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भाग - 22 in Hindi

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AuthorRJ Gaurav Mehta
"विकसित होती टेक्‍नोलॉजी एक दिन इस स्तर पर आ जायेगी कि मनुष्य और रोबोट में अंतर खत्म हो जाएगा। मनुष्य और रोबोट का यह मिलन, भविष्य में सही होगा या गलत, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन‌ दोनों के मिलन को लेकर जो कहानियां रची गयी है वह आप 'रोबोटोपिया' में सुन सकते हैं। इस कहानी संग्रह में कुल नौ कहानियां है। रोजिना एक रोबोट है, क्या एक रोबोट से बलात्कार संभव है? क्या उसके लिए अपराधी को कानूनी सजा दी जा सकती है? मनुष्य और रोबोट के ऐसे संबधों को उजागर करती है 'रोबोटोपिया'। सुनें इस अद्भूत कहानी संग्रह को केवल कुकू एफएम पर।"
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ऍम पिछले पंद्रह दिनों में ये छठवीं बार था जब करण सिंहानिया ने डॉक्टर जतिन पुजारी से लाइफ की चाबी मांगी थी और इस बार भी उसे ना चाहते हुए भी करण को चाबी देनी पडी थी । वैसे जतिन उसे मना कर भी नहीं सकता था क्योंकि ये लाइफ उसकी थी । प्रोजेक्ट उसका था और प्रोजेक्ट में खर्च हो रहा सारा पैसा उसका था । इसलिए जतिन को उससे ये पूछने का हक भी नहीं था कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद उसे आए दिन लैब की चाबी क्यों चाहिए होती थी । अलबत्ता पहली बार उससे चाबी मांगते वक्त करन ने खुदी उससे बताया था कि वह रो मित्रा को लॉन्च करने से पूर्व उसकी पूरी जांच पडताल करके देखना चाहता है जिस से बाद में कोई गडबडी ना हो । प्रोजेक्ट रो मित्रा यानी रोबोट मित्र करण सिंहानिया का ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसे अंजाम देने के लिए उसने यू । एस की कार्ड की । मैलन यूनिवर्सिटी से रोबोटिक्स में गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर जतिन पुजारी को हायर किया था । जतिन उस समय चाइनीज कंपनी फोर इंटरनेशनल में काम करता था जो दोस्त का रोल प्ले करने वाले यूनाइट रोपोर्ट बनाती थी । उसे यहाँ काम करते हुए दस साल बीत गए थे । कारण से उसकी मुलाकात जर्मनी में आयोजित एक इंटरनेशनल रोबोटिक्स एक्सपो में हुई थी । जिसमें दुनियाभर की रोबोट मैनुफैक्चरर कंपनी ने अपने अपनी रोबोट डिस्प्ले किए थे । इनमें एक आइलैंड फोर का भी था । फोर के फ्रेंड बोर्ड देखकर करण को आइडिया आया कि अगर ऐसी रोबोट इंडिया में बनाए जाएं तो इनके लिए काफी बडा मार्केट क्रियेट किया जा सकता है । पसंद तो से सेक्स बोर्ड्स भी आए थे लेकिन इंडिया जैसी मिक्स कल्चरल कंट्री में एक्सपोर्ट जैसी तीस डवलप करने से लेकर मार्किट करने तक के दौरान कई तरह की बाधाएं सामने आ सकती थी । उस दिन शाम को फोर को रिप्रेजेंट करते हुए डॉक्टर जतिन पुजारी ने यूनाइट रोबोट पर एक शानदार लेक्चर डिलीवर । क्या कारण से उसकी मुलाकात इसी लेक्चर के बाद हुई थी करने जब उससे अपना आइडिया शेयर किया और उसे अपने साथ जुडकर इस प्रोजेक्ट पर काम करने का ऑफर दिया तो वो इंकार न कर सका । एक तो वो खुद दस साल से चीन में रहते रहते ऊब चुका था और अपने देश वापस लौटना चाहता था । दूसरे करण द्वारा ऑफर की गई सैलरी इतनी आकर्षक थी कि उसका प्रस्ताव ठुकराने की कोई वजह ही नहीं थी । फोर के साथ जरूरी फॉर्मैलिटीज पूरी करने के बाद उसने करण के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया । कुछ ऐसी शर्तें सामने आई जिनके बारे में अगर जतिन को पहले से पता होता है तो वो कभी हाना कहता है । लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी लिहाजा उसे मन मारकर उसकी शर्तें माननी पडी । दरअसल करण द्वारा ये शर्तें रखने के पीछे एक ठोस वजह थी जो सही भी थी । वो नहीं चाहता था कि उसका ये प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले किसी को इसकी भनक भी लगे । इसके लिए उसने शहर से बाहर एक रिमोट हिल्ली एरिया में स्थित अपने पुश्तैनी कोठी को चुना । जिसके ग्राउंड फ्लोर को उसने लैब में कन्वर्ट करा दिया और ऊपर के माले पर जतिन के रहने की व्यवस्था करवा दी । जतिन के काम और निजी जरूरतों की सभी चीजें उसे मुहैया करवा दी गई । उसे ना इस कोठी से कहीं बाहर जाने की इजाजत थी और ना ही फोन या इंटरनेट यूज करने की । वो अपनी हेल्थ के लिए कोई असिस्टेंट भी नहीं रख सकता था । उसकी निगरानी के लिए चौबीस घंटे गेट पर दो सशस्त्र गार्ड तैनात रहते थे । हालांकि अपने या इस प्रोजेक्ट के लिए अगर उसे अलग से कुछ जरूरत होती है तो इंटरकॉम के जरिए उनसे कॉन्टेक्ट करके उन्हें बता देता है और दो से तीन घंटे के भीतर उसे वो चीजें मिल जाती थी । सब कुछ इतना चुपचाप चल रहा था कि गार्डों को भी खबर नहीं थी कि अंदर क्या हो रहा है । कुछ दिनों में उसे अकेलेपन की आदत हो गई । वो काम इतना बिजी रहने लगा कि इन सब बंदिशों के बारे में सोचना भी भूल गया । हर पंद्रह बीस दिनों के अंदर से करण प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस जानने के लिए आता रहता था । इसी तरह धीरे धीरे काम आगे बढ रहा था । सात महीने बीत गए और आखिरकार वह दिन आया जब जतिन की मेहनत रंग लाई और वो एक ऐसा फाॅर्स बनाने में सफल हो गया जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो इंसान नहीं है । उस दिन जतिन इतना खुश था कि उसने रोबोट को अपनी बाहों में उठा लिया और गोल गोल घूमने लगा । तब जाने पर उसने उसे फर्श पर खडा कर दिया । जानती हूँ रोबोट आज मैं बहुत खुश हूँ । वो उससे अपनी खुशी साझा करते हुए बोला लेकिन रोबोट का भावहीन चेहरा देखकर उसे बहुत निराशा हुई । तभी उसे याद आया कि उसने रोबोट को वो तो किया ही नहीं । उसने तुरंत ऍम क्या वो अपनी आँखे खोल कर एक प्यार भरी मुस्कान से उसे देख रही थी । आज आप बहुत खुश लग रहे मास्टर उसने पूछा हाँ मिस रोबोट वो जोश भरे स्वर में बोला क्या मैं इस खुशी की वजह जान सकती हूँ? क्यों नहीं तुम ही तो इस खुशी की वजह से रोबोट ने उसकी वो देखा । आज मेरे लेवल पर तुम एकदम परफेक्ट हो चुकी हो । एक इंसान की सोच, शख्सियत, इमोशन, फीलिंग और साइकोलॉजी के बारे में जो भी तजुर्बा और जानकारी मेरे पास थी, वो सब मैंने तो मैं दे दिया फॅार फॅमिली मास्टर । वो उसे टोकते हुए बोला माॅस् जाते हैं ओके जतिन । वो बोली क्या मेरा कोई नाम नहीं है? जतिन को तो इस बात का खयाल भी नहीं आया था । तो मैं एक रोबोट हो । वो सोचने लगा और एक मित्र भी । यानी रोबोट मित्र इसे शॉर्ट कर देते हैं और तुम्हारा नाम हुआ रो मित्र । पसंद आया अपना नया ना हाँ जतिन बहुत स्वीट नाम है । प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाने से भी ज्यादा खुशी जतिन को इस बात की थी कि जल्दी उसका इलेवन मंथ का वह कॉन्ट्रैक्ट पूरा हो जाएगा और उसे इस नाम अकुल जगह से निजात मिलेगी । इसीलिए उसने सोचा कि सबसे पहले यह खुशखबरी करन को सुनाई जाए तभी उसे खयाल आया क्यों न करण को सरप्राइज दिया जाए । वैसे भी वह दो महीने के बिजनेस टूर पर यूरोप गया था और अभी उसके वापस आने में डेढ महीना बाकि था । सात महीने तक कोठी के दोनों फ्लोर पर कैदियों जैसे जिंदगी जी रहे जतिन के लिए रो मित्रा का साथ किसी नियामत से कम नहीं था । वैसे भी अब लैब में उसके पास खास काम नहीं बचा था तो वो अपना ज्यादातर वक्त रो मित्रा के पास बताने लगा । वे सात बैठे घंटों तक दुनिया भर की बातें करते हैं और रो मित्र के ज्ञान का भंडार बढता जा रहा था । उसे नई नई चीजें जानने में बहुत दिलचस्पी थी और वो अपनी जानकारी बढाने के लिए बीच बीच में उसे कुछ न कुछ पूछती भी रहती थी । जहाँ तक मुमकिन होता वो उसके सवालों का जवाब देने की कोशिश करता है । लेकिन कई सवालों के जवाब उसके पास भी नहीं है क्योंकि उसके आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में सारी भावनाएं मौजूद तो थी लेकिन उन्हें महसूस करने के लिए अनुभव भी जरूरी थे जो उसे बाहर की दुनिया में जाकर ही मिल सकते थे । जतिन के साथ रहते हुए वह सिर्फ दोस्ती की भावना को ही समझ पाई थी । जतिन को भी उसे बहुत ज्यादा लगाव महसूस होने लगा था । रो मित्र के साथ डेढ महीने का वक्त कैसे पंख लगाकर उड गया पता ही नहीं चला । आखिर वो दिन भी यहां पहुंचा जब सुमित्रा को उसके असली मालिक से मिलना था । करन ने लैब किस लाइटर डोर पर लगा बटन पुश क्या डोर स्लाइड होते ही उसे सामने एक बना का खूबसूरत हसीन चेहरा नजर आया । हुआ यूं ऍम वह हैरान होकर बोला आॅर्टन मिस्टर कारण ऍम यूटीफुल । गढ । जतिन की आवाज सुनकर उसने गर्दन घुमाकर देखा तो वह शरारतपूर्ण ढंग से मुस्कुरा रहा था । ॅ खा गए न धोका जतिन खिलखिलाकर हजार । ये वो चीज है जिसे देखने के लिए आप पिछले नौ महीने से सब्र कर रहे हैं । यू मेन चीज वो सकपका गया । यह चीज रो मित्र और हम बाल आंसर टू फोर । जतिन ने बडी अदा से सिर्फ झुकाते हुए जवाब दिया, वंडरफुल मेसेजिंग करन की खुशी की कोई सीमा नहीं थे । वेल्डर लूट ऍम ऍम मुझे तो मैं कहना चाहिए । डॉक्टर जतिन आपने साबित कर दिया कि मैंने आपको यहाँ लाकर कोई गलती नहीं की । कहते हुए करन रो मित्रा के पास आ गया और उसके बालों पर हाथ रहा । फिर उसके हाथ उसके कंधों को सहलाते हुए पीठ पर हटके ऍम फील । कोई कह नहीं सकता कि एक रोबोट है । करण ने कहा और जतिन की ओर देखा । उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव थे । क्या हुआ? उसने पूछा आर्यो के नाॅक तो फिर थोडा डेमो दीजिए कि आपको इस रो मित्रा कोऑपरेट कैसे किया जाता है? करण ने उससे कहा, जतिन । उसे समझाने लगा कि उसकी गर्दन में लगा स्विच उसे एक्टिवेट करता है जिसे ऑफ करने से वो सिर्फ एक बंद मशीन की तरह रह जाती है । उसकी आंखों में दो तीन सौ साठ डिग्री एंगल ऍम लगे हैं जिनसे वो अपनी गर्दन के पीछे भी देख सकती है । ये कैमरे उसका सिस्टम ऑफ होने के बाद भी काम करते रहते हैं । इसके अलावा वो सब कुछ देख सुन समझ और महसूस कर सकती है । इसके बाद जतिन ने रो मित्र का स्विच ऑफ कर उसे डीएक्टिवेट कर दिया और उसकी रोग की डोर खोलकर उसे निर्वस्त्र कर दिया । यहाँ बाद है करन उसके सीने पर हाथ घुमाते हुए सराहना भरे स्वर में बोला था, आपने तो इस की हर चीज का इतनी ना पास और खूबसूरती से राजा है । किसी भी आदमी का मन इसे पाने के लिए लग जाया जाए । वैसे आपसे कहा रखते हैं लैब में इसके लिए चैंबर बनाया हुआ है । रात को से बैठकर लेटाकर इसको स्विच ऑफ कर दिया जाता है तो ये शांत लेती रहती है । जब तक की से दोबारा ओ ना किया जाए । नाये करन उसकी तारीफ करते हुए बोला, डॉक्टर जतिन, आप यहाँ रहते हुए काफी बोर हो गए होंगे जाइए । आज शहर घुमाएंगे और लाइफ की चाबी दे जाइएगा आॅफ मार्केट! जतिन ने मारे मंत्री चाभी उसके हाथ में थमा दी और रो मित्रा की ओर देखा । उसके चेहरे पर बच्चों जैसी मासूम में छाई हुई थी ऍम डॉक्टर कल जवाब वापस आएंगे तो आपकी रो मित्रा और चाबी आपको यही मिलेगी । जतिन उसे चाबी देकर बाहर आ गया जहाँ उसकी गाडी पार्क की हुई थी । उसका बिलकुल मन नहीं कर रहा था कि वह रो मित्रा को करन के साथ छोड कर जाए । लेकिन वो मजबूर था । अगली सुबह जब वापस आया तो उसने चाबी को डोर की साइड में लगे मैसेज बॉक्स में रखे । पर कहाँ अपने हाथों से उसने डोर ओपन किया और तेजी से रो मित्रा के चैंबर की ओर लपका । उसे उसके बैट पर आराम से आंखे बंद किए लेते देखा तो राहत की सांस ली और उसका स्विच ऑन कर दिया । गुड मॉर्निंग वो मुस्कुराई मॉर्निंग सुमित्रा कल की शाम कैसे भी थी । बहुत बढिया मिस्टर करने मुझसे बहुत सारी बातें की । अपने मोबाइल पर आपने यूरोप टूर की पिक्चर दिखाई । वो उत्साहित फॉर में कह रही थी । मिस्टर करन कह रहे थे कि नेक्स्ट टाइम वो मुझे भी साथ लेकर जाएंगे । जतिन ने सोचा कि करण को लेकर वह बेवजह ही डर रहा था । वो सिर्फ रो मित्रा से बात करने की इंटेंशन से यहाँ रुका होगा । लेकिन रो मित्र से बात करने की करन की चाहत बढते जा रही थी । हर दो तीन दिन में उसकी ये इच्छा जोर मारती और वह जतिन से चाबी लेकर उसे शहर भेज देता हूँ । आज ही छठवीं बार था जब जब उनको चाबी उसे देनी पडी थी । वो कई बार सोचना कि आखिर रोमिता करन की ही तो प्रॉपर्टी है । वो उसका चाहे जो करें उसे रो मित्रा को लेकर इतना परेशान होने की क्या जरूरत है । लेकिन वो जितना खुद को समझाने की कोशिश करता, रो मित्र उसके दिलो दिमाग पर उतना ही हावी हो जाती है और उसके कारण से एशिया होने लगती है । उसका मन करने लगा कि रो मित्रा को लेकर कहीं अंजान जगह पर चला जाएगा जहाँ करन की परछाई भी उन पर ना पडेगा । लेकिन वो ये भी जानता था कि ऐसा कतई मुमकिन नहीं है हूँ ।

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"विकसित होती टेक्‍नोलॉजी एक दिन इस स्तर पर आ जायेगी कि मनुष्य और रोबोट में अंतर खत्म हो जाएगा। मनुष्य और रोबोट का यह मिलन, भविष्य में सही होगा या गलत, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन‌ दोनों के मिलन को लेकर जो कहानियां रची गयी है वह आप 'रोबोटोपिया' में सुन सकते हैं। इस कहानी संग्रह में कुल नौ कहानियां है। रोजिना एक रोबोट है, क्या एक रोबोट से बलात्कार संभव है? क्या उसके लिए अपराधी को कानूनी सजा दी जा सकती है? मनुष्य और रोबोट के ऐसे संबधों को उजागर करती है 'रोबोटोपिया'। सुनें इस अद्भूत कहानी संग्रह को केवल कुकू एफएम पर।"
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