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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी - Part 17 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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सत्रह है । विभिन्न सरकारी कार्यालयों द्वारा यदा कदा उठाई छोटी मोटी मांगों का खयाल सुखबीरसिंह रखता था । पहली बार किसी सरकारी अधिकारी ने प्रदान मालिक को मिलने बुलाया था । गोदना जिला कलेक्टर से उनके ऑफिस में मिला कैरेक्टर में उसका परिचय सत्तारूढ राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि से कराया । प्रतिनिधि ने विनम्रता से उसको पार्टी के परोपकार फण्ड में बीस लाख रुपए का योगदान करने के लिए कहा । जिला कलेक्टर की वहाँ मौजूदगी का मतलब था मांग के प्रति उनकी सहमती । राज्य में हाल ही में चुनाव संपन्न हुए थे । बीस लाख की राशि बहुत बडी थी । फोडना इतने बडे खर्च के लिए हर किस तैयार नहीं था । उसने एक दिन का वक्त मांगा और कलेक्टर के ऑफिस से बाहर निकला है । इस घटना नहीं । उसे आईएस में शामिल होने के अपने निर्णय पर पछतावा करने का एक और कारण दे दिया । इस बारे में सलाह लेने के लिए शाम को उसने हसमुखभाई को फोन किया । उसमें भाई ने उसे बताया कि व्यापार चलाने में ऐसे खर्च करने पडते हैं । उन्होंने उससे पैसे देने की सलाह दी और व्यापार चलाने की पेचीदगियों को समझने के लिए व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कहा । वित्त वर्ष का अंत होने वाला था । अब बहुत से भुगतान करने बाकी थे । उसे बाजार से ऊंची ब्याज दर पर पैसे उठाने पडेंगे । पैसे देकर वो हसमुखभाई से मिलने अहमदाबाद चला गया । अच्छा भाई ने उसे बताया कि ऐसी मांगों के लिए उसके पास अघोषित धन होना चाहिए । जैसे जैसे वो तरक्की करता जाएगा, ऐसी मांगों का परमाणु भी बढता जाएगा । उन्होंने कोना को कहा कि अघोषित धन आय को कम बताकर बताया जाता है । अकाउंट बुक्स में थोडी हेरा फेरी से न सिर्फ सरकार को दिये जाने वाले विभिन्न टैक्सों में कटौती होगी बल्कि अघोषित आय भी उत्पन्न होगी । उन्होंने गोधरा को सलाह दी वो एक अच्छा चार्टेड अकाउंटेंट नहीं करें और उसकी मोटी फीस देने में नहीं हिचकिचाएंगे । अब तक गोदना ने साफ सुथरा व्यापार किया था । उसी अकाउंट बॉक्स उसके बैंक के खाते और नगद राशि से मेल खाते थे । हालांकि व्यापार को सुचारु रूप से चलाते रहने के लिए सुमेरसिंह द्वारा यहाँ वहाँ किए गए छोटे मोटे अघोषित खर्चों का उसको कभी बुरा नहीं रखता था । हसमुखभाई एक अघोषित नकदी कोशिया काला धन जैसा गया । आम भाषा में कहा जाता है उत्पन्न करने के लिए उसे अकाउंट बुक्स, बैंक खाते और नगद राशि के त्रिकोण को असंतुलित करने के लिए कह रहे थे । हालांकि हसमुखभाई की दलील ने उसे आश्वस्त नहीं किया । उसने कर दिया तो सरकार टैक्स द्वारा एकत्रित राशि को देश के विकास में खर्च करती है । प्रदेश का मतलब है देश की जनता । इसलिए टैक्स की चोरी करने का मतलब है देश की जनता के साथ बडी बनी करना । हसमुखभाई उसे तीन साल पीछे ले गए । हम जानते हूँ तीन साल पहले मिगलानी ने तुम से छह लाख रुपए नगद क्यों मांगे थे? क्या तुम को पता था कि उसने छह लाख कमाई हो लेकिन उन पर इनकम टैक्स नहीं दिया । ऊपर से उसकी वो पैसे कहीं दर्ज नहीं किए हैं । मैं तो मैं तो पैसे इसलिए दे पाया था क्योंकि इतने साल में मेरे अकाउंट बुक्स नहीं और राशि उत्पन्न की थी । इन पैसों का कोई साथ नहीं होता । ये बस एक हाथ से दूसरे हाथ में जाते रहते हैं । तीन साल पहले पैसे तुम्हारे काम आए इसलिए तुमने उनके मूल पर ध्यान नहीं दिया । लेकिन अब तो में पैसे देने हैं इसलिए तुम परेशान हो रहे हो । मान लो, कल तुम्हारे सामने बडा और लाभदायक सौदा आता है और हासिल करने के लिए तो मैं छह करोड रुपये देने हैं । तो तुम क्या करोगे गी तो सौदे को हासिल करूँ या झानद हो गए ऍम देकर एक तरह से तुम लोगों के साथ दे बनी करोगे लेकिन ऊंचाई की सीढियाँ चढने के बाद रोजगार दान स्कूल अस्पताल के रूप में तुम्हें वो पैसे वापस कर सकते हो तब तक सिर्फ खेल के नियमों का पालन करूँ इस देश ने गोधरा को भगवन इसे शादी करने के अपने अंतिम लक्ष्य याद दिला दी । वो सोचने लगा कि पता नहीं ठाकुर साहब से भुनी का हाथ मांगने के योग्य बनने के लिए उसे सफलता की कितनी सीढियां और चढ नहीं पडेगी । हम ये प्रश्न मुद्दे से बाहर था फिर भी उसने पूछा बस मंगाई आपकी सबसे इस देश में सबसे ताकत और आदमी कौन है? सबसे ताकतवर से क्या मतलब है? हमारा मतलब है जिसके हाथ में हर चीज का नियंत्रण रहता हूँ नौकरशाही, नेता और सुविधा वो जमीदार जोडने से खुद को नहीं रोक पाया मेरे ख्याल से इसका जवाब होगा देश का प्रधानमंत्री वैसे तो कोई भी नेता जिसके हाथ में एक विभाग होता था, पर होता है मंत्री, संसद सदस्य यहाँ तक कि राज्य विधानसभाओं के विधायक भी पुराने समय के राजा महाराजाओं से कम नहीं होते । इस जवाब नहीं खोदना को हैरत में डाल दिया । उसे तो टाटा, बिरला, अंबानी जैसे लोगों के नाम सुनने की उम्मीद थी । इस के पदचिन्हों पर वो चल रहा था लेकिन वो खुद को नेता बनने के लिए तैयार नहीं कर रहा था । लेकिन हमने समाधान की किताब पडा है कि देश में सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है । हम ठीक कह रहे हो संविधान के पन्नों में राष्ट्रपति सर्वोच्च होता है, लेकिन वास्तविकता के पन्नों पर प्रधानमंत्री सबसे ताकतवर होता है । इस जवाब नहीं बोलना को निराश कर दिया । मोंटी पटेल से मिलने के पहले तक उसके सामने शक्ति केंद्रों के दो उदाहरण थे ठाकुर साहब और कलेक्टर । जब उसने लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मोंटी और अग्रवाल जैसे लोगों को कलेक्टर, कमिश्नर जैसे लोगों को आदेश देते देखा । शक्ति केंद्र की उसकी धारणा एक सफल व्यवसाय की ओर स्थानांतरित हो गई । उसके धारणा और मजबूत हो गई जब उसने नेताओं को इनका मनोरंजन करते देखा । शादी के उन तीन दिनों में उनको एक नई परिकल्पना दे दी गई थी । वहाँ सफाई उसकी दुविधा पहुँच गए । देखो राम पैसा ताकत हासिल करने का हजार हो सकता है । लेकिन वही पैसा लोगों का सम्मान पाने का एक माध्यम भी बन सकता है । हसमुखभाई की सोच उसको दूर से करीब करीब बाहर ले आई । वो ना एक बात समझ गया । अगर वो पहले ताकत हासिल कर लेता है और उसके बाद लोगों का सम्मान भी पा लेता है तो शासन कर सकता है । हसमुखभाई जिसके नियुक्ता थे अब उसके गुरु और मार्गदर्शक बनते जा रहे थे । लेकिन गोधरा ऊंचाई की सीमा को नहीं जानता था । यहां पहुंचने पर ठाकुर साहब से बबुनी का हाथ मांगने के लायक बन सकता था ।

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बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
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