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प्यार की वो कहानी अध्याय -11 in Hindi

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Authorपंकज कुमार kumar
सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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अध्याय जा रहा बारिश हो रही थी और बोल दो कि आवाज शालिनी की कमरे में साफ सुनाई दे रही थी जिसकी खिडकी बग्गी जी के सामने खुल दी थी और उस बगीचे के किनारे पर एक नौकर कक्ष था जिसकी छत छप्पर से बनी हुई थी । खिडकी के सामने खडी होकर शालिनी दो छोटे बच्चे को देख रही थी जो कि बारिश में नहाते हुए एक दूसरे के ऊपर पानी देखते हुए इधर उधर दौड रहे थे । जांघिया के साथ उनका नग्न शरीर उन्हें प्रकृति के और करीब ले जा रहा था और उनकी गतिविधियों से लग रहा था कि वे स्वर्ग के जैसा आनंद महसूस कर रहे थे । उन्हें पता था कि वे बहुत गरीब थे और उनके माता पिता केवल मजदूर थे, केवल जीवन का आनंद लेने के बारे में जानते थे लेकिन जब बडे हो जायेंगे भी जान जाएंगे कि वे क्या थे । उनकी प्राकृतिक खुशी समाप्त हो जाएगी और वे उन्हें नियमों का पालन करने लगेंगे क्योंकि समाज ने पहले ही स्थापित कर दिए हैं । जाति, पंथ, धर्म और समाज में उनका स्थान भी । शायद ये कारण था कि वह अमर के साथ अपने रिश्ते का खुलासा करने में संकोच कर रही थी क्योंकि उनका कर्मचारी था । वास्तव में उसका रिश्ता परिपक्व था और हो सकता था की दोनों पक्षों द्वारा सामान रूप से स्वीकार किया गया हो । हालांकि वो अमर को पसंद करती थी लेकिन वो नहीं जानती थी कि अमर ने उसके प्यार में आगे बडने को कैसा लिया था । लेकिन उसे विश्वास था कि वो उसके प्यार को इनकार नहीं करेगा क्योंकि इसके पास दौलत था । खूबसूरती थी तब्बू बडे शिष्य के पास कई जिसमें कि उसका पूरा प्रतिबिम् दिखाई दे रहा था । उसने बिना ब्राकेल बिना बाजू वाली टी शर्ट पहनी थी और स्कर्ट पहनी थी क्योंकि उसकी पैरों की उंगलियों को छू रही थी । पहले की नीचे की उसकी टांगे चमक रही थी और उन्हें देख कर कोई भी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था । वो ऐसे महसूस करने के लिए अपने दातों को लगभग बिना खोले मुस्कुराई और अपने लगभग परिपक् स्थन पर हाथ रख लिया जिससे उसकी नसों में विचित्र तरंगे उत्पन्न हुई और अब उसे अत्यधिक आनंद महसूस हुआ जिससे उसने अपनी आंखे बंद कर ली । जब उसने अपनी आंखे खोली तो उसे विश्वास था कि अमर उससे प्यार करेगा और उसका रिश्ता उन दोनों के प्यार के बीच बाधा उत्पन्न नहीं करेगी क्योंकि उसकी शिक्षा उसे ऐसे विचार रखने की अनुमति नहीं देती थी क्योंकि मनुष्य किसी धर्म जाती और सीट इसके साथ पैदा नहीं होता है । उसे पृथ्वी पर ये सब चीजे तब प्रदान की जाती हैं जब वो अपना ज्ञान विकसित करता है तो दोबारा से खिडकी पर आई और देखा कि बारिश की कुछ बूंदे रुक रुककर गिर रही थी । फूलों की पत्तियाँ और पंखुडी हो ऐसे चमक रही थी मानो उन्हें खुशी की पूरी खुराक मिल गई हूँ । अचानक घडी नहीं चार बजाए और इससे वो विचलित हो गयी । वो अपनी सुखद कल्पना से बाहर आई और उस जगह पर खडी रहकर कुछ देर सोचती रही । तब वो अपने वो ड्रॉप की तरफ पडी । उसकी कार उसकी फैक्ट्री की तरफ तेजी से बढ रही थी और कुछ समय बाद उस बस स्टैंड पर पहुंची जोकि कारखाने के सबसे पास था । जैसे कि उसने अनुमान लगाया था । उसने वहाँ अमर को एक बस का इंतजार करते हुए देखा । उसे देखकर अमर मुस्कुराया और उसके पास ये जानने के लिए आया कि किस चीज में उसे यहाँ आने को मजबूर क्या क्या बात है । एक यात्री ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा, अमर नी से हम सुना कर दिया और भी देखना चाहता था की टिप्पणी किसने की थी लेकिन जल्दी ही उसने ये उपाय त्याग दिया और शालिनी की तरफ तेजी से बढा । अंदर उसने सलाह दी लेकिन मैंने संकोच पूर्वक कहा अंदर आओ प्लीज । उसने लगभग उसे मजबूर करते हुए कहा और उसे अपने बगल में बैठने के लिए सामने का दरवाजा खोल दिया । अमर हिचकी चाहता हुआ बैठ गया और पानी की बूंदों को विपरीत दिशा में धकेलते हुए कार आगे बढ गई । कार तेजी से चल रही थी और जब ये शहर से बाहर आई अमर चुप्पी सहन नहीं कर पाया और पूछा हम कहाँ जा रहे हैं? रोहिणी ने एकदम जवाब नहीं दिया । उसने कुछ समय लिया और उत्तर दिया मैं नहीं जानती लेकिन क्या तो मैं मुझे डर लगता है या तो मैं पसंद नहीं हूँ । नहीं कुछ भी नहीं । तब हमने जवाब दिया तब चुका हूँ । मैं तुम्हारा अपर है नहीं किया है । उसने मुस्कुराते हुए कहा और अमर ने सामने लगे हुए शीशे में उसके चेहरे का भाव बदलते हुए महसूस किया । अचानक कार चौराहे से पुराने चर्च की ओर चले जाएगी क्योंकि पहाडी की चोटी पर था । हालांकि कभी बहुत प्रसिद्ध रहा । अब इसे कुछ लोग ही भ्रमण करते थे । इसके चारों और हरियाली ने इसके महत्व को बढा दिया था । इसके अतिरिक्त शांतिपूर्ण वातावरण आंगतुकों को अत्यधिक प्रसन्नता देता था । सुबह के समय अमर बीमार और थकावट महसूस कर रहा था इसलिए उसने अपनी बीमारी के बारे में सूचित करने के लिए और दो दिन की छुट्टी का अनुरोध करने के लिए ऑफिस फोन किया । उस दिन वो अपने कमरे से बाहर नहीं गया लेकिन दोपहर के समय उसने दरवाजे पर दस्तक सुनी इसलिए उसने इसे खोला और देखा की भावी कमलेश की पत्नी दरवाजे पर खडी थी और वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी । वो प्रथम दृष्टिया उनके आने का कारण ही समझ पाया क्योंकि वो सामान्यता उसके कमरे में नहीं आती थी क्योंकि उसने ठीक कमलेश के मकान के बराबर में किराए पर ले रखा था । वो खुद ही साधारण तैयार कमलेश के घर जाता था जब उसे उससे उसकी पत्नी से कोई बात करनी होती थी । कोई लडकी तुमसे मिलने आई है । उसने कहा मुझे अमर ने विश्वास न करते हुए उत्तर दिया हाँ वो केवल तुम्हारी भी आई है । ओके अभी आ रहा हूँ । उसने कहा और अपनी शर्ट लेने के लिए हैंगर की तरफ बडा जम्मू कमलेश के घर पहुंचा और लडकी को देखा । पहली बार में वो अपने देखे हुए पर विश्वास नहीं कर सका । लेकिन वास्तविकता तो वास्तिवक थी मैडम आप उस ने आश्चर्य व्यक्त किया । ये कोई बात और पूछना चाहता था लेकिन उसने देखा की भावी ट्रेन में तीन कब चाहिए करा रही है । इसलिए वह शांत रहा और उसकी तरफ प्यार और आश्चर्य से देखता रहा तो यहाँ कैसे आई? उसने चाय की चुस्की लेते हुए पूछा मुझे यहां पहुंचने में कोई समस्या नहीं क्योंकि मैंने एक टैक्सी के आई पहली ड्राइवर को बता बता दिया और तब वो मुझे यहाँ पे आया । उसने एक साथ में कहा, लेकिन क्या लेकिन भावी ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया था । इसका मतलब है तुमने भी अपने संबंध बना ली है । पेशक मैंने तब अमर मुस्कुराकर शांत बैठा रहा, तुम कैसे हो? शालिनी ने कुछ मिनट बाद पूछा बहुत अच्छा नहीं । उसने उत्तर दिया, क्या तुमने दवाई ले ली है? अभी तक तो नहीं लेकिन मुझे लगता है मुझे कल ले लेनी चाहिए तो कितने लापरवाहों । शालिनी ने अपने चेहरे पर चिंता का भाव लाते हुए कहा लेकिन अमन ने कुछ उत्तर नहीं दिया और चाय पीता रहा । भाभी वो बहुत लापरवाह है । पापा कहते हैं तो ऑफिस में अपना लंच नियमित रूप से नहीं लेता और जितना कम उसी करना चाहिए उससे ज्यादा करता है । इसलिए उसका अस्वस्थ हो ना उसकी लापरवाही का परिणाम है । उससे दुख पूर्वक कहा तुम सही कह रही हो शालनी मैंने भी उसे अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए कितनी बार कहा है । लेकिन वो भाभी ने उसका समर्थन करते हुए कहा ओके मुझे बहुत अफसोस है, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भविष्य में मैं अपना ख्याल रखूंगा । उसने उनका इल्जाम स्वीकार करते हुए कहा, तब एक बार फिर सब शांत हो गए और अपनी चाय समाप्त की । अब मुझे जाने दो भाभी मुझे तेल हो रही है । शालिनी ने कहा और उठ खडी हुई मैं तो मैं कैसे अनुमति दे सकती हूँ । जब वास्तव में तो अमरीकी मेहमान हूँ । प्लीज उससे अनुमति लो । भावी मुस्कुराते हुए बोली वो कीअमर । उसने कहा अमर ने कोई उत्तर नहीं दिया और उसी गेट तक पहुंचाने के लिए उठ खडा हुआ । जब गेट पर पहुंचे तो मैंने देखा की भावी वहाँ नहीं थी । शायद वो घर के अंदर से कोई चीज लेने या कुछ काम करने गई थी । उसने गेट खोला पर शालिनी जाने के लिए एक रास्ता बनाया । उसने फिर एक बार उसकी तरफ प्यार और शिकायती अंदाज में देखा । अमर तो में आपने अदित्य भावना दिखाने के लिए मुझे रुकने को कहना चाहिए था । इतना कहकर वो मुस्कुराए मैं हमेशा आपकी सेवा में हो मैडम, फिर अतिथ्य भावना का क्या मतलब है? अमर ने खुशी और उत्साह से कहा ये सुनकर शालिनी मुस्कुराई और जो उसने कहा था उसकी सहमती में सिर्फ खिलाया और अलविदा कहने के लिए खुशी से अपना हाथ खिलाया । अगले दिन भी अमर अपने ऑफिस नहीं गया लेकिन उस दिन वो ठीक महसूस कर रहा था । इसलिए उसे कमलेश के साथ चाय लेने का निश्चय किया और जब कमलेश की चाय का टाइम हुआ तो वहाँ गया कमलेश अपने ऑफिस जाने ही वाला था । जब वहां पहुंचा उसने देखा की भाभी ने पहले कमलेश को चाय पर उसकी थी और उसे देख कर कमलेश ने अपनी पत्नी को इसका एक कप और लाने के लिए कहा । अमर चुपचाप बिना कुछ कहे उसके सामने बैठ गया तो अब कैसा महसूस कर रहे अमर कमलेश ने पूछा ठीक और बेहतर उस समय तक भावी चाहिए आई थी और उन्होंने इसे उसके सामने रख दिया । अमर तुम्हारी भाभी ने मुझे बताया कि कल एक लडकी तुमसे मिलने आई थी । कमलेश ने पूछा तो वो लडकी वास्तव में मेरे बॉस की बेटी है और यूनिवर्सिटी से पडती है । एक बार मैंने अनजाने में उसका भाषण ठीक कर दिया और वो प्रतियोगिता में विजय हुई । तब से वो मेरे प्रशंसक बन गई है और जब उसे पता चला कि मैं ठीक नहीं था वो अपनी सहानुभूति दिखाने आई थी । अमर ने अपने चेहरे पर कोई असामान्य भावनाएं बिना उत्तर दिया । इसका मतलब है वह तुम्हारी सामप्ति चाहती है । कमलेश ने हल्के से हसते हुए कहा मुझे नहीं मालूम लेकिन वो मेरे बारे में बहुत गंभीर है । वह बहुत दयालु और खूबसूरत भी है । भाभी ने उनकी बातचीत में हस्तक्षेप करते हुए कहा, अवर उसके उत्तर में कुछ नहीं कह सका । लेकिन कमलेश स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सका । उसने कहा तो उस लडकी से बहुत प्रभावित हो क्या तुम नहीं हूँ वास्तव में अब तो मैं भी उसी देखना चाहता हूँ जिसमें एक ही बार मिलने से मेरी पत्नी का दिल जीत लिया । ये सुनकर सब एक साथ हसने लगे लेकिन अमर जी दिल्ली है अपना ख्याल रखना । कमलेश ने कहा और अपने ऑफिस जाने के लिए उठ खडा हुआ । कमलेश के अपने ऑफिस जाने के बाद अमर भी अपने कमरे में जाना चाहता था । इसलिए उसने भावी से अनुमति मांगी लेकिन उन्होंने उसे जाने की आज्ञा नहीं थी और उसे वही बैठे रहना पडा क्योंकि वह कोई घरेलू काम कर रही थी और ये खत्म होने ही वाला था । वो उसके पास एक दम नहीं है और उसे कुछ देर इंतजार करने का अनुरोध किया । जब ड्रॉइंग रूम में बहुत ही वो फ्रेश और प्रसन्न लग रही थी । वो उसके सामने बैठ गई और धीरे से पूछा अमर क्या तुम उसी वास्तव में प्यार करते हो? अमर उनकी इस प्रकार का सवाल पूछने से चकित था लेकिन उसने जल्दी स्वयं को नियंत्रित किया और उत्तर दिया भाभी मैं उसका सम्मान करता हूँ क्योंकि वो मेरे बॉस की बेटी हैं । कैसे मेरी तरह एक साधारण व्यक्ति उस लडकी से प्यार करने की हिम्मत कर सकता है जो कि एक अमीर परिवार से हैं लेकिन वो तुमसे बहुत प्यार करती है । मैंने उसकी भावनाओं को महसूस किया । वास्तव में वो तुम्हें अपने दिल की गहराई से प्यार करती है तो मैं इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए । उन्होंने ऐसे कहा जैसे कि वह अपने कहीं के प्रति बहुत निश्चित और विश्वस्त थी । अमर एक बार फिर चुक रहा । वो स्वयं ये निर्णय करने में असमर्थ था । कि क्या वह सही था? यह खुद भी उसे प्यार करने लगा था । अमर प्यार में धन, आयु, स्टेटस इत्यादि का कोई सवाल नहीं होता । प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्यार के प्रति वफादार होना चाहिए । ये ईश्वर का उपहार है भाई । किसी को ये नहीं मिलता । उसने वकालत की लेकिन अमर ने उत्तर नहीं दिया । उसने केवल इतना कहा, ये तो ईश्वर का उपहार है और उसने मुझे दिया है । तो मैं इसे मना करने वाला कौन होता हूँ? लेकिन क्या लेकिन उसने उत्सुकता से पूछा वक्त प्यार को बदल देता है भाभी । उसने दुखी होकर कहा, मैं नहीं जानती तुम की स्थिर तक से ही हो सकते हो । लेकिन जितना मैं जानती हूँ समय भी एक सच्चे प्रेमी के दिल को जीतने में विफल रहता है । उसने असहमति व्यक्त की । तब अमन एक लंबी सांस ली और बिना एक शब्द कहे इच्छा से उसका विचार मान लिया । जब वो अपने कमरे में पहुंचा सवा ग्यारह बज चुके थे । वह अपने बिस्तर में लेते हुए कुछ समय बिताना चाहता था इसलिए उसके खुद को बिस्तर पर डाल दिया और तब खुद को नींद की बाहों में जाने के लिए तैयार करने के लिए एक मैग्जीन के पन्ने पर रखने लगा । लंच के समय प्रिया युगल प्रेमियों से भरा था और अमर ठीक शालिनी के सामने बैठा हुआ था । वो उस का साथ पाकर बहुत खुश थी और वो अपनी गतिविधियों से उसे जितना ज्यादा वो कर सकती थी उतना ज्यादा खुश करना चाहती थी । इसलिए उसने उसकी पढाई, परिवार और परिवार के दूसरे सदस्यों से संबंधित हर तरह के सवाल पूछे । वह पहले ही उसकी पसंद और ना पसंद के बारे में पूछ चुकी थी और उसके अनुसार उसने खुद को ढालने की कोशिश की । आश्चर्यजनक रूप से बिना किसी हिचकिचाहट के अमर ने मासूमियत से उत्तर दिया जो कि वह जानना चाहती थी । हालांकि वो इन सब चीजों के पीछे छिपे इरादे को जानता था । वो केवल ये निश्चित करने के लिए चुप था कि क्या करना चाहिए । जब वेटर शाकाहारी खाने के साथ आया और इसे दोनों को भरोसा तो यह देखकर आश्चर्यचकित था क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था कि वह मांसाहारी थी और उसका धर्म शाकाहारी खाने को कोई महत्व नहीं देता था । इसलिए वो अपने उत्सकता को दबा नहीं सका और जोर से बोला क्या तुम वास्तव में शाकाहारी भोजन होगी? हाँ मैं होंगी और तो नहीं जान करा । आश्चर्य होगा कि आज से मैं तुम्हारी तरह शाकाहारी बन जाऊंगी । उसने बिना डरे घोषणा की अमर उसे मूक बना देखता रहा और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया । दूसरी तरफ उसने भी उसके इच्छानुसार अपना हाथ ढीला रखा । रेस्ट से बाहर आने के बाद शालिनी बहुत खुश दिखाई दे रही थी क्योंकि वह कार बहुत तीस तथा सुखद मोड में चला रही थी । उसकी नाक पर काला चश्मा और उसकी डी ले तथा अच्छी तरह शैम्पू किए हुए बाल जो महासागर की लहरों की तरफ उठे और गिर रहे थे, उसकी सुंदरता को बढा रहे थे । अमर ठीक उसके बगल में बैठा हुआ था और दुविधा में था कि क्या उसे जो भाग्य प्रदान करने जा रहा था उसी स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर स्पष्टता इसे मना कर देना चाहिए । अचानक कार्य झटके के साथ रुक गई और अमर अपनी सामान्य स्थिति में आया । उसने देखा कि काश चर्च के गेट पर खडी थी और शालिनी आग्रह की दृष्टि के साथ उसकी तरफ देख रही थी । प्लीज इंतजार करो, मैं थोडी देर में चर्च से आ रही हूँ, लेकिन क्या तो किसी दिल पर लोगी, अगर मैं तुम्हारे साथ चलो तो । अमर ने कहा ये सुनकर वह कार से नीचे उतरते उतरते रुक गई और उसकी तरफ आश्चर्य से देखा । उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसने उससे सुना था लेकिन आप हिन्दू हो । उसने उत्साहपूर्वक कहा मैं पहले मनुष्य हूँ । उसके बाद हिंदू उसने उत्तर दिया । शालिनी ने तब अपना हाथों से देने के लिए आगे बढाया और कार से उतर गई । चेस खाली था । वो प्रार्थना का समय नहीं था इसलिए वो इशू के सामने खडी हुई और उसे उस उपहार के धन्यवाद दिया जो उसने उसे दिया था । उसका प्यार अमर प्रार्थना पूरी करने के बाद वह बडी और देखा कि अमर ठीक उसके बगल में खडा था । वो आनंदपूर्वक उसे देख रही थी जो कि अपनी आंखे बंद किए ध्यानमग्न था । शायद वो भी ईश्वर की उसके प्रति बक्शीश के लिए उसको धन्यवाद दे रहा था । तब दोनों चढ से बाहर आए और चुप चाप कार की तरफ चलने लगे । जब शालिनी ड्रॉइंग सीट पर बैठ गई । उसने देखा कि अमन ने पहले ही उसके बगल में अपनी सीट ले ली है और कौन सी चेहरे पर बहुत सारे मिश्रित भावली सामने की तरफ देख रहा था । वो कार स्टार्ट करने ही वाली थी लेकिन अचानक उसने अपना विचार बदल दिया । अमर की तरफ देखा और अपना हाथ उसके कंधे पलट दिया । ये उसकी कल्पना की दुनिया को तोडने के लिए काफी था । उसने उसकी तरफ देखा और उसकी आंखों का भाव पडा जिसमें उसको उसके आलिंगन में रखने के लिए प्रेरित किया और उसने तब वैसा करने में संकोच नहीं किया । फिर दोनों ने एक दूसरे को उस स्टोरी का समाप्त करने के लिए खींच लिया जो उनके बीच थी । अमर अचानक उठा और देखा कि उसे तकिये को अपनी बाहों में ले लिया है । उसके चेहरे पर पसीने की बोलती थी और वह प्यासा महसूस कर रहा था । वो कुछ देर तक छत की तरफ देखता रहा और फिर पानी पीने के लिए उठ गया । उसने अपनी उत्तेजना को समाप्त करने के लिए तथा सामान्य महसूस करने के लिए दो गिलास पानी लिया । अचानक उसके चेहरे के भाव में बदलाव लाया और अपने बिस्तर पर जाने की बजाय अपने बीस के इस की तरफ चल गया और छोटी कमरे की कॉर्नल में पडा हुआ था । इसके अलावा वहाँ कुछ किताबे थी । उसने तब ब्रीफकेस खोला । इसकी तली से एक पासपोर्ट साइज फोटो निकाला और इसे अपने होटों तक लगाया । लेकिन अचानक ही वो अपने होटल उस पर लगते रखते रुक गया । उसने केवल कुछ देर के लिए अपनी आंखों के सामने रखा । धीरे धीरे उससे अपने चेहरे पर घृणा का भाव लाते हुए अपनी आंखे बंद कर ली और फुसफुसाया, तुम एक धोखेबाज हो । रोहिणी एक धोखेबाज क्यों?

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सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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