Made with in India
आप सुन रहे हैं तो आपको एफएम किताब का नाम है । प्यार की भूख कहानी जिसे लिखा है पंकज कुमार ने आरजे सारिका की आवाज में ऍम सुनी । जो मन चाहे अध्याय एक घर को रंगीन रोशनी से सजाया गया था और सभी मेहमान उत्साहित होकर इधर उधर व्यस्त थे । एक ने एक नौकर को कुछ काम करने का आदेश दिया । कुछ समय बाद दूसरे ने उसे वह काम करने से रोककर कोई दूसरा काम करने का आदेश दिया । बारात आने ही वाली थी इसलिए उनका उत्साह प्राकृतिक ही था । यू तो हर कोई खुश था लेकिन दुल्हन का बिना रूके रोना उनमें से कुछ को अचंभित कर रहा था । उसके कुछ मित्र उसे शांत करने की कोशिश में थे लेकिन वो सब इस मामले में स्वयं को असफल ही महसूस कर रहे थे । पूछने रोने का कारण नहीं बता रही थी । ऐसा लग रहा था कि वो इस शादी से खुश नहीं है । कुछ लोगों का विचार था कि एक स्वाभाविक मनोस्थिति हैं क्योंकि वो अपने माता पिता का घर छोडने जा रही थी जिन्होंने अपने सारा प्यार और लगाव उस पर उडेल दिया था । उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह केवल उनकी बेटी थी, ना ही कभी उन्होंने एक बेटे की जरूरत ही महसूस की थी । लेकिन उसका इस तरीके से रोना उसके हिंदी की गहराई से निकलने वाले दुःख जो कि उसकी आंखों से आंसू के रूप में बाहर आ रहा था तो व्यक्त कर रहा था । निश्चित रूप से वह खुशी के आंसू नहीं थे जो कि एक दुल्हन द्वारा तब बाहर जाते हैं जब वो अपने ससुराल के लिए निकलती है । तभी वहां मिसेज सिन्हा आई शानदार पोशाक में थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो उस अवसर की सबसे खास महिला थी । उन्हें देखकर दुल्हन माँ माँ पुकारने लगी और उनके पास लगभग तो करते हुए आई । मिसेज ने अपनी बाहों को फैलाया और उसे रोते हुए अपने गले से लगा लिया । उन्होंने स्नेहा के साथ उसकी पीठ थपथपाई और कहा, रोहिनी स्वयं पर नियंत्रण रखें, सब कुछ ठीक हो जाएगा । लेकिन रोहिनी ने कुछ उत्तर नहीं दिया । उसने अपनी माँ को बहुत कसकर पकड लिया जैसे कि वह उनमें समा जाना चाहती हूँ । आस पास खडी दूसरी महिलाएं अपनी आंखों में आंसू लिए उनको सहानुभूति की नजरों से देख रही थी । तभी वहां एक औरत दौडते हुए आई और दरवाजे पर बारात के आने की सूचना दी । इससे पहले की इस पर कुछ प्रतिक्रिया आती । सभी औरते और रोहिणी कि सहेलिया बारातियों की झलक और विशेष रूप से दूर है की एक झलक पाने के लिए दरवाजे की तरफ दौड पडे । रोहिणी अकेली थी । उसका दिल और तेजी से धडकने लगा और और ज्यादा नर्वस महसूस कर रही थी । पटाखों की आवाज प्रतिशन और तेज होती जा रही थी । दुल्हे को बेदी के पास बैठाया गया । वो बहुत खुश और विश्वस्त लग रहा था । ऐसा लग रहा था कि उसे वो मिल गया जिसकी उसकी इच्छा की थी । तभी पंडित जी ने दुल्हन को लेकर आने को कहा क्योंकि विवाह का शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो गया था इसलिए कुछ लोग उस कमरे की तरफ भागे जहाँ रोहिणी बैठी हुई थी । कुछ ही में दुल्हन कुछ और तो तथा जवान लडकियों के साथ वहाँ पर उपस् थित हुई । उसने माहौल का जायजा लेने के लिए अपने गूगल की ओर से झांका और तभी उसने देखा । एक जवान पुरुष दूसरे व्यक्तियों को एक तरफ धक्का देते हुए वहाँ रहा था जिसे देखकर उसकी आंखें फैल गई । उस आदमी के चेहरे से लग रहा था कि वह बहुत ढका हुआ था । उसके पास साफ कपडे नहीं थे ना उसने गाडी ही बनाई थी । उसके बाल भी तितर बितर थे । उसे देखते ही रोहिणी ने अचानक एक झटके से स्वयं को आजाद किया और उसकी तरफ दौड पडी । इससे पहले की वहाँ खडी दूसरे व्यक्ति घटना को समझ पाती । उसने उस आदमी के कंधों को ये कहते हुए पकड लिया अमर और इससे पहले कि उसे कुछ उत्तर मिलता वह जमीन पर गिरकर निढाल हो गई । ये देखकर कुछ छोडते जोर जोर से रोने लगी । मिसेज सेना रोते हुए उसके पास आई । तभी एक लंबा और शक्तिशाली व्यक्ति वहाँ आया । उसने रोहिणी को अपनी बाहों में उठाया । पांच के कमरे में ले गया । किसी ने डॉक्टर को फोन किया और कुछ ही देर में डॉक्टर भी आ गया । किसी ने भी अमर की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया । केवल कुछ लोगों को बताया था कि वह कौन था । अमर बरामदे में हमले के सहारे अपनी कमर को झुकाए हुए खडा था । ऐसा लग रहा था कि वो अपने आस पास के माहौल को समझने में असमर्थ था । उसने अपने आप को शांत करने के लिए अपनी आंखे बंद कर ली । दस साल पहले उसने रोहिणी से किसी जगह पर बात की थी जब उसका एमबीबीएस में चयन का परिणाम प्रकाशित हुआ था और वह पहला व्यक्ति था जिसने उसे इस बारे में सूचना दी थी । इसी सुनने के बाद कितना खुश हो गई थी उसे । अभी तक वो दिन अच्छी तरह से था । वो उसे अत्यधिक आश्चर्य के चलते धन्यवाद भी नहीं पाई थी । उसमें आपने मुलायम और कोमल हाथों से हार उसे पहनाया था और भेल रोमांच के साथ उसके गालों और माथे को चूमा था । अब हम डॉक्टर बन जाएंगे । उसमें खुशी से कहा मैं नहीं तो उसने अपने चेहरे पर बिना कोई दुख का भाव लाते हुए उत्तर दिया । ये सुनकर उसने अविश्वसनीयता के साथ उसकी तरफ देखा और फिर उसका रोल नंबर देखने के लिए रिजल्ट देखा । उसे वहाँ उसका रोल नंबर नहीं मिला लेकिन फिर भी उसकी आंखे विश्वास नहीं कर पा रही थी क्योंकि वो उससे ज्यादा बुद्धिमान था और जब भी वह किसी दुविधा में होती थी वो उसकी मदद किया करता था । दो दिन की पश्चात रोहिणी अचानक अमर के घर उसकी बहन सुजीता जो कि उस की सह पार्टी भी थी को देखने का बहाना कराई । लेकिन वास्तव में सुजीता अपने मामा के घर गई हुई थी और ये रोहिणी को पता था । उस समय केवल अमर की माँ घर पर थी इसलिए वो उनके साथ बैठ गई और अमर का इंतजार करते हुए बातें करने लगी । दो घंटे बीतने पर भी उसका कहीं अता पता नहीं था । तब वो और ज्यादा देर तक धैर्य नहीं रख सकी और उसे अमर की माँ से पूछा वो कहाँ गया हुआ है? इससे पहले की वह जवाब देती । अमर कमरे में दाखिल हुआ और रोहित को वहां देखकर आश्चर्यचकित रह गया । उसे देख कर उसके चेहरे का भाव बदल गया और वह भी फ्रेश और रोमांचित देखने लगी । अमर रोहिणी को यहाँ आए हुए लगभग दो घंटे हो गए हैं । वह सुजीता से मिलने आई थी । उस से बातें कर लो, मैं चाय बनाने जा रही हूँ । उसमें अभी तक चाय भी नहीं होती हैं । अमर की माँ ये कहकर जाने के लिए उठ खडी हुई । रोहिणी ने ये कहते हुए की उस की चाय की इच्छा नहीं है । उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन अमल में कुछ नहीं कहा । अपना सिर नीचे झुकाएं । वो उसके चेहरे के भाव को पन्नी की कोशिश कर रहा था । वास्तव में वो यहाँ देखकर मूक हो गया था । वो उसके घर पहली बार आई थी । उन दोनों ने स्कूल तथा कॉलेज में एक साथ पढते हुए दस साल बिताए थे । लेकिन उससे पहले उसके घर नहीं आई थी । रोहिणी यहाँ कैसे? अमर ने उत्सुकता से प्रश्न पूछा क्यों? क्या ये मेरा घर नहीं है? उसने पूछा उसके बाद अमानीय प्रतिक्रिया में एक शब्द भी नहीं कहा । कुछ मिनट बाद उसे दोबारा पूछा कि तुम्हारी या आने के पीछे कोई कारण जरूर होना चाहिए । ऐसा दोबारा सुनकर रोहिणी ने उसकी तरफ ऐसे देखा मानो की वजह से अपनी आंखों के द्वारा उत्तर देना चाहती थी । अपनी होटों को अलग किए बिना वह हल्का सा मुस्कुराई । लेकिन उसने एक भी शब्द ऐसा नहीं कहा जिससे वो उसके आने के कारण को जानने के लिए और उत्साहित होता । लेकिन तब तक माँ वहाँ चाहे लेकर आ गई थी और उन सब में चाय पीने आरंभ कर दी । मानी उसके परिवार से संबंधित कुछ सवाल पूछे और उस लिए सामान्य हाय आना में उत्तर दिया । चाहे समाप्त कर वो उठी और उनसे जाने के लिए आज्ञा लिए अमर उसके साथ दरवाजे तक इस आशा से आया कि वो उसे कुछ बताएगी लेकिन उसने कुछ नहीं बताया । जब वापस अपनी माँ के पास आया तो उन्होंने रोहिणी की बहुत प्रशंसा कि रोहिणी ने अमर को बताया कि वह ना खुश थी क्योंकि उसके माता पिता उसे एमबीबीएस में प्रवेश दिलवाने के लिए तैयार नहीं थे । लेकिन वह किसी भी प्रकार एक डॉक्टर बनना चाहती थी । उस रात अमर ठीक से सो नहीं सका । वो बेचेनी पूर्वक अपने बिस्तर में करवट लेता रहा । बार बार रोहिणी का चेहरा उसके दिमाग में आकर उसे ये सोचने के लिए विवश कर रहा था कि आखिर क्यों उसके माता पिता तैयार नहीं थे । अगले दिन वो जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी रोहिणी के घर पहुंचा । उसके माता पिता जो कि उस के एडमिशन के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं थे, उसे बताया कि वो उसके आगे की पढाई का बोझ उठाने में असमर्थ थे । मैं केवल साधारण पढाई करने में उसकी सहायता कर सकते थे लेकिन अंकल ये उसके भविष्य का सवाल है । अमर ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए कहा, हम जानते हैं हमारे हम से ज्यादा और उसके भविष्य की चिंता कौन करेगा? रोहिनी के पिता ने दुःख के साथ कहाँ और पूछा उसके एडमिशन की फीस तथा उसके बाद के खर्चे की व्यवस्था करने में हमारी सहायता कौन करेगा? अमर वास्तव में हम मकान बनवाने के लिए बहुत सारा लोन पहले ही ले चुके हैं । अभी हमारे लिए संभव नहीं है । रोहिणी कि माता ने अपने पति के हाथ में हाँ मिलाते हुए कहा, अमर ने एक गहरी सांस ली और विश्वासपूर्वक कहा कोई किसी की भविष्य की राह में कैसे आ सकता है? अंकल लेकिन हमें बेहतर के लिए कोशिश करनी चाहिए । निरोध थे । उसके बाद अमर जाने के लिए उठ खडा हुआ लेकिन वो उसके साथ एक कप चाय लेना चाहते थे, जिसे उसने ये कहते हुए मना कर दिया कि उसे किसी अत्यावश्यक काम के लिए कहीं जाना है । लेकिन जाने से पहले उसने उनसे एडमिशन फीस की व्यवस्था करने तथा बाकी सब ईश्वर की इच्छा पर छोड देने की प्रार्थना की । रोहिणी के माता पिता उसकी सलाह को मुक्त बनते सुन दे रहे । तभी अमर मोडा और उसने देखा के सामने दरवाजे की ओर से रोहिणी झांक कर उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रही थी और जब उसे इसका पता चला तो उसने मुस्कुराने की तथा अपने चेहरे पर खुशी का भाव लाने की असफल कोशिश की । इतना सब कुछ अमर के लिए उसकी अंतर्दशा जानने के लिए काफी था । समय बीतता गया और एडमिशन की अंतिम तारीख से दो दिन पहले अमर रोहिणी के घर गया और उसे मुबारक बात थी, लेकिन उसे ना खुश देखकर उसे आश्चर्य हुआ । अमर ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताने से इंकार कर दिया और सिर दर्द का बहाना बनाया । तभी वहां रसोई से निकलकर मिसिज सेना आई और अमर को बताया कि किसी प्रकार उसके पिता ने छह हजार रुपयों का प्रबंध कर लिया है । लेकिन अब भी पांच हजार और चाहिए थे जिसकी व्यवस्था करने में वह असमर्थ हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही बडा कर दे रखा था । इतना सुनकर उसे बिना एक शब्द कहे चाहे पीनी आरंभ कर दी । उसके बाद वो भारी मन से जाने के लिए उठ खडा हुआ । हालांकि मिसेज देना चाहती थी कि वह कुछ देर और बैठे लेकिन वो नहीं रुका पर
Sound Engineer
Writer
Voice Artist