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अध्याय दो एक दिन में सिर्फ सेना ने सुजीता को बाजार में देखकर उससे अमरी के बारे में पूछा कि वह कैसा है । ये सुनकर बहुत दुखी हो गई और बताया कि वो ठीक नहीं है क्योंकि उसने अपनी सोने की चीन खो दिए हैं और जब मम्मी ने उसकी लापरवाही के लिए भला बुरा कहा तो वो बहुत उदास हो गया और हम से ज्यादा बाध्य करना बंद कर दिया । फिर पापा ने उसे दुखी ना होने की सलाह दी ये कहते हुए वो उसके लिए दूसरी चयन खरीदेंगे लेकिन तब भी नहीं बदला और उसने ज्यादातर समय अपने कमरे में ही रहना शुरू कर दिया । तब सुजीता ने मिसेस सीना से रोहिणी और उसके पढाई के बारे में पूछा क्योंकि उसको एमबीबीएस में एडमिशन लिए लगभग आठ महीने बीत गए थे । इस पर मिसेज सेना खुशी से मुस्कुराई और उत्तर दिया की वो अपने कॉलेज में अच्छा कर रही थी और छात्रवृत्ति मिलने के प्रति भी बहुत आश्वस्त थी । उन्होंने उससे अमर को अपने घर भेजने के लिए कहा क्योंकि उन्हें उससे कुछ कहना था लेकिन अमर मिसिज सेना कि यहाँ नहीं गया । समय के साथ वह सामान्य हो गया था और एक बार फिर से उसे चारों और की चीजें अच्छी लगने लगी थी, उससे पहले की तरह पढना आरंभ कर दिया । लेकिन उसने एक चीज जो की होती चीन होने से पहले नहीं किया करता था, आरंभ कर दी थी और वो थी कि उसने ट्यूशन देने आरंभ कर दिए थे और इसके बारे में अपने माता पिता को भी नहीं बताया था । एक दिन जब वो कैलेंडर में तारीख और दिन देख रहा था उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था क्योंकि रोहिणी कि जनम दिन में बस चार दिन शेष रह गए थे । उसके हर जन्मदिन कर मुझ से कुछ उपहार दिया करता था । लेकिन क्योंकि उस साल शहर में नहीं थी वो उसे कुछ भी उपहार देने में असमर्थ था । रोहिणी के जन्मदिन के शुभ दिवस पर उसके कुछ मित्रों ने उसे पार्टी देने की सोची क्योंकि वो उन के बीच बहुत लोकप्रिय थी और वो उसकी आर्थिक हालत से भी परिचित थे । विशेष रूप से जयंत इसके लिए बहुत उत्साहित था । केवल उस समय ही नहीं बल्कि हर दूसरे अवसर पर वो उसके समीप आने के लिए प्रसन्नतापूर्वक उसकी मदद के लिए तैयार रहता था । इसी तरह रोहिणी को भी वो और उसका साथ पसंद आने लगा । जल्दी वो उसके सबसे खास मित्रों में शुमार हो गया जिस दिन वो सब पार्टी मनाने के लिए कॉलेज कैंपस से बाहर जाने वाले थे । रोहिणी गेट पर अमर को खडा देखकर आश्चर्यचकित रह गयी । वो उसकी तरफ दौडी और उसने प्रसन्नतापूर्वक उपहार का पैकेट उसके हवाले कर दिया । ऍम ये देख कर उसके सभी मित्र चकित रह गए । विशेष रूप से चयन जो स्वयं को कंट्रोल नहीं कर सका और उसके बारे में और ज्यादा जानने के लिए आगे आया । अमर ने इसका अंदाजा लगा लिया और इससे उससे बहुत तकलीफ हुई । एक व्यक्ति ये सहन नहीं कर सकता कि उसकी प्रेमिका को कोई दूसरा प्यार करे । अगर ऐसा होता है तो ये शक ना पसंद की और घटना और इन सब से ऊपर दुःख के बीच वो देता है जिसे सामान्यता वो व्यक्ति दूसरों के साथ बता नहीं चाहता । यदि भी रोहिणी चाहती थी कि वो पार्टी में उपस् थित हो लेकिन उसने उसका आमंत्रण यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उसे घर पर बहुत महत्वपूर्ण कार्य है इसलिए उसका लौटना जरूरी था । उस दिन से अमर ने और शांत रहना शुरू कर दिया । उसके माता पिता इसका कारण पता लगाने में असमर्थ थे । उसके मन में सदा ये विचार चलता रहता था । की कहीं रोहिणी उसी भूलती तो नहीं जा रही और एक दिन उसकी कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था और सुजीता जो कि उसी साफ करने आई थी । दरवाजे की ओर से देखा कि अमरीक फोटो को निहार रहा था और बार बार अपनी आंखे पूछ रहा था । शीघ्र ही उसे शक हुआ और उसने जोर से दरवाजे को धक्का दिया । उसके इस प्रकार आगमन ने उसे उसकी फोटो छुपाने का मौका नहीं दिया । यदि पी वो ये चाहता था उसने तुरंत ही उससे फोटो छीनी, उसे देखा और सहानुभूति से मुस्कुराई । वो उस से कुछ भी छिपा नहीं सका और रोहिणी से अपनी निस्वार्थ प्यार को प्रकट कर दिया । उसने उसे वादा किया कि वो इसके बारे में किसी को नहीं बताएगी लेकिन उसे अपना ध्यान रखना होगा । उसने उसे ये भी बताया कि उसके पापा ग्रेजुएशन में उसके अच्छे परिणाम के उपलक्ष्य में एक पार्टी का आयोजन करने वाले थे और उसी इसमें खुशी से रूचि लेनी होगी और कहा कि उसे उसकी प्यार के लिए स्वयं को और अच्छा बनना पडेगा । ये पहला मौका था जबकि वह सच्चे मन से हंसा था और उसे ऐसा लगने लगा था कि वह अपने प्यार के प्रति आश्वस्त था । और ये निश्चित था कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा । ये सब कुछ इस संबंध में सुचिता की सहायता का परिणाम था । यदि सहानुभूति को इसके उचित भाव के साथ दिखाया जाए तो ये अपनी अपारशक्ति के साथ एक व्यक्ति को संपूर्ण रूप से बदल सकती है । सुजीता के सहयोग के बाद उसके जीवन में एक नया मोड आया । उसने अपने आप को और अच्छा बनाने का वादा किया और उसके बाद उस ने और अधिक मेहनत से पढना भी आरंभ कर दिया । महीने बीट दे गए और इसी प्रकार दो साल बीत गए । अमर अब आपने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढाई की अंतिम परीक्षा देने वाला था । उस समय वो केवल ये सोचा करता था कि कैसे स्वयं के लिए नहीं लेकिन अपने प्यार के लिए एक सफल व्यक्ति बनाया जाए । परीक्षा के बाद वो रोहिणी से मिलना चाहता था जिसे उससे बेहतर परिणाम की तैयारी के दौरान मिस किया था । उसे ये विश्वास था कि वो उसके बारे में जानकर बहुत खुश हो जाएगी । उसने खुशी और विश्वसनीयता के साथ परीक्षा दी और अंतिम परीक्षा के दिन शाम को वो उस शहर के लिए निकल पडा जहाँ रोहिणी पढ रही थी । होटल में कमरा लेने के बाद और स्वयं को फ्रेश करने के बाद वह मेडिकल कॉलेज के लिए निकल पडा । उस समय तक दस बच गए थे । जब वो कॉलेज के लिए गेट पर पहुंचा तो उसने देखा कि छात्र कॉलेज में आने लगे थे । वो निश्चित नहीं कर पाया की क्या करें । अब उसने एक छात्र से रोहिणी के बारे में पूछने की सोची लेकिन अगले ही पल उसने उसे सरप्राइज देने की इच्छा से ये उपाय टाल दिया । उस विचार से उसे बहुत आनंद आया । उसे वहाँ पहुंचे हुए दो घंटे बीत गए थे लेकिन उसे उसकी कोई झलक नहीं मिली । इसलिए उसने नाम मिलने के प्रति पूर्ण आश्वस्त होकर उसने प्रिंसिपल से उसके बारे में पूछने का निश्चय क्या । लेकिन जैसे ही उसने रोहिणी को कॉलेज जाते हुए देखा तो अचानक ही उसकी निराशा प्रसन्नता में बदल गयी । वह एक बाइक की पिछली सीट पर बैठी हुई थी जो कि बहुत ही हैंडसम नौजवान चला रहा था जिसमें उसकी स्मार्ट इसको बढाने वाले सन ग्लासेस पहने हुए थे । रोहिणी भी और ज्यादा स्मार्ट और आकर्षक हो गई थी । उसने उसकी सुंदरता को प्रदर्शित करने वाली पोशाक पहनी हुई थी जो कि रास्ते से गुजरने वाले लोगों को उसकी तरफ फासला भरी दृष्टि से देखने के लिए बाध्य कर रही थी । उसके स्तनों ने गोल आकार ले लिया था और उसके निपल्स नोकदार थे । उसी इसकी चिंता नहीं थी क्योंकि वो उसके एक जवान औरत होने के प्रतीक है । वो अपनी पोशाक के द्वारा आपने कुछ उभरे हुए भागों को प्रदर्शित कर रही थी जिसे उसने ये सोचकर पहना था की ये उसे और आकर्षक बना देगी । उसे देख कर उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन वास्तविकता तो वास्तविकता थी । वो एक बार उसे जोर से पुकारना चाहता था लेकिन उसमें आए हुए परिवर्तन को देखकर आश्चर्य से ऐसा नहीं कर पाया । तब उसने उसे बेगैर मिले ही वापस जाने का निश्चय किया । लेकिन ऐसा सोचते हुए कि ये शायद मेडिकल कॉलेज के वातावरण का असर था, उसने शीघ्र ही वो विचार त्याग दिया इसलिए उसने दोबारा से उस से मिलने का निश्चय किया और इस उद्देश्य से वो कॉलेज की मुख्य इमारत की तरफ गया । लेकिन जब तक वो वहाँ पहुंचा कक्षा आरंभ हो चुकी थी इसलिए उसे क्लास खत्म होने का इंतजार करना था । तब उस समय को बताने के लिए उद्देश्य रहित होकर इधर उधर पहले लगा । वो ये सोचकर कभी कबार नर्वस हो रहा था कि वो उसका सामना कैसे करेगा उससे क्या और कैसे कहेगा । कैंपस में यहाँ वहाँ बडी और छोटी इमारतें थे । कुछ भिन्न भिन्न प्रकार के फूलों के पौधे लगाए हुए थे और उनके चारों तरफ लोहे की तार लगाए गए थे । इस प्रकार के हर क्षेत्र में प्रवेश तथा निकासी के लिए एक छोटा दरवाजा लगा होता है । उन के अंदर दो सीमेंट से बनी हुई पैन की पडी थी जिसपर कॉलेज आने वाले लोग कुछ देर के लिए बैठ सकते थे क्योंकि कॉलेज आने वालों में ज्यादातर छात्र होते थे । वे ही फुर्सत में वहाँ अपना समय पडने में बिताते थे । अमन ने भी समय बिताने के लिए उन बच्चों का उपयोग किया लेकिन हर चीज उसे परेशान कर रही थी । उसे ऐसा लग रहा था कि समय और धीमी गति से चल रहा था इसलिए समय समय पर वो अपनी कलाई पर बंधी घडी देखता था और उठ खडा होता था । जैसे ही उसने घंटे की आवाज सुनी अनायास ही उसकी कुछ आंतरिक शक्ति से वो क्लास की तरफ खींचा चला गया । वहाँ आंखों से कुछ खोजने का प्रयास करने लगा क्योंकि एक समय में बहुत से छात्र क्लास से बाहर आ रहे थे । पहली बार में वो उसे नहीं ढूंढ पाया लेकिन बाद में जब ज्यादातर छात्र चले गए और क्लास में केवल कुछ छात्र बच्चे थे वो और ज्यादा सावधान हो गया और उसे तीन छात्रों का अंतिम ग्रुप मिला । रोहिणी उनमें से एक थी और उसके साथ उसके जिगरी मित्र जयंत और कोमल थे । अमर एक बार में ही उन्हें पहचान गया क्योंकि वो उनसे तब मिला था जब रोहिणी को उसका बौद्धिक गिफ्ट देने गया था । रोहिणी उनसे बातें करने में व्यस्त थी इसलिए उसने वहीं से आवाज लगाई और उसकी तरफ दौडा उसे वहाँ देख कर बहुत ज्यादा उत्साहित थी और उसके दोस्तों ने भी अचानक एक आश्चर्य के भाव के साथ उसे देखा तो पूरी तरह से असमंजस में थी और उसे पहचान नहीं पाए की वो कौन था । लेकिन अगले ही क्षण उसे स्वयं को नियंत्रित किया और स्थिति की वास्तविकता को समझा । हेलो अमर! उसने नी रस्ता से कहा हेलो हाई अमर ने उत्सुकता से उत्तर दिया तू यहाँ कब आए? केवल कुछ घंटों पहले कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं । केवल इससे पहले की वह अपना वाक्य पूरा करता । अचानक जयंत बोल उठा, रोहिणी हमें देर हो रही है और अमर अपना वाक्य पूरा नहीं कर सका । रोहिणी ने जयंत को देरी के लिए क्षमा याचना की दृष्टि से देखा और मुस्कुराने की असफल कोशिश की । उसके बाद उसने कहा, क्योंकि अमर बाद में मिलते हैं तो मैं आज यहां रुक रहे हो ना नहीं । उसका उत्तर था । उसका उत्तर सुने बेगे ही उज्जैन की तरफ चली गई जो कि पहले ही बाइक पर बैठ चुका था और उसी स्टार्ट करने वाला था । पिछले सीट पर बैठकर उससे हाथ हिलाकर उसे बाय कहा । एक कर्कश आवाज के साथ अमर और कोमल को पीछे छोडते हुए बाइक स्टार्ट हो गई और एक धक्के के साथ तेजी से आगे बढ गई । उसी समझ नहीं आया कि कुछ शहरों में क्या हो गया । लेकिन उसके चेहरे के हावभाव से ये स्पष्ट था कि उसे रोहिणी के व्यवहार से गहरा धक्का लगा था । वह एक शब्द बिना कहे ही अपना सर नीचे झुकाएं । आगे बढ गया मिस्टर अमर क्या में आप के साथ एक कप कॉफी ले सकती हूँ को मिलने सुझाव दिया वो रुका उसकी उसकी तरफ आश्चर्य से देखा और हाँ खुशी से कहते हुए हामी भर दी । कुछ चुप चुप उसके पीछे कैंटीन की तरफ चल पडा । दोनों एक दूसरे की तरफ चेहरा किए हुए बैठे थे, को मिलने दो कप कॉफी लाने का ऑर्डर दिया और उसके बाद में शांतिपूर्वक बैठे रहे । एक वेटर आकर दो गिलास पानी तथा दो कप कॉफी रखकर चला गया । लेकिन वे शांति अंत में को मिलने चुप्पी तोडते हुए अमर से पूछा क्या रोहिनी तुम्हारी पडोसी है? नहीं वो दूसरी कॉलोनी में रहती है । हम साथ पढे हैं । मुझे पता है उसने मुझे तुम्हारे बारे में कॉलेज ज्वाइन करते समय बताया था । मुझे याद है एक भी दिन ऐसा नहीं जाता था जब तुम्हारे बारे में बात ना करें । लेकिन जयंत से उसकी मित्रता ने उसी पूरी तरह से बदल दिया । अब वो वैसी नहीं है जैसी शुरू में थी को मिलने जल्दबाजी में कहा । अमर ने गहरी सास बाहर तथा भीतर छोडते हुए उस की हाँ में हाँ मिलाई जोकि उसके अत्यंत दुख का संकेत थी । लेकिन मेरा विचार है कि वह जो कर रही है ठीक है क्योंकि वो डॉक्टर बनने जा रही है । अमर ने कुछ दिनों के बाद कहा और छत की सीलिंग की तरफ देखते लगा । उसने ऐसा अपनी निराशा को छुपाने के लिए कहा लेकिन असफल हो गया क्योंकि उसके चेहरे का भाव स्पष्ट रूप से उसके गहरे दुख को व्यक्त कर रहा था । तो मैं चुप चाप किसी समझ गई । उसके बाद उन दोनों ने एक दूसरे से बिना एक शब्द कहे ही कुछ और समय कॉफी पीने में व्यस्त रखकर बिताया । कैंटीन लगभग भरी हुई थी और हर कोई चाय या कॉफी पीते हुए पर हसते हुए अपने साथियों के साथ अपने अपने काम में व्यस्त था । जिंदगी का ये पडा बहुत ही आकर्षक और महत्वपूर्ण है क्योंकि वो नहीं रखता है जिसपर जीवन की इमारत खडी होती है । अच्छा एक बात बताओ तो आज कल क्या कर रहे हो? कोमल ने बातचीत को एक बार फिर शुरू करने के इरादे से पूछा । कुछ नहीं अभी पोस्ट ग्रेजुएशन का फाइनल एग्जाम दिया है । अमर ने नीरस था के साथ उत्तर दिया क्या में एक बार पूछ सकती हूँ को मिलने कुछ आश्वस्त होकर आग्रह किया मैंने कुछ समय के लिए उसकी तरफ देखा जैसे कि वह निर्णय कर रहा था या फिर उसके चेहरे से उसके सवालों का संकेत लेना चाह रहा था । पूछो जो तुम पूछना चाहती हूँ अपन ने उसे प्रोत्साहित किया । वास्तव में तुम रोहिणी को बहुत अधिक प्यार करते हो तो मैंने उसके चेहरे के हावभाव को पढने के लिए बिना आपकी बाल को को हिलाये उसकी तरफ देखते हुए गम्भीरता से पूछा । एक बार करता था लेकिन अब मैं नहीं जानता । अमर का उत्तर था समय हर चीज में बदलाव लाता है और हमें बदलावों को स्वीकार करना चाहिए । कोई भी व्यक्ति केवल भूतकाल को याद करते हुए जीवित नहीं रह सकता । उसी वर्तमान का सामना करना पडता है और भविष्य का ध्यान रखते हुए बदलाव लाना पडता है । लेकिन भूतकाल को बोलना उतना आसान नहीं है जितना हम सोचते हैं । क्योंकि जो कुछ वर्तमान में हैं भूतकाल का ही परिणाम है । अमन प्रतिक्रिया व्यक्त की और तब उसे लगा कि उसे समझाना उसके लिए आसान नहीं था । इसलिए उसने सोचा कि उसका बहस को आगे नाली जाना ही ज्यादा अच्छा होगा । इसलिए वह खडी हुई और ऐसा ही अमर ने भी किया । दोनों कैंटीन से बाहर आए और जब अमर गेट की तरफ चलने लगा तो उससे कुछ पूछना चाहती थी लेकिन उसकी हालत देखकर साहस नहीं कर पाई । साथ ही साथ रोहिणी से भी नाराज थी क्योंकि यह पोन्नैया स्पष्ट था कि अमर बचपन से उसे सच्चा प्यार किया करता था और वो उसी प्यार के कारण यहाँ आया था लेकिन उसने उसे धोखा दिया
Writer
Sound Engineer
Voice Artist