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प्रथम परिच्छेद: भाग 6 in Hindi

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AuthorNitin
कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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और हम परिचित बाहर छह जब महेंद्र ने आना स्वीकार किया तो नंदलाल ने अपने दूसरे लडके सुरेंद्र तथा उसकी एंग्लो इंडियन बीवी को भी बुला लिया । जिस रात गोपाल ने राधा से विवाह किया था उसके अगले दिन बहुत प्राथमिक मे ंद्र अपनी पत्नी, साली और दोनों बच्चों के साथ आ गया । सुरेंद्र और उसकी पत्नी एंथनी को उसी दिन मध्यान के समय आना था । गोपाल रात भर भाग दौड करता रहा था । वह नौ बजे सोकर उठा । अभी वह अपनी पलंग पर बैठा विचारी कर रहा था की किस प्रकार राधा को अपने घर की पता हूँ के रूप में स्वीकार कराए की उसकी बगल वाले कमरे में चहल पहल सुनाई दी । वह अपना विचार छोड सोचने लगा कि ये कौन मेहमान घर में आए हैं । इतने में महेंद्र की लडकी सुलभ और लडका इंद्रा उस कमरे में आतंकी चाचीजी हम आगे वो सलवार गवा योग डैडी मम्मी भी आए हैं क्या? हाँ और मौसी सुनवा सात वर्ष की लडकी थी । वह कूदकर गोपाल के पलंग पर चढ गई । उसके गले में बाहर डालकर लाड करने लगी । इंद्रा अभी चार वर्ष का था । वह भी पलंग पर चढने का यात्रा कर रहा था । इस समय गोपाल ने सुलभ की बातें गले से निकालकर कहा चलो दादा को परिणाम कर रहा हूँ । मैं लपक कर पलंग से नीचे उतारा । स्लीपर पहने और स्लीपिंग सूट में ही सात के कमरे में चला गया । उसने कमरे में पहुंचते ही भाभी को नमस्ते की और भावी को नमस्ते करने ही लगा था की कुर्सी पर बैठी एक लडकी पर उसकी दृष्टि चली गई । वह मल्लिका थी । मल्लिका गोपाल की कॉलेज में ही पडती थी । वह उसकी सकल से परिचित था परन्तु ये नहीं जानता था कि वह भावी की बहन है । सुनवा के कहने से की उसकी मौसी भी आई है । वह समझ गया कि उसके कालेज की लडकी ही भाभी की बहन है तो उसने हाथ जोडकर न मस्ती करते हुए कहा, तो आप है हमारी भावी की वहन । इस समय एक घर से बाहर की लडकी के सामने स्लीपिंग सूट में आ जाने से उसको लग जा । अभी मैं कुछ जीत गया मैं केंद्र ने भी उसके इस प्रकार वहाँ आने को पसंद नहीं किया । उसने उसको कह दिया, हम तो ब्रेकफास्ट के लिए जा रहे हैं और तुमने अभी स्नान भी नहीं किया । ज्यादा चलो मैं अभी आया बस । उस ने चुटकी बजाते हुए कहा, अभी दो मिनट में आया । गोपाल को डाइनिंग हाल में पहुंचने में बीस मिनट लगे । नंदलाल और मोहिनी वहाँ पहले से उपस्तिथ थे । जब महिंद्रा इत्यादि वहाँ पहुंचे तो नंदलाल ने बताया सुरेंदर और उसकी पत्नी भी मध्यान तक आ रहे हैं । उस ने भी इस सगाई के विषय में बात की होगी । इस पर भी मुख्य व्यक्ति गोपाली है । मल्लिका और गोपाल को परस्पर मिलने का और एक दूसरे को जानने का अवसर तो मिल ही जाना चाहिए । खानी ने बताया ये एक दूसरे को जानते हैं । मल्लिका ने बताया है कि वह उनके कॉलेज में ही पडती है । यद्यपि इस संबंध में इन को ज्ञान नहीं था तो अब पता चल गया है क्या? हाँ गोपाल ये तो जान गया है कि मेरी बहन है और यदि आपने बताया होगा की मेरी बहन यहाँ किस कारण आई है तो सब कुछ समझ गया होगा । हमने उसको इस विषय में अभी कुछ नहीं बताया । इस पर भी उसके मुख से कुछ ऐसा प्रतीत होता था कि वह सब कुछ समझ गया । महिंद्रा ने अपनी सम्मति बता दी, यदि पता है तो हमारा कम से कम हो जाएगा । मैं सगाई का प्रस्ताव भोजन के समय कर दूंगा । नंदवाल ने अपना मत प्रकट किया । अल्पहार समाप्त कर जब परिवार के लोग उठ रहे थे तब गोपाल पाजामा कुर्ता पहने हुए वहां पहुंचा । उसे आया देख नंदलाल ने कहा लेटलतीफ कल क्या करते रहे हो जो अभी जागे हूँ । पिताजी बहुत आवश्यक कार्य में लगा हुआ था । कॉलेज के काम में उससे भी अधिक आवश्यकता किस समय हुए थे? रात रात एक साल के साढे तीन बजे ही सो सकता था । नजर लाल जिसमें से लडके का मुख देखता रह गया । कुछ विचार कर उसने का अच्छी बात है नास्ता लेकर मेरे कमरे में आ जाओ । जल्दी गन्ना मुझको मिल में जाना है । गोपाल दूत पराठा और मक्खन लेने लगा तो सब उठकर खाने के कमरे से बाहर चले गए । गोपाल को संदेह हो गया की रात की कारगुजारी का ज्ञान उसके पिता को हो गया । उसी विषय में वो उससे कुछ कहना चाहते हैं । मैं विचार करता था कि राधा के पिता रामसुख नहीं इस घटना के विषय में पिताजी से कहा होगा । अल्पहार लेकर भोजन के कमरे से निकला तो उसको पिता के कार्यालय के बाहर रामसू खडा दिखाई दिया । वह अपने नियत काम मैंने साल का बैग उठाकर उनके साथ मिल जाने के लिए तैयार खडा था । गोपाल उसको देख खडा हो गया तो अंतर कुछ विचार कर उसने संकेत से उसे समय बुला लिया । जब आया तो उसको खाने के कमरे में ले गया । सरस्वती ने रामसुख को समझा दिया था कि राधा के विषय में उसको बात नहीं करनी है । जब बडे बाबू अथवा गोपाल बाबू बात चलाएं तो सत्य सकते । बात बता दें उसने ये भी बता दिया की वहाँ की रसम भी पूरी हुई है । इसके अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ । गोपाल अभी बालिग नहीं है । इसका रसम भी बच्चों के खेल के अतिरिक्त कुछ नहीं कही जा सकती है । भोपाल ने खाने के कमरे में जाकर राम सबसे का काका राधा को देखा है । हाँ, परन्तु उसको वस्त्र आभूषण मैंने दिए हैं । उसने बताया है परन्तु परन्तु और तो कुछ नहीं कहा का मुझको ये बताओ कि आपने पिताजी से कुछ कहा है हूँ अभी कुछ नहीं तो तुम मत कहना । मैं सब कुछ काम कर लूंगा । कब तक बहुत जल्दी यदि दादा नहीं आए होते तो अब तक बात हो चुकी होती है । अब सुना है सुरेंद्र भैया और भाभी भी आ रहे हैं । इस कारण एक दो दिन लग सकते हैं पर मैं तुमको विश्वास दिलाता हूँ कि उसको किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचेगी । ठीक है भैया ये सब ऍम हुआ है । हम निर्धन है । तुम धनी वहाँ पर तुम पडे हुए नहीं हमारा देश एक है । मैं जाती तुमने लडकी को बहुत कठिन उलझन में फसा दिया है । काका इसमें कुछ भी ऐसा वहाँ ठीक नहीं है । इसमें कहीं भी तो कठिनाई दिखाई नहीं पडती । तुम राजी हो तो से सब ठीक हो जाएगा । अभी मालकिन पूछ रही थी कि राधा क्यों नहीं आई? वह कपडे बदलकर आ जाती है । परंतु वह सुहाग सिंह मिटने को तैयार नहीं है और था ये दिवे आती तो सब बात पता चल जाती है । मैंने ये कह दिया कि उसकी पसली में पीडा है । इस पर मालकिन हमारे घर जाकर उसकी कुशल पूछने की तैयारी कर रही । काका तुम अपने काम पर जाओ, मैं अपनी माँ से निपट लूंगा । गोपाल को स्मरण हुआ या की उसके पिता ने उसको बुलाया था । इसलिए मैं राम चुप को वहीं छोडकर पिता के कार्यालय में चला गया । उसके आते ही पिता ने पूछ लिया बहुत देर कर दी गोपाल बताइए क्या काम है राम? सब से बात कर लेने के पश्चात वह कुछ निश्चित और निर्भय हो गया था । पिता ने उसको अपने पास बुलाकर पूछ लिया परीक्षा कब होगी? अप्रैल मार्च के अंत में तो चार महीने के पश्चात फिर क्या करोगे ये परीक्षाफल पर निर्भर है और फिर काम मिलने पर काम मिला तो विदेश जाओगे । विचार तो नहीं । आगे पढाई के लिए विदेश जाने में कुछ भी अर्थ नहीं है । मेरा विषय तो इतिहास है । इसका अध्ययन तो भारत में रहकर भी हो सकता है । वहाँ लन्दन म्यूजियम का पुस्तकालय जो है वैसी सुविधा इस देश में कहाँ? इसके लिए वहाँ जाया जा सकता है । इस पर भी किसी परीक्षा के लिए वहाँ जाने का कुछ भी प्रयोजन नहीं । यदि इस कार्य के लिए तुमको वहाँ जाने की सुविधा मिले तो भी नहीं जाओगे । क्या सुविधा से क्या अभिप्राय? पिताजी वहाँ दो तीन वर्ष तक रहने का प्रबंध खर्चा दी मिल जाएगा । उस अवस्था में विचार कर लूंगा था । विचार कर लो, मैं यत्न कर रहा हूँ कि तुम को ऐसा अवसर मिल जाएगा । बीस हजार रुपए मिल जाएंगे और तुम्हारी योग्यता को चार चांद लग जाएंगे । विचार करुंगा पिताजी है । मैं कभी विचार करता हूँ कि जो कुछ यूरोपियन विद्वानों के पास है, क्या हुआ? मैंने सीख नहीं लिया कुछ उन की बातों में और यहाँ के विद्वानों की बातों में भेज दिखाई देने लगा है । कौन विद्वान मेरा मतलब है यहाँ के कौन विद्वान है जो यूरोप के विद्वानों से विचार भी रखने लगे तो मुझको तो ऐसा कोई दिखाई नहीं देता । आपने यहाँ के विद्वानों की पुष्टि के पडी नहीं । मेरा मतलब है कि वाल्मीकि, व्यास, पराशर, मनु इत्यादि की नंदलाल पुत्र का मुख देखता रह गया । फिर माथे पर थोडी चढाकर पूछने लगा इनको विद्वान मानते हो तो बस फिर हो गयी क्या हो गया? पिता जी तुम्हारी पढाई और उन्नति इंटपोल सङकों को विद्वान मानते हो तो डॉक्टर मजूमदार जयसवाल चलते कृत्या को क्या तो हो गया पिताजी अभी तक तो इनको ही पडता आया हूँ । तो जब से प्राचीन लेखों को पडने लगा हूँ ये काम शिक्षित और पक्षपातपूर्ण दिखाई देने लगे हैं । बसपा तो अल्पज्ञ ता का ही लक्षण है । मैं समझता हूँ कि अब तुम मेरे धन का दुरुपयोग करने लगे हो । देखो इस परीक्षा में फर्स्ट डिवीजन लेना है जिससे डाक्ट्रेट के लिए विलायत जा सकूँ । व्यास मनो इत्यादि को छोडो और अपनी पढाई में ध्यान लगाओ । यही तो विचारनीय बात है । पिताजी आप निश्चिंत रहे हैं । मैं मॉर्डन शिक्षा पद्धति से अपने मन की बात को छुपाकर असत्य भाषण का ढंग सीख गया हूँ । आप चिंता नहीं करें झूठ सत्य बोल कर मैं फाइट विजन ले ही सकूंगा । हाँ ठीक है ये रुपये मिलने की बात गोपाल समझ रहा था । उस को संदेह हो गया की उसके विवाह का प्रबंध हो रहा है । इस संदेह के साथ ही उसको मलिका का यहाँ आना कारण सहित प्रतीत होने लगा । उसको दोनों बडे भाइयों और भावनाओं कि आने का अर्थ समझ में आने लगा । इस विचार पर वह राधा के प्रति अपने करते हुए पर मन को दृढ करने लगा । उसको माता जी के राधा की पसली की दर्द की खबर लेने के लिए जाने के बाद सामान आई तो वह माता जी को बात बताने के लिए उनसे मिलने चल पडा । परंतु वह तो राधा के घर की ओर जा रही थी । पीछे से बुलाना उचित रहे । समझ वह कमरे में लौट आया । वहाँ मलिका बैठी उसकी पुस्तकों को देख रही हैं वो तो अब यहाँ हैं क्यों कोई पुस्तक पडने को चाहिए । जब यहाँ आई हूँ तो आपसे परिचय बढाने की लालसा बना लेना स्वाभाविक की है । कॉलेज में हम भिन्न भिन्न श्रेणियों में होने से तो एक दूसरे की सूरत से भी परिचित थे । अब ये है तो बहुत ही अच्छा अवसर मिला है । मैं जब कल दीदी के घर गई तो वह कहने लगी कि वे और जीजा जी जगह ही आ रहे हैं । मुझ को भी चलना चाहिए । मैंने पूछा यहाँ क्या है तो कहने लगी जीआईजी के पिताजी रहते हैं । उन्होंने बोला बीजा हैं, नए स्थान को देखने के लोग में चली आई हूँ परन्तु नए स्थानों के साथ साथ आपको भी देख लिया । अच्छा मलिका ये बताओ ये बीए की परीक्षा के बच्चा ॅ होगी क्या? मल्लिका हंस पडी थी खासकर बोली हम लडकियों की शिक्षा तो किसी योजना के अधीन होती नहीं है । वास्तव में हम विभाग के लिए प्रतीक्षा काल को कालेज की किताबों की छानबीन में लगती है । तो आप युवा के लिए प्रतीक्षा काल को व्यय करने के लिए काले जाती हैं । हाँ वो तो अब तो उस काल का किनारा दिखाई देने लगा है और विचार करती हूँ कि अब पढाई की यंत्रणा सहनी नहीं पडेगी तो तुम्हारे विभाग का प्रबंध हो रहा है । यही मुझको बताया गया है । कौन है बे भाग्यशाली जो मालिक को अपनी मलिका बना रहा है । ये मैं कैसे बता सकती? मुझसे राय लेकर तो कुछ किया नहीं जा रहा है । सत्य तब तो ये बहुत अन्याय हो रहा है । अन्याय ने आएगी बाद में नहीं जानती । मैं तो अपने को बेहती नदी पर दिन के के समान अनुभव करती हूँ । इसमें भी एक प्रकार का सुख होता है । तब तो ठीक है । सूखी तो जीवन का सारे अच्छा मलिका इस समय क्या पढना चाहोगी जो पुस्तक आप समय निकालने के लिए ठीक समझे । गोपाल की मेज पर तुलसी की रामायण पडी थी, उसने वही उठाकर दे दी और कहा जी बहलाने के लिए ये ठीक रहेगी । मल्लिका ने रामायण लेली और अपनी बहन के कमरे में चल पडी है । उसने जाने से पहले कुछ तक के लिए धन्यवाद किया और बोली लंच के समय मिलेंगे अभी तो कई दिन रहेंगे आप ये तो आपके पिताजी पर निर्भर है । उनको तो आपके यहाँ रहने पर प्रसन्नता होनी चाहिए । हाँ क्या है तो यही है हूँ ।

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कामना जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह गुरुदत्त जी का पूर्ण रूप में सामाजिक उपन्यास है इस उपन्यास में इन्होंने मानव मन में उठने वाली कामनाओं का वर्णन किया है और सिद्ध किया है कि मानव एक ऐसा जीव है जो कामनाओं पर नियंत्रण रख सकता है Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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