Made with in India
आप सुन रहे हैं को खूब एफ एम किताब का नाम है । प्यार तो होना ही था । जैसे लिखा है हिमांशु राय नहीं है और मैं हूँ आर्चे श्री कम सिन्हा कुकू एफएम सुनी जो मन चाहे ये प्रेम कथा उन सारे युगल प्रेमियों को समर्पित है जिनकी प्रेमकहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई । वर्ष दो हजार थी । मेरा नाम रोहन वर्मा है । उस दिन तो मेरे खुशी का ठिकाना ही नहीं था और वह हवाएँ वो हवाई भी करीब एक सौ बीस किलोमीटर घंटे की गति से मुझे अपनी ओर खींचे जा रही थी । मेरे लिए आंखे खोल पाना भी मुश्किल हो रहा था और मैं प्रकृति की सुंदरता से अभिभूत था हूँ । मैं मोबाइल टावर के शिखर पर करीब एक सौ मीटर की ऊंचाई पर खडा था । वहाँ से हर चीज मुझे बहुत ही छोटी दिख रही थी । ऐसा लग रहा था मानो वे सारी चीजों को मैं अपनी जेब में रखूँ । मेरठ जिले के पास का एक शहर खतौली मुझे उस ऊंचाई से लगभग सारा ही देख रहा था । वहाँ से हरियाली से भरा पर्वत उत्तर की ओर हरे भरे खेत बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे । मैं रेलिंग का सहारा लेकर आगे की ओर झुककर देखने की कोशिश कर रहा था की देखो तो मेरे इंडिका कार ऊपर से कैसे देखती है? एक खेल उन्होंने जैसे कार्य की तरह शाम ढलने को नहीं और सूरज सूरज हुए जा रहा था और आकाश से मिलने को बे कर रहा था । चिडियाँ वापस अपने घोसलों में जाने के लिए उडान भर चुकी थी और मैं ऊपर बैठा को या यही सोच रहा था की पता नहीं होंगे । चिडियाँ ऊंची उडान भरते हुए सोचती होगी कि पता नहीं ये आदमी इतनी ऊंचाई पर क्यों बैठा हुआ है । मैं पीछे की ओर मुडकर खतौली के प्रसिद्ध हाइवे, रेस्तरां दस चीतल ग्रांड को देखने लगा की कभी जाकर वहाँ के लजीज पकौडे और चाय का स्वाद ले पाओ । जमीन से टावर का शिखर बहुत ही पतला एवं संकरा सा लगता है पर वहाँ का प्लेटफॉर्म इतना बडा है कि उसमें एक कार पार्क हो जाएगा । सितंबर के मस्त हवाओं का मजा लेने के लिए मैं उसी प्लेटफॉर्म में लेट गया और अपने हाथों को अपना तकिया बनाकर खुले । नीले आकाश को ने हाथ में लगा हूँ । वो जगह बहुत ही शांत थी पर अचानक आसपास की किसी एक मस्जिद से अजान की आवाज आने लगी । ईश्वर को किसी भी रूप में याद करने के लिए हवा में कुश्ती आवाजों को सुनना कर्णप्रिय लगता है । मैं ये सब सुन नहीं रहा था की हवाओं के बीच से एक गाना मेरे कानों की लहरियों को छेड गया और मैंने अपने अंदाज में उसका जवाब दे डाला । मैं जिंदगी का साथ ठंडी बहुत चला गया । फॅमिली को धुएंॅ उडाता चला गया । इस गाने से याद आया कि सिगरेट सुनने के लिए ये जगह उन भरी है । मैंने पडे इत्मीनान से अपनी जेब से सिगरेट के टिप्पी से एक सिगरेट निकले और अपने होठों के बीच उसे बडी तसल्ली से दबा लिया । और फिर आपने चेज में माफी भी डिब्बे टटोलने लगा हूँ । सनसनाती हवा बेड हूँ । वह जा रही थी और ऐसा लग रहा था मानव सिगरेट चलाने के लिए वह मुझे चुनौती दे रही हूँ । मुझे भी चुनाव किया । बहुत खाती हैं माचिस की पहले दिल्ली तो मैं चला नहीं पाया मगर इससे मेरे जस्ट पे में कोई कमी नहीं आई । इसीलिए मैंने हवा से कहा मुझे चुनौती दे रही हो । मैं पिछले पांच सालों से सिगरेट पी रहा हूँ तो उन जैसे बडे आए । मैंने होठों में दबी सिगरेट को माचिस की डिब्बी के काफी पास लाकर हवा की गति से भी जल्दी मार्च इसके दिल्ली चलाने की कोशिश की कि कहीं ठंडी हवा लाओ को बुझाना दें और फिर सिगरेट के कश के साथ मैंने विजयी तंभरा । मैं वहीं खडा, रेलिंग पकडे हुए और शांति से धुएं के छल्ले उडाता रहा । मैं अपने बेंडर को देखने के लिए थोडा नीचे की हो चुका जो करीब पचास मीटर पीछे एक माइक्रोसॅाफ्ट कर रहा था क्या तुमने इंस्टॉल कर लिया या थोडा समय और बाकी है? सिक्योरिटी बेरिट पहन नहीं नीचे की ओर लगाते हुए एक आदमी को देखकर मैं चलाया सर थोडा और समय लगेगा । मैंने काम लगभग पूरा कर लिया है । उसने भी चिल्लाकर जवाब दिया एक साल पहले मैं भी एक छोटी वेंडर कंपनी में काम करता था जहाँ मैं बहुत ही बुरे हालत हो एवं विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहा था । कठिन परिस्थितियों में तो फिर भी काम किया जा सकता है, भरेगी जीनियर होकर मजबूरों की तरह काम करना बडा एक्शन बना था । इस पे मैं भगवान का बडा शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे संघर्ष को समाप्त करने में मेरी मदद की और अंततः मैंने मेरे हाथ में एक मोबाइल ऑपरेटर के रूप में ज्वाइन किया । पर हम लोग जल्दी उत्तर प्रदेश में इस कंपनी का मोबाइल ऑपरेशन लॉन्च करने वाले थे और मुझे इस काम की जिम्मेदारी दी गई थी कि मैं मोबाइल टावर साइट पर जाकर इंस्टॉलेशन के काम का मुआयना करूँ और ये सुनिश्चित करूँ कि ये सारे काम समय रहते हो गए हो जाएगा । उस समय पूरे भारत में मोबाइल ऑपरेशन पूरी तरीके से शुरू में हुए थे । उस समय बाजार में मोबाइल हैंडसेट की जडे जमाने का था । तब बहुत ही कम लोगों के पास मोबाइल होता था और वे लोग बहुत ही खास माने जाते थे । मैं ये करना सा इंजीनियर था और भाग्य वर्ष कंपनी में मुझे भी एक मोबाइल दिया था और मैं उस मोबाइल का प्रयोग लडकियों के बीच रोड जमाने के लिए क्या करता था? मैं पी सिगरेट का अंतिम कस लिया और सूरज की तरफ देखा जो तब तक छोड चुका था और आपने पीछे कहराते रंग का आस पास छोड चुका था । मैंने जब आकाश में पहला तारा देखा तो बचपन की बात याद आ गई कि पहला देखें वापी ये कैसा खेल था जिसे हम बचपन में खूब खेलते थे । आकाश के वो चार आ रहे हमारे भाग के निर्धारित करते थे । मुझे उस खेल की लाइनें अच्छे से याद थी और उसे याद कर मत में एक खुद को दी से भी हो रही थी । वो चार लाइन थी पहला देखो पापी, दूसरा देखे राजा, तीसरा दे के शैतान और चौथा देखे पूरा संसार अब समय बढ रहा था और इससे पहले कि आकाश का रंगा और कहना हो जाये उससे पहले मैं नीचे उतरते को हुआ । चारों ओर घूमकर देखने के बाद मैं टावर के चारों ओर बुरी हुई था तो की सीढियों से नीचे होता नहीं लगा । मेरी जेब में मेरा मोबाइल काम पे लगा और आवाज करने लगा । मैं ये सोचकर उसे अपनी जेब से बाहर निकालने के लिए रुका था । कहीं ऍम का फोन ना हो । मैंने सीढियों की रैलिंग को जोर से पकड लिया और और फोन को अपने चेहरे के बहुत पांच लाकर मैसेज पडने लगा हूँ । क्या हम बात कर सकते हैं । वैसे ही मैसेज पढने के तुरंत बाद मेरी आंखों ने अचानक झपकना बंद कर दिया । मेरा करीब बैठ गया फॅार सों में खून का बहना रुक सा गया हो । ये मैसेज उस खासम खास का था जिसके बारे में आज पूरे पांच साल बाद भी मैं हर रोज सोचता हूँ । मैंने रेलिंग में अपना सिर्फ बनाकर के देखा कि क्या मैं ऍम ये सच है उस नहीं मुझे मैसेज भेजा है । मैं उतरते हुए मुस्कुरा रहा था और मोबाइल को अपनी जेब में रखने की कोशिश कर रहा था । तभी अचानक भगवान मेरा मोबाइल सीधे नीचे की ओर करने लगा । मैं उसे लग रखने के लिए नहीं चाहिए । क्यों तेजी से जाते हुए अपने वेंडरों को चिल्लाकर कहने लगा ऍम मेरा मोबाइल नीचे गिर गया है उसे उठालो मैंने लंबे लंबे तक भरे और इस बीच मुझे इस बात का कोई डर नहीं था कि मैं कहीं बीच में ही लटक चाहूँ या मुंह के बल लगता हूँ और अब कुछ दस कदम बाकी थे । मोबाइल जैसे ही नीचे गिरा वो टावर के रॉड से टकराया इक्यूप्मेंट रूम की छत से टकराते हुए सीधे दलदल में जा गिरा । मैं जल्दी जल्दी दलदल की ओर जाने लगा और वहीं दूसरी ओर मेरे वेंडर किनारे खडे मुझे देखते रहे सर वो उस तरफ जागी रहा है जहाँ वो बडी सी बहस बैठी है । बिना एक सेकंड भी देर किए मैंने अपने हाथों को अपनी जांघों में रखा और सीधे दलदल में घुस गया । सर सर अरे ऐसा मत की ये करेंगे । मोबाइल खराब हो गया है आपको ऑफिस एक नया मोबाइल मिल जाएगा पर उन्हें ये नहीं पता था कि अभी ये मोबाइल मेरे लिए कितना जरूरी है । आखिरकार उसमें वैदेही का मैसेज आया था । मैंने अपनी ऍम को नीचे से बोला और दलदल में टायर नहीं लगा । मैं मोबाइल खोजने लगा । मैं उसे ढूंढने में इतना बे सब था कि मेरा मुंह ऐसे के करीब आ गया था । भर कुछ भी हो जाए । आज तो मैं अपना मोबाइल वहाँ उस गंदगी में भी नहीं छोड सकता था क्योंकि उसमें मेरी वैदेही का मैसेज आया था । मैं उनसे तब तक घूमता रहा जब तक मेरे हाथों में कुछ बढाना गया । आखिरकार हाथ में मेरा मोबाइल हो गया । मैंने पूरे उत्साह के साथ उसे ये सोच कर बाहर निकाला कि मिट्टी एवं भैंस के गोबर में पहले होने के बावजूद वो अभी भी काम कर रहा होगा । पर उसके स्क्रीन भी टूट गई थी और उसमें अब कुछ भी नहीं बचा था । फिर भी मैं उस मोबाइल को वापस लाकर बडा खुश हुआ था । पूरे आवेश से उसके बच्चों को बार बार लगातार तब आता जा रहा था मेरा सहायक ऍम जो मुझे बेहद आश्चर्य भरी निगाहों से देख रहा था । आपने मुझे दलदल से बाहर निकालने के लिए अपना हाथ मेरी ओर बढाया । अपने कपडों को बचाते हुए उसने मुझ से दूरी बनाए रखी है । उसने मुझे ऐसे कहा कि सर आप ये फोन हो गया अब ये काम नहीं करेगा । जैसे कि मैं जानता ही नहीं था नहीं मुस्कुराते हुए उसे जवाब दिया की अगर ये काम नहीं भी करेगा ना तब भी मेरे लिए ये जरूरी है । वह बाल्टी भर पानी और एक मग लाया । उसके सहारे मैंने अपना मोबाइल एवं खुद को साफ किया । मैं दुखी तो था ही क्योंकि मेरे पास वैदेही का नंबर नहीं था इसलिए मैं उसे वेंडर के फोन से भी कॉल नहीं कर सकता था । क्या पता हूँ वो मेरे कॉल का इंतजार कर रही हूँ और अब तक उसने मेरे लिए ये सोच लिया हो की मुझे अब उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है । मैं ग्रुप में खून की सीढियों पर बैठ गया तो टावर के बेस पर लगा हुआ था । तब तक खूब अंधेरा हो चुका था । फॅसने भी अपना काम पूरा कर दिया था । चुके में एक दिन के लिए उनके संपर्क में नहीं रहूंगा । इसलिए मैंने उन्हें आदेश दिया और कहा कि आप लोग अपना काम पूरा होने के बाद आराम करो भाई । कल रोड के में नया काम शुरू करना है । मैं अभी देहरादून के लिए निकल रहा हूँ और कल नया हैंडसेट मिलने के बाद मैं फोन करूँगा । अब तुम लोग अपने काम पर लगता होगा । मैंने अपने कंधे पर आपने लैपटाप का बैग रखा और हाथों में सूत्रों को पकडकर आगे पढा । मैंने ड्राइवर से कहा वह काट लेकर आए क्योंकि अब देहरादून के लिए निकलना है । मैं कार में बैठा और हाईवे की ओर चल पडा । चुकी खतौली एक छोटा शहर है तो करीब दस मिनट में हमने उसे पार कर लिया । मैं खुश भी था और थोडा असमंजस में भी क्योंकि उसने पांच साल के बाद मुझे मैसेज किया । मैं आशा करता हूँ की मेरे कॉलेज के पुराने दोस्तों ने मेरे साथ कोई मजाक किया हूँ । मेरे पास तो उसका नाम मार भी नहीं था । हो सकता है मेरे किसी दोस्त ने उसका नाम लेकर मेरे साथ मजाक करने की कोशिश की हूँ पर करके उसका नंबर हुआ तो मैं अभी से उदयपुर में था की कार देहरादून हाईवे पे पहुंच गई । मैंने सिगरेट चलाते हुए आपने ट्राइ कर सका राजेश खबरे रास्ते देहरादून में ही रुकना है इसलिए वहाँ समय पर पहुंचने की कोशिश करो । उस ने कहा सर आप बहुत सिगरेट पीते हैं । मैं कार की खिडकी से बाहर जाते हुए मुस्कुराया और कहा ऍफआईआर कुछ साल पहले किसी ने मुझे अच्छे से समझा दिया था की चाहे मैं जिंदा रहूं या मरो किसी को कुछ फर्क नहीं पडता है तब से मैं खुद को मारने की कोशिश करता हूँ भाई ये सुनकर वो जोर जोर से हंसने लगा । राजेश पिछले एक साल से मेरा ड्राइवर है और तब से वो मेरे लिए एक दोस्त की तरह ही है । वो एक संघर्षशील लडका है और जिंदगी में हमेशा बहुत कुछ सीखते रहना चाहता है । टाइप करते समय इन पेडों से होकर गुजरते उन छोटी झोपडियों में पीले रंग के जलते बल्ब और रास्तों में लगे खून को देख मुझे बडा अच्छा लगता है । पर आज मेरा दिमाग कहीं और था । उसके खयाल मेरे दिलोदिमाग को कैद कर चुके थे और उसके यहाँ मैं हो चुका ना उन्नीस सौ अट्ठानबे सागर मध्यप्रदेश का एक छोटा सा है । रात के दो बज रहे थे और नाइट लैंप मेरी रसायन शास्त्र की पुस्तक पर प्रकाश डाल रहा था । लाइन की रोशनी कमरे के चारों कोनों में फैली हुई थी । पिछले साल ही स्कूल की पढाई पूरी होने के बाद मैंने एक साल इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के कारण ही ड्रॉप किया था । मेरे कमरे में ही गुप्त शांति थी । सब खिडकी से अंदर आते हुए कीडों की आवाज सुनाई दे रही थी । अपनी उंगलियों में पेंसिल घुमाते हुए मेरी नजर देश में रखे फ्रेम क्योंकि फोटो बर्फ पडी । वो फोटो मेरे स्कूल के समय की थी जब मैं स्कूल का कप्तान था । मेरे बगल में उपकप्तान नब्बे खडी थी । उस समय एक ग्यारहवीं कक्षा में थी । स्कूल में प्रैक्टिस के दौरान मैंने स्कूल ऍम पकडा हुआ था जहाँ कक्षा बारहवी के स्कूल के काम काम और कक्षा एक ग्यारह के उपकप्तान को स्कूल ऍम पकडना था । मेरे लिए ये एक गर्व का क्षण था और ये फोटो सिर्फ गौरवान्वित करने के लिए नहीं थी क्योंकि इसमें नब्बे की भी फोटो थी जिसका मैं अपने स्कूल के अंतिम साल से प्रशंसक हूँ और इसे यूँ कहें कि मैं उसे स्कूल के दिनों से काफी प्यार करता था । वो मेरा पहला प्यार नहीं और मेरा एक सपना था की मैं हमेशा उसके साथ हूँ । अपने स्कूल के अंतिम साल मैं कभी हर रोज स्कूल जाता था जब मेरे दोस्तों ने बोर्ड एवं अन्य प्रवेश परीक्षाओं के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया ना पर मैं सिर्फ उससे मिलने जाता था । मुझ से मिलते वक्त उसके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी जिस कारण उससे स्कूल में मिलने के लिए मैं खींचता चला जाता था । मुझे याद है इस कारण बारहवीं में मैं ॅ पास हुआ क्योंकि मेरा पढाई से ज्यादा ध्यान तो उसके बॅाल पर था हूँ । भगवान मेरी मदद करो क्योंकि मैं पढना चाहता हूँ और मैं इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करना चाहता हूँ । मुझे पक्का पता था कि अगर मैं इंजीनियर बन गया तो मैं उसे प्रपोज करूंगा और वो ना नहीं कह रहा हूँ । बारह में खत्म करने के बाद मैंने एक साथ इंजीनियरिंग की परीक्षा की तैयारी के लिए समय लिया । मैंने उसे प्रपोज भी नहीं किया क्योंकि मैं सोचता था कि किसी को प्रपोज करने के लिए मैं अभी बहुत छोटा हूँ । आपने सेकंड डिवीजन के रिजल्ट को देखने के बाद मैंने निश्चय किया इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए पूरी लगन के साथ तैयारी करूंगा और उससे तभी में लूंगा जब एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला नहीं । मैंने केमेस्ट्री की पुस्तक पर फिर से आंखें फेरीं और ऍम विशेषता को समझने की कोशिश की । मैंने रसायनशास्त्र पर पूरा ध्यान लगाया और परिभाषाओं को फिर से दोहराया और पुस्तक से दो बार पढने के बाद मैंने पुस्तक बंद कर उसे दोहराया । पर हर बार मेरी आंखें देश पर रखी फोटो पर्यटक जाती हैं । मैं खडा हुआ और अपने पीछे खडे कबर्ड की तरफ मुड गया हूँ । मैंने कबर्ड खोला और उसमें रखी सिल्वर डायलॅाग आ रही है जिसके कवर में लाल गुलाब छपा हुआ था कि मेरी कविता की डायरी थी । मैं जब ग्यारह या बारह साल का था तब से कविताएं लिखता हूँ । पर उससे मिलने के बाद मैं ज्यादा गंभीरता से लिखने लगा । मुझे लगा कि मैं उसके ऊपर और कविताएं लिख सकता हूँ जिससे मैं उसे अपने दिमाग से हटा सकूँ और अपनी पढाई पर ध्यान रख सको । मैंने डिस्को से अपनी डायरी और पेन निकाला और बिस्तर पर चला गया । मेरा सुंदर सा काम रहा था और वह पडने के लिए भी अच्छा था । कमरे के सारे कोने फॉर्मूले, पेरियोडिक टेबल और महत्वपूर्ण प्रश्नों से सजे थे । कमरे में रखे उसकी तस्वीर मुझे मेहनत से पढाई करने की मत दे देते । जब मैं स्कूल में था तो उसके घर के लैंडलाइन फोन पर मैं उससे बात करता था पर पिछले छह महीने से मैंने उससे बात भी नहीं की थी । कुछ भी ऐसा लगता की वो मेरे कॉल का इंतजार कर रही होगी । पर मैंने ये ठान लिया था कि जब किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में मेरा दाखिला हो जाएगा तभी उसे कॉल करूंगा । ये वो समय था जब मैंने एक मजबूत और प्रतिबद्धता आदमी की तरह पेश आना शुरू कर दिया था । पर कहीं ना कहीं मेरे दिल में हमेशा ये डर बैठा रहता था की तब क्या होगा जब उसे मुझ से भी ज्यादा कोई बेहतर मिल जाएगा । जो भी हूँ मुझे पक्का विश्वास था कि वो भी मुझे प्यार करती होगी और मेरा इंतजार करेंगे । मैंने अपनी कविता लिखी और जब वो खत्म हुई तो मुझे नहीं नहीं लगी । उस दिन भी उसके डिंपल वाले गानों नहीं केमिस्ट्री पर हुई जयपाली मैं सोचता था की पुस्तक में लिखी केमेस्ट्री के अलावा दुनिया में और भी कई तरह की केमिस्ट्री है । जैसे पहले प्यार की कैमस्ट्री, आंखों की कैमेस्ट्री, मुस्कुराहट की कैमिस्ट्री । मुझे अपने जीवन के कैमिकल एक्सपेरिमेंट को सफल बनाने के लिए मेहनत से पढाई करनी थी । पर मैं हो गया । अगली सुबह मैं छह बजे उठा क्योंकि साढे सात बजे मेरा फिजिक्स का टेंशन था । मैं तैयार हुआ और अपनी क्लास के लिए चला गया । मेरी माँ मेरे लिए परेशान थी क्योंकि क्लास में जाने की जल्दी के कारण मैंने नाश्ता नहीं किया था । हालांकि मेरी बडी बहन सुरभि मुझे थोडा शक्ति करती थी फिर भी मुझसे पांच साल बनी थी । नब्बे उसकी खास पहले कि कजन थी उसने उससे अपनी दोस्त से स्कूल में मेरी सारी हरकतों की खबर मिल जाती थी । तब से वो मेरी माँ को ये साबित करने की कोशिश कर रही थी की टेस्ट में जो फोटो रखी है वह कप्तान बनने के किसी कर्व के कारण नहीं बल्कि इसलिए रखी गई है क्योंकि उसमें नव्या भी है । पर उसने जब भी ये साबित करने की कोशिश की मैंने अपनी माँ के सामने फूला सा चेहरा बनाकर उन्हें ये बताया कि चालान खोरी के कारण वो ऐसा कर रही है क्योंकि वो कभी स्कूल कप्तान नहीं बन पाई ना हमें एक दूसरे से झगडते जरूर थे पर मुझे पता था जिससे मैं इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करूंगा तो वही अपनी पक्की सहेली के जरिए नब्बे से मेरी शादी कराने में मदद करेगी और मैं अपने उद्देश्य के लिए कडी मेहनत कर रहा था । मैंने दो घंटे की लंबी क्लास की और फिर सुबह दस बजे घर वापस आया । मैंने वहाँ से कुछ खाना देने को कहा क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी थी । मेरी बहन मेरे बगल में बैठी थी और ऐसे देख रही थी जैसे भारत को कोई ओलंपिक कोई मेडल मिला हूँ । मैंने गुस्से होकर मुझसे पूछा रोहन क्या तुम रात में नहीं पढ रहे हो? मैंने बडी मासूमियत से उन्हें देखा । मुझे पता था ये मेडल का हाल अटका हुआ है । मैंने उनसे पूछा क्या हुआ मम्मी? मेरी बहन ने मेज की तरफ मेरी कभी गांव की तारिक किसका? मैंने गौर नहीं किया कि ये डायरी अब तक वहीं पडी है । मैंने फिर पूछा क्या हुआ? मैंने कहा तुम अपनी पढाई पर ध्यान नहीं दे रहा हूँ और इस फोटो वाली लडकी पर अटके हुए हो । इसने तुम्हारी बारहवीं का रिजल्ट खराब किया और अब तुम अपनी प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट खराब करोगे । पिताजी हर रोज कितनी मेहनत कर रहे हैं पर तुम्हें कुछ फर्क नहीं पडता हूँ । हमने तो मैं कहा है ना कि पहले अपने कॅरियर पर ध्यान दो । अगर तुम जिससे शादी करना चाहोगे हम उसी से तुम्हारा क्या कर देंगे । मैंने बडी मासूमियत से कहा कि माँ भाई एक कविताएं उसके लिए नहीं है । मुझे कविताएं लिखना पसंद है और पिछली रात अरिजीत सिंह की गजल सुनने के बाद मुझे ये लिखने का ख्याल आया । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ । मैंने रात के दो बजे तक पढाई की है । आप आज के ट्यूशन के टेस्ट के मेरे अंगत एक लोग मुझे बीस में से उन्नीस मिले । मार्क्स देखने के बाद मेरी माँ थोडी शांत हुई और विजेता नहीं अपना मेडल ले लिया क्योंकि थोडी देर पहले मेरी बहन को लग रहा था कि उसने मेडल जीत लिया है । माने सुरभि को डांटते हुए कहा सुबह तुम हमेशा उसके पीछे पडी रहती हो तो मैं अपनी परीक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए । मुझे भरोसा है वो बहुत मेहनत कर रहा है । ऍम मुस्कुराता रहा क्योंकि अब वह मेडल मेरे पास वापस आ गया था क्योंकि मेरी बहन धोखा देते हुए पकडी गई थी । सुरभि दी मेरी तरफ गुस्से से देखते थे पर मैं भी उन्हें खोलने लगा । उन दिनों मेरा एक ही काम था खाओ और पढाई कर । मैं दिन भर करीब पंद्रह घंटे पढाई करता था, तीन घंटे खाना खाता था और छह घंटे होता था । मेरा पिछले छह महीनों में पंद्रह किलो वजन बढ गया था और साथ ही मैं पढते पढते थक भी गया था । मेरे परिवार वाले एवं रिश्तेदार इंजीनियरिंग की परीक्षा को पास करने का इंतजार कर रहे हैं । उसमें से तो कुछ ने मुझे पहले ही इंजीनियर समझ लिया था । कुछ दिन पहले मेरे कजिन के बाइक स्टार्ट नहीं हो रही थी । मेरी चाची ने सोचा मैं उनकी बाइक इसलिए ठीक कर दूंगा क्योंकि मैं इंजीनियर बनने की पढाई कर रहा हूँ । मेरी जिंदगी फॅस के बीच ही झूल रही थी । पर वाॅच मेरे लिए सबसे जरूरी थी । मेरे लिए लगभग न करने हो चुके थे ।
Producer
Sound Engineer