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भाग 01 in  |  Audio book and podcasts

भाग 01

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दिल्ली के एक मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर की किस्मत ने बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में पलटा खाया और उसके हाथ 24 कैरेट शुद्ध सोने की 6 एंटीक मूर्तियाँ लग गयीं, जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये थी! लेकिन मूर्तियाँ मिलने के बाद उस ऑटो ड्राईवर के जीवन में तबाही, आतंक और बेहद चौंका देने वाली घटनाओं का ऐसा खौफनाक सिलसिला शुरू हुआ कि वह त्राहि-त्राहि कर उठा। जानने के लिए सुने "एक हादसे की रात!" Voiceover Artist : आशीष जैन author : अमित खान
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आप सुन रही है कोई ऍम किताब का नाम है हादसे की रह जिसे लिखा है आमिर खान ने आरजे आशीष जैन की आवाज नहीं कुछ हुआ है सो नहीं चुमन चाहे तीन चलाए वो बुधवार की रात थी जिस रात बेहद सनसनीखेज और दिलचस्प कहानी की शुरुआत हुई । वो एक मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर था । नाम कुलभूषण कुलभूषण पुरानी दिल्ली के किशनपुरा में रहता था किशनपुरा जहाँ ज्यादातर अपराधी किस्म के लोग ही रहा करते हैं । ये तराशी फुटबॅाल और चेन स्नेचिंग से लेकर किसी का खत्म तक कर देना नहीं उनके लिए यू मजाक का काम है जैसे किसी ने कान पर बैठी मक्खी को उडा दिया हूँ । कुलभूषण इस दुनिया में बिल्कुल अकेला था तब हूँ फिर भी वो थोडा डरपोक भी था । खास तौर पर बिशनपुरा के उन गुंडे मवालियों को देख कर दो । कुलभूषण की बडी ही हवा खुश होती थी तो जरा जरा सी बात पूरी चाकू निकालकर इंसान की अंतडियां बिखेर देते हैं । सारी बुराइयों से पर भूषण बचा हुआ था । सेवायें एक बुराई के शराब पीने की लत थी । उसे उस वक्त भी रात के कुछ सवा नौ बज रहे थे और कुलभूषण किशनपुरा के ही दारू के ठेके देवराज मान था । उसने मेरे से उठाकर दारू की बोतल से लगाई चेहरा छत की तरफ उठाया । फिर पेशाब जैसी हल्के पीले रंग वाली दारू को गटागट अलग से नीचे उतार दिया । उसने जब फट की जोरदार आवाज के साथ बोतल वापस में इस पर्पट की तो वो पूरी तरह खाली हो चुकी थी । ठेके में चारों तरफ गुंडे मवालियों का साम्राज्य कायम था तो हंसी मजाक में ही बदली बदली गालियां देते हुए दारू पी रहे थे और मसाले के भुने चने खा रहे थे । कुछ बेटर इधर उधर घूम रहे थे । कुलभूषण ने नशे की तरफ से ही ट्विटर को आवाज लगाई । क्या है फॅमिली? लगा रहा बलदेई ऍम आदेश दनदनाने के बाद कुलभूषण ने अपना मुंबई की तरफ चुका लिया और फिर आंखे बंद करके धीरे धीरे नेस्ट तक आने लगा । टाॅक जैसे कोई उसके नजदीक आकर खडा हो गया है । बहुत डालेंगे । रखते हैं कुलभूषण में समझा बेटर है और ऍम लेकिन लेकिन उसके पास खडा व्यक्ति एक इंच भी नहीं हिला सुना नहीं गया । झल्लाकर कहते हुए कुलभूषण ने जैसे ही गर्दन पर उठाई, उसके छक्के छूट गए । मेज पडताल लगती उसकी उंगलियां की पूरी तरह कहाँ थी कि वह रज कर अपनी स्थान पर ढेर हो गई सामने रुस्तम सीट खडा था दारू के ठेके कमा लेंगे लगभग पचास पचपन वर्ष का व्यक्ति राहुल सुर्ख आंखें लम्बा चौडा डील डॉल और शक्ति सूरत सही बदमाश नजर आने वाला ऍम से अब कुलभूषण की आवाज थरथरा उठी अब और भूषण कोशिश छोडकर उठा था कॅप्टन उसके कंधे पर इतनी जोर से हाथ मारा कि वह पिचके गुब्बारे की तरह वापस धडाम सकता उसी पर जा गिरा हूँ मैं । मैंने आपको थोडे ब्लाॅक जमानों में तो ना मुझे नहीं बडा ऍफ का एक पर्चा उसके हथेली पर रखा ही है । उधारी काबिल है । रुस्तम सेठ ने पुणे कुराकर कहा है फॅमिली फॅमिली का माल समझकर चढाया जा रहा है । अब तक कुल मिलाकर एक हजार अस्सी रुपए हो गए कुलभूषण ने दाद चमकाये तीसरी बार चुप राॅड किसी बात नहीं है मुझे अपनी अपनी उधारी अभी चाहिए फौरन ऍम थोडा परेशान होकर बोला है तो मेरे देख लो उसमें खाली जब बाहर को पलट दी चेहरे दिखाता है साले जेब दिखाता है । रुस्तम सेठ ने कुछ समझ पाते रवान पकड लिया मुझे अब भी की अभी रोकना चाहिए ऍम लेकिन मेरी मजबूरी समझो सेट समझे मेरी मजबूरी ॅ चला तो लंगडा हो गया है । अब हो गया है ये ये बात नहीं वो तो मालूम मैं कुलभूषण सहमी सहमी आवास में बोला मैं ऍम और पिछले पंद्रह दिन से लेवॅल चल रहे हैं इसलिए ॅ पडा और वो भी कमा ही नहीं हो रही हो । ये बात तो जब आरोपी ने से पहले नहीं सुलझी थी उस काम से टकराया की जब तेरा काम धंधा चौपट पडा है तो तो उधारी कहाँ से चुकाएगा? देखो नहीं तो अब तो तुझे फ्री की दारू नजर आ रही होगी । उसका होगा आपका माल है जितना मर्जी क्यों लेकिन अगर तुम्हें आज उधारी नहीं चुकाई तो तेरी ऐसी चलता ढाई होगी की तो तमाम उम्र याद रखेगा । ऍम तीन वाली उसके इर्द गिर्द आ कर खडे हो गए । कुलभूषण भय से पीना पड गया ॅ उसने गिनती की मत मुझे एक मौका दो हर साल खुल गई । मैं तुम्हारी भाई बारी चुका दूंगा यानी आज तो रुपये नहीं देगा । नहीं बंद है मेरा तुमसे चला ब्लॅक करता इसके हड्डी पसली बराबर नहीं आएँ । कुलभूषण ऍसे की तरफ भागा तीनों वाली चीजें की तरह के पीछे चलते हैं । दो लपक कर हो क्या उठा ली एक फॅमिली को ज्यादा मोचा नई भूषण ने आर्तनाद क्या मुझे ॅ हूँ? मगर उसकी फरहत वहाँ इसमें सुनी थी । दो । हम क्या एक साथ उस पर पडने के लिए हवा में उठी फॅसे बंद कर ले तो उसी क्षण एक तीखा नारी स्वाॅट पूजा हॉकी हवा में ही रुक गए । ऍम कुलभूषण में छत्ते से आके पुलिस हमने मंत्रा खडी थी मंत्रा लगभग पच्चीस छत्तीस साल के इतिहास सुंदर लगती थी । बिशनपुरा में ही रहती थी । सात साल पहले उसके माँ बाप एक एक्सीडेंट में मारे गए थे । तब से मंत्रा बिल्कुल अकेली हो गई थी । लेकिन उसने हिम्मत नहीं आ रही है । वो बी ए पास उसने ऍम करनी है और खुद अपनी जिंदगी की गाडी होने लगी । कुलभूषण जितना डरपोक था, मंत्रा उतनी ही दिले । पिछले एक महीने से किशनपुरा में उन दोनों की मोहब्बत के चर्चे काफी गर्म थे । कुलभूषण जहाँ आपने मोहम्मद को छुपाता तो वहीं मंत्रा किसी भी काम को चोरी छिपे करने में विश्वास नहीं रखती थी । क्या हो रही है मंत्रा अंदर आते ही चलाई क्यों मार रहे हो तुम से मंत्रालय रुस्तम स्टेट भी आखिरी लाल जी करके गुराया । फॅमिली उसके पास की सजा दी जा रही है । लेकिन इसका कसूर क्या है? इस नहीं उधारी नहीं चुकाई । बस ऍम मंत्रा इतनी सी बात के लिए तो उसे मार डालना चाहते हो ये इतनी सी बात नहीं है । बेवकूफ लडकी असम सेट का कहर भरा स्वर्ग आज इसने उधारी नहीं चुकाई । कल कोई और नहीं चुकाएगा । छूट की ऐसी बीमारी है जिससे फौरन रोकना जरूरी होता है । और इस पडती बीमारी को रोकने का एक ही तरीका है इस हरामी की तुराई की जाय सबके सामने इधर ही ताकि सब लोग देखें लेकिन उसकी धुनाई करने से तो फॅमिली जाएंगे । सामान मत चला । मंत्रा अगर प्रोसेस बताया आती है तो उसकी उधारी चुकाने और ले जैसे अच्छा कितने रुपए तुम्हारे एक हजार अस्सी है । मंत्रालय फौरन झटके से अपना पास खोला है और फिर उन्हें फॅमिली पर पढती है । मैं पकड अपनी उधारी । फिर वो कुलभूषण के साथ तेजी से दरवाजे की तरफ पडी । वहाँ पीछे से गुंडा व्यंग्यपूर्वक हजार प्रेमिका हो तो ऐसी जो दारू पिलाया और हेमा भी ले । कुलभूषण एकदम पलट कर उसको को भस्म कर देने वाली नजरों से घूर आॅफ गाली देनी चाहिए । गाली नहीं, गुंडा शेयर की तरह हर उठा गाली नहीं ऍम फिर चलता है । मंत्रालय भी कुलभूषण को छेडता हूँ । चुप चाप खर्चा कुलभूषण खून का घूंट पीकर रह गया जबकि ठेके में मौजूद तमाम गुंडे उसकी बेवसी पर खिलखिलाकर हंस पडे तो क्यों गई थी ठीक है पर अपने घर के कमरे में पहुंचते ही कुलभूषण मंत्रा पर बस बडा क्यों नहीं जाती? कुछ भी नहीं जाती कुलभूषण चलाना बहुत साहब क्या बिगाड लेते मेरा बहुत दिनों से भी डालते धूम डालते मुझे नहीं मालूम वहाँ एक से एक बडा गुंडा मौजूद होता है मंत्रालय हैरानी से कुलभूषण की तरफ देखा ऐसे क्या दिख रही है मुझे? अगर तुझे मेरी जब तक नहीं ख्याल है तो ठीक है पर चाहता हूँ थोडा तो नहीं देता शराब को मंत्रालयों मैं शराब नहीं छोड सकता हूँ क्यों नहीं छोड सकता हूँ ऍम और अगर नहीं छोड सकता तो फिर काम आता क्यों नहीं? ऑटो रिक्शा ड्राइवरों ने ही तो हडताल की हुई है जबकि कमाने के और भी सौ तरीके हैं एक ये कुछ भाषण मार दें, भाषण दे रही हूँ और नहीं तो क्या दे रही है और भूषण चला थोडी सी तुम्हारी क्या चुका दी अपने आप को तो अब समझने लगी अगर ऐसा समझता है तो यही चाहिए । मंत्रा बोली ज्यादा ही हिम्मत वाला है तो जहाँ मेरी उधारी के रुपए मुझे वापस ला कर दे एक मंत्रा मुझे गुस्सा मतलब कुलभूषण आक्रोश मैं बोला नहीं तो क्या कर लेगा तो मेरे रुपये अभी के अभी वापस लाकर दे देगा । कहाँ से लाएगा? रुपए के पेड पर लटक रहे हैं या जमीन में दफन है । कहीं से भी लाकर दो लेकिन तुझे फॅार दे दूंगा । और तब मंत्रालय वो शब्द बोल दिए जो कुलभूषण की बर्बादी का सबब बन गए । जिनकी वजह से खतरनाक सिलसिले की शुरुआत होती थी एक ऐसे सिलसिले की जिसके कारण कुलभूषण त्राहि त्राहि करो था । ठीक हैं । मंत्रा बोली अगर अपने आप को इतना ही धंधा समझता है तो मुझे मेरे रूपये वापस लाकर दे । कुलभूषण फौरन बाहर गली में खडी अपनी ऑटो रिक्शा की तरफ पड गया । मंत्रालयों की रात के दस बजे जा रहे थे इस लेकिन लेकिन इतनी रात को कहाँ जा रहे तो तेरे वास्ते रुपये कमाने जा रहा हूँ । ऍम खोलकर सुन रहे हैं अब मैं बस तेरे रुपए कमा कर ही वापस लौटूंगा । अगले ही पल कुलभूषण की और तो किशनपुरा की ऊपर खबर सडक पर कश्मीर की तरफ भागी जा रही है । पीछे मंत्र तंग खडी है हो चुकी है । ये बात तो मंत्रा की कल्पना में भी नहीं थी कि कुलभूषण इस तरह इतनी रात को रूपए कमाने निकल पडेगा । तभी कॉलेज सत्तर रुपये आसमान पर बादल खेलते चले गए । ॅ आसमान के रक्षण को अपने दम जैसे आवरण में ठान लिया । तेज हो मूसलाधार बारिश हो हत्याका काली घटाओं से घिरे आसमान की तरफ भूल ठाकर बोली हो मेरे भूषण की रक्षा करना भगवान मेरे भूषण की रक्षा करना लेकिन नहीं उसका भूषण तो पल प्रतिपल अपनी परवाह की तरफ अग्रसर हो रहा था अपनी मुकम्मल बर्बादी की तरफ कुलभूषण ने अपने ऑटो रिक्शा कनॉट प्लेस के रीगल सिनेमा के सामने ले जाकर खडी करनी है । जिस हॅारर अच्छा बडी की वहाँ खूब अंधेरा था । सिनेमा पर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे चल रही थी तो कुछ सोचा है कि वो नाइट शो छूटने पर भरोसे सवारियां ले जाएगा । लेकिन अभी तो सिर्फ सवा दस बजे थे । क्यों छोटे में काफी टाइम बाकी था और भूषण ने सीट की पुष्टि से पीट लगाकर इतना नाम से आखिर बंद कर रहे हैं । मूसलाधार बारिश का बार हो रही थी मस्त बर्फिली हवा ने कुलभूषण पर चढे दारू के नशे को दोगुना कर दिया । लेकिन एक बात चौंकाने वाली थी । इतनी तेज मूसलाधार बारिश में भी फ्लाइंग स्क्वॉड की एक मोटरसाइकिल लाॅकर काट रही थी । मोटर साइकिल पर दो पुलिसकर्मी सवार थे । जरूर चक्कर था हूँ कोई गहरा चक्कर था होगा कुछ फिर कुलभूषण सोर्स अपना दिमाग को झटका दिया उसकी पाला है फिर कब मस्त बर्फानी हवा के नरम नरम रेशमी क्यों कोने कुलभूषण को सुना दिया पता ही नहीं चला ऍम बराबर वाली गली में तू तेज धमाके हुए सब की किसी की हालत बढकर चल रहा है की आवाज भी आधे से ज्यादा करोड उसमें गूंज उठी । ऍम तुरंत उनके पलट सडक पार यू का आकार बनाते हुए तेजी से उसी गली में जाता हूँ । लेकिन कुछ कुछ कुछ होता रहा उसके इतने नजदीक से गोलियां चली, कोई हालत भाड कर चलना है । मोटर साइकिल धडधडाती हुई गली में घुसी । इतना भी हायतौबा मची लेकिन कुलभूषण के कान पर जूं तक नहीं रेंगी । उसकी नींद तो तब टूटी जब आफत बिल्कुल उसके सिर पर आकर खडी हो गई । ऑटो रिक्शा को भूकंप की तरह रिश्ते उसमें चौक कराके खोलिए । उसे हडबडाकर पीछे देखा ऑटो रिक्शा यात्री सीट पर । उस वक्त एक काले रंग का कद्दावर सा आपनी बैठक पूरी तरह हाफ रहा था । उसका शरीर पर नीले रंग की प्लास्टिक की बरसाती पहन रखी थी । सिर पर प्लास्टिक कहीं फॅस कट टावर आदमी के हाथ में है । एक कार्यक्रम का प्रैक्टिस भी था जिससे वो अपनी जान से भी ज्यादा संभालकर सीएस चिपटाए हुए था । हूँ चलती ऑटो बना उस आदमी फॅसने देंगे । कहा तो बेहद खौफ ज्यादा था लेकिन नहीं बहुत भी चिंघाड उठा और उसने बरसाती की जेब से रिवाल्वर निकालकर एक काम कुलभूषण की तरफ तांदी चलती चलती ऑटो स्टार्ट कर पर एक गोली मैत्री खोपडी के पटक छोड जाएंगे । कुछ हो ना हो गए । पलक झपकते हीं उसका सहारा नशा हैरान हो चुका था । फिर उसके हाथ थोडी तेजी से चले ऍम फॅमिली जैसी रफ्तार से भागने लगे । पाॅच चला रहा था, लेकिन उसके दिलो दिमाग में नगाडे बज रहे थे । हीरो नगाडे जहाँ पर आतंकी आनंद था, तभी कुलभूषण को अपने बच्चे किसी वाहन की घरघराहट सुनाई थी । उसने उत्सुकतापूर्वक शीर्षक देखा और कुलभूषण छोटे छोटे हैं । उसका मुझे ठीक से खारिज हुई थी वो पुलिस पुलिस सत्तावन आदमी भी बहुत बडा है । हाँ, पीछे ही है । आप कर रहे हैं बच्ची का और फिर उसने एक झटके से पीछे मुडकर देखा और अगले ठंड उस समय रह गया हूँ । ऐसा लाॅकर उसके चेहरे का सारा खून निचोड लिया होगा । ऍम के पीछे दौडी चली आ रही थी, जिसपर फॅमिली के वही दोनों पुलिसकर्मी सवार थे तो बार बार फसल बजाकर ऑटो रिक्शा रोकने का आदेश दे रहे थे । अच्छा अभी नहीं जल्दी से अपने चेहरे का पसीना साफ किया ऑॅफ बडा फिर वो बोला लेकिन बहस ऍम अच्छा भी रहता है । पहले का वक्त नहीं है । इस संबंध जान पर बनी है । लेकिन अगर मैंने ॅ नहीं रोकते थे । पुलिस मेरी बात ऐसी तैसी कर देगी साहब पुलिस तो मेरी बात ऐसी की तैसी करेगी । बेटा ऍम नहीं लेकिन उससे पहले मैं तेरी अभी अभी इसी वक्त पैसे कैसी फिर दूंगा । ऍम ऊपर होगा हमेशा हमेशा के लिए ऍम हटाया तो कुलभूषण के प्रमाण हालत में आप नहीं कुलभूषण कॅश नहीं तो फिर स्पीड बडा बडा हो अभी बताता हूँ उसके बाद और ऍम फौरन और बुलेट को पछाडकर सडक पर भागी । हाँ यही वो पल था जब उस अजनबी के मुंह से पहली बार कर रहा नहीं है । प्रदूषण भी चलकर देखा उस वक्त वो अजनबी अपना सीखना भी चेक इसी दर्द को जमाने की कोशिश कर रहा था । कुलभूषण ॅ होने के नाते उसे यू तो सभी रास्तों की जानकारी बडे अच्छे ढंग से नहीं लेकिन कहाँ बोलेगा पटता उसकी ऍम, खरगोश और कछुए जैसी दौड में जो बात कुलभूषण के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई वो था कनॉट प्लेस में अच्छा सडकों का । चार कुलभूषण अपने ऑटो रिक्शा को स्टेटमैन तथा सुपर बाजार की पेचदार गलियों में कुमाता हुआ । जल्दी फ्लाइंग स्पोर्ट की मोटरसाइकिल को धोखा देने में कामयाब हो गया । दस मिनट बाद ही ऑटो रिक्शा दरियागंज के इलाके में तोड रही थी । शायद पास अच्छा अभी उसकी सफलता से खुश हुआ । पांच कुलभूषण फिर पीछे मुडकर देखा अजनबी अब सीट पर अगर छोटा सा हो गया था और उसने अपना सिर्फ पीछे टिका लिया था । कुलभूषण उसकी हालत ठीक नहीं दिखाई दी । सब वो कुछ खतरनाक अपराधी था । इस एक सवाल पूछूंगा कुलभूषण थोडी हिम्मत करके बोला पूछो तो हमारे पीछे पुलिस की लगी थी । बोल तो मुझे ये बात नहीं समझते हैं । अच्छा नदी उन्हें पीडा से कराता हुआ बोला ये एक लंबी कहानी है । तू कर रहा हो रहे हो । कोहली लगी है खोली हम सब हट गया । कुलभूषण का दिमाग है । उसके कंड से ठीक सी खारिज हुई । हाँ, ऑटो रिक्शा के हैंडल पर पूरी तरह आप उठे जिसके कारण पूरी ऑटो को भूकंप जैसा झटका लगा । लेकिन इसमें हमारी तो मैं बोली थी । पुलिस ने भी कुछ नहीं बोला । ऑटोरिक्शा भी भी तूफानी गति से सडक पर थोडी जा रही थी तो मैं तो जाना कहाँ है? फॅमिली को कराता हुआ सीट पर कुछ और पसर गया । जमात क्यों नहीं देते? तुम कहाँ रहते हो मैं कुलभूषण ऍम लेकिन तो मैं उससे क्या मतलब है? बताओ तो सही शायद कुछ मतलब निकल आए । नजदीकी आवाज में थोडी नरमी आ गई थी । वो नदी का ही असर था जो कुलभूषण ने बता दिया । मैं किशनपुरा में रहता हूँ हूँ और कौन कौन रहता है तुम्हारे साथ? अच्छा अभी नहीं कराते हुए पूछा खिला रहता हूँ शादी नहीं हुई नहीं माँ बाप वो भी नहीं है तो ठीक है । अजनबी ने बेचैनी पूर्वक पहलू बदला । अगर तुम अकेले रहते हो तो तो मुझे अपने घर ही ले चलो तो उस वक्त वही जगह सबसे ठीक रहेगी । क्या कह रहे हो तुम? कुलभूषण के कंसिस्टेंट गाडी छूट गई उसका धंधा और बिजली सीकर खडा कर गिरी । ऑटो रिक्शा को झटका लगा कितना तेज झटका की उस झटके जो करने के लिए कुलभूषण को फाॅर्स के किनारे सडक पर रोक देनी पडेगी । क्या ऍम कुलभूषण तेजी से अजनबी की तरफ रखकर बोला । जगह तुम किशनपुरा हो गई हाँ, अजनबी ने संजीदगी से कहा सोचता हूँ आज रात तुम्हारे घर पर आराम कर ले लेकिन लेकिन क्यों करोगे मेरे घर पर आ रहा ऍम तुम जहाँ रहते हैं मैं तो वहीं लेकर छोड दूंगा । दिल्ली के आखिरी कोने में भी तुम्हारा घर होगा तो मैं तो मैं वही ले जाकर छोडूंगा । मगर मैं अभी उस वक्त में घर नहीं जाना चाहता । अजनबी इस वक्त भी आॅस्कर अपने सीने से चिपकाए हुए था । क्यों नहीं जाना चाहते अपने घर देख तुम नहीं चाहते । बेवकूफ आदमी ऍम मेरे पीछे लगी है । मुमकिन है कि पुलिस मुझे गिरफ्तार करने के लिए मेरे घर पर भी पहरा बिठा रखा हूँ । पर अगर ऐसी हालत में मैं अपने घर गया तो कब फौरन पकडा? नहीं जाऊंगा । ऍम गया ऍम उसे अब महसूस हो रहा था । एक कितनी बडी आपत्ति हो चुका है । एक लगभग मरा हुआ सांप उसके गले में पडा था तो नहीं जानते हैं? अजनबी बोला तुमने पुलिस से मेरी जान बचाकर मेरे ऊपर इतना बडा ऐसा क्या है? मैं तहेदिल से तुम्हारा आभारी हूँ । मेरे ऊपर एक एहसान और कर दो । सिर्फ आज रात के लिए मुझे अपने खर्चे शरण लेंगे । फॅमिली दिन निकलने से पहले ही तुम्हारे खर्चे चला जाऊंगा और तुम्हारे ऊपर मेरी वजह से कोई पांच नहीं आई । कुलभूषण चुप चाप पहुँच नदी को देखता रहा । जिस तरह के हैं क्या तो भरे पर इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं अगर रास्ता होता तब तो मैं तो नहीं क्यों परेशान करता दोस्त बार बार पीडा से करा रहा था गोली का क्या करोगे? कोई बडी समस्या नहीं है नहीं बोला बोली निकालने मेरे पास हाथ का खेल है आज मैं कोई पहली बार थोडी चटनी हुआ हूँ । कुलभूषण कोई फैसला नहीं कर पा रहा था क्या सोच रहे हो हूँ मेरी जब तुम से पूरन पूरी तरह निकल रहा है अच्छा भी लगभग छटपटता हुआ बोला कुछ अपने घर ले चलो ओवर हो नंबर चाहूंगा कुलभूषण फिर चुप तेर मत करो अभी इस बार गिडगिडाया तेरी जिंदगी का सवाल है अगर मेरे ऊपर नहीं तो कम से कम मेरी हालत पर रहम खाओ । कुलभूषण देखा उसकी आंखों में अब सफेदी पुत्र लगी थी हो शुरू होने लगे थे । कुलभूषण कशमकश में उलझा रहा था । फिर कुछ सोचकर वापस ऑॅडिट पर जाना था और उसने ऑटो रिक्शा बिशनपुरा की और थोडा थोडी ही देर बाद जब कुलभूषण ऍम पूरा मोहल्ले में अपने घर के सामने जाकर तो उस वक्त पूरी गली अंधेरे में डूबी थी । बारिश बंद हो चुकी थी और अब सर हल्की फुल्की बूंदाबांदी ही हो रही थी । कुलभूषण नीचे ऊपर कर अपने घर का ताला खोला । अजनबी व्यक्ति भी संभाल संभाल कर चलता हुआ कुलभूषण के पीछे पीछे घर में दाखिल हो गया । अंदर घर में भी गाली जैसा ही खुद अंधेरा था । कुलभूषण ने बल्ब जलाने के लिए जैसे ही सोच स्पोर्ट की तरफ हाथ बढाया तभी वो घटना घटी जिसके बाद कुलभूषण त्राहि त्राहि कर उठा । अच्छा अभी तब तक उस के करीब आ चुका था । तभी एक का एक अजनबी का पूरा शरीर पूरी तरह लड जा उसका मुझे तेज पर आपको भी और झाग निकल पडेंगे । कुलभूषण से संभाल पता उससे पहले ही वो नहीं था । आराम से नीचे फर्श पर जा गिरा । कुलभूषण ने लाॅन क्या सबसे पर जल उठा बाल पे चलता ही कुलभूषण ने जो मंजर देखा उसे देखकर उसके काम से इतनी तेज रिकॅार्ड खारिज हुई है कि वह चीज पूरे कृष्णपुरा में गुंज उठे ।

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