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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी - Part 24 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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चौबीस राज्य सरकार ने छब्बीस जून के आयोजन को सुर्खियों में लाने के लिए व्यापक मीडिया प्रचार किया । पूरे जिले में मुख्यमंत्री के आदमकद चित्र के साथ रंगीन बैनर लग गए जिनमें लिखा था माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा एक पच्चीस बिस्तरों वाला अस्पताल, एक डिग्री कॉलेज और एक आईटीआई का शिलान्यास समारोह । राज्य के प्रत्येक दलित और पिछडे वर्ग के परिवार को निशुल्क शिक्षा और निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध ऍम लिमिटेड के सहयोग से राज्य सरकार द्वारा एक नूतन निजी सार्वजनिक भागीदारी यानी पीपीपी की पहल । क्योंकि बबुआ सत्तारूढ दल का सदस्य था इसलिए उसने सात बैनर इकट्ठा करके पूरे गांव में और अपनी दुकान में लगा दिए । जैसे कि बैंड्रा में लिखे दावों के लिए खुद जिम्मेदार हो, उसे दो बहने टोले में भी लगाए । सुहागपुर में कोई भी बैनर में लिखी बातों का मतलब नहीं समझा । वो जानकारी की उम्मीद में ठाकुर साहब और बबुआ की और देख रहे थे लेकिन वो दोनों भी अज्ञानी ही थे । बबुआ ने गांव वालों से समारोह में बडी संख्या में उपस्थित होने और से सफल बनाने का आग्रह किया । इससे पहले भी कब हुआ और उसके पिताजी ने चुनावी टिकट के लालच में समकालीन राजनीतिक दलों के हर बुलावे का तहेदिल से जवाब दिया था । बुजुर्गों और युवाओं सब का कहना था की उन्होंने इससे पहले कभी सलेमपुर में किसी अवलंबी मुख्यमंत्री की जनसभा नहीं देखी थी । राज्य सरकारों ने हमेशा इस क्षेत्र की उपेक्षा की थी । सलेमपुर तहसील के दो सौ चौवालीस गांवों के प्रमुखों को जून की आमसभा में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया । बडा बाजार के खेल के मैदान को आम सभा के लिए शानदार तरीके से सजाया गया । जनता की तीन अग्रिम पंक्तियां गांव प्रमुखों के लिए आरक्षित थी । गोधरा ने हसमुखभाई से समारोह में चलने का आग्रह किया लेकिन वो नहीं माने । नारायण को न तो गोधरा ने खुद कहा नहीं हसमुखभाई ने उसे हेरोइन को बुलाने का सुझाव दिया । स्वामी जी ऐसे राजनीतिक समारोह से दूर रहना पसंद करते थे । पिछले गोदा अकेला ही अपने ट्रस्ट और अपनी कंपनी दोनों का प्रतिनिधित्व कर रहा था । बारह सीटों वाला हेलीकॉप्टर राज्य के मुख्यमंत्री, उनके निजी सचिव, दो मंत्रियों, राज्य के मुख्य सचिव, दो अन्य सचिवों, गोधना और उसके कार्मिक सचिव को लेकर लालबाजार रोड के नवनिर्मित हेलीपैड पर उतरा । जब लाल और पीली बत्तियों वाला वाहनों का काफिला उद्घाटन के लिए अस्पताल की और बढ रहा था तो बोलना की नजरें उस भीड में बबुनी को ढूंढ रही थी जो हेलीकॉप्टर देखने के लिए इकट्ठा हो गई थी । गोदना बनी फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में बने हुए थे । अब बबुनी के पास भी सेल फोन आ गया था । हालांकि गांव के आधे से ज्यादा घरों में अभी भी शौचालय नहीं थे । न ही आस पास कोई अच्छा दवा खाना । ये स्कूल था लेकिन दो हजार पांच के अंत तक गांव में मोबाइल नेटवर्क जरूर आ गया था । गोदनामे भगिनी से अनुरोध किया था कि वो अपने पापा और भाई के साथ सभा में जरूर आये । बबुनी ने उन्हें सभा में आने के लिए राजी कर लिया था । वो आगे की पंक्ति में सीट सुनिश्चित करने के लिए सुबह आठ बजे ही आयोजन स्थल पर पहुंच गए थे । सभा ग्यारह बजे शुरू होने वाली थी । गोधरा मंच पर मुख्यमंत्री के बगल में बैठा था । बहुत ही ने उसे पहचान लिया । वो उसे देख कर हाथ हिलाना चाहती थी । जब गोदना माला स्वीकार करने के लिए खडा हुआ तो भगवान ने भी उसे पहचान लिया । पार्टी के पैंतालीस स्थानीय पदाधिकारियों ने मंच पर बैठे गणमान्य अतिथियों का मालाएं पहनाकर स्वागत किया । भोजना को मंच पर देखना बबुआ के लिए दुनिया के आठवें आश्चर्य के समान था । उसे विश्वास नहीं हुआ तो उसने फुसफुसाकर ठाकुर साहब से पूछा, मुख्यमंत्री जी के बगल में गोदना ही है ना? बबुनी सुनकर मुस्कराने लगे । ठाकुर साहब की दूर की नजर कमजोर हो चुकी थी । हालांकि वो इस बात से अंजाम थे क्योंकि वह कभी आंखों के डॉक्टर के पास नहीं गए थे । इसलिए आंखों पर बहुत जो डालने के बाद भी वह गोदना को नहीं पहचान पाए । मंच पहली पंक्ति से कुछ दूर था । ज्यादा जोर देने पर उनकी दृष्टि धूमिल आ गई । उनकी आंखों में पानी आ गया । बबुआ ने बबुनी से पूछा, वो जानते हुए भी अनजान बनी रही कहाँ? गोदना हमें नहीं देख रहा है । वो वहाँ है । मुख्यमंत्री के बगल में ध्यान से देखो । अरे हाँ, घोषणा ही है । वो बोली तो दोनों बेचेन होते थे । मुख्यमंत्री के भाषण चुनने पता चला कि गोधरा किसी बडी कंपनी का डायरेक्टर था और उसकी कंपनी जिले की हर तहसील में अस्पताल और कॉलेज के साथ साथ हर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल भी बनवाने वाली थी । योजना को लागू करने के लिए सरकार ने सबसे पहले उनकी तहसील को चुना । बबुआ ठाकुर साहब खुले मुझसे भाषण सुन रहे थे । मुख्यमंत्री ने भीड से श्री जी राम के लिए तालियाँ बजाने को कहा तो ठाकुर साहब और बबुआ के अहम ने उन्हें तालियाँ बजाने से रोक दिया । बबुनी ताली बजाने लगे लेकिन जब उसके दोनों को अपनी और घूमते पाया तो वह रुक गई । उस समय ठाकुर साहब को पछतावा हो रहा था की उन्होंने पंद्रह साल पहले साजिश करके गोदना को कलेक्टर बनने से रोक दिया था । उन्हें एहसास हो रहा था कि कलेक्टर चाहे जितना भी बडा हो कभी मुख्यमंत्री के साथ मंच पर नहीं बैठ सकता हूँ । गोधरा ने भी मंच से भाषण दिया तो बोल रहा था तो बबुरी के अंदर भावनाओं का जो हर उमड रहा था उसका बंद कर रहा था कि मंच पर जाये अपने प्रियतम से लिपटे और सबको अपने रिश्ते के बारे में बता दें । उनतालीस वर्षीय गोधरा भी वैसा ही महसूस कर रहा था । वो खुद को रोक नहीं पा रहा था और आपने दस मिनट के भाषण के दौरान उसने पांच बार बबुनी की और देखा । गोदना ने अपने भाषण में उस बात को भी शामिल किया तो मुख्यमंत्री अनजाने में बताना भूल गए थे । जिन घरों में शौचालय नहीं है उन सब में शौचालय का निर्माण समारोह के बाद गोधना आपने मई बाबा से मिलने सुहागपुर रवाना हो गया । क्योंकि इस मौके पर वह राज्य का मेहमान था इसलिए वो लाल बत्ती की गाडी में जा रहा था । उसके साथ एक और गाडी चल रही थी । जब टोले में अपने घर पहुंचा तो उसने दरवाजे पर ताला देखा । पहले उनके घर में ताले की सुविधा नहीं थी । जब से उसने मई को सोने के गहने दिए थे उसने घर के दरवाजे पर कुंडी लगवाकर ताला लगाना शुरू कर दिया था । वो घर के पिछवाडे शौचालय की जांच करने गया । उसने बाबा से कहा था कि वह अगली बार आए उससे पहले शौचालय बनवा ले । बाबा और मई सलेमपुर से लौटे नहीं थे । उस जनसभा में शामिल होने गए थे । गोधना का सुहाग पुराना निश्चित नहीं था इसलिए वो उन्हें पहले से सूचित नहीं कर पाया था । बाकी सारी बातें जो उसने उन्हें फोन पर समझाने की कोशिश की थी वो उनकी समस्याएं पडेगी । गोदना बाहर खाट पर बैठकर उनका इंतजार करने लगा । कुछ ही देर में सभा से लौटे गांव वाले उसके घर में जमा होने लगे । उसके आने की खबर पूरे गांव में और हवेली में भी फैल गई । वैसे भी लालबत्ती की गाडियाँ हमेशा ही गांव वालों को आकर्षित करती थी । कुछ लोगों ने कुछ घंटे पहले उसे मन से बोलते हुए भी सुना था । इस बीच उसके पडोसी सुबह सरकाकर की बहु ने अपने दस साल के बेटे के साथ उसके लिए गुड और पानी भेज दिया । हवेली में बेचे ठाकुर साहब भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि वह गोधरा को हवेली आकर उनसे मिलने की बुद्धि दे दें । हालांकि बबुनी ने इंतजार नहीं किया । वो उससे मिलने तो ले भी चली गई । जब उसके मई बाबा आ गए तो बहुत ही वहाँ से लौटाई । उन्हें सलीमपुर से आने वाले यात्री जीत के लिए बस स्टैंड पर एक घंटा रुकना पडा था । माईने वहाँ जमा सब लोगों से निवेदन किया कि वो उन्हें अकेला छोड दें । गोदना ने अपने साथ आए अनुरक्षकों से गाडी में रखे मेरे मंगवा लिए । तीनों मई बाबा और बेटा घर के भीतर चले गए । शाम को गोदना देवरिया के सर्किट हाउस में चला गया । वो मई बाबा के साथ रुक सकता था, लेकिन वहाँ ड्राइवरों और दोनों अनुरक्षकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी । अगली सुबह उसे लखनऊ जाना था । उनको बोला जाने की इजाजत कृष्णा दी ठाकुर साहब बहुत ही पर चला रहे थे तो हवेली के भीतर आंगन के बीचों बीच खडी थी । बबुआ उसके मांग और दादी आंदन के किनारे खडे थे । उसको धन्यवाद कहने गए थे । वो हमारे इलाके के लिए इतना सब कर रहा है । तब उन्होंने हिम्मत करके कहा हम लोग ने गलती की जो तुमको सभा में ले गए और तो को घर के अंदर रहना चाहिए । उनके पास कायदे से सोचने की बुद्धि नहीं होती । समझ में नहीं आता कि टोले में छोटी जाति वालों के बीच जाकर तुमने हम सब की कितनी बदनामी करवाई है । बबुआ भी मैदान में कूद पडा । एक दल आप सबसे दस फीट ऊपर उस बडे से मंच पर मुख्यमंत्री के साथ चाय में बैठा था और आप सब ठाकुर रोग नीचे धूप में बैठे थे । इस बात से आप लोगों की बदनामी नहीं हुई क्या? बात नहीं । आप लोग की मर्दानगी को चुनौती नहीं दी । ये पागल हो गई है । फॅस को समझ में नहीं आता कि एक दलित कभी ठाकुरों की बराबरी नहीं कर सकता । उसे हमेशा हमारी छाया के नीचे रहने पडता है । ये सब आप लोगों के मन की पुरानी सोच है । समय बदल चुका है । जिस दलित की आप लोग बात कर रहे हैं उसकी औकात एक हजार करोड की है । वो चाहे तो बारह गांव के ठाकुरों की सारी जमीन खरीद सकता है । फिर भी उसने घमंड नहीं है । वो बाॅडी वो हमारे इलाके के लोगों की भलाई के लिए अपने पैसे खर्च कर रहा है । अपने काम दूसरों के बारे में सोचा है । विकास में अपनी जाती या जन्म सहित बडा या छोटा नहीं बनता, अपने काम से बनता है । और आज आज हमें गोदना के काम और उसकी उपलब्धियों पर गर्व है । हमें और गर्म होता है क्योंकि वह हमारे गांव का है और हमारे बचपन का दोस्त है हूँ । अपनी बात खत्म करते करते उसका चेहरा वेदना से हो गया । उसके शब्द सीधे उसके दिल से निकले थे । वो उसी समय सबको बता देना चाहती थी कि वह गोधरा से प्यार करती है । लेकिन कोडनानी से वादा किया था कि वह शिलान्यास हो जाने के बाद तीन महीने के भीतर ठाकुर साहब से उनकी शादी की बात करेगा । अब सब तीन महीने की बात थी । उसकी आवेशपूर्ण बात के जवाब में बहुत मैंने वही किया जो औरतों की बात का जवाब न दे पाने पर मर्द अक्सर करते हैं । उसमें बबुनी को थप्पड मार लिया । बबुनी के जन्म के बाद से पहली बार किसी ने उस पर हाथ उठाया था । ठाकुर साहब ठकुराइन भबुआ पर चिल्लाने लगे । बहुत ही दौड कर अपने कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । सब लोग बाहर से दरवाजा पीटने लगे । उसने दरवाजा खोला और बोलिंग चिंता मत करिए । हम अपनी जान नहीं देंगे । हम आप लोगों की तरह कायर नहीं हैं । हम एक अच्छे जीवन के इंतजार में जिंदा रहेंगे । बस तीन महीने की बात है और उसने बडा दरवाजा बंद कर लिया । ठाकुर साहब और बबुआ ने ये दूसरे को उलझन भरी नजरों से देखा । ऍम को कोई टेंशन नहीं थी । माँ ने अपनी बेटी के दिल की बात समझ ली थी । उसकी आंखें आंसुओं से भर गई हूँ । सब कुछ छुपा लेते हैं ।

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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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