापस चाहिए । किसी भी कीमत पर तैनान को कुछ नहीं होगा । मेरा बात है महाराज्य गंभीर होकर बोलेगा अब सवाल ये हमारा जी की ऐसा कौन हो सकता है जिसने ऐसी हरकत की है जैसा आप महाराज की तरफ देखते हुए बोले मैं मुख्यमंत्री से बात करता हूँ मैं राॅय मजा साहब महाराज्य की बातों को बीच में ही काटकर बोले खुद मुख्यमंत्री साहब तो जाएंगे नहीं ऍम बहुत होगा तो मेरी जगह को याद आ जाएगा और तब तक शायद है ना को हो गई नुकसान कितना पहुंचा दे बात को समझे उसे पकडना आसान नहीं क्योंकि है ना उसके साथ खुद को सुरक्षित और अच्छा महसूस कर रही है । है ना खुद उसकी मदद कर रही है । काम आसान होने मुझे जानती है कि जो कर उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा फिर आके वो चाहता क्या है और कौन है जिसने ऐसी हिमाकत क्या, जो करना वो जैसा आपने महाराज्य से का यही नाम है उसका जो करते और वो सर आप से बात करना चाहता हूँ । ठीक है मैं बात करुँगी । रैना को किसी भी कीमत पर वापस लाऊंगा । ठीक है हम उसके फोन का इंतजार करते हैं । उसके पहले आप याद करने की कोशिश कीजिए कि ऐसा कौन हो सकता है जो ये जानता है कि आप और हर्षवर्धन जी में पिछले पंद्रह सालों से नहीं बनती है उसके बावजूद भी वो आपसे बात करने का इच्छुक है । हो जाता है कि आना की जान आपके दिल में । बस जब कहना आज तक आपसे बस एक बार ही मिली वो भी हर्षवर्धन जी की पत्नी की जरूरत है क्या ना को एक बार उसके दादाजी से मिलना चाहिए । ऐसे कैसे कुछ ज्यादा जाएगा । ऐसे भी पूरी जिंदगी में पता नहीं कितनों से मिला हूँ कितनों का भला हुआ है और न जाने कितनों ने हमारा बना रहा है । पापा से लोगों को याद कीजिए चलते आपकी कोई दुश्मनी रही हूँ । कोई है जो आप से बदला लेना चाहता है । पापा मुझे डर लग रहा है । अब सोची जरूर कोई ऐसी बात होगी जिसकी वजह से वो आपसे बदला लेना चाहता है । बात हो ही रही थी कि लैंड लाइन फोन की घंटे बच्चे हाँ और एक झटके में महाराज जी ने फोन उठा लिया । अलग हो मुख्य पीठाधीश्वर महंत पंडित कामेश्वर राज्य महाराज स्वयं फोन पर आ गए कौन बताया नहीं आपके बेटे नहीं जोकर हूँ सही पहचाना बाबा जी तेरे नाम का इतना तुम निहायती बत्तमीज किस्म के इंसान हो तो अंदाजा भी नहीं है कि तुम ने कितना बडा अपराध किया है । हम ने बहुत किया ऍम को कुछ हुआ तो में समीना मना कर दूंगा गौर का जोकर बडा किया थोडा ठहर जा बाबा रहे ज्ञान किसी और को देना गुनमा से उन लोगों को जो आपको नहीं जाते हैं आपका सारा कॅश आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं मंच पर क्या हो सकते हैं मैं मैं महाराज बोले पर जो करने होने बोलने ना दिया ऍम चुकर बडे प्यार से बोला और फिर महाराज ने फोन एसीपी को दे दिया । वो तो ये इसी हिसाब आता में समझदार लगे इसलिए बोल रहा हूँ मोबाइल का लाउडस्पीकर वन कीजिए और पिता पुत्र दोनों को भी मेरी आवाज सुनाई । ठीक है तो बोलो मैं जैसा आपने लाउड स्पीकर ऑन करके आगे गा दोनों तुम दोनों बाप बेटे बाबा हमारी पूरी हिस्ट्री मेरे पास अच्छा बच्चा चलने की कोशिश बात कर मेरे पास फालतू बातें करने का जरा सा भी समय नहीं । जरा सा भी आभास हुआ । मुझे बरगलाया जा रहा हूँ क्या धमकी दी जा रही ऍम कुछ भी नहीं मैंने अंदर जो आप चल रहे हो तो मैं तो नहीं कर सकते हैं नहीं नहीं तो मैं बिल्कुल भी नहीं करोगे तो हम वो करने के लिए तैयार है । तुम तो तैयार वर्ष परधन बाबू अपने आप से पूछ लूँ हो तैयार हैं । जब जो करने इतना कहा तो पिता पुत्र एक दूसरे को देखने लगे और फिर हर्षवर्धन हाथ जोड लिया बाबा लेकिन मेरे लिए कुछ अच्छा तो आपने नहीं किया । पर अब एक मौका है । हाँ हाँ बोल दो, ठीक है ठीक है मैं तैयार हूँ । मैं वो सब कुछ करुंगा जो आपका हो गया । ठीक है विजय साहब, आप इस बात के गवाह है बाबा ने जवान दी है अगर ये सामान से फैसले तो मेरा अच्छा को फिसलेगा । आपके घर पर रहना का कटा हुआ रहेगा । बिना कोई आवाज के ऍम नहीं । नहीं तो ऐसा नहीं करोगे । टाॅक ऍम याद रखा विडियो कहाँ से आया है, कैसे आया है इन सब पैसा? मैं करवाने का फायदा कोई भी नहीं है । कुछ गाडियों के बाद एक संदेश मिलेगा आपको और फिर आपको संदेश के मुताबिक काम करना है, सपोर्ट करता हूँ और आप जैसा बाप बेटे की कहानी जरूर कर लीजिएगा । ज्यादा को केसवाल करने में मदद मिलेगी । आपके आस पास ही आप हो तो अच्छा धन्यवाद और फिर जो करने फोन रख दिया । तीनों लोग एक दूसरे का मुंह देख रहे हैं । हर्षवर्धन अपने पिता की तरफ देखता हुआ बोला पापा याद करके ये आपके कौन से आपकी सजा है?

Details
एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
share-icon

00:00
00:00