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ग्यारह है । सेलिब्रिटी शादी के कारण गोदना होली पर सुहागपुर नहीं जा पाया था कि फॅसे शादी संपन्न हो जाने से पहले शहर से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी थी । इसलिए जैसी आयोजन खत्म हुआ तो छुट्टी लेकर गांव चला गया । शाम को खाना खाते वक्त मई ने फिर से उस की शादी की बात छेडी । चंदनिया अभी भी कुमारी थी । मई सगाई पर जो डालने लगी । उस समय शादियों का मौसम चल रहा था । रात को गोदना झोपडी के बाहर खटिया पर लेता था । गर्मी की शुरुआत हो चुकी थी । उतना की आंखों जमीन को सूदूर थी । कहीं से आ रही व्यवहार गीतों की आवाज रात के सन्नाटे में घूम रही थी । उसकी इसमें बहुत ही औरतें बिना किसी संगीत की जा रही थी । एक दुल्हन की कहानी थी, जो अपने प्रियतम का इंतजार कर रही थी । बोलना आसमान की ओर देख रहा था । चांद पर बनी काली सफेद आकृति में उसे बबुनी का चेहरा दिखाई पड रहा था । कुछ मिलता था जो उसे कुछ करना होगा । इतना बडा यह हवेली, ठाकुर बिरादरी, उनका घमंड सब उसके आगे छोटा लगने लगे । अभी वह भगिनी से शादी कर पाएगा । अगली सुबह जब मई हवेली जब वापस आई तो ध्यान उसके हाथ पकडे और उसकी आंखों में देखता हुआ बचपने भरे स्वर में बोला मई अम् इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहते हैं । अभी हम लोग खाली बरछा करेंगे । शादी जाडे में या अगली गरमी में होगी नहीं भाई, नजारे में ना अगली गरमी में पहले हम को कुछ बन जाने दो । हम बडे आदमी बनना चाहते हैं । योजना हम पहले ही बडे आदमी बन चुके हो । बारह गांवों में तुम को छोड कर कोई भी इंजीनियर नहीं है । माह इंजीनियर उतना बडा नहीं होता था । बडा क्या होता है? भाई ने पूछा । गोधरा ने अपना दाहिना हाथ ऊपर उठा दिया । जितना ज्यादा वो उठा सकता था जैसा की महीने पंद्रह साल पहले किया था । भाई को बात याद आ गई और वह मुस्करा दी । अभी भी याद है है हमको सब कुछ याद है मई बढेगा । मतलब ठाकुर साहब से बडा । उसने कहा । उसके हाथ अभी भी ऊपर पहले थे । माई के चेहरे से मुस्कान खराब हो गई । उसने भयभीत होकर बोलना की और देखा लेकिन फिर फौरन माँ की भूमिका में आ गई और अपने बच्चे को समझाने लगी जिसने अभी अभी उसे चंद कि फरमाइश की थी । तुम शादी के बाद भी तो बडे बन सकते हो आई तो समझ नहीं रही है हम बडे बनना चाहते हैं । इतने बडे की हम कितने बडे गोदना माइनस सत्ता से पूछा । हम इतने बडे बनना चाहते हैं कि बबुनी से शादी कर सकें । वो बना के मुंह से निकल गया । मई अपने ऊपर हाथ रखकर पीछे हट गई । फिर वह झोपडी के कोने में बैठ कर होने लगी । अचानक उठी और गोधरा के गाल पर एक थप्पड मारकर बोले, उन लोगों ने सुन लिया तो तुम्हारे टुकडे टुकडे कर देंगे । ऊपर किसी ने काला जादू कर दिया है । पागल हो गए हो गया । उधर कोने में जाकर होने लगी है । वो ना उसके पास गया, उसे उठाया । उसके बाद फैलाते हुए बोला, भाई एकदम तेरा बेटा इतना बडा आदमी बनेगा, किस गांव की सारी जमीन तेरह ही खरीद लेगा और सबको गुमनामी के अंधेरे से बाहर नहीं आएगा । मैं कुछ नहीं बोली लेकिन उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई पड रहा था । वो अपने बेटे से अपने लिए सिर्फ एक बहुत चाहती थी और वो उसके लिए गांव की पूरी जमीन खरीदना चाहता था । यदि आप एक सरकारी संगठन में कार्यरत हैं और आपके अंदर अतिरिक्त जिम्मेदारी उठाने की योग्यता है, वह आप के ऊपर लाभ दी जाएगी । योजना के साथ नहीं हुआ । जिला कलक्टर नहीं जो वीवीआईपी गेस्ट हाउस के प्रशासनिक नियंत्रण यानी एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोलर थे । उस आदेश को रद्द नहीं किया जिसने सेलिब्रिटी विभाग के दौरान वो इतना को गेस्ट हाउस का हाउसकीपिंग इंचार्ज बनाया था । इसलिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में गोधरा हूँ । गेस्ट हाउस की देख रेख करता रहा । हफ्ते में एक बार वो गेस्ट हाउस जाकर वहाँ के स्टाफ से रिपोर्ट लेकर आवश्यक निर्देश देता रहता था । अंतर था जुलाई उन्नीस सोचो रहने में गोधरा ने सिविल सेवाओं की प्रारंभिक परीक्षा दी । परीक्षा का एक केंद्र लखनऊ भी था इसलिए उसे दिल्ली नहीं जाना पडा । परीक्षा के बाद वो सुहागपुर गया । उसके पीछे कारण था । विभाग ने उसे पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में क्वार्टर आवंटित किया था । इस से पहले वो ट्रांजिट हॉस्टल में रहता था । ऍम आई और बाबा से लखनऊ आकर उसके साथ रहने के लिए कहा तो बाबा ने तो बहुत कम बोलते थे । कहा अरे हम तो इसी मिट्टी में पैदा हुए हैं और इसी मिट्टी में मर जायेंगे । लेकिन गांव छोडकर कभी नहीं जाएंगे । हम आपसे गांव छोडने के लिए नहीं कह रहे हैं । थोडे दिनों के लिए चाहिए हवेली और वहाँ की गाय भैंसों की देखभाल काम करेगा । बाबा ने पूछा उडाने मई से बाबा को समझाने का अनुरोध किया लेकिन महीने पहले कभी बाबा पर किसी बात के लिए जोर नहीं डाला था । इसलिए उसने कोशिश में नहीं इसलिए भी क्योंकि वह गोधरा के चन्दन ियों से शादी करने के इंकार को लेकर नाराज नहीं समझती थी कि गोधरा का दिल कलेक्टर न बन पाने की वजह से टूट गया है । उसे लग रहा था कि बबुनी से शादी करने की उसकी इच्छा सिर्फ निराशा को बाहर निकालने कि उस की कोशिश और बदले की भावना से उपजी थी । वो ना जानता था की मई बाबा को अकेला छोडकर कभी नहीं आएगी । इसलिए उसे लखनऊ आने के लिए कहना बेकार था । लखनऊ जाने से पहले जब मई को कुछ पैसे देने लगा तो उसने लेने से इंकार कर दिया । यहाँ हम लोगों का कोई खर्चा नहीं है । हम लोग को जो चाहिए होता है हवेली से मिल जाता है । तुमने पिछली बार जो पैसे दिए थे वो भी रखे हैं । भारी मन से गोधरा लखनऊ लौट आया । उसे पता नहीं था कि उसके मई बाबा सिर्फ शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी हो हो चुके थे । उनमें सुहागपुर और वहाँ की हवेली के अलावा न कुछ देखा था नहीं जाना था । हालांकि गोधरा सिविल सेवाओं की मुख्य परीक्षा के लिए बहुत मेहनत कर रहा था लेकिन उसका पिछली बार वाला उत्साह इस बार बाहर था । गांव के लडके के रूप में उसे कलेक्टर किसी भगवान की तरह लगा था । इसमें ठाकुर जहाँ जैसे लोगों को अपने सामने झुकाने की ताकत थी इसलिए उसके बाद उसने अपना पूरा ध्यान कलेक्टर बनने की और लगा दिया था । लेकिन सेलिब्रिटी विभाग के बाद से वो कुछ उलझन में था । अपने लक्ष्य के प्रति उलझन ने उसे निराशावादी बना दिया और वह हताश हो गया । उस होने लगा कि कलेक्टर बनने के बाद भी वो अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा या नहीं । कलेक्टर तो अग्रवाल और पटेल जैसे लोगों से सीधे आदेश लेने का अधिकारी भी नहीं था । वो अपनी अपेक्षाएं और इच्छाएँ राज्य सचिव के सामने व्यक्त करते थे । सोलह साल पहले पीली बत्ती वाली कार से प्रभावित हो गया था । जब मोंटी पटेल गेस्ट हाउस में ठहरे थे तब पीजी, लाल और नीली बत्तियों वाली गाडियों का पूरा काफिला वहाँ पर था । ये समय कैसे व्यक्ति के लिए हुआ था । जितना विनम्र था उसने गोदना जैसे आदमी के साथ बैठकर चाहती थी । पिछले चार दिनों के घटनाक्रम नहीं उसे उस लक्ष्य के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया । उसने अपने लिए निर्धारित किया था । उसे इस बात पर भी शक हो रहा था कि कलेक्टर बनने के बाद थी । वो इतना सशक्त हो पायेगा की नहीं कि बबुनी से शादी कर सके । वो नहीं जानता था । इस की सोच एक परिकल्पना का रूप ले रही थी और तभी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उसका जीवन बदल डाला । तेरह अगस्त उन्नीस सौ चौरानवे को गेस्ट हाउस नहीं फिलहाल बत्ती वाली एसयूवी आई । वो एसयूवी राज्य के विरोधी दल के एक नेता की थी । वो नेता जी राज्य विधानसभा की सदस्य थे । नेताजी सीट पर बैठे रहे । उनका बैनर अपने दो साथियों के साथ गेस्ट हाउस के प्रभारी की तलाश में बाहर निकला । सुरक्षा गार्ड ने गोदना के पास ले गया । उस दिन को ना गेस्ट हाउस का निरीक्षण करने आया हुआ था । उन्होंने आॅडी तक चलने के लिए कहा । नेताजी गाडी से बढाने के लिए तो चालीस पार के लम्बे चौडे आदमी थे । लेकिन मुझे रेबेन का चश्मा, गले में मोटी सोने की चैन, हाथों की उंगलियों में अंगूठियां और सफेद पोशाकों । ये उनकी वेशभूषा थी । उनका पूरा व्यक्तित्व समृद्धि और प्रभुत्व का प्रदर्शन कर रहा था वो उन्होंने उनका अभिवादन किया । उनके सामने खडा हो गया । ऍसे पूछा उनकी आवाज उनके व्यक्तित्व के अनुरूप कुछ भरी थी । नहीं सर, हम यहाँ की सफाई और हाउसकीपिंग की जिम्मेदारी संभालते हैं । बोलना नहीं । नम्रता से जवाब दिया, जांच कौन है? मुझे दो दिनों के लिए तीन सौ चाहिए उतना । उन्होंने बताया कि गेस्ट हाउस जिला कलेक्टर के प्रशासनिक नियंत्रण में था । डॉक्टर का नाम सुनकर नेताजी ने बुरा समूह बनाया और साथ कलेक्टर क्रॅशर हो । उन्होंने घोषणा को आदेश दिया और वापस गाडी में बैठ गए । लखनऊ के जिला कलेक्टर पिछडी जाति से थे । नेताजी और उनके आदमी लडखडाते हुए उनके कैबिन में घुस गए । ऍम उतीस एक साल का सीधा साधा युवक था । मोटे चश्मे में वो बुद्धिजीवी नजर आ रहा था । कलेक्टर पिताजी को जानता था । उनके स्वागत में खडा हो गया और चपरासी को चाय लाने का आदेश दे दिया । नेताजी ने उसे अपने पास आने का उद्देश्य बताया । डॉक्टर ने उन्हें बताया कि हाँ कि उसके पास गेस्ट हाउस का प्रशासनिक नियंत्रण है । लेकिन उसके पास आवंटन का अधिकार नहीं है । वो अधिकार मुख्य सचिव के पास है । उसने विनम्रता के साथ पिताजी से कहा पांडे जी आप एक एप्लीकेशन लिख दीजिए और मैं उसे मुख्य सचिव आपस में भिजवा दूंगा । मंजूरी आ जाएगी । मैं आपको सूचित कर दूंगा । कितना समय लगेगा मेरे मतलब मंजूरी से है । कुछ कहा नहीं जा सकता है । ये तो मुख्य सचिव पर निर्भर करता है लेकिन मुझे दो दिन के अंदर सोच चाहिए । उसको कहते कि स्वीट तैयार रखें और तुम औपचारिकताएं पूरी करो । उन्होंने गोधरा की ओर इशारा किया । पांडे जी मुझे आपको स्वीट आवंटित करने का अधिकार नहीं है । कृपया मेरी बात समझिए । उसके इनकार से नेता जी को गुस्सा आ गया । तब हम यहाँ क्या करने के लिए बैठे हो उसे शादियों में देने के लिए । मैं इस मामले को अगली सभा में जरूर आऊंगा । हम खोर और हिम्मत कैसे हुई मुझे मना करने की तो मैं ये कुर्सी सरकार नहीं है और हम सरकार है । मुझे नियम बताने की हिमाकत कर रहे हो क्योंकि मैं विपक्षीदल में हूँ । ये मत भूलो जनतंत्र में विपक्ष भी सरकार जितना महत्वपूर्ण होता है । मैं तो मैं प्राथमिक शिक्षा विभाग में थे, हुआ दूंगा अब वो उस से । मैं अपनी कुर्सी को इतनी ताकत से पीछे धकेलते । वोट है कि वह नीचे गिर गई और कलेक्टर के दफ्तर में दहशत फैल गई । गोधरा को पांडे में कुछ ठाकुर साहब दिखाई पड रहे थे । वहीं अति आत्मविश्वास कोई अहंकार कलेक्टर भी खडा होकर सामने आ गया । खुद को मिली गाली पर ध्यान देते हुए वो पांडेय को शाम करने की कोशिश करने लगा । जब उसके पांडेय को शाम करने के लिए उसका हाथ पकडने की कोशिश की तो उसने उसे थप्पड जड दिया । वो दोनों का एक हाथ उसके साल पर चला गया जैसे कलेक्टर को नहीं बल्कि उसे थप्पड पडा हो । पांडे और उसके आदमी कमरे से बाहर निकल गए तो बोलना लगभग आपका वैसा कमरे नहीं रुका रहा । उसके प्रेरणास्रोत का अभी यही हुआ था । कलेक्टर अपनी कुर्सी पर बैठ गया । अपमान का दर्द उसके चेहरे पर साफ दिखाई पड रहा था । कोना उसका अभिवादन किया और ऑफिस से बाहर निकल गया । वो दोनों ने इस घटना के परिणाम पर नजर रखी है और परिणाम जानकर बहुत निराशा हुई हो तो तीन छोड आवंटित हो गए । लेकिन कलेक्टर का तबादला बहुत छोटे से जिले सीतापुर में हो गया । इस पूरे घटनाक्रम नहीं गोधरा को हिला दिया । उम्मीद थी इस पर उन पार्टी पांडे के खिलाफ कार्रवाई करेगी । रात को जब पढ रहा था तो थप्पड की गूंज बाहर बार उसके कानों में सुनाई पड रही थी । उसने ऍम पटेल का दिया हुआ ऍफ बहुत संभाल कर रखा था क्योंकि वो उसकी अर्जित की हुई सबसे कीमती चीज थी । उसने वो कार्ड हसमुख पटेल से कम आया था । उसमें विश्वास था कि मोंटी पटेल ने अपने भाई को उन सब से किसी को ये कार्ड देने के लिए नहीं कहा होता जो उनसे मिलने वाली बस लगे वाहनों में आए थे । नवंबर के पहले सप्ताह में बोधरा ने सिविल सेवाओं की मुख्य परीक्षा दी । परीक्षा समाप्त होने के बाद वो पीछे वो में गया और कार्ड में लिखा नंबर मिलाया । सैकेट्री ने उसका कॉल हसमुख पटेल को स्थानांतरित कर दिया जिन्होंने शादी का संदर्भ याद दिलाने पर वो इतना को पहचान लिया । बोदरा ने उनकी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने की इच्छा जाहिर की । हसमुख पटेल ने उसका स्वागत किया । अखिलेश थे गोधरा ने बाजार से दो लिखा है और पोस्ट ऑफिस से सौ अंतर्देशीय पत्र खरीदें । उसने दोनों लिफाफों पर सुहागपुर से अहमदाबाद के रजिस्टर्ड पत्र के लिए आवश्यक टिकट लगाए और उनके ऊपर रजिस्टर पोस्ट द्वारा लिख दिया । फिर वो बन गया । अपने खाते में जमा को चौबीस हजार रुपए निकाले और खाता बंद कर दिया । उस भाई के लिए सोने की चयन खडे दें । पर बबुनी के लिए एक अंगूठी । उन्होंने सोना इतना महंगा नहीं था । पिछले दोनों चीजों सिर्फ छह हजार रुपयों में आ गई । अपने क्वार्टर में वापस आकर उसने कादंबरी ग्रुप के कॉरपोरेट ऑफिस का पता सभी अंतर्देशीय पत्रों और दोनों लिफाफे पर लिख दिया । पाने वाले के स्थान पर उसने खुद का नाम लिखा । जी राम चाहता तो बिना इस्तीफा दिए छुट्टी लेकर हसमुखभाई की कंपनी में काम शुरू कर सकता था । लेकिन गोंदा वापसी का खून जांच तक खुला नहीं छोडना चाहता था । इसलिए उसने उस रास्ते पर जाने वाले पुल को ही जला दिया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया । उसी दिन उसने सरकारी क्वार्टर भी खाली कर दिया । क्वार्टर में ज्यादा सामान भी नहीं था । बस एक चढाई, एक तकिया किताबें और चाय बनाने के लिए बिजली की केतली । खाना खाने के लिए वो पास के एक सस्ती मैच में जाता था क्योंकि उसे खाना बनाना नहीं आता था । उस दिन शाम को उस जवान जाने वाली अंतिम ट्रेन में बैठ गया । दोपहर में जब मई अकेली थी, गोधना चैन निकालकर उसके गले में पहना दी । महीने पहले कभी सोने को हाथ नहीं लगाया था । उसकी आंखों में आंसू आ गए । बोली इसको हम अपनी बहु के लिए रख देंगे वो मैंने उसे बताया कि वह पहले से अच्छी नौकरी के लिए बहुत बडे शहर अहमदाबाद जा रहा है । महीने सुझाव दिया उसे जाने से पहले शादी कर लेनी चाहिए । इस बार गोदना ने बहुत को टाला नहीं । उसने मई को याद दिलाया कि वह बबुनी से प्यार करता है और अगर वो शादी करेगा तो अपनी से ही करेगा । उसे जाने से पहले एक बार बबुनी से मिलने की इच्छा जताई और भाई से मदद करने की विनती की आई । रोने लगी । उसने अपने गले से छह हजार उसे अपने टीम के बक्से में रखा और हवेली चली गई । शाम को गोदना ने अपने मई बाबा को सब कुछ समझाया । उसने उनसे महीने में एक बार पोस्ट ऑफिस के लाल डिब्बे में एक अंतर्देशीय पत्र डालने के लिए कहा । महीने की गिनती करने के लिए उसके उन्हें डिब्बे रोज एक कंकर डालने का सुझाव दिया । उसने बताया, जब तीर्थंकर हो जाए तो समझना एक महीना पूरा हो गया । होना पढा लिखा नहीं था, लेकिन उसे गिनती जरूर आती थी । हालांकि उसे नहीं मालूम था कि एक महीने में तीस या इकत्तीस दिन होते हैं । गोधरा ने आगे कहा, यदि उन्हें कोई चिट्ठी मिले तो वो उसे लिफाफे में डालकर पोस्टमास्टर को दे दें और से कहीं की वह से रजिस्टर्ड पोस्ट भेज गई । जब उन्हें पैसे दिन लगा तो महीने इंकार कर दिया । लेकिन गोदना पांच सौ रुपए निकालकर टीम के बक्से में रखने चला गया तो उसने लंबा खोला तो देखा कि उसमें वह पांच हजार भी वैसे ही पडे थे । उसने उन्हें पिछले साल दिए थे । उसमें वो कमीज और पत्नी भी रखे थे । जो बोलना अकोला के लिए लाया था । उन्होंने उन्हें एक बार भी नहीं पहना था । हाँ भाई उसकी लाइफ भी साडिया जरूर पहनती थी । बोला, आपने घुटने तक की लूंगी नहीं, आराम मिलता था । ऊपर वो कुछ नहीं पहनता था । बस शर्दियों में एक शॉन लपेट लेता था । गांव में छोटी से छोटी बात भी सबको पता चल जाती थी । वहाँ ठाकुर साहब तक खबर पहुंचाने वाले उनके विश्वासपात्र मौजूद थे । गोदना जब भी गांव आता था ठाकुर साहब को पता चल जाता था । हालांकि उन्हें शिष्टाचार जताने के लिए उसका हवेली नाना बुरा नहीं लगता था । वो भी हमने जी रहे थे । उन्हें लगता था की उन्होंने एक पंछी के पर कतर कर पिंजरा खुला छोड दिया है । गोधरा एक इंजीनियर था इसलिए हवेली के अन्य लोग भी उसकी गतिविधियों में दिलचस्पी लीटर लगे थे । ऊपर से ठाकुरसाब सहित हवेली के सभी लोगों के पास कोई काम नहीं था । इसीलिए उस समय बिताने के लिए भी गोदना के बारे में बातें करते रहते थे । हालांकि बबुनी के पास दूसरा कारण था । इससे पहले गोदा सिर्फ एक या दो दिन के लिए आया था और भगवन को पता चलने से पहले वो वापस चला गया था । लेकिन इस बार गोधरा ने बबुनी से मिलने की ठान आए थे । चार दिन गुजर गए लेकिन गोधरा बबुनी से मिलने का कोई उपाय नहीं पाया । तीन दिन बाद उसे लखनऊ से ट्रेन पकडनी थी । हवेली जाकर भुगतनी के आने तक मवेशियों को नहलाते रहना पुराना तरीका था । हताश गोधरा ने एक बार फिर मई से गिनती है । बहुत ही अक्सर शाम के समय टहलने जाती थी । सुखु या अगली की कोई और नौकरानी उसके साथ जाती थी । पांचवी दिन शाम को जब नहीं बाहर निकली तो महीने उसे कुछ में बुलाया । कहा बहूनि कल हम तो मैं पहले ले जाएंगे । बहुत उस समय कुछ समझ नहीं पाई । रात को जब वह गोधना के बारे में सोच रही थी, तब उसे मई कि बात का मतलब समझना है । अगले दिन दोपहर को हवेली जाने से पहले मायने गोधरा से नदी की पूर्वी और जाकर सूरज डूबने तक इंतजार करने के लिए कहा । बहूनि के विपरीत गोदना बात को तुरंत समझ गया । दो घंटों में गोधरा ने हजार बार तटबंध की और देखा । नदी के किनारे पहुंचने के लिए पहले तटबंध पार करना पडता था । गांव को बाढ से बचाने के लिए नदी से पचास मीटर की दूरी पर मिट्टी का एक तटबंध था । पश्चिमी तट का उपयोग नागरिक लोग अपनी ना हो बांधने के लिए करते थे । इसलिए मई ने उसे पूर्वी तट पर जाने के लिए कहा था । पूर्वी किनारा सुनसान पडा था । पूर्व की ओर से नदी मुड जाती थी । जब सूरत छत पर पहुंचा तो गोधरा धीरे होने लगा । उसे मई के लिए डर लग रहा था । अचानक उसे तटबंध पर भाई दिखाई दी । उसके पीछे बबुनी थी । गोधरा को देखकर मई रुक गई । लेकिन भगिनी तटबंध से उतरने लगी । उसके हाथ में कौन थी । मई धीरे से मोदी और तटबंध से नीचे चली गई । बहुत ही दौड कर गोधरा के पास आ गई और सेलेक्ट कर होने लगे । उॅचा दी थी । उसने कहा काफी नहीं जल्दी करने के लिए कहा है । वो मई को काफी कहती थी । गोदना उसके आंसू पहुंचे और उसका चेहरा अपने हाथों में ले लिया । बबुनी ने अपनी बडी बडी काली आंखे बंद कर ली । उसकी सफेद साडी में इस बार कोई किनारे नहीं थी । उसके गोरी गले में काले धागे में बना एक लॉकेट था । उसके लंबे काले बाल खुले हुए थे । वो इतना ने पहले उसका माथा चूमा और फिर उसके लॉकेट के नीचे की जगह को चुन लिया । दोनों बैठ गए । बहुत धीरे से लेट गयी और गोदना की जान पर अपना सिर्फ दिया । वो उतना नहीं चुकता, उसके होट चुन लिए । डूबता सूरत एक बार फिर उनके प्यार भरे पलों का साक्षी बना बबुनी अपनी साडी की सलवार ठीक करने के लिए खडी हो गई । उसने गोधरा से आपने ब्लॅक बंद करने के लिए कहा । उनके प्रेमालाप के दौरान खुल गया था उसकी पीठ और उसकी साडी में रेत भर गई थी । उसके ब्लाउज का हो । बंद करने के बाद योजना ने अपनी कमीज उतारी और उसके पीठ पर जब की रेट झाडती जब वो रेट झाड रहा था तो मैं धोनी ने पूछा हम कलेक्टर बनने में और कितना समय लगाओगे? हमने कलेक्टर बनने का विचार छोड दिया है । तब हमारी शादी कैसे होगी? उसने भोलेपन से पूछा फिर बैठ गए । कविता अगर हम कलेक्टर बन गए तब भी हमारी शादी नहीं हो पाएगी । क्योंकि एक कलेक्टर में तो ताकत नहीं होती हूँ कि वो तुम्हारे पापा को समझा पाए । हम लोग क्या करेंगे? हम लोग गांव से भाग जाएँ । भाग जाने को हमने कभी सही रास्ता नहीं समझा है । अगर तुमको हमारे प्यार पर भरोसा है तो तुमको इंतजार करना पडेगा । तुम हमारी दुल्हन हो । एक सपना हो हमारा और तुम उसके पीछे की प्रेरक शक्ति हो । अब अपनी आंखे बंद करूँ । हम तुम्हारे लिए कुछ लाए हैं । उसने आंखे बंद करके गोदना ने अपनी जेब से सोने की अंगूठी निकाली । उसके उंगली में फिर उसने बबुनी जहाँ खोलने के लिए कहा । वो अंगूठी देखकर बहुत खुश हो गयी । वो दिनों से लिपट गई और बोली तो बहुत प्यार करते हैं । हम भी तुम्हारे लिए कुछ लाए हैं । कुछ अपना अकाउंट में से कागज का टुकडा निकाला । उस पर कुछ नंबर लिखे हुए थे । धीरे हो गया था । इससे गोदना नंबरों को पढ नहीं पाए । ये क्या है? उसने पूछा ये हमारी हवेली के फोन का नंबर है । टेलीफोन पापा की बैठक में रखा है । किसी और को फोन करने की इजाजत नहीं है । इसलिए हम तुमको फोन नहीं कर सकते लेकिन तुम हम को फोन कर सकते हो तो सवेरे दस बजे आपक ही तो में चले जाते हैं । दो घंटे तक बैठक में कोई नहीं रहता है । हम उनको समय फोन करना हम इंतजार करेंगे । गोदनामे उसके पीछे किसी को आते देखा वो मई थी । उसने बबुनी की बडी बडी काली आंखों को चूमा और फिर उसके होठों को तटबंध की और बढने लगे । हालांकि दोनों में से कोई जाना नहीं चाहता था लेकिन समय चलता रहता है और जीवन भी । तटबंध पर मई बबुनी के बाद सहर आने लगी । उस पक्ष में प्यार उस नहीं कर सागर था । बबुनी ने मई के पैर छू लिए की देखकर गोदना भावुक हो गया । तटबंध पर रुक गया । मई और बबुनी गांव की और बढ गए । अगली सुबह गोधना लखनऊ के लिए निकल गया जहां से उसे अहमदाबाद की ट्रेन कर दी थी ।
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