Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी - Part 16 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी - Part 16 in Hindi

Share Kukufm
8 K Listens
AuthorSaransh Broadways
बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
Read More
Transcript
View transcript

सोलह बबुनी से मिलने की चाह लिए । नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से खोदना ने आदर्श नगर के लिए ऑटो लिया । जूनियर उसकी मदद कर सकता था । जुनैद सरकारी स्कूल में तीन साल उसका सहपाठी था । नई दिल्ली में गोदना के कुछ और संपर्क भी थे जो कारोबार के सिलसिले में बने थे लेकिन वो उनसे बबुनी से मिलने के लिए मदद नहीं मांग सकता था । आदर्श नगर पहले से बेहतर हो गया था । कच्चे टीचर भरे रास्ते जिनके किनारे कचरा पडा रहता था, अब बंद नालियों वाले सक्रिय लेकिन पक्के रास्तों में तब्दील हो गए हैं । कच्चे मकानों की जगह अब छोटे छोटे पक्के घर खडे हैं । हालांकि हर मकान का आकार और रूप अलग था । अगर कुछ नहीं बदला था तो वो था जूनियर म्युनिसिपेलिटी स्कूल । जब गोधरा स्कूल के सामने से गुजरा तो सोचने लगा कि पता नहीं उन्नीस सौ बयासी में उसके स्कूल छोडने के बाद सही उसमें पुताई भी हुई है या नहीं । एक छोटी सी किराने की दुकान पर पुष्टि करने के बाद गोधरा जुनैद के घर पहुंचा । कोई छोटा सा घर था जिसपर हाल ही में हरा पेंट हुआ था । जुनैद के घर के सामने की पतली सी गली में एक ऑटोरिक्शा और एक टैक्सी पुरानी फियेट कार खडी थी जिसकी वजह से और किसी वाहन के अंदर जाने की गुंजाइश ही नहीं बची थी । आमना सामना होने पर दोनों ने ही एक दूसरे को नहीं पहचाना । जूनियर अपनी विशिष्ट गाडी के कारण पहचान में नहीं आ रहा था । एक दूसरे को नाम बताने के बाद दोनों गले मिले । जुनेद से घर के भी कर रह गया । मकान में दो कमरे, एक किचन और एक बात हुआ था । जुनैद का छोटा भाई था और एक छोटी पहन । उसके पिता तीन साल पहले गुजर गए थे । उसकी बूढी मां अपने बेटे के बचपन के दोस्त को देख कर बहुत खुश हुए हैं । चुनाव की शादी हो गई थी और उसके दो बच्चे भी थे । बच्चों ने बाहर आकर गोधरा का अभिवादन किया तो खाकी सफेद यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल जाने के लिए तैयार थे । उतना को सोच हुआ कि वह बच्चों के लिए चॉकलेट या मिठाई नहीं लाया । उसने दोनों को सौ सौ रुपए दिए और कहा अपने लिए चॉकलेट ले आना । बच्चे खुश होकर अंदर भाग गए । जुनैदी देख कर बहुत प्रभावित हुआ । उसने खोदना उसके बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, हम एक सिविल इंजीनियर है और एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं । हम लोग गुडगांव में एक होटल बना रहे हैं । उसने अपना परिचय छोटा रखना उच्च समझा और काम क्या करते हो? मैं टैक्सी चलता हूँ और छोटा भाई और तो तुम तो जानते हो कि अब्बा की कमाई कम थी इसलिए हम आगे नहीं पढ पाए । युनाइट ने अपने पेशे के चुनाव के लिए अपनी अब्बा की सीमित कमाई का बहाना बनाया । हालांकि गोदना को उसकी तरक्की देखकर अच्छा लगा । उसे याद आया कि जुनैद की अब बस साइकिल रिक्शा चलाते थे । चाहे पीने के बाद । गोधरा ने यूनैस्को बाहर चलने के लिए कहा । उसके घर में दो ही कमरे थे और उसकी अम्मी और भाई को दूसरे कमरे में जाने के लिए कहना अच्छा नहीं लगता लेकिन वो उनके सामने बात भी नहीं कर सकता था । ऍफ हमें तुम्हारी मदद चाहिए । हम नई दिल्ली में किसी को नहीं जानते हैं । कैसे मदद चाहिए? दोस्त असल में गोदना हिचकिचाया लेकिन उसे मदद की जरूरत थी । हम एक लडकी से मिलना है तो हमारे गांव के मुखिया की बेटी है । इस समय वो दिल्ली में अपनी बुआ के पास है । मैं कैसे मदद कर सकता हूँ वो भी तुम से मिलना चाहती है । जुनैद के चेहरे पर उत्सुक्ता भी स्कूल में तीन साल उसके साथ था और जितना वह से जान पाया था उसके साथ सबसे विश्वास नहीं हो रहा था कि गोधरा को किसी लडकी से प्यार हो सकता है, था तो हम से मिलना चाहती है पर हम उसके घर जा सकते हैं लेकिन दूसरों के सामने से बात नहीं कर पाएंगे । हम किसी तरह को खबर भिजवा देंगे कि वह बाजार या फिर किसी और बहाने से बाहर एक पहले से तय जगह पर आ जाए ताकि हम दोनों आराम से बात कर सकें तो उसके बंगले के बाहर अपनी टैक्सी में इंतजार करना और उसे उस जगह पर छोड देना । बंगला मतलब जहाँ तुम रहते थे, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ । लेकिन मुझ पर और मेरे घरवालों पर कोई मुसीबत नहीं आनी चाहिए । तुम तो जानते हो हम लोग अपने धर्म की वजह से अक्सर परेशानी में पड जाते हैं । वैसे तो उसे कहाँ लेकर जाओगी, बोलना नहीं जगह के बारे में कोई फैसला नहीं किया था । उन्होंने सुझाव दिया कि तुम उसे कनॉट प्लेस भेजा और किसी रेस्टोरेंट या फिर किसी पार्क पर या सडक पर टहलते हुए समय बताओ करो । प्रेस ठीक रहेगा । तुम्हें पता कर लिया है कि वो लोग अभी उसी बंगले में रहते हैं या नहीं तो क्या शंका सही थी? हम जाकर पता करते हैं । अगर वो लोग अभी भी वहीं होंगे तो हम उस से बात करने का तरीका ढूंढ लेंगे । पता चलने पर हम तो में बताएंगे हम तो मैं बंगला भी दिखा देंगे । तुम्हें याद नहीं है । एक बार मैं तुम्हारे साथ बंगले के गेट गया था लेकिन तुमने मुझे भी डर नहीं बनाया था । गोधरा में से बताया कि वह उसका बंगला नहीं था तो वहाँ सिर्फ एक नौकर था । गोधरा ने जुनैद की टैक्सी का नंबर ले लिया । उसने जुनैद से शाम तक अपना बैग उसके घर पर रखने का अनुरोध भी किया । फिर उसने कागज पर सन्देश देखा । उस संदेश में बबुनी को बाजार जाने के बहाने बाहर निकलकर कागज में लिखे नंबर वाली टैक्सी में बैठने के लिए कहा था जो मेन गेट के बाहर उसका इंतजार कर रही होगी । जुनैद के घर से ही वो सीधे बंगले पर चला गया । मेन गेट पर गार्ड को न देखकर उसे शंका हुई फिर भी वो गेट के अंदर चला गया । उसको आउट हाउस की और देखा जहाँ उसने कलेक्टर बनने के अपने सपने को घोषित किया था । उसने घंटी बजाएगी । एक नौकरानी ने दरवाजा खुला ही । नौकरानी वो नहीं थी तो दस साल पहले वहाँ काम करती थी । गोधरा ने दे दिया के बारे में पूछा । उसे दरवाजे पर छोडकर नौकरानी अंदर चली गई । दस मिनट बाद दिया दरवाजे पर आए । उन्हें देखकर से बबुनी की मौजूदगी महसूस होने लगी । दिया । दस साल बाद खुदरा को देखकर हैरान हो गई । उन्होंने उसके अंदर लिविंग रूम में बुलाया । अंदर अगर कोना खडा रहा उसकी शिक्षा उसे फर्श पर बैठने नहीं दे रही थी और उसकी पृष्ठभूमि उसे कुर्सी पर बैठने की इजाजत नहीं दे रही थी । वो पंद्रह मिनट तक बातचीत करते रहे । ना तो दुनिया से बैठने के लिए कहा और नौ से बहुत ही दिखाई पडी तो बंगले के पिछवाडे में थी । उन पंद्रह घंटों में उसे पता चला की पूर्ण साहब का तबादला कोलकाता हो गया है और उनके बेटे की तीन साल पहले शादी हो गई है । इंडिया ने बबुनी के बारे में कोई बात नहीं की । वो बबुनी के इंतजार में वहाँ हमेशा तो खडा नहीं रह सकता था । पिछले उसने दिया से विदा ली । गोदना ने दे दिया था अभिवादन किया और उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया । निराश होकर वह भेंट की और जाने लगा । उसे रोना आने ही वाला था की सूखी पत्तियों की आवाज आई । उसकी आवाज की दिशा में देखा । बबुनी पिछवाडे जा रही थी । गोधरा को देखकर अचंभित हो गयी । वो उतना रुक गया उस पर में बहन के बिना उसके कागज नीचे गिरा दिया । बहुत ही ने देख लिया और उसके जाने के बाद चुप चाप कागज उठा लिया । जुनेद में भगिनी को कनॉट प्लेस में अमेरिकन स्टेट लाइब्रेरी के सामने उतार दिया । वो जगह उन्होंने पहले से तय कर रखी थी । गोधरा जो छुपता से भुनी का इंतजार कर रहा था, लगभग टैक्सी के पास आ गया । जॅाली दिखाई जहाँ वह टैक्सी पार करने वाला था । उसने उनसे कहा कि अगर उन ना मिले तो वो टैक्सी के पास ही खडे रहे हैं । बहुत ही ने गुलाबी कुर्ता और सफेद सलवार पहना हुआ था । जैसे यूनिट गली में बडा गोद मैंने उसका हाथ पकडा । दोनों सेंट्रल पार्क की और चलने लगे । भवनी ने कहा उनको छह बजे तक वापस आना है । हमने दुनिया से कहा है कि हम एक घंटे में आ जाएंगे तो उन्हें हवेली के नंबर पर फोन क्यों नहीं किया । हम छह महीने तक रोज दो घंटे बैठक में इंतजार करते थे । उसे बहुत कुछ कहना था वो मैंने अपनी कलाई घडी पर नजर डाली । साढे पाँच बजे थे । हमने दो वर्ष नंबर पर फोन किया, लेकिन आपके पापा ने फोन उठाया । हमको आपके लिए डर लग रहा था इसलिए हमने बाद में फोन नहीं किया । पैसे बहुत बताइए, आप किसी और से शादी करने के लिए राजी कैसे हो सकती हैं? जब आपने हमें वादा किया है उसे भी बहुत कुछ कहना था । अरे वाह! तुम्हारे पास मोबाइल फोन है क्या तुम कलेक्टर से बडे बंदे हूँ? उसके प्रश्न को टालते हुए उसके हाथ में मोबाइल फोन देखकर बबुनी ने खुश होकर कहा, आप पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए । अब शादी क्यों कर रही हैं? इसमें कम शादी कर रहे हैं । मई बहुत ही चलते चलते रुक गई और हंसने लगे । अब हो रही हैं । हम इसलिए हस रहे हैं क्योंकि काफी भी तुम्हारे जैसी ही बोली है । इस बार गर्मी में जब कोर्स साहब और दे दिया सुहागपुर आए तो पहुँचा । हमने पापा से कहा कि कोई अच्छा सा तलाकशुदा या विधवा ढूंढकर हमारी शादी कराने पापा नहीं । मैंने उसी गर्मी में हम उनके साथ दिल्ली आ गए ताकि देख कुमार साहब की बात सुन ली होगी और हमारे दिल्ली आने को हमारी शादी से जोड लिया होगा । अब इस साल की विधवा से कौन शादी करेगा? बबुनी सही कह रही थी ठाकुर परिवार जिनमें विधुर बेटे होते थे, उनके दूसरी शादियों के लिए भी जवान को हमारी लडकियाँ घूमते थे । उनके बीच उम्र का फासला कोई महत्व नहीं रखता था । पुनर्विवाह के नियम लडकों और लडकियों के लिए अलग अलग थे और गांव में तलाकशुदा लडके नहीं थे बल्कि गांव में तलाक दुर्लभ ही होते थे । देखिए हम सही दिशा में बढ रहे हैं । बहुत जल्दी हम आपके पापा के पास आकर अब का हाथ मांगेंगे । थोडा धीरे रखेगा और शादी के लिए कोई अच्छा रिश्ता आने पर बहत मत जाइएगा । तब नहीं फिर रहने लगी । अब क्यों हंस रही हैं बहुत मैंने पूछा बस हमारे ऊपर प्यार आ रहा है इसलिए हस रहे हैं कि हम यहाँ प्यार कर सकते हैं । कोई डर डर देखने लगी । चार साल हो गए हैं । जब देखिए हम यही गुडगांव में है । अब हम लोग अक्सर मिल सकते हैं । आप वापस सुहागपुर में चाहिए गा । पिछले दिन हम लोग गुडगांव चलेंगे । बहुत सुन्दर जगह है । बहुत ही गंभीर हो गई । क्या हुआ अब हम से मिलना नहीं चाहती । उन्होंने पूछा दिया होली के बाद कोलकाता जा रही हैं हमें सुहागपुर जाना पडेगा । अब गंभीर होने की घोषणा की बारी थी । वो सोचने लगा की खुशी के पल इतने छोटे क्यों होते हैं । उन दोनों को संभालने में थोडा वक्त लगा हमें जाना चाहिए । दे दिया चिंता कर रही होंगी । गोदनामे उसे रुकने के लिए नहीं कहा क्योंकि सवा छह बज चुके थे और सर्दी का मौसम था इसलिए अंधेरा हो चुका था । वो एक दूसरे से लिपट गए । एक दूसरे के चंबल लिए और अलग हो गए । गोदान उसे अपना मोबाइल नंबर दे दिया । उन्होंने अगले चालीस दिनों का भरपूर फायदा उठाने का वायदा किया । गली में खडी सभी टैक्सियां एक जैसी लग रही थी । गोधरा को जुना की टैक्सी का नंबर भी याद नहीं था । उन्होंने उस सौ मीटर लंबी गली के दो चक्कर काटे । गली के दोनों तरफ वाहन खडे थे । तुम अपने मोबाइल से उसको फोन क्यों नहीं करते? बस उन्होंने सुझाव दिया उसके पास मोबाइल नहीं है । अब हम लोग क्या करेंगे? बबुनी चिंतित होकर पूछा, हमें टैक्सी का नंबर याद नहीं है । तुमने जो कागज हमें दिया था उसमें लिखा है बहुत भोले तो उनसे कहा आपने बताया क्यों नहीं की वो कागज आपके पास है तो बाबरी पर चलाया बनी को बुरा नहीं लगा क्योंकि वह जानती थी कि गोदना को उसकी चिंता हो रही थी । वो नंबर की टैक्सी को ढूँढने लगे । जल्दी उन्हें टैक्सी मिल गई । कुछ सेकंड में जोड दिया गया और वह फौरन रवाना हो गए । हम लोग फिर कब मिलेंगे? भूलना ने धीमी आवाज में बबुनी से पूछा । वो पीछे की सीट पर साथ में बैठे थे । पता नहीं दीदी हमें फिर से बाहर जाने देगी की नहीं । हमने इतनी देर कर दी है । हम अगली बार कहाँ मिलेंगे? उसके स्वर से लग रहा था कि वह अगली मुलाकात का पूरा फायदा उठाना चाहती थी । गोदना उसका मतलब नहीं समझा, लेकिन चुनाव समझ गया । शायद टैक्सी चलाते हुए उसने अक्सर ऐसी स्थितियों का सामना किया था । वो खुद को उनकी मदद करने से नहीं रोक पाया और बीच में बोला शाहदरा नहीं, मेरी रिश्तेदारी में एक शादी है । सब घर वाले दो दिन बाहर रहेंगे । एक लोग अगर तुम दोनों को ठीक लगे तो खुद और बबुनी ने एक दूसरे को देखा । मेरा सर हिला या कुछ कहे तो सहमत हो गए । क्या तुम आज की तरह उस दिन इनको अपने घर भी ला सकते हो? ऍम छुडाएंगे जुना हामी भर दी । उस दिन भर उन्होंने दुनिया के आगे अपनी माँ, पापा और भाई के लिए खरीदारी करने की इच्छा जाहिर की । होली के लिए वो लोग सुहागपुर जा रहे थे । उनकी खुशकिस्मती से उस दिन दे दिया की किट्टी पार्टी थी और ना वो उसके साथ चलने को कहती है । जुना है तो बाहर बारह बजे उसे अपने घर ले आया जहां गोदना उसका इंतजार कर रहा था । अगले दो घंटे चुनाव के घर में सिर्फ वो दोनों थे जो नाइट के बताए अनुसार गोदना ने घर की चाभी उसके पडोसी को दे दी और दोनों ऑटो रिक्शा नहीं रवाना हो गए । रास्ते में बहुत ही नहीं जल्दी से ठाकुर साहब के लिए कुर्ता अपनी माँ के लिए साडी और बबुआ अखिलेश शर्ट खरीदी । उसने गोदना की माँ के लिए भी एक साडी खरीदी लेकिन उसे नहीं बताया । होली से पहले वह तीन बार और मिलेगी । हर बार जूनियर नहीं उनकी मदद की आखिरी मुलाकात में गोद मैंने उस से पूछा कि क्या उसे गांव के पोस्ट ऑफिस का नंबर मालूम है, होनी को नहीं था । उसने बोलना से कहा कि अगर उसे अपने मई बाबा से बात करनी हो तो वह हवेली के नंबर पर फोन कर सकता है लेकिन बोलना नहीं मना कर दिया उन्होंने चिट्ठियों के माध्यम से संपर्क में रहने का फैसला किया । हालांकि चिट्टी सिर्फ बहुत नहीं देख सकती थी । बाहुबली ने पहली चिट्ठी में पोस्ट ऑफिस का फोन नंबर बताने का वायदा किया । होली से तीन दिन पहले बनी और दे दिया सुहागपुर चले गए । गोदना छह से गुडगांव में रहा । इस बीच सुमित सिंह ने से फोन करके बताया कि उदयपुर के जिला कलेक्टर रहे हैं । उसके लिए दो बार बुलावा भेजा था ।

Details

Sound Engineer

Voice Artist

बेटिकट मुजरिम से अरबपति बनने की कहानी writer: राजीव सिंह Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Rajeev Singh
share-icon

00:00
00:00