कॉलेज में श्वेता का पहला दिन है, लेकिन रैगिंग के डर से वह कॉलेज के अंदर नहीं जा रही है। परम का ग्रुप श्वेता की मदद करता है और वह रैगिंग से बच जाती है। लेकिन श्वेता अपने मन में परम के ग्रुप के प्रति खराब ही सोचती है और दूसरे दिन बात न करने का फैसला करती है। वहीं दूसरे दिन खुद परम का ग्रुप उससे पूरी तरह से अनजान बिहेव करता है। श्वेता को अपनी गलती का अहसास होता है और वह उनसे दोस्ती करना चाहती है। लेकिन परम के ग्रुप से दोस्ती करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जब यह बात श्वेता को पता चलती है, तो वह ठान लेती है कि इस ग्रुप से दोस्ती करके रहेगी। आखिर ऐसा क्यों है कि परम का ग्रुप नए लोगों को दोस्त क्यों नहीं बनाता? यह ग्रुप जरूरतमंद लोगों की सहायता तो करता है लेकिन किसी से जुड़ते नहीं है! तो क्या श्वेता इस ग्रुप से दोस्ती कर पाएगी? अगर दोस्ती हो जाती है, तो क्या परम और श्वेता का रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ पाएंगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।Read More
कॉलेज में श्वेता का पहला दिन है, लेकिन रैगिंग के डर से वह कॉलेज के अंदर नहीं जा रही है। परम का ग्रुप श्वेता की मदद करता है और वह रैगिंग से बच जाती है। लेकिन श्वेता अपने मन में परम के ग्रुप के प्रति खराब ही सोचती है और दूसरे दिन बात न करने का फैसला करती है। वहीं दूसरे दिन खुद परम का ग्रुप उससे पूरी तरह से अनजान बिहेव करता है। श्वेता को अपनी गलती का अहसास होता है और वह उनसे दोस्ती करना चाहती है। लेकिन परम के ग्रुप से दोस्ती करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जब यह बात श्वेता को पता चलती है, तो वह ठान लेती है कि इस ग्रुप से दोस्ती करके रहेगी। आखिर ऐसा क्यों है कि परम का ग्रुप नए लोगों को दोस्त क्यों नहीं बनाता? यह ग्रुप जरूरतमंद लोगों की सहायता तो करता है लेकिन किसी से जुड़ते नहीं है! तो क्या श्वेता इस ग्रुप से दोस्ती कर पाएगी? अगर दोस्ती हो जाती है, तो क्या परम और श्वेता का रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ पाएंगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।