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एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
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बाहर ऍम तो बदल के कंधे पर इन चारों में से एक लडकी थी । रंजन थी या उसके बाकी के तीन बहनों में से ये पता नहीं था । बहुत ही सफाई से उसने लडकी को गहरी नींद में सुला दिया था और जब पूरा परिवार हो गया था उसने मुझे धीरे से छुपकर सबकी आंखों से ओझल होते हुए उस लडकी का उठाया और जंगल की तरफ बढ गए होंगे । उसके मन में जरा सी भी दया नहीं आई हूँ । कितना कठोर करता था तो अपनी ही बेटी की बलि चढाने जा रहा था । वो बेटे की चाहने उसे इतना अंधा कर दिया था कि उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है । तो समाज भी अतिपिछडा और अंधविश्वासों से भरा हुआ । यदि उसे कोई देख भी लेता और पूछता भी तो किसी को कोई फर्क नहीं पडने वाला था । नरबलि का तो वजह से वहाँ रसलान हो गया था । पर बाबा की हिदायत के अनुसार अपने घर वालों को भी नहीं बता सकता था कि वो क्या कर रहा था । जब वो खंडर में पहुंचा तो पापा ने बाली देने के लिए पूरी व्यवस्था कर रखी थी । सबसे पहले वहाँ पूजा होनी थी । उसके बाद लडकी की बलि देनी थी । जब बदल ने लडकी कोई पत्थर पर लिखाया तब भी वह गहरी नींद में थी तो आज मुझे कुछ पर कर है । मेरे बच्चे तो बहुत हिम्मत वाला है । तेरा बेटा बहुत सुन्दर और शक्तिशाली होगा । बहुत चार । आरकाॅम पापा ने उस लडकी को देखा और अपने शीर्षक से बोला । इसे जगह कर महिलाओं और अच्छा तैयार कर के अलावा फिर बाबा ने रूदल की तरफ देखा खुला उधर तो मैं ना अगर वहाँ रखी हुई धोती पहनते हैं मैं क्यों बाबा बाॅधकर बोला होगा । मलित तो नहीं देनी है ना बाबा उसके सर पर हाथ रखते हुए बोलेगा जल्दी करूँ समय से पहले सब कुछ कर रहा है । बादल को ये नहीं पता था की वो अपनी बेटी को अपने हाथों से मारेगा होंगे तो सोच में पड गया । पर अगले बाल बाबा ने उसके माथे पर मजबूत लगाया और बोला जहाँ जल्दी रहा करा हूँ ज्यादा सोचो मत । समय निकल गया तो ना बेटी बच्चे की और ना बेटा होगा तो नहाने के लिए निकल गया । इधर रंजन को नहला धुलाकर लाया गया और उसे भारी भरकम विशाल तय सीमा की मूर्ति के सामने एक चटाई पर बैठा दिया गया । रंजन को अपने होश में नहीं था वो होश में होते हुए भी पे खुशी जैसी स्थिति में थी । ऐसा लग रहा था जैसे उसे भांग पिला दिया गया । अब उस गुफा में मंत्रोच्चार होने लगे । कुछ पलों में बाबा सामरिक नहीं दोनों जन के पैरों को दिला । फिर उसकी पूजा होने लगी । उसके माथे पर टीका लगाया गया । उसके पैरों को फिर से दूर हो गया । गया धूप अगरबत्ती से पूरा माहौल मैं कोटा इंजन के गले में सबंधित मालाएं पहनाई गई फॅार वापस आया तो उसने मुस्कुराते हुए रंजन को देखा कुछ घूम रही थी । उसे लग ही नहीं रहा था कि कुछ अनहोनी होनेवाली है । उसके साथ एक पल करो दल का होता है निर्माण हो गया । वो अपन जी को देख रहा था । वो भी बडे प्यार से उसकी आंखे पहुँच गए और ऐसा लगा जैसे अपना हाथ अपने बच्चे की तरह पढा रहा है । और एक बार गोद में लेना चाहता और कहना चाहता है बेटे मुझे माफ करते हैं मैं बहुत पूरा बाबू मैं तुम्हारे साथ बहुत गलत करने जा रहा । दुनिया का कोई आप ऐसा नहीं करेगा । परन्तु उसी पल बाबा तांत्रिक निर्दल को आवास बॅाल बदल चौंक गया । बाबा की आवाज सुनकर और उन की तरफ देखता हुआ बोला जी तैयार हो ना अच्छी बाबा जी मुझे गया है । पर फिर बाबा अपने शिष्यों को इशारा किया । उनमें से शैक्षणिक लंबी सी तलवार लाकर तो दल के हाथ में हमारे दो लोगों ने रंजन को उठाया और उसे ले जाकर उस मूर्ति के चरणों में रख दिया । उसके बाद जो हुआ तो बयान करने लायक नहीं है । एक बार हुआ उस तलवार से और सिद्धार्थ से अलग हो चुका था । बदल अपनी ही बेटी का सर अपने हाथों से माता के चरणों में अर्पण कर चुका हूँ । फिर उधर से खून के हमारे पडे और बदल चीज उठा । हाँ लेले खून मेरी बेटी का, पर मुझे बेटा सिनेमा पेट आते थे । ऍम बेटा जरूर मिलेगा, जरूर मिलेगा । बाबा सामरिक हसते हुए हैं । अब तो घर जा रहा हूँ घर जा । इस लडकी के इलाज को हम अपना देंगे । बदल वहाँ से घर की तरफ निकल गया और रास्ते पर सोचता रहा कि कल सुबह क्या होगा? जबरन जनों ने घर पर नहीं मिलेगी तो दल हफ्ते हुए धीरे से घर के अंदर घुसा और चुपचाप से चारपाई पर ज्यादा हो गया । जोकर इतने कहानी सुना करो क्या कहीं आपको डर तो नहीं लगाना? राजकुमारी ऍम बडे ध्यान से सुन रही थी और फिर बोली थोडा सा डर तो लगा मुझे ऍम अपनी छोटी सी बेटी का सरकार क्या? क्योंकि वो पूरी तरह बाबा सामरिक के पक्ष में था जो करवा रहा हूँ तो बेटे की चाह में अंधा हो गया था । ठीक है अब आगे क्या हुआ? जब समय हुई तब घर में खूब कोलाहल मचा हुआ होगा तो वो तो घर में थी नहीं क्या बहुत कोलाहल मचा हुआ था क्योंकि सिर्फ रंजन ही नहीं बल्कि बेचन की बडी लडकी भी गायब थी । क्या चौपरिया ऐसे कैसे वो भी गायब हो गए । वो आगे कहानी में बताऊंगा । फिलहाल रंजन तो मर गई थी । इधर पेंशन की लडकी सुब की भी गायक थे । ऍम सब की बेचैन और बदल पागलों की तरह रंजन को ढूंढ रहे थे । वेतन दोनों को ढूंढ रहा था पर बादल सुखी को ढूंढ रहा था । पैदल हैरान था की ये सोचकर आखिर सुखी का हो गया गाॅव ऍन पूरे घर में मातम छा गया था । गांव के लोग भी ढूंढने में मदद करने लगे । लोग जंगलों में छोडने लगे, खेतों में ढूंढे तालाबों पर थोडा गया पर किसी का कोई पता नहीं चला । अंदर ही अंदर काम वालों के मन में के बचा रहा है कि हो ना हो जंगली जानवर ले गए होंगे दोनों बहनों को । रात में तो यही थी तो रहने के लिए होंगी खेत की तरफ और कोई जानवर ले गया होगा तो बॅाल की पत्नियों के बुरे हाल है । बहुत हो गया पर कुछ फायदा ना हुआ और फिर एक समय ऐसा आया जब सब लोग थकहारकर घर बैठ गए । फॅमिली और ना तो हो सके किस तरह से दोनों भाई फिर से अपनी रोजमर्रा के जिंदगी में हो गए । क्वेश्चन अपने काम पर जाने लगा और खुशी खुशी खेत में काम करने लगा कि अब उसके घर लल्ला पैदा होता है । ये सोच कर वो मस्ती से भावना चलता था । अब लोगों के तानों को नहीं सुनता था क्योंकि उसे पूरा भरोसा हो गया था कि अब बेटा होने से कोई नहीं रोक सकता हूँ । तीन महीना बीत जाने के बाद जब बदल ने अपनी पत्नी को पूछा तो उसने साफ इंकार कर दिया । ऍम को बोला कि वो भी अपनी पत्नी को पूछे पता उसने भी साफ इंकार कर दिया । इसी तरह एक वर्ष मीडिया पर कहीं कुछ भी बताना चला । बदल था कारगर, बाबा के पास वापस के और बाबा से पूछा अभी तक कोई समाचार क्यों नहीं? बाबा बहुत क्रोधित हुए और चिल्लाकर बोले, दोष दूर हत्या मेरी नजरों के सामने से पूजा तंत्र शक्तियों पर शक कर रहा है । मैं तो अभी बस मन कर दूंगा भी नहीं । महाराज मैं आप आप पर शक नहीं कर रहा हूँ । मैं जानना चाहता हूँ कि आखिर ऐसी क्या बात होगी जो कार्य को सफल साबित कर दिया । क्यों नहीं पैदा हुआ बेटा हमारे घर में दुष्ट अच्छा कर अपनी पत्नी से पोछ सब पता चल जाएगा । ठीक है बाबा मैं भी पूछ कर वापस आता हूँ तो दल वापस अपने घर आया और बिना कुछ पूछताछ की अपनी पत्नी को डंडे से पीटना शुरू कर दिया । वो पता तो अपना पेट में पल रहे बच्चे का क्या क्या मतलब । तो बस एक महीने का था मर गया पेट में तो मैं नहीं बता पाई अपना दल पे चैन फिर बाबा के पास गया और सारी बात बताई की अब क्या करें? बाबा ने साथ मना कर दिया की अब तो कोई मदद नहीं कर सकते हैं । नहीं बाबा ऐसा मत कीजिए । मुझे किसी भी कीमत पर बेटा चाहिए तो ऍम आप बोलो मैं क्या करूँ ला पायेगा अपनी दोनों लडकियों को माँ के चरणों में हूँ । बदल की आत्मा काम करें तो हम ऐसा मत कीजिए और होने लगा । आपने समझ किसे? महाराज मेरे घर में अब तो लडकियाँ बची है एक पता नहीं कहाँ गायब हो गई । ऐसा मत कीजिए । दया कीजिए क्या कोई और रास्ता नहीं ऍर रास्ता होता तो क्या मैं ये करने को कहता हूँ । मैं नहीं माता मांग रही है । हमारे बच्चों को खून मांग रही हो । अपने घर का खून मांग रही है । अभी तुम्हारे घर में बैठा हूँ इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं । यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारे घर में बैठे हो तो मैं क्या करूँ और ये तो मैं आज के आज करना पडेगा नहीं तो आगे आने वाले समय में कुछ भी कर के एक और कोई भी कुर्बानी करके तुम्हारे घर में बेटा पैदा नहीं होगा । सहारा जैसे तो मेरा घर बार सब उधर जाएगा । आप कुछ और का रुपये तेरा घर बार रहेगा । रुदल ध्यान से सुनो तुम । यदि तुमने अभी अब गाली नहीं दी तो तुम्हारे पत्नी के पेट से जो बच्चा मारा है वही तुम्हारे खानदान का विनाश करेगा । यही चाहते हो सब ठीक हो हाँ थोडा रुककर उन्हें तो मैं अपना बेटा पैदा करना ही पडेगा और वो तभी संभव है । जब तुम दोनों लडकियों की बलि दे दोगे तो सोच में पड गया । अब क्या करें उसकी बुद्धि के हिसाब से अब उसके पास एक मात्र रास्ता था दोनों लडकियों की पडेगी पर पेंशन क्या सोचेगा देखा जाएगा । जो भी होगा बदल के दिमाग में उथल पुथल मचा हुआ था । सडक सवार थी उसके सर पर और रात का इंतजार करने लगा और जब रात हुई तो उसने पहले अपने लडके के नाथ पर कुछ रखकर उसे बेहोश क्या और फिर बेटन की लडकी को वहाँ से उठाया । तभी बेचन की पत्नी जाते हैं । बच्चों को काले जा रहे भैया जी उसने चीखते हो प्रश्न किया बदल हर बढा गया । अब क्या करें? चोरी पकडी गई थी । तभी बेचैन बिस्तर से उठते ही अपनी पत्नी के गले को अपने मजबूत हाथों से दबाते हुए बोला फॅमिली से जल्दी हुआ हूँ । कल को कुछ समझ में नहीं आया । ऍम इस तरह से क्यों कह रहे हैं तो वो आगे कुछ और ना सोचा और दोनों लडकियों को कंधे पर उठाकर जंगल की तरफ भाग निकला । इधर बेचैन और उसकी पत्नी में मारपीट शुरू हो गए क्योंकि आपने ऍम दोनों बच्चों को लेकर कहा गया पेंशन की पत्नी चलाती हुई बोले मुझे डर लग रहा है । वो इस तरह से इतनी रात को कहा लेकर गए । चुप रह तू तो जैसे क्या अभी भी एक शब्द भी कुछ बोली तो जान ले लूंगा । अखिल बेचने । ऐसा क्यों किया? तो ऐसा नहीं था । वही तो था परिवार का सहारा पर वही ऐसा हो गया । बडी आसानी से बच्चों को ले जाने दिया । मतलब आपके तीन बजे जब घर वापस आया तो पेंशन को देखकर उसकी आंखें फटी रहे, उसके हाथ में दिया था और सामने उसकी उसकी पत्नी की लाश पडी थी । कितनी तो दाल को समझते देर ना लगे कि उसने अपनी पत्नी को जान से मार दिया था । अच्छा है क्या किया तो नहीं । ऍम बदल अपना सर पीते हुए क्यों वर्दी ऐसे पेंशन के आंखों से आंसू निकल रहे थे । मुझे बोलने की तरह बिल्कुल शांत बैठा था और आंसू पाए जा रहा था । बहुत खुद रही थी भाई बहुत कह रही थी पूरे घर को आग लगा देगी । पिक्चर अचानक से चलाकर बोलने लगा पर हसिया दिखाते हुए बोला ऍम उसी ने उठाया था मुझे मारने के लिए उसमें कुछ पर हमला किया । खेलते हो चुकी और फिर अगला दांव मेरे हाथ में था । ऍम मार दिया ऍम ये तो गलत कर दिया । बहुत गलत पता लगभग टूट सा गया था भाई इसके जाने का मुझे अफसोस ब्रिटेन को सच में कोई अब सोच नहीं । पैदल बेटे को पहली बार इस तरह से देख रहा था इतना क्रूर और निर्दयी तो नहीं चाहिए । बहुत बताता हूँ तुझे मुझे आसानी से बच्चों को कैसे ले जाने दिया तो मैं पता है उन का क्या हुआ होता है तभी तो मैंने जाने दिया होटल मुस्कान के साथ पे चंदोला बाबा सांभर एक की गुफा में दोनों को ले जाकर बाली सडा होना तो कल काम करेगा । उसके आगे पहल कर चोरी हो गई तो भी कैसे पता हूँ भैया मुझे सब पता है आपने रंजन की बलि चढाई पर सुखी का क्या हुआ? उसकी बलि मायने चढाई थी क्या? तो कल वापस हो गया भईया मुझे आपका दुख देखा नहीं क्या मुझे पता था अब वापस बाबा के वहाँ जाओगे । इसलिए मैं पीछे पीछे गया था और बाबा और आपकी सारी बातें सुन लेते हैं । आपने रंजन की बलि चढाई और मैंने सुखी । उसके बाद आप चुप रहे और मैं चुप रहे । एक साल बाद जब हम दोनों की पत्नियों में से कोई लडका पैदा नहीं हुआ तो मैं भी वापस बाबा के वहाँ गया था । बाबा ने मुझे बाकी की बच्चे दोनों लडकियों की बलि चढाने की बात की थी इसलिए मैंने आपको मना नहीं किया । मुझे पता था कि आप भी वही करने जा रहे हैं । मैं हूँ आप बात तो है क्योंकि ऍफ की पत्नी को भी मार डाला कब? कैसे संतान का सब बोलेगा? क्यों नहीं आपका लडका मेरा लडका नहीं होगा क्या फिर आपके पुत्र से मैं संतानसुख नहीं बोल सकता हूँ । मैं तो आपकी खुशी चाहता हूँ तो बस यही चाहता हूँ कि ये घर एक लडके के आने की खुशी बनाए । किचन भावुक हो गया । बिल्कुल मेरे भाई तो मेरा लडका होगा तो उन्हें बहुत बडा बलिदान दिया । उत्थापक होकर बोला जब सात आठ महीने तक उन बादल की पत्नी पर कोई असर नहीं दिखा तो बदल और पेंशन दोनों बाबा के पास गए पर वहाँ का नजारा देख कर दंग रह गए । पूरा गुफा खंगाल डाला पर बाबा दिखाई जाती है । वहाँ सब कुछ पडा हुआ था । खंडर और गिर गया था दे बीमा की मूरत के अलावा वहाँ बाकी सब कुछ टूटा हुआ था । ईट पत्थर सब कुछ देखना हुआ था । बाबा अपने शिष्यों के साथ गायब थे या कहीं चले गए ये बात पता नहीं चलता है तो दल हैरान परेशान खंडर वही एक पत्थर पर बैठ गया । उसने अपना सर पकड लिया और और जोर से चिल्लाने लगा । उसे परेशान देखकर बेचैन होने लगा । ज्यादा कहीं भाग के आया जगह छोडकर चला गया । समझ नहीं आ रहा तो दलपुरा पर मुझे ये सब समाचार क्या भाई! पापा ने छोडकर दिलासा देकर हमारी बच्चों को हम इसे मरवा दिया और अब यहाँ से भाग गया । इसमें जरूर उसकी कोई साजिश होगी । पेचर मुझे घर ले चल हमने पाप किया । अडोर पापा और जब तक इसका प्रायश्चित नहीं कर लेते तब तक मेरी आत्मा मुझे दिख करती रहेगी । आपका यहाँ तो मैंने भी किया है और आप के साथ प्रायश्चित भी करूंगा । पर घर जाकर क्यों? क्वेश्चन होते हुए बोला हम नहीं यही इसी गुफा में अपनी प्यारी लडकियों की जान दिए ना तो यही प्रायश्चित करेंगे पर एक पर अम्मा, बाबूजी और पत्नी से माफी तो मांग ले । नहीं बढिया यही सब कुछ बता दिए तो वो सभी तरह कर मर जाएंगे । जब तक ॅ बारे में सब सोचेंगे तो क्या करो भाई? बता मैं क्या करूँ? बहुत आसान है भैया, हम तो यही अपनी जान दे देते हैं । हाँ, ठीक रहेगा तो यही ठीक रहेगा । कितने कहानी सुनाकर जोकर शांत हो गया । ऐसा लग रहा था जैसे वो ठग सकता है । क्या हुआ चुका हूँ? सेना कौतूहलता से बोलिये नींद ऍम नहीं नहीं प्राॅफिट थोडा तो क्या और फिर आगे क्या हुआ? क्या क्या बेचना बदलने तो उन्होंने उसे कुछ में फांसी लगा ली थी क्या? क्या? तो उन्होंने पश्चाताप फांसी लगा ली और ये कहते हुए चले गए हम प्रायश्चित कर रहे हैं मेरी बेटी हूँ हमारे हमारे बच्चे हमने बहुत बडा बात किया । हो सके तो मैं हमें माफ कर दे रहा हूँ हूँ । हाँ फिर क्या हुआ बादल की पत्नी के पेट में दो महीने का बच्चा था और उसने सात महीने बाद एक बेटे को जन्म दिया । अरे हाँ थोडा खुश होती हुई बोली आखिर उनके घर में लडका हो ही क्या? तो सामान्य लडका नहीं था । ना चुका हूँ आपको शैतान जैसा था । मोटी मोटी बत्ती ना और मोटे मोटे हो लंबे कान और गहरी खूंखार आके इतने से राक्षस कई पुत्र लग रहा था । फॅमिली इतना डर अपना की पैदा होते ही उसकी माँ से देखते ही बेहोश हो गए हैं । अगर कभी घोषणा घर पे भी मर गए कृपाँ फिर उस पालक का क्या हुआ? ऍम होना क्या था? उसके दादा और दादी ने उस बच्चे को पालना शुरू कर दिया । वो इतना भयानक शक्ल वाला था कि उसके आस पास के लोग भी उसे करते हैं । शोरगुल किए था की इनके घर राक्षस पैदा हुआ । हादसे मुश्किलों का सामना करते हुए वो लडका बडा होने लगा । पूरे गांव में मातम छा गया था । डेढ सालों के अंदर ही एक परिवार के आठ लोगों की मौत हो गई थी । ठीक है बाकी की कहानी बात में तो सोचा होगा ना अपनी खोलेगी । तब हम नदी से बाहर होंगे । ठीक है सेना को नींद आ रही थी । हो गई जोकर उसे देखता रहा, देखता रहा कभी

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