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बदकिस्मत क़ातिल भाग - 15 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक उसके दुश्मन का दूसरा उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था। वह एक बदकिस्मत कातिल था। पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके। writer: शुभानंद Voiceover Artist : RJ Manish Author : Shubhanand Producer : Saransh Studios
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Transcript
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हूँ । भाग पंद्रह नोट करेक्ट नहीं लिखा था । ये सभी एक दूसरे का चेहरा देख रहे हैं । आखिरकार हमारे बोला फिर तो निहारिका की लाश यहीं पर होनी चाहिए थे । हमने पूरा कहाँ देखा है? ऍम यहाँ और कोई लाश नहीं है । शायद उसने सुसाइड करने से पहले लाश को कहीं ठिकाने लगा दिया है । चौदह सोचते हुए कहा उसके पास कार तो थी नहीं फिर किस तरह लाश बाहर ले गया । होकर जावे बुला किसी के पास कोई जवाब नहीं था । फिर उन्होंने मकान के गार्डन को ये सोचते हुए क्या की? शायद उसने लाश बाहर गर्दी हो ऐसा कहीं भी नहीं दिखाई दिया । हो सकता है उसने किसी गाडी का फॅमिली इंतजाम किया हूँ और लाश को कहीं ठिकाने लगाया हूँ । वापस आकर अपराध बहुत के तले उसने सुसाइड कर लिया । अभी फिलहाल ये बुरी खबर सामंतराय को दे देनी चाहिए । अमर ने सुझाव दिया सभी सहमत है । अमर और जॉन छानबीन के लिए पुलिस के साथ में ही रुके । जावेद सामंतराय के घर की तरफ कोच कर गया । इस खबर को सुनकर क्या मंत्रालय और उसका परिवार बुरी तरह से टूट गया । अभी सिर्फ इंडस्ट्री केशन के तौर पर निष्कर्ष निकला है । जावेद ने दिलासा देने की कोशिश करेंगे । लाश अभी तक मिली नहीं है । जब तक ये तो अब सांस जाहिर है कि उस पागल आशिक ने मेरी बेटी को मार दिया । क्या मंत्र होते कोई चलना पडा कि उस काम जाती ने हाथ हत्या कर लीजिए । सिद्दा होता तो मैं खुद उसे अपने हाथों से करवा देता हूँ । अमित उससे ज्यादा कुछ नहीं कर सका । उन्होंने काम की इन माहौल छोड कर ते वहाँ से रोक सकता हूँ । अभी रह कुछ दूर ही निकला था तो उसे उमर का फोन आया भजन फटाफट वापस पहुंचा हूँ । क्यों? क्या हुआ हम इलाज का ठिकाना मालूम पड गया । वो कुछ कहाँ है हम लोग कभी उधर ही निकल रहे अभी पहुंचा लेकिन एक दिक्कत है क्या खुला शायद सिद्धा हालत में क्या बकवास कर रहे हो सकता हूँ सत्य बोल पढना पहुंचकर मैं तो जब पीते वाला गुस्सा नहीं बहाये । फॅस पडोस पूछताछ करने के बाद पता चला । उसने शाम को एक लडके मनोज के घर से बाहर निकले दी और उसने टैक्सी ली थी । हाँ जी कैसे हो सकता है उसका करता । अंदर से बंद था फॅमिली हमने भी यही सोचा लेकिन फिर पाया की घर से बाहर निकलने का एक दरवाजा किचन से भी है । क्योंकि खुल्ला पडा था खेती निहारिका मारी नहीं थी नहीं मैंने उसकी फोटो दिखाकर भी तस्वीर की है । यहाँ तक क्या मैं टैक्सी स्टैंड पर वो टैक्सी वाला भी मिल गया । उसने भी फोटो से निहारिका को पहचान लिया । उसे उसे यहाँ से काफी दूर मेयर रोड पर महिला आश्रम में छोडा था । हम लोग नहीं जा रहे हैं वो कुछ मैं उसके परिवार वालों को बता देता हूँ तो उन्हें भी लेकर वहीं पहुंचता हूँ । हाँ, अब तो आपने उन सब को बोला भी दिया होगा । यहाँ भाईजान आपस लोगों को बुलाते रहते हो तो बहुत बोल रहा है तो जब पर मरने उसकी बात सुने बगैर फोन काट दिया था । जावेद ने यूटन मना और वापस जहाँ मंत्रालय के घर पहुंचा । इस नई खबर में उनके हाथ गेंद परिवार में जैसे नहीं जान डाल दी । पी तुरंत उसके साथ आश्रम चलने को तैयार हो गए हूँ ।

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एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक उसके दुश्मन का दूसरा उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था। वह एक बदकिस्मत कातिल था। पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके। writer: शुभानंद Voiceover Artist : RJ Manish Author : Shubhanand Producer : Saransh Studios
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