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भाग 04 in  |  Audio book and podcasts

भाग 04

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दिल्ली के एक मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर की किस्मत ने बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में पलटा खाया और उसके हाथ 24 कैरेट शुद्ध सोने की 6 एंटीक मूर्तियाँ लग गयीं, जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये थी! लेकिन मूर्तियाँ मिलने के बाद उस ऑटो ड्राईवर के जीवन में तबाही, आतंक और बेहद चौंका देने वाली घटनाओं का ऐसा खौफनाक सिलसिला शुरू हुआ कि वह त्राहि-त्राहि कर उठा। जानने के लिए सुने "एक हादसे की रात!" Voiceover Artist : आशीष जैन author : अमित खान
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दरीबा कला ये जगह दिल्ली में चांदनी चौक के नजदीक ही है । उस वक्त रात के ग्यारह बज रहे थे । सर्राफे कि रिटेल मार्केट के रूप में प्रसिद्ध दरीबा कला की तब तक लगभग हर दुकान बंद हो चुकी थी । सिर्फ अपवाद के तौर पर एक दुकान खुली थी जिसके शटर के ऊपर एक नॉन साइनबोर्ड जल भेज रहा था । उसने ऑनलाइन पर लिखा था सेट दीवानचंद फॅस । सनमाइका के विशाल काउंटर के पीछे सेट दीवानचंद ऍफ का एक्सॅन खडा था । सेल्समैन ने सबसे पहले अपना चश्मा दुरुस्त किया फिर तीक्ष्ण दृष्टि काउंटर पर कोहनी टिकाए खडे कुलभूषण पर डाली और उसके बाद अपनी बेहद पार की नजरों से उस नटराज मूर्ति को देखने लगा । सहित और भूषण ने अभी अभी उसे बेचने की खातिर सौंपी थी । मूर्ति देखते ही स्टॅाफ भरने लगे तो उसने खोर आश्चर्य से पूछा ये ये मूर्ति तुम्हारे पास कहाँ से आई? मैंने चुराई है । कुलभूषण ने बडी दिलेरी के साथ जवाब दिया चुराई है एक पाॅइंट के होश उड गए हाँ अगर ये चोरी की है तो तुम से यहाँ तो लेकर आया हूँ । सिर्फ थोडा बहुत कर बोला आम चोरी कमाल बिल्कुल नहीं खरीदते । संजय कुलभूषण मुस्कराया उसकी मुस्कान ने सिर्फ मैन को और ज्यादा सस्पेंस में फसा दिया तो मुस्कुरा क्यों रहे हो? क्योंकि मुझे सब मालूम है निरादार कुलभूषण बोला जानता हूँ कि तुम और तुम्हारे स्टेट जी रात के दो बजे तक यहाँ बैठ कर क्या करते हो? अच्छा क्या करते हैं? सिर्फ मैंने अपने आखिर लाल पीली की देखो मैं लडाई झगडा करने नहीं आया और भूषण अपनी आवाज नरम की । अगर तुम्हारी इच्छा हो तो मूर्ति खरीदूँ पर ना हो तो मना कर दो । उसके बाद कुलभूषण ने सेल्समैन के हाथ से अपनी इकलौती नटराज मूर्ति ले ली और फिर चलने का उपक्रम करता हुआ बोला वैसे एक बात करूँ तो मेरे जो दोस्त ने मूर्ति बेचने के लिए मुझे यहाँ का एड्रेस दिया था ना वो एड्रेस गलत नहीं हो सकता क्योंकि मेरा दोस्त बहुत भरोसे वाला भी है और उसने अपने जीते जी कभी कोई हालत बाद सामान से बाहर नहीं निकली । वो बात कहने के बाद कुलभूषण जैसे ही जाने के लिए मुडा । चुनाव ऍसे पुकारा कुलभूषण झटका किया है तो अपने दोस्त का नाम बता सकते हो । जिसमें तो मैं यहाँ का एड्रेस दिया अब कुलभूषण सकपकाया उसे एक कोई जवाब नहीं सूझा । बताया नहीं तुमने तुम्हारे दोस्त का क्या नाम है? सेना चीना पहलवान कुलभूषण के मुझसे चीरा पहलवान का नाम बनाया सी निकल गया । चीना पहलवान ने मुझे यहाँ का एड्रेस दिया था । छेना पहलवान उस नाम को सुनकर सेल्समैन के नेतृत्व हूँ । अचंभव से फटे वाॅटर पडेगा एक हम आकर गिर गया हूँ तुम तुम चीनों पहलवान के दोस्त हो ऍसे संस्कारी छोटी हाँ ठीक है अब तो मुझे मूर्ति दिखाओ । ऍम मुद्रा में ही बोला था । मैं अभी अंदर से जी से बात करके आता हूँ । कुलभूषण ने खुशी खुशी मूर्ति उसे सौंप नहीं ऍम मूर्ति लेकर दुकान के अंदर वाले पोषण में चला गया । कुलभूषण नहीं जानता था । अब वो एक और कितनी बडी आफत में फंसने जा रहा है । कितनी बडी मुश्किल उसके सर पर टूटने वाली है । ऍम दो पोषण में पडी हुई थी एक फ्रेंड पोषन जबकि दूसरा फ्रंट पोषण से ही होता हुआ अंदर का पहुँच गया । उसके अंदर के पोषण नहीं । सराफों के शराब सेट दीवानचंद बैठते थे और वहाँ तक सिर्फ सेल्समैन की पहुंचती वहाँ कोई कस्टमर नहीं जा सकता था । वो सर्राफे की दुकान रोजाना रात के दो बजे तक खुलती थी । इतना ही नहीं तब तक वहाँ कुलभूषण जैसे इक्का दुक्का ग्राहक भी आते रहते थे । ऐसे ही कई ग्राहकों को कुलभूषण पहले भी कई मर्तबा अपनी ऑटो रिक्शा में बैठाकर वहाँ लाया था । उनमें से कुछ ग्राहक नशे में पूरी तरह धुत होते और वो ऑटो में बैठे बैठे शर्ट, दीवानचंद को माल बेचकर बस रुपया हासिल होने की बात कहते रहते हैं । कुलभूषण को तभी मालूम हुआ रात के वक्त वहाँ कौन सा धंधा होता है । इस वक्त कुलभूषण फ्रंट पोषण में बिल्कुल अकेला खडा था । झूठ नहीं कि वहाँ जितने भी शोकेस से सब लॉक थे ताकि कोई उनके साथ छेडछाड ना कर सके और भूषण अपने चेहरे पर नकली दाढी मुझे भी चिपकाए हुए थी । उसे वहाँ खडे खडे दस मिनट से भी ज्यादा गुजर गए । ऍम भीतर वाले पोषण से बाहर नहीं निकला । अब मुँह उठा चक्कर गया है कि बाहर क्यों नहीं आ रहा हूँ । कुलभूषण बेचैनी पूर्वक इधर सोता टहलने लगा । पांच मिनट और गुजर गए लेकिन फिर भी बाहर नहीं निकला हूँ । अब कुलभूषण की पहचानी हद से ज्यादा बढ चुकी थी । उसका दिमाग में रह रहकर खतरे की घंटियां भजन लगी हूँ । जरूर को चक्कर है, कुछ कपडा है था बहुत कुलभूषण भाग कुलभूषण कमाते पर पसीने चौहाने लगे एक कुलभूषण बडी फुर्ती के साथ जल्दी शोक से बाहर निकला और नजदीकी बने कॉर्पोरेशन के पेशाब करना चाहता हूँ । पेशाबघर की जालियों के पीछे से जॅाब का नजर अब बिल्कुल साफ देखा जा सकता था । हूँ । तभी तभी घटना एक और नया मोड लिया । कुलभूषण देखा उसके पेशाब । घर में घुसते ही भडा से सेकंड पोषण का दरवाजा खुला था । फिर उसमें से सिर्फ के साथ साथ बुरी तरह गडबडा । एक और हल्दी बाहर निकला हूँ हूँ हूँ । उसे दीवानचंद था । उस की उम्र तकरीबन है । चालीस पैंतालीस के बीच थी गेहूॅं लम्बी चौडी ॅ । साधारण सेठों की भांति उसका शरीर थुलथुला होने की बजाय बेहद तंदुरुस्त था । उसने काले रंग का बंद, गले का कोट और काली पेंट के साथ ही अपने गले में ढेरों किस्म की रंग बिरंगी मालाएं भी पहनी हुई थी । दोनों खातों में रखने चढत अंगूठियां कुल मिलाकर शेष दीवानचंद अपने पहनावे से ही धन कुबेर नजर आ रहा था । लेकिन उसके चेहरे पर ऐसी क्रूरता विद्यमान थी जो ज्यादातर खतरनाक अपराधियों के चेहरे पर ही पाई जाती है । कुलभूषण को जूलरी शॉप के भीतर से गायब देख तो हो चुकी है जी कहाँ गया सॅान्ग की आवाज कुलभूषण के कानों में पडी अरे बडी तेरे को तो मालूम होगा नहीं कहाँ गया दीवानचंद अपनी सिंधी भाषा में बोला मेरे से क्या पूछता है? नहीं लेकिन लेकिन अभी तो यही था ऍम तोडकर जल्दी शौक से बाहर निकला और सडक पर दाएं बाएं देखने लगा रहे । अभी अभी भी वो कहाँ गायब हो गया? पेशाब घर में छिपा कुलभूषण माजरा समझ पाता । तभी उसके देखते ही देखते सेट दीवानचंद की जूलरी शॉप के सामने एक फीएट धडधडाती हुई आकर रुकी । फिर पेट में से एक एक करके जरा दम तीन वाली बाहर को देंगे तो के हाथ में हो क्या थी? और एक के हाथ में साइकिल की चैन नीचे कुछ नहीं । उन्होंने सिर्फ दीवानचंद और ऍम धीरे धीरे कुछ बात की । उनके हावभाव बता रहे थे की चर्चा उसी के बारे में हो रही है । वो तो जरूर इधर गया है । कभी सेल्समैन ने गली में दाई तरफ उंगली उठाई तो देखा था उसे भागते हुए गुंडे ऍम से पूछा नहीं इसमें सकपकाया देखते हुए तो नहीं देखा था । फिर क्या गारंटी है कि वो उसी तरह गया है । दूसरा गुंडा बोला बहुत है वो इस तरफ गया हूँ । उन्होंने दूसरी दिशा में उंगली उठाई ॅ तुम लोग जो लगभग किए जाओगे नहीं ऍम था क्या? फिर तोडकर उस शराबी को पकडो के बीच अरे भाई सब हर तरह फैल जाओ । वो जिस तरह भी भागा होगा अपने आप पकडा जाएगा । दीवानचंद के तरफ में जान फौरन वो तीनों वाली और ऍम अलग अलग दिशाओं में दौड पडे जबकि पेशाब घर में छिपे कुलभूषण का दिमाग इंसान पडी वीरान घाटियां बन चुका था । उसके मस्तिष्क में रह रहकर एक ही सवाल डंके की तरह बजे उठ रहा था । सीट दीवानचंद को उसके पीछे गुंडे लगाने की क्या जरूरत है? वो इस तरह से क्यों ढूंढ रहे थे? क्या चक्कर था? कुलभूषण को लगा जिसे रहस्य का जान हर पल उसके चारों तरफ कसता जा रहा हूँ, सस्ता ही जा रहा हूँ । उसने कुलभूषण चोरों की तरह छिपता छिपाता कृष्णपुरा में दाखिल हुआ दरीबाकलां से वहाँ तक का राष्ट्र वाॅकर पूरा किया था ही नहीं । उसकी सांसे बेहद तेज तेज चल रही थी । आज वो नहीं संकट में फंसते फंसते बच्चा था । ये तो ऊपर वाले की कृपा थी कि वो आज मंत्रा के पास से सिर्फ एक ही नटराज मूर्ति लेकर चला था । ऍम तमाम नटराज मुँह हाथ होना पडता है । किश्नपुरा में आकर कुलभूषण ने चैन की सांस नहीं लेकिन उसे कहाँ मालूम था कि अब चैन उसकी किस्मत से पूरी तरह छिन चुका है । नकली दाढी मुझे पेशाब घर में ही उतार चुका था । अभी उसके साथ एक और घटना घटी । खतरनाक घटना रोजाना की तरह उस दिन भी किशनपुरा में सन्नाटा पसरा हुआ था । एक का एक और भूषण को अपने पीछे सरसराहट सुनाई दी । कुछ कौन तो उन्हें कुलभूषण जैसे ही बौखलाकर पालता, तुरंत उसके मूॅग निकल पडेंगे । एक लंबे फल वाला चाकू बिजली की तरह चमचमाता हुआ । अंधेरे में कौन था फिर उसके बाजू से रगड खाकर गिर पडा । अगर कुलभूषण से पढने में एक लडकी भी देर होती वो चार उसकी पीठ में और पारचा सस्ता था । फॅस कुलभूषण की घोषणा हो गए । अंधेरा होने के बावजूद उसने हमलावर को बिल्कुल साफ साफ पहचाना चाहूँ बाल लेने चलाया था बल्ले यार एक किशनपुरा का नंबर एक गुंडा बल्ले कुलभूषण पर दोबारा हमला करने के लिए उन्हें चाकू के ऊपर चपटा क्या हुआ? क्या हुआ उसी क्षण भर आपसे मंत्रा के घर का दरवाजा पुरा और फिर वो लगभग चीखती चिल्लाती कुलभूषण की तरफ की मंत्रालय द्वारा एकदम से मचाई गई चीखपुकार से घबराकर बल्ले भाग खडा हुआ । क्या हुआ? भूषण क्या हुआ मांॅ भूषण के करीब पहुंची और ऍम बाहों में भर दिया तो भूषण की दहशत के मारे पूरी हालत थी नहीं हुआ क्या? तो बल्ले मुझे चाकू मारकर ढल गया तो पहले था मंत्रालय फॅमिली ही था क्या? तो जल्दी घर जगभूषण लेकिन पास क्या है तो उन्हें सुना नहीं आॅलराउंड चलती घर चल मगर और भूषण के आगे की तमाम शब्द अधूरे रह गए क्योंकि पूरी तरह दहशत ज्यादा मंत्रालय उसकी शर्ट का कॉलर पकडा था और फिर वो उसे लगभग सीट हुई घर की तरफ लेंगे किसी दूसरे के बुरे की तरह उसने कुलभूषण को चारपाई पर पटका और फिर बे पनाह फुर्ती के साथ दरवाजा बंद करते ही बोली थी जहाँ ऍम पुलिस वो शब्द कुलभूषण के दिमाग में इस तरह टकराया । मनोज थाइसे राइफल की गोली लगी हूँ शरीर फ्रीज हाँ पर सुन चेहरे का रंग उड गया । धर टाॅवर में पूछा उसने । लेकिन पुलिस यहाँ तो आई थी तो अच्छे पकडने आई थी । मंत्रालय और भयंकर धमाका किया गिरफ्तार करने आई थी घर कर अब कुलभूषण का जश्न का एक एक रोड खडा हो गया । क्या कह रही है तो मन था वहीं कह रही हूँ बेवकूफ जो सच है । मंत्रालय ऍम पुलिस की पूरी चीज भरकर किशनपुरा में आई थी और वो तेरे बारे में पूछ ताछ कर रहे थे । कोई इंस्पेक्टर योगी नाम का बडा कडक पुलिसिया था । वो बोलता था कि तुम्हें चीना पहलवान का खून किया है हो ऍम खुद कुलभूषण इस तरह थर थर कांपने लगा जिसे ढूंढी का मरीज होता है । उस स्पेक्टर ने मोहल्ले वालों के सामने तेरे घर तक वाला भी थोडा और वहाँ की तलाशी भी ली थी । फिर तो मिले होंगे कुछ वहाँ से अधिक कहाँ से मिलता हूँ ऍम मूर्तियां तो उन्हें तेरे पास छोड रही हैं मैं तेरे से पहले ही बोलती थी कोई भी अपराधी पुलिस के फंदे से ज्यादा दिन तक नहीं बचा रह सकता हूँ । तब देख रहे हैं तो तमाम चालाकियों के बावजूद तमाम योजना के बावजूद पुलिस तेरे तक कितनी जल्दी पहुंच गई । कितनी जल्दी तेरी करतूत का पर्दाफाश हो गया उस हिसाब से नहीं कुलभूषण की खोपडी और ज्यादा फिर रखने की तरह घुमा कर रखते हैं लेकिन मेरी बात समझ नहीं आई और ऍम योगी को इतनी जल्दी ये हकीकत कैसे हो गई कि चुनाव पहलवान की लाश हम तो उन्होंने ठिकाने लगाई थी । हम तो उन्होंने नहीं मतलब दिन की तरफ पारू थी हम दोनों ने नहीं भूषण सिर्फ खुद को बोल मैं तेरे बेहद खतरनाक और जानलेवा चक्कर में नहीं पडने वाली है? ठीक है नहीं सही, लेकिन इंस्पेक्टर योगी को ये खबर हुई कैसे और भूषण विचलित मुद्रा में बोलूँ । उसने ये कैसे पता लगता है कि चीन पहलवान की हत्या में उसकी लाश ठिकाने लगाने में मेरा कैसा भी कोई हाथ था । मुझे क्या मालूम ऍम होगी को किस तरह मालूम हुआ । पुलिस वालों की आपने सोच होते हैं जांच करने का ब्रेक स्टाइल होता है फॅार योगी ने किसी तरह की सारी हकीकत पता लगा ली होगी । अब कुलभूषण कित्ते महत्व धमाके होने लगी । तेज धमाके सारी घटनाएं इतनी सुपर फास्ट स्पीड से घट रही थी जिनकी कुलभूषण नहीं कल्पना भी नहीं की थी । हर झंड चौका देने वाला था । हर कदम रहस्य से भरा हुआ । तभी मंत्रा ने एक और भयंकर विस्फोट किया । जानता है बल्ले कौन है? मंत्रा का संसद स्वर्ण ऍम वो चीज पहलवान का सगा भतीजा है । चीन पहलवान का भतीजा हाँ कुमार है । पहले तो मुझे बहुत मालूम भी नहीं थी । सिर्फ मुझे क्या किशनपुरा में पहले बात किसी को मालूम नहीं थी । मंत्रा बोले एक बात सुनकर तो और हैरान होगा । भूषण चीना पहलवान रहता भी किशनपुरा नहीं था । आगे जो होने वाला मकान है उसी में हो सकता है कुलभूषण के मुझे तेजस बारी छोटी तो अगर अगर चीना पहलवान किशनपुरा में ही रहता था तो वो पहले कभी दिखाई हो रही दिया था । जबकि मैंने पहले उसे किशनपुरा में तो क्या ही दिल्ली में कहीं नहीं देखा था । मैंने खुद पहले कभी श्रीकिशनपुरा में नहीं देखा था । मंत्रा बुरी तरह से वो आधी रात के समय बस कभी कभार इस घर में आता था जिसमें बल्ले रहता है । इसलिए हम में से कोई भी उसे न देख सकता हूँ । तो सब कुछ सारी परिस्थितियां बेहद चौंका देने वाली थी । चौका देने वाली भी और हद से ज्यादा सस्पेंस पुर चीनी पहलवान की लाश का क्या हुआ? वो शाम तक ताबूत बंद शवगृह के अंदर रखी थी । उस वक्त जो भी बता रहा था कि लावारिस लाशों को तीन चार दिन तक इसलिए शवगृह में रखा जाता है कि क्या पता उन्हें कुछ हासिल करने वाला आ ही जायेंगे । और अगर कोई नहीं आता तो फिर उन लावारिस लाशों का सरकार ही तरह संस्कार कर देती है । आज इस्पैक्टर योगी की पालने से मुलाकात होती तो बहुत मुमकिन था कि चीना पहलवान की लाश को भी लावारिस समझकर सरकार ही उसका दाह संस्कार कर देती है । फॅस नहीं था कुलभूषण पहुंॅची ना पहलवान पालने का चाचा है नहीं अगर इंस्पेक्टर योगी इस बात से वक्त होता तो सुबह ही बल्ले को चीना पहलवान की हत्या के इन्फॉर्मेशन ना दे दी जाती है । दरअसल बल्ले हो तो अपने चाचा की मौत की खबर तब दिल्ली डाॅक्टर योगी तुझे गिरफ्तार करने किशनपुर आया था । वो कुलभूषण इकाई मैं भी पुत्र बोला तो तो बल्ले बहुत पड रहा होगा । भडकता ही आखिर उसकी चाचा की हत्या हुई थी । वो इस पत्र योगी के सामने खूब कर्ज कर्ज कर कह रहा था कि अगर कुलभूषण उसके चाचा को मारा है तो कुलभूषण को किसी भी हाल में जमता नहीं छोडेगा, उसे भी मार डालेगा । भूषण के शरीर में झुरझुरी दौड गए । अब सारा माजरा उस की समझ में आया । अब वो समझा कि किशनपुरा में घुसते ही पालने उसके ऊपर जानलेवा हमला क्यों किया था? बल्ले जब कि लालच लाकर मुझे जान से मार डालने के लिए कह रहा था । कुलभूषण अपने होठों पर सामान फिराता बोला तो तो इंस्पेक्टर योगी ने उसे कुछ नहीं कहा । वो क्या कहता हूँ चाचा मारा था बोलने का इसलिए उसका यू गुस्से में गरज ना बरतना चाहिए था कौन सपने की हालत में इस तरह की ऊटपटांग बातें नहीं बोलता एक बात को हम भूषण मंत्रा ने अब पालक उसे देखते हुए कहा क्या जरूर बल्ले बहुत देर से किशनपुरा में तेरे आने का इंतजार कर रहा होगा जो उसने यूँ एक काम से तेरे ऊपर हमला कर दिया । कुपोषण के गले की घंटी चोर सोच नहीं लेकिन लेकिन पूछे थोडी मालूम था । कुलभूषण सकपकाए शहर में बोला चीना पहलवान पालने का चाचा है । चाची ना पहलवान में भी तो मुझे कल रात की बात नहीं बताई कि वह किशनपुरा में ही रहता है । अगर उसने मुझे बात बताई होती तो फिर फिर क्या मत पागल था जो से बोलती हडपने की बात को सोचता है तो ये बहुत बडी अजीबो गरीब है कि किशनपुरा में आने के बाद भी चीना पहलवान अपने घर नहीं गया बल्कि मेरे घर आया सर वाकई एक के बाद एक नए नए माया जाल जान ले रहे हैं । आसपास के पीछे तो एक सॉलिड बच्चा हो सकती है । जो चीज ना पहलवान घर रही गया क्या हो सकती है? मत बोलो जीना पहलवान के पास होने की छह बेशकीमती मूर्तियां थी । मुमकिन है उन बहुमूल्य मूर्तियों को लेकर चीना पहलवान ने अपने भतीजे के पास जाना मुनासिब ना समझा हूँ । फिर उसका भतीजा था तो एक गुंडा ही मवाली क्या पता चीना पहलवान कोई शक हूँ कि अगर वो मूर्तियां लेकर बल्ले के पास गया तो बल्ले उन मूर्तियों को डकार जाएगा । मंत्रा काफी हद तक ठीक कह रही थी । ये बहुत संभव थी । आपने जितनी जल्दी हो सके चाहता हूँ क्यों? फॅमिली मंत्र टाॅपिक्स कटाकर बोली तो नहीं चाहता तो गिरफ्तार करने । यहाँ कभी भी इंस्पेक्टर योगी आ सकता है और फिर बल्ले के सिर पर भी खून सवार है । वो इतनी आसानी से खामोश बैठने वाला नहीं है । एक बहुत उसका बाल खडे चला गया, लेकिन हो सकता है कि उसका दूसरा बार खाली ना चाहिए । कुलभूषण कपूर पोर्क आप उठा इसलिए जितना चल से चलता हूँ मंत्रा बोली यहाँ से चला जाऊँ ऍम कहीं भी जाओ मंत्रालस वर्चस् पार्टी उठा एक अगर तुझे अपनी जान की थोडी सी भी परवाह अपने हाथ पैरों को हिलते डुलते देखना चाहता है तो किशनपुरा में एक सेकंड के लिए भी मतलब वरना तू खामखा अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठेगा । कुलभूषण के शरीर सहित पसीने की धाराएं छोडने लगी । कैसे विचित्र हालत हो गई थी उसकी कृष्णपुरा के अलावा उसका कहीं कोई और ठिकाना भी तो नहीं था जहाँ वो जा पाता । अब खडे खडे क्या सोच रहा है । कुलभूषण मारे मारे कदमों से दरवाजे की तरह पडा और कुलभूषण के कदम अटक गए । उस मूर्ति का क्या हुआ जिसे तो बेचने गया था । मंत्रा जल्दी से उसके सामने पहुंचकर बोलिए मूर्ति के नाम कुलभूषण की कर्जन लटक नहीं पता था तो नहीं क्या वो मूर्ति का कहाँ गई नहीं? कुलभूषण में फंसे फंसे शोर में पूरी घटना मंत्रा को बता दी । मंत्रा हैरानी उसे देखते रहते हैं । कोई बात नहीं । निमंत्रण उसकी हिम्मत बनाएंगे । ब्यूटी कई तो कई जिंदगी बची रहनी चाहिए । इंसान की जिंदगी सलामत रहे तो हजार मर्तबा उसके सामने धनवान बनने के मौके आते हैं । कुलभूषण चुप रहा । अब बच्चा और चलती जान तेरह रहना ज्यादा ठीक नहीं है । कुलभूषण पुराना मारे मारे तत्वों से तरफ से की तरफ बढ गया । तभी फिर एक और बेहद हृदयविदारक घटना घटी । कुलभूषण दरवाजे तक पहुंच पाता उससे पहले ही इतनी सोर्स जोर से दरवाजा भर बढाया गया । वाहनों कोई तोड ही हैं ऍम ऍम योगी का एक दम गडबडाता स्वाॅट पुलिस हूँ काम कई कुलभूषण मंत्रा की दोनों तहल उठे सब सब बनने में पुलिस को तुम्हारे ऍम दे दी है । फॅमिली होगी पहले से भी ज्यादा जोर से हालत फाडकर चला है । साथ ही उसने अपने काम थे कि प्रचंड चोट की तरफ से पर मारी टाॅपर चुका था तो पिछले कॅश चलती चलती है । कुलभूषण फौरन क्रिकेट की तरफ पडा फिर की सडक से चार साढे चार फुट ऊपर वो इस झंड के लिए ऍम सभी उस वक्त सहयोगी की खौफनाक आवास उन्हें उसको मस्तिष्क पर हथौडे की तरफ कुलभूषण तुरंत करती से नीचे हो गया । उसके समझ के बच्चे बजा भर बढाए जाने की भी तेज आवाज पडे हैं । लेकिन अब कुलभूषण को मार कर कहाँ देखना था । कुलभूषण में एक बार भागना शुरू किया तो वो ड्रेस थोडे की तरफ भाजपा ही चला गया । कुलभूषण की जिंदगी में एक ऐसे खतरनाक सिलसिले की शुरुआत हो चुकी थी जिसका हम खुद उसे भी मालूम नहीं था । वो शिक्षण को कोसने लगा जब रातोरात धनवान बनने की लालसा में नटराज की मूर्तियों को हाॅल उसके मन में आया था । थोडी देर बाद डीटीसी के बस स्टॉप सेंटर के नीचे खडा था । भागने के कारण उसके साथ रहने की तरह चल रही थी । चित्र पर हवाइयां थी कुलभूषण सोचा वो बच गया नहीं, बच्चा तो तब भी नहीं । उसकी किस्मत में तो पूरी खाना खराबी लिखी थी । वो एक और पडे नरक में जाकर गिरा कुलभूषण की जेब में उस वक्त सिर्फ बीस रुपए वो भी उसने दरीबाकलां जाने से पहले मंत्रालय उधार लिये थे जल्दी बस स्टॉप पर एक बरसाकर होगी और वो उसमें चढ गया इतनी सात के व्यक्ति बस में खूब फिर भारती अगला सतम कुलभूषण के ऊपर खेल टूपकर गिरा की वो जब टिकट लेने के उद्देश्य सेकंड डॉक्टर के पास पहुंचा और उसने पीछे हट डाला तो और उसके होश उड गए । जीत साहब हाँ कुलभूषण के शरीर में थोडी दौड किसी को जेपी मेरी ही काट ली थी । नहीं मिला था उसे । एक जिस भगवान के सामने तो भाई दे रहा था उसमें वन उसके सर्वनाश फुल योजना बना रखी थी और सर्वनाश नहीं सकता है । परंतु नाश्ता भूषण का तभी हो गया बस जैसे आपने अगले स्टॉप पर जा कर रुकी । तभी उसने आगे पीछे सब दो टिकट क्या कर दनदनाते हुए चढ गए । पर नाम कुलभूषण को टिकट लेने के अपराध में बाकी सारी रात हवाला के अंदर गुजारनी पडी । पूरा उसके ऊपर भरी भरी गुजरी । दरअसल रात उसी के साथ साथ हवालात में कब का अपराधी भी बंद हुआ था । वो बडी बडी मूंछों वाला विशाल का जिस्म का मालिक था । उसी जब मालूम हुआ कि कुलभूषण टिकिट न लेने के अपराध में बंद हुआ है तो उसने कुलभूषण पर ड्रॉप काटना शुरू कर दिया । उसे धमकाना शुरू कर दिया । इसका रिजल्ट के निकला कि थोडी ही देर बाद कुलभूषण पुलिस ऍप्स के खास पैर दबा रहा था । आधी से ज्यादा रात उसकी हाथ पैर दबाते हुए मुझे सुबह दस बजे के करीब वहाँ तो पहुंचने बनाए और उन्हें हवालात में से निकालकर उसी थाने के उस ऍम पेश करने के लिए ले गए । वहाँ एक बहुत एक और नई आफत कुलभूषण का इंतजार कर रही थी । उसकी दृष्टि इंस्पेक्टर जोगी पर पडेगा । उस वक्त होगी स्थानीय थानाध्यक्ष के बिल्कुल पहलू में बडी कुर्सी पर बैठा था ।

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