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अध्याय चौदह सुबह को जब अमर उठा उसके सिर में दर्द था क्योंकि वह देर से सोया था तो उठा भी देर से था तो अभी भी असमंजस में था कि क्या करना चाहिए? क्या उसे शाली का हाथ दृढता से धाम लेना चाहिए या नहीं । ये निश्चित था कि वह रोहिणी को पूरी तरह से नहीं भूल पाएगा और जब उसे रोहिणी के लिए उसके प्यार का पता चलेगा उसे ना पसंद करना शुरू कर देगी तो वो उसके प्रति आपने नि स्वार्थ प्यार की वास्तविकता को समझने में सक्षम नहीं होगा क्योंकि यह वह निर्णय करने में समर्थ नहीं था । ठीक क्या करना चाहिए? वो भाभी के पास ही विचार विमर्श करने के लिए गया कि उसे वास्तव में क्या करना चाहिए । जब दो बराबर महत्व की चीजें एक इंसान के सामने आती है, वो उनमें से एक कुछ नहीं में खुद को असमर्थ पाता है तो उस समय तीसरा व्यक्ति बेहतर न्यायाधीश होता है । भाभी अपना घरेलू काम करने में व्यस्त थी । जब उन्होंने उसे देखा वो थोडा सा आश्चर्यचकित हुई क्योंकि वो अभी तक ऑफिस जाने के लिए तैयार नहीं हुआ था । हालांकि कमलेश को गए हुए लगभग एक घंटा हो गया था कि आज तो ऑफिस नहीं जा रहे हो । उसने पूछा नहीं क्यों? क्या तुम ठीक नहीं हूँ? नहीं बहुत अस्वस्थ नहीं उसके उत्तर दिया और उसके चेहरे पर दुख छा गया जिसमे उनका संध्या बढा दिया लेकिन कुछ कारण तो होना चाहिए । उसने विश्वासपूर्वक कहा हाँ भाभी कारण है लेकिन मुझे ऐसे कहने में अपराधबोध महसूस हो रहा है क्यों? उसने उत्साहित होकर कहा वो तुम्हें और तुम्हारी भावना को भी चोट पहुंचा सकता है । तुमने मुझे सच बताए बिना इसका निर्णय कैसे कर लिया? ये सुनकर अमर चुप हो गया । वही निर्णय करने में असक्षम था कि कहाँ से शुरू करें । प्लीस थोडी देर के लिए बैठो, मैं चाय ली करा रही हूँ । उन्होंने कहा, और रसोई में चली गई जब वह तो कच्चा ही लेकर आई एक खुद के लिए तथा दूसरी अमर के लिए । उसने देखा की अमर पहले से ज्यादा विश्वस्त लग रहा था । उसे एक कप चाय देते हुए वह भी उसके सामने बैठ गई और उस से एक भी शब्द कहे बिना उसकी तरफ संदीप निगाह से देखा अमर ये समझ गया और अपने दिल में छुपी हुई चीजों का खुलासा करने के लिए अपना साहस एकत्रित किया । उसने शुरू किया कुछ साल पहले मेरी जिंदगी में एक लडकी थी और हम एक दूसरे को बचपन से प्यार करते थे । तब उसने एक मेडिकल कॉलेज जॉइन कर लिया और हम एक दूसरे से अलग हो गए । मैं उसके उज्ज्वल भविष्य को लेकर खुश था और वह दुखी थी क्योंकि मैं उसके साथ नहीं था । समय बीतता गया और समय के साथ मुझे भूलती गई । उसके दिल में मेरी जगह कोई दूसरा लडका गया । तुम्हें ये किस से मालूम? उसने बीच में टोकते हुए पूछा, एक बार मैं उसे मिलने गया लेकिन उसका व्यहवार पूरी तरह से बदला हुआ था और उसकी मित्र मुझे समझाया कि मुझे उसके लिए इतना भावुक नहीं होना चाहिए क्योंकि वह जल्दी एक डॉक्टर बन जाएगी । लेकिन मैं उस दिन से मेरी जिंदगी बदल गई । मेरे माता पिता ने इसे और मेरे नाखुश होने का कारण महसूस किया । इसलिए मेरी शादी करवाना चाहते थे । लेकिन मुझे उनका निर्णय पसंद नहीं आया क्योंकि मेरी जीवन का मरहम नहीं था और मुख्य कारण था कि क्यों एक दिन मैंने कुछ बनने के लिए अपना घर छोड दिया जिससे कि मैं उसे दिखा सकूँ । लेकिन यहाँ शालिनी मेरे जीवन में आई मुझे दिल से प्यार करने लगी । मैं उसे पूरी जिंदगी के लिए दुखी नहीं करना चाहता । मुझे मेरी दशा मालूम है और दूसरी तरफ बिल्कुल भी मुझे सुनने को तैयार नहीं है । उसने मानने के लिए जवाब दिया क्या तुम ने उस लडकी के बारे में बताया है? उन्होंने पूछा, नहीं मैंने अभी तक नहीं लेकिन नहीं अमर नहीं पीस । उसी इस बारे में कुछ मत कहना । उन्होंने सुझाव दिया जब दो विपरीतलिंगी अजनबी प्यार के धागे में बन जाते हैं, कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता । लेकिन जिस शहर किसी के दिल में दूसरे के लिए शक पैदा हो जाता है, रिश्ते में भावना अचानक गायब हो जाती है, तब कोई उन्हें अलग होने से नहीं रोक सकता और उसके बाद कोई जिंदगी पश्चताप करते हैं । उन्होंने भावुक होते हैं । कहा मैं जानता हूँ अभी लेकिन मुझे क्या करना चाहिए तो उसके पिताजी से बात क्यों नहीं करते लेकिन बेटों में अच्छे सुझाव दे सकते हैं । मुझे साहस नहीं है भाभी उसने उत्तर दिया तब कमरे में शांति छा गई । दोनों कुछ देर तक शांत रहे । केवल चाय पीने की आवाज सुनाई दे रही थी । कुछ समय बाद अचानक अमन ने भाभी को पूछते हुए सुना, क्या तुम जानते हो रोहिणी कैसी है? नहीं? और मैंने इसके लिए कभी कोशिश भी नहीं । तब तुम घर क्यों नहीं चले जाते? तुम अपने माता पिता से शालिनी के लिए अनुमति ले लेना और इससे ज्यादा तो ये भी जान जाओगे कि रोहिणी कैसी है । उसने सलाह दी अमर को उनका सुझाव पसंद आया और अगले दिन उसने एक हफ्ते की छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया जोकि मंजूर भी हो गया । अमर ये सोचते हुए अपना सामान पैक कर रहा था कि उसके माता पिता उससे किस रूप में मिलेंगे और उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी जब उन्हें पता लगेगा की वो एक ऐसी लडकी से शादी करने जा रहा था जो कि उसी समय उसने दरवाजे पर दस्तक सुनी है । वो ये सोचते हुए इसे खोलने गया की भावी उससे कुछ कहने आई होंगी । लेकिन दरवाजा खोलने पर उसने पाया की भावी अकेली नहीं थी । उनके साथ शालिनी थी । उसके चेहरे पर ये स्पष्ट था कि वह दुखी थी । इससे पहले की वह कुछ कह रहा था । भाभी ने बोलना शुरू कर दिया । मैं अपने काम में व्यस्त हूँ । मैं अभी वापस आ रही हूँ । इतना कहकर वो उन्हें छोड कर चले गए जिससे कि वे स्वतंत्रतापूर्वक पार्टी कर सके । अमर क्या तुम जा रहे हो हाँ लेकिन केवल एक हफ्ते के लिए उसने ऐसे उत्तर दिया जैसे कि वो उसकी सूचित ना करने की अपनी गलती को स्वीकार कर रहा था । लेकिन वो वास्तव में मैंने इतनी जल्दी में प्लान बनाया कि कुछ कारण से मैं तुम्हें नहीं बता सका । दूसरी तरफ मैं केवल एक हफ्ते के लिए जा रहा हूँ । अगले हफ्ते मैं यहाँ होगा । शालिनी कुछ देर के लिए उससे कुछ नहीं कह सकी । तब उसने पूछा क्या कारण है? अमर इस तरह के सवाल के लिए तैयार नहीं था । इसलिए वह हैरान था कि क्या उत्तर देते । कुछ मिनट के लिए वो उसकी तरफ मूक बना देखता रहा और तब उसने कहा मैं वापस आने पर तुम्हें हर बात बताऊंगा । शालिनी ने धैर्यपूर्वक इसे सुना और तब उसने एक पैकेट उसके हाथ में दे दिया की क्या है ये तुम्हारा डिनर है लेकिन प्लीस इसे रख लो । मेरे खुद ही से तुम्हारे लिए बनाया है उसे जवाब में एक शब्द कहे बिना उस से आग्रह किया । अमर ने इसे अपने खेले में रखा और अपनी घडी की तरफ देखा । तब उसने कहा, मुझे स्टेशन के लिए निकलना चाहिए तो क्या तुम जा सकते हो? उसने उत्तर दिया । दोनों तब कमरे से बाहर आए और देखा की भावी उनका इंतजार कर रही थी । उन्होंने भी उसके डिनर से भरा एक पैकेट से दिया । उसे इसीलिए लिया और ये कहते हुए उनका अभिवादन किया कि वह निश्चित रूप से अगले हफ्ते लौटाएगा क्योंकि कमलेश घर पर नहीं था । उसे अकेले ही स्टेशन जाना पडा । लेकिन जब वे गेट पर पहुंचे शालिनी ने पूछा अमर क्या तो मुझे तुम्हारे साथ स्टेशन तक आने की अनुमति दोगे लेकिन तुम्हारे पिताजी मैंने पहले ही उनकी आज्ञा लिए ली है । ठीक है तब ये मेरे लिए सुखद होगा । देश ये सुनकर शालिनी का जहरा खेल गया और वो उसके साथ अपनी कार तक गयी । स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक भीड थी इसलिए प्लेटफॉर्म पर खडे होकर ट्रेन का इंतजार करने लगे । अमर ये निश्चित करने में सक्षम नहीं था कि उससे क्या कहे । दूसरी तरफ शालिनी भी सोच में थी कि उससे क्या कहें । लेकिन इससे पहले कि वे बातें करना शुरू करते ये घोषणा सुनाई दी । ट्रेन समय पर थी और फ्लाइट ट्रंपर कुछ ही मिनट में पहुंचने वाली थी । यात्रियों ने उत्साहित होकर इधर उधर जाना शुरू कर दिया । अमर भी थोडा सा आगे बढा और उसके पीछे शालिनी शालिनी क्या तुम्हें पता है मुझे सारी रात ट्रेन में बितानी है तो अपना डिनर ठीक समय पर ले जाना । उसने उसके सवाल को अनदेखा करते हुए सुझाव दिया तो पहले होगा । उस समय तक ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंच गई थी और अमर आपने डिब्बे को ढूंढने लगा । जब वो डिब्बे में चढ रहा था, शालिनी ने उसका हाथ खींच लिया । वो तब मोडा और उसकी तरफ आश्चर्य से देखा । मैं तुम्हारा इंतजार करेंगे । उसने भर्राई आवाज में कहा मैं अवश्य ही इतना कहकर वो डिब्बे में चढ गया ।
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