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प्यार की वो कहानी अध्याय -06 in Hindi

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Authorपंकज कुमार kumar
सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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अध्याय अतीत की घटनाएं जो एक एक करके अमर के दिमाग में आ रही थी, अचानक बंद हो गई क्योंकि कोई उसे कंधे से हिला रहा था । वो अतीत से जाऊँगा और देखा कि मिस्टर सिन्हा अपने चेहरे पर चिंता का भाव लिए उसके सामने खडे थे । अमर मैं ईमानदारी से तुम से बात करना चाहता हूँ । मेरे पीछे उसने कहा और उसका उत्तर सुने बिना ही एक कमरे की तरफ चलने लग गए । अमर नी उनकी बात मानी बिना कारण सोचे कि उन्हें उनसे क्यों बात करनी थी । अमर मिस्टर सिन्हा ने कहा, मेरी इज्जत अब तुम्हारे हाथ में है । एक पिता होने के नाते मैं जानता हूँ कि मेरी बेटी को क्या चीज आनंद देगी लेकिन मैं इस समय उसकी इच्छा पूरी करने में असमर्थ हो क्योंकि हम समाज में रहते हैं और समाज के अपनी नियम होते हैं । अमर इन सब बातों को सुनकर चकित था । एक्शन के लिए नहीं समझ सका कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा । उसने केवल कुछ पूछने की नजर से उन्हें देखा और ये देख कर परेशान हो गया की उनकी आंखें आंसुओं से भरी थी । मैं इस संबंध में आपके लिए क्या कर सकता हूँ । उसने कमजोर आवाज में कहा, केवल रोहिणी को उसके दूल्हे से शादी करने के लिए मना उनका संक्षिप्त उत्तर था । अमर ने तब उन की सलाह मानने के लिए अपना सिर हिलाया और कमरे से बाहर आ गया । जब रोहिनी ने अपनी आंखें खोली उसने अपनी सिरहाने अमर को बैठा हुआ पाया और इस से वो खुश हुई । उसके चेहरे पर एक बार में ही प्रसन्नता का भाव आ गया और उसने अमर का हाथ अपने हाथों में लेने के लिए अपना हाथ फैलाया । लेकिन उसने इसे जानबूझकर नजर अंदाज कर दिया और उसकी प्रसन्नता को बढाने के लिए मुस्कुराता रहा । क्या अब तुम ठीक हो? रोहिणी ने स्वयं को ठीक बताने के लिए अपने सिर हिलाया । ये देख कर उसकी माँ खुशी से खडी हुई और उसी चूम लिया और तब वह कमरे से बाहर चली गई । धीरे धीरे सारे व्यक्ति जो वहाँ पर जवान थे, दूर चले गए सिवाय अमर की जो कि शायद अपने दिल की बातें उसके सामने प्रकट करने के लिए ऐसी ही स्थिति की तलाश में था । रोहिणी मैं वास्तव में बहुत भाग्यशाली हूँ क्योंकि मैं तुम्हारी शादी के दिन पहुंच गया । क्या तुम्हें मालूम है मैं अपनी पत्नी को भी जाना चाहता था लेकिन परिस्थिति इसके पक्ष में नहीं थी । इसलिए मैं नहीं ला सका, नहीं तो तुम उस से मिल लेती । रोहिणी अपनी पलकों को हिलाये बगैर उसकी तरफ देखती रही । उसके चेहरे पर सदमा और उदासी छा गई और वह असफलता पूर्वक इसे छुपाने की कोशिश कर रही थी । दूसरी तरफ अमर उसकी आंखों में देखने का साहस नहीं कर बाहरा था क्योंकि वह अपने अंदर अपराध भावना को महसूस कर रहा था । उससे क्या हुआ? उसने पूछा, वास्तव में वो गर्भवती है । उससे जल्दी से कहा और मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन असफल हो गया । यदि मिसेज जिन्ना उस समय उनके पास नहीं आती तो वे और बातें करते । रोहिणी! तुम बिलकुल ठीक हूँ क्या? तुम नहीं हूँ? उसने पूछा । उसने उत्तर नहीं दिया । नहीं, उसने उसकी तरफ देखा । तब भी शिवसेना फिर से दूर चली गई और कुछ लडकियों तथा महिलाओं के साथ जल्द ही वापस आ गई । जब रोहित को दूर है की बगल में बैठाया गया । अमर ने स्वयं को एक हमले के पीछे छिपा लिया और समय समय पर वो उस की ओर से झांक रहा था । एक भी व्यक्ति उसकी जरा सी भी कुशल शेम नहीं पूछ रहा था क्योंकि बारात को सुबह बहुत जल्दी लौट था । विवाह पूरा होने के बाद सभी मेहमान व्यस्त हो गए । जब कार को दरवाजे पर लाया गया और ड्राइवर अपनी सीट पर बैठा दुल्हन के दरवाजे से निकलने और अपनी सीट पर बैठने का इंतजार कर रहा था, अमर वहाँ दिखाई दिया । उसने उससे कुछ कहने के लिए अपने आपको तैयार किया था । लेकिन तभी वहाँ पर चार नवयुवकों का एक समूह आया और उन्होंने वहाँ खडे लोगों को धक्का देना शुरू कर दिया । अमर से भी उसी तरह का व्यवहार किया गया । वो फिर से हमले के पीछे चला गया और वहाँ से रोहिणी को देखने लगा । दुल्हन की पोशाक में वो पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी । सिंधु लगे उसके माथे की चमक हर किसी की आपके लिए बहुत सुखद थी । जब वो अपनी माँ को पकडे रो रही थी । उसके दोस्तों ने उसे लेकर कार में बिठाया जिसे फूलों से तथा रंगीन कागजों से खूबसूरती से सजाया गया था । कार्ड धीरे से चलने लगी लेकिन अमर उसे जी भरकर नहीं देख पाया तो अभी भी खबरें की सहारे झुका हुआ था इस इंतजार में कि वो उसे देख सके और तब वो एक दूसरे को देखने की अपनी इच्छा पूरी कर लेगा जब तक की कार उसकी नजरों से ओझल ना हो गयी वो वहाँ से नहीं मिला । तब वो धीरे धीरे अपने घर के लिए निकल पडा । सुबह के समय बहुत जल्दी दरवाजे पर दस्तक सुनकर सुजीता की माँ एक बार में ही समझ गई कि कौन होगा इसलिए वो बिना कुछ पूछे जल्दी से इसे खोलने चली गई । उसने अमर को घर में आने दिया । वो थका हुआ सदमे में और इन सब से ऊपर बहुत कमजोर लग रहा था क्योंकि घर पहुंचने के बाद और रोहिणी की शादी के बारे में जानने के बाद उसने जरा सा भी आराम नहीं किया था और उसके घर चला गया क्योंकि भारत आने ही वाली थी और उससे पहले वहां पहुंचना जाता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सका । वो सीधा अपने कमरे में गया । उस समय तक उसकी माँ ने कमरा साफ कर दिया था । स्वयं को बिस्तर पर लिटा आने के बाद उसने दिमाग के तनाव से मुक्ति पाने के लिए अपनी आंखे बंद करिए । वास्तव में उस दुःख से छुटकारा पाना चाहता था जो उसके भावुक होने पर जमा हो गया था । उसे अच्छी तरह से पता था कि अतीत को याद करने का कोई फायदा नहीं था लेकिन वो इसे शीघ्र ही पूरी तरह से बुला देने में असमर्थ था हूँ । जम्मू जगह दोपहर हो चुकी थी और कुछ समय के लिए वह स्वयं को अपने बिस्तर पर पाकर आश्चर्यचकित था क्योंकि कुछ बडों के लिए वह भूल गया था कि वो दिल्ली में नहीं बल्कि अपने स्वयं के घर में था । वो धीरे धीरे बिस्तर से उतरा और उसी समय उसकी माँ ने कमरे में प्रवेश किया । तुम ठीक हो अमर क्या तो नहीं हो । उसने उत्साह से पूछा अमर नहीं आपने होटों को ज्यादा सभी अलग किए बगैर ऐसे मुस्कुराते हुए से हिलाया मानो उसके साथ कुछ भी घटित नहीं हुआ है । यदि पी उसकी माँ की अनुभवी आंखें उसकी आंखों में गहरे तक जाकर उसके दुःख को महसूस कर रही थी लेकिन उन्होंने इसे प्रकट नहीं किया । उन्होंने उसे नहाने की सलाह दी जिससे कि वह फ्रेश महसूस करें । उसने अपनी माँ को कोई जवाब नहीं दिया और आज्ञा मानते हुए बातों की तरफ चला गया । उसकी माँ ने केवल उसकी तरफ देखा और उन बदलावों को महसूस करने की कोशिश की जो उसमें आ गए थे । अमर तो दिल्ली में क्या कर रहे हो मानी उसके प्लेट में गर्म रोटी डालते हुए पूछा । ये सुनकर उसने बिना कुछ कहे उनकी तरफ देखा लेकिन उत्तर नहीं दिया । उसने स्वयं को अपना भोजन लेने में व्यस्त रखा । माननी भी सोचा कि उसे कुछ पूछना ही ज्यादा अच्छा होगा । मांग की आपको पता है रोहिणी को एक बहुत अच्छा पति मिला है । उसने कुछ समय बाद कहा अब ये उसकी माँ थी जो उसकी तरफ बिना कुछ कहे आश्चर्य से देख रही थी । मुझे लगता है तो मैं मुझ पर विश्वास नहीं है । वो अब अपने डॉक्टर पति के साथ बहुत सुखपूर्वक रहेगी । उसने दोबारा से कहा लेकिन उसे अपनी माँ से । उसके पहले सवाल का भी कोई जवाब नहीं मिला था । उस समय वो स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर सकी । उसने अपने दिल की गहराई से दुखी होकर उत्तर दिया नहीं तो गलत फैमी हुई है । अमर अचानक उसके अपने मूड भोजन डालना बंद कर दिया । उसने अपने मुकाम तक पहुंचने वाले हाथ को रोक दिया क्योंकि उसकी माँ के जवाब से वो परेशान था और उसने इसकी सच्चाई जानने के लिए अपनी माँ की तरफ देखा । कैसे उसने विश्वास से पूछा वो कॉलेज से लौटने के बाद तुम्हारा इंतजार इंतजार करती रही । तब उसने अपना क्लीनिक खुला पर एक सपना बाला की एक दिन तो मुझसे दुल्हन बनाने आओगे लेकिन तुम्हारी गैर जिम्मेदाराना कदम ने मेरी परीक्षा ली और मुझे धक्का भी दिया । कुछ भी हो मैं भी हूँ और उसकी माँ की आंखों में उसके लिए क्या सपना था । मैं ऐसे महसूस कर सकती थी । मेरे ही दिया ने मुझे स्वार्थी नहीं होने दिया और मैंने उसे बाध्य किया । उसने अपनी भराई हुई आवाज में कहा और अपना वाक्य पूरा नहीं कर सके । उसने रोटी जलने की गंध महसूस की और जल्दी से उसे उठा लिया और रोटी सेकनी बंद कर दी । अमर भी भोजन अधूरा छोडकर अपने कमरे में चला गया था लेकिन उसकी माँ ने उसे कुछ नहीं कहा । ना ही वो उसके पीछे गई । समय बीतने लगा लेकिन अमर अपने दुःख पर विजय नहीं पा सका । उसने स्वयं को केवल अपने कमरे तक ही सीमित कर लिया । इससे उसके माता पिता चिंतित थे तथा वो सोचने में असमर्थ थे कि उसको सामान्य करने के लिए क्या किया जाए । उसका ज्यादातर समय उसके कमरे में किताबे पढते हुए, गंभीर संगीत सुनते हुए ये सोते हुए बीतता था । ऐसा लगता था कि शायद उसे बाहर जाने में डर लगता था । क्या उसे किसी से भी बोलना ना पसंद था । उस दिन उसकी माँ उसकी कमरे में आई और कैसे प्लेयर का स्विच ऑफ कर दिया । अमर दीवार की तरफ चेहरा किए सो रहा था इसलिए वो नहीं देख पाया कि उसकी माँ ने क्या किया था । लेकिन जैसे ही गाना बंद हुआ तो थोडा और अपनी माँ को अपने सामने खडा हुआ पाया । उसके चेहरे के भाव से ये स्पष्ट था कि वह दुखी थी और उसके देखने के तरीके ने उसे विश्वास दिया दिया था कि वह खुश नहीं थी । इसलिए उसने अपनी माँ के गुस्से को दूर करने के लिए मुस्कुराने की कोशिश की लेकिन उसी मंजूर नहीं था । अमर प्रयाप्त हैं, हम भी घर में है लेकिन तो मैं हमारी और हमारी भावनाओं की कोई फिक्र नहीं है तो और कितने दिन इस तरह से व्यतीत करोगे । उस ने अपनी नाराजगी दिखाते हुए कहा अमर ने एक बार फिर उन्हें गया की नजर से देखा और उत्तर दिया मैंने क्या किया? हाँ तो हमें अपने व्यहवार से दुखी कर रहे हो कैसे? उसने पूछा तुम अपना समय न तो हमारे साथ और न ही अपने दोस्तों के साथ व्यतीत करते हो क्यूँ? तो इस तरह कितने दिन और बिताओ के उसने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन सीलिंग की तरफ देखता रहा । उसकी आंखों की शून्यता उसकी माँ के है । इंडिया में बहुत गहरे तक छुप गई और वो अपने आंसू नहीं रोक पाई । वो उसके ऊपर झुकी और उसका चेहरा अपनी हथेलियों के बीच में रख लिया जिससे कि वो उसे जी भरकर देख सकें । उसकी आंखों से अब भी आंसू बह रहे थे । अपनी माँ का चेहरा देखकर वो भी स्वयं को नियंत्रित नहीं कर सका । उसकी आंखे भी जल्द ही अश्रुपूरित हो गई । लेकिन उसके होट अभी भी एक भी शब्द बोलने के लायक नहीं थे । नहीं मेरे बेटे नहीं स्वयं पर नियंत्रण रखो, सबको जल्दी ही ठीक हो जाएगा । उस ने अपना प्यार उसके ऊपर उडेलते हुए कहा माँ वो केवल इतना कह सका इतना सब कुछ एक माँ के भावुक होने के लिए काफी था । उसने उसका सिर अपनी गोद में खींच लिया । जैसे कि वो उसके बचपन में क्या करती थी और उसे शांति से सोने देने की इच्छा से उसके सिर को थपथपाना शुरू कर दिया । इससे उसे आराम मिला और उसे उसके अविस्मरणीय तनाव से थोडी आजादी महसूस हुई । उस दिन उसने स्वयं को सामान्य करने का निश्चय किया । अगले दिन वह सुबह जल्दी उठ गया और एक मॉर्निंग वॉक के लिए गया । सुबह की ठंडी हवा ने उसे और ज्यादा ऊर्जावान तथा प्रसन्न बना दिया । जब वापस आया उसकी मानी नाश्ता तैयार कर लिया था । इसलिए बिना एक मिनट गवायें उस को फ्रेश करने के लिए बातों में घुस गया । अपना नाश्ता लेने के बाद उसने अपने कमरे में प्रवेश किया और जल्दी साफ कपडों में वापस आया । शायद वो कहीं जा रहा था । उसकी माँ ने उसे देखकर सोचा पूछना चाहती थी लेकिन उसके पूछने से पहले ही उसने खुद ही बताया कि वह अपने दोस्त रवि के पास जा रहा था । ये सुनकर उसकी माँ ने खुशी खुशी पूछे जाने की अनुमति दे दी । जभी उसके सबसे अच्छे मित्रों में से एक था । वो कक्षा नौ से उसका सहपाठी था और उसने ग्रेजुएशन के बाद ही अपनी पढाई समाप्त कर दी थी क्योंकि उसके पिता कैंसर से पीडित होने के कारण परिवार का भारत होने में असमर्थ थे इसलिए उसे बिजनेस की देखभाल करनी थी । उसकी एक रेडीमेंट की दुकान थी और ये परिवार के लिए आय का एकमात्र सूत्र था । रवि क्लास के अंदर और बाहर अमर की बहुत सहायता क्या करता था । वो हमेशा उसे सुझाव दिया करता था जैसे किए परिपक्व व्यक्ति को देने चाहिए । ऐसा इसलिए था क्योंकि वो इसके लिए उम्र तक पहुंचने से पहले ही परिपक्व हो गया था । एक बार रोहिणी और अमर में एक झगडा हो गया था क्योंकि रोहिणी ने अमरीकी भौतिकी की नोन उसकी मित्र सोनम को दे दी थी । जो जब भी उसे मौका मिलता उसे अपमानित करने से नहीं छोडती थी । उस समय वे आईएसी में थे और उसे क्लास का सबसे बुद्धिमान लडका समझा जाता था । ये मुख्य कारण था कि उससे ज्यादा तर सही पार्टी उसे पसंद करते थे । सोनम भी उसे पसंद कर दी थी लेकिन वो उस पर कभी ध्यान नहीं देता था जिससे वो से चलती थी और उसने उस तरीके से उससे बदला लेना शुरू कर दिया । लेकिन रोहिणी इन सब बातों से पूर्णत्या अनजान थी । उसे ये भी महसूस नहीं हुआ कि अमर उसे पसंद करने लगा है । रोहिणी के और समय आने के लिए उसने उसे अपनी नोटबुक दी थी लेकिन उसी ये पसंद नहीं आया । जब उसने वह सोनम को दे दी तो तुमने मेरी नोटबुक सोनम को क्यों दी? उसने पूछा वास्तव में वो एक बार ऐसे पूरी पढना चाहती थी । उसे जवाब दिया लेकिन तो मैं इसके लिए मुझे पूछना चाहिए था क्यों? क्या मैंने कोई अपराध किया तो गुस्से से पूरी हाँ तुमने किया है उसने अभी तक उसे नहीं लौट आया है । क्या मुझे पढाई नहीं कहीं नहीं है? उसने गुस्से से पूछा सौरी मुझे इसके लिए बहुत अफसोस है । जिस शहर वो अपने गांव से लौटेगी, मैं नोटबुक लौटा दूंगी । उसने अपने चेहरे पर गुस्से का भावना आते हुए उत्तर दिया जिससे अमर को और ज्यादा गुस्सा आया और उसने अपनी आवाज थोडी तेज करते हुए उत्तर दिया तो सॉरी कहकर बच गई । उसके बाद रोहिणी ने उसे कुछ जवाब नहीं दिया और अपने चेहरे पर नाराजगी का भाग दिए हुए वहाँ से चली गई । उसके कोमल गाल और ज्यादा लाल हो गए थे । उस क्या थी? उसके गुस्से को प्रकट कर रही थी । तुम गुस्सा हो गए । रवि ने पूछा क्योंकि वहाँ खडा था और उनके झगडे का गवाह था । हमने जवाब नहीं दिया और कॉलेज की कैंटीन की तरफ चला गया । बिना किसी शक के रवि उसके पीछे गया और कैंटीन पहुंचकर उसने दो बॉटल सिर्फ राइस लाने का ऑर्डर दिया । अमरीकी चेहरे पर अभी भी गुस्सा था लेकिन रवि उसे देख कर मुस्कुरा रहा था । वेटर उनका ऑर्डर लाया । उसने एक बोतल अमर को सौंप थी पर चुपचाप दूसरी को पीने लगा । कुछ समय बाद उसने पूछा अमर तुम रोहिणी को पसंद करते हो? नहीं बिलकुल नहीं । तब तुमने उसे अपने नोटबुक क्यों दी? वो मेरी सहर पार्टी है । उसने गम्भीरता से जवाब दिया । उसका जवाब सुनकर रवि एक मुक्त हसी हंसा और कहा सोनम भी तुम्हारी सही पार्टी है लेकिन मैं उसे आप पसंद करता हूँ । तब तक तुम वास्तव में रोहिणी को पसंद करते हूँ । प्लीज रवि भगवान के लिए से बंद करूँ हो किए मैं से बंद करता हूँ । लेकिन प्रिया अमर तो मैं पता होना चाहिए कि उसने तुम्हारी नोटबुक ये सोच कर दी कि तुम इसे गंभीरता से नहीं होंगे क्योंकि तुम उसे पसंद करते हैं और वो तो में अमर ने तब उसकी तरफ संदीप दृष्टि से देखा लेकिन कुछ नहीं पूछा । उस रात अमित ठीक से नहीं हो सका । ज्यादा समय वो अपने बिस्तर में करवट लेता रहा । जितना ज्यादा वो अपने झगडे के दौरान अंतिम पलों में रोहिणी कि याद तथा उसके चेहरे का भाव बुलाना चाहता था । उतना ज्यादा ही बेचैन हो जाता था और वह अधीरता से सुबह होने का इंतजार कर रहा था । उस समय अमर पहले अपने मित्र रवि के यहाँ गया और अपनी बेचे ही भरी रात का जिक्र किया । लेकिन रवि ने कोई प्रतिक्रिया नहीं । उसने उसे शांतिपूर्वक सुना, उसे नाश्ता करने के लिए दिया और तब दोनों कॉलेज के लिए निकल पडे । आश्चर्य से उसे रास्ते में भी कोई बात नहीं । जब वो कॉलेज पहुंचे रवि अमर को दूसरी सह पार्टियों से बात करता हुआ छोडकर सीधे लाइब्रेरी चला गया । प्रथम दृष्टि में उसे रोहिणी को देखा क्योंकि अकेले बैठी थी तथा एक मोटी किताब के पन्ने उलट पलट रही थी । उसके पास गया और गुड मॉर्निंग किए बगैर ही उसके सामने बैठ गया । रोहिणी ने उसकी तरफ देखा और जो किताब उसके सामने थी उसके पेज पढने शुरू कर दिए । शमा करें वो खुश हो जाए । रोहिणी ने निरस्त से उसकी तरफ देखा और पूछा, क्या मैं आप के मित्र की ओर से क्षमा चाहता हूँ? क्यों किया आज उसके मुंबई जवान नहीं है? नहीं, वास्तव में वो इसका साहस करने के लिए भी शर्मिंदा है । भाड में जाए । मैं उसे ना पसंद करती हूँ लेकिन वो भी पसंद करता है । रवि ने विश्वास के साथ उत्तर दिया । तब रोहिणी ने कुछ नहीं कहा और झूठे गुस्से के भाव के साथ उसकी तरफ उत्सुकता से देखा । इतना सब कुछ रवि को मौका मिलने के लिए काफी था । इसलिए उसने आगे कहा कि सोनम हमेशा उसे या तो कॉलेज में या फिर कॉलोनी में बेजिंग करती रहती है क्योंकि वह उसे कभी कोई भाव नहीं देता है । लेकिन इसमें मेरा क्या कसूर है? उसने पूछा कुछ नहीं और उसने इसी स्वीकार कर लिया । पाकिस्तान में पूरी रात सो नहीं सका । मेरे ख्याल से तुम कल की घटना के बारे में भूल जाना चाहिए । रवि नी नम्रता से तर्क क्या अब बोलने की बारी रोहिणी कि थी क्योंकि ऐसा कहकर रवि जवाब के लिए उसकी तरफ देखने लगा था और रोहिणी स्वयं को उसके लिए तैयार कर रही थी । लेकिन इसी बीच घंटी बच गई और वो ये कहते हुए उप खडी हुई, अब हमें क्लास में जाना चाहिए । अमर इन सब चीजों को याद करके मुस्कुराता रहा । फिर रवि की रेडीमेंट की दुकान पर पहुंचा । वो उसे देख कर आश्चर्यचकित हो गया । पहले तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं है, लेकिन अमर की मुस्कुराहट ने उसके संदेह को सच साबित कर दिया । तुम कब वापिस आई? उसने उत्साह के साथ पूछा एक हफ्ते पहले तो बहुत देरी से आए हुआ मत ना ही तो में अपना पता ही दिया । हम अब तुम्हारे इंतजार में चिंतित थे लेकिन तुमने कभी हमारी परवाह नहीं की । क्यों अमर ने दुःख के साथ उसकी तरफ देखा । दुख का सागर उसकी आंखों में था । रवि ने इसे समझा लेकिन इस बारे में कुछ भी नहीं कहा तो वहाँ क्या कर रहे थे? अमर रवि ने अपनी बातचीत का विषय बदलने के लिए पूछा । कुछ नहीं । मैं केवल बेहतर संभावनाओं के लिए संघर्ष कर रहा था ताकि मैं तो मैं वो सब लौटा सकूँ । क्यों? तो भारी सफलता के बिना हम तुम्हें पहचानने वाले नहीं थे । उसने तुरंत पूछा तुम नहीं लेकिन तो गलत फैमी हुई है । अमर मुझे पता है कि तुम्हें किस के लिए कहा लेकिन वह दिल की गहराई से तुम्हारी प्रशंसा करती थी । मेडिकल कॉलेज से आने के बाद उसे तुम्हारा इस आशा से इंतजार किया कि एक दिन तो वापस आओगे । तब वो अपनी सारी इच्छाएं पूरी कर लेगी जो बहुत समय से उसके दिल में मौजूद थी । लेकिन तुम नहीं आए और उसकी चाय उसके विवाह के बाद शील हो गई । रवि नहीं दुखी होकर कहा यदि वो मुझे वास्तव में प्यार करती तो दुल्हन बनने को क्यों राजी हुई? अमन ने दुख पूर्वक मुस्कुराते हुए पूछा वो कभी नहीं बनना चाहती थी लेकिन तुम्हारी लापरवाही, माता पिता के दबाव तथा समाज के सुझावों ने उसे ऐसा करने के लिए बात किया । मुझे अभी भी याद है जब वह तुम्हारे घर से लौटी थी । उसकी आंखों में आंसू थे क्योंकि उसने स्वयं को अपने भाग्य के सहारे छोड दिया था क्योंकि तुम्हारी माने भी उसे वही सलाह दी थी क्योंकि उसकी अपनी माँ से करवाना चाहती थी । उसने अपनी सारी आशा छोड दी थी जो उसने एक लंबे समय से पाली थी । मैं वास्तव में उसकी हालत को देखकर स्थल था लेकिन मैं कुछ सुझाव नहीं दे सका । मैं बुद्ध की भर्ती मूव था और मुझसे माफी मांगते हुए लौटी क्योंकि यहाँ तक कि मैं भी उस की इच्छा जीवित रखने के लिए उसका साथ नहीं दे सका ।

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Sound Engineer

Voice Artist

सभी लड़कियों के लिए, खासतौर पर वो जिनमें सपने देखने और जिन्दगी को अपनी शर्तों पर जीने का साहस है और उन तमाम प्यार करने वाली लड़कियों एवं लड़कों के लिए जो शामिल हैं मेरी जिन्दगी में । Voiceover Artist : Sarika Rathore Author : Pankaj Kumar
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