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तेरह हसमुख पटेल गोरे रंग के लंबे गंजे आदमी थे । उनके दोस्तों ने प्यार से हसमुखभाई कहते थे । वो कम के समय हमेशा सफाई शूट रहते थे । वो लेने एक मोटी सोने की चैन पहनते थे । इसके लॉकेट के भीतर जडी श्रीकृष्ण की तस्वीर दर्शाती थी कि वह कृष्ण भगवान के प्रबल भक्त थे । वो कट्टर शाकाहरी थे और ज्योतिष विद्या में बहुत यकीन करते थे । होता ही ने हाथ की तीन उंगलियों में विभिन्न रतन जडी अंगुठियां पहनते थे । उनचास वर्षीय हसमुखभाई खानदानी रईस थे । उनके दादा साहूकार थे । उनके पिता भुवन भाई पटेल ने साबुन और डिटर्जेन्ट की फैक्ट्री स्थापित की थी । पुराने अहमदाबाद के शाहीबाग इलाके में उनका विशाल बंगला था । उनके परिवार के पास पुराने और नए अहमदाबाद में काफी अचल संपत्ति थी । उन से चार साल बडे भाई मनसुखभाई पटेल और मोंटी पटेल में चौबीस वर्ष की आयु में व्यापार के बेहतर अवसरों की तलाश में भारत छोडकर लंडन चले गए थे । उनके एक दूर के रिश्तेदार नहीं तो लंदन में किराने की दुकान चलाते थे तो स्थापित होने में उनकी सहायता की वो आंटी ने पीछे मुडकर नहीं देखा और यू । के । में तथा दौलत कमाई भारत बहुत कम आते थे । में अपने बेटे की शादी के लिए वह दस साल बाद आए थे लेकिन वो गुजरात नहीं गए । में जब अपने पिता की मृत्यु के समय भी वह अहमदाबाद आने का समय नहीं निकाल पाए तो हसमुखभाई ने उन से सारे संबंध तोड लिए । उन्नीस सौ अस्सी में अपने पिता से साबुन और डिटर्जेन्ट के पारिवारिक व्यवसाय का कार्यभार लेने के बाद हम तो भाई ने तेजी से बाजार में जगह बना रही अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में कदम बढाया और अपने व्यापार का विस्तार किया । उनका ब्रांड उन्नीस सौ अस्सी में सिर्फ गुजरात में लोकप्रिय था । अब एक शक्तिशाली ब्रांड था और तक पश्चिमी और उत्तरी भारत ने घरेलू नाम बन चुका था । वो भारतीय ब्रांड्स के साथ साथ भारत में उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड्स को भी अच्छी टक्कर दे रहा था । उन्नीस सौ अस्सी का पचास लाख रुपए का कारोबार उन्नीस सौ पंचानवे में दो सौ करोड रुपये तक पहुंच गया । निर्माण व्यवसाय में उनके बिजनेस पार्टनर हेरेंज गुराडिया ने उन्हें विस्तार के लिए वित्त प्राप्त करने में सहायता की थी । उन्होंने उन्नीस सौ छियासी में कादंबरी ग्रुप की छत्रछाया में एच एच इंफ्रा के नाम सहित एक निर्माण कंपनी की स्थापना के पच्चीस प्रतिशत शेयर के साथ ॅ दूसरे डायरेक्टर थे जबकि हसमुखभाई ने प्रतिशत शेयर अपने पास रखें । हसमुखभाई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन थे । तीसरी शेयर होल्डर और डायरेक्टर कादंबरी बेन थी जिनके पास दस प्रतिशत शेयर थे । पिता की मृत्यु के बाद एफएमसीजी व्यवसाय का पूरा स्वामित्व हसमुखभाई को मिल गया तो भवन भाई ने अपनी वासी आपने वो कारोबार उनके नाम कर दिया था । हसमुखभाई और कादंबरी बहन के एक बेटा और एक बेटी थे । बेटी बडी थी में उस की शादी एक बैंक ऑफिसर से हुई थी और अब वह कैलिफोरनिया में बस गए थे । उनके बेटे मुकुंद नहीं सिविल इंजीनियरिंग की थी और निर्माण व्यवसाय में कदम रखने की तैयारी में था । मुकुंद बहुत धर्म का कट्टर अनुयायी था । में डायरेक्टर के रूप में कॅश शामिल होने के बाद भी वो लद्दाख, धर्मशाला, देहरादून, सिक्किम इत्यादि के बौद्ध मठों में जाने के लिए समय निकाल लेता था । इंजीनियरिंग की पढाई के बाद मुकुंद नहीं कंपनी में दो वर्ष की अप्रेंटसशिप भी पूरी कर ली थी और अब वो दस प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ एचएच इंफ्रा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल कर लिया गया था । शेयरधारिता के पुनर्निर्माण के तहत हसमुखभाई ने अपने पास प्रतिशत शेयर रखें ऍम कुराडिया हसमुखभाई की छोटी बुआ का बेटा था । उनकी शादी बडोदरा के व्यावसायिक घराने में हुई थी । बडोदरा के विभिन्न बाजारों में उनके तीन शाकाहारी रेस्टोरेन्ट थे । फिर यहाँ तो भाई से नौ साल छोटा था । सोलह साल का था जब हसमुखभाई अपनी बुआ के परिवार के एक वैवाहिक समारोह में उसे वडोदरा में मिले थे । तभी से वो एक दूसरे के संपर्क में थे । इरेन महत्वाकांक्षी था । वो रेस्टोरेंट के अपने पारिवारिक व्यवसाय का हिस्सा नहीं बनना चाहता था, जो वैसे भी उसके साथ भाइयों की रोजी रोटी का स्रोत था, जिसमें उनके चचेरे भाई भी शामिल थे । सत्ताईस साल की उम्र में उसने पिता से व्यवसाय में हिस्सेदारी मांगी । पैसों को लेकर वह मुंबई आ गया । अपनी पत्नी और दो साल के बेटे को उसने वडोदरा में ही छोड दिया । फिर इन कभी कभी उनसे मिलने आ जाता है । उसके पास जो पैसे थे, उनसे उसने वित्तपोषण यानी फाइनेंसिंग का कारोबार शुरू कर दिया । बैंकों से कर्ज मिलना उन दिनों बहुत मुश्किल काम होता था । पिछले व्यापारी प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के पास जाते थे, जो ब्याज दर लेकिन न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ उन्हें कर्ज दे देती थी । बात मस में शेयर ब्रोकर का काम शुरू किया और अच्छे पैसे कमा उन्नीस सौ तक तो मुंबई के व्यापार जगत का भरोसेमंद और जाना माना नाम बन चुका था । लोग अपना कालाधन उसके पास जमा कर देते हैं और वो उन पैसों को शेयरों में निवेश कर देता है । साथ ही उन्होंने अघोषित ऋण के रूप में वितरित भी कर देता । उसके कारोबार की प्रवर्ति उसे अपराध जगह ऍम नेताओं और फिल्म उद्योग के संपर्क में ले आई । वो अंडरवर्ड के दिग्गजों की ओर से फिल्म उद्योग में निवेश करने लगा । कुछ नेताओं ने भी फिर इनके माध्यम से अपना कालाधन फिल्म उद्योग में लगाया । तेजी से कमाया गया पैसा अपने साथ अलग तरह की एक जीवन शैली लेकर आता है । मेरे को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड से बहुत लगा था । वो अपनी वर्ष की और अरमानी, जैकेट्स और गुच्ची और सल्वाटोर फाइनल गांवों के जूतों के लिए जाना जाता था । क्लीन क्रिस्टियन और ऍम जैसे परफ्यूम्स की खुशबू हर जगह उसके आने से पहले पहुंच जाती है । अंडरवर्ल्ड और राजनीतिक हस्तियों के साथ काम करने के अपने जोखिम होते हैं । अगस्त उन्नीस सौ चौरानवे में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में दो हजार अंक की गिरावट हुई । लेकिन शेयर ब्रोकर के सौजन्य से बाजार की पूंजी के दस हजार करोड रुपयों का सफाया हो गया । फिर इनके चेंबूर स्थित बंद कार्यालय में छोटे निवेशकों की भीड इकट्ठा हो गई । ऍम भाग गया लेकिन मुझे पता था कि वह अंडरवर्ल्ड से और नेताओं से नहीं भाग सकता । जो पैसा उन लोगों ने उसको निवेश किया है, वो अघोषित काला धन है । लेकिन फिर भी उसे वो पैसा वापस करना था । मेरे एक महीने बाद लौटा और उन से मिलकर कुछ वक्त मांगा । उसकी सारी कमाई पैसे चुकाने में खत्म हो गई । उसे अपना दफ्तर भी बेचना पडा । उन्नीस सौ पाने के अंत तक ऍफ राकेश एयर ही उसकी एकमात्र पूंजी रह गए थे । हालांकि उसने अपनी पूंजी करवा दी थी लेकिन अंडरवर्ल्ड और राजनीति में अभी भी उसके कुछ मित्र थे । जगह नगवा ले उसका सबसे घनिष्ठ मित्र था । न सिर्फ उनकी उम्र बल्कि उनकी पसंद भी सामान थी और दोनों की कमजोरी थी । जगह महाराष्ट्र विधानसभा का सदस्य था । वो किसी विशेष दल में शामिल नहीं था । पिछले दो चुनाव उसने मुंबई के सायन कोलीवाडा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लडे थे । महाराष्ट्र में जो भी दल सत्ता में आता अंडरवर्ल्ड और मुंबई के व्यापार जगत में उसके मजबूत संपर्कों के कारण उसे प्रमुखता लेता था । अगस्त उन्नीस सौ तक है लेने हसमुखभाई के साथ स्थापित किए गए अपने निर्माण व्यवसाय को बहुत कम समय दिया था । उसका तक का योगदान केवल मुंबई के संभावित जमीन के टुकडों की पहचान करना था । हसमुखभाई एक दूरदर्शी व्यापारी थे । ऍम मुंबई में जहाँ भी उन्हें जमीन खरीदने की सलाह देता हूँ, खरीदे थे । फिर इन की सलाह पर उन्होंने मीरा रोड पर जमीन खरीदने में काफी धन का निवेश किया । मीरा भयंदर क्षेत्र को में पांच ग्राम पंचायतों के एकीकरण द्वारा नगर निगम में तब्दील कर दिया गया था । वहाँ जमीन अभी भी सस्ते दामों में उपलब्ध थी । हालांकि ये क्षेत्र आधिकारिक रूप से ठाणे में आता है । मुंबई के द्वीप से उसके निकलता एक संभावित पूर्वानुमान के रूप में देखी जा रही थी । माफियाओं से उन जमीनों को बचाना चुनौतीपूर्ण काम था । उन्नीस सौ नब्बे के दशक में अतिक्रमण और आपराधिक गिरोहों द्वारा भूमि पर अवैध कब्जा आम बात थी । उन्नीस सौ पचास के बाद से मुंबई में माफिया कालाबाजारी और तस्करी में सक्रिय रहा है । सरकार की व्यापक आर्थिक नीतियों ने, जिन पर उन्नीस सौ नब्बे के दशक के पहले आयात पर सख्त नियमन था, आपराधिक गिरोहों द्वारा कालाबाजारी और तस्करीके विकास कोशिया दी गई थी । उन्नीस सौ के बाद उदारीकरण की नीतियों ने तस्करी द्वारा आई उपभोक्ता वस्तुओं की मांग कम कर दी । इसलिए मुंबई के उन आपराधिक गिरोहों ने अपनी विशाल पूंजी का उपयोग करते हुए अचल संपत्ति के क्षेत्र में पैर फैलाने शुरू कर दिए । भ्रष्ट नेताओं के साथ मिलीभगत करके उन्होंने अवैध रूप से सार्वजनिक भूमि का अधिग्रहण किया और मोटी रिश्वत देकर उस जमीनों पर निर्माण की अनुमति प्राप्त कर ली । बंदूक के जोर पर दूसरों की जमीन पर अवैध कब्जा करना भी उनका प्रमुख कार्य था । राजनेताओं और अंडरवर्ल्ड से है जिनके संबंध उसकी जमीनों को माफिया से बचाने में काम आए । योजना मुंबई में था, जब उसने दो जून उन्नीस सौ बच्चों को ये खबर एक राष्ट्रीय दैनिक में पडी । भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों में उसने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था । समग्र सूची में उसका अट्ठासी वहाँ स्थान था । सोलह दिनों बाद सेमी ने उसे एक और लिफाफा दिया । ये पत्र यूपीएससी की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में उसके चयन की सूचना देने के लिए था । गोदना पत्र को हाथ में लेकर अपने कमरे में गया और खुद को बंद कर लिया । अभी दस मिनट तक वो फूटफूटकर होता रहा । आईएएस में चयनित होना उसका पहला सपना था । अधूरी परियोजना के अपने छह महीने के निर्धारित समय से पहले पूरी हो जाने से नितिन शाह और हसमुखभाई बहुत प्रभावित हुए । बोलना कंपनी में नियुक्त होने के एक साल के अंदर ऍम कोर्ट टीम का हिस्सा बन गया और आगामी परियोजनाओं की योजना और संकल्पना तैयार करने लगा । गोधरा ने जब मुंबई के वडाला में प्रस्तावित एक सात मंजिला व्यावसायिक परिसर की योजना में संशोधन के कुछ प्रस्ताव रखें, इसमें प्रत्येक मंजिल पर फॅस को प्रभावित किए बिना एक अतिरिक्त इकाई को समायोजित करने का सुझाव था तो हसमुखभाई उससे बहुत प्रभावित हुए । वहीं व्यापारी थे और सात मंजिल के परिसर में सात अतिरिक्त इकाइयों का मतलब था निवेशको अधिक बढाई, दिला अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करना । नितिन शाह भी इस संशोधन के प्रति आश्वस्त थे । उन्होंने उनकी संशोधित योजना के साथ गोदना को मुंबई जाने और आर्किटेक्ट से चर्चा करने के लिए कहा । मुंबई के एक जाने माने आर्किटेक्ट ने की योजना तैयार की थी । सिरफिरे था जो संशोधन को लेकर उत्साहित नहीं था । ऍफ को जो उसका अच्छा दोस्त था, रे नहीं नहीं किया था । लेकिन अंत में सब ने इस संशोधित योजना को स्वीकार कर लिया । फरवरी उन्नीस सौ में ऍम बोर्ड नहीं कंपनी में एक वाइस प्रेसिडेंट के पद का निर्माण किया । नितिन शाह को कंपनी के पहले वाइस प्रेजिडेंट के रूप में पदोन्नत किया गया और जी राम को पदोन्नत करके जनरल मैनेजर बढा दिया गया ।
Producer
Sound Engineer
Voice Artist