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54. Holiday Wife in Hindi

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80 Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । इस किताब में पाँच "क", क्या,क्यों, कब, कहाँ, कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । यह कहानी मुख्यतः पीकू के जीवन पर आधारित है | पीकू अपने माँ के कहने पर अपने पिता के नक्शे कदम पर चलकर हकलाहट की समस्या से पीड़ित लोगों की मदद करता है | कहानी में हकलाहट के विषय के साथ - साथ कुछ सामाजिक विषयों को भी सम्मिलित किया गया है। जो की कहानी का हिस्सा होने के साथ - साथ कहानी में जान डालने और हर किरदार को जीवंत करने का अपना कार्य सफलतापूर्वक करते हैं। Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Saransh Studios
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भाग नौ ऍफ एक दिन में रोज की तरह मुक्ता माँ शिखा मामा के पास क्लिनिक में बैठा हुआ था कि अचानक से दरवाजे पर एक आवाज आई कौन है मुफ्त माने कहा दीदी मैं हूँ मंजू दरवाजे पर एक जानी पहचानी आवाज सुनकर फॅस और जाता हूँ और वहाँ पर रंदा और उसकी मां मंजू को देखता हूँ । वृद्धा को अचानक से देख कर मैं हैरान रह जाता हूँ परन्तु मैं उसे अनदेखा करके उसकी माँ को अंदर आने को कहता हूँ । वो मंजू आ जाओ और सुनाओ क्या हाल है कुछ भी ठीक नहीं है दीदी और इतना कहने के बाद उन्होंने लग जाती है अरे क्या हुआ हम रोक रही हो । विधि हम किसी को मो दिखाने के काबिल नहीं रहे । हमारे साथ बहुत बडा धोखा हुआ है । पहले तो तुम जब करूँगा और पानी पीती हूँ फिर आराम से बात करो । वृंदा की माँ चुप होने का नाम नहीं ले रही थी । मुक्ता बहाने जैसे तैसे उसे चुप करवाया और से बात बताने को कहा । कुछ समय के बाद वृंदा के बाद में अपने आप को संभाला और कहा जी जैसा की आप जानते ही हैं कि हमने वृंदा की शादी की थी, लेकिन अब इसके ससुराल वाले बिना वजह के इससे अपने पास रखने को तैयार नहीं है । उन्होंने कल शाम को इसे इसके सामान समेत घर से बाहर निकाल दिया । घर से बाहर निकाल दिया, लेकिन क्यों पता नहीं हमने इसके ससुराल वालों से भी संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो हमारी बात नहीं सुन रहे हैं । ये कहकर वह जोर जोर से रोने लग जाती है । देखो पहले तो तुम चुप करो । ऍम बताओ बात क्या है? देखो कुछ भी मत छुपाना । सच है सिर्फ वही बताना । फॅमिली शादी की कुछ दिन तक तो सब कुछ ठीक ठाक हूँ । लेकिन जब से मेरे पति विदेश चले गए थे तब से ही मेरे ससुराल वालों का रवैया मेरे प्रति कुछ ठीक नहीं था । बात बात पर मुझे डांटते थे और कल तो उन्होंने मुझे घर से बाहर निकाल दिया । क्यूँ? क्या तुम ने इस बारे में अपने पति से कभी बात नहीं नहीं क्योंकि उनके विदेश जाने के बाद से मेरी कभी भी उनसे कोई बात नहीं हुई । क्यों पता नहीं है । लेकिन तेरे ससुराल वालों ने तुझे मायके क्यों भेजा और तुम ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? इससे करती हैं । इससे करती से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं तुम्हारे पति के परिवार वालों के बारे में कह रही हूँ, उसका परिवार नहीं था । वो तो उसके किसी दूर के रिश्तेदार का घर था । मैं समझी नहीं तो क्या कहना चाह रही हूँ क्योंकि वो घर जहाँ तुम शादी करके गई थी वो तुम्हारे पति का घर नहीं था । नहीं नहीं किसका था । मेरे पति के किसी दूर के रिश्तेदार का घर था तो फिर उसका असली घर कहाँ पडता है? प्रदेश में मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ । आखिर हमारी कहानी क्या है? जरा शुरू से बताओगी मेरे पति यानी जिससे मेरी शादी हुई थी वो और उसका सारा परिवार विदेश में रहता है और जहाँ पर मैं शादी करके गई थी वो उसके किसी रिश्तेदार का घर था । यानि की वो शादी करने के लिए ही आया था और शादी करके चला गया हूँ । ऐसा ही कुछ तो तुम को साथ में लेकर नहीं है । उसने कहा कि वह जल्द ही वापस आएगा और आकर विदेश ले जाएगा हूँ । तो अब समझ में आए की बेटर हमारी कहानी क्या है? आप विदेशी दुनिया की देशी दुल्हनियाँ हो? ऍम छुट्टी वाली पत्नी ऍम यह क्या कह रहे हैं? वृंदा ने हैरानी से पूछा हाँ बेटा तुम लोग नहीं जानते की तुमलोग किस पडे धोखे का शिकार हो चुके हो तो का हाँ धोखा आंटी आप क्या कह रहे हैं? हाँ बेटा है यही सच है । तुम और तुम्हारा परिवार एक बहुत बडे धोखे का शिकार हो चुके हो । इसके बाद हम बाद में करेंगे । सबसे पहले तुम जाओ और नजदीक के पुलिस स्टेशन में अपने पति और उसके रिश्तेदार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा करा हूँ । न वहाँ फोन कर देती हूँ जिससे कि तुम्हारा काम और भी आसानी से हो जाएगा । इतना सुनते ही बंदा अपनी माँ को लेकर नजदीकी पुलिस स्टेशन की और चली जाती है । क्यों शिखर आया तो समझ रहे हैं मुक्ता माने शिखर वहाँ की और इशारा करते हुए कहा कुछ कुछ समझ में आया लेकिन ज्यादा नहीं । इसमें ना समझने वाली क्या बात है । उनकी वृंदा हॉलिडे वाइफ बन चुकी है । मतलब मौज मस्ती की दुल्हनिया । मुक्तानां से वह बंदा के बारे में ऐसे शब्द सुनकर मेहरम था और मुझे रहना गया तो मैंने उनसे पूछा वहाँ मैं आपकी बातों को समझा नहीं, ऍफ का क्या मतलब है? बेटा तुम नहीं समझोगे । मैं बताती हूँ ये जो अपना देश छोडकर विदेश में लोग रहते हैं ना कि छुट्टी मनाने के लिए । जब अपने देश में आते हैं । कोई ना कोई ना कोई तो मौज मस्ती के लिए चाहिए होता है तो इसके लिए एक झूठी शादी करते हैं और जब तक छुट्टी होती है उसके साथ समय बिताते हैं, मौज मस्ती करते हैं और फिर जब की छुट्टी खत्म हो जाती है वो वापस विदेश चले जाते हैं और जाते जाते अपने पीछे जिस शादी शुदा औरत को छोड जाते हैं वैसे ही फल डेवाइस कहते हैं ये सब सुनकर मैं हैरान रह जाता हूँ । अभी शिखर ना बोलने लगती हैं । हाँ मैंने भी सुना था वृंदा के साथ ही ऐसा होगा ये ये कभी नहीं सोचा था । ॅ उसके साथ पैसा होना ही था इसका सकता हूँ । मुझे पहले से था ऍम उनकी कई बातें तो शक पैदा करती थी लेकिन गंदा की माँ की अगले पडता हूँ कई प्रकार के पडे पडे थे पर देख वो कैसे पडते माँग रहा रानी पूछा बेटर सबसे पहला पर्दा विदेशी धूले का तमगा बंदा की माँ समाज में और विशेष कर अपने रिश्तेदारों में अपने दामाद के विदेशी होने का ड्रॉप जमाना चाहती थी । दूसरा वो उसी दामाद के हद से ज्यादा अमीर होने से भी अपने आप में गौरव की बात समझती थी । हमने शायद कभी गौर नहीं किया । रिन्दा की शादी से पहले उसकी माँ के कैसे कैसे देवर थे तो पहले से ज्यादा अहंकारी हो गई थी और ये अहंकार उसके दामाद के विदेशी होने और उस विदेशी दामाद के पास पैसे के होने से आया था । मुक्ता जो भी है वो है तो हमारी फॅमिली । उसकी मदद जरूर करनी चाहिए । तो मैंने कहा कि मैं उसकी मदद नहीं करेंगे । हो गया तो फिर बनता है कि मैं इस मामले में उसकी पूरी सहायता करूँ । मैं तो बात कर रही थी कि ऐसे लोग सिर्फ अपनी गलतियों और लालच की वजह से जानबूछकर फसते हैं और भुगतना उनकी हालत को पडता है । चल जाने दे अब जो होगा देखा जाएगा ये कहकर मुक्ता वहाँ तो वहाँ से चली गयी । मेरे दिमाग में वृंदा को लेकर कई प्रकार के सवालों का जवाब छोड गई । जैसे कि वृंदा नहीं जल्दबाजी और गुपचुप तरीके से शादी । क्योंकि वृंदा की शादी बहुत ही सधे ढंग से और गुपचुप तरीके से हुई थी । उस की शादी में हमें नहीं बनाया गया था । खैर हमारी बात तो दूर उन्होंने अपने कई खास रिश्तेदारों को भी नहीं बुलाया था । उस की शादी बहुत ही सधे ढंग से और जल्दबाजी में हुई । इसकी वजह मुझे आज पता चल रही थी मुझे दुख था अच्छा इसलिए ऍफ प्यार करता था । ये नहीं कि मैंने वृंदा से कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया था । जहाँ भी हो शाम याद है । मैंने उसे अपने दिल की बात बताई थी लेकिन उसने ये कहकर मेरा प्यार ठुकरा दिया जिससे उस की शादी हो रही है । वो विदेश में रहता है और शादी के बाद मैं भी उसके साथ विदेश में रहूंगी । उस समय बंदा के विदेशी ढोले का पैसा उसके सिर चढकर बोल रहा था । लेकिन आज जब वो अपने उसी विदेशी दूल्हे से तो खा खाकर वापस आई थी । मुझे अपनी नजरेें ठीक से मिला नहीं पा रही थी हूँ । मैंने तो उसके बारे में सोचना बंद कर दिया था । और अब मेरा सारा का सारा ध्यान मेरे मकसद यानी टकराहट की समस्या को समझना और समस्या से पीडित लोगों की मदद कर रहा था तो मैं वहाँ से पिताजी के कमरे में चला गया । मैं हकलाहट की समस्या के बारे में सोच रहा था लेकिन वो बंदा का खयाल मेरे जहन ने बार बार आ रहा था । तभी मुझे मेरे अंकल ने फोन किया और फोन पर उन्होंने कहा कि वह मुझे किसी काम के सिलसिले में तुरंत मिलना चाहते हैं । मैं तुरंत थे, उनके घर पहुंचा, उनसे मिला । उनके साथ एक अधेड उम्र के व्यक्ति बैठे हुए थे । मेरे अंकल ने मुझे उन का परीक्षा करवाया और मुझसे बातें करने लगे । बातों बातों में वो मुझे अपने बेटे सुधीर के बारे में बताने लगे । उनके बेटे सुधीर की हकलाहट की समस्या थी और उसकी उम्र बीस किस वर्ष के आसपास? मैंने उनको सुधीर के हकलाहट की संस्था के बारे में विस्तारपूर्वक बताने को कहा । उन्होंने अपने बेटे की समस्या के बारे में सब कुछ विस्तारपूर्वक बताता हूँ । अब जैसे कि हकलाहट की समस्या से संबंधित व्यक्तियों के साथ होता है, ठीक वैसे ही सुधीर के केस में भी होता है । उदाहरण के तौर पर सुधीर की हकलाहट की समस्या उसके बचपन से शुरू हो जाती है । वो पढने लिखने में सबसे आगे रहता है । परंतु अपनी हकलाने की समस्या की वजह से वो कई गतिविधियों में पीछे रह जाती हैं । जिस वजह से उसके स्वभाव में बचपन से ही काफी गुस्सैल और चिडचिडा बनाया जाता है हैं । मैंने उस व्यक्ति यानी सुधीर के पिता से पूछा, इस मामले में मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ? तब उन्होंने बताया कि पहले तो सब कुछ ठीक था परंतु पिछले कुछ महीनों के दौरान सुधीर के स्वभाव में काफी तबदीली आ गई है । बहुत ही शांत और चुप चाप सा रहता है और अगर उससे कोई बात करें तो उसका जवाब काफी निराशाजनक देता है । ऐसा लगता है जैसे मानो उसे अपनी जिंदगी से बहुत शिकायतें हैं परन्तु किसी पर ये जाहिर नहीं होने देता और अंदर ही अंदर घुटता रहता है । अंदर है कि वह कोई गलत कदम ना उठा ले । मैंने उनकी पूरी बात सुनी और सुधीर से मिलवाने को कहा । परन्तु सबसे पहले मैंने सुधीर के बारे में और जानकारी लेना सही समझा जिसके लिए मैंने सुधीर के पिता से उनके परिवार के बाकी सदस्यों से मिलने की अपनी इच्छा जाहिर की । सुधीर के पिता को मेरा प्रस्ताव अच्छा लगा और उन्होंने अगले ही दिन मुझे अपने घर आने को कहा । अगले दिन में तयशुदा समय पर सुधीर के परिवार से मिलने उनके घर गया । सुधीर के पिता हमारे शहर के गिने चुने अमीरों में से एक हैं । उनका घर उनकी शानशौकत को बना सकता है । सुधीर के परिवार में कुल छह सदस्य हैं । एक साथ ही और उसके माता पिता और उसके तीन बहने हैं । वो अपनी तीनों बहनों से छोटा है । इस वजह से वो अपने परिवार में सबसे लाडला सदस्य हैं । मैंने उसकी माँ से सुधीर के हट राहत की समस्या से संबंधित जानकारी देने को कहा । उन्होंने कहा, सुधीर मेरी तीन बेटियों के बाद पैदा हुआ था । इस वजह से वह परिवार में सबसे लाडला सदस्य था । हमने उसकी परवरिश में कोई कोर कसर नहीं छोडी । जब वह तीन चार वर्ष का हुआ तब उसने बोलना शुरू किया । उसकी तोतली बातें हम सबका मन मोह लेती थी । समय बीतने के साथ साथ मैंने महसूस किया कि सुधीर को बोलने में कुछ परेशानी हो रही थी तो हर बात को बार बार दोहराता था । यानि जब वो पानी पीने के लिए मुझसे कहता हूँ बोलती की माँ वो मुंह हो, मुझे पानी पीना, पीना पीना है तो हम सब उसकी समस्या को नजरअंदाज करके उसके इस तरह बोलने को लेकर हंसने लगते हैं और से जानबूझकर और बुलवा देंगे । हम सबको तो जैसे खेलने के लिए कोई खिलाना मिल गया हो । उसके पापा और खासकर उसकी बहने उस दिन भर कुछ ना कुछ बुलवाती रहती है और जब वो उसकी बातों पर हसते वो भी हसते लगता । परिवार के सब सदस्यों को अपने ऊपर हस्ते दें । सुधीर भी खुद हस्ता और मजे लेता तो बार बार जानबूझ कर ऐसा बोलने लगा ताकि सब उसके ऊपर हंस हैं । शायद वो इन बातों को खेल समझने लगा था तो समय बीतने के साथ साथ उस की समस्या भी बडी होती गई । अब ये खेल नहीं रहा । हम इसके समाधान के लिए कई डॉक्टरों के पास गए और इसका बहुत इलाज करवाया । परमप्रिय समस्या काबू में नहीं आई । अगर तुम हमारी कुछ मदद कर सकते हो तो तुम्हारा हमारे ऊपर बहुत एहसान होगा । मैंने उनकी सारी बात करें और मुझे समस्या के कारण को समझने में बिल्कुल भी देर ना लगी । मैंने उनसे कहा कि मैं सुधीर से मिलना चाहता हूँ तो आपको उसे मेरे बारे में कुछ भी नहीं बताना होगा । मैं उसकी समस्या का समाधान उसका दोस्त बनकर करूंगा । हमारी बातें करते करते सुधीर भी ठहराया गया । उसकी माँ ने सुधीर को मुझसे मिलवाया । इससे पहले कि मैं कुछ कहता वो मेरे बारे में सब बताने लगा । उसने कहा कि वह मुझे जानता है । मुझसे फेसबुक पर मेरी वेब साइट के माध्यम से तो उससे जुडा हुआ है । उसकी बात सुनकर मैं उसकी माँ एक दूसरे की तरफ ऐसे देखने लगे जैसे कि हम दोनों की छोरी पटाओ ली गई हूँ । फॅमिली से कहा कि अगर तुम मेरे बारे में पहले से जानते हो तो मैं समय बर्बाद नहीं करूंगा । यानी सीधा कान की बात पर आता हूँ । मैंने उसे अपने परिवार से अलग अकेले में अपने पास बुलाया और उससे उसके और उसकी हट राहत की समस्या के बारे में पूछने लगा । सुधीर ने कहा, ना अपनी समस्या के बारे में क्या बताऊँ, आप सब कुछ जानते हैं । मैं तो बस इतना ही जानता हूँ कि मैं जिंदगी ने कुछ नहीं कर सकता हूँ । जब मालूम है कि मैं क्या हूँ और अगर मेरी हकलाहट की समस्या होती तो जिंदगी में बहुत कुछ कर सकता था । मेरे अंदर कई प्रकार के हुनर हैं । इसे मैंने अपने अंदर ही दावा कर रखा है । अगला हाथ में मेरी शिक्षित ही बदल करती है । समाज की नजरों में मैं बंद होती नाना है और पता नहीं क्या क्या । मेरे अध्यापक ने तो यहां तक कह दिया कि मैं अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकता हूँ । सुधीर की बात सुनकर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मैं हकलाहट की समस्या से जूझ रहे जीवन से भलीभांति परिषद था । उसकी बातों के जवाब में मैंने ऋतिक रोशन जैसे अभिनेता का उदाहरण दिया और उसे बताया कैसे वो अपने बचपन के दिनों में हकलाहट इस समस्या से पीडित थे और शारीरिक रूप से इतने कमजोर थे कि उनको डॉक्टरों ने उन्हें जिम में ना जाने की सलाह दी थी । तो आज उन्होंने जिस मुकाम को हासिल कर लिया है वो हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं । मैंने उनसे कहा, हर व्यक्ति में कोई ना कोई गुण होता है जो से बाकी व्यक्तियों से अलग करता है । हम जैसे लोग जो हकलाहट की समस्या से पीडित है उनमें भी कोई ना कोई अलग होता है । अकुलाहट की समस्या के कारणों के बारे में अगर तुम पता लगाओ पाओगे ये समस्या दिमाग के अत्यधिक तेज होने की वजह से होती है । यानी हम जैसे लोगों का दिमाग सामान्य व्यक्ति की तुलना से ज्यादा तेज होता है । हम तो समाज के मजाकिया लहजे और अपने ऊपर हो रही भद्दी टिप्पणियों की वजह से हम अंदर से आपने टूट जाते हैं कि हम अपनी कोई भी खुफिया गुण हमने अपने आपको दिखाई नहीं देता हूँ । आपने किसी अध्यापक या किसी परिचित की निराशाजनक बातों को ही हम सच मान लेते हैं और आपने फिल्में एक बात बिठा लेते हैं कि हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकते हैं । तो क्या ये बात सच है? जी नहीं, बिल्कुल नहीं क्योंकि ठान लोग वो जीत है । मान लो तो हाल है अगर तो है अपने जीवन में कामयाब होना है तो मैं अपने जीवन के साथ एक लडाई करनी होगी क्योंकि सारी उम्र खत्म नहीं होगी । मैंने इसी बात को ध्यान में रखकर एक शेयर देखा था क्योंकि अब मेरा प्रेरणा स्रोत बन गया है । वो तो है जिंदगी से लडने का स्वास्थ्य लाजवाब है होता हूँ मिलती अगर कामयाबी सुखा ली हर कोई कामयाब होता है । फैसला हम पर है तो मैं अपनी जिंदगी के साथ क्या करता है? समाज की निराशाजनक बातें सुन सुन कर घुट घुटकर जीरा यहाँ पर इन सब बातों की परवाह किए बगैर बिंदास होकर जीना चाहते हो मेरी बात शंकर सुधीर ने कहा आपकी बातें काफी अच्छी हैं । अरे मुझे नहीं ऊर्जा का उत्सर्जन करती हैं परन्तु बातें करने और सुनने में ही अच्छी लगती हैं । असल जिंदगी ने इस तरह की बातें काम नहीं करते और अगर आप ऐसा मानते हो कि हम जैसे लोग जो कि हट राहत की समस्या से पीडित हैं, अपने जीवन में कुछ कमाल कर सकते हैं । आपके सामने मैं बैठा हूँ मैं अपने जीवन में क्या कर सकता हूँ क्योंकि मुझे मेरे अध्यापक और समाज ने नकार दिया है । मैं अपने जीवन से निराश हो चुका हूँ और मेरी मेरा शायद नहीं बढ गई है कि कई बार अपने जीवन को समाप्त करने की कोशिश कर चुका हूँ । हम ये भी सच है मैं अपनी असल जिंदगी में डरपोक क्या बुजदिल हर भी सही है । मैं अपने जीवन में कुछ करना चाहता हूँ । कुछ बन के समाज को अपने ऊपर हो रहे मजाक का मुंहतोड जवाब देना चाहता हूँ । ए कारण है कि मैं आत्महत्या जैसा कदम वो नहीं उठाना चाहिए । सुधीर की बातों के जवाब में मैंने उसे कहा हमारी बातें भी ठीक है हम तो अगर तुम अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते हो तो मैं इन सब बातों को नजरंदाज करना होगा और अपने जीवन में एक मंजिल को निर्धारित करना होगा और उस मंजिल को पाने के लिए जी जान से जुट जाना होगा । इसके लिए तुम्हारी हकलाहट की समस्या के कारण यानी तुम्हारा तेज दिमाग तुम्हारी मदद करेगा । इस दुनिया में सबसे मुश्किल काम अगर कोई है वो अपने आप को साबित करना है । ऍम जो देखते हो वो असल में हो नहीं और जो तुम्हारी सोच क्या मकसद है वो किसी को दिखता नहीं । यही सोच और मकसद को पूरा करना या फिर ये कहलोग की अपने अंदर की शख्सियत को बाहर ही निकालना ही तुम्हारे लिए सबसे मुश्किल काम है । समाज में एक कामयाब व्यक्ति बन के सामने आना तुम्हारे अंदर भी कोई ना कोई होना होगा तो मैं हम सबसे अलग करता होगा तो उस को पहचान और उसे बाहर निकालकर अपने मकसद को पूरा करने और अपने जीवन यापन में इस्तेमाल करो क्योंकि तुम्हें पता है कि तुम सबसे अलग हूँ और सबसे अच्छे भी हूँ । पहले तो मैं पता है कि तुम असल में क्या हूँ तो मैं इस समाज की परवाह नहीं करनी होगी । हमें अपनी मंजिल को निशाना मानकर उसे पाने के मकसद से जी जान से जुट जाना होगा । ऍम ऍम क्यू लो । इतना कहकर मैं उसके कमरे से बाहर आ जाएगा और उसके परिवार वालों से मिला और वहाँ से जाने के लिए उनकी अनुमति लेकर अपने घर की और चल दिया । इसके कुछ दिनों बाद सुधीर की माँ का फोन आया और उन्होंने बताया कि सुधीर तिरहार में काफी बदलाव आ गया है । वह पहले की तरह नकारात्मक बातें नहीं करता । इसके लिए उन्होंने मेरा धन्यवाद दिया । कुछ दिनों के बाद में सुधीर से दोबारा मिला और हकलाहट की समस्या को काबू करने के कुछ भी आया और कुछ बातें बताई और इन सब व्यायामों और बातों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने को कहा । इससे उसके लिए खान और उसके हकलाहट की समस्या में भी काफी सुधार आएगा । निश्का सुधीर के केस में ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि हडबडाहट की समस्या से परेशान बाकी लोगों की तरह सुधीर की समस्या उसके हकलाहट नहीं थी, बल्कि उसके हकलाहट की समस्या की वजह से पैदा हुई परेशानियाँ ही उसकी असल समस्या नहीं है । उसकी बहुत आशाएं थी, उसका दिखाने की तमन्ना थी । पर अब तो समाज में उसके हकलाहट की समस्या की वजह से उसे इतना परेशान कर दिया था । इस की सभी आशाएं सभी तमन्नाएं ही खत्म कर दी । कोई भी उसके अंदर के सुधीर को पहचान नहीं पा रहा था । यही सब कारण उसकी निराशा के कारण बने । इसकी वजह से वो बिलकुल टूट सा गया था । उसे जरूरत थी एक अच्छे दोस्त हैं, जो उसके अंदर छिपे सुधीर को पहचानकर बाहर नहाने एक ऐसा दोस्त, उसके मकसद को पहचानकर से पूरा करने में उसकी हौसलाअफजाई करें । अभी तो बस एक उदाहरण मात्र है । ऐसे कई सुधीर हमारे बीच रहते हैं क्योंकि हकलाहट की समस्या के कारण इस समाज की भी हुई परेशानियों की वजह से राशा भरी जिंदगी जीते हैं ।

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Sound Engineer

The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । इस किताब में पाँच "क", क्या,क्यों, कब, कहाँ, कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । यह कहानी मुख्यतः पीकू के जीवन पर आधारित है | पीकू अपने माँ के कहने पर अपने पिता के नक्शे कदम पर चलकर हकलाहट की समस्या से पीड़ित लोगों की मदद करता है | कहानी में हकलाहट के विषय के साथ - साथ कुछ सामाजिक विषयों को भी सम्मिलित किया गया है। जो की कहानी का हिस्सा होने के साथ - साथ कहानी में जान डालने और हर किरदार को जीवंत करने का अपना कार्य सफलतापूर्वक करते हैं। Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Saransh Studios
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