Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
बदकिस्मत क़ातिल भाग - 06 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

बदकिस्मत क़ातिल भाग - 06 in Hindi

Share Kukufm
2 K Listens
AuthorSaransh Broadways
एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक उसके दुश्मन का दूसरा उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था। वह एक बदकिस्मत कातिल था। पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके। writer: शुभानंद Voiceover Artist : RJ Manish Author : Shubhanand Producer : Saransh Studios
Read More
Transcript
View transcript

हूँ । भाग छह सुबह आठ बजे अमर तैयार होकर अपनी कार से सीधे जे के मेमोरियल कॉलेज पर सस्ता पहुंचा । कुछ देर इंतजार के बाद उसे मंदिरा आती दिखाई थी । उसने इस वक्त लाल फॅमिली जींस पहन रखी थी । बाल केले थे जिन्हें उसमें खोल रखा था । आंखों में गहरा काजा लगाया था जिससे उसके आगे और भी नशीली लग रही थी तो अमर की तरह पाकर उसकी खिडकी पर चक्कर मुस्कराएं । अमर के नथुनों में उसके खुश को प्रविष्ट कर गई और साथ में उसे उसके टॉप के अंदर तक भरपूर नजारा मिला । बॅान्डिंग बहुत ज्यादा के साथ ऍम चीज की कहाँ में बैठकर अपनी खूबसूरती का थोडा सा भोग लगाते ही फिर दूसरी तरफ से आकर उसके बगल में बैठ गए । अमर ने का आगे बढा देती हूँ । कुछ देर दोनों के बीच खामोशी रही फिर मंदिर मैंने पूछा निहारिका का कुछ पता चलता हूँ । तफ्तीश जारी है । चलती कुछ पता चलने की उम्मीद है । अच्छा मंदिर के चेहरे पर उदासी छा गई हूँ । फॅमिली मुझे बताया तो मैं उसके फिक्र है पर हम लोग जरूर उसका पता लगा लेंगे । सच बताऊँ मुझे तो लगता नहीं कि इसमें ऍम तो कैसे? मेरा मानना है कि वो अपने किसी प्रेमी के साथ कहीं चली गई है । शायद शादी करने के लिए फॅमिली बताया था । उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है । जरूरी तो नहीं कि वो कॉलेज में रहा हूँ । अमर बहुत उसका कर बोला मंदिर डालने जवाब नहीं दिया । हो सकता है घर के आस पास कहीं कोई उसे मिला हूँ । पर मुझे यकीन नहीं आता है कि उसके इस तरह की लडकी इस तरह बात सकती है । फिर किस तरह की लडकियाँ भारतीय मतलब मदद तुम्हें ऐसा क्यों लगता है? उसकी दोस्त हूँ । उसके बारे में कुछ तो जानती हूँ । हो गया । देखते हैं क्या होता है? कहते हुए अमर ने कार को मोडा उनका कालीपहाडी की तरफ चल रहे हो । मंदिरा ने बाहर देखते हुए पूछा । फॅमिली अच्छी जगह तो तुम इन्वेस्टिगेशन के लिए वहाँ जा रहे हो । कालीपहाडी किस नदी के पास से ही तो निहारिका गायब हुई थी तो मुझे घुमाने का तुम्हारा ये मतलब था तो फॅमिली खफा हो रही हूँ । मैंने तो सोचा एक पंथ दो काज हो जाएंगे । अगर तुम का हो तो हम नहीं जाएंगे । नहीं, ऐसी बात नहीं है । मैं चलूंगी अपनी दोस्त को ढूंढने में । अगर मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाई तो मुझे खुशी होगी । कुछ काम से क्या की उम्मीद थी । कॅश उधार मंदिरा मुस्कुरा दी पार्टी बहुत बनाते हूँ । लगता है यही तुम्हारी एक्सपर्टीज अमर हस दिया । कुछ देर बाद पे उसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंचे जहां पर पहाड नदी बहती थी । मैं और है ना । उस वक्त नदी में इंजॉय कर रहे थे । निहारिका बस पांच मिनट के लिए पानी में आई थी । फिर पानी के बहुत ठंडा होने की दुहाई देते हुए बाहर आ गई होगी । फिर वो इस तरफ अकेले ही टहलने लगी । अमर नदी के किनारे इशारा करते हुए बोला, हाँ मुझे तो लग रहा है शायद से फोन आया था और वह बात करते हुए तैरती हुई काफी आगे चली गई थी । दोनों टहलते हुए उसी जगह पहुंच गए जहां का नंबर चावल के साथ नदी पार करके दूसरी तरफ किया था । दोनों जाती पार करके चट्टान के पीछे करें । हमारा आगे बढता गया । थोडी दूर जाकर उसे ढलान दिखाई दी जिसके आगे सडक थे । हम लोग उसे ढूंढते हुए इस तरफ भी आए थे । मंदिरा ने कहा अगर सडक पर आ गया, मंदिरा भी वहां पहुंच गई । हमारे सडक का ध्यानपूर्वक मुआयना करते हुए थे । उसे पार कर गया । सडक के दूसरी तरफ गहरी खाई थी । हमारे लिखाई में झांककर देखा फिर मंदिरा की तरफ मुडकर बोला जो कोई भी निहारिका को ले गया है । इसी तरह से ले क्या होगा? किसी नेताओं से जरूर देखा होगा । यहाँ पी आबान में होने देखने वाला हूँ । इधर नहीं है पर पहाडी उतरते हुए कुछ दुकानें हैं जैसे कि छोटे मोटे ऍम किसने ध्यान दिया होगा । कोशिश करने में हर्ज क्या है? मंदिर आने सहमती में सर हिलाया । दोनों वापस कार में पहुंचे और नीचे की तरफ चल दिया । कुछ दूरी पर और एक छोटे से चाय की दुकान दिखाई थी । अमर ने वहाँ पूछताछ करेगी पर कोई काम की बात नहीं पता चली । अभी वो आगे बढ रहे थे कि अमर को जावेद का फोन आया कहाँ हो जावे तो मुझे कालीपहाडी पर पूछ ताछ कर रहा था । अच्छा कभी अभी पता चला है कि जाम मंत्रा एक सूटकेस लेकर अपने घर से निकला है । तो हो सकता है किस लिए फिरौती की मांग कर लिया । हाँ, मैं क्वार्टर आया हुआ था इसलिए तो मैं फोन किया था मेरी तरह तुम भी काफी दूर हो । एक एजेंट तो पीछे लगा है । मैं उनको बोलता हूँ की टीम के साथ सामंतराय के पीछे जायेगा तो उनको बोलो में यहाँ से फौरन निकलता हूँ । हो सका तो वहाँ पहुँच जाऊंगा । ठीक है कहकर ऍम आप करते हैं क्या हुआ? मंदिर रहने उत्सुकतावश पूछा शायद निहारिका का पता चलने वाला है । हमें चलना होगा । अमर ड्राइविंग सीट की तरफ पढते हुए बोला तो मैं कहाँ टॉप करूँ? मुझे कॉलेज छोड देना कुछ फॅसने कर आगे बढा दी हूँ ।

Details

Sound Engineer

एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक उसके दुश्मन का दूसरा उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था। वह एक बदकिस्मत कातिल था। पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके। writer: शुभानंद Voiceover Artist : RJ Manish Author : Shubhanand Producer : Saransh Studios
share-icon

00:00
00:00