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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी - Part 25 in Hindi

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7 K Listens
AuthorSaransh Broadways
बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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पच्चीस जब गोदना ने बबुनी से तीन महीने का वादा किया था । उसके दिमाग में सुहागपुर में स्कूल और प्राथमिक शिक्षा केंद्र के शिलान्यास के वक्त से मेल बैठाने का इरादा था । चौहान पुर बीस गांवों की श्रृंखला में पहला गांव था जिसमें ये योजना लागू होने वाली थी । उस समारोह के उद्घाटन के लिए किसी प्रख्यात शिक्षाविद् को बुलाना चाहता था । लेकिन सत्ताधारी पार्टी द्वारा एक राजनीतिज्ञ का चुनाव उसकी इच्छा पर भारी पड गया । पार्टी द्वारा आधारशिला रखने के लिए आगामी चुनावों में विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का संभावित उम्मीदवार चुना गया । उम्मीदवार गोधरा की जाती का था । वो कभी स्कूल नहीं गया था और पहली बार चुनाव में खडा हो रहा था । योजना जानता था ठाकुर साहब से इस मुलाकात का परिणाम कितना भयानक हो सकता है, ये आशा करना इस प्रस्ताव को खुशी से स्वीकार कर लेंगे । एक कल्पना ही हो सकती है । उसने राज्य सरकार से निवेदन किया था कि राज्य की यात्रा के दौरान उसे सुरक्षा प्रदान करें । सरकार को उसकी मांग तर्कसंगत लगी इसलिए वह मान गई । जबरनवसूली और अपहरण की आशंका ने कई निवेशकों को राज्य से दूर रखा था । दोपहर में गोदना हवेली पहुंचा । उसके साथ दो पुलिस वाले थे । ठाकुर साहब को पहले ही सूचित किया जा चुका था । पिछले वह और बबुआ उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे तो कुछ और संतुष्ट थे क्योंकि गोदना ने उनसे मिलने के लिए पहल की थी । वो उसके बडप्पन के आगे झुके नहीं थे । हवेली के भीतर घबराई हुई बबुनी सुबह से कई बार शंकर भगवान से प्रार्थना कर चुकी थी । वो इस मुलाकात के बारे में जानती थी । ठकुराइन भी जो हम मामला समझने लगी थी और अपनी बेटी को ध्यान से देख रही थी । बेटी के सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना कर रही थी । ठाकुर साहब तो बैठक के बाहर टहल रहे थे । गाडी देखकर तेजी से अंदर चले गए । बहुत पहले से अंदर था । खोजना ने दोनों सशस्त्र पुलिस वालों से गाडी के पास रुकने के लिए कहा । गोदना को चौदह साल बाद हवेली में प्रवेश कर रहा था । वहाँ की पुरानी भव्यता नजर नहीं आई । बैठक में दीवान के अलावा कुर्सी रखी थी । कुर्सी की मौजूदगी संकेत कर रही थी कि वह बैठ सकता था और वह बैठ भी गया । आरंभिक अभिवादन के आदान प्रदान के बाद सन्नाटा छा गया । ये गोदना के लिए इस यात्रा के पीछे के मुद्दे को सामने लाने का मौन संकेत था । बहुत ना ने दीवार पर टंगी दोनाली बंदूक पर नजर डाली और खडा हो गया तो दीवान के पास गया और अपने हाथ जोडकर जिससे बहुत बेटे खुश हो गए । बोला ऍम! हमारे माता पिता और उनके माता पिता ने हमेशा आपके परिवार को सबसे श्रेष्ठ माना है । हम लोगों ने कभी सपने में भी आपके परिवार का अपमान करने के बारे में नहीं सोचा है । हमने अपने सपने का त्याग कर दिया क्योंकि आप ऐसा चाहते थे । लेकिन आज ना हमारे मन में आपके लिए कोई शिकायत है ना हमारे मई बाबा के मन में आइए । हम पुरानी बातों को भूलकर एक नहीं पवित्रा शुरुआत करते हैं । हम यहाँ शादी के लिए आपकी बेटी का खास मांग में आए हैं । हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और हम उससे शादी करना चाहते हैं और फायदा करते हैं तो उसे हमेशा खुश रखेंगे । अगले दो मिनट के लिए वहाँ गहरी घाटी जैसा सन्नाटा छा गया । अपमान की भावना इतनी गहरी थी ठाकुर साहब और बबुआ नए दूसरे की आप देख सकें न गोदना की और वो जमीन की और देख रहे थे, अपमानित महसूस कर रहे थे क्योंकि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि एक दलित उनसे इतना आगे निकल जाएगा कि उनकी बेटी का हाथ मांगने कि मत करेगा । बहुत थोडा समझा उसने आगे बढकर गोदना को थप्पड मार दिया । जीवन में पहली बार उसने एक दल को हाथ लगाया था । उतना ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की । लेकिन ठाकुर साहब की प्रतिक्रिया अपेक्षित थे । उन्होंने दीवार से बन्दूकधारी और गोधरा की और तांदी दो खाली थी । हम अकोला की खाते तुमको जिंदा छोड रहे हैं । यहाँ जो बात हुई किसी को पता नहीं चलना चाहिए । ऍसे आज के बाद कभी इस गांव में फरक चेहरा मत दिखाना । आपने मई बाबा के साथ यहाँ से गायब हो जाओ । दौडते कदमों की आवाज सुनकर उन्होंने बंदूक नीचे अगर नहीं उनके चलाने से पुलिस वाले चौकन्ने हो गए थे और दौडते हुए बैठक की और आ रहे थे । ठकुराइन और बबुनी जो मवेशी खाने के थोडी से खुले हुए लकडी के दरवाजे से झांक रही थी । बैठक की और भागी ठाकुर साहब के हाथ में बंदूक थे, आकर दोनों पुलिसवालों ने अपनी बंदूके ताली ठाकुरसाब । अपनी बंदूक है कर चलाए गोली मत चलाना । जोक सिर्फ बात कर रहे हैं । बैठक में चल रहा ये नाटक देखकर ठकुराइन और बहुत होने लगे । किस्मत से नाटक देखने के लिए वहाँ कोई नौकर मौजूद नहीं था । वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ अकोला और सुबह सर हवेली की सेवा में रह गए थे । बाकी नौकर बेहतर अवसरों की तलाश में हवेली छोड कर चले गए थे । हवेली में चल रहे नाटक से अनजान गोला और मई तो लेके अपने घर में गोदना का रास्ता देख रहे थे । जब बोलना हवेली से बाहर जाने के लिए बडा फॅमिली एक मिनट रुको हमें तुमसे बात करनी है । चालीस वर्षीय बबुआ ने मामला अपने हाथ में ले लिया । अब दोनों का गाडी में जाकर राम साहब का इन्तजार करिए । उसने दोनों पुलिस वालों से कहा और फिर गोधरा की और देखा बोलना समझ गया । उसने भी उनसे गाडी में जाकर इंतजार करने को कहा । बबुआ आधुनिक समय का अवसरवादी था । उस समय चुका था कि सामंतवाद समाज में अपना स्थान खो चुका है और सिर्फ गर्व की खातिर पुरानी लीग पर चलते रहने का कोई मतलब नहीं है । हालांकि ये वादा करते हुए उसके मन में ईमानदारी बिल्कुल नहीं थी । अगर तुम आने वाले चुनाव में हमारे लिए टिकट की व्यवस्था कर दो तो हम इस बारे में सोचेंगे । हुआ ठाकुरसाब ठीक है । ऐसा होने से पहले हम खुद को गोली मार देंगे । बाबू उन उनके बाद पर ध्यान नहीं दिया । हम जानते हैं मुख्यमंत्री जी तुम्हारी बात कभी नहीं डालेंगे । पापा की चिंता मत करो, हम उनको संभाल लेंगे । गोवा वो विश्वास नहीं हुआ । उसके समस्या का हल इतना आसान हो सकता था । फॉर्म मान गया । उसने सबका अभिवादन किया, बबुनी की और देखा और वहाँ से निकल पडा । उसके जाने के बाद बबुआ ठाकुर साहब के कानून ने कहा चिंता करिये बाबा । एक बार हम चुनाव जीत जाएॅंगे और उसकी मौत कैसे हुई? हमारी बहन के बारे में सोचने की एक दिन पार खोदना लखनऊ में मुख्यमंत्री से मिला । उसके साथ खूब सिंह यादव भी था । उप सिंह ने गोधरा की ओर से बात शुरू की । हम साहब राज्य के लिए इतना कुछ कर रहे हैं । इससे परोक्षरूप हमारी पार्टी को भी फायदा हो रहा है और जिले में उन्होंने हमसे किसी अनुग्रह की मांग नहीं की है । जी छोटों से निवेदन करना चाहते हैं जिसके लिए आपके आशीर्वाद की जरूरत है । ऍम के लिए कुछ करने में खुशी होगी । मुख्यमंत्री ने आगे झुकते हुए कहा ठाकुर चंद्रदेव सिंह सलेमपुर तहसील में हमारी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता है । उनके पिता सूरज देवसिंह सुहागपुर गांव के प्रमुख हैं । राम साहब भी उसी गांव से हैं । उनके इस परिवार से करीबी संबंध है । ठाकुर साहब इनको अपने बेटे की तरह मानते हैं और ठाकुर साहब आगामी चुनाव में टिकट चलते हैं । मुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक सचिव को बुलाया उससे जान करेगी । अपने हाथ में पकडे कागजों को देखने के बाद सचिव ने बताया जी सर हमने सलेमपुर से गेंदलाल फांसी का नाम तय किया है । यहाँ मुख्यमंत्री वो याद आ गया । वहाँ से गेंदलाल को खडा कर रहे हैं । जिसने सुहागपुर में स्कूल का भूमि पूजन किया था वो अनुसूचित जाति है । मैं जानता हूँ गेंदलाल को खडा कर रहे हैं लेकिन आप ने अभी आधिकारिक रूप से उसके नाम की घोषणा नहीं की है । उसे पास के किसी और निर्वाचन क्षेत्र से खडा किया जा सकता है । लेकिन सलीमपुर आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है वहाँ से सिर्फ अनुसूचित जाति का उम्मीदवार खडा कर सकते हैं । सचिव बीच में बोला कि चंद्रदेव सिंह किस प्रकार का राजनीतिक है । उसे ये भी नहीं मालूम हूँ कि सलेमपुर आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में परिवर्तित हो गया है । मुख्यमंत्री ने खूब सिंह को देखते हुए कहा चुप रहा इस बात की जानकारी गोधरा को भी नहीं थी । मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव रखा राम साहब अगर आप चाहे तो हम सलीमपुर का टिकट आपको दे सकते हैं । वो जानते थे कि गोधरा अनुसूचित जाति से था । खुद मैंने मना कर दिया । मीटिंग बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई । लेकिन मुख्यमंत्री ने गोदने को आश्वासन दिया कि वह कोई उपाय निकालेंगे । देरशाम गोदना मुंबई रवाना हो गया । पंद्रह दिन बाद खूबसिंह ने वो उतना को फोन करके बताया कि मुख्यमंत्री ने उपाय ढूंढ लिया है । इस खबर से गुजरा । उत्साहित हो गया भूपसिंह अगली शाम उसे विक्रमादित्यमार्ग स्थित पार्टी ऑफिस में मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग के लिए बडा मुख्यमंत्री जी रात दस बजे तक नहीं आएगा । खूबसिंह ने उनसे फोन पर संपर्क किया क्योंकि मुख्यमंत्री एक राजनीतिक सभा में व्यस्त हैं । इसलिए उन्होंने पार्टी के प्रमुख नेता रघुनाथ प्रसाद को समाज कल्याण मंत्री भी थे । उनसे मिलने के लिए भेजा । रघुनाथ प्रसाद ने उन्हें सूचित किया की पार्टी ने चंद्रदेव सिंह को वाराणसी के बंदा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देने का निर्णय लिया था । घूमना निराश हो गया । वो जानता था कि बबुआ देवरिया से बाहर जाने के लिए तैयार नहीं होगा । उस ने इस प्रस्ताव का विरोध किया । हमको मुख्यमंत्री जी से बात करने दीजिए । उन्होंने कोई अनुकूल रास्ता निकालने का आश्वासन दिया था । ऍम मैं उन्हीं के शब्द दोहरा रहा हूँ । यही सबसे अच्छा उपाय है कि हम एक बार मुख्यमंत्री जी से बात कर सकते हैं । वो उन्होंने जोर देकर कहा, खूब सिंह और रघुनाथ प्रसाद ने एक दूसरे को देखा । फिर रघुनाथ प्रसाद ने मुख्यमंत्री का मोबाइल नंबर मिला है और कमरे से बाहर चले गए । कुछ ही देर में वो अंदर आए, उन चालू था । उन्होंने उसे स्पीकर पर डाल दिया । मुख्यमंत्री ने गोदना से कहा, राम साहब बंदा आप के उम्मीदवार के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्वाचन क्षेत्र है । क्षेत्र के अधिकांश जनसंख्या ठाकुरों की है । अडतीस प्रतिशत उन्नीस प्रतिशत वोट पिछडी जाति के हैं और बीस प्रतिशत अनुसूचित चाहेंगे । इन तीनों का हमारे पक्ष में ध्रुवीकरण किया जा सकता है । बाकी बातें आपको रघुनाथजी समझा देंगे । बबुआ ने चुनाव का टिकट दिलवाने की शर्त रखी थी, चुनाव जिताने की नहीं । इसलिए गोदना मान गया । वो नहीं जानता था कि बबुआ के लिए सीट जीतना उसका व्यक्तिगत मिशन बन जाएगा । रघुनाथजी बंदा का वर्तमान विधायक कौन है और हमारा प्रमुख प्रतिद्वंदी कौन हो सकता है? दोनों एक ही हैं । रघुनाथ जवाब दिया बंदा की सीट राज्य में हमारे प्रमुख विरोधीदल के पास है । उनके लिए सी पार्टी नहीं बल्कि उनका उम्मीदवार जीता है । वो अन्यथा दलित बहुमत पार्टी के कुछ ऊंची जाति के नेताओं में से एक है । विजय बहादुरसिंह पिछले दो चुनाव जीत चुका है । पहला निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में और दूसरा विरोधी पार्टी के टिकट बार । वो उतना ही नाम पहले सुन चुका था । याद करने की कोशिश करने लगा । लडाई व्यक्तिगत होने वाली थी । क्या ये कानपुर गांव से है? सिविल इंजीनियर है? ऑफ हाँ, लगता है आप पहले से ही तैयारी कर चुके हैं । उसके पहले उसके पिता जंगबहादुर सिंह ने दो बार वो सीट जीती थी । फिर उनके सपनों को पंख लग गई । उनकी नजर केंद्र पडती है । जब किसी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्नीस सौ अठारह के आम चुनावों में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडा और हार गए । उससे पहले उन्होंने अपने बेटे के लिए बंदा की विधानसभा सीट छोड दी थी जिसे उसने उन्नीस सौ सत्य में आराम से जीत लिया । जंगबहादुर ना उसके बाद कोई चुनाव नहीं लडा । चंद्रदेव सिंह की उम्मीदवारी की अधिकृत घोषणा दिसंबर में की जाएगी । जब हमारे उम्मीदवारों की पहली सूची निकलेगी । बाकि बातें आपको खूबसिंह समझा देंगे । उसके साथ ही मीटिंग समाप्त हो गई । कमरे के बाहर आकर खूब सिंह ने गोदना को सुझाव दिया कि वह चंद्रदेव से पार्टी के फण्ड में एक करोड रुपये दान करने के लिए कहे । बोलना ने उसे आश्वासन दे दिया क्योंकि वो जानता था वो रकम चंद्रदेव को नहीं बल्कि उसे देनी थी । बाद में गोदना को पता चला कि किसी भी पार्टी ने अपने सबसे मजबूत उम्मीदवार को भी बंदा से खडा करने की हिम्मत नहीं । उस निर्वाचन क्षेत्र पर विजयबहादुर का वर्चस्व था । पिछले चुनाव में सभी विरोधी उम्मीदवारों की जमानत हो गई थी । गोदना ने बहुओं के लिए वह सीट जीतना अपना व्यक्तिगत लक्ष्य बना दिया । इसलिए नहीं कि वो उसकी बहन से प्यार करता था, बल्कि इसलिए कि पुराना सख्त फिर सहित हरा हो गया था । गोदना एक शैतानी दृष्टिकोण और दोहरे मापदंड वाले आदमी को सत्ता में आगे नहीं बढने दे सकता था । योजना को पक्का यकीन था कि सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए उसने दलितों के साथ गठबंधन कर लिया होगा । जनवरी दो हजार सात में गोदना उस अखबार के साथ फैमिली गया, जिसमें पार्टी द्वारा बंदा से चंद्रदेव की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए प्रेस विज्ञप्ति इच्छा भी नहीं । उसके साथ इस बार उसके पुलिस सुरक्षा नहीं थी । नाला के बहुओं को पहले ही सूचना मिल चुकी थी । पिछले वह बहाने के लिए तैयार था । उनको तुम्हारे मुख्यमंत्री को लगता है कि हम लोग दूर है । हमने अपने इलाके का टिकट मांगा था । चार जला दूर का नहीं और वो भी ऐसे ताकत और उम्मीदवार के खिलाफ । इसका परिवार पिछले बीस साल से उस निर्वाचन क्षेत्र पर राज कर रहा है तो हुआ सलीमपुर आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है । तुमको यहाँ से क्रिकेट कैसे मिल सकता है । बहुत दिनों से समझाने का प्रयास किया । देवरिया जिले में पांच निर्वाचन क्षेत्र हैं । हम भाटपुर रानी से चुनाव लड सकते हैं लेकिन बंदा में हमारा कोई आधार नहीं है । हम अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएंगे तो हमारा राजनीतिक जीवन खत्म करना चाहते हो हुआ मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि हम लोग जीत जाएंगे । चुनाव में पिछडी और अनुसूचित जातियों के वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और वह हमारे पक्ष में है । तुम अपने विरोधी के ठाकुर वोट कट हो गए । वोटिंग से एक दिन पहले मुझे बहादुर गरीबों में पैसे और शराब बांटता है । वो बहुत संपन्न है । पानी की तरह पैसा बहाता है । वो कुछ भी करके चुनाव जीत जाएगा । जब हमने तुम्हारे सामने शर्त रखी थी तो वह सिर्फ उम्मीदवारी के लिए नहीं थी बल्कि विधायक की सीट के लिए थे । ठाकुर साहब की वार्तालाप सुन रहे थे । उन्हें विश्वास था की बब्बू अपनी बहन की शादी गोधना से करने के लिए कभी राजी नहीं होगा । लेकिन वो जिस तरह गोधरा से सौदेबाजी कर रहा था वो ठाकुर साहब को अच्छा नहीं लगा क्योंकि सौदे के एक छोर पर उनकी बेटी थी । उन्होंने वार्तालाप में दखल दिया हुआ तुमको बंदा से टिकट चाहिए कि नहीं । पापा हम अपनी शर्तों में संशोधन कर रहे हैं । हम बुड्ढा से चुनाव लडेंगे लेकिन इसके प्रस्ताव पर तभी विचार करेंगे जब हम चुनाव जीत जाएंगे । उसने दोनों में से किसी की और देखे बिना प्रत्युत्तर दिया । बबुआ को लग रहा था कि उसने तो दोहरी मार वाला दांव फेंका है । वो जीत जाता है तो वह विधायक या मंत्री बन जाएगा और इतना ताकतवर हो जाएगा कि गोदना को गांव से बाहर फिकवा देगा । वो आपके मन में किसी कोने में घोषणा के प्रति विश्वास था । उसे समझ आ गया था कि गोधरा उसे चुनाव जिताने में अपना पूरा जोर लगा देगा । बाद में खूब सिंह ने इस बात की पुष्टि कर दी की विजय बहादुर चुनाव से एक दिन पहले पैसे और शराब बढता है । योजना में राजनीतिक कौशल का अभाव था इसलिए उसने खूबसिंह से उसका मुकाबला करने का उपाय पूछा । खुद सिंह ने आश्वासन दिया कि वो उसे विजय बहादुर को हराने का कोई उपाय बताएगा । गोधरा ने उससे कहा कि वह चुनाव जीतने के लिए कोई भी हथकंडे अपना सकता है । चाहे उसके लिए कुछ गंदा खेल खेलना पडे और चाहे कितने भी पैसे खर्च करने पडेंगे । चुनाव से दो महीना पहले खूबसिंह ने गोधरा को फोन करके बताया कि उसने एक उपाय खोज लिया है और उन्हें उसके बारे में बात करने की आवश्यकता है । वो ना पहली फ्लाइट चाहिए लखनऊ रवाना हो गया खूब सिंह ने उसे बताया कि उन लोगों के एक मध्यस्थ के माध्यम से मुझे बहादुर को संपर्क किया था । हालांकि दोनों विरोधी दलों से थे लेकिन वो मध्यस्थ एक समय उसका अच्छा दोस्त था और इतने सालों से उन लगातार संपर्क में थे । उसने बताया कि विजय बहादुर चंद्रदेव के पक्ष में बंदा की सीट कमाने के लिए तैयार है लेकिन उसकी कीमत मांगी है और वो कीमत क्या है? गोधरा अधीर हो रहा था । बताता हूँ पहले मुझे रणनीति समझाने दीजिए । मुझे बहादुर अपनी पार्टी का भरोसा नहीं हो सकता हूँ । इसलिए वह चुनाव आयोग द्वारा घोषित अवधि के अंतिम दिन अपना नामांकन दाखिल करेगा वो नामांकन फॉर्म टू बी में जान बूझकर कोई गलती कर देगा या कोई गलत जानकारी देगा और ये उल्लंघन जांच के दौरान उसके नामांकन को अस्वीकृत करने के लिए पर्याप्त होगा । जब हम उसे पैसे देंगे तब वो हमें उसके बारे में सूचित कर रहेगा ताकि नामांकन के समय उसकी बात को सत्यापित करने के लिए हम अपना आदमी तैनात कर सके । चुनाव आयोग नामांकन भरने और उसकी जांच करने के लिए एक निश्चित विंडो पीरियड निर्धारित करता है । विजयबहादुर और चंद्रदेव के अलावा मैदान में दो एक निर्दलीय उम्मीदवार भी हो सकते हैं जिनसे कुछ फर्क नहीं पडेगा । मुझे बहादुरके दौड से बाहर हो जाने के बाद भगवान भी आपको उम्मीदवार को जीतने से नहीं रोक सकता । हालांकि कार्ययोजना गोदना कोई ठोस लग रही थी फिर उसके मन में कुछ समझे । आपने संदेह बताने से पहले वो विजय बहादुर की कीमत जानना चाहता था, अपना बताया नहीं । उसने क्या कीमत मांगी है? दस करोड एडवांस में नामांकन से एक दिन पहले ये बहुत बडी राशि की लेकिन उससे आगे बढना था इसलिए उसने प्रसंद सामने रखा । वो सिर्फ पैसों के लिए किसी करवा देगा । दूसरी बात अगर वो पैसा लेने के बाद हमें धोखा दे दी और वैध नामांकन दाखिल कर दे तो दस करोड किसी का भी ईमान हिलाने के लिए काफी होते हैं । देखिए, अगर उसकी पार्टी जीत जाती है तो उसे मंत्रीपद नहीं जाता है । वो भी किसी फायदे वाले मंत्रालय में । शायद वो अगले पांच सालों में इतने पैसे कमा सकता है । हालांकि उस की पार्टी के सत्ता में आने की उम्मीद बहुत कम है और वही बात जानता है । दूसरी बात हमारे सूत्रों ने जानकारी दी है कि दो साल बाद वो आम चुनावों में खडे होने का मन बना रहा है तो राज्य विधानसभा से तंग आ चुका है । क्योंकि राज्य में अगर आप विधायक हैं लेकिन सत्ता में नहीं है तो आप गरीब ही रह जाते हैं । लेकिन संसद सदस्य के रूप में उसे कहीं अधिकता का सम्मान, सुविधाएँ और धन मिलेगा । हम मुंबई में पैसों की व्यवस्था कर सकते हैं । यहाँ नहीं कोई समस्या नहीं है । गोधरा ने दयाशंकर को विजयबहादुर पर नजर रखने के लिए कहा । नामांकन दिवस के दोपहर दयाशंकर ने से संदेश भेजा की विजय बहादुर ने एक वैध नामांकन भरा है । इसे निर्वाचन अधिकारी स्वीकृत नहीं कर सकते हैं । उसका मतलब था कुछ लोगों को धोखा दिया । गोधरा । तमिलनाडु सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए एक मीटिंग में चेन्नई आया था । जैसे ही औपचारिकताएं पूरी हुई उसने पीडब्ल्यूडी मंत्री के ऑफिस से बाहर निकलकर खूबसिंह को फोन किया । उसका मतलब आपको खबर मिल गई मैं शाम तथा वो कमीना हमें लगा देगा । खूबसिंह ने बिना किसी औपचारिकता के स्वीकार कर लिया । आप चिंता ना करें । अब प्लान भी लागू होगा । वो क्या है? निराश और उदास कोना ने उत्सुकता से पूछा हमें उसके बारे में फोन पर बात नहीं करनी चाहिए । आप हमारे ऊपर भरोसा रखिए । हम से बैठे और शाम को कोई भी न्यूज चैनल देख लीजिएगा । आपसे ज्यादा मेरा दुश्मन है । आज उसकी राजनीतिक मौत हो जाएगी । पंद्रह साल पहले मेरा दूर का भाई उसके पिता के खिलाफ बंदा से खडा था और चुनाव पूर्व लहर उसके साथ थी । हम लोग यहाँ तक उसकी तलाश कर रहे हैं । जिंदा या मुर्दा शाम को बोलना होटल ली मेरिडियन के अपने कमरे में बेसब्री से इंतजार कर रहा था । टीवी पर एक हिंदी न्यूज चैनल चल रहा था । नौ बजे के समाचार की सुर्खियां जो उसमें जीवन वापस ले आए थे । नकली मुद्रा रखने के आरोप में विजय बहादुर की गिरफ्तारी वस्त्र समाचार थे । उत्तर प्रदेश पुलिस ने बंदा के वर्तमान विधायक मुझे बहादुरके नंदपुर सिस्टर फॉर्म हाउस से तीस करोड रुपये मूल्य के नकली नोट बरामद किए हैं । पुलिस ने मुझे बहादुर को गिरफ्तार कर लिया है । अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिन छूट के सुम्मी नकली नोट रखे थे उनमें नोटों के नीचे पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र डाउन की प्रतियां बची हुई थी । आरोप है कि विजयबहादुर के आतंकवादियों से और शायद आईएसआई से भी संपर्क हैं क्योंकि इससे पहले भी आतंकवादी मॉड्यूल तस्करी द्वारा देश में नकली मुद्राएं ला चुके हैं । नकली मुद्राओं का उपयोग तथा कथित रूप से राज्य के चुनावों में होने वाला था । सूत्रों का कहना है कि विजयबहादुर जब्त की हुई नकली मुद्राओं का वोटरों के बीच वितरण करने वाले थे । पिछले विजयबहादुर न सिर्फ गद्दार है बल्कि बंदा की जनता के अपराधी भी हैं जिन्होंने पिछले कई सालों से उनके और उनके परिवार के प्रति विश्वास दिखाया है । विपक्ष के नेता ने उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है । विजय बहादुर के परिवार के सदस्यों और निकट सहयोगियों का दावा है कि ये सत्तारूढ दल की साजिश है । प्रथम दृष्टया उनके दावे सर चेहरा बचाने का प्रयास कर रहे हैं । पुलिस आगे की जांच कर रही है । गोधरा ने टीवी की आवाज बंद कर दी और बुलाया थी राजनीति लेकिन फिर उसे याद आया कि प्यार और जंग में सब जायज है और उसका दांव तो दोनों में था । तीन दिन बाद चुनाव आयोग ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया । उसने विजय बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया ।

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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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