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प्यार की वो कहानी अध्याय -15 in Hindi

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Authorपंकज कुमार kumar
सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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अध्याय पंद्रह अचानक मैंने अपनी आंखें खोली क्योंकि ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचने की आवाज ही उसे जगह दिया । उसने देखा कि ग्रीन पहुंच चुकी थी । ट्रेन सुबह बहुत जल्दी ही दिल्ली पहुंच गई थी । हर चीज आमदिनों की डर रही थी । व्यस्त सडके, भीड भरी दुकानें और क्या दी अमर नी अपने कमरे तक पहुंचने के लिए एक बस और रास्ते भर बहुत बहुत ज्यादा उत्साहित था लेकिन उसका उत्साह खत्म हो गया । जब वहां पहुंचा जिस क्षण भावी ने उसे देखा उन्होंने पहली बार में ही ये कहते हुए अपना दुख प्रकट कर दिया कि वह बहुत देरी से आया और इस से वो आश्चर्यचकित हुआ । कमरे में घुसने से पहले उसने उनसे पूछा कि सब कुछ ठीक था? हाँ सब ठीक है लेकिन उन्होंने एक कमजोर आवाज में उत्तर दिया क्या हुवा भावी बीस मुझे बताओ? उसने जो डालकर कहा मैं तुम्हें सबकुछ बताउंगी । पहले तुम फ्रेश हो जाओ और हमारे साथ एक कप चाय के लिया हो । उन्होंने कहा, और चली गई जब कुछ देर बाद वहां पहुंचा । उसने देखा कि कमलेश ऑफिस जाने के लिए तैयार था । उन्होंने एक दूसरे का अभिवादन किया और चाय के इंतजार में बैठ गए । कमलेश के चेहरे पर उसके बारे में कुछ जानने की कोई उत्सुकता नहीं थी । उसने चुपचाप अपनी चाय पी और ऑफिस जाने के लिए उसकी अनुमति ली । नहीं । दो से देरी हो जाएगी । अमेरिकी उनसे कुछ नहीं कहा और उन्हें जाने दिया । कुछ समय बाद भावी वहाँ फिर आई लेकिन वो भी उसके आने पर खुश नहीं थी । भाभी क्या कृप्या मुझे बताएंगे कि मेरी अनुपस्थिति में क्या हुआ? उसने अधीरता से पूछा, शालिनी की शादी हो गई । उन्होंने उत्तर दिया क्या? हाँ उसने तुम्हारा बहुत इंतजार किया । मैंने भी तो लिखा लेकिन तुमने उत्तर नहीं दिया । ना ही तुम्हें फोन किया नहीं । मैंने कुछ नहीं किया । उसने स्तब्ध होकर कहा, मुश्किल से एक हफ्ता बीता होगा । जब शालिनी मेरे पास आई । वो बहुत दुखी थी और मुझे देखकर रोने लगी । मैंने कारण पूछा तो और बुरी तरह से रोने लगी और मुझे बताया कि उसके पिता का एक एक्सीडेंट हो गया था और उनकी स्थिति अच्छी नहीं थी । मैं उसके साथ उसके पिता को देखने गई जो बेहोशी की अवस्था में थी । मुझे वास्तव में बहुत अफ्सोस हुआ । घर आकर मैंने तुम्हें पत्र लिखा क्योंकि मेरे पास तो टेलीफोन करने के नंबर नहीं था, ना ही तुम्हारे ऑफिस में ही था । लेकिन तुमने नहीं तब एक सप्ताह बाद वो फिर उस समय वह तुम्हारी खबर को लेकर बहुत आशान्वित थी । लेकिन उस दिन वो कोई भी और मुझे बताया कि उसके पिता नहीं बचेंगे । और उनकी मृत्यु से पहले वे उसे दुल्हन के लिए बाहर में देखना चाहते थे । वो चाहते थे कि मेरी शादी हो जाए । जब वो जाने वाली थी उसने मुझे असहाय रूप से देखा और मुझे तुम्हें किसी भी प्रकार सूचित करने का अनुरोध किया । तब मैं तुम्हें दोबारा लिखा । दस दिन बाद उसकी एक दूर के रिश्तेदार से शादी हो गयी । जब शादी वाले दिन मैं उस से मिली । मैंने देखा वह बहुत दुखी थी । वो दूसरों के साथ हस रही थी लेकिन मैं उसकी आंखों के पीछे छिपे गहरे दुख को समझ गई । जब उसने मुझे देखा वो अपने आंसू नहीं रोक पाई । उस ने कहा और ऐसा लगा शायद उसके ये वाक्य उनका दिल चीज ने के बाद बाहर आए हैं । लेकिन भाभी नहीं अमर नहीं, तुमने उसे दुःख के महासागर में धकेल दिया है । ओके मैं उससे माफी मांगने उसके पास जाऊंगा । ये सब संभव नहीं है । अमर उसने ये शहर छोड दिया है । उसके विवाह के एक सप्ताह बाद उसके पिता की मृत्यु हो गई और तब फैक्ट्री को बचाने के बाद उसने शहर छोड दिया । वो कहाँ गई है मुझे मालूम नहीं है । मैंने नहीं पूछा क्योंकि वो अपनी नई जिंदगी शुरू कर चुकी थी और उसने भी मुझे नहीं बताया । लेकिन वो जहाँ कहीं भी हैं मैं उसके बहुत सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हूँ । ये सुनकर उसने कुछ नहीं कहा और एक हारे हुए जुआरी की तरह पुर जाने के लिए खडा हुआ । लेकिन वो ऐसा नहीं कर सका क्योंकि उसी समय उन्होंने कहा अमर जब शालिनी अंतिम बार आई थी, उसने मुझे तुम्हारे लिए पचास हजार रुपए का एक चेक दिया । ये तुम्हारा पैसा है जो उसकी फैक्ट्री में पढा था । अ मैंने उत्तर में कुछ भी नहीं कहा और वहाँ से भारी कदमों के साथ चला गया । समय बीतने लगा लेकिन अमर की खुशी उसके पास नहीं लौटी । उसने हसना और किसी से ज्यादा बातें करना छोड दिया था । ज्यादातर समय उसने अपने कमरे में अकेले गुजारना शुरू कर दिया । कभी कभी एक या दो दिन तक वो अपने कमरे से बाहर नहीं आता था । एक दिन कमलेश उसके पास आया और उसे अपनी कमर के बल लेटा हुआ पाया । वो बिना अपनी पाल के हिलाएं छत की तरफ देख रहा था तो मैं क्या हुआ है? अमर उन्होंने पूछा, जब मैंने उनकी आवाज सुनी वो उठा और अपने बिस्तर में बैठ गया । तब उसने आश्चर्य से उनकी तरफ देखा क्योंकि उसने अचानक उन के आने के बारे में नहीं सोचा था । कमलेश उसके पास आए और उसकी बगल में बैठ गए । दोनों कुछ देर तक एक दूसरे से बिना कुछ बातें किए बैठे रहे । तब एक बार फिर उन्होंने अमर से पूछा तो कब तक अपनी जिले की इस तरह पिता होगी तो में समय की वास्तविकता को भी समझना चाहिए । मैं कोशिश करूंगा । उसने उत्तर दिया, उस शाम वो अपने कमरे से बाहर आया और ये सोचने लगा कि कहाँ जाया जाएगा । तब उसने अपना समय पास के पार्क में बिताने का निश्चय किया इसलिए वो उसकी तरफ चलने लगा । मुश्किल से ही वो पार्क के गेट तक पहुंचा था की किसी ने उसके पीछे से आवाज थी और वह यह चलने के लिए मुडा की । वो कौन था? ये शत्रु था जो उसके साथ ऑफिस में काम क्या करता था वो उसके पास दौडता हुआ है । अमर भी एक लंबे अंतराल के बाद से देख कर आश्चर्यचकित था । आप कैसे है मार बाबू? उसने उसके पास पहुंचकर पूछा तो बिना अपना मूड खोले मुस्कुराया । ठीक भगवान की कृपा से उसने जवाब दिया, शत्रु ने उसे सुनकर सीधे आया लेकिन वो पूरी तरह विश्वास नहीं था । इसलिए उसने दोबारा पूछा तो कब वापिस आए? एक सप्ताह पहले जब मुझे पता चला कि शालिनी मैडम ने किससे शादी कर ली है तो मैं आश्चर्यचकित था । लेकिन छोडो इसे शत्रु एक आदमी को उससे ज्यादा नहीं मिलता जितना ईश्वर ने उसके लिए रखा है । उसने आह भरी अमर बाबू तुम कहाँ जा रहे हो? मैं नहीं जानता हूँ । मैं खुद को फ्रेश करने के लिए कमरे से बाहर आया ताकि मैं कुछ समय के लिए अपने दुर्भाग्य को भूल सको । तो क्या तुम मेरे साथ आओ के कहाँ जगह का नाम मत पूछो लेकिन ये तुम्हारी जिंदगी बदल देगा जहाँ तुम आनंद में महसूस करोगे । उस रात अमर घर देरी से पहुंचा और अस्थिर रूप से चलते हुए उसने दरवाजा खोला । वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी दशा के बारे में जाने इसलिए वह चुप चाप हो गया । जब वह सुबह दिए से उठा तो सूरज की रोशनी उसके कमरे में प्रवेश कर चुकी थी । उसे अपना सिर भारी लगा लेकिन उस रात हो किसी के प्रति किसी भी तनाव के बिना अच्छी तरह से सोया था । अगले शाम वो फिर शत्रु से मिला और उसके साथ पहले वाली जगह पर गया । उस बार उसे वहाँ पर संकोच महसूस नहीं हुआ । ये जगह उसे बहुत जानी पहचानी लगी और वहाँ के लोग काफी स्पष्ट और खुले ही दे वाले थे । वह शत्रु के साथ एक कोने में मेज पर बैठ गया और वेटर का इंतजार करने लगा । उससे कभी नहीं सोचा था कि उसे अपने जीवन में ऐसी जगह पर जाना पडा । उसी एक्शन के लिए सोचा लेकिन जल्दी नकार दिया । कमरा सिगरेट के धुएं और शराब की बदबू से भरा था । इससे कमरे का वातावरण जहरीला हो गया था और वहाँ बैठे लोग इसका आनंद ले रहे थे । शराब के प्रभाव से उनके मूड में तथा उनके चेहरे के भाव में बदलाव आ रहा था । वे कुछ समय के लिए अपना तनाव भूल गए थे और ऐसे बातें कर रहे थे जैसे कि वो अपना जीवन खुशी और आराम से बिता रहे थे । ये अनिश्चित थी । एक भविष्य में मनुष्य के जीवन में क्या घटित होगा और भविष्य की योजना का पूरा होना निश्चित नहीं है । यह संपूर्ण रूम से भगवान की इच्छा पर निर्भर करता है । क्योंकि मनुष्य समय के हाथ की कठपुतली है जिसकी डोर ईश्वर के हाथ में है । समय बीतने लगा और दो साल कैसे बीत गए । अमर को पता नहीं चला । नहीं उसने अपने व्यवहार को जानने की कोशिश की जिसने उसे बहुत बदल दिया था । वो आम तौर पर संसार के आकर्षण से दूर इसके प्रति अपना दुख और अपना भ्रम दिखाते हुए देर से लौटा था । उसकी भाभी ने उसे देखा और उसके दुःख को महसूस किया लेकिन वो उसे नियंत्रित करने के लिए कुछ भी करने में सक्षम नहीं थी क्योंकि सुबह के समय उस पर शराब का कोई असर नहीं होता था । वो बहुत अच्छे से पेश आता था और उस समय कोई भी ये नहीं सोच सकता था कि वह शराबी था । उसकी पडोसी उसे सहानुभूति दिखाते थे लेकिन शाम के समय उसे शराब पीने से कोई नहीं रोक सकता था । वास्तव में ये उसके जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया था । इसके बिना कभी भी उस की रात नहीं बीत दी थी । इसलिए निरंतर उसका स्वास्थ्य खराब रहने लगा । लेकिन इससे उसमें कोई बदलाव नहीं आया तो जल्दी से जल्दी अपनी मृत्यु को प्राप्त करना चाहता था । एक रात वह घर नहीं आया । उसकी भाभी इसपर आश्चर्यचकित थी और उन्होंने सोचा कि शायद उसने उस दिन शराब नहीं दी थी । इसलिए सुबह के समय चल ही वो उसे देखने गई । लेकिन उन्होंने उसके कमरे को बाहर से बंद देखा । डाला अभी भी लटक रहा था । इसका मतलब था कि वह रात वापस नहीं आया । डाॅ । उन्हें हिलाकर रख दिया और वो कमलेश को उसके ना आने की सूचना देने के लिए जल्दी ही लौट गई । क्या उसने कहा जब उसकी पत्नी ने उन्हें बताया कि अमर उस रात नहीं लौटा था और वह अनहोनी के डर से अचानक से गंभीर हो गया । तभी उन्हें दरवाजे पर एक दस्तक सुनाई दी और जब उन्होंने खोला तो उन्होंने देखा कि शत्रु अपने चेहरे पर डर का भाव लिए वहाँ खडा था क्या हुआ? कमलेश ने बिना उसकी सूचना का इंतजार करते हुए पूछा अमर अमर को क्या हूँ? भावी ने अधीरता से पूछा वो मेरे घर में हैं और पूरी रात वो बेचेन था और उसे रुक रुककर खून की उल्टी होती रही । क्या क्या तुम उसे एक डॉक्टर के पास नहीं गए? कमलेश ने चिंतित होते हुए पूछा था लेकिन डॉक्टर ने उसे अस्पताल में भर्ती करने का सुझाव दिया । कमलेश मुझे जेजे अस्पताल ले गया । भावी भी उसके साथ थी । लेकिन अमर अपनी आंखें नहीं खोल पा रहा था । उसके चेहरे से लगता था कि वह उस समय ये सोचते हुए शांति महसूस कर रहा था की शायद उसे जिंदगी के बोर्ड से छुटकारा मिलने वाला था । पहले तो मैं वो ही बोल रही हूँ । मैं पूजा हूँ । अभी अभी एक रोगी आया है और तुम्हें पता है कि वह बेहोशी की अवस्था में रोहिणी रोहिणी फुसफुसा रहा है तो मैं क्या करूँ तो मुझे परेशान क्यों कर रही हूँ तो मैं पता होना चाहिए कि मैं वहाँ पूरी रात काम करते करते बहुत नहीं हूँ । उसने अपनी असमर्थता दिखाते हुए कहा प्रिया रोहिणी मेरे विचार से क्या बकवास है? उसने उत्तर दिया और फोन काट दिया । मुश्किल से एक घंटा बेटा था । जब पूजा ने रोहिणी को उसकी तरफ आते हुए देखा । वो उसके आने पर बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित नहीं थी क्योंकि वह उसके दिल में उसका नाम का महत्व जानती थी । कॅश और आराम करो वो कोई दूसरा हो सकता है । पूजा ने शांत होकर कहा लेकिन मैं देखना चाहती हूँ तो क्या मैं अभी तो मैं उसके पास लेकर चलती हूँ । उसने जवाब दिया और खडी हो गई । जब दोनों वार्ड में पहुंचे उन्होंने देखा कि रोगी सीधी करवट ली । गहरी मीन्स हो रहा था । पहले तो रोहिणी उसका चेहरा नहीं देख पाई लेकिन उसका दिल पहले ही जोर से धडकने लगा था और कब कब आते हुए कदमों के साथ उसके उसका चेहरा स्पष्ट रूप से देखने के लिए अपनी साइड बदल ली । जिस शरण उसने उसे देखा उसके अंदर से एक आवाज आएगी नहीं और वह लगभग बेहोश हो गई । लेकिन उसने जल्द ही दीवार का सहारा लेते हुए खुद को संभाला और पूजा ने भी उसे पकड लिया । इसलिए वह गिरी नहीं और धीरे धीरे उस सदमे से बाहर आई । तब पूजा उसे वापस उसके ऑफिस ले गए । एक घंटे बाद रोहिणी ने अपना सिर्फ मेरे से ऊपर उठाया और संदिग्ध दृष्टि से पूजा की तरफ देखा जो कि एक रजिस्टर पर झुककर कुछ काम कर रही थी । उसने भी तब उसके तनाव को दूर करने के लिए उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा । वो कब भर्ती हुआ था? उसने दुःख के साथ पूछा, दस बजे उसके साथ कौन थे? उसका अलग सवाल था । मुझे ज्यादा नहीं मालूम लेकिन उसके साथ दो आदमी और एक महिला थी । महिला कुछ समय बाद घर चली गई और एक आदमी जिसका नाम कमलेश है, अभी अभी किसी काम के लिए बाहर कर रहा है लेकिन मैं दूसरे के बारे में नहीं जानती । उसके साथ क्या हुआ? एक । रोहिणी हम इस समय ज्यादा कुछ नहीं कह सकते लेकिन व्यक्ति की जान खतरे में हैं क्योंकि उसने बहुत ज्यादा शराब पीने शुरू कर दी थी । जो उसे स्थिति में नहीं आएगा । उसकी जांच की रिपोर्ट आने दो । हम इलाज झूठ लेंगे । तब रोहिणी ने कुछ भी नहीं कहा । वो रिक्त लग रही थी मानो वो कोई चीज खोनी जा रही हूँ जो उसके लिए बहुत मूल्यवान थी । कुछ समय बाद एक आदमी पूजा की तरफ लगभग दौडता हुआ आया और सूचित किया कि वॉर नंबर आठ के रोगी को फिर से खून की उल्टी होने लगी है और वह बहुत ज्यादा बेचैन लग रहा था क्योंकि जल्दी आती हूँ । पूजा ने उत्तर दिया और अपना स्टेथोस्कोप लेकर रोहिणी के साथ वह बाढ की तरफ दौडी । उन्होंने देखा कि रोगी बेहोश था, उसका सिर बिस्तर से नीचे लटक रहा था और उल्टी किये जा रहा था । ये देखकर तो तेजी से उसके पास गई और उसका सिर तकिए पर रख दिया और फिर पूजा ने उसे दवाई का इंजेक्शन दिया जिससे कुछ समय बाद उसके चेहरे पर चैन की सास आई । उसने उसके दिल की जांच की, उसकी नाडी देखी और जल्दी में रोहिणी से कुछ कहा, जिसे सुनकर रोहिणी सीधे डॉक्टर रमन के पास गई, जो की अस्पताल के वरिष्ठतम चिकित्सक थे । उसकी रोहिणी में जल्दी आ रहा हूँ । उन्होंने उत्तर दिया, जब उसने उनसे वॉर्ड नंबर आठ के रोगी को देखने तथा जांच करने के लिए कहा, लेकिन उसने उन का इंतजार नहीं किया और फॉर नंबर आठ में लौट गई । वहाँ उसने पूजा को उलझन में पाया । उसने उसे कुछ नहीं बताया, लेकिन उसके चेहरे से स्पष्ट रूप से झलक रहा था कि उसके वहाँ पहुंचने से तुरंत पहले ही कुछ घटित हुआ था । इससे पहले की कुछ पूछ सकती एक बार फिर रोगी की आंखें आधी खुली और उसके होट एक फुसफुसाहट के साथ धीरे से हिले । रोहिणी, रोहिणी और उसने फिर से अपनी आंखे पाँच । कहीं ये सुनकर रोहिणी खुद को नियंत्रित नहीं कर सके और अपना सिर दीवार के ऊपर रखकर तथा अपना चेहरा हथेलियों के बीच छुपाकर उसने रोना शुरू कर दिया । पूजा ने तब उसे सांत्वाना देना शुरू किया जब डॉक्टर रमन वहाँ पहुंचे । टूरिज्म खुद को नियंत्रित कर चुकी थी । उसने और पूजा ने रोगी की जांच करने में उनकी सहायता की । कुछ समय बाद डॉक्टर रमन ने एक लंबी साथ छोडी और जल्दी इलाज के लिए एक ऑपरेशन करने का सुझाव दिया और उसके बाद वो ये जानना चाहते थे कि उसके रिश्तेदार कौन थे । इससे पहले की कमलेश जो अपनी पत्नी के साथ तभी वहां पहुंचा था । कुछ कहते हैं रोहिणी ने कहा कि पैसे की कोई कमी नहीं थी, उन्हें अगला कदम लेना चाहिए । ये सुनकर डॉक्टर आश्चर्यचकित हो गया और संदिग्ध निगाह से उसकी तरफ देखा । पूजा ये समझ गई और डॉक्टर रमन के कुछ पूछने से पहले ही उसने जल्दी से कहा वास्तव में सर रोगी उसके गांव का है इसलिए वह बहुत भावुक हो गई तो ये बात है । डॉक्टर रमन ने शक का भाव अपने चेहरे से हटाते हुए कहा, कमलेश और उसकी पति वहाँ की स्थिति को देखकर आश्चर्यचकित थे । वो कुछ कहना चाहते थे लेकिन उसके पति ने उसे हाथ पकडकर पीछे खींच लिया और उसे कुछ बातें बताई जिससे उसी शांति मिलती । उसके बाद वो केवल जो हो रहा था उसे देखता रहा । कमलेश और रोहिणी के साथ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रोगी को ऑपरेशन थिएटर भेज दिया गया और तब रोहिणी ने पूजा और दूसरों के साथ वहाँ डॉक्टर की मदद के लिए तैयार होना शुरू कर दिया । ऑपरेशन सफल रहा जिससे रोहिणी के चेहरे पर सुखद भाव आया और उसे चुप रहकर भगवान को धन्यवाद दिया । दो घंटे बाद सब बाहर आए और पूजा ने कमलेश और उसकी पत्नी को ऑपरेशन की सफलता की सूचना दी । उस दिन रोहिणी अपनी अपार्टमेंट नहीं जा सकी क्योंकि उसकी नाइट ड्यूटि शुरू हो गई थी । अगले दिन जब कमलेश और उसकी पत्नी आए वो सीधे रोहिणी के पास गए क्योंकि उस दिन भी वो अस्पताल में थी । हालांकि उसने अपनी ड्यूटी पूरी कर ली थी । मैडम कमलेश की पत्नी ने उसे अकेले पाकर कहा, मैं आपको जानती हूँ । अमर ने मुझे आप के बारे में सब कुछ बताया था । वो मुझे भाभी कहता था । पहले तो रोहिणी आश्चर्यचकित हुई लेकिन उसने जल्दी खुद को तैयार कर लिया और पूछा लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे कहा है क्या? पत्नी बच्चे नहीं, उसकी तो अभी तक शादी भी नहीं हुई है । मैं उस ने आश्चर्य से उत्तर दिया । इतना सुनकर रोहिणी ने अजीब सा महसूस करना शुरू कर दिया । क्यों फिर क्यू से समुद्र से कहा था उसने खुद से सवाल किया और अपने कानों के समय बहुत सी घंटों की आवाज को महसूस किया तब उसी अपने दोनों कान अपनी हथेलियों से बंद कर लिए और अपना सिर मेज पर रख दिया । कुछ समय बाद जब उसने अपना सिर्फ ऊपर उठाया उसने अपने सामने भाभी को अकेले बैठे हुए देखा । भाभी उसने कहा क्या प्लीज मेरा काम करोगी? क्या अब अमर को मेरे बारे में नहीं बताएंगे जब होश में आएगा लेकिन उसने उत्तर दिया लेकिन नहीं भाभी, ये आवश्यक है । उसने अनुरोध किया । उसने कहा और बाहर जाने के लिए उठ खडी हुई लेकिन रोहित ने उन्हें ये कहते हुए रोक दिया मैं अमर का सामान अपने अपार्टमेंट में शिफ्ट करना चाहती हूँ जिससे की यहाँ की तुलना में उसका इलाज बेहतर तरीके से हो सके । लेकिन भावी ने ये कहते हुए संकोच किया कि वह आपत्ति करेगा । तब रोहिणी ने कुछ दिनों के लिए सोचा और उसे सुझाव दिया कि ये उसके बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर का आदेश था और तब कुछ सेकेंड का विराम लेकर उसने कहा तेज भाभी तीस मेरी सहायता करूँ और उसी समय आंसू की बूंदें उसके आंखों से फिसल गई और उसके गालों पर फैल गई जिसकी उसने पहुंचने की परवाह नहीं की । भाभी ने उसकी तरफ सहानुभूति से देखा और इतना भावुक हो गई की वो एक शब्द भी नहीं कह सकी । तब वह और ज्यादा भावुक होने से खुद को छिपाने के लिए जल्दी से वहाँ से चली गयी । भाभी के जाने के बाद रोहिणी उठी और अपना चेहरा और आंखें धोने के लिए वॉशबेसिन पड गई । वास्तव में वो अपनी आंखों में जलन महसूस कर रही थी । कुछ तो बिना प्रयाप्त नींद लीजिये जाते गुजारने के कारण तथा कुछ तनाव और चिंता के कारण उसने थोडी राहत पाने के लिए आपकी आंखों में कुछ पानी छिडका । और जब वो पानी की बूंदे अपने चेहरे से पूछ रही थी उसने दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखा । वो ये देखकर चकित थी कि वो पहले से ज्यादा आकर्षक और विश्वस्त लग रही थी । हो सकता है ये अमर से उसके मिलने के कारण हुआ क्योंकि उसका खोया हुआ प्यार था । मुस्कुराई और अपने खुद के प्रतिबिम् के लिए अपनी बाई आपको दबाया तब वो फुसफुसाई, तुम कैसी हो, रोहिनी डालें और तब उसका चेहरा उस फूल की तरह खिलो था जो बारिश के बाद चमक उठता है । वो विश्वस्त और प्रसन्न लग रही थी

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Sound Engineer

Voice Artist

सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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